भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार को गिरा कर अपना ढाई साल पहले का बदला तो ले लिया पर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस और अमित शाह को समझ आ गया होगा कि काठ की हांडी में जो खीर पकाई जा रहही थी, अब छेद होने लगे है और हर बार मामला पूरी तरह कंट्रोल में नहीं रहता. शिवसेना को छोड़ कर गए एकनाथ ङ्क्षशदे ने मुख्यमंत्री पद छीन ही नहीं लिया भाजपा को जता दिया कि हर जगह उस की नहीं चलेगी और उसे भी अपना अहम पूरा करने की भारी कीमत देनी पड़ेगी.
कोई बड़ी बात नहीं होती कि सिर्फ 30-35 विधायकों वाली पार्टी अब 112 विधायकों वाली भाजपा को हर रोज धमकी देती रहे. एकनाथ ङ्क्षशदे उन जैसों में से हैं जो किसी भी दिन फिर पलटी मार सकते हैं. उनका शिव सेना के कैडर पर कब्जा है यह पक्का नहीं है.
ठाकरे परिवार जिस मेहनत से शिवसेना को बनाया है, एकनाथ ङ्क्षशदे उसे समेट कर ले जाएं, इस के उदाहरण कम ही है. तमिलनाडू में जयललिता के बाद अन्नाद्रविड़ मुनेत्रकषगम बिखर गई है. एमजे रामचंद्रन और जयललिता ने मिल कर इसे बनाया था. बहुजन समाज पार्टी कांशीराम और मायावती ने बनाई और कमजोर होने के बावजूद आज भी दलित वोटों पर खासी पकड़ मायावती की है चाहे वह आलास्य के कारण पार्टी को आगे नहीं चला पा रही हों.
कांग्रेस बेहद सिकुड़ गई है पर नेताओं और वेटरों को तो दूसरी पाॢटयां ले जा रही हैं पर वर्कर आज भी गांधी परिवार के साथ हैं. शरद पंवार महाराष्ट्र तक में पूरी कांग्रेस को हड़प नहीं सकते हैं.
एकनाथ ङ्क्षशदे पूरी शिवसेना को ठाकरे परिवार के हाथों छीन लेंगे, इस में संदेह है. उलट शिवसेना में अब ङ्क्षशदे से बदला लेने की भावना तेज हो सकती है और अगले किसी भी चुनाव में जाएं शिवसेना का कैडर न हो, न ङ्क्षशदे जीत सकेंगे न भाजपा.
धोखा देना आसान है पर धोखे के बाद जीवन आसान नहीं होता. इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है जिन में जिस ने धोखा देकर सरकार गिराई वह बाद में फिर लौट के आया. इस शतरंजी चाल में सफेद राज्य जीते या काले राज्य, मरते प्यादे हैं. सभी प्यादों को मार दिया जाता हैं या निकम्मा बना दिया जाता है.
अब महाराष्ट्र में न शिवसेना का कैडर अपनेआप को मजबूत समझेगा न भारतीय जनता पार्टी का जो तालमेल पिछले चुनावों तक दोनों में था वह भाजपा की बेसब्री की वजह से टूट गया है. इस का नुकसान भाजपा पहले पंजाब, बंगाल और ओडिसा में देख चुकी है जहां उस ने सत्ता में आन की छटपटाहट में भयंकर तोड़ाफोड़ी अपने खिलाफ पार्टी में तो की है, अपनी सहयोगी पार्टी में भी की. ममता बैनजी, नवीन ङ्क्षजदल कभी भाजपा के साथ काम कर चुके हैं पर काम कराना, धोखा देना और फिर कब्जा कर लेना यह पौराणिक कथाओं से भाजपा शासक सीखसीख कर आते हैं. विष्णु का वामन अवतार इसी का उदाहरण है भगवान विष्णु ने एक छोटा रूप धारण का राजा बलि को धोखा दिया.
ङ्क्षशदे का ठाकरे परिवार को दिया गया धोखा कुछ दिन काम करेगा और यह दूसरी पाॢटयों को सतर्क कर देगा. अब भाजपा के पास तोडफ़ोड़ करने के लिए लालच नहीं, ईडी की धमकी बची है. ईडी भी कितनी कामयाब होती है, यह देखना है क्योंकि अब तक सिवाए तंग करने के बाद यह कम को ही मुजरिम साबित नहीं कर पाई है.
ङ्क्षशदे का मुख्यमंत्री पद का निवाला देवेंद्र फडनवीस के मुंह से छीन ले जाने का मतलब है कि अब और फडनवीस भाजपा को नहीं मिलेेंगे पर ङ्क्षशदे जरूर मिलेंगे.



 
  
                 
            




 
                
                
                
                
                
                
               