मैं अंकित से नाराज थी. परसों हमारे बीच जबरदस्त झगड़ा हुआ था और इस कारण पिछली 2 रात से मैं ढंग से सो भी नहीं पाई हूं.

परसों शाम हम दोनों डिस्ट्रिक्ट पार्क में घूम रहे थे कि अचानक मेरे कालेज के पुराने 5-6 दोस्तों से हमारी मुलाकात हो गई, जैसा कि ऐसे मौकों पर अकसर होता है, पुराने दिनों को याद करते हुए हम सब खूब खुल कर आपस में हंसनेबोलने लगे थे.

सच यही है कि उन सब के साथ गपशप करते हुए आधे घंटे के लिए मैं अंकित को भूल सी गई थी. उन को विदा करने के बाद मुझे अहसास हुआ कि उस का मूड कुछ उखड़ाउखड़ा सा था.

मैं ने अंकित से इस का कारण पूछा तो वह फौरन शिकायती अंदाज में बोला, ‘‘मुझे तुम्हारे इन दोस्तों का घटिया व्यवहार जरा भी अच्छा नहीं लगा, मानसी.’’

‘‘क्या घटिया व्यवहार किया उन्होंने?’’ मैं ने चौंक कर पूछा.

‘‘मुझे बिलकुल पसंद नहीं कि कोई तुम से बात करते हुए तुम्हें छुए.’’

‘‘अंकित, ये सब मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं और मुझे ले कर किसी की नीयत में कोई खोट नहीं है. उन के दोस्ताना व्यवहार को घटिया मत कहो.’’

‘‘मेरे सामने तुम्हारी कोल्डड्रिंक की बोतल से मुंह लगा कर कोक पीने की रोहित की हिम्मत कैसे हुई? उस के बाद तुम ने क्यों उस बोतल को मुंह से लगाया?’’ उस की आवाज गुस्से से कांप रही थी.

‘‘कालेज के दिनों में भी हमारे बीच मिलजुल कर खानापीना चलता था, अंकित. मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि तुम इस छोटी सी बात पर क्यों इतना ज्यादा नाराज…’’

‘‘मेरे लिए यह छोटी सी बात नहीं है, मानसी. अब इस तरह की घटिया और चीप हरकतें तुम्हें बंद करनी होंगी.’’

‘‘क्या तुम मुझे ‘चीप’ कह रहे हो?’’ मुझे भी एकदम गुस्सा आ गया.

‘‘तुम चुपचाप मेरी बात मान क्यों नहीं लेती? बेकार की बहस शुरू करने के बजाय तुम मेरी खुशी की खातिर अपनी गलत आदतों को फौरन छोड़ देने की बात क्यों नहीं कह रही हो?’’

‘‘तुम मुझे आज खुल कर बता ही दो कि तुम्हारी खुशी की खातिर मैं अपनी और कौनकौन सी घटिया और चीप आदतें छोड़ूं?’’

‘‘सब से पहले किसी भी लड़के से इतना ज्यादा खुल कर मत हंसोबोलो कि वह तुम्हें चालू लड़की समझने लगे.’’

‘‘अंकित, क्या तुम मुझ पर अब चालू लड़की होने का आरोप भी लगा रहे हो?’’ तेज गुस्से के कारण मेरी आंखों में आंसू छलक आए थे.

‘‘मैं आरोप नहीं लगा रहा हूं. बस, सिर्फ तुम्हें समझा रहा हूं. मेरे मन की सुखशांति के लिए तुम्हें अपने व्यवहार को संतुलित बनाने में कोई एतराज नहीं होना चाहिए.’’

‘‘तुम समझाने की आड़ में मुझे अपमानित कर रहे हो, अंकित. अरे, तुम अभी से मेरे चरित्र पर शक कर मुझे पुराने दोस्तों के साथ खुल कर हंसनेबोलने को मना कर रहे हो तो शादी के बाद तो अवश्य ही मेरे मुंह पर ताला लगा कर रखोगे. तुम्हारी 18वीं सदी की सोच देख कर तो मुझे तुम पर हैरानी हो रही है.’’

‘‘बेकार की बहस में पड़ने के बजाय हम दोनों एकदूसरे के विचारों को समझने की कोशिश क्यों नहीं कर रहे हैं? क्या अपनी शादीशुदा जिंदगी को हंसीखुशी से भरपूर रखने की जिम्मेदारी हम दोनों की नहीं है?’’ वह अपना आपा खो कर जोर से चिल्लाते हुए बोला.

‘‘जो आदमी मुझे चालू और चीप समझ रहा है, मुझे उस से शादी करनी ही नहीं है,’’ मैं झटके से मुड़ी और पार्क के गेट की तरफ चल पड़ी.उस ने मुझे आवाज दे कर रोकना चाहा, पर मैं रुकी नहीं. घर पहुंच कर मैं देर तक रोती रही. मेरे हंसनेबोलने को नियंत्रित करने का उस का प्रयास मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा.

अपने मन में बसी नाराजगी के चलते पूरे 2 दिन अंकित को इंतजार कराने के बाद मैं ने रविवार की सुबह उस की कौल रिसीव की.

‘‘कुछ देर के लिए मिलने आ सकती हो, मानसी?’’ अंकित की आवाज में अभी भी खिंचाव के भाव मैं साफ महसूस कर सकती थी.

मैं ने भावहीन लहजे में जवाब दिया, ‘‘मेरा आना नहीं हो सकता क्योंकि मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है.’’

‘‘किसी भी जरूरी काम का बहाना बना कर थोड़ी देर के लिए आ जाओ.’’

‘‘मुझे मम्मीपापा से झूठ बोलना सिखा रहे हो?’’

‘‘प्यार में कभीकभी झूठ बोलना चलता है, यार.’’

‘‘तुम मुझ से प्यार करते हो?’’

‘‘अपनी जान से ज्यादा,’’ वह एकदम भावुक हो उठा था.

‘‘ज्यादा झूठ बोलने की जरूरत नहीं है.’’

‘‘मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं और यह बात मैं तुम्हें आमनेसामने समझाना चाहूंगा.’’

‘‘ठीक है, आधे घंटे बाद मुझे मेन सड़क पर मिलना.’’

‘‘थैंक यू, यू आर ए डार्लिंग.’’ उस का स्वर किसी छोटे बच्चे की तरह खुशी से भर गया तो मैं भी खुद को मुसकराने से रोक नहीं पाई थी.

हमारी पहली मुलाकात मेरी अच्छी सहेली रितु की शादी के दौरान करीब 2 महीने पहले हुई थी. अंकित उस के बड़े भाई का दोस्त था. हमारे मिलने का सिलसिला चल निकला. खूब बातें होतीं, मौजमस्ती करते. इन कुछ मुलाकातों के दौरान मेरे व्यक्तित्व से प्रभावित हो वह मुझे अपना दिल दे बैठा था.

मेरी नजरों में वह एक उपयुक्त जीवनसाथी था, पर परसों के अपने संकुचित व्यवहार से उस ने मेरा दिल बहुत दुखाया था. मेरे जिस हंसमुख व्यक्तित्व से प्रभावित हो कर उस ने मुझे अपना दिल दिया था अब मेरा वही खास गुण उसे चुभने लगा था. अपनी मोटरसाइकिल के पास खड़ा अंकित मेन सड़क पर मेरा इंतजार कर रहा था. मुझे देखते ही उस का चेहरा फूल सा खिल उठा.

मैं पास पहुंची तो वह खुशी भरे लहजे में बोला, ‘‘यू आर लुकिंग वैरी ब्यूटीफुल, मानसी.’’

‘‘थैंक यू,’’ उस के मुंह से अपनी प्रशंसा सुन कर मैं न चाहते हुए भी मुसकरा उठी थी.

‘‘मुझे परसों के अपने व्यवहार के लिए तुम से क्षमा…’’

मैं ने उस के मुंह पर हाथ रख कर उसे चुप किया और बोली, ‘‘अब उस बात की चर्चा शुरू कर के मूड खराब करने के बजाय पहले कुछ खा लिया जाए, मुझे बहुत जोर से भूख लग रही है.’’

‘‘जरूर,’’ उस ने किक मार कर मोटरसाइकिल स्टार्ट कर दी.

मेरे मनपसंद रेस्तरां में हम ने पहले पेट भर कर चायनीज खाना खाया. फिर आमिर खान की ‘थ्री इडियट’ फिल्म दोबारा देखी. वहां से निकल कर आइसक्रीम खाई और उसी डिस्ट्रिक्ट पार्क में घूमने पहुंच गए जहां 2 दिन पहले हमारा झगड़ा हुआ था.

वहां हम हाथ पकड़ कर मस्त अंदाज में घूमने लगे. अब तक बीते पूरे समय के दौरान नाराजगी का कोई नामोनिशान मेरे व्यवहार में मौजूद नहीं था. उस ने तो कई बार झगड़े की चर्चा छेड़नी भी चाही, पर हर बार मैं ने वार्तालाप की दिशा बदल दी थी. मन में डर भी था कि बेवजह फिर कहीं बात का बतंगड़ न बन जाए.

टहलते हुए हम पार्क के ऐसे एकांत कोने में पहुंचे जहां आसपास कोई नजर नहीं आ रहा था. मैं ने रुक कर उस का हाथ चूमा तो उस ने मुझे अपनी मजबूत बांहों में एकाएक भर कर मेरे होठों से अपने होंठ जोड़ दिए थे.

मैं ने आंखें मूंद कर इस पहले चुंबन का भरपूर आनंद लिया था.

अंकित से अलग होने के बाद मैं प्यार भरे अंदाज में फुसफुसा उठी थी, ‘‘अब तुम से दूर रहने का मन नहीं करता है, अंकित.’’

‘‘मेरा भी,’’ वह अपनी सांसों को नियंत्रित नहीं कर पा रहा था.

‘‘हम जल्दी शादी कर लेंगे?’’

‘‘हां.’’

‘‘मैं जैसी हूं, तुम्हें पसंद तो हूं न?’’

‘‘तुम मुझे बहुत ज्यादा पसंद हो.’’

‘‘तब मुझ पर अपने स्वभाव को बदलने के लिए परसों जोर क्यों डाल रहे थे?’’

‘‘तुम भूली नहीं हो उस बात को?’’ वह बेचैन नजर आने लगा.

‘‘नहीं,’’ मैं ने उसे सचाई बता दी.

उस ने अटकते हुए अपने दिल की बात कह दी, ‘‘मानसी, इस मामले में मैं तुम से झूठ नहीं बोलूंगा. तुम्हें किसी भी अन्य युवक के साथ ज्यादा खुला व्यवहार करते देख मेरा मन गलत तरह की कल्पनाएं करने लगता है. तुम्हारा जो व्यवहार मुझे अच्छा नहीं लगता, उसे छोड़ देने की बात कह कर मैं ने क्या कुछ गलत किया है?’’

‘‘इस मामले में तुम अब मेरे मन की बात ध्यान से सुनो, अंकित,’’ मैं भावुक लहजे में बोलने लगी, ‘‘तुम बहुत अच्छे हो… मेरे सपनों के राजकुमार जैसे सुंदर हो… मैं सचमुच तुम्हारी जीवनसंगिनी बनना चाहती हूं, पर…’’

‘‘पर क्या?’’ उस की आंखों में तनाव के भाव उभर आए.

‘‘किसी दोस्त या सहयोगी के साथ तुम्हारे खुल कर हंसनेबोलने को ले कर मैं तुम्हारे साथ कभी झगड़ा नहीं करना चाहूंगी. शादी के बाद तुम मुझे कितना भी प्यार करो, मेरा जी नहीं भरेगा. बैडरूम में मेरा खुला व्यवहार देख कर मेरे चरित्र के बारे में अगर तुम ने गलत अंदाजे लगाए तो हमारी कैसे निभेगी? हमें एकदूसरे के ऊपर पूरा विश्वास…’’

‘‘मैं इतना कमअक्ल इंसान…’’

मैं ने भी उसे बीच में ही टोक कर अपने मन की बात कहना जारी रखा, ‘‘प्लीज, पहले मेरी पूरी बात सुन लो. आज अपने मम्मीपापा से झूठ बोल कर तुम से मिलने आई थी. तुम्हें अपना हाथ पकड़ने दिया… अपनी कमर में बांहें डाल कर चलने दिया. होंठों पर आज पहली बार किस करने की छूट दी. मैं ने वह खास प्रेमी होने का दर्जा आज तुम्हें दिया जो कल को मेरी मांग में सिंदूर भी भरेगा.’’

‘‘तुम कहना क्या चाह रही हो?’’ अंकित की आंखों में बेचैनी और उलझन के भाव साफ नजर आ रहे थे.

‘‘मैं यह कहना चाह रही हूं कि जब तक तुम अपनी आंखों से किसी युवक के साथ ऐसा कुछ होता न देखो… जब तक तुम मेरा कोई झूठ न पकड़ो, तब तक मेरे चरित्र पर शक करने की भूल मत करना.

‘‘मैं ने आज तक किसी गलत नीयत वाले युवक को दोस्त का दर्जा नहीं दिया है और न ही कभी दूंगी. फ्लर्ट करने के शौकीन इंसानों को मैं अपने से दूर रखना अच्छी तरह जानती हूं. माई लव, मैं स्वभाव से हंसमुख हूं, चरित्रहीन नहीं.’’

उस ने पहले मेरे आंसुओं को पोंछा और फिर संजीदा लहजे में बोला, ‘‘मानसी, मुझे अपनी गलती का एहसास हो रहा है. मेरी समझ में आ गया है कि तुम्हारे खुले व हंसमुख व्यवहार के कारण मेरे मन में हीनभावना पैदा हो गई थी जिस से मुझे मुक्ति पाना जरूरी है. मैं अब भविष्य में तुम्हारे ऊपर निराधार शक कर तुम्हारा दिल नहीं दुखाऊंगा.’’

‘‘सच कह रहे हो?’’

‘‘बिलकुल सच कह रहा हूं.’’

‘‘अब कभी मेरे ऊपर निराधार शक नहीं करोगे?’’

‘‘कभी नहीं.’’

‘‘आई लव यू वैरी मच.’’ मैं भावविभोर हो उस से लिपट गई.

‘‘आई लव यू टू.’’ उस ने मेरे होंठों से अपने होंठ जोड़े और मेरे तनमन को मदहोश करने वाले दूसरे चुंबन की शुरुआत कर दी थी.

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