एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं जो सीधे-सीधे आजादी के संघर्ष का भी नेताओं को श्रद्धांजलि है दूसरी तरफ आजादी के महानायक यथा मोहनदास करमचंद गांधी, जवाहरलाल नेहरू जैसी विभूतियों की विरासत से छेड़छाड़ का अपराध भी.

अभी तो नरेंद्र दामोदरदास मोदी की देश में सरकार है. मगर आने वाले समय में नरेंद्र मोदी, भाजपा और आर एस एस को निश्चित रूप से इसका जवाब देना पड़ सकता है. क्योंकि हमारे देश की सहिष्णु आवाम यह सब शायद बर्दाश्त नहीं कर पाएगी.

आज केंद्र सरकार नरेंद्र मोदी के हाथों में है और आप महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू जैसी देश की महान विभूतियों के संग्रहालय, विरासत को लगातार छिन्न-भिन्न करने में लगे हुए हैं. ठीक है आज आप के हाथों में सत्ता है मगर जब कल यह सत्ता हाथों से फिसल जाएगी और इतिहास के कटघरे में आपसे सवाल किए जाएंगे तो आप क्या जवाब देंगे.

ताजा तरीन मामला देश की राजधानी में स्थित नेहरू संग्रहालय का है जहां नेहरू जी को देश चाचा नेहरू के रूप में प्यार करता है, प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जिनका सम्मान है आजादी की लड़ाई में जिस व्यक्ति ने अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया और एक महानायक बन करके अपने 17 वर्षों के कार्यकाल में देश को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय स्थिति में स्वावलंबी बनाने का भरसक प्रयास किया. उस विभूति के सम्मान में बने नेहरू संग्रहालय का नाम बदला और उसे प्रधानमंत्री संग्रहालय कर दिया गया. क्या यह देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू का, आजादी का अवमान नहीं है.

यहां याद रखने वाली बात यह है कि नरेंद्र मोदी बड़ी संजीदगी के साथ जब भी देश को संबोधित करते हैं तो नाटकीय तरीके से यह प्रदर्शित करते हैं कि वह बहुत ही संवेदनशील है और देश प्रेम तो उनमें कूट-कूट कर भरा हुआ है. देशभक्ति के सामने तो उनसे बड़ा कोई देशभक्त है ही नहीं फिर देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरु हो या फिर राष्ट्रपिता के रूप में महात्मा गांधी उनकी विरासत संग्रहालय के साथ मोदी सरकार यह धतकरम क्यों कर रही है यह सवाल का जवाब नरेंद्र दामोदरदास मोदी और उनकी सरकार कभी नहीं देगी मगर सच्चाई देश जानता है कि इस सब के पीछे का रहस्य क्या है.

नेहरू बनाम नरेंद्र

देश अभी यह भुला नहीं है कि गुजरात में सबसे बड़े स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी ने अपने नाम करवा लिया और प्रोटोकॉल को खत्म करवा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों उसका उद्घाटन करवाया था.

ऐसे नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने नेहरू स्मारक संग्रहालय को अब आधिकारिक रूप से प्रधानमंत्री संग्रहालय बनवा दिया  है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  तीन मूर्ति भवन परिसर में  प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन किया. इसे नरेंद्र मोदी ने  हर सरकार की साझा विरासत का जीवंत प्रतिबिंब बताते हुए उम्मीद जताई कि यह संग्रहालय भारत के भविष्य के निर्माण का एक ऊर्जा केंद्र भी बनेगा.

प्रधानमंत्री ने इस मौके पर देश के सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान को याद किया. नरेंद्र मोदी ने भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए कहा कि एक दो अपवादों को छोड़ दिया जाए तो देश में लोकतंत्र को लोकतांत्रिक तरीके से मजबूत करने की गौरवशाली परंपरा रही है.

तीन मूर्ति परिसर में अब प्रधानमंत्री संग्रहालय में देश के 14 पूर्व प्रधानमंत्रियों के जीवन की झलक के साथ साथ देश के निर्माण में उनके योगदान को दिखाया गया है.  प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतवासियों के लिए बहुत गौरव की बात है कि देश के ज्यादातर प्रधानमंत्री बहुत ही साधारण परिवार से रहे हैं और सुदूर देहात, एकदम गरीब परिवार, किसान परिवार से आकर भी प्रधानमंत्री पद पर पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की महान परंपराओं के प्रति विश्वास को मजबूत करता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश आज जिस ऊंचाई पर है वहां तक उसे पहुंचाने में स्वतंत्र भारत के बाद बनी सभी सरकारों का योगदान है. यह संग्रहालय भी हर सरकार की साझा विरासत का जीवंत प्रतिबिंब बन गया है.

मगर नरेंद्र मोदी यह भूल गए कि नेहरू संग्रहालय का अपना एक महत्व था जहां देश भर से और दुनिया से जब पर्यटक आते तो नेहरू संग्रहालय को देख समझकर के उन्हें आजादी की लड़ाई संघर्ष से प्रेरणा मिलती थी. हमारा यहां आदरणीय नरेंद्र मोदी से यही सवाल है की आजादी की लड़ाई के नायकों  और अन्य प्रधानमंत्रियों में क्या कोई अंतर नहीं है. क्या -“सभी धान 22 पसेरी” की कहावत यहां चरितार्थ नहीं हो रही है.

अगर वे भी यही करते तो क्या होता

हम यहां इस आलेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं संघ से यह पूछते हैं कि अगर कांग्रेस भी अगर ऐसा ही करने लगे तो आपको कैसा लगेगा.

आप क्या यह भूल जाते हैं कि महाराष्ट्र में जहां कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस , शिवसेना की संयुक्त सरकार है. आपके नागपुर स्थित आर एस एस भवन का अधिग्रहण करके उसे और बहुत अच्छा बनाने का प्रयास करे और उसकी आड़ में उसकी मूल भावना के साथ छेड़छाड़ की जाए तब क्या होगा. आपको कैसे लगेगा.

आर एस एस की भावना मूल मंत्र को हम और विस्तार दे रहे हैं कह कर के अगर महाराष्ट्र की सरकार आर एस एस के भवन में बड़ी चतुराई के साथ बदलाव लाने का प्रयास करें तो आपको कैसा लगेगा.

दुनिया में नरेंद्र मोदी एक क्षमता वान प्रधानमंत्री के रूप में धीरे-धीरे स्थापित हो रहे हैं मगर वे अपनी शक्ति और ऊर्जा जिस तरीके से कांग्रेस की विरासत को नष्ट  करने में लगाते हैं उससे उनकी छवि पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है. यह जो देश में राजनीति चल रही है यह जो छाया युद्ध चल रहा है यह किसी भी हालात में अच्छा नहीं कहा जा सकता.

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