लेखक- Satish Saxena

मैं 30 की हो चली हूं. मेरा मानना है कि सब को अपनेअपने हिस्से की लड़ाई लड़नी पड़ती है. एक लड़ाई मैं ने भी लड़ी थी, उस समय जब मैं थर्ड ईयर में थी. पर आज जिंदगी मेरे लिए सांसों का एक पुलिंदा बन चुकी है, जिसे मुझे ढोना है और मैं ढोए जा रही हूं, नितांत अकेली.

मैं नहीं जानती कि मेरी कहानी सुन कर कितनी युवतियां मुझे मूर्ख कहेंगी? कितनी मेरे साहस को सराहेंगी? यह जानने के बाद भी कि मेरे साहस ने ही मुझ से मेरे मातापिता छीने. वह प्यार छीना जो मेरे लिए बेशकीमती था. आज कोई नहीं है, जिसे मैं अपना कह सकूं. केवल और केवल एक हताशा है जो हर पल मेरे साथ रहती है और मेरी जीवनसंगिनी बन चुकी है.

आज मैं एक कालेज में लैक्चरर के पद पर नियुक्त हूं. स्टूडैंट्स को पढ़ाते समय जब कभी किताब खोलती हूं तो मेरी यादों की किताब के पन्ने तेजी से उलटनेपलटने लगते हैं. मुझे याद आ जाते हैं, कालेज के वे दिन जब मेरी मुलाकात आकाश से हुई थी. मैं अपनी सहेलियों में सब से ज्यादा सुंदर थी. मेरी बड़ीबड़ी हिरनी सी बोलती आंखों, गोरेचिट्टे छरहरे शरीर और कमर तक लहराते बालों पर ही तो वह मरमिटा था.

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आमतौर पर बीए फाइनल या एमए करतेकरते परिवार में लड़कियों की शादी तय करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. कुछ लड़कियां अपने मातापिता द्वारा पसंद किए गए लड़कों के साथ शादी कर के अपनी गृहस्थी बसा लेती हैं, तो कुछ अपने प्रेमी को वर के रूप में पा कर नई जिंदगी की शुरुआत कर लेती हैं.

कालेज में इस उम्र की लड़कियों के बीच अधिकतर भावी पति ही चर्चा का विषय होते हैं. एक दिन मेरे और सहेलियों के बीच इस बात पर बहस छिड़ गई कि शादी से पहले मंगेतर या प्रेमी के साथ क्या सैक्स उचित है?

कई लड़कियों का मानना था कि इस में अनुचित ही क्या है, जो कल होना है वह आज हो रहा है. आजकल लड़के कुछ ज्यादा ही डिमांडिंग हो गए हैं. यदि उन की डिमांड्स पूरी न हों तो यह भी संभव है कि विवाहपूर्व ही लड़के लड़की के संबंधों में दरार आ जाए. कुछ कह रही थीं कि इस में खतरा भी है. मान लो किन्हीं कारणों से यदि शादी नहीं हो पाई तो यह भी हो सकता है कि लड़का आप को ब्लैकमेल करना शुरू कर दे या यह भी हो सकता है कि लड़के से ब्रेकअप के बाद भविष्य में होने वाली शादी में, इस प्रकार का संबंध अड़चन बन जाए.

मैं शादी से पहले यौन संबंधों की पक्षधर कभी नहीं थी. मेरी नजर में ऐसे रिश्ते कैलकुलेटेड होते हैं, जो मात्र लड़की का शरीर पाने के लिए बनाए जाते हैं. इन में प्यार नहीं होता. वे लड़के जो अपनी भावी पत्नी या प्रेमिका से शादी से पहले सैक्स की डिमांड करते हैं, उन के लिए नारी केवल एक संपत्ति होती है, जिस का उपयोग वे अपनी इच्छानुसार करना चाहते हैं. वे यह भी नहीं सोचते कि जिस ने आप को अपना सर्वस्व समर्पित किया, अपने प्यार से आप को स्पंदित किया, उस के भी अपने कुछ जज्बात हैं? उस की भी अपनी कोई सोच है. यदि कुछ अवांछित हो गया तो भुगतना तो लड़की को ही पड़ेगा. खैर, यह अपनीअपनी लड़ाई है, जिसे प्रत्येक लड़की को अपनेअपने तरीके से लड़ना पड़ता है. मैं ने अपना प्रश्न रखा था. बहस का कोई परिणाम नहीं निकला.

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मेरे और आकाश के रोमांस को लगभग 2 महीने हो चले थे. उस के लिए हर दिन वेलैंटाइन डे हुआ करता था, वह कालेज के गेट पर मेरे आने से पहले एक गुलाब लिए खड़ा रहता. मुझे देखते ही उस की आंखें नशीली हो उठतीं. चेहरे पर कातिलाना मुसकराहट उभर आती. मेरा भी मन पुलकित हो उठता. प्रेम की ताजा और स्फूर्त गंध हम दोनों के बीच बहने लगती. वह मुझे बड़े आशिकाना अंदाज में फूल भेंट करता और कहता, ‘स्वागत है आप का, हुस्न ए मलिका अनामिका.’ उस के शब्द सुनते ही जाने कितने प्यार के पटाखे मेरे मन में भड़ाकभड़ाक की आवाज के साथ फटने लगते थे.

उन 2 महीने में मैं ने कभी यह महसूस नहीं किया कि वह प्रेम को सीधे सैक्स से जोड़ कर देखता है या उस में मेरे प्रति कोई दैहिक आकर्षण है. मुझे तो वह हर पल भावनात्मक रूप से ही जुड़ा हुआ मिला. यही उस की विशेषता थी जो मुझे उस से बांधे रखती थी. यही वह गुण था जो उसे अन्य लड़कों से भिन्न बनाता था. उस की उपस्थिति से ही मेरे मन के तार झंकृत होने लगते थे.

फिर एक दिन वह हो गया जिस की मुझे अपेक्षा नहीं थी. लाइब्रेरी के सामने वाली गैलरी में किसी को अपने आसपास न पा कर उस ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और अपने अधर मेरे अधरों पर टिकाने की कोशिश करने लगा. मेरे लिए यह स्थिति असह्य थी. क्रोध आंखों में उतर आया. शरीर कंपकंपा गया.

‘आकाश… हाउ डेयर यू?’ मैं ने  उसे धकेलते हुए गुस्से से कहा, ‘‘तुम ने मुझे समझ क्या रखा है? एक भोग्या? आई नैवर ऐक्सपैक्टेड दिस फ्रौम यू? गैट लौस्ट.’’ फिर पता नहीं कितनी देर तक मेरे शरीर में अंगारे दहकते रहे थे. मस्तिष्क में चिनगारियां फूटती रही थीं. मन सुलगता रहा था.

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मैं ने देखा, आकाश का हाल मुझ से बिलकुल उलटा था. चेहरा उड़ाउड़ा सा था. मानो कीमती वस्तु के अचानक खो जाने का डर उस के चेहरे पर साफ झलक रहा था.

‘‘आई एम सौरी,’’ कंपकंपाते हाथों से उस ने मेरी बांहें पकड़ते हुए कहा था, ‘‘पता नहीं मैं कैसे सुधबुध खो बैठा? मेरा मकसद तुम्हारा दिल दुखाने का नहीं था. इतने अरसे से हम मिलते रहे हैं, पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ? प्लीज, आई एम सौरी अगेन.’’

उस दिन आकाश ने मेरी बांहें उस समय तक नहीं छोड़ी थीं, जब तक कि मैं ने उसे माफ नहीं कर दिया था.

एक जवान लड़की की मां, लड़की को ले कर किनकिन परेशानियों से जूझती हुई जीती है, यह मेरी मां इंद्रा ही जानती थीं या वे स्त्रियां जानती हैं, जिन की बेटियां जवान हो जाती हैं.

मेरे लिए मां हर पल परेशान रहती थीं. मेरे घर से बाहर निकलने से ले कर लौटने तक, चैन की सांस नहीं ले पाती थीं. हीरा सब के सामने हो तो कौन उसे लूटने का प्रयास नहीं करेगा? वे इसी भय से मुक्ति चाहती थीं. उन का कहना था कि मैं एक बार घर से विदा हो कर अपने पति के घर चली जाऊं, तब जा कर उन्हें चैन मिलेगा. पिताजी भी यही चाहते थे कि मैं फाइनल ईयर करतेकरते ही लाइफ में सैटल हो जाऊं.

बड़े प्रयासों के बाद उन्हें एक अच्छे परिवार वाला शिक्षित, सौम्य और संस्कारी लड़का मिला. वह आगरा में एक प्राइवेट फर्म में अच्छे पद पर कार्यरत था. लड़के के पिता ने पिताजी से कहा कि आप आगरा आइए. हमारा घर देखिए. लड़केलड़की को मिल लेने दीजिए, यदि सबकुछ ठीकठाक रहा तो शादी की बात भी हो जाएगी.

मां लड़के के पिता की बातें सुनते ही रोमांचित हो गई थीं. प्रतीत हुआ था जैसे उन का नाम किसी अवार्ड फंक्शन के लिए नामांकित हो गया हो. उन्होंने दूसरे दिन ही आगरा जाने की तैयारियां कर डालीं.

युवकयुवतियों के सिर से प्यार का भूत उतरे नहीं उतरता. मेरे सिर से भी नहीं उतरा था. मैं इस रिश्ते के लिए तैयार ही नहीं हुई. मैं ने स्पष्ट शब्दों में मां से कह दिया था, ‘‘मां, आकाश मेरा प्यार है. मैं शादी करूंगी तो उसी से, वरना नहीं.’’

मां बोली थीं, ‘‘हमारे खानदान में दूरदूर तक किसी ने प्रेमविवाह नहीं किया है तो मैं तुझे कैसे करने दूंगी? और यह जो तू प्यारप्यार करती है, यह प्यार नहीं है, एक हवस है. जैसे ही यह खत्म हुई वैसे ही प्यार का नशा भी उतर जाएगा. तुझे शादी तो हमारी इच्छा से ही करनी पड़ेगी.’’

‘‘यह नहीं होगा, मां,’’ मैं ने स्पष्ट कहा, ‘‘इस से बेहतर है कि मैं जिंदगी भर कुंआरी ही रहूं.’’

‘‘और यदि हमारे मनमुताबिक नहीं हुआ तो हम दोनों तुझ से रिश्ता ही तोड़ लेंगे,’’ मां अपना आपा खो चुकी थीं.

अंतत: मैं आगरा जाने के लिए तैयार हो गई थी. आगरा में मैं ने लड़के से मिलते ही अपने संबंध के बारे में सबकुछ साफसाफ बता दिया था. लड़का सुलझा हुआ था. पीढि़यों और विचारों के अंतर को भलीभांति समझता था. उस ने ही इस शादी से इनकार कर दिया.

अब मां को अपनी परेशानियों का अंत आसपास कहीं भी दिखाई नहीं दिया. निवाला हर बार मुंह के पास आतेआते नीचे गिर जाता था. लड़का पसंद आता भी तो शादी की बात किसी न किसी कारण से अधूरी रह जाती.

फिर धीरेधीरे उन की हताशा ने मेरे सुख में ही अपना सुख तलाशना शुरू कर दिया. उन्होंने अपने मन में मेरे और आकाश के प्यार को रोकने के लिए जिद का जो बांध बांध रखा था, समय के साथसाथ वह टूटने लगा. पहले कुछ दरारें दिखाई दीं, फिर समूचा बांध ही ध्वस्त हो गया.

फिर एक दिन पिताजी की उपस्थिति में मां ने मुझे अपना फैसला सुना दिया, ‘‘हमें तेरी और आकाश की शादी मंजूर है. उसे एक दिन मातापिता के साथ बुला लो. उन की सहमति मिलते ही हम, तुम दोनों की सगाई कर देंगे.’’

यह सुन कर जो खुशी मुझे मिली थी, उस का वर्णन ठीक तरह से कर ही नहीं पाऊंगी. पोरपोर से प्यार शोर मचा रहा था. जीत जश्न मनाने लगी थी. आकाश का हाल भी मुझ जैसा ही था. हमारी मुट्ठियों में सारा आसमान सिमट आया था. बस, हमें और क्या चाहिए था?

दूसरे दिन ही दोनों परिवार इकट्ठे हुए. दोनों परिवारों ने अपने बच्चों की खुशियों के लिए रिश्ता मंजूर कर लिया और फिर 20 दिन बाद हमारी सगाई हो गई थी. मुझे शुरू से ही यह स्लोगन बहुत अच्छा लगता था, ‘ये दिन भी न रहेंगे.’ हमारा दुख सुख में बदल चुका था. उस के बाद तो हम ने जमाने को पीछे मुड़ कर देखना ही छोड़ दिया था.

सगाई के कुछ दिन बाद ही मेरा जन्मदिन था. जन्मदिन पर आकाश ने मुझे उपहार में 50 हजार रुपए की नीले रंग की साड़ी दी थी और होटल वेलैंटाइन में एक शानदार डिनर पार्टी भी. उस दिन मैं बहुत खुश थी. देर रात तक पार्टी चलती रही थी. पार्टी खत्म होते ही मैं उस रूम में चली आई थी, जो आकाश ने मेरे आराम के लिए बुक किया था. उस समय वह अपने दोस्तों में व्यस्त था.

रात को 2 बजे आकाश मेरे कमरे में घुसा था. उस के मुंह से शराब की दुर्गंध आ रही थी. कमरे में घुसते ही वह बोला, ‘‘आई नीड यू डार्लिंग, कम औन.’’

उस के इरादे समझते ही मैं बेड से उठ गई थी. तीखे शब्दों में मैं ने उस से कहा था, ‘‘तुम अच्छी तरह जानते हो आकाश, शादी से पहले मुझे ऐसे संबंध पसंद नहीं हैं’’ ऐसा बोलते समय मैं भय से कांप भी रही थी.

‘‘डौंट टैल मी, ये लड़कियों के चोचले हैं. मैं बखूबी जानता हूं. और डार्लिंग अब तो हमारी सगाई भी हो चुकी है. यू आर माई वुड बी वाइफ नाऊ,’’ कह कर वह मेरी ओर बढ़ने लगा था.

मैं उस का एग्रेशन देख कर ही समझ गई थी कि मुझे पाना उस की जिद है. आज वह यह जिद पूरा कर के ही रहेगा. वह अपनी जिद पर अड़ा रहा और मैं अपनी जिद पर.

जब मैं नहीं झुकी तो उस ने मुझे चेतावनी दे डाली, ‘‘अगर तुम्हें मेरी इच्छा की कोई परवा नहीं है तो मुझे भी तुम्हारी कोई परवा नहीं है. मैं तुम से अपने संबंध अभी, इसी वक्त तोड़ता हूं. अब हमारी शादी कभी नहीं होगी. अपने ऐथिक्स का सेहरा अपने सिर पर बांध जिंदगीभर डोलती रहना.’’

वह उठ कर कमरे से बाहर जाने का प्रयास करने लगा. मैं काटो तो खून नहीं वाली स्थिति में आ गई. मैं ने तेजी से आगे बढ़ कर उसे फिर सोफे पर बिठा दिया. मैं गिड़गिड़ाने लगी थी, ‘‘यह क्या कह रहे हो आकाश? तुम नशे में हो. नहीं समझ पा रहे हो कि जो कुछ तुम ने कहा है, यदि ऐसा हुआ तो इस का असर हमारी जिंदगियों को तबाह कर देगा. जिस प्यार को मैं ने मुश्किल से पाया है, वह मेरी मुट्ठी से रेत की तरह फिसल जाएगा. प्लीज, जरा यह तो सोचो?’’

पर वह जरा भी विचलित नहीं हुआ. कहने लगा, ‘‘माई डिसीजन इज फाइनल, तुम्हें क्या करना है, इस का फैसला तुम कर लो.’’ मेरी पकड़ से छूटने का प्रयास करते हुए उस ने अपना फैसला सुना दिया.

मैं उसे और नहीं रोक पाई थी. सारी मिन्नतें, कसमें, वादे सब नाकाम होते चले गए थे. वह तेजी से उठा और कमरे से निकल गया.

उस सवेरे 3 जिंदगियां मर गई थीं. मेरी, मां की और पिताजी की. पिताजी ने आकाश के विरुद्ध पुलिस में शिकायत करने का निश्चय किया तो मां ने उन्हें रोक दिया. मेरी बदनामी का डर था. उस के बाद हम ने शहर ही छोड़ दिया. कुछ समय बाद न मां रहीं, न पिताजी. दोनों को सदमा निगल गया. रह गई तो सिर्फ मैं, हताश, अपनी जिंदगी को ढोती हुई.

पीरियड खत्म हो गया है. किताब भी बंद हो गई है. पर मैं अभी भी अनिश्चितता की स्थिति में हूं. मुझे नहीं पता कि मैं अपनी लड़ाई जीती हूं या हारी? मां और पिताजी की मौत का बोझ मेरे सिर पर है. यह मुझे आज की युवतियां ही बता पाएंगी कि मेरा आकाश की इच्छाओं के सामने झुकना सही था या गलत? मुझे तो इसी तरह जीना है. सिर्फ इसी तरह.

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