राइटर – पूनम अहमद

रात के एक बजे जूही ने घर में सोए मेहमानों पर नजर डाली. उस की चाची, मामी और ताऊ व ताईजी कुछ दिनों के लिए रुक गए थे. बाकी मेहमान जा चुके थे. ये लोग जूही और उस की मम्मी कावेरी का दुख बांटने के लिए रुक गए थे.

जूही ने अब धीरे से अपनी मम्मी के बैडरूम का दरवाजा खोल कर झांका. नाइट बल्ब जल रहा था. जूही ने मां को कोने में रखी ईजीचेयर पर बैठे देखा तो उस का दिल भर आया. क्या करे, कैसे मां का दिल बहलाए. मां का दुख कैसे कम करे. कुछ तो करना ही पड़ेगा, ऐसे तो मां बीमार पड़ जाएंगी.

उस ने पास जा कर कहा, ‘‘मां, उठो, ऐसे बैठेबैठे तो कमर अकड़ जाएगी.’’ कावेरी के मुंह से एक आह निकल गई. जूही ने जबरदस्ती मां का हाथ पकड़ कर उठाया और बैड पर लिटा दिया. खुद भी उन के बराबर में लेट गई. जूही का मन किया, दुखी मां को बच्चे की तरह खुद से चिपटा ले और उस ने वही किया.

कावेरी से चिपट गई वह. कावेरी ने भी उस के सिर पर प्यार किया और रुंधे स्वर में कहा, ‘‘अब हम कैसे रहेंगे बेटा, यह क्या हो गया?’’ यही तो कावेरी 20 दिनों से रो कर कहे जा रही थी. जूही ने शांत स्वर में कहा, ‘‘रहना ही पड़ेगा, मां. अब ज्यादा मत सोचो. सो जाओ.’’

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जूही धीरेधीरे मां का सिर थपकती रही और कावेरी की आंख लग ही गई. कई दिनों का तनाव, थकान तनमन पर असर दिखाने लगा था. जूही की खुद की आंखों में नींद नहीं थी.

26 वर्षीया जूही, कावेरी और पिता शेखर 3 ही लोगों का तो परिवार था. अब उस में से भी 2 ही रह गईं. 20 दिनों पहले शेखर जो रात को सोए, उठे ही नहीं. सोतेसोते कब हार्टफेल हो गया, पता ही नहीं चला. मांबेटी अकेली उन के जाने के बाद सब काम कैसे निबटाए चली आ रही हैं, वे ही जानती हैं.

रिश्तेदारों को इस दुखद घटना की सूचना देने से ले कर, उन के आने पर सब संभालते हुए जूही भी शारीरिक व मानसिक रूप से थक रही है अब. शेखर एक सफल, प्रसिद्ध बिजनैसमैन थे. आर्थिक स्थिति काफी अच्छी थी. मुंबई के पवई इलाके में उन के इस 4 बैडरूम फ्लैट में अब मांबेटी ही रह गई हैं.

एमबीए करने के बाद जूही काफी दिनों से पिता के बिजनैस में हाथ बंटा रही थी. यह वज्रपात अचानक हुआ था, इस की पीड़ा असहनीय थी. शेखर जिंदादिल इंसान थे. जीवन के हर पल को वे भरपूर जीते थे. परिवार के साथ घूमना उन का प्रिय शौक था. साल में एक बार कावेरी और जूही को ले कर कहीं न कहीं घूमने जरूर जाते थे और अब भी अगले महीने स्विट्जरलैंड जाने के टिकट बुक थे, मगर अब?

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जूही के मुंह से एक सिसकी निकल गई. पिता की इच्छाएं, उन के जीने के अंदाज, उनकी जिंदादिली, उन का स्नेह याद कर रुलाई का आवेग फूट पड़ा. मां की नींद खराब न हो जाए यह सोच कर वह बालकनी में जा कर वहां रखी चेयर पर बैठ कर देर तक  रोती रही. अचानक सिर पर हाथ महसूस हुआ, तो वह चौंकी. हाथ कावेरी का था. ‘‘मम्मी, आप?’’

‘‘मुझे लिटा कर खुद यहां आ गई. चलो, आओ, सोते हैं, 3 बज रहे हैं. अब की बार बेटी को दुलारते हुए कावेरी अपने साथ ले गई. 20 दिनों से यही तो चल रहा था. कभी बेटी मां को संभाल रही थी, कभी मां बेटी को.

दोनों ने लेट कर सोने की कोशिश करते हुए आंखें बंद कर लीं. कुछ ही दिनों में बाकी मेहमान भी चले गए. मांबेटी अकेली रह गईं. घर का सूनापन, हर तरफ फैली उदासी, घर के कोनेकोने में बसी शेखर की याद. जीना कठिन था पर जीवन है, तो जीना ही था. कावेरी सुशिक्षित थीं. वे पढ़नेलिखने की शौकीन थीं. कुछ सालों से लेखन के क्षेत्र में काफी सक्रिय थीं. उन की कई रचनाएं प्रकाशित होती रहती थीं. लेखन के क्षेत्र में उन की एक खास पहचान बन चुकी थी. शेखर से उन्हें हमेशा प्रोत्साहन मिला था. अब शेखर के जाने के बाद कलम जो छूटा, उस का सिरा पकड़ में ही नहीं आ रहा था.

जूही ने औफिस जाना शुरू कर दिया था. कई शुभचिंतक उसे औफिस में भरपूर सहयोग कर रहे थे. पर घर पर अकेली उदास मां की चिंता उसे दुखी रखती. जूही ने एक दिन कहा, ‘‘मां, कुछ लिखना शुरू करो न. कुछ लिखोगी, तो ठीक रहेगा, मन भी लगेगा.’’

‘‘नहीं, मैं अब लिख नहीं पाऊंगी. मेरे अंदर तो सब खत्म हो गया है. लिखने का तो कोई विचार आता ही नहीं.’’

जूही मुसकराई, ‘‘कोई बात नहीं, कई राइटर्स कभीकभी नहीं लिख पाते. होता है ऐसा. ठीक है, ब्रेक ले लो.’’ फिर एक दिन जूही ने कहा, ‘‘मां, टिकट बुक हैं, हम दोनों चलें स्विटजरलैंड?’’

कावेरी को झटका लगा. ‘‘अरे नहींनहीं, सोचा भी कैसे तुम ने? तुम्हारे पापा के बिना हम कैसे जाएंगे. घूम लिए जितना घूमना था,’’ कह कर कावेरी सिसक पड़ी. जूही ने मां के गले में बांहें डाल दीं, ‘‘मां, सोचो, पापा का सपना था वहां जाने का, हम वहां जाएंगे तो लगेगा पापा की इच्छा पूरी कर रहे हैं. वे जहां भी हैं, हमें देख रहे हैं. मैं तो यही महसूस करती हूं. आप को नहीं लगता, पापा हमारे साथ ही हैं? मैं तो औफिस में भी उन की उपस्थिति अपने आसपास महसूस करती हूं, दोगुने उत्साह के साथ काम में लग जाती हूं. चलो न मां, हम घूम कर आएंगे.’’

कावेरी ने गंभीरतापूर्वक फिर न कर दिया. पर अगले दोचार दिन जूही के लगातार सकारात्मक सुझावों और स्नेहभरी जिद के आगे कावेरी ने हां में सिर हिलाते हुए, ‘‘जैसी तुम्हारी मरजी, तुम्हारे लिए यही सही’’ कहा, तो जूही उन से लिपट गई, बोली, ‘‘बस मां, अब सब मेरे ऊपर छोड़ दो.’’

जूही की मौसी गंगा का बेटा अजय पेरिस में अपनी पत्नी रीमा के साथ रहता था. जूही अब लगातार अजय से संपर्क कर सलाह करती रही. जिस ने भी सुना कि दोनों घूमने जा रही हैं, हैरान रह गया. कुछ लोगों ने मुंह बनाया, व्यंग्य किए. पर वहीं, कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने खुल कर मांबेटी के इस फैसले की प्रशंसा की. जूही को शाबाशी दी कि वह अपना मनोबल, आत्मविश्वास ऊंचा रखते हुए अपनी मां को कुछ बदलाव के लिए बाहर ले कर जा रही है.

उन लोगों का कहना था कि अच्छा है, दोनों घूम कर आएंगी, इतना बड़ा वज्रपात हुआ है, दोनों कुछ उबर पाएंगी.

इतनी प्रतिभावान मां हिम्मत छोड़ कर ऐसे ही दुख में डूबी रही तो क्या होगा मां का, कैसे मन लगेगा, जूही को इस बात की बड़ी चिंता थी और यह कि जिन किताबों में मां रातदिन डूबी रहती थीं, अब उन की तरफ देख भी नहीं रही थीं. बस, चुपचाप बैठी रहती थीं. इस ट्रिप से मां का मन जरूर बदलेगा. घर में तो हर समय कोई न कोई शोक प्रकट करने आता ही रहता था. वही बातें बारबार सुन कर कैसे इस मनोदशा से निकला जा सकता है. यही सब जूही के दिमाग में चलता रहता था.

शेखर का टिकट तो बहुत भारीमन से जूही कैंसिल करवा चुकी थी. औफिस का काम अपने मित्रों, सहयोगियों पर छोड़ कर जूही और कावेरी ट्रिप पर निकल गईं.

मुंबई से साढ़े 3 घंटे में कतर पहुंच कर वहां 2 घंटे रुकना था. जूही पिता को याद करते हुए उन की बातें करने में न हिचकते हुए कावेरी से उन की खूब बातें करने लगी कि पापा को ट्रैवलिंग का कितना शौक था. हर जगह का स्ट्रीटफूड ट्राई करते थे. हम भी ऐसा ही करेंगे. कावेरी भी धीरेधीरे सब याद करते हुए मुसकराने लगी तो जूही को बहुत खुशी हुई. फ्लाइट चेंज कर के दोनों साढ़े 7 घंटे में जेनेवा पहुंच गए.

जूही ने कहा, ‘‘मां, यहां रुकेंगे. ‘लेक जेनेवा’ पास से देखेंगे. पापा ने बताया था, उन्होंने डिस्कवरी चैनल में देखा था एक बार, लेक से एक तरफ स्विटजरलैंड, एक तरफ फ्रांस दिखता है. वहां ‘लोसान टाउन’ है जहां से ये दोनों दिखते हैं. वहीं ‘लेक जेनेवा’ के सामने किसी होटल में रह लेंगे.’’

‘‘ठीक है, जैसा तुम ने सोचा है, सब जानकारी ले ली है न?’’

‘‘हां, मां, अजय भैया के लगातार संपर्क में हूं.’’ रात होतेहोते बर्फ से ढके पहाड़ों पर लाइट दिखने लगी. जूही ने उत्साहपूर्ण कांपती सी आवाज में कहा, ‘‘मां, वह देखो, वह फ्रांस है.’’ होटल में रूम ले कर सामान रख कर फ्रैश होने के बाद दोनों ने कुछ खाने का और्डर किया, थोड़ा खापी कर दोनों बार निकल आईं.

लेक के आसपास कईर् परिवार बैठ कर एंजौय कर रहे थे. शेखर की याद शिद्दत से आई. कावेरी वहां के माहौल पर नजर डालने लगी. सब कितने शांत, खुश, बच्चे खेल रहे थे. आसपास काफी चर्च थे. चर्च की घंटियों की आवाज कावेरी को बड़ी भली सी लगी.

दोनों अगले दिन लोसान घूमते रहे. कैथेड्रल्स, गार्डंस, म्यूजियम बहुत थे. वहां दोनों 2 दिन रुके. वहीं एक जगह मूवी ‘दिल वाले दुलहनिया ले जाएंगे’ की शूटिंग हुई थी. कावेरी अचानक हंस पड़ी, ‘‘जूही, याद है न, तुम्हारे पापा ने यह मूवी 4 बार देखी थी. टीवी पर तो जब भी आती थी, वे देखने बैठ जाते थे. यही सब तो उन्हें यहां देखना था, आज यह जगह देख कर वे बहुत खुश होते.’’

‘‘वे देख रहे हैं यह जगह हमारे साथ, जो हमेशा दिल में रहते हैं. वे दूर कहां हैं,’’ जूही बोली थी.

कावेरी मुसकरा दी, ‘‘मेरी मां बनती जा रही हो तुम. मेरी मां होती तो वे भी मुझे यही समझातीं. सच ही कहा गया है कि बेटी बड़ी हो जाए तो भूमिकाएं बदल जाती हैं.’’

दोनों वहां से फिर ‘इंटरलेकन’ चली गईं. वहां जा कर तो दोनों का मन खिल उठा. वहां बड़ा सा पहाड़ था. 2 लेक के बीच की जगह को इंटरलेकन कहा जाता है. सुंदर सी लेक. अचानक जूही जोर से हंस पड़ी, ‘‘मां, उधर देखो, कितने सारे हिंदी के साइन बोर्ड.’’

‘‘वाह,’’ कावेरी भी वहां हिंदी के साइनबोर्ड देख कर आश्चर्य से भर उठी. वहां से दोनों 2 घंटे का सफर कर खूबसूरत ‘टौप औफ यूरोप’ देखने गईं जो पूरे साल बर्फ से ढका रहता है. वहां से वापस आ कर आसपास की जगहें देखीं. वहां का कल्चर, खानपान का आनंद उठाती रहीं. वहां उन्हें थोड़ा जरमन कल्चर भी देखने को मिला.

ट्रिप काफी रोमांचक और खूबसूरत लग रहा था. दोनों को कहीं कोई परेशानी नहीं थी. दोनों हर जगह फैले प्राकृतिक सौंदर्य को जीभर कर एंजौय कर रही थीं. पूरी ट्रिप के अंत में उन्हें 2 दिन के लिए अजय के घर भी जाना था. अजय सब बता ही रहा था कि अब कहां और कैसे जाना है.

फिर अजय की सलाह पर दोनों वहां से इटली में ‘ओरोपा सैंचुरी’ चले गए, जो पहाड़ों में ही है. वहां बहुत ही पुराने चर्च हैं, जहां जीसस के हर रूप को बहुत ही अनोखे ढंग से दिखाया गया है. जीसस का साउथ अफ्रीकन और डार्क जीसस और मदर मैरी का अद्भुत रूप देख कर दोनों दंग रह गईं. इंग्लिश नेस थीं. बहुत सारी धर्मशालाएं थीं. बहुत ही अद्भुत, रोमांचक अनुभव था यह. फोन का नैटवर्क नहीं था तो हर जगह शांति थी व इतनी सुंदरता कि कावेरी ने अरसे बाद मन को इतना शांत महसूस किया. आसपास सुंदर झीलों की आवाज, प्रकृतिप्रदत्त सौंदर्य को आत्मसात करती कावेरी जैसे किसी और ही दुनिया में पहुंच गई थी. अगले दिन एक नन दोनों को ग्रेवयार्ड दिखाने ले गई.

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जूही अब तक  इस नन से काफी बातें कर चुकी थी. अपने पिता की मृत्यु के बारे में भी बता चुकी थी. नन काफी स्नेहिल स्वभाव की थी. वहां पहुंच कर नन की शांत, गंभीर आवाज गूंज रही थी, ‘बस, यही सच है. जीवन का सार यही है. यही होना है. एक दिन सब को जाना ही है. बस, यही कोशिश करनी चाहिए कि कुछ ऐसा कर जाएं कि सब के पास हमारी अच्छी यादें ही हों. जितना जीवन है, खुशी से जी लें, पलपल का उपयोग कर लें. दुखों को भूल आगे बढ़ते रहें.’’ नन तो यह कह कर थोड़ा आगे बढ़ गई. कावेरी को पता नहीं क्या हुआ, वह अद्भुत से मिश्रित भावों में भर कर जोरजोर से रो पड़ी.

नन ने वापस आ कर कावेरी का कंधा थपथपाया और फिर आगे बढ़ गई. जूही भी मां की स्थिति देख सिसक पड़ी. पर जीभर कर रो लेने के बाद कावेरी ने अचानक खुद को बहुत मजबूत महसूस किया. खुद को संभाला, अपने और जूही के आंसू पोंछे. जूही को गले लगा कर प्यार किया और मुसकरा दी.

जूही अब हैरान हुई, ‘‘क्या हुआ, मां, आप ठीक तो हैं न?’’

‘‘हां, अब बिलकुल ठीक हूं, चलें?’’ दोनों आगे चल दीं.

जूही ने मां की ऐसी शांत मुद्रा बहुत दिनों बाद देखी थी, कहा, ‘‘मां, बहुत थक गई, आज जल्दी सोऊंगी मैं.’’

‘‘तुम सोना, मुझे कुछ काम है.’’

‘‘क्या  काम, मां?’’ जूही फिर हैरान हुई.

‘‘आज ही रात को नई कहानी में इस ट्रिप का अनुभव लिखना है न.’’

‘‘ओह, सच मां?’’ जूही ने मां के गाल चूम लिए.

एकदूसरे का हाथ पकड़ शांत मन से दोनों ने कुछ इस तरह से आगे कदम बढ़ा दिए थे कि नन भी पीछे मुड़ कर उन्हें देख मुसकरा दी थी.

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