हाल के दशकों में सोशल मीडिया का क्रेज बढ़ा है. एकदूसरे से जोड़े रखने वाले सोशल मीडिया प्लेटफौर्म और मोबाइल एप्लिकेशंस की भी खासी संख्या बढ़ी है. आज हम अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और औफिस कलीग्स से फोन पर बोल कर बात करने के बजाय उन्हें टैक्स्ट मैसेज ज्यादा करते हैं.

एक रिसर्च में पाया गया कि हम किसी से बोल कर बात करने के बजाय लिख कर ज्यादा बात करते हैं, यानी हम अपने स्मार्टफोन और लैपटौप का इस्तेमाल भी मेल भेजने और मैसेज के लिए ही कर रहे हैं. हम वीडियो या वौयस कौल कम कर रहे हैं. लेकिन स्टडी में यह बात सामने आई है कि फोन पर बात करने के बजाय टैक्स्ट मैसेज करने से हमारी सोशल बौंडिंग कमजोर हो रही है. इस की जगह अगर हम बोल कर बातें करें तो रिश्ते मजबूत बनेंगे.

विशेषज्ञों के मुताबिक, लोग अपनों की आवाज के जरिए ज्यादा जुड़ाव महसूस करते हैं. आवाज सुन कर वे सामने वाले के बोलने का भाव समझ पाते हैं. लेकिन लोगों को लगता है कहीं उन के कौल करने से सामने वाला डिस्टर्ब न हो जाए या शायद उन्हें अच्छा न लगे, इस कारण मैसेज कर देना ही सही रहेगा. मैसेज के साथ एक इमोजी भेज देना बहुत फीका सा लगता है. लेकिन वहीं अगर बोल कर उस बात को जतलाया जाए तो अपनापन सा महसूस होता है.

सोशल मीडिया की वजह से लोगों के बीच की दूरियां भले ही कम हो गई हैं लेकिन दिलों की दूरियां बढ़ी हैं. न्यूयौर्क के शोधकर्ताओं का कहना है कि हम समय बचाने के लिए अकसर ईमेल या टैक्स्ट मैसेज भेजना ज्यादा पसंद करते हैं. लेकिन सही मानो में फोनकौल अपनों से जुड़ाव महसूस कराता है.

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वैज्ञानिकों ने रिसर्च में कुछ लोगों को उन के पुराने साथियों से फोन पर मेल के जरिए कनैक्ट होने को कहा. कुछ लोगों को वीडियोकौल, टैक्स्ट मैसेज और वौयस चैट से कनैक्ट होने को कहा. इस में पाया गया कि एकदूसरे से बात कर के वे ज्यादा जुड़ाव महसूस कर रहे हैं. यहां तक कि जो लोग सिर्फ वौयसकौल से जुड़े, उन्हें भी साथियों के साथ अच्छी बौंडिंग नजर आई.

रिचर्स में ये 4 बातें सामने आई हैं

लोगों को बोल कर बातें करने में झिझक महसूस होती है.

असुरक्षा के चलते टैक्स्ट मैसेज भेजते हैं.

टैक्स्ट चैट से तेज है वौयस चैट में बौंडिंग.

वौयस चैट में मिसअंडरस्टैंडिंग का खतरा कम है.

बोल कर बात करने के फायदे

अकेलेपन से छुटकारा.

तनाव कम.

लोगों से जुड़ा हुआ महसूस करेंगे.

दोस्तरिश्तेदारों से मजबूत बौंडिंग होगी.

हमें क्या करना चाहिए

जितना ज्यादा हो सके, बोल करबात करें.

औफिस जा कर काम करने में संकोच न करें.

बोल कर बात करने में झिझक महसूस न करें.

सामाजिक जुड़ाव कम न होने दें.

साथ काम करने वाले साथियों से मजबूत बौंडिंग रखें.

रिसर्च में यह भी पाया गया है कि लोग बोल कर बात करने से पीछे हटते हैं. उस की जगह मेल या टैक्स्ट मैसेज का यूज करना ज्यादा पसंद करते हैं. लोगों को लगता है कि बोल कर बात करना भद्दा लग सकता है या फिर सामने वाला उसे गलत समझ सकता है, इसलिए वे बात करने से कतराते हैं.

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मैक कोम्ब्स बिजनैस स्कूल में असिस्टैंट प्रोफैसर अमित कुमार कहते हैं कि लोग आवाज वाले मीडिया से ज्यादा कनैक्ट महसूस करते हैं लेकिन लोगों के अंदर भद्दा लगने और गलत महसूस किए जाने का डर भी होता है. इस के चलते लोग टैक्स्ट मैसेज ज्यादा भेजते हैं. आज सोशल डिस्टैंसिंग भले लोग बरत रहे हैं लेकिन हमें सोशल बौंडिंग की भी जरूरत है.

कोरोना के बाद लोगों की सोशल बौंडिंग कम हुई

अमेरिका लेबर सप्लाई कंपनी ऐडको ने 8 हजार वर्कर्स में वर्क फ्रौम होम को ले कर एक सर्वे किया. इस के मुताबिक, हर 5 में से 4 लोग घर से काम करना चाहते हैं. हालांकि, घर से काम करने में कम्युनिकेशन गैप बढ़ गया है और लोग अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं. इस के अलावा वर्क फ्रौम होम से लोगों का फेसटूफेस बात करने का समय भी कम हो गया.

रिमोट वर्किंग में चुनौतियों को ले कर

लोग क्या कहते हैं

कोऔर्डिनेशन और कम्युनिकेशन की कमी.

अकेलापन.

कुछ और करते समय नहीं.

घर पर डिस्टर्बैंस.

दोस्तों से अलग टाइमजोन.

मोटिवेट रहने की चुनौती.

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वैकेशन लेने में समस्या.

इंटरनैट की दिक्कत.

अन्य और भी.

लिख कर बात करने के बजाय बोल कर

बात करने के फायदे

लोगों से ज्यादा जुड़े रहेंगे.

स्ट्रैस फ्री रहेंगे.

स्वास्थ्य के लिए अच्छा है.

अपनापन महसूस करेंगे.

सोशल बौंडिंग के लिए क्या करें

चैटिंग या टैक्स्ट मैसेज करने के बजाय कौल कर के बात करें.

अपने दोस्त, रिश्तेदार या सहकर्मियों से फोन कर बात करें तो उन्हें ज्यादा अच्छा लगेगा.

सोशल मीडिया पर अपना स्क्रीनटाइम कम करें.

वर्क फ्रौम होम में अगर अकेलापन महसूस हो तो औफिस जा कर काम करें.

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