शकुंतला सिन्हा
और आगे निजी बातें पूछने के लिए सुगंधा से बहुत फटकार मिली. जब मैं ने कहा कि आप ने मेरे निकटतम मित्र की जिंदगी बरबाद कर दी है और वह आप की याद में काफी दिनों तक शराब के नशे में डूबे इधरउधर भटक रहा था.’’
मैं ने पूछा ‘‘उस ने क्या कहा?’’
वह बोली ‘‘मैं अनिल को बहुत प्यार करती थी और उन का सम्मान आज भी करती हूं. वे बहुत टैलेंटेड हैं और वे अपने काम में ज्यादा ध्यान न दे कर मेरे पीछेपीछे अपना समय बरबाद कर रहे थे. मैं उन्हें ऊंचाईयों पर देखना चाहती हूं. मुझे लगा कि मैं उन की उन्नति में बाधा बन गई थी इसीलिए दिल पर पत्थर रख कर उन से दूर चली गई.’’
‘‘अगर आज वे कहीं से मिल जाएं तो आप दोबारा उन्हें स्वीकार करेंगी?’’ मेरे कलीग के पूछने पर सुगंधा बोली, ‘‘अगर अनिलजी मेरे सामीप्य से अपने मुकाम तक पहुंचने में कामयाब होंगे तो मैं समझूंगी कि मेरा त्याग और मेरी उपासना सफल रही और मैं अपने को खुशनसीब समझूंगी.’’
‘‘अगर मैं कहूं कि मेरा वह दोस्त आज भी आप के इंतजार में पलकें बिछाए बैठा है और अब उस ने इतना कुछ हासिल कर रखा है जिसे जान कर आप को गर्व होगा और आप इसे अपने वर्षों की उपासना का नतीजा ही समझें.’’
‘‘वे कहां है आजकल? मुझे बस इतना पता है कि मैनेजमैंट करने के बाद वे विदेश चले गए थे.’’ सुगंधा ने मेरे कलीग से कहा.
‘‘फिलहाल मुझे भी ठीक से पता नहीं है फिर भी मैं जल्द ही पता कर आप को बता दूंगा. वैसे आप का जौइनिंग लैटर रैडी है. आज फ्राइडे है, आप मंडे को ज्वाइन करेंगी. तब तक हमारे चीफ भी यहां होंगे और आप सीधा उन्हें ही रिपोर्ट करेंगी.’’ मेरे कलीग ने कहा.