बरसों बाद शाहीन व अपने प्यार की निशानी शाहदीप को अपने दुश्मन के रूप में सामने देख कर दीपक असमंजस में पड़ गया. शाहदीप की आंखों में देशभक्ति का जोश व जनून देख दीपक समझ नहीं पाया कि उस की बहादुरी की कद्र करे या उसे दुश्मन होने की सजा दे.