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‘‘तेरे यार सब तो भाग गए.’’ पिंटू चुटकी बजाते हुए व्यंग्य से बोला, ‘‘तू कौन सा तीर मार लेगी, अयं?’’

‘‘किन्नरों को मामूली न समझियो,’’ शकीला ताली पीटती हुई अदा से खिलखिलाई, ‘‘हमारे 2 किन्नरों ने तो महाभारत का किस्सा ही बदल डाला था. एक थे शिखंडी महाराज, दूसरे बिरहनला (बृहन्नला).’’

ये नोंकझोंक चल ही रही थी कि तभी उस हिस्से में बूटपौलिश वाला एक लड़का हवा के झौंके की तरह आ पहुंचा. दसेक साल की उम्र. काला स्याह बदन. बाईं कलाई में पौलिश वाला बक्सा झुलाए, दाएं हाथ से ठोस ब्रश को बक्से पर ठकठकाता, ‘‘पौलिश साब.’’

‘‘तू कहां से आ टपका रे? चल फूट यहां से,’’ अतुल ने रिवौल्वर उस की ओर तान दिया. लड़का तनिक भी न घबराया. पूरा माजरा भांपते एक पल भी नहीं लगा उसे. खीखी करता खीसें निपोर बैठा, ‘‘समझा साब, कोई शूटिंग चल रहेला इधर. अपुन डिस्टप नहीं करेगा साब. थोड़ा शूटिंग देखने को मांगता. बिंदास...’’

‘‘इस को रहने दो बड़े भाई,’’ पिंटू ने मसका लगाया, ‘‘तुम लगते ही हीरो जैसे हो.’’

शकीला के रसीले बतरस और पौलिश वाले लड़के के आगमन से तीनों का ध्यान शीला की ओर से कुछ देर के लिए हट गया. शीला के भीतर एक बवंडर जन्म लेने लगा. कैसा हादसा होने जा रहा है यह? इन की नीयत गंदी है, यह तो स्पष्ट हो चुका है, पार्टी के नाम पर अगवा करने की कुत्सित योजना. उफ.

इस तरह की विषम परिस्थितियों में अकेली लड़की के लिए बचाव के क्या विकल्प हो सकते हैं भला? सहायता के लिए ‘बचाओ, बचाओ’ की गुहार लगाने पर सचमुच कोई दौड़ा चला आएगा? डब्बे में बैठे यात्रियों का पलायन तो देख ही रही है वह. फिर? इन निर्मम, नृशंस और संवेदनहीन युवकों के आगे हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने से भी कोई लाभ होने वाला नहीं. इन के लिए तो हर स्त्री सिर्फ मादा भर ही है. हर रिश्तेनाते से परे. सिर्फ मादा.

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