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मरजाना अपने बिस्तर पर लेट कर अंदर ही अंदर खुश हो रही थी, ऐसी खुशी उसे पहली बार मिली थी. वह सोच रही थी कि जब मैं ने दरवाजा बंद किया तो समर वहीं खड़ा रहा. वह चुपचाप था. उस की खामोशी ने मुझे अंदर तक हिला डाला. क्या इसी को प्रेम कहते हैं?

वह सोच रही थी कि क्या यही मीठामीठा प्रेम का दर्द है, जिस के लिए दरखुई आदम खान के लिए मर गई थी और आदम खान दरखुई के लिए मरा था. गुल मकई मूसा खान के लिए मरी और मूसा खान गुल मकई के लिए.

हां, ये सब प्रेम के लिए मर गए थे, लेकिन लोग प्रेम करने वालों के दुश्मन क्यों होते हैं. इतनी पवित्र चीज और खुशी से इंसानों को क्यों दूर रखा जाता है. लेकिन मेरी अंतरात्मा पवित्र है, मैं ने कोई पाप नहीं किया. वह झटके से बोली, ‘‘नहींनहीं, मैं ऐसा नहीं होने दूंगी. अपने आप को इस अनजानी खुशी से वंचित नहीं होने दूंगी.’’

सुबह हुई तो मरजाना ने उजाले में वह सुंदरता देखी जो उसे पहले कभी दिखाई नहीं दी थी. समर गुल जाग रहा था. वह उठा और उस ने बाहर जा कर देखा, मरजाना रेवड़ ले कर जा चुकी थी. उस की निगाहें हवेली की दीवारों पर टिक गईं, ऐसा लगा जैसे उस का बचपन यहीं गुजरा हो.

तभी बाजू पास आ कर बोला, ‘‘गुल लाला चलो, सब बच्चे आप का इंतजार कर रहे हैं. आप अभी तक पढ़ाने नहीं आए.’’

उस ने बाजू को गोद में उठा लिया और उसे चूमने लगा. बाजू बोला, ‘‘लाला, इतना प्यार तो आप ने मुझे कभी नहीं किया.’’

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