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‘‘अच्छा, तभी तो इतना चमकती रहती हो, एकदम चांदी की तरह... पर, मुझ से ज्यादा तो तुम्हें खतरा है... मैं ने सुना है कि अगाली तुम से शादी करना चाहता है.’’ जो चांदी अभी तक चहक रही थी, अब अचानक खामोश हो गई, फिर बोली, ‘‘हां, मुझे वह अजीब नजरों से  भी घूरता है और मेरे पिताजी भी उसी  की बात मानते हैं. न जाने उस ने ऐसा क्या जादू किया है पिताजी पर,’’ चांदी  ने कहा. ‘‘वह कौन सा जादू है, मैं जानता हूं. दरअसल, अगाली तुम्हारे पिता को नशे का आदी बना रहा है. मैं ने खुद अपनी आंखों से तुम्हारे पिता को नशे की एक पुडि़या के लिए अगाली के सामने गिड़गिड़ाते देखा है,’’ माधव बोला. ‘‘तब तो मेरी जिंदगी तबाह होने से कोई नहीं बचा सकता, क्योंकि पिताजी को नशे की लत लगा कर अगाली मेरी शादी अपने साथ करने के लिए उन्हें राजी कर ही लेगा...’’

चांदी घबराई हुई लग रही थी, ‘‘मुझे बचा लो बाबूजी... मुझे बचा लो,’’ कह कर चांदी माधव के सीने से चिपक गई. माधव ने अपनी जिंदगी में बहुत से सांपों को पकड़ा था, पर किसी जवान लड़की के बदन को अपने हाथों में महसूस करने का यह पहला मौका था. तभी बारिश की कुछ बूंदें चांदी के खुले हुए सीने पर आ गिरीं. माधव की नजरें उस के सीने पर ही जम गईं. ‘‘क्या देख रहे हो?’’ चांदी ने पूछा. ‘‘देख रहा हूं कि तुम्हारे जिस्म पर पड़ कर यह पानी भी तुम्हारी तरह चांदी का ही हो गया है,’’ इतना कह कर माधव अपने होंठों से चांदी के सीने पर पड़ी उन बूंदों को चूमने लगा.

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