मैं ने नींद में देखा, लोग मुझ को घेर कर खड़े हुए हैं और मैं भयभीत निकल भागने का रास्ता ढूंढ रहा हूं. भीड़ मेरी और कुत्सित भाव से देख रही है, मानो आज मुझे अपने हाथों से दंड देकर अपना कर्तव्य, धर्म भीड़ निभाएगी .मैं सहमा इधर उधर तक रहा हूं.मगर भागने या बचाव का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है.

जी हां! मुझ पर, आज कल का प्रचलित सबसे गर्मा गर्म  आरोप लगा दिया गया है, मुझे देश द्रोही करार दिया गया है. और भीड़ मेरी और ऐसे देख रही है जैसे मैं उसका जानी दुश्मन हूं और भीड मुझको ठीक करके ही सुख पाएगी.

दरअसल, हुआ यह की मैंने सीधे सरल शब्दों में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी व गृहमंत्री अमित शाह की शैली पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए .मैं ने कल्पना नहीं की थी कि मेरे दो शब्द के बोल, मुझे देशद्रोही बना देंगे.मैं ने जैसे ही कहा की हमारे प्रधानमंत्री देश को एक प्रयोगशाला बना चुके हैं और मोदी और शाह मिलकर आर एस एस के एजेंडे पर देश को एक दिन हिंदू राष्ट्र घोषित कर देंगे .उन लोगों ने मेरी तरफ कुछ इस दृष्टि से देखा मानो मैं ने कोई राष्ट्रीय अपराध कर दिया है.

मेरी बातें अभी खत्म ही नहीं हुई की एक आदमी ने कहा- तुम्हारी बातों से हम इत्तेफाक नहीं रखते.

एक दूसरे ने कहा- तुम्हारी बात में देशद्रोह की "बू" आती है.

मैं मुस्कुराया और बोला- भाई ! देश प्रेम की परिभाषा क्या है.

एक व्यक्ति चिल्लाया- तुम्हें इतना भी नहीं मालूम तुम्हें इस देश से चले जाना चाहिए। तुम्हें एक पल भी यहां रहने का अधिकार नहीं है.

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