थोड़ी सी जमीं थोड़ा आसमां: जिंदगी की राह चुनती स्त्री
कविता की आंखों में आंसू छलक आए, ‘‘काम, काम और बस काम… मेरे लिए कभी समय होगा तुम्हारे पास या नहीं? मैं 5 बजे से इंतजार कर रही हूं तुम्हारा, वह कुछ नहीं… तुम्हें 5 मिनट मेरा इंतजार करना पड़ा तो भड़क उठे?’’