रिश्तों की सुगंध ही जीवन में सुखशांति लाती है. लेकिन राजीव अपनी धनदौलत के घमंड में डूबा रहता. रिश्तों की अहमियत उस के लिए कोई माने नहीं रखती थी. परिवार, सगेसंबंधी होते हुए भी वह खाली हाथ था. साथ था तो केवल एक दोस्त.