नताशा के पास और कोई चारा भी नहीं था, क्योंकि वह साधु मैनेजर यह मानने को तैयार ही नहीं था कि ऐसी कोई घटना उस की धर्मशाला में हो भी सकती है. उस की बातों से नताशा को लगा कि हो सकता है, उसे कोई गलतफहमी हो गई हो, क्योंकि आजकल ट्रायल रूम में कैमरा छिपे होने और कपड़े बदलती लड़कियों के वीडियो बना कर उन्हें बेचने और इंटरनैट पर अपलोड कर लड़कियों को ब्लैकमेल करने संबंधी जैसे कई केस सामने आ चुके थे.
वीरेन काफी गुस्से में था और पुलिस में रिपोर्ट करना चाह रहा था, पर यहां भी सिया ने उसे ऐसा करने से रोक लिया और बोली, ‘‘देखो, अब कुछ देर में ही हमें यहां से मंदिर के लिए निकलना है… प्लीज, कोई बखेड़ा मत खड़ा करो.’’वीरेन खून के कड़वे घूंट पी कर रह गया था, पर उस ने तत्काल ही वहां से निकलने की बात सोची और आननफानन में सारा सामान पैक कर वे लोग उस धर्मशाला से निकल कर एक अच्छे से होटल में आ गए थे.
होटल में अपना सामान रख कर वे सिद्धनाथ मंदिर की ओर चल पड़े. एक बैग में कुछ कपड़े और पैसे वगैरह उन के साथ में था. यहां से तकरीबन 12 किलोमीटर का सफर उन्हें पैदल ही तय करना था.
रास्ते में कई रैस्ट हाउस थे, जिन के बाहर एजेंट लोग ग्राहक लाने के लिए रखे गए थे और कई ऐसी भी दुकानें थीं, जो उन के यहां से प्रसाद खरीदने पर उन के जूतेचप्पलों की मुफ्त में ही रखवाली करते रहेंगे.
सिया का बस चलता तो इन सब दुकानों से कुछ न कुछ जरूर खरीदती, पर वीरेन का उखड़ा हुआ मूड देख कर वह भी सीधी चलती रही. रास्ते में उन्हें कई भिखारी मिल रहे थे, जो किसी भी तरह से पैसे मांग रहे थे.
सिद्धनाथ बाबा का मंदिर आ चुका था. सिया, नताशा और तान्या के चेहरे पर एक तरह का संतोष चमक उठा था और उन लोगों ने वहां के नजारों को अपने कैमरे में कैद करना शुरू कर दिया था.
तभी तान्या की नजर एक तरफ बैठे नागा साधुओं पर गई, जो चिलम पी रहे थे.‘‘पहना दे छल्ला, लेले लल्ला,’’ एक नागा साधु ने सिया की तरफ देखते हुए कहा और फिर से चीखा, ‘‘पहना दे छल्ला, लेले लल्ला…’’ और अपने अंग की तरफ इशारा किया.
इस भद्दे इशारे पर सिया को बहुत बुरा लगा. उस ने सोचा कि वह जा कर उस नागा का मुंह ही नोच ले, पर वह जानती थी कि यहां पर नागा लोगों की पूरी जमात है और इन्हें छेड़ना किसी भी सूरत में सही नहीं होगा, इसलिए उस ने उस नागा की बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.
‘‘मंदिर में प्रवेश से पहले अपने हाथमुंहपैर धो लें आप लोग,’’ एक लड़का उन लोगों के पास आ कर बोला.‘‘हांहां… पर यहां कहीं तो कोई पानी की टंकी या नलका दिखाई नहीं पड़ता,’’ वीरेन ने कहा.
‘‘श्रीमानजी, यहां सब है… वह जो सामने एक कमरा सा दिख रहा है, उस में कोई भी जा कर उसे इस्तेमाल में ले सकता है… बस, उस की कीमत देनी होगी,’’ उस लड़के ने कहा.‘कीमत… पर, ये तो आम सुविधाएं हैं, सरकार और मंदिर प्रशासन की तरफ से मुफ्त मिलती हैं,’’ वीरेन ने चौंकते हुए कहा.
‘‘जी मिलती होंगी, पर यहां पर आप को कीमत चुकानी होगी. एक आदमी मात्र 100 रुपए दे कर इस बाथरूम की सुविधा ले सकता है… आप 4 लोग हैं, इसलिए 400 रुपए दे दीजिए.’’‘‘बड़ी अजीब सी बात है…’’ वीरेन बुदबुदाया.
उस का माथा गरम होता देख कर सिया ने कहा, ‘‘हाथपैर धोना तो जरूरी ही होता है, इसलिए यह लो भाई 400 रुपए…’’ कह कर सिया ने उस लड़के को पैसे दिए और सभी लोग फ्रैश हो कर सिद्ध बाबा के दर्शन की तरफ बढ़ लिए.
आगे कुछ दुकानें लगी हुई थीं, जिन पर प्रसाद बिक रहा था और प्रसाद की थाली के उचित रेट के बदले में 20 गुना दाम वसूले जा रहे थे. कोई थाली 1,100 रुपए की थी, तो कोई 2,100 रुपए की.पर मरता क्या न करता… इन चारों ने भी 1,100-1,100 रुपए की 4 थालियां ले लीं.
दर्शन के लिए लंबी लाइन लगी हुई थी. ये लोग भी लाइन में जा कर लग गए. थोड़ी देर बाद तान्या को अपने सीने पर किसी की कुहनी लगने का अंदेशा हुआ और यह अंदेशा गलत नहीं था, बल्कि मंदिर की दीवार की सफाई का बहाना करता एक जवान पंडा तान्या के सीने पर बारबार अपनी कुहनी से दबाव बना रहा था.