तपन और सुनीता अपने बेटे यथार्थ के घर लौटने की राह देख रहे थे लेकिन उन्हें कहां पता था कि यथार्थ विश्वानंद बन कर धर्म के ठेकेदारों की कुटिल चालों का शिकार बन जाएगा.