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रंजीत ने कंप्यूटर में अपने फोटो को मौर्फ कर के एक औरत की तसवीर में बदल दिया. करीब 45 साल की औरत की उस तसवीर को भारतीपुर की वोटर लिस्ट में रही सभी औरतों की तसवीरों के साथ तुलना करने पर भी कोई फायदा नहीं हुआ.
‘‘भारतीपुर के मंदिरों और पुजारियों का अतापता लगाते हैं.’’
वहां के कई मंदिरों और पुजारियों के दर्शन के बाद शिव मंदिर के पुजारी 80 साल के शंकर शास्त्रीजी ने कहा, ‘‘बेटा, तुम अपनी मां को ढूंढ़ने के लिए इतना प्रयत्न कर रहे हो...अगर तुम ने अपनी मां का पता लगा भी लिया और मिलने गए तो जानते हो उस औरत के जीवन में कितना बड़ा तूफान उठ सकता है... उस की बसीबसाई जिंदगी बिगड़ जाएगी बेटा.’’
‘‘बाबाजी, मैं वादा करता हूं, मैं किसी की भी जिंदगी बरबाद नहीं करूंगा. मैं तो बस अपनी मां को देखना चाहता हूं. अगर मेरे जन्म के कारण से वह इस समाज में बाधित हुई हो तो मैं उसे अपने साथ ले जाने के लिए भी तैयार हूं. मगर यदि मेरे प्रवेश से उस की जिंदगी में तूफान उठ सकता है, तो मैं दूर से ही उसे एक बार देख लूंगा. प्लीज बताइए पंडितजी आप मेरी मां के बारे में कुछ जानते हैं?’’
‘‘मैं ज्यादा कुछ नहीं जानता बेटा, मैं पूछताछ कर के बताऊंगा. तुम अपना नंबर मुझे दे दो बेटा.’’
दोनों को यकीन हो गया कि वे रंजीत की मां के बारे में जानते हैं. शायद उस की इजाजत लेने के बाद, रंजीत को इस बारे में बताएंगे. अब इंतजार करने के अलावा और कोई चारा नहीं था.