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Valentine’s Special- कड़ी: क्या इस कहानी में भी कोई कड़ी थी?
रिश्तों की कड़ियां जब उलझती हैं तो उलझती ही जाती हैं. सब अपनीअपनी तरह से इन्हें सुलझाते हैं लेकिन कोई विरला ही होता है जो इन रिश्तों के बीच की अनमोल कड़ी बनता है. क्या इस कहानी में भी कोई ऐसी ही कड़ी थी?
भाग - 1
मैं नहीं समझती कि इतनी छोटी सी मुलाकात में कोई भी मां अपनी बेटी के बारे में कुछ आपत्तिजनक बात करेगी.
भाग - 2
घर जाने के बाद विवेक का फोन आया कि मां बहुत बिगड़ीं कि अगर वह कह कर भी लड़की देखने नहीं गईं तो उन की क्या इज्जत रह जाएगी.
भाग - 3
अपूर्वा को यह संभव नहीं लगता क्योंकि उसे और आलोक को अभी तक तो एकदूसरे से कोई ऐसा लगाव है नहीं कि वह ग्रीनकार्ड वापस कर के भारत आ जाए.
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