बरसों बाद चेष्टा को दिल्ली की सड़कों पर देख सात्वत पागलों की तरह उस का पीछा करने लगा. चेष्टा की अनदेखी उसे शूल की तरह चुभ रही थी कि वह ऐसा क्यों कर रही है.