दरअसल, मेरी मम्मी भी अपने समय में आकाशवाणी पर प्रोग्राम देती रहती थीं. उस समय वहां का कुछ यह चलन सा बन गया था कि कलाकार प्रोग्राम के बदले अपने पारिश्रमिक का कुछ हिस्सा उस स्टेशन डायरेक्टर के हाथों पर रखे.