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सुबहसुबह खाली सड़क मिलने की वजह से रैमचो की टैक्सी घंटे से पहले ही घर पहुंच गई. रैमचो गाड़ी से उतरे, साथ में उन का छोटा बेटा संकल्प उर्फ सैम भी था. मालती ने दरवाजा खोला था.

‘‘अरे भैया, बताया नहीं कि सैम भी साथ है,’’ वह पैर छूने को झुकी.

‘‘नीचे झुक सैम, तेरे सिर तक तो चाची का हाथ भी नहीं जा रहा, कितना लंबा हो गया तू, दाढ़ीमूंछ वाला, चाची के बगैर शादी भी कर डाली. हिंदी समझ आ रही है कि भूल गया. फोर्थ स्टैंडर्ड में था जब तू विदेश गया था.’’ रैमचो की मुसकराते हुए बात सुनती हुई मालती प्यार से उन्हें अंदर ले आई.

‘‘कहां है श्याम, अभी सो ही रहा है?’’ तभी पूजा की घंटी सुनाई दी, ‘‘ओह, तो यह अभी तक बिलकुल वैसा ही है. सुबहशाम डेढ़ घंटे पूजापाठ, जरा भी नहीं बदला,’’ वे सोफे पर आराम से बैठ गए. सैम भी उन के पास ही बैठ कर अचरज से घर में जगहजगह सजे देवीदेवताओं के पोस्टर, कलैंडर देख रहा था.

‘‘स्टें्रज पा, आई रिमैंबर अ लिटिल सैम एज बिफोर,’’ संकल्प बोला.

‘‘वाह भैया, इतने सालों बाद दर्शन दिए,’’ श्यामाचरण पैर छूने को झुके तो रैमचो ने उन्हें बीच में ही रोक लिया, ‘‘इतनी पूजापाठ के बाद आया है, कहांकहां से घूम कर आ रहे इन जूतों को हाथ लगा कर तू अपवित्र नहीं हो जाएगा,’’ कह कर वे मुसकराए.

‘‘बदल जा श्याम, अपना जीवन तो यों ही पूजापाठ में निकाल दिया, अब बच्चों की तो सोच, उन्हें जमाने के साथ बढ़ने दे. इतने सालों बाद भी न घर में कोई चेंज देख रहा हूं न तुझ में,’’ उन्होंने उस के पीले कुरते व पीले टीके की ओर इशारा किया, ‘‘इन सब में दिमाग व समय खपाने से अच्छा है अपने काम में दिमाग लगा और किताबें पढ़, नौलेज बढ़ा. आज की टैक्नोलौजी समझ, सिविल कोर्ट का लौयर है तो हाईकोर्ट का लौयर बनने की सोच. कैसे रहता है तू, मेरा तो दम घुटता है यहां.’’

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