सच है, पासपास रहते हुए भी कभीकभी हमारे बीच लंबे फासले उग आते हैं. किसी को जाननेसमझने का दावा करते हुए भी हम उस से कितने अपरिचित रहते हैं. सन्निकट खड़े व्यक्ति के अंतर्मन को छूने में भी असमर्थ रहते हैं.