सौम्या अनिरुद्ध से विवाह कर पत्नी का कर्तव्य पूरी तरह निभा रही थी लेकिन मन से वह अभी भी समर की थी. ऐसे में फिर से समर को अपने सामने पा कर उस का दर्द आंखों से बह निकला. लेकिन अब परिस्थितियां कितनी बदल चुकी थीं.