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‘‘फिर तो देर होने का सवाल ही नहीं उठता सर,’’ विभोर ने आश्वासन दिया. उस के बाद वह काम में जुट गया.

रणबीर इस प्रोजैक्ट में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी ले रहा था, अकसर साइट पर भी आता रहता था. एक सुबह जब विभोर साइट पर जा रहा था तो उस ने देखा कि ढलान शुरू होने से कुछ पहले उस के कई सहकर्मियों की गाडि़यां और मोटरसाइकिलें, स्कूटर सड़क के किनारे खड़े हैं और कुछ लोग उस की गाड़ी को रोकने को हाथ हिला रहे हैं.

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‘‘रणबीर साहब की गाड़ी भी खड़ी है साहब,’’ ड्राइवर ने गाड़ी रोकते हुए कहा.

विभोर चौंक पड़ा कि क्या वे इतनी सुबह यहां मीटिंग कर रहे हैं?

‘‘सर, बड़े साहब की गाड़ी में उन की लाश पड़ी है,’’ उसे गाड़ी से उतरते देख कर एक आदमी लपक कर आया और बोला.

विभोर भागता हुआ गाड़ी के पास पहुंचा. रणबीर ड्राइवर की सीट पर बैठा था, उस की दाहिनी कनपटी पर गोली लगी थी और दाहिने हाथ में रिवौल्वर था. सीटबैल्ट बंधी होने के कारण लाश गिरी नहीं थी. रणबीर जौगर्स सूट और शूज में थे यानी वे सुबह को सैर के लिए तैयार हुए थे. ‘वे तो घर के पास के पार्क में ही सैर करते थे. फिर गाड़ी में यहां कैसे आ गए?’ विभोर सोच ही रहा था कि तभी पुलिस की गाड़ी आ गई.

इंस्पैक्टर देव को देख कर विभोर को तसल्ली हुई. उस के बारे में मशहूर था कि कितना भी पेचीदा केस क्यों न हो वह सप्ताह भर में सुलझा लेता है.

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