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‘‘महीनों एक लाचार जीवन जीतेजीते मैं थक चुका था. उस बेबसी और पीड़ा को मैं भूल जाना चाहता था. उसी साल मुझे भी पापा ने पढ़ने के लिए कोटा भेज दिया, जहां मैं ने मन लगा कर पढ़ाई की, पर अतीत की इन परछाइयों ने मेरा पीछा शादी के बाद भी नहीं छोड़ा जिस कारण आज तक मैं तुम्हारे साथ न्याय नहीं कर पाया. मैं शर्मिंदा हूं, मुझे माफ कर दो विभा,’’ मयंक की आंखों में दर्द उतर आया. ‘‘नहीं मयंक तुम क्यों माफी मांग रहे हो. माफी तो उसे मांगनी चाहिए जिस ने अपराध किया है. मैं उस औरत को उस के किए की सजा दिलवा कर रहूंगी और तुम्हें न्याय,’’ कह विभा ने मयंक के आंसू पोंछे.

‘‘नहीं विभा, वह औरत बहुत शातिर है. मुझे उस से बहुत डर लगता है.’’ ‘‘तुम्हारा यही डर तो मुझे खत्म करना है.’’ कहते हुए विभा ने मन में कुछ ठान लिया. अगले दिन से विभा ने कामिनी आंटी के बारे में पता करने की मुहिम छेड़ दी. जिस अपार्टर्मैंट में वे रहती थीं, वहां जा कर खोजबीन करने पर उसे सिर्फ इतना पता चल सका कि कामिनी आंटी के पति का ट्रांसफर भोपाल में हुआ है. लेकिन उस ने हिम्मत नहीं हारी.

अपने सासससुर को भी उस ने मयंक की इस आपबीती के बारे में बताया, जिसे सुन कर वे भी सिहर उठे. अपने बेटे के साथ महीनों हुए इस शोषण के खिलाफ उन्होंने भी आवाज उठाने में एक पल की देर न लगाई. एक दिन फेसबुक पर कुछ देखते समय विभा के मन में अचानक एक विचार कौंधा. उस ने कामिनी गुप्ता के नाम से एफबी पर सर्च किया. भोपाल की जितनी भी कामिनी मिलीं उन में उस कामिनी को ढूंढ़ना असंभव नहीं पर मुश्किल जरूर था, पर अपने पति को न्याय दिलाने के लिए विभा कुछ भी करने को तैयार थी.

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