जनसंख्या संतुलन के लिए समुदाय केंद्रित कार्यक्रमों की है जरूरत: सीएम योगी

करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में जनसंख्या स्थिरीकरण की जरूरतों को देखते हुए, राज्य सरकार नई जनसंख्या नीति घोषित करने वाली है. वर्ष 2021-30 की अवधि के लिए प्रस्तावित नीति के माध्यम से एक ओर जहां परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाया जाना और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने की कोशिश होगी, वहीं, उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर को कम करने, नपुंसकता/बांझपन की समस्या के सुलभ समाधान उपलब्ध कराते हुए जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयास भी किए जाएंगे.

नवीन नीति में एक अहम बिंदु 11 से 19 वर्ष के किशोरों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन के अलावा, बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था करना भी है. 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नवीन जनसंख्या नीति 2021-30 जारी करेंगे.

गुरुवार को लोकभवन में नवीन जनसंख्या नीति 2021-30 के संबंध में प्रस्तुतिकरण का अवलोकन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, आबादी विस्तार के लिए गरीबी और अशिक्षा बड़ा कारक है. कतिपय समुदाय में भी जनसंख्या को लेकर जागरूकता का अभाव है. ऐसे में समुदाय केंद्रित जागरूकता प्रयास की जरूरत है. प्रदेश की निवर्तमान जनसंख्या नीति 2000-16 की अवधि समाप्त हो चुकी है. अब नई नीति समय की मांग है.

प्रस्तुतिकरण के अवलोकन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए जागरूकता और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ सभी जरूरी प्रयास किए जाएं.जागरूकता प्रयासों के क्रम में उन्होंने स्कूलों में “हेल्थ क्लब” बनाये जाने के निर्देश भी दिए. साथ ही, डिजिटल हेल्थ मिशन की भावनाओं के अनुरूप नवजातों, किशोरों और वृद्धजनों की डिजिटल ट्रैकिंग की व्यवस्था के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि नई नीति तैयार करते हुए सभी समुदायों में जनसांख्यकीय संतुलन बनाये रखने, उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं की सहज उपलब्धता, समुचित पोषण के माध्यम से मातृ-शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर तक लाने का प्रयास होना चाहिए. नई नीति के उद्देश्यों में सतत विकास लक्ष्य के भावना निहित हो.

इससे पहले अपर मुख्य सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, अमित मोहन प्रसाद ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रस्तावित जनसंख्या नीति प्रदेश में एनएफएचएस-04 सहित अनेक रिपोर्ट के अध्ययन के उपरांत उपरांत तैयार की जा रही है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-05 की रिपोर्ट जल्द ही जारी होने वाली है.  नवीन नीति जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों को तेज करने वाली होगी. इसमें 2026 और 2030 तक के लिए दो चरणों में अलग-अलग मानकों पर केंद्रित लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं.

रामगढ़ताल बाढ़ के पानी के साथ ही लोगों को बीमारियों से भी बचाया जाएगा : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश के 50 हजार राजस्व ग्रामों में इस वर्ष दिसंबर तक जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल परियोजना से शुद्ध पानी मिलेगा. बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में कार्य जारी है. शुद्ध पेयजल की उपलब्धता से इंसेफेलाइटिस समेत प्रदूषित पानी से होने वाली कई बीमारियों से भी निजात मिलेगी.

सीएम योगी सोमवार को गोरखपुर स्थित राप्ती नदी के मलौनी बांध स्थित तरकुलानी रेगुलेटर के समीप बाढ़ के पानी से निजात दिलाने के लिए निर्मित पंपिंग स्टेशन के लोकार्पण के बाद ग्राम बेलवार में जनसभा को संबोधित कर रहे थे.

अक्टूबर में पीएम मोदी करेंगे खाद कारखाने और एम्स का उद्घाटन

जनसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1990 में बंद गोरखपुर का खाद कारखाना बनकर लगभग तैयार है. अक्टूबर में इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों कराया जाएगा. इस अवसर पर उन्होंने अक्टूबर में विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाओं वाले एम्स के पीएम मोदी के हाथों उद्घाटन किए जाने की जानकारी भी दी.

मुंबई को भी मात देगा रामगढ़

गोरखपुर में विकास के नए प्रतिमानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जो रामगढ़ताल कभी अपराधियों का अड्डा होता था, अब पर्यटन केंद्र बन चुका है. अपनी सुंदरता में यह मुम्बई को भी फेल कर देगा.

विकास भी होगा, विनाशकारी तत्वों पर सख्त कार्रवाई भी

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अपराधियों व उपद्रवियों की संपत्ति कब्जे में लेकर उसे गरीबों में बांट रही है. सरकार का बुजडोजर अपराधियों की छाती को रौंद रहा है. उदबोधन के दौरान ही माफिया के खिलाफ जारी कार्रवाई पर उनके सवाल पर जनता ने पुरजोर समर्थन किया. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार में विकास भी होगा और विनाशकारी तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी.

कोरोनाकाल में भी विकास पर आंच नहीं आने दी : योगी

सीएम योगी ने कहा कि पिछला डेढ़ साल पूरी दुनिया के लिए बहुत खराब रहा. विश्व में न जाने कितने लोग कोरोना की चपेट में आए. हमनें कोरोना से जीवन के साथ जीविका को भी बचाया. कोरोनाकाल में भी विकास पर, नौजवानों के भविष्य पर आंच नहीं आने दी. सीएम ने कोरोना से अपने प्रियजनों को खोने वालों के प्रति संवेदना जताते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में देश सुरक्षित स्थिति में है. उन्होंने कहा कि 33 करोड़ की आबादी वाले विकसित देश अमेरिका में उससे चार गुना आबादी वाले भारत की तुलना में दोगुनी मौतें हुईं. सीएम ने कहा कि जीवन के साथ जीविका की रक्षा के लिए हमें जागरूकता के साथ आगे बढ़ना है. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने गोरखपुर ग्रामीण व चौरीचौरा विधानसभा क्षेत्र के लिए 212 करोड़ रुपये की कई विकास परियोजनाओं का भी लोकार्पण किया. इसमें 10 सड़कें, दो उपरगामी सेतु व विद्यालय निर्माण के कार्य शामिल हैं.

उन्होंने तरकुलानी पंपिंग स्टेशन समेत सिंचाई विभाग की मंडल में 10 परियोजनाओं का लोकार्पण करते हुए कहा कि, तरकुलानी रेगुलेटर पर निर्मित पंपिंग स्टेशन की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए कहा कि 2009 में जब से यह क्षेत्र गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में आया तब से यहां पंपिंग स्टेशन की मांग की जा रही थी. यह पचास हजार परिवारों, दो लाख की आबादी के लिए जरूरी था ताकि बाढ़ के साथ ही लोगों को बीमारी से भी बचाया जा सके. यह पंपिंग स्टेशन आज से प्रारंभ हो गया है. सीएम ने इसकी क्षमता का जिक्र करते हुए बताया कि रामगढ़ताल में जितना पानी है, यह पंपिंग स्टेशन उसे एक घण्टे में उड़ेलकर फेंक देगा. उन्होंने कहा कि यह होता है कार्य. जब केंद्र व राज्य में डबल इंजन की सरकार होती है तो वह कई गुना स्पीड से काम करती है और लोगों के जीवन मे खुशहाली लाती है.

खेती के साथ बीमारी से बचाव का माध्यम बनेगी यह परियोजना

मुख्यमंत्री ने कहा कि तरकुलानी रेगुलेटर पर पंपिंग स्टेशन की यह परियोजना क्षेत्र में खेती बचाने के साथ ही बीमारी से बचाव का भी माध्यम बनेगी. उन्होंने कहा कि खोराबार ब्लॉक इंसेफेलाइटिस से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल रहा है. पंपिंग स्टेशन न होने से यहां जलजमाव से बीमारियां होती थीं. तरकुलानी का यह पंपिंग स्टेशन जलजमाव की समस्या का समाधान करेगा.

यूपी की दशा व दिशा बदलने में जुटे हैं योगी : गजेंद्र शेखावत

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश की दशा व दिशा बदलने में जुटे हैं. उन्होंने कहा कि बाढ़ राहत, जल संरक्षण, पेयजल, सिंचाई आदि के क्षेत्र में यूपी बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. केंद्र के बाद यूपी देश का पहला ऐसा राज्य है जहां एकीकृत जलशक्ति मंत्रालय का गठन है. श्री शेखावत ने कहा कि पीएम मोदी के विजन व सीएम योगी की देखरेख में यूपी के बाँदा, चित्रकूट, महोबा आदि क्षेत्रों में हर घर नल से जल पहुंचाने का कार्य तीव्र गति से हो रहा है. दो साल में प्रदेश के हर घर में शुद्ध पेयजल मिलने लगेगा. उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय की तरफ से सर्वाधिक 10400 करोड़ रुपये का बजट यूपी को दिया गया है, और जरूरत होगी तो उसे भी दिया जाएगा. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने बताया कि यूपी में सरयू, बाणगंगा, मध्यगंगा परियोजना तीन चार माह में पूरी हो जाएंगी. इन परियोजनाओं से इस प्रदेश में 22 लाख हेक्टेयर नई सिंचित भूमि उपलब्ध होगी.

बाढ़ राहत में यूपी ने पेश की मिसाल

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि बाढ़ राहत के कार्यों में स्थायित्व देकर उत्तर प्रदेश ने पूरे देश मे मिसाल कायम किया है. यह अन्य राज्यो के लिए प्रेरणास्रोत है. तरकुलानी रेगुलेटर पर बने पंपिंग स्टेशन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि योगी जी ने इसके जरिये एक नई तकनीकी दी है. इस अनूठी परियोजना को देख उनका भरोसा जगा है कि इसे अपनाकर अन्य प्रदेश भी बाढ़ के पानी से खुद को प्रभावित होने से बचा सकते हैं.

पूरे प्रदेश को बाढ़ से बचाया है सीएम योगी ने: डॉ महेंद्र सिंह

जनसभा में अपनी बात रखते हुए प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह ने कहा कि सीएम योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश तेजी से बदल रहा है. उन्होंने इस राज्य का मान, सम्मान व स्वाभिमान वापस कराया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे प्रदेश को बाढ़ से बचाया है. पहले बाढ़ से बचाव के कार्यों के लिए पैसा अप्रैल, मई में जारी होता था और काम जून में शुरू होता था. तब तक बाढ़ आ जाती थी और पैसा भी उसी में बह जाता था. अब योगी जी जनवरी में ही पैसा दे देते हैं और बाढ़ आने से काफी पहले काम पूरा हो जाता है. डॉ सिंह ने कहा कि वर्ष 2016 में यूपी में 543771 हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित हुई थी, योगी जी के कुशल मार्गदर्शन में हुए कार्यों से 2020-21 तक यह घटकर 6886 हेक्टेयर रह गई है. सीएम योगी की देखरेख में बाढ़ बचाव की 170 परियोजनाओं का लोकार्पण व 246 परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया है. चार सालों में 25 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा मिली है. ऐसा अन्य किसी भी राज्य में नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि आज यूपी देश की हर योजना में नम्बर वन है और योगी जी के नेतृत्व में इसे पूरे देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाया जा रहा है.

यूपी में ‘विशेष स्वच्छता अभियान’ से लगेगी मौसमी बीमारियों पर लगाम

लखनऊ. बरसात के बाद होने वाली मौसमी बीमारियों पर शिकंजा कसने के लिये निगरानी समितियों ने स्वच्छता को लेकर पूरी ताकत झोंक दी है. कोरोना की दूसरी लहर पर जीत हासिल करने में निगरानी समितियां बड़ा हथियार साबित हुई हैं. उनके माध्यम से राज्य सरकार 17.25 करोड़ लोगों तक पहुंच चुकी है. इस उपलब्धि को देखते हुए एक बार फिर से 63148 निगरानी समितियों के 04 लाख से अधिक सदस्यों को गांव और शहरी निकायों में गली-कूचों तक सफाई का कार्य तेजी से कराने की देखरेख में लगाया गया है.

बरसात से पहले की तैयारियां

सरकार की ओर से प्रदेश में शनिवार और रविवार को विशेष सफाई अभियान चलाए जा रहे हैं. नाले-नालियों की स्वच्छता पर जोर देने के साथ बरसात में जलभराव की समस्या को दूर किया जा रहा है. मच्छर जनित रोगों से बचाव के लिये लगातार सेनेटाइजेशन और फॉगिंग कराई जा रही है. मोहल्ला निगरानी समितियों को भी इस काम में जुटाया गया है.

स्वच्छ भारत से स्वस्थ भारत की परिकल्पना को साकार करने में जुटी योगी सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर पर अन्य प्रदेशों से पहले जीत हासिल की है. अब तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए उसने तैयारियां पूरी कर ली है. इसके लिये गांव-गांव और शहरों में विशेष सफाई अभियान शुरू किये हैं. ग्राम पंचायतों में सफाई पर विशेष जोर दिया जा रहा है. इसके लिये प्रदेश के कुल 58189 ग्राम पंचायतों और 97499 राजस्व ग्रामों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है. 52916 सफाईकर्मी इस कार्य में जुटे हैं. यूपी में  पिछले एक दिन में 31156 राजस्व ग्रामों में सफाई हुई. 15396 राजस्व गांवों में सेनेटाइजेशन और 4787 में फॉगिंग की गए. प्रदेश के सभी नगर निगमों, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में कुल 12016 मोहल्ला निगरानी समितियों के 64175 सदस्य स्वच्छता अभियानों में जुटे हैं. उनकी देखरेख में नगरीय निकायों में कुल 1378 बड़े नालों, 5219 मझोले नाले और 12410 छोटे नालों की सफाई का काम पूरा कर लिया गया है.

निगरानी समितियां बनी

बीमारी से बचाव के लिये गांव-गांव गठित निगरानी समितियों के सदस्य प्रत्येक व्यक्ति के पास पहुंचकर उनको मौसमी व मच्छर जनित रोगों से बचाव के लिये स्वच्छता और सामाजिक दूरी के महत्व बता रहे हैं. हाथों को साबुन से धोना और मास्क पहनने की आदत लोगों में डालने के लिये जागरूक कर रहे हैं.

योगी सरकार ने बीमारी से रोकथाम के लिये ग्रामीण इलाकों में विशेष स्वच्छता अभियान चला रखा है. बड़े स्तर पर ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता अभियान चलाने वाला यूपी देश का पहला राज्य बना है. बरसात से पहले संक्रामक बीमारियों को रोकने में सरकार के प्रयास का बड़ा असर हुआ है.

गौरतलब है कि योगी सरकार की ओर से गांव-गांव तक बिछाए गये निगरानी समितियों के जाल से काफी अच्छे परिणाम सामने आए हैं. इतनी तेज रफ्तार से बीमारी की रोकथाम करने में लिये योगी सरकार के शानदार कोविड प्रबंधन को पूरी दुनिया में प्रशंसा मिली है. डब्ल्यूएचओ भी सरकार के प्रयासों की तारीफ कर चुका है. यही नहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी वेबसाइट पर बीमारी पर तेज गति से नियंत्रण करने के लिये यूपी सरकार की सराहना की है.

 फ्रंट लाइन वर्कर्स को दिया गया टीका-कवर

प्रदेश में बीमारियों से बचाव के लिये स्वच्छता अभियान में जुटे 86770 फ्रंट लाइन वर्कर्स व अन्य अधिकारी व कर्मचारियों को कोरोना से बचाव के लिये टीकाकरण की पहली डोज लग चुकी है. जबकि 66190 सफाई श्रमिकों को दूसरी डोज दी गई है. 26399 अन्य निकाय कार्मिकों को प्रथम डोज व 20991 कार्मिकों को दूसरी डोज का वैक्सीनेशन किया जा चुका है. राज्य सरकार के निर्देश पर सभी स्थानीय निकायों में सफाई कर्मचारियों एवं फ्रंट लाइन वर्कर्स के लिये ग्लब्स, मास्क और सेनेटाईजर भी दिये जा रहे हैं.

कोरोना की दूसरी लहर पर जीत हासिल करने में निभाई बड़ी भूमिका

कोरोना के खिलाफ योगी सरकार के ‘ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट’ रणनीति को मजबूती देने में निगरानी समितियों ने बड़ा योगदान दिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बीमारी को रोकने के लिये प्रदेश में  निगरानी समितियों का गठन किया गया. समितियों से जुड़े चार लाख से अधिक सदस्यों ने घर-घर दस्तक देकर न सिर्फ लोगों को जागरूक करने का काम किया बल्कि कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को मेडिकल  किट भी उपलब्ध कराई. इतनी बड़ी संख्या में निगरानी समितियों की तैनाती करने वाला यूपी देश का पहला राज्य बना. समिति के सदस्यों को प्रत्येक व्यक्ति में बीमारी के लक्षणों की पहचान का काम किया.

ओडीओपी से कामगारों की होगी तरक्‍की, छात्र भी बनेंगे आत्‍मनिर्भर

लखनऊ. एकेटीयू से सम्‍बद्ध प्रदेश के तकनीकी एवं प्रबंधन संस्‍थानों में पढ़ने वाले छात्र ओडीओपी से जुड़े हर जिले के उत्‍पाद का एक नई पहचान देंगे. ओडीओपी उत्‍पादों को कैसे तकनीक से जोड़ कर उनको नई पहचान दी जाए. इसे लेकर छात्र अपना आइडियाज देंगे. ओडीओपी विभाग के साथ मिलकर एकेटीयू एक मेगा हैकाथन का आयोजन करने जा रहा है.

अभी हाली ही में ओडीओपी विभाग व एकेटीयू की ओर से लखनऊ की चिकनकारी व जरदोजी को कैसे नई पहचान दिलाई जाए. इस पर हैकाथन का आयोजन किया गया था. इसमें लखनऊ समेत प्रदेश के अन्‍य जिलों के इंजीनियरिंग कॉलेजों के 70 से अधिक छात्रों ने अपने आइडियाज एकेटीयू को भेजे थे. इसमें 5 छात्रों के आइडियाज को फाइनल राउंड में चुना गया था. छात्रों के बेहतर रूझान को देखते हुए अब ओडीओपी प्रदेश के हर जिले के ओडीओपी उत्‍पाद को लेकर मेगा हैकाथन का आयोजित करने की तैयारी कर रहा है. उत्‍तर प्रदेश सरकार के सूक्ष्‍म मध्‍यम एवं लघु उद्योग विभाग व एकेटीयू के बीच ओडीओपी उत्‍पादों को बढ़ावा देने के लिए एक एमओयू हुआ है. जिसके तहत इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

एक जनपद – एक उत्पाद उत्‍तर प्रदेश सरकार की महत्‍वाकांक्षी योजना है. इसका उद्देश्य प्रदेश के अलग अलग जनपदों में बनने वाले उत्‍पादों को अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहचान दिलवाना और कामगारों को रोजगार के अवसर उपलब्‍ध करा कर उन्‍हें आत्‍मनिर्भर बनाना है. उत्‍तर प्रदेश में ऐसे उत्‍पाद बनते हैं, जो पूरे देश में कहीं नहीं बनते हैं. इसमें प्राचीन एवं पौष्टिक कालानमक चावल, फिरोजाबाद का कांच उत्‍पाद, मुरादाबाद का पीतल उद्योग, दुर्लभ एवं अकल्पनीय गेहूं डंठल शिल्प, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर जरी-जरदोजी का काम, मृत पशु से प्राप्त सींगों व हड्डियों से अति जटिल शिल्प कार्य आदि है. इन कलाओं से ही उन जनपदों की पहचान होती है. इनमें से तमाम ऐसे उत्पाद हैं जो अपनी पहचान खो रहे थे. सरकार उनको ओडीओपी के तहत फिर से पहचान दिला रही है.

एमएसएमई से समझौते के बाद एकेटीयू पूरे प्रदेश के हर जिले के ओडीओपी उत्‍पाद को नई पहचान देने के लिए मेगा हैकाथन का आयोजन करेगा. इसमें बीटेक व एमबीए के छात्र-छात्राएं एक जनपद, एक उत्‍पाद योजना से जुड़े उत्‍पादों को कैसे तकनीक से जोड़कर बेहतर बनाया जाए, जिससे वह उत्‍पाद अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर नई पहचान बना सके. इस पर अपने आइडियाज देंगे.

प्रो-एक्टिव नीति से कोरोना की तीसरी लहर का होगा मुकाबला

लखनऊ . कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों व किशारों को बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने कमर कस ली है. उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों की स्वास्थ्य, सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से घर-घर मेडिकल किट वितरण का विशेष अभियान शुरू किया है. प्रदेश में रविवार से 75 जनपदों में 50 लाख के करीब मेडिकल किटों का वितरण के कार्य को शुरू किया गया है. करीब 75 हजार निगरानी समितियों की मदद से लक्षण युक्त बच्चों की पहचान का काम भी शुरू कर दिया गया है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निगरानी समितियों ने अहम भूमिका निभाई है. ऐसे में एक बार फिर से सरकार ने इन निगरानी समितियों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. बता दें कि तीसरी लहर का डट कर मुकाबला करने के लिए प्रदेश की 3011 पीएचसी और 855 सीएचसी को सभी अत्याधुनिक संसाधनों से लैस किया गया है.

महानिदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) डॉ डीएस नेगी ने बताया कि मेडिकल किट के वितरण के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. मेडिकल किट को बच्चों व किशोरों को उनकी उम्र के अनुसार अलग-अलग चार वर्गों में विभाजित किया गया है. नवजात शिशु से लेकर एक साल तक और एक से पांच वर्ष की उम्र के बच्चों की मेडिकल किट में पैरासिटामोल सीरप की दो शीशी, मल्टी विटामिन सीरप की एक शीशी और दो पैकेट ओआरएस घोल रखा गया है. छह से 12 वर्ष की उम्र के बच्चों और 13 से 17 वर्ष की उम्र के किशोरों की मेडिकल किट में पैरासिटामोल की आठ टैबलेट, मल्टी विटामिन की सात टैबलेट, आइवरमेक्टिन छह मिली ग्राम की तीन गोली और दो पैकेट ओआरएस घोल रखा गया है. उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी अस्पतालों में तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. अस्पतालों कोई कमी न हो इस बात भी ध्यान रखा जा रहा है.

कोरोना के लक्षणों समेत मौसमी बीमारी से बचाएगी दवाएं

मेडिकल-किट में उपलब्ध दवाईयां कोविड-19 के लक्षणों से बचाव के साथ 18 साल से कम उम्र के बच्चों का मौसमी बीमारियों से भी बचाएंगी. तीसरी लहर से बचाव के लिए सरकार ने प्रदेश में 75000 निगरानी समितियों को जिम्मेदारी सौंपी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल मेडिसिन किट के वितरण को गति देने के लिए 60 हजार से अधिक निगरानी समितियों के चार लाख से अधिक सदस्यों को लगाया गया है.

 प्रो-एक्टिव नीति के तहत प्रदेश में किया जा रहा काम

प्रदेश में विशेषज्ञों के आंकलन के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के संबंध में योगी सरकार प्रो-एक्टिव नीति अपना रही है. सभी मेडिकल कॉलेजों में पीआईसीयू और एनआईसीयू की स्थापना को तेजी से पूरा किया जा रहा है. पीडियाट्रिक विशेषज्ञ, नर्सिंग स्टाफ अथवा टेक्निशियन की जरूरत के अनुसार जिलावार स्थिति का आकलन करते हुए पर्याप्त मानव संसाधन की व्यवस्था युद्धस्तर पर कराई जा रही है. अस्पतालों में बाइपैप मशीन, मोबाइल एक्स-रे मशीन समेत जरूरी उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है. बता दें कि प्रदेश में डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ के पहले चरण का प्रशिक्षण का कार्य पूरा हो गया है. इनके जरिए अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.

प्रदेश में महज 3165 एक्टिव केस

कोरोना संक्रमण के मामलों में उत्तर प्रदेश की स्थिति लगातार बेहतर हो रही है. पिछले 24 घंटों में प्रदेश में संक्रमण के महज 222 नए मामले दर्ज किए गए हैं. प्रदेश में कोविड रिकवरी रेट 98.5 प्रतिशत पहुंच गया है. प्रदेश में अब तक पांच करोड़  70 लाख 85 हजार 424 कोरोना की जांचें की जा चुकी हैं. मिशन जून के तहत निराधृत लक्ष्य को तय समय सीमा से पहले हासिल करने वाले यूपी में अब तक तीन करोड़ चार लाख 51 हजार 330 वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं.

रोजगार देने में देश में नंबर वन साबित हुईं यूपी की एमएसएमई योजना

लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मिशन रोजगार सरकारी नौकरियों से लेकर निजी क्षेत्र में भी कारगर साबित हो रहा है. कोरोना काल के बावजूद पिछले एक साल में देश में प्रदेश की सूक्ष्म, लघु, और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) इकाईयों ने प्रदेश में सबसे ज्यादा रोजगार दिया है. सरकार ने इन इकाईयों को 140 करोड़ रुपए की सब्सिडी भी दी है.

सीएम योगी ने कोरोना काल में मानवता को बचाने के लिए जीवन और जीविका दोनों को प्राथमिकता दी थी. इसके लिए पिछले साल प्रदेश के इतिहास में सबसे ज्यादा लोन उद्योगों को दिए गए थे. इससे पहले भी पूर्व की सरकारों की तुलना में योगी सरकार ने उद्योगों को प्राथमिकता पर रखकर लोन उपलब्ध कराया था. प्रदेश सरकार के समन्वय से बैंकों ने पिछले चार साल में 55 लाख 45 हजार 147 एमएसएमई को लोन दिया था, जिसमें तीन लाख आठ हजार 331 इकाइयों के सैंपल सर्वे में नौ लाख 51 हजार 800 लोगों को रोजगार देने की भौतिक रूप से पुष्टि हुई थी. जबकि 55 लाख 45 हजार 147 इकाइयों में औसतन डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला है.

ऐसे ही इकाईयों को विभिन्न योजनाओं में प्रदेश सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी गई है. प्रदेश में पिछले साल 4571 इकाईयों में 45,166 लोगों को रोजगार दिया गया है. इन इकाईयों को सरकार की ओर से 140 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी है. देश में दूसरे नंबर पर गुजरात की 1437 इकाईयों ने 32,409 लोगों को रोजगार दिया है और उन्हें सौ करोड़ रुपए सब्सिडी दी गई है. तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश की 3362 इकाईयों ने 30,565 लोगों को रोजगार दिया है और 88 करोड़ की सब्सिडी दी गई है.

चार साल में दिए 55 लाख 45 हजार एमएसएमई को लोन

वित्त वर्ष 2016-17 में सपा सरकार के दौरान 6,35,583 एमएसएमई को लोन दिया गया था. जबकि 2017 में सत्ता परिवर्तन होते ही योगी सरकार में वित्त वर्ष 2017-18 में 7,87,572 एमएसएमई को लोन दिया गया. वित्त वर्ष 2018-19 में 10,24,265 उद्यमियों और 2019-20 में 17,45,472 लोन दिए गए हैं. वित्त वर्ष 2020-21 में एक अप्रैल 2020 से 18 मार्च 2021 तक 13 लाख 52 हजार 255 उद्यमियों को लोन दिए गए हैं. इसमें नौ लाख 13 हजार 292 एमएसएमई को 32 हजार 321 करोड़ 31 लाख रुपए लोन दिए हैं. इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) में चार लाख 39 हजार 310 इकाइयों को 12 हजार 69 करोड़ 57 लाख रुपए का लोन दिया गया है. ऐसे में कुल 55 लाख 45 हजार 147 एमएसएमई को लोन दिया गया है.

तीसरी लहर से बचाव के लिए प्रो-एक्टिव नीति

लखनऊ. प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाने के बाद योगी सरकार ने तीसरी लहर से निपटने के लिए चक्रव्यूह तैयार कर लिया है. राज्यस्तरीय स्वास्थ्य परामर्श समिति ने तीसरी लहर को ध्यान में रख्रते हुए अपनी रिर्पोट यूपी सरकार को सौंप दी है. प्रदेशवासियों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने के लिए सरकार ने हर जिले की सुरक्षा के लिए चक्रव्यूह तैयार कर लिया है. मुख्यमंत्री यागी आदित्यनाथ ने महामारी से बचाव और इलाज के संबंध में राज्यस्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ परामर्श समिति की संस्तुतियों पर गंभीरता से काम करने के निर्देश दिए हैं.

कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर और संचारी रोगों पर नियंत्रण के लिए सभी जिलों में पूरी सक्रियता से सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए हैं. तीसरी लहर से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने स्वच्छता, सैनिटाइजेशन, पीकू नीकू और मेडिकल मेडिसिन किट इस चक्रव्यूह का हिस्सा बनाया है. प्रदेश में युद्ध्स्तर पर पीकू नीकू की स्थापना और मेडिकल मेडिसिन किट के वितरण की व्यव्स्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है. जून के अंत तक प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में 100 बेड वाले पीकू नीकू और सीएचसी और पीएचसी में 50 नए बेड की व्यवस्था कर दी जाएगी.

27 जून से घर-घर वितरित की जाएंगी दवाएं

कोरोना की तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों की स्वास्थ्य, सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से घर-घर मेडिकल किट वितरण का विशेष अभियान शुरू किया है. जिसके तहत 27 जून से दवाएं घर-घर वितरित की जाएंगी. गांव से लेकर शहर तक प्रत्येक गली-कूचे और घर-घर तक पहुंच बनाने वाली निगरानी समितियों ने सरकार की योजनाओं का लाभ प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाने का बड़ा काम किया है. यही कारण भी है कि सरकार ने मेडिकल किट वितरण की जिम्मेदारी भी निगरानी समिति के सदस्यों को सौंपी है. तीसरी लहर का डट कर मुकाबला करने के लिए प्रदेश की 3011 पीएचसी और 855 सीएचसी को सभी अत्याधुनिक संसाधनों से लैस किया गया है. मेडिकल-किट में उपलब्ध दवाईयां कोविड-19 के लक्षणों से बचाव के साथ 18 साल से कम उम्र के बच्चों का मौसमी बीमारियों से भी बचाएंगी. तीसरी लहर से बचाव के लिए सरकार ने प्रदेश में 75000 निगरानी समितियों को जिम्मेदारी सौंपी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल मेडिसिन किट के वितरण को गति देने के लिए 60 हजार से अधिक निगरानी समितियों के चार लाख से अधिक सदस्यों को लगाया गया है.

प्रत्येक जरूरतमंद तक पहुंचेगी योगी सरकार की मदद

कोरोना प्रबंधन में निगरानी समितियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है. ऐसे में अब तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार ने इन समितियों  को विशेष जिम्मेदारी सौंपी है. गांवों में भ्रमण करते समय निगरानी समितियां यह भी सुनिश्चित करेंगी कि कोई जरूरतममंद राशन से वंचित न रहे.

तीसरी लहर से बचाव के लिए अपनाई जा रही प्रो-एक्टिव नीति

प्रदेश में विशेषज्ञों के आंकलन के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के संबंध में योगी सरकार प्रो-एक्टिव नीति अपना रही है. सभी मेडिकल कॉलेजों में पीआईसीयू और एनआईसीयू की स्थापना को तेजी से पूरा किया जा रहा है.

टीकाकरण और सावधानी के साथ सामान्य होता उत्तर प्रदेश: श्री नवनीत कुमार सहगल

लखनऊ . अपर मुख्य सचिव ‘सूचना’ श्री नवनीत सहगल ने बताया कि कोविड नियंत्रण करने में मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में 3टी की विशेष रणनीति के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में 340 कोविड के नये मामले आयें हैं, जबकि डेढ़ माह पूर्व 23 अप्रैल कोे 38,000 मामले थे.

‘3 टी’ की विशेष रणनीति में एक अभिनव प्रयोग करते हुए आंशिक कोरोना कफ्र्यू तथा टीकाकरण अभियान को जोड़ा गया है. इन पांच तत्वों का अभियान चलाकर कोविड संक्रमण को नियत्रित करने में सफलता मिली है.

उत्तर प्रदेश में संक्रमण अन्य प्रदेशों अपेक्षा कम हो रहे है. आंशिक कोरोना कफ्र्यू में जीवन और जीविका दोनों को बचाने के उद्देश्य से आंशिक कोरोना कफ्र्यू में औद्योगिक गतिविधियां, आर्थिक गतिविधियां, कृषि से संबंधित खाद, बीज, कृषि उपकरणों की मरम्मत, आवश्यक सामग्रियों से संबधित आवागमन तथा उनसे सम्बन्धित दुकाने भी खुली रखी गयी थी.

टीकाकरण की गति तेज :

श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश में टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है. प्रदेश में 02 करोड़ 35 लाख से अधिक वैक्सीन की डोज दी गयी है तथा 18 से 44 वर्ष के लगभग 50 लाख लोगों को वैक्सीन की डोज दी गयी है. मुख्यमंत्री जी द्वारा इस माह 06 लाख से 09 लाख तथा अगले माह से 10 लाख प्रतिदिन टीकाकरण कराने के निर्देश दिए हैं.

अगले 02 महीनों में 07 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य है. 31 अगस्त तक 10 करोड़ टीकाकरण कराने हेतु प्रशिक्षण एवं आवश्यक व्यवस्थाओं करने हेतु स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया गया है. दिसम्बर 2021 तक प्रदेश की पूरी जनता को टीकाकरण लगाने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंनेे बताया कि अभिभावक स्पेशल अभियान के तहत 12 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों के अभिभावकों का टीकाकरण कराया जा रहा है.

श्री सहगल ने बताया कि सर्विलांस के माध्यम से निगरानी समितियों द्वारा ट्रेसिंग के तहत घर-घर जाकर संक्रमण की जानकारी ली जा रही है. उन्होंने बताया कि 97000 ग्रामीण पंचायतों में 5 मई, 2021 से एक विशेष अभियान चलाकर, जिसमें लगभग 80 हजार निगरानी समितियों द्वारा घर-घर जाकर उन लोगों का जिनमें किसी प्रकार के संक्रमण के लक्षण होने पर उनका एन्टीजन टेस्ट भी कराया जा रहा है. अगर एन्टीजन टेस्ट निगेटिव आ रहा है और लक्षण हैं तो उनका आरटीपीसीआर टेस्ट भी कराया जा रहा है, इसके साथ-साथ लगभग 14 लाख से अधिक मेडिकल किट भी बांटी गयी है. उन्होंने बताया कि सर्विलांस के माध्यम से सरकारी मशीनरी द्वारा उत्तर प्रदेश की 24 करोड़ की जनसंख्या में से अब तक लगभग 17 करोड़ से अधिक लोगों से उनका हालचाल जाना गया है. उन्होंने बताया कि माह अगस्त से बच्चों के लिए एक सघन अभियान चलाया जायेगा जिसके तहत निगरानी समितियों द्वारा बच्चों का हालचाल लिया जायेगा. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक टेस्ट कराये जा रहे हैं.

कोरोना कर्फ्यू में समय बढेगा

श्री सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा टीम-19 के समीक्षा बैठक में आगामी सोमवार, 21 जून से कोरोना कर्फ्यू में और छूट दिए जाने का निर्णय लिया गया हैं. रात्रिकालीन कोरोना कफ्र्यू रात्रि 09 बजे से अगले दिन प्रातः 07 बजे तक प्रभावी होगा.

कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन के साथ रेस्टोरेंट व मॉल को 50 फीसदी क्षमता के साथ खुलेगा. इसी तरह, पार्क, स्ट्रीट फूड आदि के संचालन की अनुमति भी दी जाएगी. इन स्थलों पर कोविड हेल्प डेस्क की स्थापना अनिवार्य होगी.

नई व्यवस्था के संबंध में विस्तृत गाइडलाइंस समय से जारी की जायेगी. साप्ताहिक बंदी के दौरान शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सेनेटाइजेशन, फाॅगिंग तथा साफ-सफाई का अभियान चलाया जा रहा है.

प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण योजना से मदद

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा संगठित एवं असंगठित श्रमिकों तथा रेहड़ी, पटरी वाले लोगों को 1000 रुपये का भत्ता दिया गया है. प्रधानमंत्री जी द्वारा ‘‘प्रधानमंत्री गरीब अन्न कल्याण’’ योजना के तहत मुफ्त राशन नवम्बर तक बढ़ाए जाने की घोषणा की गई है.

प्रदेश में संक्रमण कम होने पर भी कोविड-19 के टेस्टों की संख्या में निरन्तर बढ़ोत्तरी की जा रही है, ताकि संक्रमित व्यक्ति की पहचान करके इलाज किया जा सके. प्रदेश में विगत 24 घंटे में 2,57,135 टेस्ट किये गये हैं तथा 05 करोड़ 38 लाख से अधिक टेस्ट किए गये हैं, जो देश में सर्वाधिक हैं.

उन्होंने बताया कि प्रदेश में 7,221 कोरोना के एक्टिव केस हैं, जिनमें 4,382 कोविड मरीज होम आइसोलेशन में हैं. कल विगत 24 घंटे में 1104 तथा अब तक 16 लाख 73 हजार लोग कोविड-19 से ठीक हुए हैं.

ऑक्सीजन की समुचित व्यवस्था

श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश में आॅक्सीजन समुचित मात्रा में उपलब्ध है. प्रदेश में आॅक्सीजन की कोई समस्या भविष्य में न हो इसके लिए 427 आॅक्सीजन प्लाण्ट अस्पतालों में लगाये जा रहे हैं, जिसमें से 83 प्लाण्ट क्रियाशील हो गए हैं.

उन्होंने बताया कि संभावित कोविड की तीसरी लहर के तहत सभी मेडिकल कालेज में 100-100 बेड पीआईसीयू के, हर जिला अस्पताल में 20-20 बेड पीआईसीयू के और कम से कम दो सीएससी में पीकू/नीकू के बेड बढ़ाये जा रहे हैं. जिसे 20 जून, 2021 तक पूरा करने का समय दिया गया है.

इसके साथ-साथ सभी सीएचसी में 20-20 आॅक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराये जा रहे हैं. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और वेंटिलेटर संचालन के लिए सभी जिलों में तकनीशियनों की तैनाती सुनिश्चित कराने के निर्देश मुख्यमंत्री जी द्वारा दिए गए हैं. आईटीआई से प्रशिक्षित योग्य युवाओं को आवश्यकतानुसार इन मशीनों के संचालन के संबंध में दक्षता दिलाई जाएगी.

किसानों को एमएसपी का लाभ

श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश सरकार किसानों के हितों के लिए कृतसंकल्प है और किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी फसल को खरीदे जाने की प्रक्रिया कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए तेजी से चल रही है. गेहँू क्रय अभियान के तहत 12 लाख से अधिक किसानों से 53,80,801.30 मी0 टन गेहूँ खरीदा गया है.

मुख्यमंत्री जी द्वारा गेहूँ खरीद अभियान जो आज 15 जून 2021 तक था उसे एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया है.

मुख्यमंत्री जी द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि गेंहूँ क्रय केन्द्रों का नियमित रूप से निरीक्षण किया जाए तथा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी फसल खरीदी जाए.

उन्होंने बताया कि अगली फसल के लिए खाद-बीज आदि किसानों को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गये हैं.

उत्तर प्रदेश में मानक से 10 गुना ज्यादा टेस्ट हो रहे

लखनऊ . मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोरोना प्रबंधन को लेकर रणनीति का नतीजा है कि यूपी मॉडल दूसरे राज्यों के लिए नजीर है. सीएम योगी की एग्रेसिव टेस्टिंग और कांटेक्ट ट्रेसिंग की रणनीति से यूपी मॉडल देश में सबसे आगे है. प्रदेश में वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मानक से अधिक हर रोज 10 गुना ज्यादा जांच की जा रही है. डब्ल्यूएचओ ने प्रदेश में रोजाना 32 हजार टेस्ट का लक्ष्य दिया था, लेकिन प्रदेश में रोजाना औसतन तीन लाख से ज्यादा टेस्ट हो रहे हैं.

पिछड़ रहे दूसरे राज्य :

जबकि आबादी के हिसाब से यूपी की तुलना में छोटे होने के बावजूद दूसरे राज्य कोरोना प्रबंधन से लेकर कांटेक्ट टेस्टिंग में भी काफी पिछड़े हैं.

सीएम योगी की एग्रेसिव ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की नीति का असर है कि प्रदेश में रिकवरी रेट बेहतर है और पाजिटीविटी रेट भी कम है. प्रदेश में डब्ल्यूएचओ के मानक से अधिक प्रति पाजिटिव केस पर 31 कांटेक्ट सैंपल टेस्ट किए गए हैं. जबकि अन्य राज्य जांच के मामले में बहुत पीछे हैं. महाराष्ट्र में 6.4, कर्नाटक में 11.5, केरल में 8, दिल्ली में 14, तमिलनाडु में 12.8, आंध्र प्रदेश में 11.4 कांटेक्ट सैंपल टेस्ट किए गए हैं. डब्ल्यूएचओ ने कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर में भी यूपी के माइक्रो मैनेजमेंट की प्रशंसा की है.

सीएम योगी के निर्देश पर बनाए गए माइक्रो कन्टेनमेंट जोन ने संक्रमण की चेन को तोड़ा है. रैपिड रिस्पांस टीम और निगरानी समितियों ने गांव-गांव जाकर बड़ी संख्या में लोगों की जांच की है. प्रदेश में 31 मार्च के बाद से ही 64 फीसदी टेस्ट ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए हैं. देश में सबसे अधिक टेस्ट करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश है और अब तक 5,25,03,838 सैंपल की जांच की गई है.

यूपी में जितने कुल एक्टिव केस, उससे ज्यादा रोजाना नए केस आ रहे दूसरे राज्यों में प्रदेश में पिछले 24 घंटे में 3,05,731 लोगों की जांच में महज 642 नए केस आए हैं. इसी दौरान 1231 लोगों को डिस्चार्ज किया गया है और कुल एक्टिव केस 12,244 हैं. जबकि पिछले 24 घंटे में तमिलनाडु में 17,321, केरल में 16,204, कर्नाटक में 10,959, महाराष्ट्र में 10,989 और आंध्र प्रदेश में 8766 नए केस आए हैं. प्रदेश में रिकवरी रेट बढ़कर हुआ 98 फीसदी और पाजिटिविटी रेट 0.2 फीसदी हो गया है.

जून, जुलाई और अगस्त में 10 करोड़ प्रदेशवासियों को टीका लगाने की योजना

योगी सरकार का जून, जुलाई और अगस्त माह में 10 करोड़ प्रदेशवासियों को टीका लगाने की योजना है. सरकार 14 जून से गरीब तबके से जुड़े लोगों का अलग से निशुल्क टीकाकरण कराएगी. इसमें सब्जी विक्रेता और आटो टेम्पो चालक का भी टीकाकरण होगा. सरकार का जोर ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण बढ़ाने पर है. 1.30 लाख कॉमन सर्विस सेंटर से ग्रामीण क्षेत्रों में निशुल्क पंजीकरण किया जा रहा है. प्रदेश में कुल 02 करोड़ 15 लाख 65 हजार 323 वैक्सीन डोज लगाई गई है. कल एक दिन में 3,91,449 डोज टीके के दिए गए हैं.

पांच राजकीय मेडिकल कॉलेजों और एक निजी मेडिकल कॉलेज में पीकू और नीकू बेड की स्थापना

सीएम योगी के निर्देश पर तीसरे लहर को देखते हुए पांच राजकीय मेडिकल कॉलेजों और एक निजी मेडिकल कॉलेज में पीकू और नीकू बेड की स्थापना की गई है. अस्पतालों में अभी से बच्चों के लिए तीन हजार से अधिक बेड्स तैयार किए गए हैं. 15 जून तक सरकारी अस्पतालों में 100 बेड के पीडियाट्रिक आईसीयू तैयार होने की उम्मीद है.

प्रदेश सरकार किसानों के हितों के लिए कृतसंकल्प है: श्री नवनीत कुमार सहगल

लखनऊ . अपर मुख्य सचिव ‘सूचना’ श्री नवनीत सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी 3टी का फार्मूला ट्रेस, ट्रैक और ट्रीट तथा आंशिक कोरोना कफ्र्यू एवं वृहद टीकाकरण का परिणाम है कि प्रदेश को संक्रमण नियंत्रण में सफलता मिली है. उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल के लगभग 03 लाख 10 हजार एक्टिव मामलों में लगभग 96 प्रतिशत की कमी आयी है. सर्विलांस के माध्यम से निगरानी समितियों द्वारा ट्रेसिंग के तहत घर-घर जाकर संक्रमण की जानकारी ली जा रही है. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में एक विशेष अभियान चलाकर, जिसमें निगरानी समितियों द्वारा घर-घर जाकर उन लोगों का जिनमें किसी प्रकार के संक्रमण के लक्षण होने पर उनका एन्टीजन टेस्ट भी कराया जा रहा है. अगर एन्टीजन टेस्ट निगेटिव आ रहा है और लक्षण हैं तो उनका आरटीपीसीआर टेस्ट भी कराया जा रहा है, इसके साथ-साथ उनको 11 लाख मेडिकल किट भी बांटी गयी है. उन्होंने बताया कि सर्विलांस के माध्यम से सरकारी मशीनरी द्वारा उत्तर प्रदेश की 24 करोड़ की जनसंख्या में से अब तक 18 करोड़ लोगों से उनका हालचाल जाना गया है. प्रदेश में संक्रमण कम होने पर भी कोविड-19 के टेस्टों की संख्या में निरन्तर बढ़ोत्तरी की जा रही है, ताकि संक्रमित व्यक्ति की पहचान करके इलाज किया जा सके. उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक टेस्ट कराये जा रहे हैं. 31 मार्च से अब तक 65 प्रतिशत टेस्ट ग्रामीण क्षेत्रों में किये गये है.

श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश के सभी जनपदों में कोविड के एक्टिव केसों की संख्या 600 से कम होने पर जनपदों में आंशिक कोरोना कफ्र्यू हटाकर पूर्व की तरह साप्ताहिक बंदी एवं रात्रिकालीन कफ्र्यू लागू रहेगा. उन्होंने बताया कि साप्ताहिक बंदी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों व शहरी क्षेत्रों मंे फोगिंग, सैनेटाइजेशन व साफ-सफाई का अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों में 86,700 तथा शहरी क्षेत्रों में 82,000 कर्मचारी लगाये गये है.

श्री सहगल ने बताया कि प्रदेश में पिछले 24 घंटे में कोरोना सेे संक्रमित 642 नये मामले आये हैं. प्रदेश में विगत 24 घंटों में 1,231 लोग कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं. प्रदेश में कोरोना के कुल 12,244 एक्टिव मामले हैं. प्रदेश में रिकवरी रेट 98 प्रतिशत है.  उन्होंने बताया कि बीते 24 घंटों में 03 जनपदों में शून्य, 24 जनपदों में दो डिजिट तथा 48 जनपदों में सिंगल डिजिट में कोरोना के नये मामले आये हैं. गत एक दिन में कुल 3,05,731 सैम्पल की जांच की गयी है. प्रदेश में अब तक कुल 05 करोड़ 25 लाख से अधिक सैम्पल की जांच की गयी है. कोविड-19 के टेस्ट में आधे से ज्यादा आरटीपीसीआर के माध्यम किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में कोविड टीकाकरण अभियान तेजी से चलाया जा रहा है. टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 2,15,88,323 लोगों का टीकाकरण किया गया है. कल एक दिन में 3,91,441 लोगों का टीकाकरण किया गया है, जो कि अन्य प्रदेशों में किए जा रहे एक दिन के टीकाकरण से अधिक है. मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रतिदिन किए जा रहे टीकाकरण को 06 लाख करते हुए इसे 10 लाख तक बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. माह जून में 01 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है. अगले माह से प्रतिदिन 10 लाख से अधिक टीके लगाने का लक्ष्य रखा गया है. तीन महीनों में 10 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है.

श्री सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा टीम-9 की समीक्षा बैठक में ब्लैक फंगस बीमारी की समीक्षा की गई, जिसमें मुख्यमंत्री जी द्वारा ब्लैक फंगस की दवाएं समुचित मात्रा में उपलब्ध कराने के संबंध में निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में आॅक्सीजन की बेड की संख्या में निरन्तर बढ़ोत्तरी की जा रही है. कल 100 बेड बढ़ाये गये हैं, जिसमें 50 आईसीयू एवं 50 आइसोलेशन बेड हैं. प्रदेश में आॅक्सीजन समुचित मात्रा में उपलब्ध है. भविष्य में आॅक्सीजन की प्रदेश में कोई समस्या न हो इसके लिए 428 आॅक्सीजन प्लाण्ट अस्पतालों में लगाये जा रहे हैं, जिसमें से 78 प्लाण्ट क्रियाशील हो गए हैं. प्रदेश में कल लगभग 325 मी0टन आॅक्सीजन की सप्लाई की गयी है.

श्री सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी कल 23 लाख संगठित क्षेत्र में कार्य कर रहे श्रमिकों को 1000 रुपये भत्ता उनके खातों में स्थानान्तरित किया गया. रेहड़ी, पटरी आदि लोगों को 1000 रुपये भत्ता देने हेतु 14 लाख से अधिक पात्र व्यक्तियों का सत्यापन करा दिया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में 17 लाख मजदूर मनरेगा के तहत कार्य कर रहे हैं. मुख्यमंत्री जी द्वारा मनरेगा के माध्यम से स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के कार्यों का और तेजी से अमल में लाने के निर्देश दिये गये हैं. उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत प्रतिदिन रोजगार देने की संख्या में बढ़ोत्तरी की जा रही है. प्रदेश सरकार द्वारा मिशन रोजगार चलाया जा रहा है. जिसके तहत समस्त विभाग, आयोग, निगम तथा बोर्डों में जहां पर भी रिक्तियां हैं उन्हें पारदर्शी तरीके भरा जा रहा है. अब तक 04 सालों में 04 लाख सरकारी नौकरियां दी गई हैं. उन्होंने बताया कि विगत 04 वर्षों में एमएसएमई द्वारा 02 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराया गया है.

श्री सहगल ने बताया कि मुख्यमंत्री जी द्वारा गेंहूँ खरीद की निरन्तर समीक्षा की जा रही है. गेहँू खरीद 15 जून, 2021 तक की जाती है. मुख्यमंत्री जी द्वारा कहा गया है कि इसके बाद भी अगर किसान अपना गेंहँू लेकर क्रय केन्द्र पर आता है तो उसके आगे भी खरीद होती रहेगी. प्रदेश सरकार किसानों के हितों के लिए कृतसंकल्प है और किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी फसल को खरीदे जाने की प्रक्रिया कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए तेजी से चल रही है. गेहँू क्रय अभियान में 10 लाख से अधिक किसानों से 48,85,366.26 मी0 टन गेहूँ खरीदा गया है, जो विगत वर्ष से डेढ़ गुना अधिक है. उन्होंने बताया कि खरीफ फसल के लिए खाद, बीज की व्यवस्था की जाये.

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