Winter Romance Special: जातिधर्म नहीं प्यार की खुमारी देखें

ये मुहब्ब्त में हादसे अकसर दिलों को तोड़ देते हैं,तुम मंजिल की बात करते हो लोग राहों में ही साथ छोड़ देते हैं इश्क की खुमारी में लोग इन बातों को गलत भी ठहरा रहे हैं. यह बात और है कि ‘ये इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब कर जाना है’.

प्यार को लेकर कई तरह की बातें कही जाती हैं. कुछ लोग मानते हैं कि प्यार अंधा होता है. जहां दिल लग जाता है वहीं प्यार हो जाता है. बहुत से दूसरे लोग यह मानते हैं कि प्यार अंधा नहीं होता, बल्कि सूरत और शक्ल देख कर होता है.

असल में प्यार की खुमारी में जाति और धर्म देखने की जरूरत नहीं होती है. जो दिल को अच्छा लगे, जहां दिल मिले वहां प्यार करना चाहिए. प्यार जबरदस्ती का सौदा नहीं होता है. यह बात सच है कि प्यार जब शादी में बदलने वाला होता है, तब बहुत सारी दीवारें आज भी खड़ी हो जाती हैं.

समय के साथसाथ समाज और घरपरिवार ने कुछ समझते किए हैं, पर आज भी कई बातें ऐसी हैं, जिन को ले कर घरपरिवार और समाज तमाम तरह की रूढि़यों और कुरीतियों में फंसे हैं.

शेखर ने दिव्या के साथ 12 साल प्यार में गुजार दिए थे. जब वे 10वीं क्लास में थे, तभी से एकदूसरे को बखूबी जानतेपहचानते थे. शुरू से ही दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे. एक ही गांव में रहते थे.

उन दोनों के घरपरिवार वाले भी एकदूसरे को अच्छी तरह जानते थे. इन सब से बड़ी बात यह थी कि दोनों एक ही जाति के थे. ऐसे में उन की शादी में कोई अड़चन नहीं थी. इस के बावजूद भी वे 12 साल बाद शादी कर सके.

दरअसल, स्कूल की पढ़ाई के बाद वे दोनों नौकरी करने लगे. गांव से दूर एक बड़े शहर में रहने लगे. उन के परिवार के लोग भी गांव छोड़ कर शहर में बस गए थे. इस के बाद भी शेखर और दिव्या एकदूसरे से दूर नहीं हुए.

उन दोनों के लिए अपने घर वालों को राजी करने में समय लगा. घर वाले इसलिए राजी नहीं हो रहे थे कि जाति में भी गोत्र का बंधन होता है. एक ही गोत्र में लड़कालड़की की शादी नहीं हो सकती. लिहाजा, गांव के रिश्ते में दोनों भाईबहन लगते थे.

किसी तरह जब घर वाले राजी हुए, तो उन की शर्त थी कि किसी को यह नहीं बताना कि यह शादी उन दोनों की मरजी से हुई है. शेखर और दिव्या ने इस बात के लिए हामी भर ली कि वे किसी को कुछ नहीं बताएंगे.

शादी से पहले सगाई हुई. सबकुछ ठीक था. शेखर और दिव्या ने अपने 12 साल के सबंधों को यादगार बनाने के लिए केक काटने का इंतजाम किया, जिस पर लिखा था ‘12 साल एकदूजे के साथ’.

रिश्तेदारी में कुछ लोगों की निगाह केक पर पड़ गई. वह इस का मतलब निकालने लगे. आखिर में सब को इस बात का पता चल गया कि यह शादी शेखर और दिव्या की मरजी से हो रही है. इस बात की काफी बुराई हुई. घरपरिवार के लोग अलग से नाराज हुए कि केक पर यह सब क्यों लिखा था.

पर अब कुछ हो नहीं सकता था. शेखर और दिव्या की शादी हो गई. अब वे दोनों हंसीखुशी एकदूसरे के साथ रहते हैं. इस से सबक मिलता है कि आप जिस से प्यार करें, उसे जिंदगीभर निभाएं. यही इश्क की असली खुमारी है. कई ऐसे उदहारण हैं, जो इश्क में जातिधर्म जैसी बंदिशों को स्वीकार नहीं करते हैं.

गांवों में नहीं सुधरे हालात

प्यारमुहब्बत को ले कर शहरों में तो हालात बदल गए हैं, पर गांवदेहात में अभी भी प्यार बंदिशों में रहता है. वहां नौजवानों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है. कई नौजवान इस की कोशिश भी करते हैं. ऐसे में वे औनर किलिंग जैसी वारदातों के शिकार हो जाते हैं.

दरअसल, आजकल गांवदेहात में रहने वाली मुसलिम, एससीएसटी और ओबीसी जातियों की लड़कियां भी पढ़ने के लिए स्कूल जाने लगी हैं. वहां उन्हें अलगअलग लड़कों का साथ मिलता है. ये लड़कियां सुंदर और आकर्षक होती हैं. ऐसे में इन के साथ इश्क करने वाले कम नहीं होते हैं.

कई बार बहुत सी लड़कियां इश्क में पड़ भी जाती हैं, पर जब बात शादी की आती है, तो तमाम तरह की परेशानियां खड़ी हो जाती हैं. पर जो लड़केलड़कियां अपने पैरों पर खड़े होते हैं, वे अपने हक में फैसले कर लेते हैं.

निशा ओबीसी समाज से थी. गैरधर्म के अकील के साथ उस का इश्क हुआ. दोनों 12वीं क्लास के बाद आगे की पढ़ाई के लिए शहर चले गए. वहां उन को अच्छी नौकरी मिल गई. 2 साल के बाद उन दोनों ने शादी करने का फैसला लिया.

उन दोनों के घर वालों को जब इस बात का पता चला, तो वहां विरोध शुरू हो गया. निशा और अकील ने अपनेअपने घर वालों को समझने की लाख कोशिश की, पर कोई भी तैयार नहीं हुआ. लिहाजा, उन्होंने स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत कोर्ट में शादी कर ली.

जो प्यार करने वाले जाति और धर्म को छोड़ कर इश्क की खुमारी देखते हैं, वे कामयाब होते हैं. कानून ने इस तरह के लोगों को सुरक्षा दे रखी है. जरूरत इस बात की है कि प्यार करने वाले अपने इश्क की खुमारी को पहचानें और एकदूसरे पर भरोसा रखें.

हां, यह बात जरूर है कि जब लड़कालड़की दोनों अपने पैरों पर खड़े होते हैं, तो किसी भी तरह की लड़ाई लड़ने में कामयाब हो जाते हैं. पर जब वे घरपरिवार के भरोसे रहते हैं, तो उन की शादी मुश्किल हो जाती है. लिहाजा, जाति और धर्म का कट्टरपन खत्म करने के लिए इश्क की खुमारी जरूरी है.

Winter Romance Special: सर्दी में रात का इश्क

राज और मोहिनी की हाल ही में शादी हुई थी. पर जब से जाड़े ने जोर पकड़ना शुरू किया था, इन दोनों की सैक्स लाइफ ठंडी पड़ने लगी थी. राज को लगता था कि मोहिनी बिस्तर पर बर्फ की सिल्ली की तरह पड़ जाती है और कितना ही जोर लगा लो, गरम ही नहीं हो पाती है. उसे बड़ी कोफ्त होती थी.

उधर मोहिनी की दिक्कत यह है कि उसे ठंड बहुत ज्यादा लगती है और वह बिस्तर पर बिना गरम कपड़ों के नहीं रह सकती है. ठंड में सैक्स करने के नाम से ही उसे कंपकंपी छूट जाती है.

उत्तर भारत में जब गुलाबी जाड़े की दस्तक होती है, तभी शादियों का सीजन भी शुरू हो जाता है. गुलाबी जाड़े में गुलाबी इश्क, यह मेल कमाल का होता है. पर एक सच यह भी है कि सर्दी में हमारी सैक्स की इच्छा भी कम हो जाती है. यह सुन कर हैरानी होती है न? बिस्तर पर रजाई हो और पहलू में सैक्स पार्टनर, तो फिर यह इच्छा अचानक क्यों सिकुड़ जाती है?

दरअसल, मोहिनी की तरह बहुत से जोड़ों की यह शिकायत रहती है कि सर्दी के मौसम में वे काफी रूखे और सूखे हो जाते हैं. साथ ही, सर्दी में विटामिन डी का लैवल भी कम होता है, जो शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी होता है. इस की कमी के चलते लोग अपने मूड में सब से खराब बदलाव महसूस करते हैं. दिन छोटे और रातें बड़ी हो जाती हैं. जल्दी अंधेरा होने की वजह से लोग और भी ज्यादा बुरा महसूस करते हैं. पर साथ ही यह भी याद रखिए कि भले ही सर्दी में सैक्स के प्रति दिलचस्पी कम हो जाती है, लेकिन इस मौसम में मर्दों में टैस्टोस्टैरोन का लैवल हाई होता है, जिस में स्पर्म की तादाद ज्यादा होती है. वहीं, औरतों में भी ज्यादा फर्टिलिटी होती है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है. सर्दी में रात का इश्क भी गरमागरम हो सकता है, बस थोड़े से सब्र और नए उपाय करने की जरूरत होती है.

सर्दी में इश्क का मजा लेना हो, तो अपने काम से कुछ दिन की छुट्टी ले लें और अपने पार्टनर के साथ कहीं घूमने चले जाएं. दिन में बाइक पर सट कर बैठते हुए एकदूसरे के अंगों की गरमाहट लें और रात को कमरे में बेबाक हो कर एकदूसरे में समा जाएं.

यकीन मानिए, काम के बोझ से हलका आप का मन तन को इतनी ज्यादा गरमाहट से भर देगा कि बिस्तर पर आप दोनों बिना कपड़ों के भी हीटर की तरह सुलग रहे होंगे.

एक काम और जरूर करें. बिस्तर पर अपनी सैक्स पोजीशन और किस अंग को छूने से आप की गरमाहट बढ़ती है, इस पर खुल कर बात करें. एकदूसरे के शरीर को बेशर्म हो कर देखें, चूमें और सहलाएं. रात के कालेपन और सर्दी की ठिठुरन को भूल कर एकदूसरे के शरीर की गरमी को महसूस करें.

अगर कमरे के अंधेरे से दिक्कत है, तो बल्ब की रोशनी के बजाय मोमबत्ती की हलकी रोशनी कर लें. जलते मोम की गंध आप के शरीर के पसीने की गंध को और ज्यादा महका देगी और आप दोनों के रिश्ते में एक अलग तरह की रोमानियत ले आएगी.

सर्दी में कमरे के भीतर आप अपने पार्टनर की मालिश कर सकते हैं. यह नुसखा प्यार बढ़ाने के लिए अचूक माना जाता है. इस से शरीर की गरमी तो बढ़ती ही है, साथ ही खून का दौरा भी तेज हो जाता है.

मालिश करते हुए एकदूसरे के नाजुक अंगों से भी खूब खेलें और जोश को बढ़ा दें. यह एक तरह का फोरप्ले होता है, जो दोनों पार्टनर को जिस्मानी रिश्ता बनाने के लिए तैयार कर देता है. पर इस के लिए जरूरी है कि आप साफसुथरे हों, इत्र वगैरह लगाया हो, ब्रश किया हो और नाखून भी ट्रिम किए हुए हों, ताकि मालिश के दौरान जोश में शरीर नोचने पर चोट न लगे.

अगर इस सब के बावजूद जाड़े में रात को कमरा ठंडा लगता है, तो ब्लोअर या हीटर ले आएं और उस की आंच पर अपने इश्क की खीर पकाएं.

Winter Romance Special: शरीर खुशबूदार तो गहरा प्यार

आजकल आशिक और माशूक एकदूसरे को तोहफे में जो सब से ज्यादा आइटम देते हैं, वह परफ्यूम या डिओ होता है. तय है कि इस के पीछे मंशा यह रहती है कि हमारा प्यार हमेशा यों ही महकता रहे. इस सोच को एक शायर ने अपने एक शेर में कुछ ऐसे कहा है :

‘सुबह उठते ही तेरे जिस्म की खुशबू आई, शायद रातभर तू ने मुझे ख्वाब में देखा है.’

परफ्यूम या डिओ ऐसा गिफ्ट है, जो सभी के बजट में रहता है और इसे सहूलियत से रखा जा सकता है. आजकल हर कोई परफ्यूम और डिओ का इस्तेमाल करता है और प्यार करने वाले तो कुछ ज्यादा ही करते हैं, खासतौर से डेट पर जाते वक्त. अगर उन के पास एक से ज्यादा खुशबू वाले परफ्यूम हों, तो वे बहुत सारा समय यही सोचने में लगा देते हैं कि आज कौन सा परफ्यूम लगाया जाए कि पार्टनर उस के लिए और दीवाना हो जाए.

एक इश्तिहार में बड़े दिलचस्प तरीके से इसे दिखाया भी गया है कि कोई जवां मर्द एक खास किस्म का परफ्यूम लगा कर निकलता है, तो लड़की उस की खुशबू सूंघते हुए उस के पीछेपीछे पतंग सी खिंची चली आती है.

प्यार में खुशबू की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि ज्यादातर फिल्मों में जब आशिक और माशूक एकदूसरे से लिपटते हैं, तो आशिक माशूका के बालों और गरदन को सूंघता दिखता है.

हकीकत इस से जुदा नहीं होती. आशिक और माशूक एकदूसरे के गले लगें या न लगें, लेकिन नजदीक होने पर ही बदन से उठती खुशबू में डूबने और इतराने से खुद को रोक नहीं पाते हैं और फिर जुदा होने के बाद तनहाई में गुनगुनाते हैं :

‘खुशबू तेरे जिस्म की मेरे इत्र की किताब है, वफा न सही मुझ को दर्द ए हिज्र का खिताब है.’

खुशबू से महकता प्यार

कुदरती तौर पर हरेक जिस्म की अपनी एक अलग गंध होती है. वैज्ञानिक और माहिर भले ही इसे हार्मोन से जोड़ते रहें, लेकिन एक दफा जो इस गंध में बंध गया, वह फिर खुद इस से आजाद नहीं होना चाहता. इसी गंध में जब चंदन, केसर, गुलाब, मोगरा या कोई दूसरी परंपरागत या फिर नई खुशबू मिला ली जाती है, तो चाहने वालों के लिए तो वह जायदाद जैसी हो जाती है.

पार्टनर के शरीर से उठती खुशबू कब प्यार की पहचान बन जाती है, इस का तो सालोंसाल पता ही नहीं चलता. इसी खुशबू में डूबतेइतराते प्यार इतना गहराता जाता है कि एकदूसरे के बगैर रहना और जीना भी सजा लगने लगता है.

विदिशा के नजदीक एक गांव का नौजवान अमित (बदला नाम) अग्निवीर बन कर सेना में शामिल हुआ, तो उसे पहली तैनाती जम्मूकश्मीर में मिली. नौकरी पर जाने से पहले उस की माशूका सीमा (बदला नाम) ने उसे एक महंगा परफ्यूम तोहफे में यह कहते हुए दिया था कि ‘इस की खुशबू तुम्हें मेरी याद दिलाती रहेगी’.

ट्रेनिंग के दौरान अमित ने जब भी वह परफ्यूम लगाया, तो सचमुच उसे लगता था कि सीमा आसपास ही कहीं है और इसी खुशबू के साथ महक रही है.

सीमा चोरीछिपे अमित से मोबाइल के जरीए बात करती थी, तो अमित उसे बताता था कि ‘तुम्हारी दी गई खुशबू दिनरात महकती रहती है. सुहागरात में भी तुम मुझे यही परफ्यूम गिफ्ट में देना’.

इन दोनों का शादी करने का सपना पूरा होने में अब कोई अड़ंगा नहीं है, बस इन्हें पूरे दमखम और भरोसे के साथ घर वालों को अपनी इच्छा बताना भर है. वे मान जाएं तो ठीक, नहीं तो किसी के रोकने से अब ये रुकने वाले भी नहीं.

सीमा की मुहब्बत में डूबे अमित को भी एक दिन शायरी का रोग लग ही गया, तो उस ने माशूका को ह्वाट्सएप पर दिल से निकला यह मैसेज भेजा :

‘कभी आग तो कभी शोला बन कर दहकती है, तेरे प्यार की खुशबू सरहद पर यों महकती है.’

ऐसे करें इस्तेमाल

वह खुशबू ही है, जो प्रेमियों को नजदीक लाती है. अहम बात यह कि इस का सलीके से इस्तेमाल करना है. जब अपने पार्टनर से मिलें, तो ध्यान रखें कि खुशबू बहुत तीखी न हो. भीनीभीनी खुशबू हर किसी को भाती है. बालों को शैंपू करने के बाद बहुत सारा तेल सिर में उड़ेलना कतई जरूरी नहीं. किसी अच्छे तेल को बालों में कम से कम लगाना ही काफी रहता है. चेहरे और गरदन पर ब्रांडेड कोल्ड क्रीम सर्दियों में अच्छी रहती है और उस के ऊपर हलका सा कोई टैलकम पाउडर लगा लें, तो चेहरा खिल उठता है.

अब बारी आती है परफ्यूम या डिओ की, तो वह अपने पार्टनर की पसंद का स्प्रे करें. अगर उस की कोई खास पसंद न हो तो लड़कियों के लिए चंदन, मोगरा और गुलाब की खुशबू वाले परफ्यूम अच्छे रहते हैं.

इस के उलट लड़कों को चौकलेट फ्लेवर के परफ्यूम ज्यादा पसंद आते हैं. पहली डेट पर ज्यादातर लड़के चौकलेट खुशबू का परफ्यूम लगा कर जाते हैं. इस के पीछे माहिरों का कहना है कि लड़कियां चौकलेट पसंद करती हैं और इस की तरफ जल्दी खिंचती भी हैं.

भोपाल की मनीषा मार्केट के एक कैमिस्ट अनिल ललवानी बताते हैं, ‘‘परफ्यूम तो परफ्यूम लड़के डेट पर जाने के लिए कंडोम भी चौकलेट फ्लेवर का ज्यादा लेते हैं. चौकलेट के बाद लड़कों की दूसरी पसंद फूलों की खुशबू वाले परफ्यूम होते हैं.

‘‘आजकल अलकोहल की गंध वाले परफ्यूम भी लड़के पसंद कर रहे हैं. लड़कियों को इंप्रैस करने के लिए चौथे नंबर पर फलों की खुशबू वाले परफ्यूम लड़के ज्यादा लगाते हैं.’’

डेट पर जाने से पहले खुशबूदार साबुन से नहाना चाहिए, ताकि शरीर की बदबू भाग जाए. इस के बाद पूरे शरीर पर टैलकम पाउडर लगाना चाहिए. आजकल सभी कंपनियां तकरीबन सभी खुशबुओं वाले टैलकम पाउडर बना रही हैं. सर्दियों में यों तो कोई भी खुशबू चल जाती है, क्योंकि पसीना कम आता है. थोड़ा सा चंदन वाला पाउडर लंबे समय तक महकता रहता है.

प्यार में हों, डेट पर हों या उस से भी ज्यादा कुछ होना हो, जरूरी है कि पूरा शरीर महकता रहे. एक अहम बात जिस पर अकसर प्यार करने वाले ध्यान नहीं दे पाते, वह मुंह से आती बदबू है, जिसे दूर करने के लिए ब्रश करने के बाद इलायची या माउथ फ्रैशनर जरूर इस्तेमाल करना चाहिए.

पूरा शरीर खुशबू से तर हो, लेकिन जैसे ही किस करने की बारी आए, तो मुंह की बदबू मामला खराब कर देती है, इसलिए इस का भी ध्यान रखना चाहिए, तभी तो प्यार की गहराइयों में उतरने का सही लुत्फ आएगा और जेहन में तकरीबन 45 साल पहले आई फिल्म ‘बदलते रिश्ते’ का ऋषि कपूर, जितेंद्र और रीना राय पर फिल्माया गया यह रोमांटिक गाना गूंज उठेगा :

‘मेरी सांसों को जो महका रही है ये पहले प्यार की खुशबू तेरी सांसों से शायद आ रही है.’

Winter Romance Special: इश्क दोगुना करे एक चाय दो जोड़े होंठ

गांवदेहात में सर्दियों के बारे में एक कहावत बहुत ही मशहूर है कि ‘जाड़ा जाए रूई या दुई’. इस का मतलब है कि सर्दियों को भगाने में 2 चीजें ही काम आती हैं, एक रूई यानी रजाई और दूसरी दुई यानी 2 लोग. जब यही 2 लोग रजाई में बैठ कर गरमागरम चाय की चुसकी लेंगे, तो सर्दियां छूमंतर हो जाएंगी. कई बार प्यार करने वाले 2 लोग एक ही कप में जब चाय पीते हैं, तो चाय के स्वाद के साथसाथ एकदूसरे के होंठों की तपिश का भी अहसास होता है.

आज गांवदेहात में भी जिंदगी जीने का ढर्रा बदल रहा है. अब वह जमाना नहीं है, जैसे पहले पति अपनी पत्नी के कमरे में सोने के लिए रात को चोरीछिपे जाता था कि घर के बड़ेबूढ़े देख न लें. गांवदेहात में भी एकल परिवार हो रहे हैं. पतिपत्नी आजादी के साथ अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. ऐसे में रोमांस करने का समय और जगह दोनों ही उन के पास होते हैं.

गांवदेहात में पहले पतिपत्नी की जिंदगी में रोमांस की ज्यादा जगह नहीं होती थी. वे केवल सैक्स करते थे, जिस से बच्चे पैदा हों और घरपरिवार व वंश आगे बढ़ सके.

अब तो गांवदेहात में भी पतिपत्नी रोमांस कर रहे हैं. वे ऐसे मौकों की तलाश में रहते हैं, जहां रोमांस किया जा सके. घरों में टैलीविजन और हाथ में मोबाइल फोन है, जिस में वे रोमांस करने के तरीके देखते रहते हैं खासकर जब से सोशल मीडिया पर रील बनाने का शौक चढ़ा है, तब से गांव में रहने वाले जोड़ों का रोमांस सिर चढ़ कर बोल रहा है.

अब बात ‘एक चाय दो जोड़े होंठ’ से आगे तक पहुंच गई है. इस बार नया ट्रैंड देखने को मिल सकता है. इस में और मजा लेने की चाह में चाय एक पीता है. वह चाय को अपने मुंह में भर लेता है. इस के बाद वह अपने पार्टनर को किस करते हुए उस के होंठों को अपने होंठों से खोलता है.

इस के बाद अपने मुंह में भरी चाय उस के मुंह में छोड़ता है. वह पार्टनर भी बड़ी आसानी से उस चाय को पी लेता है. इस तरह से देखें, तो होंठ एक, चाय एक और पीने वाले 2 हैं. आपस में प्यार बढ़ाने का यह अच्छा तरीका है.

अदरक वाली कड़क चाय

इस सर्दी में सोशल मीडिया पर रील में यह नया ट्रैंड हो सकता है. कई जोड़े जो पतिपत्नी नहीं हैं, वह इस का प्रयोग तो करते हैं, बस इस का प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं.

चाय सर्दियों लोग में सब से ज्यादा पीया जाने वाला पदार्थ है. अब गांवदेहात में भी दूध का इस्तेमाल उतना नहीं होता जितना चाय का होता है. कुछ लोग दूध वाली चाय पीते हैं, तो कुछ मलाई वाली चाय पीते हैं.

गांवदेहात में ग्रीन टी, काली चाय और नीबू वाली चाय का इस्तेमाल कम होता है. शहरों में भले ही गुड़ वाली चाय पीने का ट्रैंड हो, पर गांव में चीनी वाली चाय ही लोग पीते हैं.

सर्दियों में लोग अलगअलग जगहों पर अलगअलग तरह की चाय पीते हैं. मैदानी इलाकों में अदरक वाली चाय सब से ज्यादा पसंद की जाती है. कश्मीर में कहवा पीते हैं. चाय की मिठास तब और बढ़ जाती है, जब चाय के ऊपर भरपूर मलाई पड़ी हो.

सर्दियों में अदरक वाली चाय पीने का अलग ही मजा होता है. ठंड के मौसम में अदरक की चाय गले से नीचे उतरती है, तो सारी सर्दी दूर भाग जाती है. अदरक का सेवन करना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है.

सर्दियों में बाहर ठंडी हवा और हाथ में एक प्याली गरम चाय और साथ में चाय पीने वाली हो, तो मूड को बदलते देर नहीं लगती है.

भारतीय लोगों में चाय पीना एक परंपरा की तरह है. गांव से ले कर शहर तक में लोग तरहतरह की चाय पीना पसंद करते हैं. साधारण चाय के अलावा तुलसी, अदरक, इलायची, मसाला, लौंग, शहद, मुलेठी, सौंफ वाली चाय ज्यादा पसंद की जाती है.

चाय को ले कर रोमांस भी फिल्मी गानों में दिखता है. इन में से एक गाना बहुत मशहूर हुआ था ‘गरम चाय की प्याली हो, उस को पिलाने वाली हो. चाहे गोरी हो या काली हो…’ मतलब, चाय के साथ सर्दियों का रोमांस और भी परवान चढ़ता है.

सेहत के लिए फायदेमंद

सर्दियों में चाय का पीना अच्छा होता है. सुबह दूध और पत्ती वाली चाय की जगह अगर मसाले वाली चाय पी जाए, तो सेहत को फायदा मिलता है. सर्दी से मुकाबले के लिए चाय की चुसकी जरूरी होती है. मसाले और जड़ीबूटियां मिलाने से काफी फायदा पहुंच सकता है.

दूध वाली चाय की जगह अगर आप सुबह एक कप गरम मसालेदार चाय पीएंगे, तो हड्डियों को जकड़ने वाली ठंड में आप के शरीर को गरमाहट मिल सकती है.

इस के लिए पानी में दालचीनी, लौंग, इलायची, जायफल, केसर, अदरक जैसे मसाले मिला कर उसे उबालना और पीना चाहिए. मिठास के लिए चीनी की जगह शहद भी मिला सकते हैं. मसाले शरीर को अच्छी गरमी देते हैं.

चाय में जायफल, दालचीनी, इलायची या सोंठ जैसे मसाले और जड़ीबूटियां मिलाने से शरीर को ताकत मिलती है. फ्लू, बुखार, मौसमी एलर्जी के खिलाफ लड़ने की ताकत मिलती है. मसालों में एंटीऔक्सीडैंट्स की मौजूदगी बीमारी से लड़ने की ताकत बढ़ाने में मदद करती है.

चाय में मसाले मिला कर पीने से न सिर्फ इस की मोहक सुगंध से ऊर्जा मिलती है, बल्कि साथ ही बिना चाय पत्ती की इस चाय में कैफीन नहीं होता, जो इसे पाचन के लिए बहुत अच्छा बनाता है. सौंफ, लौंग, दालचीनी और जायफल जैसे मसाले वजन घटाने में तेजी ला सकते हैं.

इस के अलावा मसाले और कई तरह की जड़ीबूटियां भी दिल की सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं. हलदी और लौंग जैसे मसाले एंटीइंफ्लेमैटरी गुणों से भरपूर होते हैं, जो शरीर में सूजन से लड़ते हैं, घाव और चोट को भरते हैं.

इस तरह से देखें, तो चाय बहुत ही गुणकारी है. जब 2 लोग एकसाथ रोमांस करते हुए चाय पीते हैं, तो डिप्रैशन जैसी चीजों की जगह प्यार, रोमांस और सैक्स की भावना बढ़ती है, जिस से मन खुश और तन दुरुस्त रहता है.

ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर : जब पार्टनर को हो जाए सैक्स मेनिया

Sex News in Hindi: अल कायदा (Al Qaeda) के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन (Osama bin Laden)  की सब से बड़ी पत्नी ने दावा किया है कि ओसामा की सब से छोटी पत्नी चौबीसों घंटों सैक्स करना चाहती थी. द सन के अनुसार खैरियाह ने कहा कि अमल हमेशा ओसामा के साथ सोने के लिए झगड़ा करती थी. मुझे ओसामा के पास नहीं जाने देती थी.अमेरिका (America) ने भी सैक्स की लत (Sex Menia) को 2012 में मानसिक विकृति करार दिया और इस काम को लास एंजिल्स की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी (California University) के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है. भारत में यह समस्या अभी शुरुआती दौर में है. लेकिन एक ओर मीडिया और इंटरनैट पर मौजूद तमाम उत्तेजना फैलाने वाली सामग्री की मौजूदगी तो दूसरी ओर यौन जागरूकता (Sex Education) और उपचार की कमी के चलते वह दिन दूर नहीं जब सैक्स की लत महामारी बन कर खड़ी होगी.

क्या आप को फिल्म ‘सात खून माफ’ के इरफान खान का किरदार याद है या फिर फिल्म ‘मर्डर-2’ देखी है? फिल्म ‘सात खून माफ’ में इरफान ने ऐसे शायर का किरदार निभाया है, जो सैक्स के समय बहुत हिंसक हो जाता है. इसी तरह ‘मर्डर-2’ में फिल्म का खलनायक भी मानसिक रोग से पीडि़त होता है. फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में भी नाना पाटेकर प्रौब्लमैटिक बिहेवियर से पीड़ित होता है. इसे न सिर्फ सैक्सुअल बीमारी के रूप में देखना चाहिए, बल्कि यह गंभीर मानसिक रोग भी हो सकता है.

सैक्सोलौजिस्ट डाक्टर बीर सिंह, डाक्टर एम.के. मजूमदार और मनोचिकित्सक डाक्टर स्मिता देशपांडे से बातचीत के आधार पर जानें कि सैक्सुअल मानसिक रोग कैसेकैसे होते हैं:

ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर

फैटिशिज्म: इस में व्यक्ति उन वस्तुओं के प्रति क्रेजी हो जाता है, जो उस की सैक्स इच्छा को पूरा करती हैं. इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति अपने पासपड़ोस की महिलाओं के अंडरगारमैंट्स चुरा कर रात को पहनता है. कभीकभी ऐसे लोग महिलाओं पर बेवजह हमला भी कर देते हैं या फिर उन्हें छिप कर देखते हैं.

सैक्स फैरामोन: सैक्स फैरामोन यानी गंध कामुकता से पीड़ित व्यक्ति काफी खतरनाक होता है. ऐसा व्यक्ति स्त्री की डेट की गंध से उत्तेजित हो जाता है. ऐसे में कोई भी स्त्री, जिस की देह की गंध से वह उत्तेजित हुआ हो, उस का शिकार बन सकती है. वह उस स्त्री को हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकता है.

सैक्सुअली प्रौब्लमैटिक बिहेवियर: सैक्स से पहले पार्टनर को टौर्चर करने के मनोविकार को प्रौब्लमैटिक बिहेवियर भी कहते हैं, जिसे नाना पाटेकर की फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में दिखाया गया है. महिला की आंखों पर पट्टी बांधना, उस के हाथपैर बांधना, उसे काटना, बैल्ट या चाबुक से मारना, दांत से काटना, सूई चुभोना, सिगरेट से जलाना, न्यूड घुमाना, चुंबन इतनी जोर से लेना कि दम घुटने लगे, हाथों को बांध कर पूरे शरीर को नियंत्रण में लेना और फिर जो जी चाहे करना. इस तरह के कई और हिंसात्मक तरीके होते हैं, जिन्हें ऐसे पुरुष यौन क्रिया से पहले पार्टनर के साथ करते हैं.

निम्फोमैनिया: निम्फोमैनिया काफी कौमन डिजीज है. इस की पेशैंट केवल फीमेल्स ही होती हैं. उन में डिसबैलेंस्ड हारमोंस की वजह से हाइपर सैक्सुअलिटी हो जाती है. फीमेल्स के सैक्सुअली ज्यादा ऐक्टिव हो जाने की वजह से उन्हें मेल्स का साथ ज्यादा अच्छा लगने लगता है. ऐसी लड़कियों में मेल्स को अपनी तरफ अट्रैक्ट करने की चाह काफी बढ़ जाती है. वे ऐसी हरकतें करने लगती हैं, जिन से लड़के उन की तरफ अट्रैक्ट हों. ऐसा न होने पर उन्हें डिप्रैशन की प्रौब्लम भी हो जाती है.

पीड़ा रति नामक काम विकृति: इस बीमारी में व्यक्ति संबंध बनाने से पहले महिला को बुरी तरह पीटता है. यौनांग को बुरी तरह नोचता है. पूरे शरीर में नाखूनों से घाव बना देता है. पीड़ा रति से ग्रस्त पुरुष अपने साथी को पीड़ा पहुंचा कर यौन संतुष्टि अनुभव करता है. ऐसी अनेक महिलाएं हैं, जिन्हें शादी के बाद पता चलता है कि उन के पति इस तरह के किसी ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें जल्द से जल्द किसी मनोचिकित्सक या सैक्सोलौजिस्ट के पास ले जाना जरूरी हो जाता है. अगर इलाज के बाद भी पुरुष सही न हो, तो किसी वकील से मिल कर आप परामर्श ले सकती हैं कि ऐसे व्यक्ति के साथ पूरी जिंदगी बिताना सही है या फिर इस रिश्ते को खत्म कर लेना.

वैवाहिक बलात्कार: सुनने में अटपटा सा लगता है कि क्या विवाह के बाद पति बलात्कार कर सकता है. लेकिन यह सच है कि कुछ महिलाओं को अपने जीवन में इस त्रासदी से गुजरना पड़ता है. इस प्रकार के पति हीनभावना के शिकार होते हैं. उन्हें सिर्फ अपनी सैक्स संतुष्टि से मतलब होता है. अपने साथी की भावनाएं उन के लिए कोई माने नहीं रखतीं. हमारे हिंदू विवाह अधिनियम के तहत इस तरह पत्नी की इच्छा व सहमति की परवाह किए बिना पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाना यौन शोषण व बलात्कार की श्रेणी में आता है.

आमतौर पर शराब के नशे में पति इस तरह के अपराध करते हैं. शराब के नशे में वे न केवल पत्नी का यौनशोषण करते हैं वरन उन से मारपीट भी करते हैं. यह कानूनन अपराध है. वैसे पति द्वारा पत्नी पर किए गए बलात्कार के लिए हमारे हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 375 और 379 के तहत पत्नियों को कई अधिकार प्राप्त हैं. वे कानूनी तौर पर पति से तलाक भी ले सकती हैं.

पीडोफीलिया: पीडोफीलिया यानी बाल रति पीडोफीलिया से पीडि़त पुरुष छोटे बच्चे के साथ यौन संबंध बना कर काम संतुष्टि पाते हैं. वे बच्चों के साथ जबरदस्ती करने के बाद पहचान छिपाने के लिए बच्चे की हत्या तक कर डालते हैं. पीडोफीलिया से पीडि़त व्यक्ति में यह भ्रांति होती है कि बच्चे के साथ यौन संबंध बनाने पर उस की यौन शक्ति हमेशा बनी रहेगी. ऐसे व्यक्ति अधिकतर 14 साल से कम उम्र के बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं.

सैक्स मेनिया: इस से ग्रस्त व्यक्ति के मन में हर समय सैक्स करने की इच्छा रहती है. वह दिनरात उसी के बारे में सोचता है. फिर चाहे वह औफिस में काम कर रहा हो या फिर दोस्तों के साथ पार्टी में हो, उसे हर वक्त सैक्स का ही खयाल रहता है. वह अपने सामने से गुजरने वाली हर महिला को उसी नजर से देखता है. यह एक प्रकार का मानसिक रोग होता है, जिस में व्यक्ति के मन में सैक्स की इच्छा इस कदर प्रबल हो जाती है कि वह पहले अपनी पत्नी को बारबार सैक्स करने के लिए कहता है और फिर बाहर अन्य महिलाओं से भी संबंध बनाने की कोशिश करता है. एक पार्टनर से उस का काम नहीं चलता है. उसे अलगअलग पार्टनर के साथ सैक्स करने में आनंद आता है.

इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का कौन्फिडैंस इस हद तक बढ़ जाता है कि उसे लगता है कि उस के लिए कुछ भी असंभव नहीं है. जो भी वह चाहता है उसे पा सकता है. अपने इसी जनून के चलते कई बार वह अपना अच्छाबुरा सोचनेसमझने की शक्ति भी खो देता है और फिर कोई अपराध कर बैठता है. उसे उस का पछतावा भी नहीं होता, क्योंकि ऐसा कर के उस के दिल और दिमाग को अजीब सी संतुष्टि मिलती है, जो उसे सुकून देती है.

सैक्स फोबिया: यह सैक्स से जुड़ी एक समस्या है. जिस तरह सैक्स मेनिया में व्यक्ति के मन में सैक्स को ले कर कुछ ज्यादा ही इच्छा होती है उसी तरह कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सैक्स में कोई रुचि नहीं होती. जब ऐसी अलगअलग प्रवृत्ति के 2 लोग आपस में वैवाहिक संबंध में बंधते हैं, तो सैक्स के बारे में अलगअलग नजरिया रखने के कारण सैक्स की प्रक्रिया और मर्यादा को ले कर उन में विवाद शुरू होता है और दोनों में से कोई भी इस बात को नहीं समझ पाता कि सैक्स मेनिया और सैक्स फोबिया, मानव मस्तिष्क में उठने वाली सैक्स को ले कर 2 अलगअलग प्रवृत्तियां हैं. दोनों के ही होने के कुछ कारण होते हैं और थोड़े से प्रयास और मनोचिकित्सक की सलाह के साथ इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.

पीपिंग: पीपिंग का मतलब है चोरीछिपे संभोगरत जोड़ों को देखना और फिर उसी से यौन संतुष्टि प्राप्त करना. संभोगरत अवस्था में किसी को देखने से रोमांच की स्वाभाविक अनुभूति होती है. हेवलाक एलिस ने अपनी पुस्तक ‘साइकोलौजी औफ सैक्स’ में लिखा है कि संभ्रांत लोग अपनी जवानी के दिनों में दूसरी औरतों को सैक्स करते हुए देखने के लिए उन के कमरों में ताकाझांकी करते थे. यही नहीं सम्मानित मानी जाने वाली औरतें भी परपुरुष के शयनकक्षों में झांकने की कोशिश किया करती थीं. अगर आदत हद से ज्यादा बढ़ जाए तो एक गंभीर मानसिक रोग के रूप में सामने आती है.

ऐग्जिबिशनिज्म: इस डिसऔर्डर से पीडि़त व्यक्ति अपने गुप्तांग को किसी महिला या बच्चे को जबरदस्ती दिखाता है. इस से उसे खुशी और संतुष्टि मिलती है. ऐसे लोग दूसरों को अप्रत्यक्ष रूप से हानि पहुंचाना चाहते हैं. हमारे देश में किसी को इस तरह तंग करना कानूनन अपराध है. ऐसा करने वालों को निश्चित अवधि की कैद और जुर्माना देना पड़ सकता है.

फ्रोट्यूरिज्म: इस सैक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त व्यक्ति किसी से भी संबंध बनाने से पहले अपने गुप्तांग को रगड़ता या दबाता है. यह डिसऔर्डर ज्यादातर नपुंसकों में पाया जाता है.

बेस्टियलिटि: इस में व्यक्ति के ऊपर सैक्स इतना हावी हो जाता है कि वह किसी के साथ भी सैक्स करने में नहीं झिझकता. ऐसे में वह ज्यादातर असहाय लोगों या जानवरों का उत्पीड़न करता है.

सैडीज्म ऐंड मैसेकिज्म: इस से पीडि़त व्यक्ति ज्यादातर समय फैंटेसी करता रहता है. ऐसे लोग सैक्स के समय अपने पार्टनर को नुकसान भी पहुंचाते हैं.

ऐक्सैसिव डिजायर: अगर किसी शादीशुदा पुरुष का मन अपनी पत्नी के अलावा अन्य महिलाओं के साथ भी शारीरिक संबंध बनाने को करे तो वह एक डिसऔर्डर से पीडि़त होता है.

सैक्स ऐडिक्शन: सैक्स ऐडिक्शन एक प्रकार की लत है, जिस में पीड़ित व्यक्ति को हर जगह दिन और रात सैक्स ही सूझता है. ऐसे लोग अपना ज्यादातर समय सैक्स संबंधी प्रवृत्तियों में बिताने की कोशिश करते हैं. जैसे कि पोर्न वैबसाइट देखना, सैक्स चैट करना, पोर्न सीडी, अश्लील एमएमएस देखना. एक सैक्स ऐडिक्ट की सैक्स इच्छा बेकाबू होती है. उस की प्यास कभी पूरी तरह नहीं बुझती. ऐसे लोग समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं. वे बच्चों, बुजुर्गों या जानवरों के साथ सैक्स कर सकते हैं.

ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर के कारण

वैज्ञानिक, मनोचिकित्सक ऐबनौर्मल सैक्सुअल बिहेवियर के उत्पन्न होने के बारे में अभी तक सहीसही कारणों का पता नहीं लगा पाए हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि मस्तिष्क में स्थित न्यूरोट्रांसमीटर में किसी प्रकार की खराबी, मस्तिष्क की रासायनिक कोशिकाओं में गड़बड़ी, जींस की विकृति आदि कारणों की वजह से व्यक्ति ऐबनौर्मल सैक्सुअल बिहेवियर से पीड़ित हो जाता है. अगर हम बात करें सैक्स ऐडिक्शन की तो कुछ वैज्ञानिक ऐसा भी मानते हैं कि 80 प्रतिशत सैक्स ऐडिक्ट लोगों के मातापिता भी जीवन में अकसर सैक्स ऐडिक्ट रहे होंगे. ऐसा भी माना जाता है कि अकसर ऐसे लोगों में सैक्सुअल ऐब्यूज की हिस्ट्री होती है यानी ज्यादातर ऐसे लोगों का कभी न कभी यौन शोषण हो चुका होता है. इस के अलावा जिन परिवारों में मानसिक और भावनात्मक रूप से लोग बिखरे हुए हों, ऐसे परिवारों के लोगों के भी सैक्स ऐडिक्ट होने की आशंका रहती है.

इस तरह के डिसऔर्डर की कई वजहें हो सकती हैं. जिन लोगों की उम्र 60 साल से ज्यादा होती है वे भी इस का शिकार हो सकते हैं. दूषित वातावरण, गलत सोहबत, अश्लील पुस्तकों का अध्ययन, ब्लू फिल्में अधिक देखने आदि की वजह से व्यक्ति ऐसी काम विकृति से पीडि़त हो जाते हैं. विवाह के बाद जब पत्नी को अपने पति के काम विकृत स्वभाव के बारे में पता चलता है तब उस की स्थिति काफी परेशानी वाली हो जाती है.

डिसऔर्डर को दूर करने के उपाय

अगर शादी के बाद पत्नी को पता चले कि उस का पति किसी ऐसे ही रोग से पीड़ित है, तो उसे संयम से काम लेना चाहिए. ऐसे पति पर गुस्सा करने, उस के बारे में ऊलजलूल बकने, यौन इच्छा शांत न करने देने, ताना देने आदि से गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है. ऐसे पति तुरंत किसी तरह का गलत निर्णय भी ले सकते हैं. यहां तक कि हत्या या आत्महत्या का निर्णय भी ले लेते हैं.

काम विकृति से पीड़ित पति को प्यार से समझाएं. सामान्य संबंध बनाने को कहें. जब पति न माने तब अपनी भाभी या सास को इस की जानकारी दें.

ऐसे लोगों का मनोचिकित्सक से इलाज कराया जा सकता है. इन में सब से पहले मरीज की काउंसलिंग की जाती है, जिस से पता लगाया जाता है कि मरीज बीमारी से कितना ग्रस्त है. उस के बाद उसे दवा दी जाती है.

वक्त रहते डाक्टर से परामर्श किया जाए तो इस तरह के डिसऔर्डर ठीक हो जाते हैं. लेकिन यह परेशानी ठीक नहीं हो रही और पति मानसिक व शारीरिक पीड़ा पहुंचाता है तो ऐसे व्यक्ति से तलाक ले कर अपनी जिंदगी को एक नई दिशा देने के बारे में सोच सकती हैं.

कंडोम से सैक्स को मजेदार बनाएं : डॉक्टरी पर्ची की जरूरत नहीं

Sex News in Hindi: सुरेश को अपनी एक साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाना भारी पड़ेगा, यह उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. दरअसल, उस साथी से सैक्स संबंध बनाते समय सुरेश ने कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया था. कुछ दिनों बाद सुरेश को अपने अंग में जलन सी महसूस होने लगी. छोटेछोटे दाने भी निकल आए. डाक्टर ने बताया कि यह असुरक्षित यौन संबंध बनाने की वजह से हुआ है. वह कंडोम का इस्तेमाल कर के सैक्स का मजा उठाता तो बाद में उसे यह परेशानी नहीं होती.सबलोक क्लिनिक के यौन रोग विशेषज्ञ डाक्टर बिनोद सबलोक बताते हैं कि चाहे मर्द हो या औरत एचआईवी  समेत यौन संक्रामक रोगों को रोकने के लिए कंडोम एक आसान और बेहतर तरीका है. कंडोम न सिर्फ असुरक्षित गर्भधारण से, बल्कि यौन रोगों से भी शरीर की हिफाजत करता है.

शर्म क्यों

बाजार में आसानी से मिलने वाला कंडोम खरीदना अब शर्म वाली बात भी नहीं रही है. कंडोम खरीदने के लिए डाक्टर की परची की जरूरत भी नहीं होती है. इस की कीमत भी बहुत कम होती है. कई सरकारी व गैरसरकारी योजनाओं के तहत कंडोम मुफ्त में भी बांटे जाते हैं.

अब तो अलगअलग फ्लेवर व कई बनावटों में मिलने वाले कंडोम सैक्स संबंध बनाने के दौरान भरपूर मजा भी देते हैं.

कंडोम का इस्तेमाल कर खुले दिमाग से सैक्स का मजा लिया जा सकता है. अब तो बाजार में ऐसे भी कंडोम हैं जिन से लंबे समय तक सैक्स किया जा सकता है.

बेहतर साथी है कंडोम

कंडोम आप के लिए इस तरह एक बेहतर साथी साबित हो सकता है:

* यह बच्चा ठहरने से रोकने का सब से आसान और महफूज तरीका है.

* कंडोम का इस्तेमाल बिना किसी झिझक के कर सकते हैं.

* कोई साइड इफैक्ट नहीं होता.

* कंडोम यौन रोगों से बचाव में कारगर हथियार है.

ऐसे बढ़ाएं रोमांच

बाजार में वनीला, स्ट्राबेरी, केला, चौकलेट, बबलगम, कौफी वगैरह फ्लेवर में भी कंडोम मिलते हैं. मुंह से सैक्स के शौकीनों के लिए ये कंडोम सैक्स के दौरान ज्यादा मजा देते हैं और कोई बीमारी भी नहीं होती है.

जो लोग सैक्स का मजा लंबे समय यानी देर तक नहीं उठा पाते हैं उन के लिए लौंग लास्टिंग कंडोम इस्तेमाल करना बेहतर रहेगा.

सैक्स बनाएं मजेदार

अगर आप सैक्स का मजा उठाना चाहते हैं तो बाजार में डौटेड कंडोम भी आते हैं. डौटेड कंडोम में अपनी साथी का जोश बढ़ाने के लिए इस की बाहरी सतह पर बिंदीनुमा छोटेछोटे उभरे हुए दाने होते हैं. यह चिकनाई वाला होता है.

इन बातों पर ध्यान दें

* कंडोम खरीदते समय उस की ऐक्सपायरी डेट जरूर देख लें.

* ज्यादा तेजी से सैक्स का मजा उठाते समय कंडोम फट भी सकता है. इस का ध्यान रखें और कंडोम को तुरंत बदल दें.

* इस्तेमाल करने से पहले कंडोम के सामने वाले भाग को चुटकी से दबा कर हवा को बाहर निकाल दें, फिर धीरेधीरे अंग पर चढ़ाएं.

* कंडोम खरीदते समय दुकानदार से खुल कर बात करें. बात करते समय जरा भी न शरमाएं.

* सैक्स कुदरत का दिया एक अनमोल तोहफा है. इस का जम कर मजा उठाएं, पर सावधानी और एहतियात भी बरतें.

पहले सेक्स करने के ये हैं फायदे

Sex Benefits in Hindi: आपको इस नए रिश्ते (Relation) में अभी कुछ ही महीने हुए हैं. अभी तक आप लोग एक दूसरे को ढंग से जान भी नहीं पाए हैं कि अचानक ही एक मुलाकात में आप दोनों की चर्चा इस दिशा में बढ़ जाती है कि पूर्व में आप दोनों के कितने रिश्ते रहे हैं. ना सिर्फ आपको अतीत में रहे आपकी गर्लफ्रेंड के बौयफ्रेंडों (Girlfriend-Boyfriend) की संख्या जानकर आश्चर्य होता है, आपकी साथी की प्रतिक्रिया भी आपके पुराने रिश्तों के बारे में जानकर कुछ अजीब ही होती है. कई बार देखा गया है कि जब भी कोई नया रिश्ता शुरू होता है तो दोनों ही साथियो के पूर्व में शारीरिक सम्बन्ध (Physical Relation) भी रहे होते हैं. फिर चाहे वो सम्बन्ध गंभीर रिश्तों के दौरान बने हो या फिर वो एक रात के रिश्ते हो.

ऐसा हो सकता है कि होने वाले साथी के पूर्व में रहे रिश्तों के बारे में जानना किसी के लिए कामोत्तेजक हो या फिर यह भी हो सकता है कि किसी को इस बारे में जानकर बिलकुल भी अच्छा नहीं लगे. लेकिन शोधकर्ता अभी भी निश्चित रूप से किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं कि स्पष्ट रूप से कह सकें कि आखिरकार अपने साथी के पूर्व में रहे रिश्तों के बारे में जानकर लोगों को कैसा लगता है.

सेक्स का अनुभव – कितना फायदेमंद?

यूके के शोधकर्ताओं के एक समूह ने इस बारे में जानने के लिए 18 से 35 साल के 188 युवाओं को इकठ्ठा किया. उन्हें कुछ काल्पनिक लोगों की एक सूची दी गयी जिनके पूर्व में शून्य से लेकर 60 तक या उससे ज्यादा रिश्ते रहे थे. फिर उनसे पूछा गया कि वो उन लोगों के साथ रिश्ता जोड़ने में कितने तैयार होंगे. उन्हें अपने जवाब में 1 से लेकर 9 तक अंक देने थे.

जो लंबे चलने वाले रिश्ते चाहते थे उनकी नजर में वो लोग पहली पसंद थे जिनके पूर्व में दो साथी रहे थे. ऐसे लोगों की औसतन उम्र 21 साल थी. जब सूचना को अलग तरीके से आयोजित किया गया तो यह साफ हो गया कि अधिक उम्र के सहभागियों की नजर में आदर्श साथी वो था जिसके पूर्व में दो से ज्यादा रिश्ते रहे थे.

लेकिन उम्र पर ध्यान दिए बिना गौर किया गया तो एक बात स्पष्ट हो गयी थी, खासकर यूके के नागरिकों के लिए. लोगों को यह तो अच्छा लगता है कि उनके संभावित साथी के पास थोड़ा बहुत यौनिक अनुभव हो, लेकिन अगर किसी के पूर्व में बहुत ज्यादा साथी रहे हों तो यह बात ज्यादातर लोगों को आकर्षित नहीं करती और यह अध्ययन में हिस्सा लेने आये पुरुषों और महिलाओं, दोनों के ही जवाबों से स्पष्ट थी.

लेकिन जब बात हो लघु अवधि के रोमांस के लिए साथी ढूंढने की तो पुरुष और महिलाओं के जवाबों में असमानता पायी गयी. पुरुषों को वो महिलाएं पसंद आयी जिनके पूर्व में दो से लेकर 10 साथी रहे हों, जबकि दूसरी और महिलाएं उन पुरुषों के साथ रिश्ता बनाने की इच्छुक थी जिनके पूर्व में दो से लेकर पांच महिलाओं के साथ शारीरिक सम्बंध रहे हों.

सेक्स और संस्कृति

तो पुरुषों और महिलाओं को दीर्घ-कालिक रिश्तों के लिए ऐसे साथी क्यों पसंद आते हैं जिनको सेक्स का बहुत ज्यादा नहीं, बस थोड़ा बहुत अनुभव हो?

शोधकर्ताओं का कहना था कि अध्ययन से निकले निष्कर्ष उन्हीं संस्कृतियों के लिए उपयुक्त होंगे जहाँ शादी से पहले सेक्स करना स्वीकार्य है. जाहिर सी बात है कि विश्व के उन हिस्सों में जहां शादी से पहले सेक्स को गलत समझा जाता है, वहां एक प्रतिबद्ध रिश्ते से पहले किसी भी प्रकार के यौनिक अनुभव का होना कतई वांछनीय नहीं है.

लेकिन शोधकर्ता यह भी कहते हैं कि ब्रिटैन जैसी कुछ उदार संस्कृतियों में बिलकुल भी यौन अनुभव नया होने का अर्थ यह निकाला जा सकता है कि शायद उस व्यक्ति में सामाजिक कौशल और रिश्तों की समझ की कमी है. अगर आपका अभी तक कोई बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड नहीं है तो हो सकता है कि आप में कोई कमी है!

इसके साथ-साथ कई बार यह भी देखा गया है कि लोग दूसरो के प्रति सिर्फ इसलिए आकर्षित हो जाते हैं क्योंकि और लोग भी उनकी तरफ आकर्षित हैं. इसे ‘मेट-चॉइस कोपयिन्ग’ का नाम दिया गया है. आपके पास यौन अनुभव है तो इसका मतलब है कि लोग आपको पसंद करते हैं और इसलिए किसी को आप अच्छे लग सकते हैं.

धोखेबाज?

संस्कृति चाहे कोई भी हो, शोधकर्ताओं को लगता है कि जिन लोगों के पूर्व में बहुत सारे प्रेमी रहे हैं, वो उन लोगों की पहली पसंद कभी नहीं बन पाते जो अपने साथी के साथ दीर्घ-कालिक रिश्ता बनाना चाहते हैं. शायद उन्हें यह लगता हो कि जिस व्यक्ति के इतने सारे साथी हो उससे यौन संक्रमण का खतरा हो सकता है. शोधकर्ता कहते हैं कि आंकड़ों पर नजर डालें तो जिस व्यक्ति के कई साथी रहे हों, उसके लिए किसी दीर्घकालिक रिश्ते में रहना या किसी रिश्ते में ईमानदार रहना मुश्किल हो सकता है.

पीरियड्स में भी सैक्स कर सकती हैं आप, बस रखें इन बातों का ध्यान

अमूमन कहा जाता है कि महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान सैक्स नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस से बहुत नुकसान हो सकता है, लेकिन यह एक मिथक है. दरअसल, महिलाओं में मासिक धर्म का होना एक प्राकृतिक शारीरिक प्रकिया है और ज्यादातर महिलाओं को यह पता नहीं होता है कि मासिक धर्म में क्या करें और क्या न करें. खासकर बात जब मासिक धर्म के दौरान सैक्स की हो. आमतौर पर हमारी यह धारणा होती है कि मासिक धर्म के दौरान सैक्स करना सही नहीं है, लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है, आइए जानते हैं…

मासिक धर्म में हैं सैक्स के ये फायदे
अगर आप मासिक धर्म के दौरान सहवास करना चाहती हैं तो कर सकती हैं. अगर दोनों पार्टनर की रजामंदी हो सैक्स तो वैज्ञानिक रूप से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है.

कुछ लोग तो मासिक धर्म के दौरान ही सहवास करना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि उस दौरान महिला जननांग में गीलापन पहले से ही बना रहता है जिस से सैक्स करने में आसानी होती है.

मासिक धर्म में सैक्स करने से गर्भ ठहरने की आशंका न के बराबर रह जाती है. एक खास बात यह भी है कि मासिक धर्म में सैक्स के दौरान अगर किसी महिला को चरमसुख मिलता है तो उसे मासिक धर्म के दौरान होने वाले कमर और पेड़ू के दर्द से काफी आराम मिलता है.

मासिक धर्म में सैक्स से स्त्री और पुरुष दोनों को कोई नुकसान नहीं होता. लेकिन जो महिलाएं मलशुद्धि के लिए पानी की बजाय टिशू पेपर का इस्तेमाल करती हैं, उन के साथ मासिक धर्म में सैक्स करने से इंफैक्शन हो सकता है, क्योंकि मासिक के दौरान होने वाला रक्तस्राव गुदा द्वार के करीब होने की वजह से वहां बैक्टीरिया के बढ़ने की आशंका पैदा हो सकती है. इस से बचने के लिए ऐसी महिलाओं के साथ सैक्स करते समय कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए.

अगर आप के पार्टनर को मासिक धर्म के दौरान पेट या योनि में दर्द नहीं हो रहा हो और यदि आप के पार्टनर को कोई आपत्ति न हो तो मासिक धर्म के दौरान कंडोम के बिना भी सैक्स किया जा सकता है. इस से किसी तरह की बीमारी नहीं होती. लेकिन मासिक धर्म के दौरान यदि महिला को किसी तरह के इंफैक्शन की आशंका है, तो ऐसे में सेक्स कदापि नहीं करना चाहिए.

मासिक धर्म के समय सैक्स करने के लिए यौनांगों की साफसफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए. सैक्स के बाद शिश्न तथा योनि को ठीक तरह से पानी से धोना चाहिए. माइल्ड डिसइंफैक्टेड मैडिसिन मिला कर भी सप्ताह में 2 बार यौनांगों की सफाई करनी चाहिए.

जब पति ना लगाना चाहे कंडोम तो क्या करें

रीना और दिनेश की शादी को 3 महीने ही हुए हैं. उन की सेक्स लाइफ मस्त है बस एक ही दिक्कत है कि सेक्स के दौरान दिनेश को कंडोम का इस्तेमाल सिरदर्द लगता है, जबकि रीना ऐसा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, जिस से वह समय से पहले गर्भवती हो जाए. वह कम से कम 2 साल तक मां नहीं बनना चाहती है.

इस बारे में रीना और दिनेश की खूब बातें हो चुकी है, बहस भी हो चुकी है पर दिनेश को रीना की समस्या समझ नहीं आ रही है या वह जानबूझ कर उस के अरमानों की अनदेखी कर रहा है.

ऐसा अकसर होता है कि सेक्स संबंधों में भी औरत को ही समझौता करना पड़ता है कि वही गर्भनिरोधक का कोई साधन इस्तेमाल करे, मर्द को तो खुला खेल चाहिए, किसी तरह की रुकावट न आए रात को बिस्तर पर.

लेकिन कंडोम केवल बच्चा रोकने के लिए ही नहीं बनाया गया है, बल्कि यह सेक्स संबंधों के दौरान होने वाली बीमारियों की भी रोकथाम करता है. एड्स जैसी जानलेवा बीमारी को यह कम कीमत की रबड़ की पतली दीवार पनपने से पहले ही रोक देती है. यह ठीक है कि बिना इस के इस्तेमाल से सेक्स का मजा शानदार रहता है पर यह है बड़े काम की चीज.

अब तो कई वैरायटी के कंडोम

कंडोम का बाजार बहुत बड़ा है और कौम्पिटिशन भी ज्यादा है इसलिए अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए कंडोम बनाने वाली कंपनियां पतले से पतले कंडोम बाजार में उतार रही हैं, ताकि उस के पहने जाने का अहसास ही न हो. इतना ही नहीं बाजार में तरह तरह के ऐसे कंडोम बिक रहे हैं जिन में डौट लगे होते हैं ताकि रगड़ का अनूठा अहसास हो.

इस के अलावा अब बाजार में अलग अलग फ्लेवर के कंडोम बिक रहे हैं जैसे स्ट्रौबेरी, बनाना, चौकलेट, वनीला, बबल गम कौफी और न जाने क्या क्या. पैकेट से इन के खुलते है माहौल में मस्त खुशबू घुल जाती है जिस से सेक्स करना और भी मादकता भरा हो जाता है.

अगर खुशबू वाले कंडोम न भाएं तो अन्फ्लेवर्ड, रिब्ड, लौन्ग लास्टिंग, बिग हेड, एक्स्ट्रा लुब्रिकेटेड, वार्म, अल्ट्रा थिन और एलोवेरा कंडोम भी बाजार में आप की राह देख रहे हैं.

सौ बात की बात, मर्दों को सेक्स संबंध बनाते समय कंडोम का इस्तेमाल हौव्वा नहीं समझना चाहिए, बल्कि एक बार इस की आदत पड़ जाए तो यह सेक्स का समय भी बढ़ा देता और पत्नी खुश रहती है सो अलग.

अगर सुरक्षित होने के नजरिए से भी देखा जाए तो कंडोम का कोई बुरा असर नहीं पड़ता है. अगर कभी किसी कंडोम के इस्तेमाल से कोई एलर्जी हो तो माहिर डौक्टर की सलाह लें.

पोर्न के साइड इफैक्ट्स : हैं भी या नहीं?

24 साल की नेहा मल्टीनैशनल कंपनी में काम करती है. उसे काम के सिलसिले में विदेश जाना पड़ता है. वह अभी अविवाहित है. पोर्नोग्राफी के बारे में पूछे गए सवाल पर वह कहती है, ‘‘दूसरी लड़कियों का तो मुझे पता नहीं लेकिन मेरा जब मूड होता है, पोर्न मूवी देखती हूं. कई बार हम पार्टी भी करते हैं. नाइट पार्टी में अगर बौयज हैं तो कुछ न कुछ हो सकता है. ऐसे में मैं पार्टी से पहले पोर्न देखती हूं. मुझे इस में कोई बुराई नजर नहीं आती. यह मेरे जीवन का निजी हिस्सा है. मैं कभी किसी के साथ इस विषय पर कोई बात नहीं करती, अपनी सहेलियों से भी नहीं.’’

पोर्न आज के दौर में एक बड़ी इंडस्ट्री बन गया है, जिस का सालाना टर्नओवर अरबों डौलर का है. विश्व के अधिकतर लोगों ने कभी न कभी पोर्न फिल्में देखी होंगी. भारत में युवाओं में पोर्न देखने का चलन बढ़ता जा रहा है. इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत पिछले 2-3 वर्षों में सब से ज्यादा पोर्न देखने वाले देशों में 10वें से तीसरे स्थान पर आ गया है.

अति तो किसी भी चीज की बुरी होती है. पोर्न की लत किसी नशे की तरह है, जो आसानी से पीछा नहीं छोड़ती. पोर्न देखने में उतनी बुराई नहीं पर पोर्न का एडिक्शन होना बुरा होता है. यह सामाजिक, शारीरिक और मानसिक हर रूप में जीवन पर बुरा प्रभाव डालता है. एक रिसर्च में पाया गया कि जो व्यक्ति ज्यादा पोर्न फिल्में देखते हैं, उन का दिमाग सिकुड़ जाता है.

यदि व्यक्ति के दिमाग का स्ट्रेटम छोटा है तो उसे ज्यादा नुकसान हो सकता है. इसी अध्ययन में यह भी पता चला है कि पोर्न फिल्में देखने वाला व्यक्ति अपनी निजी जिंदगी में भी उसी तरह सैक्स करना चाहता है, लेकिन अकसर ऐसा हो नहीं पाता क्योंकि पोर्न फिल्मों को जानबूझ कर ज्यादा भड़काऊ और आकर्षक बनाया जाता है. वैसा करना आम आदमी के बस की बात नहीं. इस का नुकसान यह होता है कि व्यक्ति को कभी संतुष्टि नहीं मिल पाती. व्यक्ति के स्वभाव में क्रूरता और उग्रता आ जाती है जिस से वह चिड़चिड़ा हो जाता है.

पोर्न से दूर होते दोस्त और परिवार

नेहा ने बताया कि हम दोस्तों से भले ही हर बात शेयर करते हों पर यह नहीं बताते कि हम पोर्न देखते हैं. असल में पोर्न के शिकार युवा दोस्तों से दूरी बनाने लगते हैं. वे हमेशा नया पोर्न देखने का लिए प्रयासरत रहते हैं.

पोर्न न देखने का कारण बताते हुए शिविका कहती है, ‘‘पोर्न देखने से सैक्स की जानकारी होती है क्योंकि जिंदगी में सैक्स का काफी महत्त्व है. हमारे समाज में सैक्स पर खुल कर बात नहीं होती है. सैक्स में सावधानी और संयम की बहुत जरूरत है. पोर्न देखने वाले युवा एकाकी स्वभाव के होते हैं.’’

ऐसे युवा परिवार में भी अलगथलग रहने की कोशिश करते हैं. वे अपने पेरैंट्स से दूर होते जाते हैं. धीरेधीरे वे अपने भाईबहन से भी दूर होने लगते हैं. वे हमेशा एकांत की तलाश में रहते हैं. अब मोबाइल, लैपटौप और कंप्यूटर पर इस की सुविधा होने से पोर्न देखना आसान हो गया है. आज मोबाइल पर सब से ज्यादा पोर्न देखा जाता है. युवा अपने मोबाइल इसी कारण दूसरों से दूर रखते हैं. कई बार किसी को दूसरी फिल्में या फोटो भेजने की जगह पर पोर्न फिल्में गलती से चली जाती हैं जिस से इमेज खराब होती है.

सेहत और पढ़ाई पर प्रभाव   

युवावस्था कैरियर बनाने के लिहाज से सब से अहम होती है. इस दौरान युवाओं का पोर्न की तरफ आकर्षित होना कैरियर पर बुरा प्रभाव डालता है. मनोविज्ञानी बताते हैं कि इसे देखने वाले युवाओं का मन भटक  जाता है. वे हमेशा इस के प्रभाव में रहते हैं. ऐसे में उन का कैरियर खराब हो जाता है. आमिर खान की फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ में यह दिखाया गया है कि साथी अपने ही दोस्तों का ध्यान पढ़ाई से हटाने के लिए होस्टल में उन्हें पोर्न किताबें दे देते थे जिस से साथी के नंबर कम आएं या वह फेल हो जाए.

पोर्न देखने वाले ज्यादातर युवा अप्राकृतिक सैक्स के आदी हो जाते हैं. वैसे मैडिकली यह बुरा नहीं है पर अगर सही तरह और हाईजीन का ध्यान रख कर नहीं किया जाएगा तो यह हैल्थ की नजर से खराब होता है.

सैक्स जीवन पर असर

लगातार पोर्न देखने से व्यक्ति अपने पार्टनर से वैसी ही उम्मीद रखने लगता है जैसा पोर्न फिल्मों में दिखाया जाता है लेकिन इसे हकीकत में उतारना मुमकिन नहीं होता. इस का नुकसान यह होता है कि व्यक्ति का अपने पार्टनर के प्रति अलगाव पैदा होने लगता है. जब लड़कियां ऐसे पोर्न देखती हैं और शादी के बाद उन्हें ऐसे हालात नहीं मिलते तो उन का वैवाहिक जीवन खराब होने लगता है.

पोर्न देखने से सैक्स को ले कर विकृत नजरिया बन जाता है. शादी के बाद तमाम लड़कियों को यह शिकायत होती है कि उन के पति ने अप्राकृतिक सैक्स की डिमांड की या जोरजबरदस्ती की. औक्सिटौसिन दिमाग में पाया जाने वाला एक शक्तिशाली हार्मोन है जिसे ‘लव हार्मोन’ भी कहा जाता है. यह हार्मोन पुरुष और महिलाओं दोनों को बंधन में बांधने में मदद करता है. अगर सैक्स पोर्न फिल्मों की तरह किया जाए तो यह हार्मोन काम नहीं करता जिस का असर रिश्तों पर पड़ता है.

सैक्स को पोर्न फिल्मों की तरह करने वाले व्यक्ति फोरप्ले ठीक ढंग से नहीं कर पाते. फोरप्ले के दौरान जोड़े चरम सुख लेते हैं जिस से उन में काफी निकटता आती है पर पोर्न वाली मानसिकता के कारण यह कहीं खो जाती है.

कुछ लोग उत्तेजित होने के लिए पोर्न का सहारा लेने लगते हैं और धीरेधीरे यह उन की आदत बन जाती है. इस का नुकसान यह होता है कि व्यक्ति प्राकृतिक तौर पर उत्तेजित होने में नाकाम होने लगता है जिस का आगे चल कर नुकसान होता है. अवैध संबंधों के लिए पोर्न काफी हद तक जिम्मेदार है. ज्यादा पोर्न देखने वाले लोग अकसर किसी के साथ अवैध संबंध बनाने के बारे में सोचते रहते हैं जो समाज के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो रहा है और कई बार मर्यादा तारतार होने की भी आशंका रहती है. पोर्न देखने का यह सब से बड़ा नुकसान है.

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