मेरे पति का यौनांग बहुत छोटा है, कोई ऐसी दवा बताएं जिससे उनके लिंग की लंबाई बढ़ सके?

सवाल
मेरे विवाह को 1 वर्ष हो चुका है. लेकिन मुझे अपने पति से सहवास के दौरान वह सुख नहीं मिल रहा जो मैं चाहती हूं. मैं किसी और के बारे में सोचना भी नहीं चाहती, क्योंकि मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं. दिक्कत यह है कि मेरे पति का यौनांग बहुत छोटा है और मैं यह बात उन से कह नहीं पा रही. कोई ऐसी दवा बताएं जिस से उन के लिंग की लंबाई बढ़ सके?

जवाब
यौनांग की लंबाई को बढ़ाने के लिए न तो कोई दवा है और न ही इस की आवश्यकता है, क्योंकि लिंग के आकार का सहवास के आनंद से कोई लेनादेना नहीं है. इसलिए सब से पहले अपने दिमाग से यह पूर्वाग्रह निकाल दें. सहवास में प्रवृत्त होने से पहले रतिक्रीड़ा यानी आलिंगन, चुंबन आदि करें. कामोत्तेजित होने के बाद संबंध बनाएंगे तो कोई कारण नहीं कि आप को आनंद प्राप्त न हो. किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लें.

ये भी पढ़ें…

अब बैडरूम में मूड औफ नहीं लव औन होगा

    1. आमरा अपनी सैक्स लाइफ से खुश हैं, लेकिन चाहतें अनेक हैं. उन के पति भी खुश हैं बैड पर, लेकिन कहीं न कहीं आमरा को दुख है कि उन के पति बैड पर उस का मन क्यों नहीं पढ़ पाते. आमरा उन से स्पर्श की चाहत रखती हैं. मगर बैड पर जाते ही आरव अपना होशहवास खो देते हैं. जल्दबाजी के कारण एकदूसरे में खो नहीं पाते. आलम यह है कि आमरा सैक्स से बचती हैं.
    2. रागिनी पिछले 5 सालों से खुशहाल विवाहित जीवन जी रही हैं. रागिनी और गगन के प्यार की निशानी उत्सव 4 साल का है. आजकल वे कुछ बुझीबुझी लगती हैं. इस का कारण है उन की उदासीन बैडरूम लाइफ. दिन भर रागिनी घर के हर छोटेबड़े काम को मैनेज करने में बिजी रहती हैं. दोपहर से रात तक उत्सव की देखरेख में अलर्ट रहती हैं. उत्सव को सुलाने के बाद अपने बैड पर जाने से परहेज करती हुई वे उत्सव के कमरे में उस के साथ ही सो जाती हैं. इस का कारण पता चला कि हड़बड़ी वाली रोजाना की सैक्स लाइफ, जो रागिनी और गगन दोनों का मूड औफ कर तनाव का कारण बनती है.
    3. माही एक कामकाजी महिला है. शाम को औफिस से लौटते ही माही और रंजन अपनी दुलारी 10 साल की बेटी परी के साथ समय बिताते हैं. डिनर तक तो सब ठीक रहता है, लेकिन बैडरूम लाइफ दोनों को अपसैट कर देती है. असल में माही बैडरूम में पति के साथ अकेले में समय बिताना चाहती हैं. रंजन की बांहों में समा कर दिन भर की और भविष्य की बातें करना चाहती हैं. उस के बाद जेहन की थकान को प्यार में डूब कर मिटाना चाहती हैं, लेकिन रंजन उन की भावनाओं की कद्र न कर सीधे सैक्स का मूड बना लेते हैं. नजीजतन, मशीनी प्रक्रिया की तरह सैक्स होता है और बाद में माही का मन बुझाबुझा रहता है.

     

    ऊपर बताए गए तीन केसों में एक बात सामने आई कि सैक्स में गलतियां हमेशा के लिए एकदूजे से दूर कर देती हैं. माना जाता है कि प्यार करना और प्यार को निभाना औरत जानती है. प्यार को सैक्स का अंजाम देने में पति माहिर होते हैं. यह काफी हद तक सच है. मौका कोई भी हो, कैसी भी स्थिति हो, थकावट से शरीर स्थूल हो या मूड हो या न हो पर पति का बैड पर जाते ही सैक्स का मूड बन जाता है या यों कहें कि पति सैक्स के लिए बमुश्किल ही इनकार करेगा. इस पर उस की पत्नी नानुकर करे, तो उसे वह सहन नहीं. यहां हम पतियों पर किसी प्रकार का आक्षेप नहीं लगा रहे. दूसरी ओर पत्नियां भी प्यार को सैक्स का अंजाम देना चाहती हैं, लेकिन प्यार से प्यार तक. ऐसा नहीं होने पर दोनों ओर से खीज होती है.

    इस संबंध में सैक्सोलौजिस्ट का मानना है कि प्यार में कैद होते ही अधिकांश पतियों के दिलदिमाग में सैक्स उछालें मारता है. दिन भर काम करने के दौरान भी दिमाग के किसी कोने में बेसब्री बैड लाइफ का ऐंजौयमैंट जीने की होती है. ऐसे में पति आउट औफ कंट्रोल होते जाते हैं. बस, प्यार को तुरतफुरत अंजाम देना और पार्टनर की खीज महसूस किए बिना सो जाना. यही नहीं, कई बार पति भी खीज महसूस करते हैं, जो पार्टनर में तनाव का कारण बनती है. दूसरे शब्दों में कहें तो बैड पर प्यार में जल्दबाजी दिखाना दोनों पार्टनर्स के लिए ठीक नहीं. बैड पर आप का और उन का मूड हमेशा औन रहे और प्यार हमेशा औन रहे इस के लिए गलतियों पर नजर डालते हैं. इन से बचिए और मूड करें औन:

    क्लाइमैक्स की बेताबी

    इरादे बुलंद हों तो कदम खुदबखुद मंजिल तक पहुंच जाते हैं. फिर चाहे राहें पथरीली अथवा मखमली ही क्यों न हों. बुलंद इरादों के बलबूते मंजिल पर फतह होती है. इस सफर में कई कठिनाइयों, तकलीफों, सहूलतों से गुजरना पड़ता है. यही फलसका आप की सैक्स लाइफ पर भी लागू होता है. अधिकांश पति बैड पर पहुंचते ही सैक्स के लिए तैयार हो जाते हैं. कुछ ही पलों में प्यार को अंजाम देने में मशगूल हो जाते हैं. इस फलसफे से बेखबर कि चरम तक पहुंचने के लिए कई राहों से गुजरना पतिपत्नी दोनों के लिए उपयुक्त रहता है. इस हड़बड़ी में पति फोरप्ले को पूरी तरह नजरअंदाज करता है. रोजाना की क्रिया से पत्नी उकता जाती है. अगली बार यह गलती न करें. क्लाइमैक्स से पहले बांहों में भर कर प्यारदुलार करें.

    अहम है फोरप्ले

    इस बात को गांठ बांध लें कि जब बिस्तर पर दोनों खुश होते हैं, तब अंजाम दोनों को खुशी देता है. लेकिन बिस्तर पर पति की प्यार में हड़बड़ी का अंजाम पत्नी को खीज देता है. जाहिर है, उस के मूड से पति का मूड भी औफ हो जाएगा. अगली बार बिस्तर पर जल्दबाजी की गलती न दोहराएं. थोड़ा धैर्य रखें. पहले प्यारदुलार यानी फोरप्ले से पत्नी का मूड बनाएं. पत्नी के उत्तेजित होने के बाद दोनों अंजाम के पलपल की हसीन जन्नत को महसूस कर पाएंगे अन्यथा इस दैनिक मशीनी क्रिया के बाद भी आप दोनों खालीपन, तनाव, निराशा व खीज से भरे रहेंगे.

    मन को पढि़ए

    सिर्फ पति अपने आनंद को तवज्जो न दे. थोड़ा पत्नी का भी ध्यान रखे. पत्नी की बिस्तर पर पसंदनापसंद का भी ध्यान रखे. फोरप्ले से अंजाम और अंजाम के बाद की सहलाहट का ध्यान रखे. बहुत सी बातें पत्नी जबां पर नहीं लाती. वह सब पति पर छोड़ती है. उन का पूरा न होना उस में अजीब सा खालीपन भर देता है. एक खुशहाल बैडलाइफ के लिए पति को पत्नी के मन की बात समझनी होगी.

    कुछ पल मस्ती, कुछ पल शरारत

    अकसर पति बिस्तर में मस्ती व शरारत में बहकना भूल जाते हैं. सीधे अंजाम की सीढ़ी चढ़ते जाते हैं. भले ही अंजाम में पत्नी का शारीरिक साथ रहता है, पर वह मन से दूर होती है या यों कहें कि पति बिस्तर में पत्नी का खयाल नहीं रखता यानी पत्नी के कोमल बदन का भी नहीं. अगली बार यह गलती न हो, इस का ध्यान रखें. इस बात का भी ध्यान रहे कि पत्नी को रतिक्रिया में जोरजबरदस्ती कतई पसंद नहीं होती है.

    सिनेमा नहीं है बैडरूम

    आमतौर पर पति फिल्मों में फिल्माए गए बैडरूम दृश्यों को असल जिंदगी में जीना चाहता है. उस की चाहत रहती है कि पत्नी का भी इस में सहयोग मिले. पत्नी के नानुकर करने पर पति का गुस्सा 7वें आसमान पर होता है. कई बार नौबत इमोशनल ब्लैकमेल से बढ़ती हुई अलगाव तक पहुंच जाती है. पति इसे स्वीकार ले कि असल जिंदगी का बैडरूम फिल्मी परदे से बहुत अलग होता है. याद रहे हर बार प्यार का मीठा अंजाम दोनों को संतुष्टि और सहजता देता है.

    जिम्मेदारी दोनों की

    सैक्सोलौजिस्ट यही कहते हैं कि चरमोत्कर्ष की पूरी जिम्मेदारी पति पर नहीं डाली जानी चाहिए. अंजाम तभी सफल होता है जब पतिपत्नी दोनों का सहयोग हो. अधिकांश पतियों की आदत होती है कि वे अंजाम का सुख लेने के बाद पत्नी को भूल जाते हैं. प्यार भरा स्पर्श हो या न हो पति आसानी से अंजाम तक पहुंच ही जाते हैं. वे इस बात से बेखबर होते हैं कि अपने इजैट्यूलेशन के बाद उन की पत्नी मीठे सुख की जन्नत की सैर नहीं कर पाती. ऐसे में चरमोत्कर्ष तक नहीं पहुंचने का ठीकरा किसी एक के सिर पर फोड़ना गलत है.

मैंने शादी से पहले गर्भपात करवाया था, उसके बाद से ही मेरा पीरियड अनियमित हो गया मैं क्या करूं?

सवाल
मेरी उम्र 30 साल है. शादी को 2 साल हो गए हैं. शादी के बाद से ही गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हूं. मैं ने शादी से पहले गर्भपात करवाया था. उस के बाद से ही मेरा पीरियड अनियमित हो गया है और पीरियड के दौरान स्राव भी बहुत कम होता है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब
पीरियड के दौरान कम रक्तस्राव होने के कई कारण हो सकते हैं. इस का पता लगाने के लिए प्रारंभिक परीक्षण के तौर पर आप के पैल्विक का अल्ट्रासाउंड करना होगा, जिस में आप के गर्भाशय की भीतरी परत की मोटाई  की माप ली जाएगी. हारमोन का भी ठीक से पता लगाया जाएगा. उस के बाद अश्रमैंस सिंड्रोम पता लगाने के लिए हिस्टेरोस्कोपी जांच महत्त्वपूर्ण होगी. इस के अलावा जननांग की तपेदिक का पता लगाने के लिए बायोप्सी कर जांच के लिए भेजी जाएगी, क्योंकि पीरियड के दौरान कम रक्तस्राव होने का यह एक सामान्य कारण है.

ये भी पढ़ें…

गर्भपात के साइड इफैक्ट्स

कई वजहों से किसी महिला को गर्भपात कराना पड़ जाता है. कई बार अनचाहे गर्भधारण के कारण भी ऐसा कदम उठाना पड़ता है, जबकि कई बार भ्रूण की कुदरती खामियों या गर्भधारण से जुड़ी घातक स्वास्थ्य स्थितियों के कारण दंपती गर्भ गिराने का फैसला लेते हैं. वजह चाहे जो भी हो, गर्भपात कराने से महिला पर मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से असर पड़ता है. गर्भपात किसी भी लिहाज से सुरक्षित नहीं है. कुछ शोध बताते हैं कि कुछ महिलाएं गर्भपात कराने के बाद राहत महसूस करती हैं, जबकि कुछ अनचाहे गर्भपात या मिसकैरिज के कारण अवसादग्रस्त हो जाती हैं. महिलाओं में राहत और अवसाद की वजह भी अलगअलग होती है.

गर्भपात कराने के बाद जितने शारीरिक साइड इफैक्ट्स होते हैं, उतने ही मानसिक साइड इफैक्ट्स भी होते हैं. गर्भपात कराने के बाद शारीरिक इफैक्ट्स से कहीं ज्यादा भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक असर देखा गया है और इस में मामूली खेद से ले कर अवसाद जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. गर्भपात कराने के बाद किसी ऐसे अनुभवी प्रोफैशनल से सभी खतरों के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा कर लेना बहुत जरूरी है जो आप के सभी सवालों और उन से जुड़ी आशंकाओं का जवाब दे सके.

नकारात्मक, भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक असर से जुड़ा एक सब से महत्त्वपूर्ण फैक्टर यह है कि आप को यही लगता है कि आप के अंदर अभी भी बच्चा पल रहा है. कुछ महिलाओं में नकारात्मक भावनात्मक परिणाम विकसित होने की संभावना कम रहती है, क्योंकि गर्भधारण को ले कर उन का नजरिया बिलकुल अलग रहता है और वे समझती हैं कि भ्रूण एक अविकसित जीव है. हालांकि कुछ महिलाएं गर्भधारण के प्रति कुछ ज्यादा ही भावनात्मक लगाव पाल लेती हैं और अपने अंदर पल रहे बच्चे को जीव मान लेती हैं. ऐसी महिलाओं पर गर्भपात या मिसकैरिज के बाद कुछ ज्यादा ही नकारात्मक असर पड़ता है.

गर्भपात कराने के बाद निम्नलिखित संभावित भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक खतरे हो सकते हैं. अलगअलग व्यक्तियों पर इन नकारात्मक प्रभावों की अवधि और तीव्रता अलगअलग होती है. संभावित साइड इफैक्ट्स में ये शामिल हैं:

खानपान में डिसऔर्डर, बेचैनी, खेद, गुस्सा, अपराधबोध, शर्म, आपसी संबंध की समस्याएं, अकेलापन या अलगथलग रहने का एहसास, आत्मविश्वास में कमी, अनिद्रा या दु:स्वप्न, आत्महत्या का विचार, अवसाद.

गर्भपात कराने के बाद संभव है कि किसी को भी अनापेक्षित भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक साइड इफैक्ट का अनुभव हो. हालांकि अकसर देखा गया है कि कुछ महिलाएं कुछ खास प्रकार के भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक जद्दोजहद की चपेट में जल्दी आ जाती हैं. जिन महिलाओं पर नकारात्मक, भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक साइड इफैक्ट पड़ने की संभावना अधिक रहती है, उन में ये शामिल हैं:

– जो महिलाएं गर्भधारण के बहुत बाद की अवस्था में गर्भपात कराती हैं.

– जो महिलाएं पहले से किसी भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक परेशानी से जूझ रही होती हैं.

– जो महिलाएं गर्भपात कराने के लिए अभिशप्त, बाध्य या बहकाई गई हों.

– गर्भपात को ले कर जिन महिलाओं की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हों.

– जिन महिलाओं को लगता है कि गर्भपात कराना अनैतिक है.

– जिन महिलाओं को इस के लिए अपने परिजनों या पार्टनर का सहयोग नहीं मिल रहा हो.

– जो महिलाएं आनुवंशिक या भू्रण संबंधी गड़बडि़यों के कारण गर्भपात करा रही हों.

कुछ सुझाव

मदद लें: अनियोजित गर्भधारण की समस्या से निबटने के लिए संभवतया सब से जरूरी चीज होती है ऐसे प्रशिक्षित प्रोफैशनल से सलाह लेना, जो आप के सवालों के जवाब दे सके और आप की व्यक्तिगत स्थितियों पर चर्चा कर सके.

एकांत में रहने से बचें: यदि आप अनियोजित गर्भधारण की समस्या से जूझ रही हैं तो हो सकता है कि आप इस समस्या को गोपनीय रखने के लिए दूसरों से कटने लगेंगी या अकेली ही इस समस्या का सामना करने की सोचेंगी. हालांकि यह मुश्किल हो सकता है, लेकिन इस बारे में अपने परिजनों और मित्रों को बताने की कोशिश करें जो आप को सहयोग कर सकें.

अपनी स्थितियों का आकलन करें: उन महिलाओं की व्यक्तिगत समस्याओं पर गौर करें जिन्हें साइड इफैक्ट्स का अनुभव हुआ हो.

तनाव से बचें: ऐसे लोगों से बचें जो आप पर इस तरह का दबाव बना रहे हों कि वे जो सोचते हैं, वही सब से अच्छा है. आप चाहे मां बनना चाहें, बच्चे गोद लेना चाहें या गर्भपात कराना, आप अपनी पसंद के साथ जीने के लिए स्वतंत्र हैं. यानी कोई भी फैसला 100% आप का अपना ही होना चाहिए.

गर्भपात के बाद महिलाओं में अलगअलग शारीरिक साइड इफैक्ट्स हो सकते हैं. गर्भपात के बाद संभावित विस्तृत साइड इफैक्ट्स के बारे में किसी अनुभवी हैल्थ प्रोफैशनल से जानकारी पाना जरूरी है. यह भी जरूरी है कि गर्भपात के 4 से

6 हफ्ते बाद आप की मासिक क्रिया सुचारु हो जाए और गर्भपात कराने के बाद आप दोबारा मां बनने लायक हो जाएं. संक्रमण से बचने के लिए अपने डाक्टर के परामर्श के मुताबिक ही दवा का सेवन करना चाहिए

सतर्कता जरूरी

गर्भपात कराने के बाद निम्न शारीरिक साइड इफैक्ट्स उभर सकते हैं और इन का असर 2 से 4 हफ्तों तक बना रह सकता है: पेट दर्द और मरोड़, दाग और रक्तस्राव.

करीब 5 से 10% महिलाएं तत्काल किसी न किसी समस्या से ग्रस्त हो जाती हैं. अत: निम्नलिखित खतरों से सतर्क रहें:

– लगातार रक्तस्राव.

– संक्रमण या सेप्सिस/पीआईडी/ऐंडोमैट्रियोसिस.

– गर्भाशय को नुकसान.

– गर्भाशय वाले हिस्से पर दाग.

मेरे प्रेमी ने मुझे धोखा दे दिया और अब मेरा मंगेतर मुझ पर शक कर रहा है, क्या करूं?

सवाल
मेरी सगाई हो चुकी है. पहले मेरा एक प्रेमी था, जिस ने मेरे जिस्मानी संबंध थे, पर बाद में उस ने मुझे धोखा दे दिया. जिस से मेरी सगाई हुई, उस के साथ भी शादी से पहले मेरा जिस्मानी संबंध हुआ, पर जब खून नहीं आया तो उसे शक हुआ.

पूछने पर मैं ने मना कर दिया कि मैं ने पहले ऐसा नहीं किया था, मगर ज्यादा जोर देने पर मैं ने कह दिया कि मेरे साथ रेप हुआ था और वह लड़का कई साल तक मुझ से जबरदस्ती करता रहा, अब नहीं करता. बाद में मैं ने कहा कि मैं तो मजाक कर रही थी.

अब मंगेतर मेरा यकीन नहीं करता और पूछता है कि उस का नाम तो बता दो और यह भी कि कितने सालों तक किया. मैं अपने मंगेतर से बहुत प्यार करती हूं, पर समझ नहीं पा रही हूं कि उसे कैसे समझाऊं?

जवाब
आप ने गलत काम भी किया और खुद अपनी इमेज बिगाड़ ली. बारबार झूठ बोल कर आप ने अपने मंगेतर का भरोसा भी खो दिया. न तो आप को उस धोखेबाज प्रेमी से संबंध बनाना चाहिए था, न ही मंगेतर से.

शायद आप की जिस्मानी भूख ही ज्यादा थी, फिर भी मंगेतर से रेप की बात कर के आप ने खुद ही बात बिगाड़ ली. अगर मंगेतर शक्की है, तो अपनी मंगनी तोड़ दें.

ये भी पढ़ें…

काश आपको पता होते औरतों के ये 12 राज

बहुत सी ऐसी बातें है जिसकी चाहत हर महिला को होती है लेकिन वो स्‍वयं इन्हें अपनी जुबां से कभी नहीं कहती. जैसे उनका प्रेमी उनके नखरे उठाएं, उनके आगे-पीछे घूमें, उन्हें महत्‍वपूर्ण समझें, उनकी हर बात मानें.

  1. महिलाओं के सीक्रेट

महिलाओं का स्‍वभाव बहुत शार्मिला होता है. इसलिए उनके दिल की बात को जुबां तक आने में काफी समय लगता हैं. लेकिन बहुत सी बातें ऐसी है जो हर महिला चाहती हैं. जैसे अपने प्रेमी से प्‍यार और देखभाल की उम्‍मीद, साथ ही यह भी की उनका प्रेमी उनके नखरे उठाएं, उनके आगे-पीछे घूमें, उन्हें महत्‍वपूर्ण समझें, उनकी हर बात मानें. आइये इसके अलावा महिलाओं की सीक्रेट के बारे में जानें.

  1. अपनी तारीफ सुनना

महिलाओं को हमेशा उनकी तारीफ करने वाले पुरुष बहुत अच्‍छे लगते हैं. ऐसे में उन्‍हें बहुत अच्‍छा लगता है जब प्रेमी उनमें किसी भी तरह का बदलाव दिखने पर तुरंत उनकी प्रशंसा करें. जैसे अगर महिला फिट दिखें, कोई नया हेयरकट करवाया हो या आकर्षक लगें, तो उनकी तारीफ जरुर करें.

  1. ध्यान रखने वाला पुरुष

महिलाओं को केयर करने वाले पुरुष बहुत पसंद होते है. महिलाएं संवेदनशील होती है इसलिए उन्‍हें ऐसे ही पुरुष बहुत अच्‍छे लगते है. जो परेशानी के समय उनकी अच्‍छे से देखभाल कर सकें.

  1. कपड़ों से प्रभावित होना

ज्‍यादातर महिलाएं पुरूषों को उनके पहनावे से भी पसंद करती है. इसलिए पुरुषों को चाहिए कि वह महिलाओं को अपने कपड़ों से प्रभावित करने की कोशिश करें. पुरुषों को हमेशा अपने सौंदर्य और कपडों पर ध्यान देना चाहिए. अगर, महिलाएं आपको टाइट जींस में देखना पसंद करती है, तो उनके लिए ज्यादातर टाइट जींस पहनें.

  1. पुराने संबंधों के बारे में जानना

अगर महिलाएं आप से आपके पुराने संबंधों के बारे में बात करना चाहे, तो इसका अर्थ यह नहीं कि आपने कुछ गलत किया है. अपने संबंधों के बारे में बात करने से ना डरें. यह तो आप दोनों के लिए अच्छी बात है, क्‍योंकि सच्चाई और लंबी बातचीत आप लोगों को एक दूसरे के करीब ला सकती है.

  1. सुझावों को थोपें नहीं

अकसर पुरुष महिलाओं की समस्‍या सुने बिना अपने सुझावों को उनपर थोपने लगते हैं. पुरुष, अपने राय को उन पर थोप कर उनकी दुनिया को सीमित कर देते हैं. इसलिए अगर वह किसी बात से परेशान है, तो उन्हें सलाह देने से पहले उनकी बात को अच्‍छे से सुनें.

  1. रिश्‍ते में रोमांस

महिलाएं अपने रिश्‍ते की कद्र करने के साथ रिश्‍ते में रोमांस को निरंतर बनाये रखना चाहती हैं. इसलिए यह जरूरी है कि आपका रिश्‍ता चाहे वह 5 म‍हीने से हो या 5 सालों से उसमें रोमांस को हमेशा बनाये रखें.

  1. कमियों को जानना

महिलाओं को प्रशंसा करने वाले पुरुषों के साथ-साथ कमियां बताने वाले पुरुष भी पसंद होते हैं. जैसे, अगर महिला लंबे समय तक काम करने के बाद काफी थक गई हैं और चिडचिडापन महसूस कर रहीं हैं तो उस समय उनकी कमी को बताने वाले पुरुष पसंद आते हैं.

  1. बातों को ध्‍यान से सुनना

महिलाएं अकसर यह जानने की कोशिश करती हैं कि उनकी बातों को आप कितनी ध्‍यान से सुनते हो और कैसे प्रतिक्रिया देते हैं. इसलिये महिलाओं से बात करते समय केवल सर हिलाना काफी नहीं है उनकी बात को महत्वपूर्ण ढंग से सुने.

  1. सेक्स में उनकी चाहत

महिला अकसर सेक्‍स के बारे में बात करना और अपने साथी को खुश करना चाहती हैं. इसलिए आप भी सेक्‍स के दौरान वह करें जो महिला साथी चाहती है. इसके लिए विनम्र दृष्टिकोण अक्सर सबसे अच्छा होता है. पहले, यह पूछे कि वह क्या चाहती है. फिर अपनी इच्छा को सकारात्मक और सही तरीके से उनके सामने व्यक्त करें.

  1. शिष्टता का व्‍यवहार

जब रोमांस की बात आती है तो बहुत सारी महिलाएं पुरुषों की पारंपरिक मर्दाना भूमिका ही पसंद करती है. जैसे लड़की बैठने के लिये खुद ही कुर्सी खीच सकती हो, लेकिन वह आपका इंतजार करती है कि आप उसको कुर्सी खींच कर दें. तो समय आ गया है कि आप उसकी नजरों में सज्जन पुरुष बन जाएं.

  1. आपकी शर्ट उनके लिए प्यार का चुंबक

क्‍या आपकी महिला साथी आपके स्‍वेटर में सिकुड़ने या शर्ट में घुसने का प्रयास करती हैं. कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, महिलाओं को पुरुष के पसीने की गंध से आरामदायक प्रभाव पड़ता है. क्‍या आप महिलाओं के इस सीक्रेट के बारे में जानते हैं.

मेरे पति रोज सहवास करते हैं, मैं जानना चाहती हूं कि मेरे पति सैक्स ऐडिक्ट तो नहीं हैं?

सवाल
मैं 19 वर्षीय विवाहिता हूं. मेरे विवाह को साल भर होने वाला है. मेरे पति रोज सहवास करते हैं. मैं जानना चाहती हूं कि मेरे पति सैक्स ऐडिक्ट तो नहीं हैं? कहीं इस से हमें कोई स्वास्थ्य संबंधी हानि जैसे कमजोरी वगैरह तो नहीं हो जाएगी?

जवाब
आप की शादी को अभी साल भर हुआ है और बच्चे की जिम्मेदारी भी नहीं है, इसलिए यदि आप के पति सहवास में रुचि लेते हैं तो इस में कोई बुराई नहीं है. उन के बारे में किसी प्रकार का पूर्वाग्रह न पालें.

रोज शारीरिक संबंध से स्वास्थ्य पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है वरन कई माने में तो सहवास मानसिक रूप से भी फिट रखता है. अत: आप बेफिक्र हो कर शारीरिक सुख का आनंद उठाएं.

ये भी पढ़ें…

रोज करें सेक्स

एक शोध के मुताबिक, प्रतिदिन ऑर्गज्म करने से एक आदमी 20 प्रतिक्षत तक प्रोस्टेट कैंसर का रिस्क कम कर सकता है. शोध के मुताबिक जो मर्द नियमित रुप से वीर्यपात करते हैं उन्हें मुश्किल से ही इस तरह का कैंसर होता है.

हालांकि हारवर्ड मेडीकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने कोई साफ वजह नहीं दी है कि ऐसा करने से  कैंसर का रिस्क कैसे कम होता है लेकिन पहले दी गई थ्योरी में ये बताया गया है कि लगातार ऑर्गज्म करने से प्रोस्टेट में कैंसर पैदा करने वाले कैमिकल्स बाहर निकल जाते है.

वहीं दूसरी थ्योरी में ये बताया गया है कि लगातार ऑर्गेज्म करने से पुराने सेल्स, जिनसे कैंसर का खतरा रहता है, वो बाहर निकल जाते है और नए सेल्स को पनपने में आसानी होती है.

प्रोस्टेट एक छोटे आकार की ग्रंथी होती हो जो आदमी के लिंग और मूत्राशय के बीच पाई जाती है. इसका काम गाड़ा सफेद तरल पदार्थ पैदा करना होता है जो अंडकोष से पैदा किए गए शुक्राणु से मिलकर वीर्य बनाता है.

शोधकर्ताओं के मुताबिक 40-49 की उम्र के मर्द अगर प्रति माह 21 या इससे ज्यादा बार वीर्यपात करते है तो उनमें प्रोस्टेट कैंसर का रिस्क 22 प्रतीक्षत कम होता है.

इसकी तुलना उन मर्दो से की गई थी जो एक महीने में 4 से 7 बार वीर्यपात करते है.

मैं हस्तमैथुन का आदी हूं क्या इससे सैक्स संबंधी बीमारियां होती हैं, कृप्या बताएं?

सवाल

मैं एक 18 वर्षीय युवक हूं और हस्तमैथुन का आदी हूं. दोस्त कहते हैं कि यह गलत आदत है, इस से सैक्स संबंधी बीमारियां होती हैं. आप से अनुरोध है कि इस बारे में डिटेल से बताएं. आज बहुत से युवा इस के आदी हैं. इस के साइड इफैक्ट क्या हैं?

जवाब

सब से पहले तो आप को बता दें कि यह हानिकारक नहीं है बल्कि युवावस्था में आम समस्या है. युवावस्था में कदम रखते ही युवकों के मन में सैक्स के प्रति जिज्ञासा के साथसाथ विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होता है, जिस से उत्तेजना की अवस्था में हस्तमैथुन द्वारा यौन आनंद प्राप्त करना सहज लगता है और युवा इस के आदी हो जाते हैं. आज डाक्टरों ने यह साबित कर दिया है कि यह कोई बीमारी नहीं है.

युवाओं में हस्तमैथुन स्वाभाविक है और इसे नौर्मल व स्वस्थ हैबिट के रूप में लिया जाता है, लेकिन सैक्स की अधूरी जानकारी के कारण इस के आदी युवाओं में निराशा, हताशा और डिप्रैशन हो जाता है, इस से बचना चाहिए.

हां, अति हर चीज की बुरी होती है और हस्तमैथुन भी उस से अलग नहीं. यह आदत तब खतरनाक व हानिकारक है जब इस से आप की पढ़ाई व अन्य कार्यों पर असर पड़े. अत: चिंता न करें. इसे स्वाभाविक क्रिया मान कर अपने अन्य कामों पर हावी न होने दें.

ये भी पढ़ें…

डिजिटल सैक्स का मकड़जाल

आजकल सबकुछ डिजिटल हो रहा है. स्कूलकालेज, औफिस, पुलिस स्टेशन, अदालत सबकुछ डिजिटल हो रहे हैं, ठीक इसी प्रकार संबंध भी डिजिटल हो रहे हैं. शादीब्याह के न्योते हों या कोई अन्य खुशखबरी या फिर शोक समाचार सबकुछ ईमेल, व्हाट्सऐप, एसएमएस, ट्विटर या फेसबुक के जरिए दोस्तों और सगेसंबंधियों तक पहुंचाया जा रहा है. मिठाई का डब्बा या खुद कार्ड ले कर पहुंचने की परंपरा धीरेधीरे लुप्त हो रही है.

कुछ ऐसा ही प्रयोग युवकयुवतियों के संबंधों में भी हो रहा है. ऐसे युवकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो यौन सुख के लिए वास्तविक सैक्स संबंधों के बजाय डिजिटल सैक्स और औनलाइन पोर्नोग्राफी पर ज्यादा निर्भर हैं. ऐसे युवकों को वास्तविक दुनिया के बजाय आभासी दुनिया के सैक्स में ज्यादा आनंद आता है और ज्यादा आसानी महसूस होती है. इन्हें युवतियों को टैकल करना और उन से भावनात्मक व शारीरिक संबंधों का निर्वाह करना बेहद मुश्किल लगता है, इसलिए ये उन से कन्नी काटते हैं. पढ़ेलिखे और शहरी लोगों में डिजिटल सैक्स की आदत ज्यादा देखी जाती है. मनोवैज्ञानिक इन्हें ‘हौलो मैन’ यानी खोखला आदमी कहते हैं. ऐसे लोगों को वास्तविक यौन सुख या इमोशनल सपोर्ट तो मिल नहीं पाता नतीजतन ये ऐंग्जायटी और डिप्रैशन का शिकार होने लगते हैं और भावनात्मक रूप से टूट जाते हैं.

मुंबई की काउंसलर शेफाली, जो ‘टीन मैटर्स’ पुस्तक की लेखिका भी हैं, हफ्ते में कम से कम एक ऐसे युवक से जरूर मिलती हैं, जो पोर्न देखने का अभ्यस्त होता है और वास्तविक सैक्स से कतराता है. दरअसल, युवावस्था में लगभग हर युवक डिजिटल सैक्स का शौकीन होता है. कुछ युवक इस के इतने अभ्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें इस का नशा हो जाता है और वे सामाजिक जीवन से कतराने लगते हैं. उन्हें जो युवतियां मिलती भी हैं उन में वे आकर्षण नहीं ढूंढ़ पाते, क्योंकि उन की ब्रैस्ट या अन्य अंग पोर्न ऐक्ट्रैस जैसे नहीं होते. कई बार घर वालों के कहने या सामाजिक दबाव में आ कर ये शादी तो कर लेते हैं, लेकिन अपनी बीवी से इन की ज्यादा दिन तक पटरी नहीं बैठती, क्योंकि ये अपनी बीवी के साथ सैक्स संबंध बनाते वक्त उस से पोर्न जैसी ऊटपटांग हरकतें और वैसी ही सैक्सुअल पोजिशंस चाहते हैं. कोई भी बीवी यह सब कब तक बरदाश्त कर सकती है? नतीजतन या तो बीवी इन्हें छोड़ देती है या फिर ये खुद ही ऊब कर अलग हो जाते हैं.

व्यवहार विशेषज्ञों के मुताबिक इंटरनैट पर पोर्न साइट्स की बाढ़, थ्रीडी सैक्स गेम, कार्टून सैक्स गेम, वर्चुअल रिएलिटी सैक्स गेम और अन्य तरहतरह की पोर्न फिल्में जिन में एक युवती या युवक को 3-4 लोगों के साथ सैक्स संबंध बनाते हुए दिखाया जाता है, ने युवाओं के दिमाग को बुरी तरह डिस्टर्ब कर के रख दिया है. स्मार्टफोन पर आसानी से इन की उपलब्धता ने स्थिति ज्यादा बिगाड़ दी है. यह स्थिति सिर्फ भारत की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की है. ‘मेन (डिस) कनैक्टेड : हाउ टैक्नोलौजी हैज सबोटेज्ड व्हाट इट मीन्स टू बी मेल’ में मनोविज्ञानी फिलिप जिम्वार्डो ने लिखा है, ‘औनलाइन पोर्नोग्राफी और गेमिंग टैक्नोलौजी पौरुष को नष्ट कर रही है. अलगअलग देशों के 20 हजार से ज्यादा युवाओं पर किए गए सर्वे में हम ने पाया कि आसानी से उपलब्ध पोर्न से हर देश में पोर्न एडिक्टों की भरमार हो गई. यूथ्स को युवतियों के साथ यौन संबंध बनाने के बजाय पोर्न देखते हुए हस्तमैथुन करने में ज्यादा आनंद आता है.’

मेन (डिस) कनैक्टेड की सह लेखिका निकिता कूलोंबे कहती हैं, ‘इंटरनैट युवाओं को अंतहीन नौवेल्टी और वर्चुअल हरमखाने की सुविधा देता है. 10 मिनट में ये यूथ इतनी निर्वस्त्र और सैक्सरत युवतियों को देख लेते हैं, जितनी इन के पुरखों ने ताउम्र नहीं देखी होंगी.’

व्यवहार विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल युग में कई यूथ ऐसे मिलेंगे जो स्क्रीन पर चिपके रहेंगे और सोशल साइट्स पर तो युवतियों से खूब गुफ्तगू करेंगे, लेकिन वास्तविक दुनिया में उन्हें युवतियों के सामने जाने पर घबराहट होती है और ये अपनी भावनाएं उन के साथ शेयर करने का सही तरीका नहीं ढूंढ़ पाते.

ये युवा फेस टू फेस बात करने के बजाय फेसबुक, व्हाट्सऐप, टैक्स्ट मैसेज या मोबाइल फोन का सहारा लेते हैं. जाहिर सी बात है कि ये युवतियों के सामने नर्वस हो जाते हैं और उन से संबंध बनाने से कतराते हैं. पोर्न से उन्हें तत्काल आनंद और संतुष्टि मिलती है, जबकि वास्तविक दुनिया में सैक्स संबंध बनाने से पहले मित्रता, प्रेम, आत्मीयता या शादीविवाह जरूरी होता है.

डिजिटल सैक्स का यह एडिक्शन युवतियों की तुलना में युवकों को अधिक प्रभावित करता है. इस की वजह यह है कि इंटरनैट पोर्न में यौन संबंधों का आनंद उठाते हुए युवकों को ही अधिक दिखाया जाता है.

मनोवैज्ञानिक कहते हैं, ‘‘हमारे देश में सैक्स के बारे में बात करना एक प्रकार से गुनाह माना जाता है. ऐेसे में यूथ्स के लिए अपनी सैक्सुअल जिज्ञासाओं को शांत करने का सब से आसान जरिया इंटरनैट पोर्न ही है. इस का एक दुष्प्रभाव यह है कि ये युवक इन पोर्न क्लिपिंग्स या फिल्मों के जरिए सैक्स ज्ञान प्राप्त करने के बजाय मन में ऊटपटांग ग्रंथियां पाल लेते हैं.’’

पोर्न नायक के अतिरंजित मैथुन और उस के यौनांग के अटपटे साइज को ले कर ये युवा अपने मन में हीनभावना पाल लेते हैं और खुद को नाकाबिल या कमजोर मान कर युवतियों का सामना करने से कतराते हैं. ये युवक अपने छोटे लिंग और कथित शीघ्रपतन की समस्या को ले कर अकसर मनोवैज्ञानिक या सैक्स विशेषज्ञों के चक्कर काटते नजर आते हैं. कुछ युवा तो झोलाछाप डाक्टरों या तंत्रमंत्र के चंगुल में भी फंस जाते हैं.

‘इंडिया इन लव’ की लेखिका इरा त्रिवेदी के मुताबिक डिजिटल सैक्स के मकड़जाल में फंस कर कई यूथ्स तो अपनी बसीबसाई गृहस्थी को भी तबाह कर बैठते हैं. दरअसल, पोर्न फिल्मों में हिंसक यौन संबंध दिखाए जाते हैं, जिन में युवतियों को जानवरों की तरह ट्रीट किया जाता है और उन के चीखनेचिल्लाने के बावजूद उन के साथ जबरन सैक्स करते दिखाया जाता है.

हाल ही में कोलकाता में एक महिला ने तलाक की अपील करते हुए शिकायत की कि उस का पति पोर्न फिल्मों के ऐक्शन उस पर दोहराना चाहता है. अजीबोगरीब आसनों में सैक्स करना चाहता है, जिसे सहन करना उस के बस की बात नहीं. पति के साथ यौन संबंध बनाने में उसे न तो रोमांस का अनुभव होता है, न ही आनंद आता है बल्कि सैक्स संबंध उस के लिए टौर्चर बन चुके हैं.

कुछ हद तक डिजिटल सैक्स की इस आधुनिक बीमारी का शिकार कई महिलाएं बन चुकी हैं. गायनोकोलौजिस्ट बताती हैं कि उन के पास कुछ महिलाएं वैजाइनल ब्यूटीफिकेशन के उपाय पूछने भी आती हैं, तो कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो अपने पति से संतान तो चाहती हैं मगर सैक्स नहीं करना चाहतीं. संतान की उत्पत्ति के लिए वे कृत्रिम रूप से गर्भाधान करना चाहती हैं.

82 वर्षीय जिंबारडो कहते हैं कि युवाओं को डिजिटल सैक्स के इस मकड़जाल से निकालने के लिए वास्तविक दुनिया में इन्वौल्व होने के लिए प्रेरित करना पड़ेगा. उन्हें डिजिटल दुनिया से दूर रहने और अपने जैसे हाड़मांस के दूसरे लोगों से मिलनेजुलने और खासकर युवतियों से मिलनेजुलने के लिए प्रेरित करना पड़ेगा.

पोर्न फैक्ट, जो चौंकाते हैं

–  आमतौर पर हम पोर्न की खपत विदेश में ज्यादा मानते हैं, लेकिन 2014 में हुए एक औनलाइन सर्वे में ‘पोर्नहब’ ने पाया कि भारत पोर्न कंटैंट का सब से बड़ा उपभोक्ता है.

–  भारतीय डैस्कटौप के बजाय स्मार्टफोन पर पोर्न ज्यादा देखते हैं.

–  देशभर में आंध्र प्रदेश के लोग पोर्न हब पर सब से कम समय 6 मिनट 40 सैकंड बिताते हैं जबकि पश्चिम बंगाल में रोज 9 मिनट 5 सैकंड और असम में यह आंकड़ा 9 मिनट 55 सैकंड का है.

– सनी लियोनी अब तक की सब से फेवरिट पोर्न स्टार है.

– दुनिया के ज्यादातर देशों में पोर्न फिल्म सोमवार को देखी जाती है जबकि भारत में शनिवार को.

मेरी गर्लफ्रेंड शादी के बाद भी मुझसे फोन पर अश्लील बातें करती हैं, मैं क्या करूं?

सवाल
मैं 24 वर्षीय युवक हूं. मुझे एक लड़की से प्यार हुआ और उस से शारीरिक संबंध भी बन गए. लेकिन 3 महीने बाद लड़की की शादी कहीं और हो गई. शादी के बाद भी लड़की मुझ से फोन पर बातें करती रही. कुछ बातें, जिन्हें अश्लील कहा जा सकता है, उस के पति ने रिकौर्ड कर ली. उस का पति अब कहता है कि वह उसे छोड़ देगा. अभी तक छोड़ा तो नहीं है लेकिन दिक्कत यह है कि उस लड़की का पति अमीर है और वह मुझे मरवाने की योजना बना रहा है. बताएं, मैं क्या करूं?

जवाब
वैसे देखा जाए तो इस में गलती आप की है. लड़की की अगर शादी हो गई थी तो उस से ताल्लुक नहीं रखना चाहिए था. बल्कि उसे समझाना चाहिए था कि वह अब अपने पति और उस के घर की तरफ ध्यान दे.

कोई भी पति यह बरदाश्त नहीं करेगा कि उस की पत्नी किसी गैरपुरुष से संबंध रखे. खैर, यदि आप भी अपनी गलती मानते हैं तो उस लड़की के पति को समझाने की कोशिश कर सकते हैं कि भविष्य में आप उस की पत्नी से किसी तरह का कोई संबंध नहीं रखेंगे. आप किस आधार पर कह रहे हैं कि वह आप को मरवाने की योजना बना रहा है, यह आप ने बताया नहीं. फिर भी आप को ऐसा लगता है तो नजदीकी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं कि आप को अपनी जान का खतरा है.

ये भी पढ़ें…

इश्क की आग में बरबाद हुआ एक परिवार

2 लोगों के साथ जगराओं के थाना सिटी पहुंची लक्ष्मी ने थानाप्रभारी इंसपेक्टर इंद्रजीत सिंह को बताया था कि उस के पति प्रवासराम 2 दिन पहले काम पर गए तो अब तक लौट कर नहीं आए हैं. थानाप्रभारी ने पूरी बात बताने को कहा तो लक्ष्मी ने बताया कि उस के पति प्रवासराम मूलरूप से बिहार के जिला बांका के थाना रजौली के गांव उपराम के रहने वाले थे.

कई सालों पहले वह काम की तलाश में जगराओं आ गया था और पीओपी का काम सीख कर बडे़बडे़ मकानों में पीओपी करने के ठेके लेने लगा था. उस का काम ठीकठाक चलने लगा तो वह गांव से पत्नी और बच्चों को भी ले आया. जगराओं में वह डा. हरिराम अस्पताल के पास रहता था.

सन 2001 में प्रवासराम की लक्ष्मी से शादी हुई थी. उस के कुल 6 बच्चे थे, जिन में 4 बेटियां और 2 बेटे थे. वह सुबह काम पर जाता था तो शाम 7 बजे तक वापस आता था. लक्ष्मी की बात सुन कर इंद्रजीत सिंह ने पूछा, ‘‘जिस जगह तुम्हारा पति काम करता था, वहां जा कर तुम ने पता किया था?’’

‘‘जी साहब, यह लड़का उन्हीं के साथ काम करता था.’’ साथ आए 20-22 साल के एक लड़के की ओर इशारा कर के लक्ष्मी ने कहा.

थानाप्रभारी ने उस लड़के की ओर देखा तो उस ने कहा, ‘‘साहब, मेरा नाम सोनू है, मैं उन्हीं के साथ काम करता था. वह 2 दिनों से काम पर नहीं आए हैं, जिस से हम सभी बहुत परेशान हैं. हम सभी खाली बैठे हैं.’’

इंद्रजीत सिंह ने एएसआई बलजिंदर सिंह को पूरी बात समझा कर प्रवासराम की गुमशुदगी दर्ज करा कर उस की पत्नी से उस का एक फोटो लेने को कहा. थानाप्रभारी के आदेश पर बलजिंदर सिंह ने प्रवासराम की गुमशुदगी दर्ज कर लक्ष्मी से उस का एक फोटो ले लिया. इस के बाद उन्होंने उस की फोटो के साथ सभी थानों को उस की गुमशुदगी की सूचना दे दी. यह 4 अप्रैल, 2017 की बात है. इस का मतलब प्रवासराम 2 अप्रैल से गायब था.

6 अप्रैल, 2017 को पुलिस को जगराओं के बाहरी इलाके में सेम नानकसर रोड पर स्थित एक गंदे नाले में एक लाश मिली. उसे बिस्तर में लपेट कर फेंका गया था. मौके पर पहचान न होने की वजह से पुलिस ने लाश को मोर्चरी में रखवा कर उस के पोस्टर जारी कर दिए थे. पोस्टर देख कर अगवाड़ लोपो के रहने वाले मृतक के साढू समीर ने उस की शिनाख्त डा. हरिराम अस्पताल के पास रहने वाले प्रवासराम की लाश के रूप में कर दी थी.

इंद्रजीत सिंह ने तुरंत सिपाही भेज कर लक्ष्मी को बुलवा लिया था. लाश देखते ही लक्ष्मी रोने लगी. अब शक की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी. वह लाश उस के गुमशुदा पति प्रवासराम की ही थी. लाश की शिनाख्त होने के बाद इंद्रजीत सिंह ने प्रवासराम की गुमशुदगी की जगह अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लाश लक्ष्मी और उस के रिश्तेदारों को सौंप दी. उसी दिन शाम को उन्होंने उस का अंतिम संस्कार कर दिया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, प्रवासराम की हत्या 4 दिनों पहले गला घोंट कर की गई थी. उस की गरदन पर रस्सी के निशान थे. थानाप्रभारी ने इस मामले की जांच बलजिंदर सिंह को ही सौंप दी थी. उन्होंने मृतक की पत्नी लक्ष्मी और उस के भाइयों को बुला कर विस्तार से पूछताछ की.

मृतक के भाई अनूप का कहना था कि उस के भाई की न किसी से कोई दुश्मनी थी और न किसी तरह का कोई लेनादेना था. इस के बाद बलजिंदर सिंह ने लक्ष्मी से पूछा, ‘‘तुम सोच कर बताओ कि काम पर जाने से पहले तुम्हारी पति से कोई खास बात तो नहीं हुई थी?’’

‘‘कोई बात नहीं हुई थी साहब, रोज की तरह उस दिन भी वह अपना खाने का टिफिन ले कर सुबह साढ़े 7 बजे घर से गए तो लौट कर नहीं आए.’’

बलजिंदर सिंह ने वहां जा कर भी पूछताछ की, जहां प्रवासराम काम करा रहा था. उस के साथ काम करने वाले मजदूर ही नहीं, मकान के मालिक ने भी बताया कि प्रवासराम निहायत ही शरीफ और ईमानदार आदमी था. लड़ाईझगड़ा तो दूर, वह किसी से ऊंची आवाज में बात भी नहीं करता था. समय पर काम कर के मालिक से समय पर मजदूरी ले कर अपने मजदूरों को उन की मजदूरी दे कर उन्हें खुश रखता था.

बलजिंदर सिंह को अब तक की पूछताछ में कोई ऐसा सुराग नहीं मिला था, जिस से वह हत्यारों तक पहुंच पाते. यह तय था कि हत्यारे 2 या 2 से अधिक थे. लेकिन उन की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसे शरीफ आदमी की भला किसी की क्या दुश्मनी हो सकती थी, जो उसे मार दिया.

थानाप्रभारी इंद्रजीत सिंह से सलाह कर के बलजिंदर सिंह मुखबिरों की मदद से यह पता करने लगे कि मृतक की पत्नी का किसी से अवैध संबंध तो नहीं था. इस की एक वजह यह थी कि लक्ष्मी ने कई बार बयान बदले थे. यही नहीं, पूछताछ के दौरान वह डरीडरी सी रहती थी. कभी वह कहती थी कि 2 अप्रैल को काम से लौटने के बाद वह कुछ लेने के लिए बाजार गए थे तो लौट कर नहीं आए तो कभी कहती थी कि सुबह काम पर गए थे तो लौट कर नहीं आए थे.

उस की इन्हीं बातों पर उन्हें उस पर शक हो गया था. मुखबिरों से उन्हें पता चला था कि लक्ष्मी के घर सिर्फ 20-22 सल के सोनू का ही आनाजाना था. उसी सोनू के साथ लक्ष्मी प्रवासराम की गुमशुदगी दर्ज कराने थाने आई थी. उस की उम्र लक्ष्मी से इतनी कम थी कि उस पर संदेह नहीं किया जा सकता था. लेकिन मुखबिर ने जो खबर दी थी, उस से सोनू ही संदेह के घेरे में आ गया था. पुलिस जब उसे गिरफ्तार करने पहुंची तो वह घर पर नहीं मिला.

बलजिंदर सिंह महिला सिपाही की मदद से लक्ष्मी को थाने ले आए और जब उस से कहा कि उसी ने सोनू के साथ मिल कर अपने पति की हत्या की है तो वह अपने बच्चों की कसम खाने लगी. उस का कहना था कि पुलिस को शायद गलतफहमी हो गई है. वह भला अपने पति की हत्या क्यों करेगी.

लेकिन पुलिस को मुखबिर पर पूरा भरोसा था. इसलिए जब उस के साथ थोड़ी सख्ती की गई तो उस ने अपने पति प्रवासराम की हत्या का अपराध स्वीकार करते हुए बता दिया कि उसी ने अपने प्रेमी सोनू के साथ साजिश रच कर पति प्रवासराम की हत्या कराई थी.

इस हत्या में उस का प्रेमी सोनू और उस के 2 दोस्त मिल्टन और छोटू सोनू शामिल थे.

सोनू के दोस्त का नाम भी सोनू था, इसलिए यहां उस का नाम छोटू सोनू लिख दिया गया है. लक्ष्मी ने ही प्रवासराम की हत्या करा कर उस की लाश गंदे नाले में फेंकवा दी थी.

इस के बाद लक्ष्मी की निशानदेही पर उस के प्रेमी सोनू और उस के साथी अवधेश (बदला हुआ नाम) को हिरासत में ले लिया गया था. जबकि उस का साथी सोनू फरार होने में कामयाब हो गया था. शायद उसे लक्ष्मी, अवधेश और सोनू के गिरफ्तार होने की सूचना मिल गई थी.

बलजिंदर सिंह ने उसी दिन यानी 9 अप्रैल, 2017 को तीनों अभियुक्तों लक्ष्मी, अवधेश और सोनू को जिला मजिस्टै्रट की अदालत में पेश कर के लक्ष्मी और सोनू को 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया, जबकि नाबालिग होने की वजह से अवधेश को बाल सुधारगृह भेज दिया गया. रिमांड अवधि के दौरान प्रवासराम की हत्या की जो कहानी प्रकाश में आई, वह  इस प्रकार थी-

6 बच्चों की मां बन जाने के बाद भी लक्ष्मी की देह की आग शांत होने के बजाय और भड़क उठी थी. इस की वजह यह थी कि प्रवासराम सीधासादा और शरीफ आदमी था. उस ने लक्ष्मी से कहा था कि अब उसे खुद पर संयम रखना चाहिए, क्योंकि उस के 6 बच्चे हो चुके हैं. अब उसे अपने इन बच्चों की फिक्र करनी चाहिए.

प्रवासराम दिनभर काम कर के थकामांदा घर लौटता और खाना खा कर अगले दिन काम पर जाने के लिए जल्दी सो जाता. लक्ष्मी को यह जरा भी नहीं सुहाता था. जब पति ने उस की ओर से पूरी तरह मुंह मोड़ लिया तो उस की नजरें खुद से लगभग 22 साल छोटे सोनू पर जा टिकीं.

काम से फारिग होने के बाद अकेला रहने वाला सोनू अक्सर प्रवासराम के साथ उस के घर आ जाता था. वह घंटों बैठा प्रवासराम और लक्ष्मी से बातें किया करता था. लक्ष्मी की नजरें उस पर टिकीं तो वह उस से हंसीमजाक के साथसाथ शारीरिक छेड़छाड़ भी करने लगी. युवा हो रहे सोनू को यह सब बहुत अच्छा लगता था.

एक दिन दोपहर को जब सोनू काम से छुट्टी ले कर लक्ष्मी के घर पहुंचा तो लक्ष्मी ने उसे पकड़ कर बैड पर पटक दिया और मनमानी कर डाली. सोनू के लिए यह एकदम नया सुख था. उसे ऐसा लगा, जैसे वह जन्नत की सैर कर रहा है. उस दिन के बाद यह रोज का नियम बन गया. सोनू काम के बीच कोई न कोई बहाना कर के लक्ष्मी के पास पहुंच जाता और मौजमस्ती कर के लौट जाता. यह सब लगभग एक साल तक चलता रहा. किसी तरह इस बात की जानकारी प्रवासराम को हुई तो उस ने लक्ष्मी को खरीखोटी ही नहीं सुनाई, बल्कि प्यार से समझाया भी, पर उस के कानों पर जूं नहीं रेंगी.

जब प्रवासराम ने लक्ष्मी पर रोक लगाने की कोशिश की तो सोनू के प्यार में पागल लक्ष्मी ने सोनू के साथ मिल कर प्रवासराम की हत्या की योजना बना डाली. एक दिन उस ने सोनू से कहा, ‘‘जब तक प्रवासराम जिंदा रहेगा तो हम दोनों इस तरह मिल नहीं पाएंगे. वैसे भी अब उस के वश का कुछ नहीं रहा. वह बूढा हो गया है, अब उस का मर जाना ही ठीक है.’’

लक्ष्मी के साथ मिल कर प्रवासराम की हत्या की योजना बना कर सोनू ने साथ काम करने वाले अवधेश और छोटू सोनू को कुछ रुपयों का लालच दे कर अपने साथ मिला लिया. घटना वाले दिन यानी 2 अप्रैल, 2017 को सोनू पार्टी देने के बहाने शराब की बोतल और चिकन ले कर लक्ष्मी के घर पहुंचा. अवधेश और छोटू सोनू भी उस के साथ थे. उस ने प्रवासराम से कहा, ‘‘भइया चिकन और शराब लाया हूं, आज पार्टी करने का मन है.’’

योजनानुसार चारों शराब पीने बैठ गए. खुद कम पी कर सोनू और उस के साथियों ने प्रवासराम को अधिक शराब पिला दी. रात के 11 बजे तक प्रवासराम जरूरत से ज्यादा शराब पी कर लगभग बेहोश हो गया तो लक्ष्मी ने सोनू को इशारा किया.

सोनू ने छोटू सोनू और अवधेश की तरफ देखा तो छोटू सोनू ने बेसुध पड़े प्रवासराम के दोनों पैर कस कर पकड़ लिए. अवधेश उस की छाती पर सवार हो गया तो लक्ष्मी और सोनू ने प्रवासराम के गले में रस्सी डाल कर कस दिया. प्रवासराम तड़प कर शांत हो गया तो चारों ने मिल कर लाश को बैड से उतार कर नीचे खिसका दिया.

अवधेश और छोटू सोनू तो अपनेअपने घर चले गए, जबकि सोनू लक्ष्मी के कमरे पर ही रुक गया. दोनों पूरी रात उसी बैड पर मौजमस्ती करते रहे, जिस बैड के नीचे प्रवासराम की लाश पड़ी थी.

अगले दिन यानी 3 अप्रैल की रात को अवधेश और छोटू सोनू की मदद से सोनू प्रवासराम की लाश को बिस्तर में लपेट कर रेहड़े से ले जा कर सेम नानकसर रोड पर बहने वाले गंदे नाले में फेंक आया.

रिमांड अवधि के दौरान लक्ष्मी की निशानदेही पर पुलिस ने उस के घर से वह रस्सी बरामद कर ली थी, जिस से प्रवासराम का गला घोंटा गया था. हत्या करते समय लक्ष्मी ने अपने सभी बच्चों को दूसरे कमरे में सुला कर बाहर से कुंडी लगा दी थी, जिस से बच्चों को कुछ पता नहीं चल सका था.

रिमांड अवधि समाप्त होने पर 11 अप्रैल, 2017 को लक्ष्मी और उस के प्रेमी सोनू को पुन: अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. अवधेश को पहले ही बाल सुधार गृह भेज दिया गया था.

इस हत्याकांड का एक आरोपी छोटू सोनू अभी फरर है. पुलिस उस की तलाश कर रही है. प्रवासराम की हत्या और लक्ष्मी के जेल जाने के बाद उन के सभी बच्चों को प्रवासराम का छोटा भाई अपने घर ले गया है. लक्ष्मी ने अपनी वासना में अपना परिवार तो बरबाद किया ही, 3 लड़कों की जिंदगी पर सवालिया निशान लगा दिए.

मैं अपनी भानजी को पसंद करता हूं और उससे शादी करना चाहता हूं, कृप्या सलाह दें?

सवाल
मैं एलएलबी का छात्र हूं और अपनी दूर के रिश्ते की भानजी को बहुत पसंद करता हूं. उस से शादी करना चाहता हूं. लेकिन उस की तरफ से कोई जवाब नहीं मिल रहा. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब
शादी करना कोई गुड्डेगुडि़यों का खेल नहीं होता. कोई भी फैसला बहुत ही सोचसमझ कर लेना चाहिए. आप जिस से शादी करना चाहते हैं वह रिश्ते में आप की भानजी लगती है. भारतीय समाज में वैसे भी भानजी से शादी नहीं होती है. हां, कई जगह यह परंपरा है कि मामा भानजी की शादियां होती हैं. पर आप के मामले में ऐसा है कि नहीं, यह आप ने नहीं बताया.

ये भी पढ़ें : मेरे घरवाले नहीं चाहते कि मैं अपने हिंसक पति से तलाक लूं , क्या करूं?

 

वैसे भी आप कानून की पढ़ाई कर रहे हैं तो आप को मालूम होना चाहिए कि हिंदू मैरिज ऐक्ट की धारा 5 (4) के अनुसार वर्जित संबंधों (प्रोहिबिटेड रिलेशन) में शादी नहीं हो सकती. वह कानूनन मान्य नहीं होगी. दूसरी तरफ, हो सकता है आप की भानजी रिश्तों की मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहती हो, इसलिए उस की तरफ से आप को कोई जवाब नहीं मिल रहा. सब पक्षों को ध्यान में रखते हुए स्वयं फैसला लें कि यह विवाह करना आप के लिए कितना उचित रहेगा.

ये भी पढ़ें…

आखिर क्यों : प्यार किया तो डर के किया

धर्म और जाति की बिना पर प्यार से नाकभौं सिकोड़ते रहने वाले लोग अगर एक दफा ईमानदारी से अपने दिमाग से नफरत का कूड़ा निकाल कर प्यार करने वालों की बातों, जो वे दिल से करते हैं, को सुन लें तो तय है उन का नजरिया प्यार और प्यार करने वालों के हक में बदल जाएगा. जिस समाज में हम रहते हैं उस पर उन लोगों का दबदबा है जिन्हें धर्म ने रटा दिया है कि प्यार करना बुरी बात है और धर्म के उसूलों के खिलाफ है, इसलिए जहां भी किसी को प्यार करते देखो, तुरंत एतराज जताओ, उन्हें धर्मजाति के अलावा घर की मानमर्यादाओं के नाम पर परेशान करो और इतना परेशान करो कि वे मरने तक कि सोचने लगें. यह हर्ज की बात नहीं क्योंकि धर्म जिंदा रहना चाहिए, वही जीवन का सार है.

इस कट्टरवादी सोच के तले हमेशा से ही इश्क करने वाले हारते आए हैं. वे आज भी कायदेकानूनों, रीतिरिवाजों और उसूलों के नाम पर अपनी हंसतीखेलती जिंदगी व हसीन ख्वाबों की बलि चढ़ा रहे हैं. पर प्यार में जान देने वालों की जिम्मेदारी लेने को कोई आगे नहीं आता तो यह महसूस होना कुदरती बात है कि हमें एक ऐसा समाज और माहौल चाहिए जिस में प्यार करने की आजादी हो, नौजवानों को अपनी मरजी से शादी करने का हक हो, नहीं तो प्रेमी यों ही डरडर कर जीते रहेंगे और इन में से कुछ मरते रहेंगे.

एकदूजे के लिए

भोपाल के बाग मुगालिया इलाके  में रहने वाले 19 वर्षीय रंजीत को अपने ही महल्ले में रहने वाली 17 वर्षीया काजल साहू से प्यार हो गया. एक सुनहरी जिंदगी का ख्वाब उन की आंखों ने देखा. लेकिन उन की नजरें दुनियादारी नहीं देख पाईं. जल्दी ही उन के हौसलों ने घर, समाज, जाति और धर्म के आगे घुटने टेक दिए.

पेशे से मैकेनिक रंजीत ठीकठाक कमा लेता था. उस की जिंदगी की कहानी औरों से हट कर है. एक साल पहले ही उस के पिता की मौत हुई तो मां ने दूसरी शादी कर ली थी. जब मां अपने दूसरे शौहर के यहां चली गई तो वह अपने मामा अरविंद के यहां रहने चले आया. जवानी में विधवा हो गई मां को अगर दूसरा सहारा मिल गया था तो यह कतई हर्ज की बात नहीं थी.

ये भी पढ़ें : मैं और मेरी मंगेतर की बहन एक-दूसरे से प्यार करने लगे

लेकिन एक साल के अंतर से हुई इन 2 घटनाओं ने रंजीत की जिंदगी में एक खालीपन ला दिया, जिसे पूरा किया कमसिन और खूबसूरत काजल ने जो उस के दिल का दर्द समझने लगी थी.

19 फरवरी की दोपहर में रंजीत घर आया और खुद को कमरे में बंद कर फांसी लगा ली. जैसे ही मामा अरविंद ने भांजे को फांसी के फंदे पर झूलते देखा, तुरंत पुलिस को खबर दी. पुलिस आई, कानूनी कार्यवाही व पूछताछ की और फिर रंजीत की लाश को पोस्टमौर्टम के लिए भेज दिया. सारे महल्ले में इस खुदकुशी की चर्चा थी कि क्यों सीधेसादे रंजीत, जिस का अपने रास्ते आनाजाना था, ने बुजदिलों की तरह अपनी जान, भरी जवानी में दे दी जबकि उस के सामने तो पूरी जिंदगी पड़ी थी.

कुछ ही लोगों को समझ आया कि माजरा क्या हो सकता है लेकिन वे कुछ नहीं बोले. बोलने से अब कोई फायदा भी नहीं था कि रंजीत दरअसल काजल से प्यार करता था और शादी करना चाहता था लेकिन उस के घर वाले तैयार नहीं हो रहे थे. शायद, इसलिए उस ने जान दे दी. रंजीत कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ गया था.

जैसे ही रंजीत की खुदकुशी की खबर काजल को लगी तो उस ने बगैर वक्त गंवाए फैसला ले लिया. यह फैसला दरअसल रंजीत के साथ जीनेमरने की कसमें और वादे निभाने का था. रंजीत की मौत की खबर जिस वक्त काजल को मिली, उस वक्त वह पड़ोस की एक शादी में गई थी. वह घर आई और शाम का खाना बनाया, फिर अपने कमरे में चली गई.

इस वक्त काजल की दिमागी हालत क्या रही होगी, इस का सहज अंदाजा हर कोई नहीं लगा सकता. जिस का प्यार उस से कभी छिन गया हो वही समझ सकता है कि काजल पर क्या गुजर रही होगी. रात कोई साढ़े 8 बजे काजल भी रंजीत की तरह फांसी पर झूल गई. मरने से पहले सुसाइड नोट में उस ने खुद के और रंजीत के प्यार का जिक्र किया.

अपनों द्वारा विरोध

शुरू हुआ चर्चाओं का दौर, हरेक की अपनी अलग राय थी. कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने यह कहा कि रंजीत को काजल के बालिग होने तक इंतजार करना चाहिए था. बात सच थी लेकिन ऐसा कहने वाले लोग यह नहीं सोच पाए कि आखिर क्या वजहें थी जिन के चलते रंजीत और काजल को इंतजार करना भी बेकार लगने लगा था. यह बात 10वीं में पढ़ने वाली काजल भी जानतीसमझती थी कि नाबालिग की शादी कानूनन जुर्म होती है.

दरअसल, ये दोनों इंतजार करने को तैयार थे पर इन का प्रेमप्रसंग घरवालों को रास नहीं आ रहा था. रंजीत और काजल का प्यार कोई ढकीमुंदी बात नहीं रह गई थी. जानने वालों को यह भी मालूम था कि कुछ दिनों पहले ही काजल के घरवाले शादी के लिए तैयार हो गए थे पर फिर बाद में मुकर गए थे. यह बात रंजीत के मामा अरविंद ने मानी कि दोनों में प्यार था.

इस वाकए ने अनायास ही फिल्म ‘एक दूजे के लिए’ की याद दिला दी जिस में हीरो कमल हासन और हीरोइन रति अग्निहोत्री थे. ये दोनों भी एकदूसरे से टूटकर प्यार करते थे पर घरवाले अलगअलग धर्मों, जाति और इलाकों के थे, इसलिए विवाह के लिए तैयार नहीं थे. सपना और वासु पर उन्होंने तरहतरह की बंदिशें व शर्तें लाद रखी थीं जिन पर वे खरे भी उतर रहे थे पर इस के बाद भी बात नहीं बनी तो दोनों ने एकएक कर खुदकुशी कर ली थी.

ये भी पढ़ें : मैं गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल कर रही हूं, क्या पति

 

यह फिल्म जबरदस्त हिट हुई थी. आज भी प्रेमियों के बीच इस के किरदारों सपना और वासु की मिसाल दी जाती है और यह आज भी इस लिहाज से मौजूं है कि प्यार के मामले में भारतीय समाज की सोच और संकरापन ज्यों का त्यों 35 साल और उस से भी पहले जैसा है. 35 साल में कितने प्रेमियों ने अपनी जान दी होगी, इस की कोई गिनती नहीं, लेकिन कुछ चर्चित मामले जरूर हैं.

जुदाई का डर

भोपाल के हमीदिया रोड स्थित होटल अमरदीप के एक कमरे में इसी साल 5 जनवरी को ही मनीषा लोवंशी और शुभम पटेल नाम के प्रेमियों ने खुदकुशी कर ली थी. इन दोनों ने जुदाई के डर से बाकायदा योजना बना कर साथ मरने की कसम निभाई थी. 24 वर्षीया मनीषा ने इस दिन दोपहर को एक होटल में कमरा किराए पर लिया था. थोड़ी देर बाद शुभम भी होटल के कमरे में आ गया. दोनों ने साथ मिल कर खाना खाया.

खाना खाने के बाद उन्होंने जो बातें की होंगी, वो तो उन के साथ गईं पर उन की खुदकुशी कुछ सवाल जरूर छोड़ गई. दोनों ने होटल के कमरे में सल्फास की गोलियां खा लीं.

मनीषा इंदौर की रहने वाली थी जो अकसर भोपाल आया करती थी. यहां उस की जानपहचान अपनी उम्र से 4 साल छोटे शुभम से हो गई. दोनों ने तय कर लिया कि अब साथ जिएंगे और साथ नहीं जी पाए तो मर तो साथ सकते हैं.

इस हादसे पर भी खूब सनसनी मची थी जिस में एक बात यह सामने आई थी कि मनीषा की मामीमामा को उस का शुभम से मिलनाजुलना पसंद नहीं था क्योंकि अगर वह शुभम से शादी करती तो इस का असर उन की 3 लड़कियों की शादी पर भी पड़ता यानी गैरबिरादरी के कम उम्र के लड़के से शादी करने पर पूरे घर की बदनामी होती.

ये दोनों बालिग थे, चाहते तो शादी कर सकते थे पर इन्हें चिंता और डर जाति व समाज का था. क्यों? इस सवाल का जवाब साफ है कि प्यार करने वाले इस मोड़ पर उसूलों और ख्वाहिशों की चक्की में पिस रहे होते हैं जिस से बाहर निकलने में इन की मदद के लिए कोई न आगे आता है और न ही सही राह दिखाता है.

फिर क्या करें? रंजीतकाजल और मनीषाशुभम जैसे प्रेमी. यह सवाल हमेशा से ही मुंहबाए खड़ा है. लेकिन हारते प्यार करने वाले ही हैं जिन का गुनाह सिर्फ इतना सा होता है कि उन्होंने प्यार किया. यह प्यार आज भी चोरी और या गुनाह माना जाता है तो इस के असल जिम्मेदार धर्म के ठेकेदार हैं जो नहीं चाहते कि नौजवान अपनी मरजी से शादी करें, अगर करेंगे तो इन के खोखले उसूल, कायदे, कानून और रीतिरिवाज ताश के पत्तों की तरह ढह जाएंगे जो इन की रोजीरोटी का तो बड़ा जरिया हैं ही, साथ ही समाज पर इन का दबदबा भी बनाए रखते हैं.

बीती 18 दिसंबर को मध्य प्रदेश के शिवपुरी में एक और ऐसा ही हादसा हुआ था जिस में 20 वर्षीया माशूका आरती कुशवाह ने अपने 22 वर्षीय आशिक महावीर रजक के खुदकुशी करने के बाद खुद भी आत्महत्या कर ली. महावीर चूंकि छोटी जाति का था और आरती ऊंची जाति की, इसलिए इन दोनों की शादी के लिए इन के घर वाले राजी नहीं हो रहे थे. ये दोनों बैराड़ गांव से शिवपुरी पढ़ने आए थे और एकदूसरे को बेइंतहा चाहने लगे थे.

महावीर और आरती ने धर्म द्वारा बनाए और फैलाए गए जातिवाद की सजा अपनी जानें दे कर भुगतीं तो किसी ने कुछ नहीं कहा, न ही सोचा कि आखिर इन मासूमों का इस में कुसूर क्या था. कुल मिला कर साबित यह हुआ कि वाकई प्यार करने वाले धर्म, जाति और ऊंचनीच वगैरा कुछ नहीं देखते और ऐसा होना तभी मुमकिन है जब दिलों में प्यार का एहसास जाग जाए.

पर इन्हें सजा क्यों

2 बालिग जब प्यार करते हैं तो सही मानो में उन्हें जिंदगी के माने समझ आते हैं. प्रेमियों को सारी दुनिया हसीन लगती है और उन का कुछ करगुजरने का जज्बा भी सिर उठाने लगता है. उन्हें अपने वजूद का एहसास होता है, जिंदगी का मकसद मिलता है और एक सुकूनभरी जिंदगी गुजारने के लिए वे एकदूसरे के साथ जीनेमरने की कसमें खाने लगते हैं. धर्म, जाति और उम्र के बंधन तोड़ने पर ये उतारू हो जाते हैं. लेकिन हकीकत से जब टकराते हैं तो इन की हिम्मत जवाब देने लगती है.

यह हकीकत है कि ये प्यार करने वाले धर्म के ठेकेदारों और समाज के पैराकारों के बिछाए सदियों पुराने जाल में फड़फड़ा कर परिंदों की तरह दम तोड़ देते हैं. किसी का दिल नहीं पसीजता, उलटे प्रचार यह किया जाता है कि देख लो, प्यार करने का अंजाम.

कई मामलों में प्रेमी बालिग होते हैं और हर लिहाज से काबिल भी होते हैं लेकिन उसूल तोड़ कर अपने सपनों का आशियाना बनाने की हिम्मत वे नहीं जुटा पाते. इस की वजह सिर्फ यह है कि वे एक बुजदिल बेडि़यों में जकड़े समाज और दुनिया में जीने के बजाय साथ मर जाना बेहतर समझते हैं.

कहने का मतलब यह नहीं कि खुदकुशी करना कोई बहादुरी वाली बात है बल्कि यह है कि प्रेमियों को अपनेआप में दुनिया, धर्म और समाज से लड़ने की हिम्मत जुटानी चाहिए क्योंकि अपनी मरजी के मुताबिक शादी करना और जिंदगी जीना हर किसी का हक है. जिंदगी को बेकार के रीतिरिवाजों व नियमों की बलि चढ़ा कर ये लोग प्यार को कमजोर साबित कर जाते हैं.

आ रहा है बदलाव

एकसाथ खुदकुशी कर मर जाने वालों को समाज में आ रहे बदलावों को भी गौर से देखना चाहिए. आजकल पढ़ेलिखे, खातेपीते घरों में 60 फीसदी शादियां दूसरी जाति में हो रही हैं और हैरत की बात यह है कि राजीखुशी हो रही हैं. मांबाप खुद बच्चों की मरजी से शादी कराने के लिए आगे आ रहे हैं. थोड़ी तकलीफ हालांकि उन्हें भी होती है पर बच्चे खुद को अच्छा पतिपत्नी साबित कर दें, तो वक्त रहते वह तकलीफ भी दूर  हो जाती है.

दरअसल, फर्क शिक्षा और माहौल का है जिसे बदलने के लिए जरूरी है कि पहले कैरियर बना कर खुद के पैरों पर खड़ा हुआ जाए, दुनियाजमाने की परवा न की जाए.  इस के लिए जरूरी है कि आशिक और माशूका साथ जीने की कसम खाएं, साथ मरने की बात तो उन्हें सोचनी ही नहीं चाहिए क्योंकि कानून उन के साथ है. धीरेधीरे लोगों का नजरिया भी बदल रहा है पर उस का दायरा अभी सिमटा है, तो जाहिर है नौजवानों के विरोध, गैरत और अच्छे कैरियर से ही और बढ़ेगा.

इन्होंने जीती जंग

 नए साल की शुरुआत प्यार के मामले में ठीकठाक नहीं हुई थी. 3 जनवरी की सुबह भोपाल के कलैक्ट्रेट में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा था और उन के इरादे नेक नहीं लग रहे थे. लिहाजा, भारी तादाद में पुलिस बल यहां तैनात था जिसे देख हर कोई हैरत में था कि आखिर यहां कौन सा पहाड़ टूटने वाला है.

दरअसल, इस दिन बैंक की एक मुलाजिम रितु अपने प्रेमी विशाल से कोर्टमैरिज करने वाली थी. विशाल चूंकि ईसाई धर्म को मानने वाला है, यह भनक लगते ही कि एक हिंदू लड़की क्रिश्चियन लड़के से शादी करने जा रही है वह भी अपने घरवालों की मरजी के खिलाफ, तो बजरंगियों ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था.

ये लोग रितु और विशाल की शादी न होने देने पर आमादा थे तो इन दोनों ने दृढ़ कर रखा था कि कुछ भी हो जाए, प्यार के इन दुश्मनों के सामने सिर नहीं झुकाना है. शादी से रोकने के लिए रितु के घरवालों ने उसे मारापीटा भी था. इस से साबित हो गया था कि ऐसा गांवदेहातों के अनपढ़ कहे जाने वाले लोगों में ही नहीं, बल्कि पढ़ेलिखे शहरी भी जातपांत, धर्म और ऊंचनीच की गिरफ्त में हैं.

खूब हंगामा हुआ लेकिन ये दोनों अपने फैसले से टस से मस नहीं हुए और रजिस्ट्रार के यहां शादी की दरख्वास्त लगा दी. शादी के दिन भारी गहमागहमी के बीच एडीएम रत्नाकर झा ने रितु को कोर्ट में बुला कर पूछा कि कहीं विशाल और उस के घरवाले तुम्हें बहलाफुसला कर तो शादी नहीं कर रहे हैं और मुमकिन है शादी के बाद तुम्हारा धर्मपरिवर्तन भी करा दें. जवाब में पूरे भरोसे के साथ रितु ने कहा कि वह विशाल से ही शादी करना चाहती है. एडीएम के यह पूछने पर कि तुम्हारे घरवाले नहीं चाहते कि तुम किसी दूसरे लड़के से शादी करो तो रितु ने कहा कि विशाल और मैं ने एकसाथ जीनेमरने की कसम खाई है और इसे मैं उम्रभर निभाऊंगी.

रितु का यह भी कहना था कि वह बालिग है और अपना भलाबुरा बखूबी समझती है. अपने घरवालों के एतराज से उसे कोई सरोकार या लेनादेना नहीं है. उधर, विशाल ने पूरी सख्ती के साथ कहा कि भले ही रितु के मांबाप गुस्सा हों लेकिन वह उन्हें अपने मांबाप की तरह इज्जत देगा और जिंदगीभर रितु का खयाल रखेगा. एडीएम ने बाहर हिंदूवादियों के  जमावड़े की परवा न करते हुए इन दोनों की शादी पर कानूनी मुहर लगा दी.

इस मामले से सबक यह मिलता है कि अगर प्रेमी प्यार के दुश्मनों से लड़ने की ठान लें, तो कोई उन का कुछ नहीं बिगाड़ सकता. फिर मरने की बात सोचने का तो सवाल ही नहीं उठता.

क्या करें

प्यार करना गुनाह नहीं है पर उस में साथसाथ या फिर अलगअलग किसी एक का खुदकुशी कर लेना, वह भी डर से, जरूर गुनाह है जिस से इस तरह बचा जा सकता है –

–    शादी का फैसला बालिग होने पर ही लें.

–     शादी से पहले काबिल बनें यानी अपने पैरों पर खड़े हों.

–   कोई भी फैसला लेने से पहले घर वालों को मनाने की हर मुमकिन कोशिश करें.

–   घरवाले न मानें तो रिश्तेदारों और दोस्तों का साथ लेने की कोशिश करें.

–    अगर कोई भी साथ न दे तो कोर्टमैरिज करें और अलग रहें.

बेशक ये बातें कहनेसुनने में आसान लगती हैं लेकिन इन पर अगर आसानी से अमल किया जा सकता तो बड़े पैमाने पर प्रेमी खुदकुशी करते ही क्यों? पर मुहब्बत की जंग जीतने के लिए जरूरी है अपनेआप में हिम्मत पैदा की जाए. इस के लिए जरूरी है कि घरपरिवार, जाति और धर्म को ले कर ज्यादा जज्बाती न हुआ जाए और यह भी न सोचा जाए कि अगर अपने घरवालों की मरजी के खिलाफ शादी कर ली तो उन पर क्या गुजरेगी.

सोचें यह कि जब हम एकदूसरे के बगैर वाकई नहीं रह सकते तो हम पर क्या गुजरेगी. खुदकुशी करना आसान काम है, पर इस से सपने पूरे नहीं होते, न खुद के और न ही घरवालों के जो धर्म व जाति के चक्रव्यूह में फंसे अपने बच्चों का भला भी नहीं सोच सकते.

ये भी पढ़ें: कुछ दिनों से मैं स्वप्नदोष की समस्या से पीड़ित हूं, मुझे क्या करना चाहिए?

मैं एक लड़के से प्यार करती हूं ,लेकिन वो शादी की बात टाल देता है, क्या करूं?

सवाल
मैं 25 वर्षीय युवती हूं. एक लड़के से बहुत प्यार करती हूं. वह भी मुझे बहुत प्यार करता है पर जब भी शादी की बात आती है तो वह बिदक जाता है. कहता है कि अभी घर में उस की शादी की बात नहीं चल रही. इस के अलावा वह यह भी स्पष्ट कर चुका है कि उस की मां अंतर्जातीय विवाह के लिए राजी नहीं होंगी. उसे उन्हें मनाने के लिए वक्त चाहिए. इस के अलावा वह अभी किराए के मकान में रहता है. पहले वह अपना घर बनाएगा उस के बाद शादी के बारे में सोचेगा. उस की उम्र 29 साल हो चुकी है. यदि इसी तरह वह शादी की बात टालता रहा तो शादी की उम्र ही निकल जाएगी. बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब
आप दोनों की उम्र शादी के लायक है, बावजूद इस के यदि आप को लगता है कि आप का बौयफ्रैंड विवाह (आप के साथ) के लिए गंभीर है और वह अपनी मां को इस शादी के लिए राजी कर लेगा तो आप उसे कुछ समय दे सकती हैं. अपना घर बनाने का फैसला भी कुछ हद तक सही है, क्योंकि विवाह के बाद वैसे भी जिम्मेदारियां और खर्च बढ़ जाते हैं, तब घर बनाना थोड़ा कठिन होता है. यदि फिलहाल शादी को टाल रहा है, तो सही है. जहां तक शादी की उम्र की बात है तो साल 2 साल कोई फर्क नहीं पड़ेगा, बशर्ते वजह यही हो.

ये भी पढ़ें…

मिलन की रात, बन जाए बात

अनिल और सुधा की शादी की पहली रात थी. शादी में आए लोगों के जातेजाते रात का 1 बज गया. तब अनिल की बहन को ध्यान आया कि इस नवविवाहित जोड़े को तो अपने कक्ष में भेजो. चूंकि रात काफी बीत चुकी थी, इसलिए अपने कक्ष में पहुंचते ही अनिल आननफानन सहवास करने लगा तो एक हलकी सी चीख के साथ सुधा उस के बाहुपाश से अलग हो गई. बोली कि नहीं, मैं यह बरदाश्त नहीं कर सकूंगी. मुझे दर्द होता है. बेचारा अनिल मन मसोस कर रह गया. सुधा की दिन पर दिन बीतते चले गए और फिर दर्द की तीव्रता भी बढ़ती चली गई. पहली रात की मिठास कड़वाहट में बदल गई थी. फिर एक दिन जब अनिल ने यह बात अपने दोस्त को बताई तो उस की सलाह पर वह पत्नी के साथ चिकित्सक के पास पहुंचा. तब जा कर दोनों सहवास का आनंद उठाने में कामयाब हो पाए.

वास्तव में सहवास परम आनंद देता है. मगर इस में इस तरह की कोई परेशानी हो जाए तो नौबत तलाक तक की भी आ जाती है.

आइए, जानें कि ऐसी स्थिति आने पर क्या करें:

– पतिपत्नी को चाहिए कि भले प्रथम 1-2 मिलन में दर्द हो, तो भी वे संपर्क बनाना न छोड़ें. कामक्रीड़ा करते रहें ताकि एकदूसरे के प्रति आकर्षण बना रहे और दर्द की बात मन में न बैठे.

– चूंकि यह शारीरिक से ज्यादा मनोवैज्ञानिक समस्या है, अत: मानसिक स्तर पर भी मजबूत बने रहें.

– ऐसे पतिपत्नी को चाहिए कि वे यह सोच कर कि सहवास नहीं करेंगे, प्रतिदिन यौनक्रीड़ा यानी आलिंगन, चुंबन, बाहुपाश में बांधना, सहलाना आदि करते रहें. यौनक्रीड़ा में बहतेबहते उन्हें पता भी नहीं चलेगा कि वे कब सहवास में सफल हो गए. तब सारा डर जाता रहेगा.

– यदि एकदूसरे के प्रति पूर्ण आकर्षण न हो कर कोई गिलाशिकवा, नफरत, गुस्सा हो तो उसे दिमाग से निकाल देने मात्र से दर्दयुक्त सहवास की समस्या समाप्त हो सकती है.

– यदि पहले कभी बलात्कार हुआ हो या आप के पुरुष साथी (वह पति ही क्यों न हो) ने यदि आप के जननांगों को चोट पहुंचाई हो तब भी ऐसी स्थिति में भी स्त्री को सहवास से भय पैदा हो जाता है. इस स्थिति का यथोचित समाधान आवश्यक है.

दर्दयुक्त सहवास के अन्य कारण पुरुषों में

– अंग में कड़ापन न आने के कारण भी सैक्स नामुमकिन हो जाता है.

– यदि आप अत्यधिक मोटापे से ग्रस्त हैं तब भी यह स्थिति पैदा हो जाती है.

– यौन संपर्क के प्रति नकारात्मक रवैया भी यह स्थिति पैदा कर देता है. इस के अलावा सैक्स के अन्य तरीकों को तवज्जो देना भी इस स्थिति के लिए उत्तरदायी हो सकता है.

– जननांग में कोई जन्मजात कमी.

स्त्रियों में

– यौन संपर्क के वक्त जननांग में स्थित खास प्रकार की ग्रंथियां कुछ लसलसा सा पदार्थ स्रावित करती हैं जो पुरुष के अंग को योनि में प्रवेश कराने में मददगार होता है. कई बार ये ग्रंथियां अपना यह कार्य करना बंद कर देती हैं. फलस्वरूप योनि में कथित सूखापन रहता है, जिस से सहवास में दर्द होता है. अकसर यह स्थिति डर या फिर गैरजिम्मेदाराना तरीके से स्थापित यौन संबंध से उत्पन्न होती है.

– यदि स्त्री को अत्यधिक मोटापा है या पैरों अथवा कूल्हों की हड्डियों का कोई रोग है, तब भी यह स्थिति आ सकती है.

– यदि जन्मजात योनि के ऊपर की झिल्ली (हाईमन) बहुत ज्यादा मोटी या सख्त हो तो भी सहवास के वक्त तकलीफ होती है.

– जिन स्त्रियों की शादी देर से होती है उन में योनि का लचीलापन कमजोर हो जाता है तथा मार्ग भी संकरा हो जाता है, जिस से मिलन के वक्त तकलीफ होती है.

– योनि मार्ग में अगर कोई सर्जरी हुई हो या वहां चोट आदि लगी हो तब भी संभोग के वक्त दर्द होता है.

– ऊपरी सतह पर कुछ व्याधियां भी सहवास को दर्दयुक्त बनाती हैं जैसे बवासीर, खूनी मस्से, पेशाब के मार्ग में संक्रमण, जन्म से ही योनि मार्ग की लंबाई कम होना आदि.

– इसी तरह अंदर की व्याधियां भी इस स्थिति के लिए उत्तरदायी होती हैं जैसे सर्विक्स संक्रमण, ओवरी का संक्रमण, गर्भाशय का क्षय रोग आदि.

सिंगल मदर होने के कारण मैं अपनी बेटी के लिए काफी चिंतित हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं अपनी 2 बेटियों के साथ रहती हूं, सिंगल मदर हूं, दोनों बेटियों की जिम्मेदारी मुझ पर ही है. मैं सरकारी नौकरी में हूं, दोनों बेटियों को मैं ने अच्छी शिक्षा देने की कोशिश की है. मेरी छोटी बेटी 17 साल की है और बड़ी 22 की. छोटी बेटी अकसर टिकटौक पर वीडियो बनाया करती थी. अपना सारा समय वह  वीडियो बनाने या बाकी लोगों की वीडियो देखने में बरबाद करती है. मैं उस से कुछ कहती हूं या
बड़ी बेटी कुछ कहने की कोशिश करती है तो वह सुन कर भी अनसुना कर देती है. क्या करूं, समझ नहीं आता.

ये भी पढ़ें- मेरा बौयफ्रेंड दूसरी लड़कियों से भी बात करता है, क्या वह मुझे धोखा दे रहा है?

जवाब

आप अपनी बेटी को समझाइए कि यह उम्र पढ़ने या किसी स्किल को डैवलप करने की है. स्किल डैवलपमैंट ही उसे आगे कैरियर में मदद करेगी. टिकटौक टाइमपास के लिए तो अच्छा है लेकिन सारा समय उसी में व्यर्थ करना ठीक नहीं है. हो सकता है वह यह बात अभी न समझे लेकिन एक मां के रूप में यह आप का कर्तव्य है कि आप उसे समझने पर मजबूर करें.

आप उसे कोई क्लास या कोर्स जौइन करा दीजिए जिस से उस का ध्यान बेकार की चीजों से खुदबखुद बंट जाएगा. जरूरी नहीं कि वह कोर्स पढ़ाई से ही संबंधित हो. आप उसे उस की पसंद की किसी एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटी की क्लास में भी डलवा सकती हैं. इस के अलावा उस के इंटरनैट यूसेज पर रोक लगा सकती हैं. बच्चे सोशल मीडिया पर ही सारा समय न लगे रहें, इस का ध्यान रखना भी जरूरी है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेरी हाल ही में नार्मल डिलीवरी हुई है, पति शारीरिक संबंध बनाना चाहते हैं, क्या करूं?

सवाल
मैं 30 वर्षीय विवाहित महिला हूं. 2 माह पूर्व नौर्मल डिलीवरी के जरिए मैं एक स्वस्थ बच्चे की मां बनी हूं. मेरे पति चाहते हैं कि हम पहले की तरह शारीरिक संबंध बनाएं. लेकिन मैं डरती हूं कि कहीं इस से कुछ परेशानी तो नहीं होगी. मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या यह उपयुक्त समय है शारीरिक संबंध बनाने का?

ये भी पढ़ें : मेरी उम्र 38 साल है. मां बनने के सुख से वंचित हूं, बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?

 

जवाब
आमतौर पर महिलाओं को सामान्य डिलीवरी के 6 हफ्ते के बाद सैक्स संबंध बनाने की सलाह दी जाती है. लेकिन यह प्रत्येक महिला के शारीरिक व मानसिक रूप से तैयार होने पर भी निर्भर करता है. कई बार जल्दबाजी संक्रमण का कारक बन सकती है. इसलिए, आप के लिए यही बेहतर होगा कि आप सैक्स संबंध बनाने से पूर्व एक बार अपनी गाइनीकोलौजिस्ट से अवश्य सलाह कर ले.

ये भी पढ़ें…

प्रसव के बाद यौन संबंध

‘‘तुम क्या पहली औरत हो, जो मां बनी हो?’’

‘‘डिलीवरी के बाद तुम्हारे अंदर कितना बदलाव आ गया है, सिवा बच्चे के, तुम्हें तो और कुछ सूझता ही नहीं है.’’

‘‘लगता है, तुम्हारा बच्चा ही तुम्हारे लिए महत्त्वपूर्ण हो गया है, तभी तो मेरे पास तक आने में हिचकिचाने लगी हो.’’ इस तरह की न जाने कितनी बातें औरतें शिशु जन्म के बाद अपने पतियों से सुनती हैं, क्योंकि पति की यौन संबंध बनाने की मांग को ठुकराने की गलती उन से होती है. मगर प्रसव के बाद कुछ महीनों तक न तो औरत की यौन संबंध बनाने की इच्छा होती है, न ही डाक्टर ऐसा करने की सलाह देते हैं.

शारीरिक व मानसिक थकान

बच्चे के जन्म के बाद मानसिक व शारीरिक तौर पर एक औरत का थकना स्वाभाविक है. चूंकि प्रैग्नैंसी के 9 महीनों के दौरान उसे कई तरह के उतारचढ़ावों से गुजरना पड़ता है. बच्चे को जन्म देने के बाद भी उस के अंदर अनेक सवाल पल रहे होते हैं. कमजोरी और शिशु जन्म के साथ बढ़ती जिम्मेदारियां, रात भर जागना और दिन का शिशु के साथ उस की जरूरतें पूरी करतेकरते गुजर जाना आम बात होती है. औरत के अंदर उस समय चिड़चिड़ापन भर जाता है. नई स्थिति का सामना न कर पाने के कारण अकसर वह तनाव या डिप्रैशन का शिकार भी हो जाती है. मां बनने के बाद औरत कई कारणों की वजह से सैक्स में अरुचि दिखाती है. सब से प्रमुख कारण होता है टांकों में सूजन होना. अगर ऐसा न भी हो तो भी गर्भाशय के आसपास सूजन या दर्द कुछ समय के लिए वह महसूस करती है. थकावट का दूसरा बड़ा कारण होता है 24 घंटे शिशु की देखभाल करना, जो शारीरिक व मानसिक तौर पर थकाने वाला होता है. इसलिए जब भी वह लेटती है, उस के मन में केवल नींद पूरी करने की ही इच्छा होती है. कई औरतों की तो सैक्स की इच्छा कुछ महीनों के लिए बिलकुल ही खत्म हो जाती है.

ये भी पढ़ें : मेरे मम्मी पापा हर वक्त मुझ पर शक करते हैं, क्या करूं?

अपने शरीर के बदले हुए आकार को ले कर भी कुछ औरतों के मन में हीनता घिर जाती है, जिस से वे यौन संबंध बनाने से कतराने लगती हैं. उन्हें लगने लगता है कि वे पहले की तरह सैक्सी नहीं रही हैं. स्टे्रच मार्क्स या बढ़ा हुआ वजन उन्हें अपने ही शरीर से प्यार करने से रोकता है. बेहतर होगा कि इस तरह की बातों को मन में लाने के बजाय जैसी हैं, उसी रूप में अपने को स्वीकारें. अगर वजन बढ़ गया है, तो ऐक्सरसाइज रूटीन अवश्य बनाएं.

दर्द होने का डर

अकसर पूछा जाता है कि अगर डिलीवरी नौर्मल हुई है, तो यौन संबंध कब से बनाने आरंभ किए जाएं? इस के लिए कोई निर्धारित नियम या अवधि नहीं है, फिर भी डिलीवरी के 11/2 महीने बाद सामान्य सैक्स लाइफ में लौटा जा सकता है. बच्चे के जन्म के बाद कई औरतें सहवास के दौरान होने वाले दर्द से घबरा कर भी इस से कतराती हैं. औरत के अंदर दोबारा यौन संबंध कायम करने की इच्छा कब जाग्रत होगी, यह इस पर भी निर्भर करता है कि उस की डिलीवरी कैसे हुई है. जिन औरतों का प्रसव फोरसेप्स की सहायता से होता है, उन्हें सैक्स के दौरान निश्चिंत रहने में अकसर लंबा समय लगता है. ऐसा ही उन औरतों के साथ होता है, जिन के योनिमार्ग में चीरा लगता है. सीजेरियन केबाद टांके भरने में समय लगता है. उस समय किसी भी तरह का दबाव दर्द का कारण बन सकता है. फोर्टिस ला फेम की गायनाकोलौजिस्ट डा. त्रिपत चौधरी कहती हैं, ‘‘प्रसव के बाद 2 से 6 हफ्तों तक सैक्स संबंध नहीं बनाने चाहिए, क्योंकि बच्चे के जन्म के बाद औरत न सिर्फ अनगिनत शारीरिक परिवर्तनों से गुजरती है, वरन मानसिक व भावनात्मक बदलाव भी उस के अंदर समयसमय पर होते रहते हैं. चाहे डिलीवरी नौर्मल हुई हो या सीजेरियन से, दोनों ही स्थितियों में कुछ महीनों तक यौन संबंध बनाने से बचना चाहिए. ‘‘डिलीवरी के बाद के जिन महीनों को पोस्टपार्टम पीरियड कहा जाता है, उस दौरान औरत के अंदर सैक्स संबंध बनाने की बात तक नहीं आती. प्रसव के बाद कुछ हफ्तों तक हर औरत को ब्लीडिंग होती है. ब्लीडिंग केवल रक्त के रूप में ही नहीं होती है, बल्कि कुछ अंश निकलने व डिस्चार्ज की तरह भी हो सकती है. वास्तव में यह पोस्टपार्टम ब्लीडिंग औरत के शरीर से प्रैग्नैंसी के दौरान बचे रह गए अतिरिक्त रक्त, म्यूकस व प्लासेंटा के टशू को बाहर निकालने का तरीका होती है. यह कुछ हफ्तों से ले कर महीनों तक हो सकती है.

‘‘डिलीवरी चाहे नौर्मल हुई हो या सीजेरियन से औरत के योनिमार्ग में सूजन आ जाती है और टांकों को भरने में समय लगता है. अगर इस दौरान यौन संबंध बनाए जाएं तो इन्फैक्शन होने की अधिक संभावना रहती है. औरत किसी भी तरह के इन्फैक्शन का शिकार न हो जाए, इस के लिए कम से कम 6 महीनों बाद यौन संबंध बनाने की सलाह दी जाती है. योनिमार्ग या पेट में सूजन, घाव, टांकों की वजह से सहवास करने से उसे दर्द भी होता है.’’

क्या करें

अगर बच्चा सीजेरियन से होता है, तो कम से कम 6 हफ्तों बाद यौन संबंध बनाने चाहिए. लेकिन उस से पहले डाक्टर से जांच करवानी जरूरी होती है कि आप के टांके ठीक से भर रहे हैं कि नहीं और आप की औपरेशन के बाद होने वाली ब्लीडिंग रुकी कि नहीं. यह ब्लीडिंग यूट्रस के अंदर से होती है, जहां पर प्लासेंटा स्थित होता है. यह ब्लीडिंग हर गर्भवती महिला को होती है, चाहे उस की डिलीवरी नौर्मल हुई हो या सीजेरियन से. अगर डाक्टर सैक्स संबंध बनाने की इजाजत दे देते हैं, तो इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि टांके अगर पूरी तरह भरे नहीं हैं तो किस पोजीशन में संबंध बनाना सही रहेगा. पति साइड पोजीशन रखते हुए संबंध बना सकता है, जिस से औरत के पेट पर दबाव नहीं पड़ेगा. अगर उस दौरान स्त्री को दर्द महसूस हो, तो उसे ल्यूब्रिकेंट का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि कई बार थकान या अनिच्छा की वजह से योनि में तरलता नहीं आ पाती. अगर औरत को दर्द का अनुभव होता हो तो पति पोजीशन बदल कर या ओरल सैक्स का सहारा ले सकता है. साथ ही, वैजाइनल ड्राईनैस से बचने के लिए ल्यूब्रिकेंट का इस्तेमाल करना अनिवार्य होता है. चूंकि प्रैग्नैंसी के बाद वैजाइना बहुत नाजुक हो जाती है और उस में एक स्वाभाविक ड्राईनैस आ जाती है, इसलिए नौर्मल डिलीवरी के बाद भी सैक्स के दौरान औरत दर्द महसूस करती है.

ये भी पढ़ें : मेरे पेट और नितंबों पर चमकीली सफेद धारियां उभर

पोस्टपार्टम पीरियड बहुत ही ड्राई पीरियड होता है, इसलिए बेहतर होगा कि उस के खत्म होने के बाद ही यौन संबंध बनाए जाएं. प्रसव के 1-11/2 महीने बाद यौन संबंध बनाने के बहुत फायदे भी होते हैं. सैक्स के दौरान स्रावित होने वाले हारमोंस की वजह से संकुचन होता है, जिस से यूट्रस को सामान्य अवस्था में आने में मदद मिलती है और साथी के साथ दोबारा से शारीरिक व भावनात्मक निकटता कायम करने में यौन संबंध महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. प्रसव के बाद कुछ महीनों तक पीरियड्स अनियमित रहते हैं, जिस की वजह से सुरक्षित चक्र के बारे में जान पाना असंभव हो जाता है. इस दौरान गर्भनिरोध करने के लिए कौपर टी का इस्तेमाल करना या ओरल पिल्स लेना सब से अच्छा रहता है. अगर प्रसव के बाद कई महीनों तक औरत के अंदर यौन संबंध बनाने की इच्छा जाग्रत न हो तो ऐसे में पति को बहुत धैर्य व समझदारी से उस से बरताव करना चाहिए.

पति का सहयोग

जैसे ही औरत शारीरिक व भावनात्मक रूप से सुदृढ़ हो जाती है, संबंध बनाए जा सकते हैं. इस दौरान पति के लिए इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है कि वह पत्नी पर किसी भी तरह का दबाव न डाले या जबरदस्ती सैक्स संबंध बनाने के लिए बाध्य न करे. हफ्ते में 1 बार अगर संबंध बनाए जाते हैं, तो दोनों ही इसे ऐंजौय कर पाते हैं और वह भी बिना किसी तनाव के. पति को चाहिए कि वह इस विषय में पत्नी से बात करे कि वह संबंध बनाने के लिए अभी तैयार है कि नहीं, क्योंकि प्रसव के बाद उस की कामेच्छा में भी कमी आ जाती है, जो कुछ समय बाद स्वत: सामान्य हो जाती है.

ये भी पढ़ें : मैंने अपनी वाइफ को शादी के बाद गर्भनिरोधक दवाइयां
अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें