मेरा दोस्त मेरे साथ सैक्स करना चाहता है, पर मैं इसे गलत समझती हूं, बताएं मैं क्या करूं?

सवाल
मैं 28 वर्षीय युवती हूं. 6 सालों से एक युवक से मित्रता है. 2 सालों से हमारे संबंध काफी घनिष्ठ हो गए हैं. हमारी शादी के लिए हमारे परिवार वाले राजी नहीं होंगे और हम घरवालों के खिलाफ नहीं जा सकते. कुछ महीनों से मेरा मित्र मेरे साथ सैक्स करना चाहता है, पर मैं इसे गलत समझती हूं. इसलिए कोई न कोई बहाना कर के बचती रहती हूं. जब भी वह मिलता है बातोंबातों में अपनी इच्छा जाहिर कर देता है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब
इतने सालों तक जिस तरह आप लोग दोस्त रहे हैं उसी तरह इस रिश्ते को चलने दें. जब आप दोनों जानते हैं कि आप को अन्यत्र शादी करनी है तो एकतरफा यह शारीरिक संबंध बना कर अपने लिए मुश्किल क्यों पैदा करना चाहते हैं. लड़का इच्छा जाहिर करता है तो आप मना कर सकती हैं. हो सकता है उसे बुरा लगे. इस से आप की दोस्ती भी प्रभावित हो सकती है. ऐसे में अच्छा यही है कि आप माता पिता को मनाएं.

मेरे संबंध मेरी विधवा भाभी से हो गए हैं जो 2 बच्चों की मां भी है, क्या ऐसा करना ठीक रहेगा?

सवाल
मैं 23 साल का बीए फाइनल का छात्र हूं. इस बीच मेरे संबंध मुझ से 7-8 साल बड़ी मेरी विधवा भाभी से हो गए हैं, जो 2 बच्चों की मां है. घर वाले इस बात से खुश नहीं हैं. भाभी पहले बदमिजाज थीं, पर अब वे सुधर गई हैं. क्या ठीक रहेगा?

जवाब
यह किस्सा गलत है, आपको इस तरह के संबंध बनाने से बचना चाहिए. आप अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाइये.

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जानिए आखिर महिलाएं सेक्स क्यों करती हैं

महिलाएं किसी पुरुष को आखिर क्‍यों पसंद करती हैं? और ऐसी कौन सी खास बात है जिससे प्रभावित होकर वह किसी पुरुष के साथ सेक्‍सुअल संबंध बनाने के लिए अपने आप को राजी करती हैं? इस तथ्‍य पर रिसर्च करने के बाद टैक्‍सास विवि के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर्स सिंडी मेस्टन और डेविड बस ने एक किताब लिखी है. इस किताब का नाम है वौय वुमन हैव सेक्‍स. किताब सेक्‍स संबंधों को लेकर महिलाएं क्‍या सोचती हैं? इस सवाल पर कई रोचक खुलासे करती है, किताब में इस बात के 200 कारण बताए गए है, जिनके चलते महिलाएं किसी पुरुष के साथ सेक्‍सुअल संबंध बनाती हैं या उसे पसंद करती हैं.

टेक्सस यूनिवर्सिटी में साइकौलजी के प्रोफेसर्स सिंडी मेस्टन और डेविड बस की लिखी किताब – वाय वुमेन हेव सेक्स ( महिलाएं सेक्स क्यों करती हैं ) में करीब 200 कारणों को बताया गया है.

रिसर्च के दौरान देखा गया कि ज्यादातर पुरुषों को महिलाएं सेक्सुअली अट्रैक्टिव लगती हैं , जबकि महिलाओं को पुरुषों में ऐसी कोई बात नज़र नहीं आती. रिसर्च के दौरान 1000 महिलाओं का इंटरव्यू किया , जिसमें महिलाओं ने पुरुषों के साथ सोने के अपने कारण बताए.

एक महिला ने बताया – वह सेक्स इसलिए करती है ताकि बोरियत दूर कर सके क्योंकि सेक्स करना लड़ने से कहीं आसान है. जबकि कुछ दूसरी महिलाओं के लिए यह माइग्रेन और सिरदर्द दूर भगाने का उपचार है.

रिसर्च में कुछ महिलाओं ने ऐसी बातें भी कहीं जिन्हें सुनकर हैरानी हो सकती है. कुछ महिलाएं महज दया की वजह से पुरुषों के साथ सोती हैं जबकि कुछ महिलाएं अपने स्वार्थ के लिए सेक्स का इस्तेमाल करती हैं जैसे रुपये – पैसों के लिए और दूसरी कीमतों चीजों को हासिल करने के लिए.

कुछ ने कहा – मैंने किसी पुरुष के साथ इसलिए संबंध बनाए क्योंकि उसने मेरे लिए एक शानदार डिनर का आयोजन किया या उसने मुझ पर काफी रुपये खर्च किए.

यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों पर किए गए इस सर्वे में 10 में से 6 ने माना कि वह आमतौर पर ऐसे पुरुष के साथ सो चुकी हैं जो उनका बौयफ्रेंड नहीं हैं. कुछ ने कहा – वह सेक्स इसलिए करती हैं ताकि अपनी सेक्सुअल परफौर्मंस को इंप्रूव कर सकें. यही बताते हुए एक विद्यार्थी ने कहा – मैंने अपने बौयफ्रेंड के साथ इसलिए सेक्स किया ताकि मैं अपने सेक्सुअल स्किल्स को और बेहतर बना सकूं.

इस रिसर्च में यह भी पता चला कि महिलाएं ऐसे पुरुषों पर ज्यादा आकर्षित होती हैं जो लंबे हों, जिनकी आवाज़ रौबदार हो और जिनके शरीर से मदहोश कर देने वाली महक आती हो.

मेरे बौयफ्रेंड का व्यवहार काफी बदल गया है और मिलने के लिए भी हफ्तों इंतजार करना पड़ता है, क्या करूं?

सवाल
मैं 24 वर्षीय युवती हूं. एक लड़के से पिछले 4 वर्षों से बहुत प्यार करती हूं. कुछ समय पहले तक सब कुछ सही था. वह भी मुझ से पूरी शिद्दत से प्यार करता था. हम ने जीवनभर साथ रहने के सपने देखे थे. हम हर रोज मिलते थे. फोन पर ढेरों बातें करते थे. पर कुछ महीनों से उस के व्यवहार में काफी बदलाव आया है. मिलने के लिए हफ्तों इंतजार करना पड़ता है और आने के बाद उसे लौटने की जल्दी रहती है. इतना ही नहीं, अब पहले की तरह वह खुद फोन भी नहीं करता. पूछने पर अनापशनाप बहाने बनाता है. कहीं व किसी और से तो प्यार नहीं करने लगा? यदि ऐसा हुआ तो क्या होगा? मैं उस के बिना जी नहीं सकती. कृपया बताएं मैं क्या करूं?

जवाब
4 वर्षों का लंबा अरसा काफी होता है. यदि आप को लगता है कि आप का बौयफ्रैंड आप के प्रति कुछ ज्यादा ही बेरुखी दिखा रहा है, आप से मिलने से कतराता है, फोन नहीं करता, तो आप को उस से खुल कर बात करनी चाहिए और यह जानना चाहिए कि उस की उदासीनता की वजह क्या है? हो सकता है कि वह आहत हुआ हो या उस का परिवार इस संबंध को नहीं चाहता हो. आप को मिलबैठ कर बात करनी चाहिए. यदि कोई उलझन है तो उसे आप से साझा करनी चाहिए. वजह जानने के बाद समाधान भी मिल जाएगा. अगर वह छोड़ना चाहे तो तैयार रहना चाहिए.

मुझे एक लड़की से प्यार हो गया है हमने सेक्स भी किया हुआ है, मैं क्या करूं?

सवाल

मुझे एक लड़की से प्यार हो गया है. उस की नानी का घर मेरे पड़ोस में है. काफी पहले मौका पा कर मैं ने उस के साथ सेक्स भी किया था. मुझे यह नहीं पता कि वह भी मुझ से प्यार करती है या नहीं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप ने उस के साथ हमबिस्तरी करने की हिम्मत तो कर ली, पर यह पूछने में शर्म आ रही है कि वह आप से प्यार करती है या नहीं. अब जब भी मौका मिले, तो उस से पूछ लें. अगर वह प्यार का इकरार करे तो ठीक है, वरना उस का पीछा करना छोड़ दें.

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क्या आप भी अनचाहे सेक्स की शिकार हैं

दिन ब दिन बलात्कार की घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही है. इस के कई कारण हैं, जिन में एक है मानसिक हिंसा की प्रवृत्ति का बढ़ना. बलात्कार शब्द से एक लड़की या युवती पर जबरदस्ती झपटने वाले लोगों के लिए हिंसात्मक छवि उभर कर सामने आती है. इस घृणित कार्य के लिए कड़े दंड का भी प्रावधान है. मगर बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि वैवाहिक जिंदगी में भी बलात्कार वर्जित है और इस के लिए भी दंड दिया जाता है. मगर इसे बलात्कार की जगह एक नए शब्द से संबोधित किया जाता है और वह शब्द है अनचाहा सेक्स संबंध.

आज अनचाहे सेक्स संबंधों की संख्या बढ़ गई है. समाज जाग्रत हो चुका है और अपने शरीर या आत्मसम्मान पर किसी भी तरह का दबाव कोई बरदाश्त नहीं करना चाहता है. इस विषय पर हम ने समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से बातचीत भी की और जानने की कोशिश की कि आखिर क्या है यह अनचाहा सेक्स संबंध?

डा. अनुराधा परब, जो एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री हैं, बताती हैं, ‘‘बलात्कार और अनचाहे सेक्स में बहुत महीन सा फर्क है. बलात्कार अनजाने लोगों के बीच हुआ करता है और एक पक्ष इस का सशरीर पूर्ण विरोध करता है. अनचाहा सेक्स परिचितों के बीच होता है और इस में एक पक्ष मानसिक रूप से न चाह कर भी शारीरिक रूप से पूर्णत: विरोध नहीं करता है. सामान्यत: यही फर्क होता है. मगर गहराई से जाना जाए तो बहुत ही सघन भेद होता है. ‘‘अनचाहा सेक्स ज्यादातर पतिपत्नी के बीच हुआ करता है और आजकल प्रेमीप्रेमिका भी इस संबंध की चपेट में आ गए हैं. आधुनिक युग में शारीरिक संबंध बनाना एक आम बात भले ही हो गई हो, फिर भी महिलाएं इस से अभी भी परहेज करती हैं. कारण चाहे गर्भवती हो जाने का डर हो या मानसिक रूप से समर्पण न कर पाने का स्वभाव, मगर अनचाहे सेक्स संबंध की प्रताड़नाएं सब से ज्यादा महिलाओं को ही झेलनी पड़ती हैं.’’

वजह वर्कलोड

एक एडवरटाइजिंग कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत पारुल श्रीनिवासन, जिन का विवाह 6 साल पहले हुआ था, एक चौंका देने वाला सत्य सामने लाती हैं. वह बताती हैं, ‘‘मैं अपने पति को बेहद प्यार करती हूं. उन के साथ आउटिंग पर भी अकसर जाती रहती हूं, मगर सेक्स संबंधों में बहुत रेगुलर नहीं हूं. इस का कारण जो भी हो, मगर मुझे ऐसा लगता है कि इस का मुख्य कारण है, हम दोनों का वर्किंग  होना. शुरूशुरू में 1 महीना हम दोनों छुट्टियां ले कर हनीमून के लिए हांगकांग और मलयेशिया गए थे. वहां से आने के बाद अपनेअपने कामों में व्यस्त हो गए. रात को बेड पर जाने के बाद सेक्स संबंध बनाने की इच्छा न तो मुझे रहती है, न मेरे पति को. पति कभी आगे बढ़ते भी हैं तो मैं टालने की पूरी कोशिश करती हूं.’’

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कारण की तह तक पहुंचने पर पता चला कि शुरूशुरू के दिनों में पति सेक्स संबंध बनाना चाहता था. मगर पारुल को अपनी मार्केटिंग का वर्कलोड इतना रहता था कि वह उसी में खोई रहती थी. पति के समक्ष अपना शरीर तो समर्पित कर देती थी, मगर मन कहीं और भटकता रहता था. पति को यह प्रक्रिया बलात्कार सी लगती. कई बार समझाने, मनाने की कोशिश भी उस ने की. मगर पारुल हमेशा यही कहती कि आज मूड नहीं बन रहा है. और एक दिन पारुल ने खुल कर कह ही दिया कि वह यदि सेक्स संबंधों में रत होती भी है तो बिना मन और इच्छा के. वह अनचाहा सेक्स संबंध जी रही है. पति को यह बुरा लगा और धीरेधीरे सेक्स के प्रति उसे भी अरुचि होती चली गई.

भयमुक्त करना जरूरी

ऐसी कई पत्नियां हैं, जो अनचाहा सेक्स संबंध बनाने पर विवश हो जाती हैं. मगर तबस्सुम खानम की कहानी कुछ और ही है.  26 वर्षीय तबस्सुम एक टीचर हैं, उन के पति उन से 12 साल बड़े हैं. उन की एक दुकान है. वह बताती हैं, ‘‘जब मैं किशोरी थी, तभी से मुझे सेक्स संबंधों के प्रति भय बना हुआ था. सहेलियों से इस को ले कर सेक्स अनुभव की बातें करती थीं और मुझे सुन कर डर सा लगता था. मैं सहेलियों से कहती थी कि मैं तो अपने शौहर से कहूंगी कि बस मेरे गले लग कर मेरे पहलू में सोए रहें. इस से आगे मैं उन्हें बढ़ने ही नहीं दूंगी. सभी सहेलियां खूब हंसती थीं. जब मेरी शादी हुई तो शौहर हालांकि बड़े समझदार हैं, मगर शारीरिक उत्तेजना की बात करें तो खुद पर संयम नहीं रख पाते हैं.’’

थोड़ा झिझकती हुई, थोड़ा शरमाती हुई तबस्सुम बताती हैं, ‘‘मेरे पति ने मेरे लाख समझाने पर भी सुहागरात के दिन ही मुझे अपनी मीठीमीठी बातों में बहला लिया. उन का यह सिलसिला महीनों चलता रहा, मुझे आनंद का अनुभव तो होता, मगर भय ज्यादा लगता था. मेरा भय बढ़ता गया. जब भी रात होती, मेरे पति बेडरूम में प्रवेश करते, मैं डर से कांप उठती थी. हालांकि मेरे पति के द्वारा कोई भी अमानवीय हरकत कभी नहीं होती. काफी प्यार और भावुकता से वे फोरप्ले करते हुए, आगे बढ़ते थे. मगर मेरे मन में जो डर समाया था, वह निकलता ही न था. 3 महीनों के बाद जब मैं गर्भवती हो गई तो डाक्टर ने हम दोनों के अगले 2 महीनों तक शारीरिक संबंध बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. मुझे तो ऐसा लगाजैसे एक नया जीवन मिल गया. मेरा बेटा हुआ. इस बीच मैं ने धीरेधीरे पति को अपने डर की बात बता दी और वे भी समझ गए. मेरे पति ने भी परिपक्वता दिखाई और मुझ से दूर रह कर मुझे धीरेधीरे समझाने लगे. वे सेक्स संबंधों को स्वाभाविक और जीवन का एक अंश बताते. अंतत: उन्होंने मेरे मन से भय निकाल ही दिया.’’

इच्छा अनिच्छा का खयाल

विनोद कामलानी, जो एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक हैं, अपना क्लीनिक चलाते हैं, बताते हैं, ‘‘तबस्सुम के मन में बैठा हुआ सेक्स का डर था. बहुत सी लड़कियां इस भय से भयातुर हुआ करती हैं. मगर बहुत कम पति ऐसे होते हैं, जो धीरेधीरे इस भय को निकालते हैं. ऐसे कई केस मेरे पास आते हैं. पुरुषों के भी होते हैं, मगर अनचाहे सेक्स की शिकार ज्यादातर महिलाएं ही हुआ करती हैं.’’ डा. कामलानी के ही एक मरीज तरुण पटवर्धन ने बताया कि उन की शादी को 3 साल हो गए हैं, मगर आज तक उन्होंने अनचाहा सेक्स संबंध ही जीया है.

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तरुण के अनुसार, विवाहपूर्व उन का प्रेम अपने पड़ोस की एक लड़की से था. किसी कारणवश शादी नहीं हो पाई, मगर प्रेम अभी भी बरकरार है. उस लड़की ने तरुण की याद में आजीवन कुंआरी रहने की शपथ भी ले रखी है. यही कारण है कि जब भी तरुण अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की पहल करते हैं, उन की प्रेमिका का चेहरा सामने आ जाता है. उन्हें एक ‘गिल्ट’ महसूस होता है और वे शांत हो कर लेट जाते हैं. वे अपनी पत्नी से यह सब कहना भी नहीं चाहते हैं वरना उस के आत्मसम्मान को चोट पहुंचेगी. चूंकि उन की पत्नी तरुण को सेक्स प्रक्रिया बनाने में अयोग्य न समझे, उन्हें अपनी पत्नी के साथ सेक्स संबंध बनाना पड़ता है. वे सेक्स संबंध बिना मन, बिना रुचि के बनाते हैं और इस तरह वे अनचाहा सेक्स संबंध ही जी रहे हैं.

एक सर्वे के अनुसार, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में काम की होड़ और आगे निकलने की चाह ने इनसान को मशीन बना दिया है. पैसा कमाना ही एक मात्र ध्येय बन चुका है. ऐसी भागदौड़ में इनसान सेक्स संबंधों के प्रति इंसाफ नहीं कर पाता है और बिना मन और बिना प्रोपर फोरप्ले के बने हुए सेक्स संबंध, मन में सेक्स के प्रति अरुचि पैदा कर देते हैं. यहीं से शुरुआत होती है अनचाहे सेक्स संबंधों की. अपने पार्टनर की खुशी के लिए संबंध बनाना कभीकभी विवशता भी होती है. अंतत: यही संबंध ऊब का रूप धारण कर लेते हैं या पार्टनर बदलने की चाह मन में उठती है. यद्यपि यह अनचाहा सेक्स पश्चिमी देशों में तेजी से बढ़ रहा है, भारत भी इस से अछूता नहीं है, परंतु यहां का अनुपात अन्य देशों के मुकाबले नगण्य है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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सैक्स जानकार कैसोनोवा और क्लियोपेट्रा

29 वर्षीय प्रिया तंदुरुस्त शरीर की आकर्षक युवती है. उस की शादी हुए 3 साल हो चुके हैं, लेकिन 3 साल में उसे एक भी रात वह यौनसुख प्राप्त नहीं हो पाया, जिस की हर युवती को चाह होती है. दूसरी ओर 28 वर्षीय कामकाजी रत्ना सिंह है जिस की शादी को 2 वर्ष हुए हैं. वह अपने पति की कामुकता से परेशान है. रत्ना थकीहारी अपने काम से आती है तो रात को पति कामवर्धक औषधियों का सेवन कर उस के साथ भी नएनए प्रयोग करता है. दोनों ही स्थितियों में किसी को भी सच्चा सुख नहीं मिलता, इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने यौन जीवन में संतुलन बनाएं. अगर किसी में यौन उत्तेजना सामान्य है तो उसे अतिरिक्त दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए. यदि किसी व्यक्ति की यौन उत्तेजना में कमी है तो वह निम्न लवफूड्स का प्रयोग कर वैवाहिक सुख का आनंद ले सकता है.

एफ्रोडाइस संज्ञा एक ऐसा द्रव्य है जो समुद्र से निकली विशाल घोंघा मछली एफ्रौडाइट से प्राप्त होता है. एफ्रोडाइट को कामुकता का प्रतीक माना जाता है. इस के द्रव्य को एफ्रोडाइस कहते हैं.

एफ्रोडाइस, यौनशक्तिवर्द्धक द्रव्य है जिस से स्त्रीपुरुष में यौनशक्ति या यौन अभिरुचि उत्पन्न होती है.

प्राकृतिक रूप से हम ऐसे कुछ खाद्य पदार्थों से पहले ही परिचित हैं, जो यौन क्षमता बढ़ाते हैं, जिन में ऐसे फल व सब्जियां प्रमुख हैं जिन का आकार स्त्री व पुरुष के गुप्तांगों से मिलताजुलता है. इन फल व सब्जियों के अंदर कुछ ऐसे गुण छिपे होते हैं जो मानव की यौन क्षमता को बढ़ाने में कारगर हैं. ये सभी फल पुरुष की कामुकता से जुड़े हैं, जबकि स्त्री की कामुकता बढ़ाने के लिए चैरी, खजूर, अंजीर, खास प्रकार की मछली और सीप जैसे खाद्य पदार्थ प्रमुख हैं.

केला एक ऐसा फल है, जिस में खनिज द्रव्य और ब्रोमेलिन प्रचुर में उपलब्ध है, जो पुरुष क्षमता को बढ़ाता है और यह फल सर्वसुलभ और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. सस्ता होने के कारण इस का प्रयोग आम लोग भी आसानी से कर सकते हैं.

प्राचीन यूनान में जब अंजीर की फसल की कटाई शुरू होती थी तो रीतिरिवाज के अनुसार रतिक्रीड़ा की जाती थी. क्लियोपेट्रा को भी अंजीर बहुत पसंद थे जिन्हें वह चाव से खाती थी. सब फलों में प्राचीनतम माने गए फल द्राक्ष का संबंध भी कामोत्तेजक गतिविधि से जोड़ा जाता है. वैसे द्राक्ष का फल काफी उत्तेजक है और स्वादिष्ठ होता है.

19वीं शाताब्दी में फ्रांस में सुहागरात से पहले दूल्हे को जो भोजन दिया जाता था उस में शतावरी को विशेष स्थान दिया जाता था, जबकि काफी समय पहले एशिया के मध्यपूर्व देशों के सुलतान व अमीर उमरा गाजर को स्त्रियों की उत्तेजना बढ़ाने में सहायक मानते थे.

कुछ व्यंजनों को भी उत्तेजना बढ़ाने में सहायक माना गया है. उदाहरणस्वरूप चौकलेट. चौकलेट को परंपरागत रूप से उत्तेजक माना गया है. इसलिए सदियों पहले ईसाई पादरियों और ननों को चौकलेट खाने की सख्त मनाही थी. कच्चे घोंघों में प्रचुर मात्रा में जस्ता होता है जिस के सेवन से लंबे समय तक संभोगरत रहने की शक्ति बढ़ सकती है. भूमिगत गुच्छी यानी ट्रफल भी ऐसा ही महंगा व सुगंधित पदार्थ है.

शैंपेन को भी लंबे अरसे से प्यार का पेय माना गया है, जो शादी के अवसर पर या विजयोत्सव मनाते समय भी ऐयाश लोगों में पानी की तरह बहाया जाता है. कहा जाता है कि व्हिस्की पिलाने से औरत बहस करना बंद करती है. बियर से उसे यौन आनंद मिलता है. रम से वह सहयोग करने लगती है. शैंपेन से होश खो बैठने पर कामुक हो उठती है. केवियर एक ऐसी मछली है जो मनुष्य के शरीर में उत्तेजना बढ़ाती है. यद्यपि निश्चित रूप से यह कहना कठिन है कि ऐसा क्यों माना जाता है.

साधारणातया हम कह सकते हैं कि अधिक शक्ति बढ़ाने वाले पदार्थ दुर्लभ हैं और इन का मूल्य भी काफी है, इसी कारण लोग अधिक आनंद लेने के लिए इन के दीवाने हैं. डामैना को चाय की तरह उबाल कर नियमित एक कप पीने से हारमोंस नियंत्रण में रहते हैं और इस से शारीरिक शक्ति भी प्राप्त होती है. एक प्रकार के लालमिर्च के मसाले से एंडोर्फोंस हारमोंस भी बढ़ाता है. गरम सूप या सौस पर मिर्च छिड़क कर प्रतिदिन खाने से भी लाभ होता है. अगर युवक जिनसेंग का प्रयोग करते हैं तो कामोत्तेजना अधिक होती है. अगर युवतियां इस का प्रयोग करती हैं तो उन की भी पिपासा बढ़ जाती है. जिनसेंग प्रसिद्ध चीनी द्रव्य है जो अश्वगंधा जैसा प्रतीत होता है.

भारत और मध्यपूर्व एशियाई देशों में लहसुन जोकि एक अच्छा विषाणुनाशक भी है, सदियों से युवकों की उत्तेजना बढ़ाने के लिए लोकप्रिय है. इस की अप्रिय दुर्गंध से बचाव के लिए खाने के बाद लौंग या छोटी इलायची का प्रयोग कर सकते हैं. प्याज और शहद का मिश्रण भी उपयोगी है. अदरक, लाल रास्फरी के पत्ते और गुड़हल या जाबा कुसुम कामोत्तेजना बढ़ाने के लिए काफी प्रचलित रहे हैं.

शहद से भी यह प्रकट होता है कि इस में भी कामवर्धक गुण हैं, लेकिन ध्यान रहे कि शहद शुद्ध हो. कुछ समाज आज भी  नवविवाहितों को शहद का पान कराते हैं. फिर चांदनी रात हो आशा और अरमानों की अंगड़ाइयां लेती हुई नववधु हो, तत्पश्चात लज्जा और मर्यादा का आवरण धीरेधीरे हट रहा हो और फिर काम और रति का युद्ध शुरू हो, कैसी रोमांटिक कल्पना है? यह भी बता दें कि शहद में विटामिन  ‘बी’ और एमिनो एसिड प्रचुर मात्रा में होने के कारण यह प्राकृतिक रूप से कामोत्तेजक सिद्ध हुआ है.

मिस्र में हड्डियों का सूप यानी पाया का भी काफी चलन है. हलाल की गई भेड़ की टांग की हडिड्यों के साथ ताजा कटी प्याज, लहसुन, पुदीना, लालमिर्च आदि को एकसाथ डाल कर 2 घंटे तक मिश्रण कर जो लुगदी तैयार होती है उस का भक्षण कर न जाने कितने मध्य एशियाई तथा मिस्रवासियों ने महिलाओं पर जुल्म ढाए हैं.

कामसूत्र में नीले सूखे कमल का चूर्ण, घी और शहद एकसाथ मिला कर खाने को कहा गया है, जिस से पुरुषों में खोई हुई शक्ति दोबारा लौट आती है. इसी प्रकार भेड़ा या बकरे के अंडकोश को उबाल कर चीनी डाल कर जो पेय बनता है, इसे पीने से भी अधिक शक्ति मिलती है.

इसी तरह इत्र या सुंगधित तेल की मालिश भी सुख के लिए लाभदायक है. ग्रीष्मऋतु की एक गरम शाम को ठंडी हवा का झोंका और प्रिया का उन्मुक्त्त स्पर्श इस से अधिक उत्तेजक और क्या हो सकता है.

एक कथानुसार साम्राज्ञी नूरजहां को पानी में गुलाब की पंखडि़या मिला कर स्नान करना पसंद था. एक दिन नहाने में देर हो गई तो उस ने देखा कि पानी के ऊपर एक तरल पदार्थ तैर रहा है. वह समझ गई कि यह गुलाब की पंखडि़यों से निकला इत्र है जो दालचीनी, तेल की तरह कामोत्तेजक है. इसी तरह वनिला, चमेली, धनिया और चंदन का लेप या इत्र लगाने से भी स्त्रीपुरुष उन्मुक्त होते हैं.

शराब और नशीले द्रव्यों से कुछ हद तक कामोत्तेजना बढ़ती है, लेकिन इन का नुकसान अधिक है. ये कामोत्तेजना द्रव्य नहीं हैं. इन की छोटी खुराक शुरू की शर्म व संकोच दूर करने में सहायक होती है, लेकिन यदि कोई स्त्री या पुरुष इन का अधिक मात्रा में लंबे समय तक सेवन करता है तो आगे चल कर युवक ढीला हो जाता है तथा युवती में चरमोत्कर्ष के आनंद को ले कर कुछ समस्याएं पैदा हो सकती हैं, क्योंकि इन से मस्तिष्क प्रभावित होता है.

इसी प्रकार मारीलुआना व वियाग्रा जैसे पदार्थ भी अस्थायीरूप से यौनसुख की इच्छा या संभोग सुख थोड़ाबहुत बढ़ाते हैं. पर बेहोशी की सी हालत में. आप को  वार्निंग दी जाती है कि कृपया ड्रग्स से दूर रहें, क्योंकि अगर एक बार आप इन के आदी हो गए तो इन से पीछा छुड़ाना मुश्किल है. वियाग्रा जैसी दवाएं डाक्टर के परामर्श के बाद ही प्रयोग करें. युवतियों में भी हारमोंस की कमी को डाक्टर की सहायता से पूरी करें.

फिर आखिरी सवाल यही है कि क्या सचमुच ऐसी दवा यौनशक्ति में वृद्धि करती है. ऐसी दवा केवल तब ही लाभप्रद होती है, जब आदमी का मन भी कामवासना की तृप्ति करने में सहयोग करे.

औषधि निर्माता व विक्रेता केवल जरूरतमंदों का मात्र आर्थिक शोषण करते हैं. अगर इंसान अपने खानपान व व्यायाम पर विशेष ध्यान देते हुए प्रकृति के नियमों का पालन करे तो उस की यौन क्षमता स्वत: ही बनी रहेगी.

दफ्तर में प्यार की पींगें पड़ न जाए कैरियर पर भारी

इन्फौर्मेशन टैक्नोलौजी उद्योग के एक जानेमाने नाम फणीश मूर्ति, जो पहले इन्फोसिस और बाद में आई गेट जैसी कंपनियों को नई बुलंदियों तक ले जाने के लिए दुनियाभर में मशहूर रहे हैं, साल 2013 में एक बार फिर एक महिला कर्मचारी के साथ सैक्स संबंध बनाने के आरोप में आई गेट की अपनी नौकरी खो चुके थे. 2002 में उन्हें ऐसे ही एक आरोप के चलते इन्फोसिस से निकाल दिया गया था. उद्योग जगत ने सोचा था कि इस अप्रिय हादसे के बाद वे अपनी हरकतों से बाज आ जाएंगे. लेकिन शायद फणीश किसी दूसरी ही मिट्टी के बने हैं. उन के लिए सुंदर महिलाओं का संसर्ग भी उतना ही जरूरी बन गया है जितना किसी कंपनी के मुनाफे के आंकड़ों को नई ऊंचाइयों पर ले जाना.

फणीश ने जब इन्फोसिस का अमेरिकी कारोबार संभाला था, तब कंपनी का कुल व्यापार 70 लाख अमेरिकी डौलर ही था, जिसे वे 10 साल के अपने कार्यकाल के दौरान 70 करोड़ डौलर तक पहुंचाने में कामयाब रहे. इस बीच कंपनी की कई महिला कर्मचारियों से उन के शारीरिक संबंध होने की अफवाहें उड़ीं लेकिन बात कभी कोर्टकचहरी तक नहीं पहुंची. लेकिन उन की ऐक्जिक्यूटिव सैके्रटरी रेका मैक्सीमोविच ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगा कर मामला अदालत तक पहुंचा दिया.

रेका ने यह भी आरोप लगाया कि उसे गलत तरीके से कंपनी की नौकरी से निकाल दिया गया था. बहुत मुमकिन है कि फणीश के लिए रेका का रोमांस सिरदर्द बन गया हो और इसीलिए उन्होंने उस से पीछा छुड़ाने के लिए उसे नौकरी से निकाल दिया हो. तब इन्फोसिस के चेयरमैन एन आर नारायणमूर्ति ने कंपनी को बदनामी से बचाने के लिए 30 लाख डौलर की बड़ी रकम रेका को मुआवजे में दे कर कोर्ट के बाहर ही मामले को रफादफा कर दिया था. इस हादसे के बाद ही फणीश को इन्फोसिस की अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा था.

आई गेट के मालिकों से फणीश के जीवन की इतनी बड़ी सचाई छिपी नहीं थी. इतना ही नहीं, उन के आई गेट के सीईओ पद पर कार्य करने के दौरान भी 2004 में फणीश ने इन्फोसिस की ही एक दूसरी महिला कर्मचारी जेनिफर ग्रिफिथ के यौन शोषण के आरोप में लंबे समय से चल रहे मुकदमे से बचने के लिए उसे 8 लाख डौलर की रकम मुआवजे के रूप में चुका कर किसी तरह जेनिफर से अपना पिंड छुड़ाया था.

इन सारे तथ्यों की जानकारी के बावजूद आई गेट ने फणीश की कार्यकुशलता के कारण ही उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी और अपनी विलक्षण प्रतिभा के बल पर वे आई गेट को भी प्रगति की नई डगर पर अग्रसर करने में कामयाब रहे थे. लेकिन इस बार फिर उन की ही एक सहकर्मी ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगा कर इस कंपनी को भी उन्हें नौकरी से बर्खास्त करने के लिए मजबूर कर दिया.

कंपनी का कहना है कि फणीश ने किसी महिला कर्मचारी से अपने संबंधों की बात कंपनी को न बता कर नियमों को तोड़ा है और इसीलिए उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है. इस बार फणीश की दलील यह है कि यह महिला मुझे ब्लैकमेल कर रही है, तभी तो उस ने मुझ से पैसा ऐंठने के लिए रेका मैक्सोविच के वकील को रखा है. यहां पर यह उल्लेखनीय है कि फणीश को 2 महीने पहले ही इस बात की भनक लग गई थी कि आई गेट को अपनी साख बचाने के लिए उन्हें नौकरी से निकालना पड़ेगा और इसीलिए उन्होंने इन 2 महीनों के दौरान आई गेट के अपने डेढ़ लाख शेयर बेच दिए थे. उन्होंने अपने 1 लाख 4 हजार 459 शेयर 6 मार्च को 18.88 डौलर प्रति शेयर से भाव से बेचे, जिस से उन्हें 10 लाख 17 हजार डौलर की बड़ी रकम मिली. इस के 1 महीने बाद उन्होंने 40 हजार शेयर 17.1 डौलर के भाव से बेच कर 6 लाख 84 हजार डौलर वसूल कर लिए. जैसे ही फणीश को नौकरी से निकालने की खबर बाजार में पहुंची, शेयर के दाम गिर कर 14.82 डौलर पर पहुंच गए. इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि फणीश कितने तेज व्यापारी हैं, जो अपनी विपरीत परिस्थितियों का भी लाभ उठाना जानते हैं.

अमेरिका जैसे देशों में महिला कर्मचारियों का यौन शोषण करने के खिलाफ कड़े कानून हैं, जबकि हमारे देश में ऐसे कारगर कानूनों का अभाव है और इसीलिए आज भी हमारे यहां अकसर बौस अपनी महिला कर्मचारियों का यौन शोषण बेखौफ करता रहता है. यह मामला एकतरफा बिलकुल नहीं होता, कई बार महिला कर्मचारी भी प्रमोशन की सीढि़यां जल्दीजल्दी चढ़ने के लिए बौस को रिझाने की कोशिश करती रहती है.

ऐसा ही मुंबई की एक बड़ी कंपनी का मामला पिछले दिनों सामने आया था जिस में कंपनी के एक चोटी के अधिकारी का अपनी सैके्रटरी से चक्कर शुरू हो गया था. उस अधिकारी ने थोड़े से समय में ही अपनी सेक्रेटरी को एक सुंदर घर और एक कार तो खरीद कर दे ही डाली, साथ ही उसे एक ऊंचा ओहदा दे कर हमेशा के लिए उस की जिंदगी संवार दी. अगर फणीश भारत में काम कर रहे होते तो शायद उन्हें कंपनी से कभी निकाला ही नहीं जाता, इस के बदले कितनी ही महिला कर्मचारियों को उन की ज्यादतियां बरदाश्त करनी पड़ रही होतीं. कड़े कानूनों के कारण ही उन्हें 2 बार न सिर्फ अपनी 2 नौकरियां छोड़नी पड़ीं, बल्कि बड़ीबड़ी रकमें मुआवजे के तौर पर देनी भी पड़ीं.

भारत में युवाओं की संख्या दफ्तरों में बढ़ती जा रही है. ऐसे में लड़केलड़कियों के बीच संबंध कायम होना स्वाभाविक है. कई बार ऐसा देखा जाता है कि दफ्तर की यही जानपहचान आगे चल कर रोमांस और फिर शादी में परिवर्तित हो जाती है. भारत में कंपनियां अकसर इस तरह के विवाहों और रोमांस पर पाबंदी नहीं लगातीं, लेकिन फिर भी कर्मचारियों की कार्यक्षमता को बढ़ाए रखने के लिए अकसर इस बात का ध्यान रखा जाता है कि पतिपत्नी को एक ही विभाग में न रखा जाए. माइक्रोसौफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स व मेलिंडा का रोमांस भी दफ्तर में जन्मा था, जो आखिर एक सफल पतिपत्नी के रिश्ते में परिवर्तित हो गया. अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा को भी उन की पत्नी मिशेल एक दफ्तर में साथसाथ काम करने के दौरान ही मिलीं थीं. इस तरह की प्रेम कहानियों पर भला किसे आपत्ति हो सकती है, लेकिन बात तब समस्या बन जाती है जब यह संबंध केवल वासनापूर्ति के लिए कायम किया जाता है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्ंिलटन, आईएमएफ के पूर्व प्रमुख डोमिनीक स्ट्रौसकान व लेखक डैविड डैवीडार ऐसे ही वासनापूर्ति वाले संबंधों के कुछ उदाहरण हैं, जिन में पुरुष हस्तियों ने अपने पद व शक्ति का दुरुपयोग कर के अपने नीचे काम करने वाली लड़कियों का शोषण किया.

जहां तक हमारे देश में दफ्तरों में होने वाले रोमांस का सवाल है, एम्सटरडम की एक कंपनी रैनस्टैंड द्वारा 2012 में किए गए एक सर्वेक्षण से यह तथ्य उजागर हुआ है कि हमारे यहां 70 प्रतिशत कर्मचारी दफ्तर में रोमांस कर चुके थे. यह संख्या जापान (33 प्रतिशत) तथा लक्समबर्ग (36 प्रतिशत) जैसे अन्य देशों के मुकाबले बहुत ज्यादा है. शायद इस का कारण यही है कि हमारे देश में इस संबंध में कोई स्पष्ट नीति नहीं अपनाई गई है.

हमारी कंपनियां भी इस मामले में कोई कड़ा रुख अपनाना पसंद नहीं करतीं. एक वरिष्ठ अधिकारी के शब्दों में, ‘‘भारत में दफ्तर में पनपा रोमांस कभी कोर्टकचहरी तक नहीं पहुंचा और उस की वजह से किसी कंपनी को कभी कोई भारी मुआवजा भी नहीं चुकाना पड़ा. शायद इसीलिए कंपनियां ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लेतीं. इस के विपरीत अकसर दफ्तर को रोमांस व अपना सही पार्टनर ढूंढ़ने का एक सही स्थान माना जाता है.

‘ट्रूलीमैडलीडीपली’ नामक डेटिंग की एक वैबसाइट के संस्थापक चैतन्य रामलिंगेगोवड़ा का इस विषय में कहना है, ‘‘लोग अकसर रोज 8-10 घंटे अपने दफ्तर में बिताते हैं. इस के अलावा उन का 1 से 2 घंटे का समय दफ्तर आनेजाने में व्यतीत हो जाता है. इस सब के बाद रोमांस व लाइफपार्टनर ढूंढ़ने के लिए उन के पास समय ही कहां बचता है. इसलिए वे इस कमी को दफ्तर में ही पूरी करने की कोशिश करते हैं.’’

भारत में खासतौर पर आईटी उद्योग से जुड़े लोग इस बात को स्वीकार करते हैं कि प्यार व काम दफ्तर में सही ढंग से चल सकते हैं और इस से कंपनी को कोई नुकसान पहुंचने की संभावना नहीं है. उदाहरण के तौर पर याहू इंडिया में औफिस में पनपने वाले संबंधों पर कोई रोकटोक नहीं है. इस कंपनी के ह्यूमन रिसोर्सेज विभाग के प्रमुख अनिरुद्ध बनर्जी का कहना है, ‘‘हम कर्मचारियों के साथसाथ कौफी पीने या सिगरेट पीने जाने या महिला व पुरुष कर्मचारियों के साथसाथ बाहर जाने को कतई बुरा नहीं मानते.’’ इस विषय में एक अन्य प्रमुख कंपनी एनआईआईटी के वाइसप्रेसिडैंट प्रतीक चटर्जी ने अपने विचार कुछ इस तरह व्यक्त किए, ‘‘हम अपने कर्मचारियों की बहुत इज्जत करते हैं और अगर वे अपने जीवनसाथी को काम के दौरान कंपनी में से ही चुन लेते हैं, तो हम उन का स्वागत करते हैं.’’

अंत में इस विषय में सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि एक ओर जहां दफ्तर का रोमांस, जो आखिरकार विवाहबंधन में परिणित हो जाता है, दो व्यक्तियों के जीवन में एक सार्थक भूमिका निभा सकता है, वहीं दूसरी तरफ दफ्तर में होने वाला यौन शोषण कैंसर जैसी किसी बीमारी से कम नहीं, जो न केवल संबंधित महिला के जीवन को नीरसता में बदल देता है, बल्कि उस दफ्तर के पूरे माहौल को भी दूषित कर देता है.

बुराई: दूसरों की भूल से आप भी लें सबक

जयपुर, राजस्थान के मालवीय नगर में रहने वाली 20 साला निधि कोचिंग के लिए टोंक फाटक जाती थी और वहां से ही अपने बौयफ्रैंड के साथ नारायण सिंह सर्किल के पास बने सैंट्रल पार्क की झाडि़यों में जिस्मानी संबंध बना कर उस से बाजार में खूब खरीदारी कराती थी. यही हाल कुछ समय पहले तक उस की बड़ी बहन कीर्ति का था. उस के भी कई बौयफ्रैंड थे. एक बार जब वह एक बौयफ्रैंड के साथ एक पार्क में संबंध बना रही थी कि तभी वहां 5-6 कालेज के दादा किस्म के लड़के आ गए. उन लड़कों को देख कीर्ति का बौयफ्रैंड वहां से भाग गया, मगर उन लड़कों ने कीर्ति को दबोच लिया और 3-4 घंटे तक उस का बलात्कार किया. जब कीर्ति को होश आया, तो वह गिरतेपड़ते अपने घर पहुंची. उस के बाद उस ने अपने सभी बौयफ्रैंडों से दोस्ती खत्म कर ली और अपना ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया. वह आज एक बड़ी सरकारी अफसर है.

कई साल पहले राजस्थान के धौलपुर जिले के बसेड़ी कसबे में जाटव जाति का एक गरीब परिवार का लड़का चंद्रपाल जब पटवारी की नौकरी पर लगा था, तब उस के मांबाप ने उसे समझाया था कि वह अपनी नौकरी ईमानदारी से करे. अपने मांबाप की इन बातों को सुन कर चंद्रपाल ने अपना काम ईमानदारी से करना शुरू कर दिया था.

पटवारी की नौकरी करते हुए वह कुछ सालों बाद भूअभिलेख निरीक्षक बन गया और उस के बाद नायब तहसीलदार और अब तहसीलदार बन कर ईमानदारी से अपना काम कर रहा है.

30 साला मनोज एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क है. कमाऊ महकमे में होने के चलते वह हजार दो हजार रुपए रोजाना ऊपर की कमाई कर लेता है. वह जयपुर के प्रताप नगर हाउसिंग बोर्ड में अपनी 23 साला बीवी सुप्रिया के साथ रहता है.

जब मनोज की बीवी 3 बच्चों की मां बन गई, तो उस का झुकाव अपनी 20 साला कालेज में पढ़ने वाली साली नेहा की ओर हो गया. वह उसे अपने पास ही रखने लगा. उस ने अपनी साली को पैसे और महंगेमहंगे तोहफे दे कर पटा लिया था. बीवी के सो जाने पर वह अपनी साली के कमरे में चला जाता था.

एक रात को अचानक नींद खुल जाने से जब मनोज की बीवी सुप्रिया ने उसे अपने बैड पर नहीं देखा, तो वह अपनी छोटी बहन नेहा के कमरे में चली गई. वहां पर उन दोनों को साथ देख वह गुस्से में आगबबूला हो उठी.

कुछ दिनों तक तो वे दोनों एकदूसरे से दूर रहे, मगर फिर होटल में मिलने लगे. एक दिन जब वे होटल में पुलिस द्वारा पकड़े गए, तो उन के मांबाप को बहुत दुख हुआ.

वे दोनों जीजासाली सोच रहे थे कि अगर सुप्रिया उन के बीच रोड़ा नहीं बनती, तो उन्हें होटल में जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती. लिहाजा, उन्होंने सुप्रिया की गला घोंट कर हत्या कर दी.

हत्या के बाद वे दोनों वहां से फरार हो गए. दूसरे दिन जब पड़ोस के लोगों को मालूम हुआ, तो उन्होंने पुलिस को बुला लिया.कई दिनों के बाद सुप्रिया की हत्या के जुर्म में मनोज और नेहा को गिरफ्तार कर लिया गया.

दूसरों की ऐसी भूल से सबक ले कर जो लोग इन्हें अपनी जिंदगी में शामिल नहीं करते हैं, वे सुख भरी जिंदगी बिताते हैं.

सावधान: 50 रुपए में यहां बिक रही हैं लड़कियां

दुनियाभर में देह व्यापार के लिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग यानी मानव तस्करी का जाल दिनबदिन मजबूत होता जा रहा है. इस में होती मोटी कमाई के मद्देनजर बीते कुछ सालों में भारत समेत दुनिया के कई देशों में यह तस्करी सब से बड़े धंधे के रूप में उभरी है. कई देशों में देह व्यापार को कानूनी मान्यता हासिल है तो कहीं सबकुछ गैरकानूनी. कानून से कहीं नजर बचा कर तो कहीं उसे साथ मिला कर यह धंधा अरबों का हो चुका है. भारत में तो यह गैरकानूनी है लेकिन अन्य देशों की बात करें तो चीन में देह व्यापार का धंधा करीब 73 अरब डौलर का हो चुका है. हालांकि वहां यह व्यापार गैरकानूनी है इस के बावजूद दुनिया का सब से बड़ा बाजार चीन में ही मौजूद है. चीन सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी मसाज पार्लरों, बारों और नाइट क्लबों में यह धंधा धड़ल्ले से चल रहा है.

वहीं, स्पेन दुनिया का दूसरा देश है जहां पौर्न व्यापार फलफूल रहा है. वहां यह व्यापार करीब 26.5 अरब डौलर का है. यूएन यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, 39 फीसदी स्पैनिश पुरुषों ने एक बार यौनकर्मी से संबंध बनाए हैं. जापान में यह व्यापार 24 अरब डौलर, जरमनी में 18 अरब डौलर, अमेरिका में 14.6 अरब डौलर, दक्षिण कोरिया में 12 अरब डौलर और थाइलैंड में 6.4 अरब डौलर का हो चुका है.

जाहिर है जहां इतनी बड़ी कमाई के विकल्प होंगे वहां देह व्यापार के नाम पर मानव तस्करी, लड़कियों की खरीदफरोख्त और उन के खिलाफ अपराध होने तय हैं.

वेश्यावृत्ति का जाल

 अगर भारत की ही बात करें, तो यहां का देह व्यापार करीब 8.4 अरब डौलर का माना जाता है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2013 में तकरीबन साढ़े 6 करोड़ लोगों की तस्करी की गई. इन में से अधिकतर बच्चे हैं जिन्हें देह व्यापार, बंधुआ मजदूरी या भीख मांगने के काम में लगाया गया. वाक फ्री फाउंडेशन के 2014 के ग्लोबल स्लेवरी इंडैक्स के मुताबिक, भारत में 1.4 करोड़ से अधिक लोग आधुनिक गुलामी में जकड़े हुए हैं.

वेश्यावृत्ति को कानूनी जामा पहनाने के लिए यहां लंबे समय से एक पक्ष मांग कर रहा है. बावजूद इस के, देश में आज भी इस कारोबार में कोई भी लड़की या औरत मरजी से नहीं आती, या तो हालात उन्हें इस धंधे में ले आते हैं या फिर उन्हें बेच दिया जाता हैं.

फिलीपींस, जहां यह कारोबार करीब 6 अरब डौलर का बताया जाता है, सैक्स टूरिज्म के लिए दुनियाभर में चर्चित है. भारत की तरह फिलीपींस और तुर्की जैसे देशों में गरीबी और मजबूरी की मार झेल रही नाबालिग लड़कियां देह व्यापार का हिस्सा बन रही हैं. लेकिन नेपाल की कहानी तो सब से बुरी है. वहां गरीबी और भूकंप की त्रासदी झेल रहे परिवार अपनी ही बेटियों का सौदा करने को मजबूर हैं.

बदहाल नेपाल

 धनुकी सिसकसिसक कर रो रही थी. उस के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. पुलिस वाले कुछ भी पूछते तो उस की सिसकियां तेज हो जाती थीं. आंसू और सिसकियों के बीच वह कुछ बोलती तो समझ में कुछ नहीं आता. पुलिस वाले भी परेशान थे कि इस लड़की को किस तरह से चुप कराएं.

करीब एकडेढ़ घंटे के बाद जब उस का रोना बंद हुआ तो उस 14 साल की मासूम लड़की ने जो कुछ कहा, उसे सुन कर पुलिस वालों के भी होश उड़ गए. उस ने कहा, ‘‘मैं नेपाल के रौटहट की रहने वाली हूं और जिला स्कूल में पढ़ती हूं. मेरे स्कूल के दोस्त सत्येंद्र ने मुझ से कहा था कि हम दोनों के घर वाले हमारा विवाह नहीं होने देंगे, इसलिए हम लोग घर से भाग जाते हैं और भारत में जा कर शादी कर लेंगे.

‘‘सत्येंद्र ने कहा कि पटना में एक उस का पहचानवाला है. वह शादी का सारा इंतजाम करा देगा. हम दोनों पटना आ गए. यहां आने पर उस की नीयत बदल गई. वह मुझ से गंदे काम करने के लिए कहता था. जब मैं शादी की बात करती तो वह बहाने बनाने लगा. कुछ दिनों के बाद उस के साथ 2-4 लड़के भी आने लगे. वे लोग मेरे साथ छेड़छाड़ करने लगे. डर से मेरी आवाज नहीं निकलती थी. वे लोग जोरजबरदस्ती करते और फिर चले जाते. कई दिनों तक ऐसा ही चलता रहा. सत्येंद्र कभीकभी ही मिलने आता और कहता था कि वह मुझे रानी बना कर रखेगा, मैं राज करूंगी. एक दिन मौका मिलते ही मैं कमरे से भाग निकली और थाने आ गई.’’

धनुकी की दास्तान को सुन कर पुलिस वाले भी चकरा गए. पुलिस अफसरों के दिमाग घूमने की वजह यह नहीं थी कि किसी लड़की को बहलाफुसला कर जिस्म के धंधे में धकेल दिया गया, बल्कि वे इस बात को ले कर चकराए थे कि 14-15 साल के बच्चे भी ट्रैफिकिंग के धंधे में लगे हुए हैं. आमतौर पर इतनी कम उम्र के लड़कों पर इन मामलों में पुलिस को शक नहीं होता है.

कुछ इसी तरह पिछले साल 24 अगस्त को 15 साल की नाबालिग नेपाली लड़की जानकी को बहलाफुसला कर उस का पड़ोसी उसे ले भागा. नेपाल से उसे भगा कर वह पटना पहुंचा. 10वीं क्लास में पढ़ने वाली जानकी नेपाल के बीरगंज उपमहानगर पालिका क्षेत्र की रहने वाली है. उस के घर के पास ही रहने वाला विकास कुमार सोनी उस से शादी करने का झांसा दे कर उसे अपने साथ भगा ले गया.

आसपास के लोगों ने बताया कि पिछली 13 जुलाई को जानकी और विकास सड़क के किनारे बातचीत कर रहे थे. लड़की के चाचा वीरेंद्र साहा ने बीरगंज थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर में लिखवाया था कि पटना के मालसलामी महल्ले का रहने वाला लड़का विकास जानकी को बहलाफुसला कर ले भागा है.

विकास नेपाल में मोबाइल टावर लगाने का काम करता था. पुलिस ने जब विकास के मोबाइल टावर की लोकेशन का पता किया तो पटना के मालसलामी इलाके में उस के होने का पता चला. लड़की के मामा शिवशंकर चौधरी ने पटना के मालसलामी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई और एएसपी विकास वैभव को मामले की जानकारी दी गई. शिवशंकर ने बताया कि पिछली 13 जुलाई को उस की भांजी स्कूल के लिए घर से निकली थी, उस के बाद उस का कोई पता नहीं चला.

भूकंप से बिगड़े हालात

हिमालय की गोद में बसे, प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर नेपाल ने 25 अप्रैल, 2015 और उस के बाद आए तेज व विनाशकारी भूकंप के कई झटकों को झेला. नेपाल के 26 जिलों में भूकंप ने जानमाल को काफी नुकसान पहुंचाया जबकि पश्चिमी हिस्से में इस का खास असर नहीं हुआ. करीब 10 हजार लोगों के मरने और 30 हजार लोगों के घायल होने व 7 लाख से ज्यादा घरों के मलबे में तबदील होने के बाद नेपाल में पलायन की रफ्तार तेज हो गई है. हजारों लोगों की जान गंवाने के बाद नेपाल के सामने सब से बड़ी चुनौती भूकंप के प्रकोप से बच गए लोगों और देश की पूरी व्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की है.

नेपाल से लौट कर आया बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कांटी प्रखंड का रहने वाला मजदूर विमल साहनी का कहना है, ‘‘वहां खाने के सामान और पानी की अभी भी बहुत कमी है. सारी दुकानें बंद हैं. बिजली नहीं रहने की वजह से रात में परेशानी कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है.’’

भूकंप की त्रासदी झेल रहा नेपाल अब एक और नया दर्द झेल रहा है. गरीबी और पैसों की किल्लत की वजह से लोग अपनी बेटियों को बेच रहे हैं. कई लड़कियां परिवार को दुख में देख कर खुद को दलालों के हाथों सौंप रही हैं. नेपाल में इन दिनों लड़कियों और बच्चों को काम दिलाने के नाम पर कई दलाल हर इलाके में खासकर राहत शिविरों के आसपास घूम रहे हैं.

साल 2015 में नेपाल में आए भयंकर भूकंप की तबाही के बाद वहां लड़कियां और औरतें 50-100 रुपए में सैक्स करने के लिए राजी हो रही हैं. इस से नेपालियों में एड्स का खतरा तेजी से बढ़ रहा है.

पब्लिक अवेयरनैस फौर हैल्थफुल एप्रोच फौर लिविंग के मैडिकल डायरैक्टर और एड्स स्पैशलिस्ट डाक्टर दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि पिछले 7-8 महीनों में पटना स्थित उन की क्लीनिक में नेपाल से आए एड्स के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. रक्सौल, बीरगंज और जनकपुर आदि इलाकों के कईर् लोग एचआईवी की चपेट में आ गए हैं. भूकंप के बाद सबकुछ गवां चुकी औरतें और लड़कियां अपना जिस्म बेच कर अपनी जिंदगी चला रही हैं. सैक्स के दौरान सुरक्षा का उपाय नहीं करने से एचआईवी मरीजों की संख्या और बढ़नी तय है. नेपाल से पटना में उन की क्लीनिक में आए एचआईवी मरीजों की तादाद में 15 फीसदी का इजाफा हुआ है.

सक्रिय गिरोह

 दलाल आमतौर पर गरीब बच्चों के मांबाप को समझाते हैं कि वे बच्चों को मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, पटना जैसे शहरों में नौकरी पर लगवा देंगे. इस से अच्छा पैसा मिलेगा और उन की जिंदगी बदल जाएगी. खानेपीने की दिक्कत खत्म हो जाएगी. काम के साथ उन के बेटेबेटियों की पढ़ाई का भी इंतजाम कर दिया जाएगा. पढ़ने के बाद ज्यादा अच्छी नौकरी मिल जाएगी.

सुनसरी का रहने वाला जीवन थापा  बताता है, ‘‘मानव तस्करी में संलिप्त गिरोह पढ़ाई, खाना और बेहतर जीवन दिलाने का वादा करते हैं. भूकंप और गरीबी की दोहरी मार झेल रहे मांबाप आसानी से इन के झांसों में फंस जाते हैं. वे बेटियों को बेहतर जिंदगी देने और कुछ रुपयों के चक्कर में जानेअनजाने उन की जिंदगी को बदतर बना रहे हैं.’’

गौरतलब है कि नेपाल और भारत के बीच 1,750 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है. दोनों देशों के लोगों को एकदूसरे देश में आनेजाने के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती है. सीमा सुरक्षा बल के डीजी बंशीधर शर्मा कहते हैं, ‘‘दोनों देशों के बीच कुल 26 चौकियां बनी हुई हैं और रोजाना करीब 10 हजार लोग आरपार होते हैं. इस के बाद भी पूरी चौकसी बरती जाती है. ट्रैफिकिंग के मामलों पर भी नजर रखी जाती है और इस बारे में किसी पर थोड़ा सा भी शक होने पर पूरी जांचपड़ताल की जाती है.’’

डीजी बंशीधर आगे कहते हैं, ‘‘बिहार और नेपाल का बौर्डर काफी संवेदनशील है. भारत और नेपाल के बीच रोटी और बेटी का रिश्ता होने की वजह से दोनों देशों के बीच काफी आवाजाही रहती है. ऐसे में संदिग्धों को पहचानने में जवानों को काफी परेशानी होती है. खुलीसीमा का फायदा गैरकानूनी लोग आसानी से उठाने की कोशिश करते रहते हैं. इसे रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल ने बौर्डर इंटरैक्शन टीम का गठन किया है. इस टीम के लोग सादी वरदी में लोगों से मिलतेजुलते रहते हैं और संदिग्धों पर नजर रख रहे हैं.’’

दलालों की चांदी

 पूर्णियां कोर्ट के सीनियर वकील संजय कुमार सिन्हा कहते हैं, ‘‘नेपाल में लड़कियों को बेचने व खरीदने का धंधा जोरों से चल रहा है. भूकंप से बदहाल नेपाल में खाने के लाले पड़े हुए हैं. सरकार असमंजस में है. ऐसे में लड़कियों को खरीद कर उन्हें वेश्यालयों तक पहुंचाने वाले दलालों की चांदी हो गई है.

नेपाली लड़कियां 3 से 15 हजार रुपए तक में बेच दी जाती हैं. गरीब पैसों के लालच या परिवार के बाकी लोगों की पेट की आग को बुझाने के लिए बेटियों को दरिंदों के हाथों बेच देते हैं. तस्कर उन लड़कियों को दिल्ली, मुंबई या कोलकाता के बाजारों में डेढ़ से ढाई लाख रुपए तक में बेच डालते हैं. वहां से ज्यादातर नेपाली लड़कियों को अरब, हौंगकौंग, जापान, कोरिया, अफ्रीका, मलयेशिया, थाइलैंड आदि देशों में पहुंचा दिया जाता है. वहां लड़की के सारे पासपोर्ट, वीजा, पहचानपत्र आदि दस्तावेजों को जब्त कर लिया जाता है, ताकि लड़की भाग न सके.’’

काठमांडू और उस के आसपास के इलाकों में चल रही कई ट्रैवल एजेंसियां और मैरिज ब्यूरो संस्थाएं लड़कियों की तस्करी के खेल में शामिल हैं. ऐसा केवल काठमांडू में नहीं, बल्कि दुनियाभर में दलालों की नजर उन मजबूर परिवारों या लड़कियों पर रहती है. लड़कियों की शादी कराने, नौकरी दिलाने आदि का झांसा दे कर वे गरीब और भोलेभाले मांबाप को अपने जाल में फंसा लेते हैं. उन्हें समझाया जाता है कि गरीबी की वजह से वे अपनी बेटी का विवाह तो कर नहीं सकते हैं, ऐसे में मैरिज ब्यूरो के जरिए अच्छा लड़का मिल सकता है.

गरीबी की मार

 पोखरा का रहने वाला दिलीप थापा बताता है, ‘‘मेरी बेटी दिव्या की शादी दिल्ली के किसी व्यापारी से कराने की बात कही गई थी. मैं ने ट्रैवल एजेंट की बात मान ली. गरीबी की वजह से मैं अपनी बेटी का विवाह किसी अच्छे लड़के से नहीं कर सकता था. इसलिए मैं बेटी को विवाह के लिए दिल्ली भेजने के लिए राजी हो गया. जब ट्रैवल एजेंट दिव्या को ले कर जाने लगा तो उस ने मेरे हाथ में 2 हजार रुपए थमाए थे. उसी समय मेरा माथा ठनका था कि उस ने 2 हजार रुपए क्यों दिए? रुपए तो मुझे देने चाहिए थे, पर कुछ कह नहीं सका.’’

थापा रोते हुए बताता है, ‘‘आज मेरी बेटी को दिल्ली गए 3 महीने से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन उस का कोई अतापता नहीं है. ट्रैवल एजेंट के औफिस में पूछता हूं तो वहां लोग यही कहते हैं कि तुम्हारी बेटी की शादी कर दी गई है. वह अपने ससुराल में राज कर रही होगी.’’ यह कहतेकहते दिलीप की आंखों में आंसू छलक आते हैं. उसे इस बात का मलाल है कि क्यों उस ने अपनी बेटी को ट्रैवल एजेंट के हवाले कर दिया था.

विराटनगर के एक ट्रैवल एजेंट ने बताया कि इन दिनों कई फर्जी ट्रैवल एजेंट्स और प्लेसमैंट एजेंसियों के एजेंट्स नेपाल में खुलेआम धूम रहे हैं. वे इस बात की पड़ताल करते रहते हैं कि किस परिवार को भूकंप से ज्यादा नुकसान हुआ है. किस परिवार में कितनी लड़कियां और बच्चे हैं.

गरीब परिवार की लड़कियों को देख कर उन की बांछें खिल उठती हैं. लड़की के मांबाप को दलाल आसानी से समझा लेते हैं कि उन की बेटी को नौकरी मिल जाएगी और वह हर महीने अपनी कमाई से मोटी रकम घर भेजेगी. उस की शादी भी करा दी जाएगी. जिस से परिवार का गुजारा बढि़या से चलेगा. नया घर बनाने में मदद मिल जाएगी. दलालों के इस झांसे में लोग फंस जाते हैं और उन के हाथों में अपनी बेटी व मासूम बच्चों को सौंप देते हैं.

संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के मुताबिक, भूकंप के बाद नेपाल के राहत शिविरों में 15 लाख से ज्यादा लड़कियां रह रही हैं और उन की हिफाजत का कोई इंतजाम नहीं है. इतना ही नहीं, करीब

30 हजार ऐसी लड़कियां हैं जिन के मांबाप समेत परिवार के सभी सदस्यों को भूकंप ने लील लिया. वे पूरी तरह से बेसहारा व लावारिस जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं. ऐसी लड़कियों को काम दिलाने के नाम पर बहलानाफुसलाना काफी आसान है. पैसे, भोजन, काम और घर मिलने के लालच में वे बड़ी ही आसानी से दलालों की गिरफ्त में फंस रही हैं.

नेपाल के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वहां 38 फीसदी लोग गरीबीरेखा के नीचे रहते हैं. इस के साथ ही नेपाल एशिया का सब से गरीब देश भी है. बेहतर जिंदगी और कमाई की नीयत से 52.8 फीसदी नेपाली लड़कियां एजेंटों के झांसे में फंस रही हैं. परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए 19 फीसदी और प्रेम के चक्कर में फंस कर 1.4 फीसदी नेपाली लड़कियां घर छोड़ रही हैं.

रक्सौल में रहने वाले भारत-नेपाल मैत्री संघ के सदस्य अनिल कुमार सिन्हा बताते हैं कि नेपाल से 10 से 35 साल की लड़कियों और औरतों की तस्करी होने की खबरें आएदिन सुनने को मिल रही हैं और उन्हें भारत समेत दुबई, हौंगकौंग आदि देशों के वेश्यालयों में पहुंचाया जा रहा है.

दुबई में तस्करी

गौरतलब है कि कुछ महीने दिल्ली एयरपोर्ट पर दिल्ली पुलिस ने एयरलाइन के 2 कर्मचारियों के साथ 2 तस्करों को दबोचा था. वे अपने साथ 21 नेपाली लड़कियों को दुबई ले जाने की कोशिश में थे. लड़कियों ने पुलिस को बताया था कि सभी लड़कियों को दुबई में अच्छी नौकरी देने की बात कही गई थी.

बौर्डर पुलिस के मुताबिक, ‘‘लड़कियों के तस्कर गरीब लड़कियों को वेश्यालयों में पहुंचाने के अलावा उन्हें और भी कई तरह के धंधों में झोंक रहे हैं. इन्हें घरेलू कामकाज, भीख मांगने, मजदूरी, सर्कस में मजदूरी आदि के कामों में भी लगाया जाता है. सुंदर और जवान लड़कियों व औरतों को सैक्स के धंधे में धकेल दिया जाता है और बाकी औरतों को दूसरे कामों में भी लगा दिया जाता है.

पुलिस के मुताबिक, वेश्यालयों के साथ ही डांसगर्ल, बारगर्ल और मसाजगर्ल के रूप में भी नेपाली लड़कियों को आसानी से खपाया जाता है. पटना, मुजफ्फरपुर, रांची, कोलकाता आदि के कई मसाजपार्लरों में नेपाली लड़कियां काम करती हुई आसानी से दिख जाती हैं.

भारत में सैक्स का कारोबार करीब 4 लाख करोड़ रुपए का है. दिल्ली के जीबी रोड, कोलकाता के सोनागाछी, मुंबई के कामाठीपुरा, पुणे के पेठ, इलाहाबाद के मीरगंज, बनारस के शिवदासपुर, मुजफ्फरपुर के चतुर्भुज स्थान, मुंगेर के श्रवण बाजार आदि रैडलाइट इलाकों में 3-4 महीनों के दौरान नेपाली लड़कियों की संख्या तेजी से बढ़ी है. पिछले 8 अगस्त को पुणे के पेठ इलाके में छापामारी कर पुलिस ने 700 नेपाली लड़कियों को बरामद किया था.

लड़की को उस के घर से लेने के बाद एजेंट्स लड़की को सीमापार कराने में सहायता पहुंचाने वालों के हाथों में 10-12 हजार रुपए थमा देते हैं. भारत और नेपाल के बीच खुलीसीमा होने के कारण दोनों देशों के लोग बेरोकटोक एकदूसरे के देशों में आतेजाते रहते हैं. सीमा पर बसे लोगों को हर चोररास्ते का पता होता है और वे कस्टम व सीमा सुरक्षा बलों की आंखों में आसानी से धूल झोंक देते हैं. वे लोग एजेंट्स द्वारा सौंपी गई लड़की या औरत को अपना परिवार वाला बता कर सीमा के पार पहुंचा देते हैं.

भारत की सीमा में पहुंचने के बाद एजेंट्स टैक्सी बुक करते हैं और सामान या लड़कियों को बिहार समेत उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई आदि के वेश्यालयों तक पहुंचाते हैं. इस के लिए एजेंट्स टैक्सी वालों को 10 से 15 हजार रुपए तक दे देते हैं. रेल या बस के मुकाबले टैक्सी से सफर करना उन के लिए ज्यादा महफूज होता है.

वेश्यालयों में लड़कियों को बेच कर एजेंट्स 75 हजार रुपए से 1 लाख रुपए प्रति लड़की झटक लेते हैं. वहीं, 30 साल से ज्यादा उम्र की औरतों की कीमत 40 से 50 हजार रुपए लगाईर् जाती है. विदेशों के वेश्यालयों यानी थाइलैंड, मलयेशिया, कोरिया, जापान, हौंगकौंग, आस्ट्रेलिया, चीन आदि देशों में एक लड़की के बदले एजेंट्स की 30 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है.

शोषण की हद

रक्सौल पुलिस ने पिछले दिनों एक 14 साल की नेपाली लड़की को जख्मी हालत में रक्सौल रेलवे स्टेशन के पास से बरामद किया. लड़की ने पुलिस को बताया कि वह नेपाल के पोखरा शहर की रहने वाली है. पिछले साल 24 जुलाई को कुछ लोगों ने उसे उठा लिया और 3 दिनों तक अंधेरे कमरे में भूखाप्यासा रखा. जब भूख से उस की बेचैनी बढ़ने लगी तो एक रोटी खाने को दी. उस के बाद 10 से ज्यादा लोगों ने उस के साथ कई दिनों तक बलात्कार किया.

उस के बाद उस की आंखों पर पट्टी बांध कर बाहर निकाला गया और एक अंजान जगह व मकान में छोड़ दिया गया. 2 दिनों के बाद कुछ लोग आए और उसे मुजरा सीखने की ट्रेनिंग देने की बात करने लगे. इनकार करने पर बैल्ट से पीटा गया और 2 लोगों ने बलात्कार किया. बेबस हो कर उस ने मुजरा सीखना शुरू किया. एक सप्ताह की ट्रेनिंग के बाद उसे दूसरी जगह ले जाया गया. वहां नएनए लोग आते थे और उस से नाचने के लिए कहते और उस के बाद उस का बलात्कार करते.

एक दिन मौका पा कर वह भाग निकली. बाहर निकल कर पता किया तो लोगों ने बताया कि वह मुजफ्फरपुर शहर में है. वहां से ट्रेन में बैठ कर रक्सौल पहुंच गई. वहां से नेपाल जाने की कोशिश कर रही थी कि कुछ पुलिस वालों ने पकड़ लिया.

भारत-नेपाल सीमा पर मानव तस्करी की रोकथाम का काम कर रही स्वयंसेवी संस्था भूमिका विहार की निदेशक शिल्पी सिंह बताती हैं, ‘‘मानव तस्करी के मामले में बिहार का सीमांचल इलाका ट्रांजिट पौइंट बनता जा रहा है. संस्था की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 5 सालों में 519 बच्चे गायब हुए, जिन में ज्यादातर लड़कियां थी. विवाह और नौकरी का लालच दे कर लड़कियों की तस्करी की जाती है. बच्चों को गायब करने के बाद उन्हें वेश्यालयों में पहुंचा कर उन्हें देह व्यापार के जलील धंधे में झोंक दिया जाता है.’’

कुल मिला कर नेपाल ही नहीं, देशविदेश के हर कोने में लड़कियां देह व्यापार के धंधे में झोंकी जा रही हैं. उन की मुफलिसी का फायदा उठा कर चमड़ी से दमड़ी कमाने वाले लोगों ने इसे एक कमाऊ पेशा बना लिया है. जिस में ऊपर से ले कर नीचे तक सब भ्रष्ट हैं. इंसानियत के लिहाज से स्थिति भयावह व चिंताजनक है. इंसानियत थोड़े से इंसानरूपी हैवानों की दरिंदगी का शिकार है.

भूख और गरीबी के हाथों मजबूर

 बिहार के मुजफ्फरपुर शहर के एक पौश इलाके के आलीशान मकान से छुड़ाई गई 16 साल की नेपाली लड़की सुनिति गुरूंग से हुई बातचीत से यह साफ हो जाता है कि नेपाल में आए भूकंप के बाद कई परिवारों के सामने खाने के लाले पड़े हुए हैं. दलाल नेपालियों को बरगला कर उन की बेटियों को खरीदने व बेचने का धंधा कर रहे हैं, लेकिन कई लोग जानबूझ कर अपनी बेटियों को दलालों के हाथों सौंप भी रहे हैं.

इस के पीछे उन की यही सोच है कि बेटी बेच कर कुछ पैसे तो मिलेंगे ही, साथ में बेटी भी भूख व गरीबी से नहीं मरेगी. कई बेटियां तो परिवार की फांकाकशी से तंग आ कर खुद ही जिस्म के दलालों से मिल कर मोलभाव कर रही हैं. सुनिति से बातचीत के दौरान कई दर्दनाक व खौफनाक सचाइयों का खुलासा हो जाता है.

भूकंप वाले दिन आप के साथ क्या हुआ था?

 भूकंप में मेरे मांबाप की मौत हो गई. जिस समय भूकंप आया था उस समय मैं स्कूल में थी. घर पहुंची तो देखा कि मेरा घर पूरी तरह से गिर गया है और मांबाप उस में दब कर मर गए हैं. चारों ओर चीखपुकार मची हुई थी. मैं भी रो रही थी.

उस के बाद क्या हुआ?

पुलिस वालों ने बताया कि मेरे मांबाप मर गए हैं. उन्होंने पूछा कि और कोई रिश्तेदार है तुम्हारा? मैं ने कहा, ‘‘नहीं.’’ उस के बाद मुझे कैंप में पहुंचा दिया गया. 8 दिनों तक कैंप में रही. खाना और पानी भी नहीं मिलता था. दिनभर में इतना खाना भी नहीं मिलता था कि पेट भर सके.

फिर क्या किया?

 काम खोजने निकली तो कहीं काम नहीं मिला. सब यही कहते थे कि कैंप में ही रहो. पूरा नेपाल तबाह हो गया है, कोई काम अभी नहीं मिलेगा.

कैंप में किसी ने कोई बदतमीजी या गलत हरकत तो नहीं की?

 लड़कियों के लिए अलग कैंप था, लेकिन वहां खाना और पानी पहुंचाने वाले कुछ लोग लड़कियों और औरतों से गंदी बातें करते थे. मुझे अच्छा नहीं लगता था और बहुत गुस्सा आता था.

दलाल के चक्कर में फंस कर मुजफ्फरपुर कैसे पहुंची?

 कैंप में ही खाने का पैकेट बांटने वाले एक आदमी ने कहा कि वह पटना में अच्छी नौकरी दिला देगा. मैं तैयार हो गई. उस ने पटना ले जाने के बजाय मुझे यहां (मुजफ्फरपुर) एक औरत के घर में छोड़ दिया. उस ने कहा कि औरत पटना पहुंचा देगी. 2 दिन तो ठीकठाक गुजरे लेकिन उस के बाद रोज 3-4 आदमी आते और मेरे साथ जबरदस्ती करते थे.

तब क्या सोचा आप ने?

 क्या सोचती. उस समय तो लगा कि अब पूरी जिंदगी उसी नरक में बितानी पड़ेगी. बाहर निकलने का कोई ओरछोर ही पता नहीं चलता था. हर तरफ मजबूत पहरा था.

वहां खाना और रुपया आदि मिलता था?

 खानापीना तो समय पर मिलता था लेकिन रुपयों के बारे में पूछने पर कहा जाता था कि उस का मेहनताना बैंक में जमा हो रहा है. चुपचाप काम से काम रखो.

बाहर निकलने का मौका कैसे मिला?

 एक दिन सुबह उठ कर तैयार हो रही थी कि हल्ला मचने लगा और भागदौड़ होने लगी. मैं कमरे से बाहर निकली तो देखा कि चारों तरफ पुलिस वाले खड़े हैं और सभी को पकड़ रहे थे. मैं बाहर की ओर भागने लगी तो पुलिस वालों ने मुझे भी पकड़ लिया. अब पुलिस वाले कहते हैं कि वे मुझे घर भेज देंगे. अब मैं नेपाल जा कर क्या करूंगी. वहां कौन मुझे काम देगा? कौन खानापीना देगा? जिंदगी कैसे कटेगी? कुछ पता नहीं चल रहा है?

(खुफिया विभाग के एक अफसर के सहयोग से लड़की से बात हो सकी है. उन के अनुरोध पर लड़की का नाम बदल दिया गया है.)

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