मेरी जेठानी बात-बेबात मुझ से झगड़ती हैं और सासूमां के कान भी भरती रहती हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 31 वर्षीय शादीशुदा महिला हूं. हमारे 2 बच्चे हैं और हम एक ही छत के नीचे सासससुर, जेठजेठानी व उन के बच्चे के साथ रहते हैं. मेरी जेठानी बात-बेबात मुझ से झगड़ती हैं और सासूमां के कान भी भरती रहती हैं. मैं खुले विचारों वाली महिला हूं जबकि जेठानी दकियानूसी विचारों वाली और कम पढ़ीलिखी हैं. वे आए दिन मुझ से झगड़ती रहती हैं. घर में जेठानी से बारबार लड़ाई होने की वजह से क्या हमें अलग घर में रहना चाहिए?

सासूमां इस के लिए मुझे मना करती हैं पर जेठानी की बात सहते रहने के लिए भी कहती हैं. पति से इस बारे में बात करना चाहती हूं पर कभी कर नहीं पाई क्योंकि, वे अपने मातापिता को छोड़ अलग रहना नहीं चाहते. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

सुलह के सभी रास्ते बंद हों और गृहक्लेश आए दिन हो तो अलग रहने में कोई बुराई नहीं मगर इस से पहले अगर आप एक सार्थक पहल करें तो घर में सुकून और शांति का वातावरण स्थापित हो सकता है.

पहले आप के लिए यह जानना जरूरी होगा कि आपसी झगड़े की असल वजह क्या है? आमतौर पर गृहक्लेश बजट की हिस्सेदारी को ले कर, रसोई में कौन कितना काम करे, घर के कामकाज के बंटवारे आदि को ले कर होता है. कभी-कभी एकदूसरे से ईर्ष्या रखने पर भी आपसी मनमुटाव का वातावरण पैदा हो जाता है.

बेहतर होगा कि झगड़े की असल वजह जान कर सुलह की कोशिश की जाए. सास और पति से जेठानी के झगड़ालू बरताव की वजह जानने की कोशिश भी आपसी संबंधों को सही कर सकती है. जेठानी कम पढ़ी-लिखी हैं तो संभव है यह भी एक वजह हो. आप को ले कर उन में हीनभावना हो सकती है. आप के लिए बेहतर यह भी होगा कि जेठानी से उपयुक्त समय देख कर बात करें.

अगर सास आप को अलग घर लेने से मना कर रही हैं तो जाहिर है वे आप को व जेठानी को बेहतर रूप से जानती समझती हैं, इसलिए सही निर्णय आप की सास ही ले सकती हैं.

यदि 1-2 बातों को नजरअंदाज कर दें तो संयुक्त परिवार आज की जरूरत है, जहां रहते हुए हरकोई अपने सपनों के पंखों को उड़ान दे सकता है.

सेक्स करते समय मेरा बौयफ्रेंड मेरी फोटो खींचना चाहता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 18 साल है. मैं 23 साल के एक लड़के से प्यार करती हूं. हमारे बीच कई बार सेक्स भी हो चुका हैं. जब भी हम प्यार कर रहे होते हैं तो मेरा प्रेमी अपने मोबाइल फोन पर मेरे फोटो खींचना चाहता है या वीडियो बनाना चाहता है. मैं हर बार सख्ती से मना कर देती हूं. लेकिन वह हर बार जिद करता है. मैं उसे कैसे समझाऊं?

जवाब

आप के प्रेमी की नीयत में खोट आ गया है. आप का जिस्म तो वह हासिल कर ही चुका है, फिर क्यों आप का प्रेम संबंध वाला फोटो आप के मना करने के बाद कैमरे में कैद करना चाहता है, जो बाद में ब्लैकमेलिंग या बदनामी का सबब भी बन सकता है.

ये भी पढ़ें- अपने तरीके से जीने दें बेटे की पत्नी को

भारत के विक्रांत सिंह चंदेल ने रूस की ओल्गा एफिमेनाकोवा से शादी की. शादी के बाद वे गोवा में रहने लगे. कारोबार में नुकसान होने के बाद ओल्गा पति के साथ उस के घर आगरा रहने आ गई. लेकिन विक्रांत की मां ने ओल्गा को घर में आने देने से साफ मना कर दिया. कारण एक तो यह शादी उस की मरजी के खिलाफ हुई थी, दूसरा सास को विदेशी बहू का रहनसहन पसंद नहीं था.

सुलह का कोई रास्ता न निकलता देख ओल्गा को अपने पति के साथ घर के बाहर भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा. ओल्गा का कहना था कि उस की सास दहेज न लाने और उस के विदेशी होने के कारण उसे सदा ताने देती रही है.

जब मामला तूल पकड़ने लगा तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को हस्तक्षेप करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री से विदेशी बहू की मदद करने के लिए कहना पड़ा. उस के बाद सास और ननद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए. तब जा कर सास ने बहू को घर में रहने की इजाजत दी और कहा कि अब वह उसे कभी तंग नहीं करेगी.

नहीं देती प्राइवेसी

सास-बहू के रिश्ते को ले कर न जाने कितने ही किस्से हमें देखने और सुनने को मिलते हैं. सास को बहू एक खतरे या प्रतिद्वंद्वी के रूप में ही ज्यादा देखती है. इस की सब से बड़ी वजह है सास का अपने बेटे को ले कर पजैसिव होना और बहू को अपनी मनमरजी से जीने न देना. सास का हस्तक्षेप ऐसा मुद्दा है जिस का सामना बेटाबहू दोनों ही नहीं कर पाते हैं. वे नहीं समझ पाते कि पजैसिव मां को अपनी प्राइवेसी में दखल देने से कैसे रोकें कि संबंधों में कटुता किसी ओर से भी न आए.

अधिकांश बहुओं की यही शिकायत होती है कि सास प्राइवेसी और बहू को आजादी देने की बात को समझती ही नहीं हैं. उन्हें अगर इस बात को समझाना चाहो तो वे फौरन कह देती हैं कि तुम जबान चला रही हो या हमारी सास ने भी हमारे साथ ऐसा ही व्यवहार किया था, पर हम ने उन्हें कभी पलट कर जवाब नहीं दिया.

आन्या की जब शादी हुई तो उसे इस बात की खुशी थी कि उस के पति की नौकरी दूसरे शहर में है और इसलिए उसे अपनी सास के साथ नहीं रहना पड़ेगा. वह नहीं चाहती थी कि नईनई शादी में किसी तरह का व्यवधान पड़े. वह बहुत सारे ऐसे किस्से सुन चुकी थी और देख भी चुकी थी जहां सास की वजह से बेटेबहू के रिश्तों में दरार आ गई थी.

शुरुआती दिनों में पतिपत्नी को एकदूसरे को समझने के लिए वक्त चाहिए होता है और उस समय अगर सास की दखलंदाजी बनी रहे तो मतभेदों का सिलसिला न सिर्फ नवयुगल के बीच शुरू हो जाता है बल्कि सासबहू में भी तनातनी होने लगती है.

आन्या अपने तरीके से रोहन के साथ गृहस्थी बसाना, उसे सजानासंवारना चाहती थी. उस की सास बेशक दूसरे शहर में रहती थी पर वह हर 2 महीने बाद एक महीने के लिए उन के पास रहने चली आती थी क्योंकि उसे हमेशा यह डर लगा रहता था कि उस की नौकरीपेशा बहू उस के बेटे का खयाल रख भी पा रही होगी या नहीं.

आन्या व्यंग्य कसते हुए कहती है कि आखिर अपने नाजों से पाले बेटे की चिंता मां न करे तो कौन करेगा. लेकिन समस्या तो यह है मेरी सास को हददरजे तक हस्तक्षेप करने की आदत है, वे सुबह जल्दी जाग जातीं और किचन में घुसी रहतीं. कभी कोई काम तो कभी कोई काम करती ही रहतीं.

मुझे अपने और रोहन के लिए नाश्ता व लंच पैक करना होता था पर मैं कर ही नहीं पाती थी क्योंकि पूरे किचन में वे एक तरह से अपना नियंत्रण  रखती थीं. यही नहीं, वे लगातार मुझे निर्देश देती रहतीं कि मुझे क्या बनाना चाहिए, कैसे बनाना चाहिए और उन के बेटे को क्या पसंद है व क्या नापसंद है.

सुबहसुबह उन का लगातार टोकना मुझे इतना परेशान कर देता कि मेरा सारा दिन बरबाद हो जाता. यहां तक कि गुस्से में मैं रोहन से भी नाराज हो जाती और बात करना बंद कर देती. मुझे लगता कि रोहन अपनी मां को ऐसा करने से रोकते क्यों नहीं हैं?

सब से ज्यादा उलझन मुझे इस बात से होती थी कि जब भी मौका मिलता वे यह सवाल करने लगतीं कि हम उन्हें उन के पोते का मुंह कब दिखाएंगे? हमें जल्दी ही अपना परिवार शुरू कर लेना चाहिए. जो भी उन से मिलता, यही कहतीं, ‘मेरी बहू को समझाओ कि मुझे जल्दी से पोते का मुंह दिखा दे.’ रोहन को भी वे अकसर सलाह देती रहतीं. प्राइवेसी नाम की कोई चीज ही नहीं बची थी.

रोहन का कहना था कि  हर रोज आन्या को मेरी मां से कोई न कोई शिकायत रहती थी. तब मुझे लगता कि मां हमारे पास न आएं तो ज्यादा बेहतर होगा. मैं उस की परेशानी समझ रहा था पर मां को क्या कहता. वे तो तूफान ही खड़ा कर देतीं कि बेटा, शादी के बाद बदल गया और अब बहू की ही बात सुनता है.

मैं खुद उन दोनों के बीच पिस रहा था और हार कर मैं ने अपना ट्रांसफर बहुत दूर नए शहर में करा लिया ताकि मां जल्दीजल्दी न आ सकें. मुझे बुरा लगा था अपनी सोच पर, पर आन्या के साथ वक्त गुजारने और उसे एक आरामदायक जिंदगी देने के लिए ऐसा करना आवश्यक था.

परिपक्व हैं आज की बहुएं

मनोवैज्ञानिक विजयालक्ष्मी राय मानती हैं कि ज्यादातर विवाह इसलिए बिखर जाते हैं क्योंकि पति अपनी मां को समझा नहीं पाता कि उस की बहू को नए घर में ऐडजस्ट होने के लिए समय चाहिए और वह उन के अनुसार नहीं बल्कि अपने तरीके से जीना चाहती है ताकि उसे लगे कि वह भी खुल कर नए परिवेश में सांस ले रही है, उस के निर्णय भी मान्य हैं तभी तो उस की बात को सुना व सराहा जाता है.

बहू के आते ही अगर सास उस पर अपने विचार थोपने लगे या रोकटोक करने लगे तो कभी भी वह अपनेपन की महक से सराबोर नहीं हो सकती.

बेटेबहू की जिंदगी की डोर अगर सास के हाथ में रहती है तो वे कभी भी खुश नहीं रह पाते हैं. सास को समझना चाहिए कि बहू एक परिपक्व इंसान है, शिक्षित है, नौकरी भी करती है और वह जानती है कि अपनी गृहस्थी कैसे संभालनी है. वह अगर उसे गाइड करे तो अलग बात है पर यह उम्मीद रखे कि बहू उस के हिसाब से जागेसोए या खाना बनाए या फिर हर उस नियम का पालन करे जो उस ने तय कर रखे हैं तो तकरार स्वाभाविक ही है.

आज की बहू कोई 14 साल की बच्ची नहीं होती, वह हर तरह से परिपक्व और बड़ी उम्र की होती है. कैरियर को ले कर सजग आज की लड़की जानती है कि उसे शादी के बाद अपने जीवन को कैसे चलाना है.

फैमिली ब्रेकर बहू

आर्थिक तौर पर संपन्न होने और अपने लक्ष्यों को पाने के लिए एक टारगेट सैट करने वाली बहू पर अगर सास हावी होना चाहेगी तो या तो उन के बीच दरार आ जाएगी या फिर पतिपत्नी के बीच भी स्वस्थ वैवाहिक संबंध नहीं बन पाएंगे.

एक टीवी धारावाहिक में यही दिखाया जा रहा है कि मां अपने बेटे को ले कर इतनी पजैसिव है कि वह उसे उस की पत्नी के साथ बांटना ही नहीं चाहती थी. बेटे का खयाल वह आज तक रखती आई है और बहू के आने के बाद भी रखना चाहती है, जिस की वजह से पतिपत्नी के बीच अकसर गलतफहमी पैदा हो जाती है.

फिर ऐसी स्थिति में जब बहू परिवार से अलग होने का फैसला लेती है तो उसे फैमिली यानी घर तोड़ने वाली ब्रेकर कहा जाता है. सास अकसर यह भूल जाती है कि बहू को भी खुश रहने का अधिकार है.

विडंबना तो यह है कि बेटा इन दोनों के बीच पिसता है. वह जिस का भी पक्ष लेता है, दोषी ही पाया जाता है. मां की न सुने तो वह कहती है कि जिस बेटे को इतने अरमानों से पाला, वह आज की नई लड़की की वजह से बदल गया है और पत्नी कहती है कि जब मुझ से शादी की है तो मुझे भी अधिकार मिलने चाहिए. मेरा भी तो तुम पर हक है. बेटे और पति पर हक की इस लड़ाई में बेटा ही परेशान रहता है और वह अपने मातापिता से अलग ही अपनी दुनिया बसा लेता है.

शादी किसी लड़की के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण व नया अध्याय होता है. पति के साथ वह आसानी से सामंजस्य स्थापित कर लेती है, पर सास को बहू में पहले ही दिन से कमियां नजर आने लगती हैं. उसे लगता है कि बेटे को किसी तरह की दिक्कत न हो, इस के लिए बहू को सुघड़ बनाना जरूरी है. और वह इस काम में लग जाती है बिना इस बात को समझे कि वह बेटे की गृहस्थी और उस की खुशियों में ही सेंध लगा रही हैं.

इस का एक और पहलू यह है कि बेटे के मन में मां इतना जहर भर देती है कि  उसे यकीन हो जाता है कि उस की पत्नी ही सारी परेशानियों की वजह है और वह नहीं चाहती कि वह अपने परिवार वालों का खयाल रखे या उन के साथ रहे.

जरूरी है कि सास बेटे की पत्नी को खुल कर जीने का मौका दें और उसे खुद ही निर्णय लेने दें कि वह कैसे अपनी जिंदगी संवारना व अपने पति के साथ जीना चाहती है. सास अगर हिदायतें व रोकटोक करने के बजाय बहू का मार्गदर्शन करती है तो यह रिश्ता तो मधुर होगा ही साथ ही, पतिपत्नी के संबंधों में भी मधुरता बनी रहेगी.

मेरे पति के सीमन में शुक्राणु नहीं हैं, हम बच्चे के लिए क्या करें ?

सवाल –

मेरी उम्र 28 वर्ष है. मैं एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हूं. मेरे पति के सीमन में शुक्राणु नहीं हैं. हम बच्चे के लिए क्या करें?

जवाब –

आप के पति की शारीरिक रचना की जांच करनी होगी. स्पर्म बैंक से स्पर्म ले कर डोनर आईयूई का रास्ता प्रभावी साबित हो सकता है. हो सकता है कि आप के पति का स्पर्म कहीं रुक रहा हो. अगर ऐसा है तो उस का भी इलाज संभव है.

जानकारी वीर्य की

वीर्य आदमी के अंडकोष और अंग के मार्ग में मौजूद प्रोस्टै्रट, सैमाइनल वैसिकल और यूरेथल ग्रंथियों से निकले रसों से बनता है. वीर्य में तकरीबन 60 फीसदी सैमाइनल वैसिकल, 30 फीसदी प्रोस्ट्रैट ग्रंथि का रिसाव और केवल 10 फीसदी अंडकोष में बने शुक्राणु यानी स्पर्म होते हैं, जो वीर्य में तैरते रहते हैं. शुक्राणु की मदद से ही बच्चे पैदा होते हैं.

  1. अंडकोष यानी शुक्राशय आदमी के शरीर के बाहर लटके होते हैं, क्योंकि शुक्राणु बनने के लिए शरीर से कुछ कम तापमान की जरूरत होती है.
  2. अगर किसी वजह से अंडकोष अंदर ही रह जाते हैं, तो ये खराब हो जाते हैं. शुक्राशय के 2 काम हैं, शुक्राणु बनाना और पुरुषत्व हार्मोन टैस्ट्रोस्ट्रान बनाना.
  3. टैस्ट्रोस्ट्रान कैमिकल ही आदमी में क्रोमोसोम के साथ लिंग तय करता है. इसी के चलते बड़े होने पर लड़कों में बदलाव होते हैं, जैसे अंग के आकार में बढ़ोतरी, दाढ़ीमूंछें निकलना, आवाज में बदलाव, मांसपेशियों का ताकतवर होना वगैरह.
  4. किशोर उम्र तक शुक्राशय शुक्राणु नहीं बनाते. ये 11 से 13 साल के बीच शुरू होते हैं और तकरीबन 17-18 साल तक पूरी तेजी से बनते हैं.
  5. अंडकोष से निकल कर शुक्राणु इस के ऊपरी हिस्से में इकट्ठा हो कर पकते हैं. यहां पर ये तकरीबन एक महीने तक सक्रिय रहते हैं. शुक्राणु बनने की पूरी प्रक्रिया में 72 दिन का समय लगता है.
  6. किशोर उम्र में बनना शुरू हो कर शुक्राणु जिंदगीभर बनते रहते हैं. हां, अधेड़ उम्र में इस के बनने की रफ्तार धीमी हो जाती है.
  7. शुक्राणु के बनने में दिमाग में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि, एफएसएच हार्मोन व टैस्टीज से निकले टैस्ट्रोस्ट्रान हार्मोन का हाथ होता है. इन हार्मोनों की कमी होने पर शुक्राणु बनना बंद हो जाते हैं.
  8. वीर्य में मौजूद शुक्राणु 2 तरह के होते हैं, 3 3 या 3 4. अगर औरत के अंडे का मिलन 3 3 से होता है, तो लड़की और अगर 3 4 से होता है, तो लड़का पैदा होता है.
  9. मां के पेट में बच्चे का लिंग आदमी के शुक्राणुओं द्वारा तय होता है. इस में औरत का कोई बस नहीं होता है.
  10. वीर्य में सब से ज्यादा रस सैमाइनल वैसिकल ग्रंथि से निकले पानी से होता है. इस में फ्रक्टोज शुक्राणुओं का पोषक तत्त्व होता है. इस के अलावा रस में साइट्रिक एसिड, प्रोस्ट्राग्लैंडिन और फाइब्रोजन तत्त्व भी पाए जाते हैं.
  11. प्रोस्ट्रैट ग्रंथि का रस दूधिया रंग का होता है. इस में साइट्रेट, कैल्शियम, फास्फेट, वीर्य में थक्का बनाने वाले एंजाइम और घोलने वाले तत्त्व होते हैं. इन में अलावा मूत्र में स्थित यूरेथल ग्रंथियों का रिसाव भी वीर्य में मिल जाता है.
  12. स्खलन के समय शुक्राशय से निकले शुक्राणु सैमाइनल वैसिकल व प्रोस्टै्रट के स्राव के साथ मिल कर शुक्र नली द्वारा होते हुए मूत्र नलिका से बाहर हो जाते हैं.

यह भी जानें

* एक बार में निकले वीर्य की मात्रा 2 से 5 मिलीलिटर होती है.

* वीर्य चिकनापन लिए दूधिया रंग का होता है और इस में एक खास तरह की गंध होती है.

* वीर्य का चिकनापन सैमाइनल वैसिकल व पीए प्रोस्टै्रट के स्राव के चलते होता है. अगर पीए अम्लीय है, वीर्य पीला या लाल रंग लिए है, तो यह बीमारी की निशानी है.

* वीर्य से बदबू आना भी बीमारी का लक्षण हो सकता है.

* 2-3 दिन के बाद निकला वीर्य गाढ़ा होता है, क्योंकि इस में शुक्राणुओं की संख्या ज्यादा होती है.

* वीर्य निकलने के बाद जम जाता है. पर इस में मौजूद रसायन फाइब्रोलाइसिन एंजाइम इसे 15-20 मिनट में दोबारा पतला कर देते हैं. अगर वीर्य दोबारा पतला न हो, तो यह बीमारी की निशानी है.

* 4-5 दिन बाद एक घन मिलीलिटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 8 से 12 करोड़ होती है. यानी एक बार में तकरीबन 40 करोड़ शुक्राणु निकलते हैं, पर एक ही शुक्राणु अंडे को निषेचित करने के लिए काफी होता है.

* अगर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 6 करोड़ प्रति मिलीलिटर से कम हो, तो आदमी में बच्चे पैदा करने की ताकत कम होती है. अगर 2 करोड़ से कम हो, तो आदमी नामर्द हो सकता है.

* सामान्य शुक्राणु छोटे से सांप की शक्ल का होता है. इस का सिरा गोल सा होता है और सिर पर एक टोपी होती है, जिस को एक्रोसोम कहते हैं. साथ में गरदन, धड़ और पूंछ होती है.

* अगर शुक्राणुओं के आकार में फर्क हो, तब भी बच्चे पैदा करने की ताकत कम हो जाती है. यह फर्क सिर, धड़ या पूंछ में हो सकता है. अगर असामान्य शुक्राणुओं की संख्या 20 फीसदी से भी ज्यादा होती है, तो आदमी नामर्द हो सकता है.

* शुक्राणु वीर्य में हमेशा तैरते रहते हैं. अगर शुक्राणु सुस्त हैं या 40 फीसदी से ज्यादा गतिहीन हैं, तो भी आदमी नामर्द हो सकता है.

* अगर वीर्य में मवाद, खून या श्वेत खून की कणिकाएं मौजूद हों, तो यह भी बीमारी की निशानी है.

* वीर्य या शुक्राणु बनने में खराबी कई बीमारियों के चलते हो सकती है. हार्मोन के बदलाव से शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है.

* शुक्राशय में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जैसे मम्स, लेप्रोसी, सिफलिस वगैरह.

* ट्यूमर, इंफैक्शन, फाइलेरिया से शुक्राशय खराब हो सकता है.

* शुक्राणु के बनने में प्रोटीन, विटामिन, खासतौर से विटामिन ई की जरूरत होती है.

वीर्य संबंधी गलतफहमियां

*  अगर पेशाब के साथ वीर्य या वीर्य जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलता है, तो लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं. वे समझते हैं कि उन की ताकत कम हो रही है. नतीजतन, वे कई बीमारियों को न्योता दे बैठते हैं, जबकि वीर्य के निकलने या धातु निकलने से जिस्मानी ताकत में कमी होने का कोई संबंध नहीं है.

* हस्तमैथुन करने या रात को वीर्य गिरने से नौजवान समझते हैं कि इस के द्वारा उन की ताकत निकल रही है और वे तनावग्रस्त हो जाते हैं, जबकि यह सामान्य प्रक्रिया है.

* वीर्य जमा नहीं होता. अगर वीर्य के साथ शुक्राणु बाहर न निकलें, तो शरीर में इन की कमी हो जाती है. इसी तरह शौच जाते समय जोर लगाने से भी कुछ बूंद वीर्य निकल सकता है, इसलिए घबराएं नहीं.

* कुछ लोगों में यह गलतफहमी है कि वीर्य की एक बूंद 40 बूंद खून के बराबर है. यह गलत सोच है. वीर्य जननांगों का स्राव है, जो लार, पसीना या आंसू की तरह ही शरीर में बनता है.

* कुछ लोगों का मानना है कि वे वीर्य गिरने के समय जीवनदायक रस को बरबाद करते रहे हैं.

* अगर वीर्य के निकल जाने से कीमती ताकत का नाश होता है, तो सभी शादीशुदा आदमी कमजोर हो जाते, इसलिए वीर्य और सैक्स संबंध के बारे में गलत सोच न बनाएं, तनाव से दूर रहें और कामयाब जिंदगी का लुत्फ उठाएं.

जब भी मैं सेक्स करता हूं तो कमर में 2 दिनों तक दर्द रहता है, मैं क्या करूं?

सवाल-

जब मैं हमबिस्तर होता हूं, तो कमर में 2 दिनों तक दर्द रहता है. ज्यादा हमबिस्तरी नहीं कर पाता. वजह बताएं?

जवाब-

कमर में दर्द की तकलीफ कमर की हड्डी के बीच की दूरी में कमी आने के चलते हो सकती है. इसे डाक्टरी भाषा में स्पोंडिलोसिस कहते हैं. इस भाग के ऐक्सरे करने से निदान हो सकता है. नियमित रूप से उस भाग की कसरत से आप को फायदा होगा.

ये भी पढ़ें- 

इन वजहों से होता है कमर दर्द, ऐसे मिलेगा छुटकारा

बढती उम्र अपने साथ कई तरह की शारीरिक बिमारियां और दर्द साथ लेकर आती है इनमें जो सबसे भयानक और आम दर्द होता है वो है कमर दर्द. वैसे कमर दर्द से कोई भी प्रभावित हो सकता है. हमारे दिनचर्या में आधुनिकरण इतना हावी हो गया कि युवा वर्ग भी इससे अछूता नहीं है. लेकिन प्राय: बढ़ती उम्र और औरतों के साथ यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. यह ऐसी समस्या है जो लम्बे समय तक बनी रहती है और इससे पूरी तरह से छुटकारा पाना मुश्किल होता है. लेकिन अब आपको चिन्ता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आज हम आपको इसका सटीक हल बताने जा रहे हैं जिसका इस्तेमाल करके आप कमर दर्द पर नियंत्रण ही नहीं बल्कि हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा पा सकती हैं.

कमर दर्द होने का कारण

शरीर में वजन का बढ़ना

अगर आपके शरीर का वजन बढ़ गया है तो आपको कमर दर्द की समस्या हो जाती है क्योंकि जब आपके शरीर का वजन बढ़ता है तो इसका आधे से ज्यादा भार आपकी कमर पर होता है.

भारी वजन उठाना

भारी वजन उठाने पर भी ये समस्या पैदा हो सकती है. इसलिए आपके पास जितना वजन उठाने की क्षमता है उतना ही उठाएं.

गलत तरीके से सोना

जब कभी आप सोते वक्त ऐसी पोजीशन में आ जाती हैं जो आपके शरीर के उल्टी दिशा में होता है. सोने का यह गलत तरिका आपको कमर दर्द की समस्या से पीड़ित कर सकती है.

गलत तरीके से उठना, झुकना और बैठना

आप रोजमर्जा के जीवन में आप कैसे काम करती हैं, आप कैसे उठती हैं, बैठती हैं या झुकती हैं. आपको बता दें कि इन तीनों क्रियाओं को करने पर लापरवाही आपके लिए कमर दर्द का कारण बनती है.

मांसपेशियों में खिचाव

कभी कभी आप कोई ऐसा काम करती हैं जिसे सामान्य तौर पर आप हमेशा नहीं करती हैं. कईबार तो ऐसा होता है कि पस किसी काम को बहुत ही जल्दबाजी में करते हैं और ऐसा करते समय कभी कभी हमारी मासपेशियां खिंच जाती है. मासपेशियों में होने वाला यही खिंचाव हमारे कमर दर्द का कारण बनता है.

कमर दर्द के घरेलू उपाय

सरसों का तेल और लहसुन

अगर आपको कमर के दर्द की हमेशा शिकायत रहती है तो सरसों का तेल एवं लहसुन आपको इससे छुटकारा दिलाने का बेजोड़ इलाज है. इसके लिए तीन से पांच चम्मच सरसों का तेल और पांच लहसुन की कलियां को एक साथ गर्म करें. इसको तब तक गर्म करते रहें जब तक कलियां काली न हो जाए. अब आप इसे ठंडा होने दें. ठंडा होने पर इसे दर्द वाली जगह पर मालिश करें. इस रोजाना सोते वक्त इस्तेमाल करें. ऐसा करने से कुछ ही हफ्तों में आपका कमर दर्द जड़ से खत्म हो जाएगा.

गर्म पानी से सिकाई

अगर आपके कमर में तेज दर्द होता है तो आपको इसकी सिकाई गर्म पानी से करनी चाहिए. ऐसा करने से आपको इस समस्या से आराम मिल जाएगा.

अजवायन

अजवायन आपके लिए बहुत असरदार दवा है. अगर आपकी कमर का दर्द खत्म नहीं हो रहा है तो आपको अजवायन का सेवन करना चाहिए. आप इसको पहले गर्म करले बाद में ठंडे होने पर इसका सेवन करें.

गर्म नमक का सेंक

गर्म नमक का सेंक भी कमर दर्द के लिए बेहद ही फायदेमंद होता है. इसके लिए नमक को गर्म करें और इसे किसी कपड़े या तौलिए में लपेटकर अपने कमर पर सिकाई करें. ऐसा करने से आपको दर्द में राहत मिल जाएगी.

गर्म और ठंडा

अगर आपके कमर दर्द की समस्या खत्म नहीं हो रही है तो आपको इसके लिए गर्म और ठंडे का मिश्रण इस्तेमाल करना चाहिए. इसके लिए आप पहले दर्द वाली जगह पर गर्म पानी से सिकाई करें और बाद में इस जगह पर बर्फ लगाएं.

मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या मासिकधर्म के दौरान संबंध बनाने से गर्भ ठहर सकता है?

सवाल
मैं 21 वर्षीय युवती हूं, मेरा एक बौयफ्रैंड है जिस के साथ मेरे शारीरिक संबंध भी हैं. हाल ही मासिकधर्म के दौरान मैं ने बौयफ्रैंड के साथ शारीरिक संबंध बनाए लेकिन हम ने कोई गर्भनिरोधक उपाय नहीं अपनाया. अब मैं इस बात को ले कर चिंतित हूं कि कहीं मैं गर्भवती न हो जाऊं. मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या मासिकधर्म के दौरान संबंध बनाने से गर्भ ठहर सकता है. वैसे मेरा मासिकधर्म संबंध बनाने के बाद हो चुका है.

जवाब
सामान्य तौर पर मासिकधर्म के दौरान शारीरिक संबंध बनाने पर गर्भ ठहरने की संभावना नहीं होती है. लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप की माहवारी नियमित है या नहीं. अगर माहवारी नियमित हो तो गर्भ ठहरने की संभावना कम होती है. लेकिन गर्भ ठहरने की संभावना को पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता. क्योंकि अगर आप की माहवारी अनियमित हो और अंडाणु का विसर्जन अनियमित समय से हो जाए और उसी समय मासिकधर्म भी हो रहा है तो गर्भधारण की संभावना भी हो सकती है.

अगली बार ऐसा कुछ करने से पूर्व गर्भनिरोधक उपाय अवश्य अपना लें ताकि प्रैगनैंसी, एसटीडी और एड्स जैसी बीमारियों से बचाव हो सके. वैसे, वर्तमान स्थिति में आप का मासिकधर्म संबंध बनाने के बाद सामान्य हो चुका है तो घबराने की कोई बात नहीं है.

मासिक धर्म या माहवारी कुदरत का दिया हुआ एक ऐसा तोहफा है, जो किसी लड़की या औरत के मां बनने का रास्ता पक्का करता है. इस की शुरुआत 10 साल से 12 साल की उम्र में हो जाती है, जो  45 साल से 50 साल तक बनी रहती है. इस के बाद औरतों में रजोनिवृत्ति हो जाती है. इस दौरान उन्हें हर महीने माहवारी के दौर से गुजरना होता है. अगर वे अपने नाजुक अंग की समुचित साफसफाई न करें, तो तमाम तरह की बीमारियों की चपेट में आ सकती हैं.

हमारे समाज में आज भी माहवारी के 4-5 दिनों तक लड़कियों व औरतों के साथ अछूत जैसा बरताव किया जाता है. यही नहीं, ज्यादातर लड़कियां और औरतें इस दौरान परंपरागत रूप से कपड़े का इस्तेमाल करती हैं और उसे धो कर ऐसी जगह सुखाती हैं, जहां किसी की नजर न पड़े.

सेहत के नजरिए से ये कपड़े दोबारा इस्तेमाल करने के लिए ठीक नहीं हैं. इस का विकल्प सैनिटरी नैपकिन हैं, लेकिन  महंगे होने की वजह से इन का इस्तेमाल केवल अमीर या पढ़ीलिखी औरतों तक ही सिमटा है.

आज भी देश के छोटेछोटे गांवों और कसबों की लड़कियां और औरतें सैनिटरी नैपकिन के बजाय घासफूस, रेत, राख, कागज या कपड़ों का इस्तेमाल करती हैं.

एक सर्वे के मुताबिक, 80 फीसदी औरतें और स्कूली छात्राएं ऐसा ही करती हैं. इन में न सिर्फ अनपढ़, बल्कि कुछ कामकाजी पढ़ीलिखी औरतें भी शामिल हैं.

फिक्की लेडीज आर्गनाइजेशन की सदस्यों द्वारा किए गए सर्वे में ऐसी बातें सामने आई हैं. संस्था की महिला उद्यमियों ने गांवों और छोटे शहरों में स्कूली छात्राओं और महिला मजदूरों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सब्जी बेचने वाली औरतों से बात की. उन से पूछा गया कि वे सैनिटरी हाईजीन के बारे में क्या जानती हैं?

कसबों में स्कूली बच्चियों से पूछने पर यह बात सामने आई कि कई लड़कियां हर महीने इन खास दिनों में स्कूल ही नहीं जातीं. कई मामलों में तो लड़कियों ने 5वीं जमात के बाद इस वजह से पढ़ाई ही छोड़ दी.

गांवदेहात की 38 फीसदी लड़कियां माहवारी होने की वजह से 5वीं जमात के बाद स्कूल छोड़ देती हैं. 63 फीसदी लड़कियां इस दौरान स्कूल ही नहीं जातीं. 16 फीसदी स्कूली बच्चियों को सैनिटरी नैपकिन की जानकारी नहीं है. 93 फीसदी पढ़ीलिखी व कामकाजी औरतें भी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं करतीं.

चूंकि यह निहायत निजी मामला है और स्कूली छात्राओं में झिझक ज्यादा होती है, इसलिए महिला और बाल विकास के कार्यकर्ताओं द्वारा इस संबंध में स्कूलों में जा कर इन खास दिनों में बरती जाने वाली साफसफाई के बारे में समझाना चाहिए.

फिक्की लेडीज आर्गनाइजेशन द्वारा अनेक स्कूलों में नैपकिन डिस्पैंसर मशीनें लगाई गई हैं. इन मशीनों से महज 2 रुपए में नैपकिन लिया जा सकता है.

मध्य प्रदेश के कई स्कूलों में भी एटीएम की तरह सैनिटरी नैपकिन की मशीनें लगाई गई हैं, जहां 5 रुपए का सिक्का डालने पर एक नैपकिन निकलता है. ये सभी वे स्कूल हैं, जहां केवल लड़कियां ही पढ़ती हैं.

अगर माहवारी के दिनों में पूरी साफसफाई पर ध्यान न दिया जाए, तो पेशाब संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. राख, भूसे जैसी चीजें इस्तेमाल करने के चलते औरतों को कटाव व घाव हो सकते हैं. लंबे समय तक ऐसा करने से बांझपन की समस्या भी हो सकती है.

सर्वे के दौरान कुछ ऐसे परिवार भी मिले, जहां एक से ज्यादा औरतें माहवारी से होती दिखाई दीं. सासबहू, मांबेटी, बहनबहन, ननदभाभी जब एकसाथ माहवारी से होती हैं और अपने अंगों पर लगाए गए कपड़ों को धो कर सुखाती हैं, तो बाद में यह पता लगाना बड़ा मुश्किल हो जाता है कि कौन सा कपड़ा किस का इस्तेमाल किया हुआ था? ऐसे में अगर ठीक से कपड़ा नहीं धुला, तो दूसरी को इंफैक्शन हो सकता है.

माहवारी के दौरान गर्भाशय का मुंह खुला होता है. इन दिनों अगर साफसफाई का ध्यान नहीं रखा जाए, तो इंफैक्शन होने का खतरा रहता है.

माहवारी के दिनों में घरेलू कपड़े के पैड के बजाय बाजारी पैड का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि कपड़े के पैड की तुलना में बाजारी पैड नमी को ज्यादा देर तक सोखता है, घाव नहीं करता व दाग लगने के डर से बचाता है.

माहवारी के दिनों में नहाना बहुत जरूरी है, खासकर प्रजनन अंगों की साफसफाई का ध्यान रखना चाहिए. पैंटी को भी रोजाना बदलना चाहिए.

माहवारी के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले बाजारी पैड को कागज में लपेट कर कूड़ेदान में डालें. इन्हें पानी के साथ न बहाएं और न ही खुले में डालें.

इस में कोई शक नहीं है कि अच्छी या नामीगिरामी कंपनियों के सैनिटरी नैपकिन काफी महंगे आते हैं. एक दिन में 4-5 पैड लग जाते हैं. यह खर्च उन के बजट से बाहर है. इस के अलावा उन्हें दुकान पर जा कर इसे खरीदने में भी शर्म आती है.

लड़कियों और औरतों की सेहत की खातिर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को चाहिए कि वे सैनिटरी नैपकिन बनाने वाली कंपनियों को अनुदान दे कर इस की लागत इतनी कम कर दें कि एक या 2 रुपए में वह मिलने लगे. यह औरतों और लड़कियों की भलाई की दिशा में एक अच्छा कदम होगा.

मुझे अपना जीवन निरर्थक लगने लगा है मेरी बातें सुनने वाला कोई नहीं है, मै क्या करूं?

सवाल-

मैं कालेज में पढ़ने वाला युवा हूं. लगता है कि घर से कालेज जाना ही मेरे जीवन में रह गया है. वैसे घर में कोई परेशानी नहीं है. लेकिन कुछ है जो मुझे अंदर ही अंदर कचोट रहा है और जीवन उदासीनता की तरफ बढ़ रहा है.

मातापिता को जैसे मेरे जीवन में कोई रुचि नहीं है. भाईबहन अपने दोस्तों में व्यस्त रहते हैं. दोस्तों को ट्रैंड फौलो करने से फुरसत नहीं, जो मेरा हाल पूछें. अकेलापन मुझे अवसादग्रस्त कर रहा है. मुझे अपना जीवन निरर्थक लगने लगा है. मेरी बातें सुनने वाला कोई है ही नहीं. क्या मुझे सभी से बात करनी चाहिए, क्या कोई मेरी बात समझेगा?

जवाब-

बदलते समय के साथ रिश्ते बदल चुके हैं, इस में दोराय नहीं है. मातापिता हों या भाईबहन, वे आप को निजी कारणों से समय नहीं देते, जो कि गलत भी है. आप को अपने मातापिता से बात करनी ही चाहिए. हो सकता है कि उन्हें लग रहा हो कि वे आप को स्पेस दे रहे हैं और इसीलिए आप के अकेलेपन को समझ न पा रहे हों. वे बातें कर रहे हों तो आप भी उन के साथ बैठ कर बातें कीजिए, अपना समय भी उन्हें दीजिए.

अकसर भाईबहन एकदूसरे से लड़तेझगड़ते रहते हैं, आप उन की मनपसंद चीजों में रुचि लें तो आप के बीच सौहार्द की और दोस्ती की नई शुरुआत हो सकती है. और रही बात दोस्तों की, तो आप उन्हें अपने डिप्रैशन के विषय में बताइए, वे अवश्य ही आप को समय देना, ट्रेंड फौलो करने से ज्यादा जरूरी समझेंगे. यदि वे ऐसा नहीं करते तो आप खुद ही समझदार हैं कि आप को किन दोस्तों की जरूरत है और किन की नहीं.

मैं एक लड़की से प्यार करता हूं और मुझे इस बात का एहसास तब नहीं हुआ जब वह मेरी दोस्त थी, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं एक लड़की से प्यार करता हूं. मुझे इस बात का एहसास तब नहीं हुआ जब वह मेरी दोस्त थी. अब वह और मैं दोस्त नहीं हैं. अब हम एकदूसरे से बात भी नहीं करते. हम कुछ समय पहले अच्छे दोस्त थे. कोचिंग में साथ बैठते और साथ घूमतेफिरते थे. एक दिन बातोंबातों में उस ने बताया कि वह मुझ से प्यार करने लगी है. मैं रैडी नहीं था.

मैं समझ नहीं पाया था कुछ. जब मैंने उसे बताया कि मैं ऐसा कुछ फील नहीं करता तो उस ने कहा था कि उसे यह सब जान कर तकलीफ हुई है. मैं तब भी कुछ सम झ नहीं पाया. वह मुझ से नजरें चुराने लगी और हमारा बात करना भी कम होता गया. वह अब मेरे साथ नहीं बैठती, न ही बात करती है. मैं उसे वापस कैसे पाऊं?

जवाब-

अगर आप को लगता है कि अब भी उस के मन में आप के लिए फीलिंग्स हैं तो देर मत कीजिए. उस के पास जाइए और अपने मन की बात कह दीजिए. वह आप से अब भी प्यार करती होगी तो आप की फीलिंग्स जान कर खुशी से भर जाएगी. आप दोनों के बीच की यह दूरी  झट खत्म हो जाएगी. बस, अपने मन की बात कहने में  झिझकिए मत.

प्यार जब एकतरफा हो तो तकलीफ देता है लेकिन अगर दोतरफा हो और तब भी आप एकसाथ न हों तो इस से बुरा भला क्या होगा. आप एक बार उसे तकलीफ दे चुके हैं जिस से हो सकता है वह अब तक न उबरी हो. अब आप के पास सबकुछ ठीक करने का मौका है तो उसे यों सोचते रहने में जाया मत कीजिए.

पसीने की बदबू से मैं बहुत परेशान हूं, क्या करूं?

सवाल-

पसीने की बदबू से मैं बहुत परेशान हूं. सुझाव दीजिए?

जवाब-

पसीना आने की कई वजह हो सकती हैं, जैसे रोजाना न नहाना, अंदरूनी कपड़े न बदलना, फंगस द्वारा चमड़ी का संक्रमण, डाइबिटीज की कुछ दवाओं का सेवन वगैरह.

रोजाना ताजा पानी से नहाएं, साफसुथरे कपड़े पहनें, पसीने को बदन पर ज्यादा देर तक रिसने न दें और खाली पेट व खाने के 2 घंटे बाद शुगर की जांच कराएं

पसीने की बदबू को कहें बाय-बाय

गरमी के मौसम में त्वचा से जुड़ी परेशानियां खूब होती है. गर्मी की वजह से बहने वाला पसीने की भी बदबू से आप परेशान रहती हैं. कई बार अंडरआर्म, पांवों, हथेली में पसीने की बदबू से आपको शर्मिदगी भी महसूस होती है. यह पसीना आपके शरीर में फंगल इन्फेक्शन भी पैदा करता है.

ऐसे में आपको कुछ उपाय बताने जा रहे हैं जिससे आप अपनाकर पसीने की बदबू को बाय-बाय कर सकती हैं.

आलू

पसीने की बदबू वाले शरीर के हिस्सों पर कच्चे आलू के स्लाइस रगड़ने से भी पसीने की बदबू से छुटकारा मिलता है. नहाने के टब के पानी में फिटकरी और पुदीने की पत्तियों को डालकर नहाने से भी शरीर में ठंडक और ताजगी का अहसास होता है और पसीने समस्या से छुटकारा मिलता है.

बेकिंग सोडा

बेंकिंग सोडा पसीने की बदबू को रोकने में अहम भूमिका अदा करता है. बेंकिग सोडा, पानी और नींबू रस को मिलाकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को अंडर आर्म्स में 10 मिनट तक लगाकर ताजे पानी से धो डालें. इससे पसीने की बदबू को रोकने में मदद मिलेगी. बेंकिग सोडा और टैलकम पाउडर का मिश्रण बना कर इसे अंडर आर्म्स और पांवों पर 10 मिनट तक लगाने के बाद ताजे पानी से धो डालिए. इससे पसीने की समस्या से निजात मिलेगी.

गुलाब जल

नहाने के पानी के टब में गुलाब जल मिलाने से कोमलता मिलती है. दो बूंद ट्री आयल और दो चम्मच गुलाबजल मिलाकर इस मिश्रण को काटनवूल की मदद से अंडरआर्म्स में लगाने से पसीने की समस्या से निजात मिलती है. बालों से पसीने की बदबू को रोकने के लिए एक कप पानी में गुलाब जल और नींबू रस को मिलाकर बालों को धोने से पसीने की बदबू खत्म हो जाएगी.

हमारे बीच पति-पत्नी का जो रिश्ता होना चाहिए वो नहीं है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 35 वर्षीया विवाहित महिला हूं. मेरे 2 बच्चे हैं, बेटी 14 वर्ष की और बेटा 7 वर्ष का है. पति की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी है. वे अच्छा कमाते हैं परंतु कंजूस हैं. बच्चों को कहीं खाना खिलाने या घुमाने नहीं ले जाते, कहीं खिलाने का प्लान बने भी तो घर पर ही उन्हें सब खिला कर ले कर जाते हैं ताकि बाहर जाएं तो पेट भरा होने पर कुछ खाएं नहीं.

दिक्कत यह है कि मेरे साथ उन का बरताव ऐसा है कि वे मेरी और बच्चों की जरूरतें पूरी कर रहे हैं. लेकिन पतिपत्नी का जो रिश्ता होना चाहिए, इमोशनल और समझदारी का, वह हमारा नहीं है. मैं इस रिश्ते से खुश नहीं हूं. क्या मेरी जिंदगी ऐसी ही चलेगी. कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या करूं?

जवाब-

35 वर्ष की उम्र समझौता कर जीने के लिए बहुत छोटी है. आप के सामने आप के बच्चे हैं जिन के प्रति आप की कुछ जिम्मेदारियां हैं. आप पहले पूरी ईमानदारी से इन जिम्मेदारियों को निभाएं. आप का कहना है कि बच्चों की जरूरतें और आप की जरूरतें वे पूरी कर रहे हैं. यह अच्छी बात है.

पर आप दोनों के बीच दूरियां बढ़ रही हैं, इस का कारण जानने की कोशिश करें. हमेशा पत्नी ही सही हो, जरूरी नहीं. आप पहले अपनी कमियों को ढूंढ़ने का प्रयास करें कि आखिर क्यों वे आप से कटेकटे रहते हैं. खुशनुमा माहौल रखने के लिए आप को उन्हें खुश रखना पड़ेगा. घर में भी आप बनठन कर रहें. कभीकभी पति को छेड़ें और सैक्स में अरुचि न दिखाएं.

उन के मतलब की बातचीत करतेकरते आप अपनी समस्या को उन के सामने रखें और बातों को सीरियस न बनाएं. उन्हें प्यार से समझाने का प्रयास करें. उन्हें बताएं कि इस का असर बच्चों पर पड़ सकता है. आप की समस्या का समाधान आपसी बातचीत से ही हो सकता है. वैसे कंजूसी बुरी आदत नहीं, फुजूलखर्ची है. कंजूस तो पैसा अपने बच्चों के लिए जोड़ कर जाता है जिस पर बाद में बच्चे गर्व करते हैं.

मुझे अपनी पत्नी से बातें करने या उस की बातें सुनने में दिलचस्पी नहीं रही, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 30 वर्षीय पुरुष हूं. मेरी शादी 22 वर्ष में ही हो गई थी. मेरे 2 बच्चे हैं जो अभी छोटे हैं. मेरी पत्नी गृहिणी है और घर में ही उस की जिंदगी बंधी हुई है. मैं एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी करता हूं. अपनी सोच और समझ से मेल खाती लड़कियों के बीच रहता हूं. ऐसा नहीं है कि मेरी पत्नी अच्छी नहीं है या मैं उस से प्यार नहीं करता, लेकिन मैं उस से ऊबने लगा हूं. मुझे उस का आलिंगन पसंद है, परंतु मुझे उस से बातें करने या उस की बातें सुनने में दिलचस्पी नहीं रही.

मैं ने उसे प्रत्यक्ष रूप से कह दिया है कि वह गंवार है, पर मुझे यह कहना अच्छा नहीं लगा. अब वह दुखी रहने लगी है. मैं समझ नहीं पा रहा कि उस की खुशी उसे कैसे वापस दूं?

जवाब-

आप की बातें सुन कर यह तो स्पष्ट है कि आप अपनी पत्नी की, अपनी सहकर्मियों से तुलना कर रहे हैं, जो सही नहीं है. आप की पत्नी का अपना एक अस्तित्व है जो अपनेआप में विशेष है. आप का उन्हें गंवार कहना किसी भी पृष्ठभूमि पर सही नहीं बैठता. वे आप से यदि आप की सहकर्मियों की तरह या आप की नजर में जो समझदारी की बातें हैं, नहीं करतीं तो इस का स्पष्ट कारण है कि वे उस माहौल में नहीं रहतीं जिन में आप या आप की सहकर्मी रहती हैं.

वे आप के 2 बच्चों को संभालती हैं, पूरे घर की देखरेख करती हैं और यहां तक कि आप का खयाल भी रखती हैं जबकि बदले में आप उन्हें गंवार की संज्ञा दे रहे हैं. आप उन्हें प्यार से यदि यह कहते कि वे भी सुबह अखबार पढ़ें, बाहर घूमेंफिरें, नए लोगों से मिलें और मौडर्न रहें तो शायद वे आप की अपेक्षाओं पर खरी उतरतीं.

अब आप के पास माफी मांगने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. आप उन्हें यकीन दिलाएं कि आप अपने किए पर शर्मिंदा हैं और एक नई शुरुआत करना चाहते हैं. अपनी पत्नी के साथ घूमेंफिरें, उन्हें समय दें. उन्हें नईनई पत्रिकाएं और किताबें ला कर दें और साथ बैठ कर अच्छी फिल्में देखें. इस सब के बाद वे आप की मौडर्न सोच वाली सहेलियों से आप को बेहतर लगेंगी. फिर धीरेधीरे सबकुछ सामान्य होने लगेगा.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें