मेरे और मेरे पति के बीच अभी तक सेक्स संबंध नहीं बना है, मैं क्या करूं?

जवाब

मैं 24 वर्षीय महिला हूं. मेरी शादी को 3 महीने हो चुके हैं. शादी से पहले मैं किसी और से प्यार करती थी. घर वालों के दबाव में आ कर मैं ने यह शादी कर ली. मेरे पति बहुत ही खुले विचार के हैं. उन्होंने मुझे पूरी आजादी दी हमारे रिश्ते को समझने की. इन 3 महीनों में हमारे बीच कोई सेक्स संबंध नहीं बन पाया लेकिन अब मैं चाहती हूं कि हमारे बीच की दूरियां खत्म हों. कृपया उचित सलाह दें?

सवाल

यह तो बहुत अच्छी बात है कि आप के पति ने आप को पूरा वक्त दिया इस रिश्ते को समझने के लिए. अब आप समझ चुकी हैं कि आप का वर्तमान घरपरिवार आप का पति ही है. उन से दूरियां मिटाने के लिए बेहतर होगा कि आप पति के साथ घूमेंफिरें, उन्हें पर्याप्त समय दें. अगर फिर भी बात न बने तो पति के साथ रोमांटिक होने की कोशिश करें. उन के लिए सरप्राइज प्लान करें. रात को अपने बैडरूम को फूलों और कैंडल्स से डैकोरेट करें. खुद को हौट ऐंड सैक्सी बनाए रखें. इस दौरान ऐसे परिधान पहनें जो आप की खूबसूरती को निखारें. फिर देखिए आप के पति आप के प्यार में किस कदर खो जाते हैं.

प्रेगनेंसी में सेक्स का आनंद उठाने के लिए ट्राय करें ये 6 टिप्स

पत्नी के प्रेगनेंट होते ही दोनों के मन में ये सवाल आने स्वाभाविक हैं कि क्या इस अवस्था में सेक्स करना ठीक है, क्या इससे गर्भस्थ शिशु को कोई हानि हो सकती है या गर्भवती स्त्री को कोई तकलीफ हो सकती है?

जैसे-जैसे गर्भावस्था बढ़ती जाती है महिला की शारीरिक परेशानी बढ़ने लगती है और सेक्स के सामान्य तरीके अपनाना इसलिए कठिन हो जाता है. प्रेगनेंसी में गर्भवती महिला के उदर पर किसी प्रकार का दबाव उसके तथा भ्रूण दोनों के लिए कष्टदायी तथा नुकसानदेह हो सकता है.

वैसे छठे या सातवें माह तक की गर्भावस्था में सेक्स किया जा सकता है, लेकिन विशेष सावधानी के साथ. इसके लिए डौक्टर की सलाह पर विशेष प्रकार के आसन अपनाए जा सकते हैं.

गर्भावस्था में सेक्स के उपाय

पत्नी के गर्भावती होने का पता चलते ही प्रथम दो माह तक सम्बन्धों का त्याग करने का प्रयास करें. अन्तिम एक माह में भी सेक्स से दूर रहने का प्रयास करें. प्रसव के पश्चात् लगभग चार सप्ताह तो वैसे ही निकल जाते हैं. इसमें अधिकांश व्यक्ति सेक्स के प्रति इच्छुक भी नहीं रहता है.

  • गर्भ की स्थिति के प्रथम तथा अन्तिम सप्ताह में योनि प्रवेश से बचना चाहिए. हां सप्ताह में 2-3 बार शारीरिक छेड़छाड़ द्वारा आनन्द प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे समय पत्नी अपनी हथेलियों द्वारा स्खलन में मदद कर सकती है. अनेक स्थितियों में व्यक्ति को इसमें शारीरिक सम्बन्धों जितना आनन्द प्राप्त हो जाता है. यहां इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि पत्नी पर दबाव नहीं डालें. पति को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि गर्भ के समय पत्नी के साथ ऐसा कोई व्यवहार नहीं करें जिससे उसके मन-मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव पड़ें.
  • लिंग प्रवेश पूरी तरह न करके सिर्फ आधा प्रवेश करें. कोहनियों को नीचे टिकायें और बहुत धीरे-धीरे घर्षण करें. शिश्न मुण्ड सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है. स्खलन में लिंग मुण्ड की संवेदनशीलता प्रमुख भूमिका निभाती है. इसलिए केवल शिश्न मुण्ड ही प्रवेश करके धीरे-धीरे घर्षण किये जायें तो भी व्यक्ति पूर्ण आनन्द प्राप्त कर सकता है. ध्यान रहे कि लिंग का पूरा प्रवेश नहीं होना चाहिए और न घर्षणों में तीव्रता होनी चाहिए. अपने शरीर का भार कोहनियों पर रखें. स्त्री शरीर पर बोझ नहीं पड़ना चाहिए.
  • गर्भावस्था के अन्तिम तीन महीनों मे स्थिति को थोड़ा बदलें. अभी भी लिंग का प्रवेश पूरा नहीं करना है. केवल शिश्न मुण्ड ही प्रवेश करायें. हथेलियों को नीचे टिकायें और हाथ एकदम सीधे रखें. ऐसा करने से आपका शरीर स्त्री शरीर से काफी ऊंचा रहेगा. इस अवस्था में गर्भ अपने समय की पूर्णता को प्राप्त कर रहा होता है. पेट का उभार काफी बढ़ जाता है, ऐसे में अपने शरीर जितना सम्भव हो, उतना दूर रखने का ही प्रयास करें. हथेलियां नीचे टिकाकर हाथों को एकदम सीधा करने से पुरुष का शरीर पर्याप्त रूप से ऊंचा उठा रहेगा. इस स्थिति में भूलकर भी लिंग को पूरी तरह से प्रविष्ठ नहीं करना है.
  • गर्भावस्था में करवट बदल कर भी सम्बन्ध बनाए जा सकते हैं. ऐसे में कुछ व्यक्तियों के साथ समस्या हो सकती है, लिंग प्रवेश में कठिनाई हो सकती है, फिर भी आधा अथवा केवल शिश्न मुण्ड का प्रवेश किया जा सकता है. ऐसी स्थिति में पुरुष शरीर का भार स्त्री पर नहीं पड़ता है.
  • कुछ विद्वानों का मानना है कि लिंग प्रवेश से बचने के लिए उत्तेजित लिंग को योनि पर रगड़ने मात्र से भी स्खलन किया जा सकता है. स्त्री की वेजाइना को हाथों द्वारा सहलाकर उसे भी आनन्दित किया जा सकता है. विद्वानों का ऐसा भी मानना है कि गर्भावस्था में सम्बन्ध बनाने का मुख्य उद्देश्य मात्र स्खलन होता है. यह स्खलन योनि पर रगड़कर किया जा सकता है. बहुत से व्यक्ति ऐसे समय में हस्तमैथुन को भी सहीं मानते हैं किन्तु विवाह के बाद हस्तमैथुन के लिए व्यक्ति तुरन्त तैयार नहीं हो पाता. खासकर उस समय तो बिल्कुल नहीं जब पत्नी उपस्थित हो.
  • इसके अलावा व्यक्ति यदि उचित समझे तो अपने चिकित्सक से राय ले सकता है. सम्भव है कि वह कुछ अन्य सही आसनों के बारे में राय दे सके अथवा व्यक्ति स्वयं अपनी सूझ-बूझ एवं विचार कर रास्ता निकाल सकता है.

आजकल मेरी पत्नी मुझ से उखड़ी सी रहती है कुछ पूछने पर नाराज हो जाती है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी शादी को 5 साल हो गए हैं. पिछले कुछ समय से मेरी पत्नी मुझ से उखड़ीउखड़ी सी रहती है और पूछने पर कुछ बताती नहीं है. जब मैं ज्यादा जोर देता हूं तो वह नाराज हो कर गुस्सा कर बैठती है. इस से घर में अजीब सा माहौल बन गया है. मैं क्या करूं?

जवाब-

जरूर आप की पत्नी किसी परेशानी या गलतफहमी का शिकार हो गई हैं, इसलिए सब्र से काम लें. मुमकिन है कि मायके की किसी बात से उन्हें परेशानी हो या वे किसी उलझन में फंस गई हों. ऐसे में आप की यह जिम्मेदारी बनती है कि आप उस की मदद करें और प्यार से बात जानने की कोशिश करें. अगर इस वक्त में आप उस के मन की बात नहीं जान पाए तो आगे चल कर तनाव और ज्यादा बढ़ सकता है.

मुमकिन यह भी है कि ऐसी कोई बात ही न हो, क्योंकि कई बार औरतें सेहत की खराबी के चलते भी उखड़ीउखड़ी सी रहने लगती हैं. आप उन से प्यार से पेश आते रहिए, आज नहीं तो कल वे खुद आप को बात बताएंगी.

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मेरा बौयफ्रेंड मेरे साथ किसी भी पल को एंजौय नहीं करता, मै क्या करूं?

सवाल-

मैं अपने बौयफ्रेंड से बहुत दुखी हूं. वह अपने कैरियर को ले कर बहुत परेशान रहता है. इस टैंशन के चलते वह मेरे साथ किसी भी पल को एंजौय नहीं करता. एंजौय करना तो बहुत दूर की बात है वह तो मुझे गर्लफ्रैंड की तरह ट्रीट तक नहीं करता. सैक्स के बाद वह चादर तान कर सो जाता है, जब भी हम मिलते हैं तो कभी हग नहीं करता, न ही हाथ पकड़ता है. वह मुझे मैसेजेस भी तब करता है जब मैं उसे गुस्से में कुछ कह देती हूं.

मैं उस से प्यार करती हूं और उस का चेहरा देखते ही, उस से बात करते ही मेरे चेहरे पर खुशी आ जाती है, लेकिन मैं इस रिलेशनशिप में खुश नहीं हूं. उस का मेरे प्रति इस तरह का फीका व्यवहार अब मुझ से सहा नहीं जाता. क्या मुझे उस से ब्रेकअप कर लेना चाहिए?

जवाब-

आप के बौयफ्रैंड का अपने करियर को ले कर चिंतित होना जायज है लेकिन आप के प्रति जो उस का व्यवहार है, न तो वह जायज है और न ही ऐक्सैप्टेबल. रिलेशनशिप्स काफी कौंप्लिकेटेड होती हैं और इन्हें पटरी पर चलाते रहने के लिए यह बहुत जरूरी है कि एफर्ट्स दोनों तरफ से बराबर होते रहें.

आप के बौयफ्रैंड की यदि आप के प्रति कोई जवाबदेही या अच्छा व्यवहार नहीं है तो आप को उस से इस बारे में बात करनी चाहिए. यदि वह आप के विचार जान कर यह कहता है कि ब्रेकअप करने के बजाय वह खुद को सुधारेगा और आप को खुश रखेगा तो रिलेशनशिप को मौका दे कर देखिए. यदि उसे आप के होने या न होने से फर्क न पड़े तो ब्रेकअप कर आगे बढि़ए. रिलेशनशिप में खुश रहने का अधिकार आप दोनों को बराबर है.

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लेना चाहते हैं सेक्स का भरपूर मज़ा तो जरूर लें “ओ-शाट”

पीआरपी (प्लेटलेट-रीच प्लाज्मा) थेरेपी में त्वचा को नया रूप देने के लिए प्लेटलेट और प्लाज्मा (रक्त के भीतर मौजूद तत्व) की उपचारात्मक शक्ति का इस्तेमाल किया जाता है. प्लेटलेट्स रक्त में पाई जाने वाली एक प्रकार की कोशिकाएं हैं. इनमें वृद्धि करने की शक्ति होती है और वे चोट के क्षेत्र में थक्का बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं, इसलिए रक्त स्राव रोक देते हैं. प्लाज़्मा रक्त का तरल हिस्सा है.

हमारी उम्र बढ़ने के साथ ही त्वचा के नीचे स्थित ऊतकों से वसा की मात्रा कम होने लगती है. इसके साथ ही सूर्य की रोशनी और प्रदूषण की वजह से होने वाले नुकसान के कारण रेखाओं और झुर्रियों के साथ त्वचा की चमक खो जाती है, जिसके कारण हम वृद्ध और थके हुए नजर आते हैं. पीआरपी थेरेपी में हमारे रक्त में पाई जाने वाली वृद्धि की क्षमताओं का इस्तेमाल कर त्वचा की खोई हुई टेक्सचर, टोन और प्राकृतिक चमक को वापस पाने में मदद मिलती है.

यह एक साधारण प्रक्रिया है और इसे एक से दो घंटे के वक्त में किया जा सकता है. लोकल एनेस्थेटिक क्रीम को चेहरे या जिस भी हिस्से का इलाज किया जाना है, वहां लगाया जाता है और उसे करीब 1 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है. इसी बीच हाथ की बड़ी नसों में से एक में से 10-20 मिली रक्त निकाला जाता है और लाल रक्त कणिकाओं व अन्य में से प्लेटलेट्स एवं प्लाज़्मा को अलग करने के लिए अपकेंद्रित किया जाता है.

प्लेटलेट और प्लाज़्मा युक्त इस फ्लूइड को बहुत ही बारीक सूई का इस्तेमाल कर त्वचा के भीतर डाल दिया जाता है. इससे प्लेटलेट के वृद्धि के कारक और साइटोकींस में तेजी आती है जिससे सुधार की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है और कोलाजेन बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. कोलाजेन त्वचा की मदद करता है और बारीक लकीरों और झुर्रियों में सुधार होता है. सुधार की प्रक्रिया की वजह से बेहतर हुआ रक्त प्रवाह त्वचा की टोन और टेक्स्चर बेहतर होता है और त्वचा को सेहतमंद और युवा चमक मिलती है.

पीआरपी थेरेपी एक से अधिक बार की जाती है और सर्वश्रेष्ठ परिणाम देने के लिए इसकी सलाह दी जाती है. प्रक्रिया के बाद त्वचा को मामूली रूप से कुछ नुकसान देखने को मिल सकता है. अच्छी तरह सुधार के लिए त्वचा को कुछ दिनों तक सूर्य की रोशनी से बचाना महत्वपूर्ण है. फैक्टर 50 सनब्लाक क्रीम का इस्तेमाल लाभदायक साबित हो सकता है.

ओ-शाट

करीब 40 फीसदी महिलाओं को यौन संबंधी गड़बड़ियों की वजह से मनोवैज्ञानिक परेशानी होती है, लेकिन बहुत कम महिलाएं ही चिकित्सकीय मदद लेती हैं. आरगैज्मिक परेशानी बहुत ही सामान्य दिक्कत है और अब इसे ओ-शाट की मदद से ठीक किया जा सकता है. ओ-शाट या आरगैज्म शाट का इस्तेमाल महिलाओं में यौन संबंधी परेशानियों के उपचार में और योनि को आरगैज्म हासिल करने में मदद करने में किया जाता है.

प्लेटलेट-रीच प्लाज्मा (पीआरपी) को मरीज के रक्त में से निकाला जाता है और क्लिटरिस के आसपास के हिस्से और योनि के भीतर पहुंचा दिया जाता है. शाट मरीज की बांह से निकाले गए रक्त में मौजूद प्लेटलेट का इस्तेमाल कर काम करता है. इस रक्त को अपकेंद्रण के लिए रख दिया जाता है जो प्लेटलेट रीच प्लाज्मा (पीआरपी) बनाते हैं. इसे योनि के विशेष हिस्से में पहुंचा दिया जाता है और मरीज सिर्फ एक शाट ले सकती हैं या फिर इससे अधिक शाट के लिए भी आ सकती है, जिसे मौजूदा पीआरपी से ही तैयार किया जाएगा.

लक्ष्य नई कोशिकाओं की वृद्धि में तेजी लाना और इंजेक्टेड हिस्से को संवेदनशील बनाना है. इसका असर करीब एक वर्ष तक रहता है. इस प्रक्रिया के बाद आरगैज्म अधिक मजबूत और जल्दी होता है, प्राकृतिक लुब्रिकेशन और उत्तेजना बेहतर होती है. लोकल एनेस्थेटिक के अंतर्गत इस प्रक्रिया में 40 मिनट लगते हैं और मरीज आराम से घर जा सकती हैं.

सेक्स के दौरान बौयफ्रेंड की इस डिमांड से परेशान हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 34 वर्षीय महिला हूं. पति अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं और कभीकभी तो हफ्तों नहीं आ पाते. इस दौरान 25 साल के एक युवक से मेरी दोस्ती हो गई. यह दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि हमारे बीच जिस्मानी ताल्लुकात तक हो गए हैं. वह काफी हंसमुख और हाजिरजवाब है. काफी जोशीला और सेक्स की कला में माहिर भी है. सैक्स के दौरान वह देर तक फोरप्ले करता है और इस दौरान मैं भी उस का भरपूर साथ देती हूं. हमारे बीच कमिटमेंट है कि हम हमेशा एक दोस्त की तरह रहेंगे और जब भी मौका मिलेगा सेक्स संबंध बनाने से गुरेज नहीं करेंगे. इधर कुछ दिनों से सेक्स संबंध बनाते समय वह चाहता है कि ओरल सेक्स के दौरान मैं उसके वीर्य (सीमन) को पी जाऊं. मेरे मना करने पर वह नाराज हो जाता है. उस के नाराज होने पर मेरा किसी काम में मन नहीं लगता, मगर डरती हूं कि ऐसा करने से किसी रोग आदि से ग्रसित न हो जाऊं. कृपया बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

आप शादीशुदा हैं पर आप को बच्चा भी है अथवा नहीं, यह आप ने नहीं बताया है. बहरहाल, जो भी हो आप आग से खेल रही हैं और कभी भी यह आप की वैवाहिक जिंदगी को तबाह कर सकती है. विवाहेतर संबंध बाद में ऐसा नासूर बन जाता है जिस का जख्म जल्द नहीं भरता. जैसा कि आप ने बताया कि आप और आप के कथित दोस्त के बीच एक कमिटमैंट है, जो सिर्फ दोस्ती की है पर इसे अगर आप दोस्ती तक ही सीमित रखतीं तो बेहतर था. जितनी जल्दी हो इस रिश्ते को खत्म कर वैवाहिक जिंदगी जीने की कोशिश करें. पति के साथ अधिक से अधिक वक्त बिताएं. पति से अनुरोध करें कि जब वे टूर पर जाएं तो आप को भी साथ ले कर जाएं. इस दौरान पति का खयाल रखें और उन की मनपसंद ड्रैस पहनें. साथसाथ फिल्म देखें, खाली समय में घूमेंफिरें. फिर देखें, आप को जितना अपने पति से प्रेम मिलेगा उतना किसी और से नहीं. रही बात ओरल सैक्स के दौरान वीर्यपान करने की तो अगर सैक्स पार्टनर स्वस्थ है और उसे किसी प्रकार का रोग आदि नहीं है, तो यह नुकसानदायक नहीं है. बेहतर होगा कि इस के लिए स्वयं ही विवेक से काम लिया जाए.

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सेक्स करते वक्त नहीं होनी चाहिए किसी भी प्रकार की शर्म

शादी से पहले अनेक लड़कियां हैं, जो सेक्स को शर्म के साथ जोड़ कर देखती हैं, जिस की वजह से इस सहजस्वाभाविक प्रक्रिया व आवश्यकता को ले कर कई बार उन के मन में कुंठा भी पैदा हो जाती है. सेक्स के प्रति शर्म की भावना हमारे भीतर से नहीं वरन हमारे परिवेश से उत्पन्न होती है. यह हमारे परिवारों से आती है, हमारी सांस्कृतिक व धार्मिक परंपराओं से आती है, फिर हमारे मित्रों व हमारे समुदाय से हम तक पहुंचती है.

आगे चल कर हम एक तरफ तो उन चित्रों और संदेशों को देख कर यह सीखते हैं जो हैं कि सेक्स एक सुखद एहसास है और जीवन में खुश रहने के लिए सफल सेक्स जीवन एक अनिवार्यता है तो दूसरी ओर उन संदेशों के माध्यम से सेक्स को शर्म से जोड़ कर देखते हैं, जो बताते हैं कि सेक्स संबंध बनाना गलत व एक तरह का पाप है. समाजशास्त्री कल्पना पारेख मानती हैं कि ज्यादातर ऐसा उन स्थितियों में होता है, जब लड़कियां यौन शोषण का शिकार होती हैं. सेक्स से संबंधित कोई भी मनोवैज्ञानिक, शारीरिक या भावनात्मक शोषण उस के प्रति अनासक्ति तो पैदा कर ही देता है, साथ ही अनेक वर्जनाएं भी लगा देता है.

जुड़ी हैं कई भ्रांतियां

शर्म इसलिए भी है क्योंकि हमारे समाज में सेक्स एक टैबू है और उस के साथ हमेशा कई तरह की भ्रांतियां जुड़ी रही हैं. अगर एक स्वाभाविक जरूरत की तरह कोई लड़की इस की मांग करे, तो भी शर्म की बात है. इस के अलावा सेक्स संबंधों को ले कर लड़कियों के मन में यह बात डाल दी जाती है कि इस के लिए उन का शरीर सुंदर और अनुपात में होना चाहिए. ऐसे में जब तक वे युवा होती हैं समझ चुकी होती हैं कि उन का शरीर कैसा लगना चाहिए और जब उन का शरीर उस से मेल नहीं खाता, तो उन्हें शर्मिंदगी का एहसास होने लगता है.

मैत्रेयी का विवाह हुए 1 महीना हो गया है, पर वह अभी भी पति के साथ संबंध बनाने में हिचकिचाती है. वजह है, उस का सांवला और बहुत अधिक पतला होना. उसे लगता है कि पति उस की रंगत और पतलेपन को पसंद नहीं करेंगे, इसलिए वह उन के निकट जाने से घबराती है. पति जब नजदीक आते हैं, तो वह कमरे में अंधेरा कर देती है. अपने शरीर के आकार को ले कर वह इतनी परेशान रहती है कि सेक्स संबंधों को ऐंजौय ही नहीं कर पाती है.

मनोवैज्ञानिक संध्या कपूर कहती हैं कि सेक्स के प्रति शर्म पतिपत्नी के बीच दूरियों की सब से बड़ी वजह है. पत्नी कभी खुले मन से पति के निकट जा नहीं पाती. फिर वे संबंध या तो मात्र औपचारिकता बन कर रह जाते हैं या मजबूरी. उन में संतुष्टि का अभाव होता है. यह शर्म न सिर्फ औरत को यौन आनंद से वंचित रखती है, वरन प्यार, सामीप्य व साहचार्य से भी दूर कर देती है.

न छिपाएं अपनी इच्छाएं

यह एक कटु सत्य है कि भारतीय समाज में औरतों की यौन इच्छा को महत्त्व नहीं दिया जाता है. वे सेक्स को आनंद या जरूरत मानने के बजाय उसे विवाह की अनिवार्यता व बच्चे पैदा करने का जरिया मान कर या तो एक दिनचर्या की तरह निभाती हैं या फिर संकोच के चलते पति से दूर भागती हैं. उन की सेक्स से जुड़ी शर्म की सब से बड़ी वजह यही है कि बचपन से उन्हें बताया जाता है कि सेक्स एक वर्जित विषय है, इस के बारे में उन्हें बात नहीं करनी चाहिए.

‘‘ऐसे में विवाह के बाद सेक्स के लिए पहल करने की बात तो कोई लड़की सोच भी नहीं पाती. इस की वजह वे सामाजिक स्थितियां भी हैं, जो लड़की की परवरिश के दौरान यह बताती हैं कि सेक्स उन के लिए नहीं वरन पुरुष के ऐंजौय करने की चीज है. जबकि संतुष्टिदायक सेक्स संबंध तभी बन सकते हैं, जब पतिपत्नी दोनों की इस में सक्रिय भागीदारी हो और वे बेहिचक अपनी बात एकदूसरे से कहें,’’ कहना है संध्या कपूर का.

संकोच न करें

सेक्स का शर्म से कोई वास्ता नहीं है, क्योंकि यह न तो कोई गंदी क्रिया है न ही पतिपत्नी के बीच वर्जित चीज. बेहतर होगा कि आप दोनों ही सहज मन से अपने साथी को अपनाते हुए सेक्स संबंधों का आनंद उठाएं. इस से वैवाहित जीवन में तो मधुरता बनी ही रहेगी, साथ ही किसी तरह की कुंठा भी मन में नहीं पनपेगी.

पति का सामीप्य और भरपूर प्यार तभी मिल सकता है, जब आप उसे यह एहसास दिलाती हैं कि आप को उस की नजदीकी अच्छी लगती है. आंखों में खिंचे शर्म के डोरे पति को आप की ओर आकर्षित करेंगे, पर शर्म के कारण बनाई दूरी उन्हें नागवार गुजरेगी. मन में व्याप्त हर तरह की हिचकिचाहट और संकोच को छोड़ कर पति के साहचर्य का आनंद उठाएं.

सफल सेक्स एक अनिवार्यता है

  1. विशेषज्ञों द्वारा किए गए कई शोधों से यह साबित हो चुका है कि सेक्स एक नैसर्गिक प्रक्रिया है और इस से न सिर्फ वैवाहिक जीवन में मधुरता बनी रहती है, बल्कि शरीर स्वस्थ और मन प्रसन्न रहता है.
  2. धार्मिक आडंबरों में फंस कर सेक्स को बुरी नजर से देखना गलत है. हकीकत में हमारी उत्पत्ति ही इसी की देन है.
  3. सेक्स सुरक्षित और साथी की सहमति से करना चाहिए.
  4. सेक्स में असंतुष्टि अथवा शर्म से दांपत्य संबंधों में मौन पसर सकता है. इसलिए इस पर खुल कर बात करें और इसे भरपूर ऐंजौय करें.
  5. नीमहकीम या झोलाछाप डाक्टरों के चक्कर में फंस कर सेक्स जीवन प्रभावित हो सकता है. इन से दूर रहें.
  6. सेक्स में निरंतरता के लिए मानसिक मजबूती व भावनात्मक संबंध जरूरी है.

बैडरूम में लें सेक्स का पूरा आनंद, अपनाएं ये 7 टिप्स

पतिपत्नी के इश्क को ज्यादा से ज्यादा रोमांस से भरपूर रखने में बैडरूम का बड़ा योगदान होता है. घर में उन का ज्यादा समय बैडरूम में ही बीतता है. वे आराम, सुकून, रोमांस, इश्क के लिए बैडरूम को ही चुनते हैं. बैडरूम की ऊर्जा का प्रभाव उन के संबंधों एवं मानसिकता पर भी पड़ता है. मनोचिकित्सक, दिनेश के मुताबिक यदि पतिपत्नी अपना जीवन प्यारमुहब्बत से भरना चाहते हैं, तो शुरुआत अपने बैडरूम से ही करें. बैडरूम को परफैक्ट रखें. इस से आप की सैक्स लाइफ हमेशा रोमांस से भरी रहेगी.

बैडरूम सजावट के टिप्स

  1. लाइट: इश्क का इजहार करने में लाइट की अहम भूमिका होती है. अत: बैडरूम में हलकी गुलाबी, आसमानी रंग की लाइट का प्रयोग करें. कमरे में लाइट डाइरैक्ट नहीं इनडाइरैक्ट पड़नी चाहिए. लैंपशेड या कौर्नर लाइट हो तो और भी अच्छा. इस से बैडरूम रोमांस का मजा कई गुना बढ़ जाएगा.  फल रखें: अंगूर, स्ट्राबैरी, केला, चैरी या चीकू की खुशबू बहुत रोमांचित करती है. इस से प्यार करने का मजा दोगुना हो जाता है.

2. बैडरूम को रोमांटिक बनाएं: पतिपत्नी के अंतरंग संबंधों में मुहब्बत बनी रहे, इस के लिए वे कभी हिलस्टेशन जाते हैं, कभी समुद्र किनारे तो कभीकभी किसी बड़े होटल में. हर जगह की अपनी खूबसूरती होती है. मगर इसी खूबसूरती को, भिन्नता को अपने बैडरूम में शामिल करें, तो पतिपत्नी अपनी रोमांटिक लाइफ को एक डैस्टिनेशन पौइंट दे सकते हैं. कमरे में आर्टिफिशियल फाउंटेन, फूल, चित्र आदि  लगाने के साथसाथ अलमारी, सोफे, टेबल  आदि की जगह भी बदलते रहें ताकि बैडरूम आकर्षक लगे.

3. बैडरूम को रखें सुसज्जित: बैडरूम अच्छी तरह डैकोरेटेड हो. उस का इंटीरियर आप को बारबार रूम में जाने को उकसाए. परदे ऐसे कि आसमान नजर आए. हलके परदे इस्तेमाल करें. बैडरूम साफसुथरा हो. उस में तरहतरह के इनडोर पौधे लगाएं, बेल लगाएं. उस में हलकी रोशनी भी आनी चाहिए ताकि आप का मूड और ज्यादा रोमांटिक बने.  तसवीरें: बैडरूम में रोमांटिक तसवीरें लगाएं. लविंगबर्ड, हंस की तसवीर, रैडरोज  आदि लगाएं ताकि इन्हें देख कर रोमांस करने  का मन करे.

4. बिस्तर: मूड बनाने में बिस्तर का अहम रोल होता है. अत: गद्दे चुभनशील न हों. बैड से आवाज न आती हो. तकिए आरामदायक हों, बैडशीट का रंग इश्क को उकसाने वाला हो.

5. खुशबू: खुशबू हमारे अंदर कई तरह के भाव पैदा करती है. रोमांस के लिए कई तरह के परफ्यूम का प्रयोग किया जा सकता है. लैवेंडर, मोंगरा, ब्रूट, वन मैन शो जैसे परफ्यूम संबंध बनाने का मूड बनाते हैं. बैडरूम में खूबसूरत गुलदस्ते रखें. अरोमा कैंडल जलाएं. यह न  केवल बैडरूम में हलकी रोशनी देती है, बल्कि इस के जलने से भीनीभीनी खुशबू भी आती है, जो रोमांस, चुहुलबाजी के लिए प्रेरित करती है.

6. डिस्टर्बैंस न हो: अलार्मघड़ी, मोबाइल, सिंगिंग खिलौने आदि बैडरूम से दूर ही  रखें ताकि इन की आवाज प्यार में खलल  न डाले.

7. दीवारों के रंग: दीवारों के रंग भी  अपनी मूक भाषा में बहुत कुछ बोल जाते  हैं. हलका गुलाबी, औरेंज, आसमानी, तोतईरंग, पेस्टल शेड्स आदि मन में प्यार का भाव   जगाते हैं.

मेरा चचेरा भाई मेरे साथ अश्लील हरकतें करता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरा एक चचेरा भाई है. हम दोनो हमउम्र हैं. जब भी हम लोग चाचा के घर रहने जाते हैं तो रात के समय मेरा भाई मेरे करीब आ जाता है और उस समय वह मेरे साथ जिस तरह की अश्लील हरकतें करता है वे मुझे अच्छी नहीं लगतीं पर मैं न उसे मना कर पाती हूं और न ही घर में किसी और से इस विषय में बात कर पाती हूं. कृपया बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

आप का चचेरा भाई रात को आप के साथ अश्लील हरकतें करता है तो आप को उस के कमरे में नहीं सोना चाहिए. अपनी मां या बहन के साथ सो सकती हैं. पर आप ऐसा नहीं कर रहीं.

यदि आप को उस की हरकतें वाकई नागवार गुजरतीं तो आप पहली बार ही उसे धमका देतीं. वह दोबारा ऐसा करने की जुरअत न करता. पर लगता है कि आप को इस सब में मजा आता है, अच्छा लगता है इसीलिए आप उसे मना नहीं कर रहीं अर्थात इस सब में आप की मूक सहमति है. पर आप को समझना चाहिए कि इस से आप आगे चल कर मुश्किल में पड़ सकती हैं.

अत: उसे मना कर दें. यदि वह नहीं मानता तो सख्त शब्दों में उसे धमकी दें कि आप अपने घर वालों से उस की शिकायत करेंगी. वह संभल जाएगा.

सेक्स करने के अगले दिन मेरे यूट्रस में दर्द होने लगा और मुझे बुखार भी हो गया, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 21 साल की युवती हूं. कुछ दिनों पहले अपने बौयफ्रैंड के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया. हालांकि इस दौरान बौयफ्रैंड ने कंडोम का प्रयोग कर सेक्स किया पर दूसरे दिन सुबह मेरे यूट्रस में दर्द होने लगा और मुझे बुखार भी हो गया. अत: बताएं कि सुरक्षित संबंध बनाने के बाद भी दर्द क्यों हुआ?

जवाब-

सेक्स संबंध हमेशा सुरक्षित ही बनाना चाहिए. सेक्स क्रिया में कंडोम एक सरल व सहज गर्भनिरोधक है, जिस से अनचाहे गर्भधारण से बचा जा सकता है.

यूट्रस में दर्द और बुखार होने का सुरक्षित सेक्स संबंध बनाने से कोई वास्ता नहीं है. संभव है कि आप के साथ कोई अंदरूनी वजह रही होगी. बेहतर होगा कि आप अपने डौक्टर से मिल कर सलाह लें.

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सेक्स चाहिए बच्चा नहीं

विवाह के बाद जोड़े सेक्स का तो जम कर लुत्फ उठाते हैं पर बच्चा पैदा करने से परहेज करते हैं. कई युवा ऐसे भी हैं जो विवाह किए बगैर सेक्स का मजा लेते रहते हैं. कई युवा कंडोम, कौपर टी, गर्भनिरोधक गोलियों आदि का इस्तेमाल कर जिस्मानी रिश्ते बना रहे हैं. इस के पीछे उन का मकसद केवल सेक्स का मजा लेना ही होता है न कि बच्चे को जन्म देना. अगर बच्चा ठहर भी जाता है तो वे उसे गिराने में जरा भी देर नहीं लगाते हैं.

सेक्स का आनंद नैचुरल और सेफ तरीके से उठाया जाए तो मजा दोगुना हो जाता है. ऐसा नहीं करने से कई तरह की बीमारियों और परेशानियों में फंसने की गुंजाइश रहती है.

आजकल मातृत्व और पितृत्व की भावना कम होती जा रही है. औरत और मर्द का रिश्ता केवल सेक्ससुख का ही रह गया है. इसी वजह से यह चलन चल पड़ा है कि लोग मांबाप बनने से कतराते हैं. समाजविज्ञानी हेमंत राव कहते हैं कि महज सेक्स का सुख उठाने वाले जोड़े 30-35 साल की उम्र तक तो यह आनंद उठा सकते हैं लेकिन उस आयु तक अगर बच्चा पाने से परहेज किया जाए तो तरहतरह की जिस्मानी और दिमागी परेशानियां शुरू हो जाती हैं. कई ऐसे मामले हैं जहां लंबे समय तक बच्चे न चाहने वाले जोड़ों को बाद में काफी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं.

हर चीज का समय होता है. बारबार गर्भपात कराने पर बच्चेदानी कमजोर हो जाती है, उस के फटने के आसार भी बढ़ जाते हैं. बारबार गर्भपात कराने से बां झपन की समस्या के होने का भी खतरा होता है. अगर बच्चा ठहर भी जाता है तो जन्म लेने वाले बच्चे के कमजोर और बीमार होने का खतरा बना रहता है. कई ऐसे उदाहरण हैं जहां देर से बच्चा होने पर वह दिमागी और जिस्मानी तौर पर बहुत कमजोर होता है. उस के कई अंगों का ठीक से विकास नहीं हो पाता है.

आज के युवा बच्चे को ऐसेट नहीं बल्कि लाइबिलिटी मानते हैं. यही वजह है कि ‘सेक्स का मजा लो और फिर अपने काम में लग जाओ’ की सोच बढ़ती जा रही है. अब वंश आगे बढ़ाने और मांबाप बनने का आनंद उठाना गुजरे जमाने की बात जैसी होती जा रही है. पहले के लोग बच्चे को बुढ़ापे का सहारा मानते थे पर आज के लोगों की सोच ऐसी नहीं है. उन की सोच है कि पैसा है तो सबकुछ खरीदा जा सकता है. कैरियर बनाओ, पैसा कमाओ और सेक्स का भरपूर मजा उठाओ, यही आज के युवाओं की सोच है.

हमारे देश में आज भी शादी की तमाम रस्मों और हनीमून की प्लानिंग तो की जाती है पर बच्चों की नहीं, जिस का नतीजा अनचाहा गर्भ या गर्भपात ही होता है. डा. नीरू अरोरा कहती हैं, ‘‘गर्भनिरोधक यानी कौंट्रासैप्टिव के चुनाव के मामले में आज कई दंपती यह तय ही नहीं कर पाते हैं कि कौन सा गर्भनिरोधक उन के लिए उपयुक्त है.’’

गर्भनिरोधकों के बारे में महिलाओं के मन में अनेक गलत धारणाएं रहती हैं, जैसे गर्भनिरोधक गोली से भविष्य में गर्भधारण में समस्या होगी, सेक्स की चाहत नहीं रहेगी, कैंसर की संभावना बढ़ेगी, वजन बढ़ जाएगा वगैरह. ये सारी धारणाएं गलत हैं.

‘गर्भनिरोधक गोलियों के प्रयोग से ओवेरियन कैंसर व सिस्ट के चांसेस कम होते हैं. इन के प्रयोग से घबराना नहीं चाहिए.’’

गर्भनिरोधक 2 प्रकार के होते हैं, प्राकृतिक व कृत्रिम.

प्राकृतिक गर्भनिरोधक

प्राकृतिक गर्भनिरोधक तरीकों का प्रयोग करते समय किसी भी तरह की गर्भनिरोधक दवाओं का प्रयोग नहीं किया जाता. इस के खास तरीके में सिर्फ मासिक चक्र को ध्यान में रखते हुए ‘सेफ पीरियड’ में ही सेक्स किया जाता है.

सुरक्षित मासिक चक्र : परिवार नियोजन के प्राकृतिक तरीकों में से एक सुरक्षित मासिक चक्र है. इस तरीके के तहत ओव्यूलेशन पीरियड के दौरान शारीरिक संबंध न रखने की सावधानियां बरती जाती हैं.

आमतौर पर महिलाओं में अगला पीरियड शुरू होने के 14 दिन पहले ही ओव्यूलेशन होता है. ओव्यूलेशन के दौरान शुक्राणु व अंडे के फर्टिलाइज होने की ज्यादा संभावना होती है. दरअसल, शुक्राणु सेक्स के बाद 24 से 48 घंटे तक जीवित रहते हैं, जिस से इस दौरान गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है.

फायदा : इस में न किसी दवा की, न किसी कैमिकल की और न ही किसी गर्भनिरोधक की जरूरत होती है. इस में किसी भी तरह का रिस्क या साइडइफैक्ट का डर भी नहीं रहता.

नुकसान : यह तरीका पूरी तरह से कामयाब नहीं कहा जा सकता. यदि पीरियड समय पर नहीं होता तो गर्भधारण की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.

कैलेंडर वाच : प्राकृतिक तरीकों में एक कैलेंडर वाच है, जिसे सालों से महिलाएं प्रयोग में लाती हैं. इस में ओव्यूलेशन के संभावित समय को शरीर का टैंप्रेचर चैक कर के जाना जाता है और उसी के अनुसार सेक्स करने या न करने का निर्णय लिया जाता है. इस में महिलाओं को तकरीबन रोज ही अपने टैंप्रेचर को नोट करना होता है. जब ओव्यूलेशन होता है तो शरीर का तापमान आधा डिगरी बढ़ जाता है.

फायदा : इस में किसी भी प्रकार की दवा या कैमिकल का उपयोग नहीं होता. इस से कोई साइड इफैक्ट नहीं पड़ता और न सेहत के लिए ही कोई नुकसान होता.

नुकसान : यह उपाय भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, खासकर उन महिलाओं के लिए जिन की माहवारी नियमित नहीं होती.

स्खलन विधि : इस विधि में स्खलन से पहले सेक्स क्रिया रोक दी जाती है, ताकि वीर्य योनि में न जा सके.

फायदा : इस का कोई भी साइड इफैक्ट नहीं है.

नुकसान : सहवास के दौरान हर पल दिमाग में इस की चिंता रहती है. लिहाजा, सेक्स का पूरापूरा आनंद नहीं मिल पाता. इस के अलावा शुरू में निकलने वाले स्राव में कुछ मात्रा में स्पर्म्स भी हो सकते हैं. इसलिए यह विधि कामयाब नहीं है.

कृत्रिम गर्भनिरोधक

प्रैग्नैंसी रोकने की जिम्मेदारी अकसर महिलाओं को ही उठानी पड़ती है. इसलिए उन्हें इस के लिए इस्तेमाल होने वाले कौंट्रासैप्टिव की जानकारी होना बेहद जरूरी है.

गर्भनिरोधक गोलियां : गर्भनिरोधक गोलियां भी कई प्रकार की होती हैं :

साइकिल गर्भनिरोधक गोली : इस का पूरा कोर्स 21 दिन का होता है. इस की 1 गोली माहवारी के पहले दिन से ही रोज ली जाती है. इस के साथ ही 3 हफ्ते तक बिना नागा यह गोली लेनी चाहिए.

फायदा : इस के उपयोग से माहवारी के समय दर्द से भी आराम मिलता है.

नुकसान : आप यदि एक दिन भी गोली खाना भूल गईं तो प्रैग्नैंट हो सकती हैं, साथ ही सिरदर्द, जी मिचलाना, वजन बढ़ना आदि समस्याएं भी हो जाती हैं.

ओनली कौंट्रासैप्टिव पिल : इसे ओसीपी भी कहा जाता है. इस का भी कोर्स 21 दिनों का होता है, जिस में 7 गोलियां हीमोग्लोबिन की भी होती हैं. इस तरीके से महिलाओं को एनीमिया की शिकायत नहीं होती क्योंकि इस में प्रोजेस्टेरोन और इस्ट्रोजन हार्मोन होते हैं.

आपातकालीन गोलियां: असुरक्षित सहवास के बाद अनचाहे गर्भ से बचने के लिए इस का इस्तेमाल किया जाता है.

फायदा : इस गोली का सेवन यौन संबंध बनाने के 72 घंटों के अंदर किया जाता है तो यह 96 फीसदी तक प्रभावशाली होती है.

नुकसान : इस का प्रयोग करना स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं है.

कौपर टी : गर्भनिरोधक के रूप में यह विश्व में सब से ज्यादा इस्तेमाल होती है. यह अंगरेजी के टी (ञ्ज) अक्षर के शेप की होती है और इस में पतला सा तार लगा होता है. इसे गर्भाशय के भीतर लगाया जाता है. इस से गर्भ नहीं ठहर पाता. जब भी बच्चे की चाहत हो इसे निकलवाया जा सकता है.

फायदा : इस में 99 फीसदी तक फायदा है. एक बार बच्चा होने के बाद दूसरा बच्चा होने के समय में गैप के लिए कौपर टी एक अच्छा जरिया है.

नुकसान : कौपर टी लगाने के बाद 2-3 महीने तक माहवारी ज्यादा आती है, लेकिन बाद में ठीक हो जाती है. इसे डाक्टर के द्वारा ही लगाया और निकलवाया जाता है.

गर्भनिरोधक इंजैक्शन : यह इस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरौन का इंजैक्शन है. यह 2 महीने या 3 महीने में लगाया जाता है. यह ओव्यूलेशन रोकता है, जिस से गर्भ नहीं ठहरता.

फायदा : इस का 99 फीसदी फायदा होता है. माहवारी भी कम दिनों तक होती है और माहवारी में दर्द नहीं होता.

नुकसान : इस से वजन बढ़ जाता है. इस इंजैक्शन के बाद नियमित व्यायाम और खानपान में संतुलित आहार जरूरी है.

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