ये 10 टिप्स हनीमून की रात को यादगार बनाएंगे यादगार

सुहागरात पर नए जोड़े के मन में संकोच बना रहता है. यह सच है कि हर दंपती के जीवन का अनिवार्य हिस्सा है शारीरिक संबंध. लेकिन, इसे लेकर जो तमात आशंकाएं और बातें हमारे अवचेतन में कहीं बैठी हैं, उनके चलते कई लोग इसका भरपूर आनंद उठा नहीं पाते. भारतीय समाज में कामसूत्र जैसा महान ग्रंथ रचा गया, लेकिन बावजूद इसके हमारे यहां इस‍ विषय पर चर्चा करना वर्जनीय माना जाता है. जहां एक तरफ सुहागरात नई जिंदगी की शुरुआत है, वहीं दूसरी तरफ जिस्‍मानी संबंध भी इस रात का अहम हिस्‍सा माना जाता है. शादी की पहली रात को पुरुष शारीरिक संबंध के प्रति बेहद चिंतित रहते हैं. मन में यह चिंता होती है कि वे अपने साथी को खुश कर पाएंगे या नहीं. उन्‍हें इस बात का डर रहता है कि कहीं इस रात की कोई गलती उन्‍हें सारी उम्र के लिए परेशानी में न डाल दे. लेकिन हम आपको कुछ टिप्‍स बता रहे हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं.

शादी की पहली रात सेक्‍स के 10 टिप्‍स

1 – सुहागरात में शारीरिक संबंध बनाने से पहले रोमांटिक माहौल बनाइए. अपने कमरे में विशेष प्रकार के रंग और खुशबू का प्रयोग कीजिए. ये सेक्‍स हार्मोन को उकसाते हैं. इसके लिए अरोमा कैंडल जलाइए, हल्‍का संगीत बजाइए, हल्‍की रोशनी रखिए.

2 – सेक्‍स क्रिया करने के लिए जल्‍दबाजी न करें. इससे पहले एक-दूसरे को समझने की कोशिश कीजिए. ऐसा करने से दोनों के एक-दूसरे के करीब आएंगे और सेक्‍स करने में ज्‍यादा झिझक नही होगी.

3 – सेक्‍सुअल होने से पहले अपने साथी से अच्‍छी तरह बात कीजिए. अपनी सारी शंकाओं का समाधान बातचीत के जरिए पहले निकाल लीजिए नहीं तो सेक्‍स के दौरान मन में झुंझलाहट बनी रहेगी.

4 – सेक्‍स करने से पहले पार्टनर को सरप्राइज करने की कोशिश कीजिए. इसके लिए आप उसे कोई गिफ्ट दीजिए, हनीमून पैकेज या ज्‍वैलरी देकर आप अपने पार्टनर को खुश कर सकते हैं.

5 – सुहागरात में सेक्‍स से पहले फोरप्‍ले बहुत जरूरी है. फोरप्‍ले करने से सेक्‍स करने का आनंद बढ़ जाता है. इसके लिए उसे किस कीजिए. उसके खास अंगों पर आपकी प्‍यार भरी छुअन सेक्‍स हार्मोन उत्‍तेजित करने में मदद करेंगे.

6 – सेक्‍सुअल फैंटेसीज का भी सहारा ले सकते हैं. सुहागरात में पार्टनर से सेक्‍सी बातें करें, इससे दोनों उत्‍तेजित होंगे और सेक्‍स की इच्‍छा बढ़ेगी. वात्‍स्‍यायन द्वारा रचित कामसूत्र के बारे में बात कर सकते हैं.

7 – सुहागरात में एल्‍कोहल और सिगरेट बिलकुल न पियें. क्‍योंकि सेक्स से तुरंत पहले ज्यादा एल्कोहल लेने से पुरुषों में इरेक्टाइल प्रॉब्लम्स और स्त्रियों में वजाइनल ड्राइनेस की समस्या हो सकती हैं. इससे सेक्‍स के दौरान समस्‍या हो सकती है.

8 – सुहागरात में भी सेक्‍स करने से पहले सुरक्षा का ध्‍यान दीजिए. इसके लिए कंडोम का प्रयोग करें. इससे यौन बीमारियों के होने का खतरा कम होता है और बिना प्‍लानिंग के प्रेग्‍नेंसी का डर भी नही होता है.

9 – मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक तौर पर फिट रहें. अंतरंग पलों से पहले अपने साथी की पसंदीदा ड्रेस पहनें. इससे सेक्स क्रिया रोमांचक बनेगी.

10 – किसी भी प्रकार का प्रयोग करने से बचें. सुहागरात में सेक्‍स संबंध बनाते वक्‍त ऐसे आसनों को अपनायें जो आसान हों और जिनको करने में कोई दिक्‍कत न हो.

पिल्स या कंडोम ज्यादा सेफ क्या?

अकसर जवां लड़केलड़कियां जवानी के जोश में फिसल जाते हैं और जानेअनजाने ऐसी गलती कर बैठते हैं जिस का हर्जाना उन्हें लंबे समय तक भुगतना पड़ता है. जिस तरह इलाज से बेहतर रोकथाम है उसी तरह पिल्स से बेहतर है कंडोम उपयोग करना.

शादी से पहले सैक्स किसी भी तरह से उचित नहीं होता पर कई बार लड़केलड़कियां बहक जाते हैं. वे शादी से पहले ही शारीरिक संबंध बना लेते हैं. इस से उन के सामने कई तरह की परेशानियां पैदा हो जाती हैं. ऐसे में उन खतरों और उन से बचाव के तरीकों को जानना जरूरी होता है.

नेहा रिलेशनशिप में थी. उस का बौयफ्रैंड विकास कई बार सैक्स करने के लिए दबाव डालता था. नेहा यह कह कर टाल देती थी कि शादी से पहले सैक्स करना ठीक नहीं है. विकास पहले तो उस की बात मान लेता था लेकिन इस बार उस ने जिद पकड़ ली. नेहा को मजबूरी में विकास की बात माननी पड़ी.

विकास ने यूट्यूब पर वीडियो खोल कर दिखाया कि सैक्स से 72 घंटे के अंदर अगर इमरजैंसी पिल्स खा ली जाएं तो प्रैग्नैंसी का खतरा नहीं रहता है. नेहा ने भी देखा, बात सही थी. प्रैग्नैंसी के खतरे को भूल कर दोनों ने सैक्स का भरपूर मजा लिया. सुबह होते ही विकास मैडिकल स्टोर पर गया और इमरजैंसी पिल्स का पैकेट ले आया.

जिस तरह से पैकेट के ऊपर लिखा था उसी तरह से नेहा ने दवा खा ली. इस के बाद समय गुजरने लगा. नेहा का अगले माह पीरियड नहीं हुआ. दोचार दिन उस ने ध्यान नहीं दिया. कई बार पीरियड्स कई दिन बाद होते थे. जब एक सप्ताह गुजर गया तो उस ने अपनी जानने वाली डाक्टर नीरू मित्तल से पूरी बात बता कर अपनी परेशानी बताई.

डाक्टर नीरू मित्तल ने नेहा को सम?ाते हुए कहा, ‘नेहा, इमरजैंसी पिल्स 100 प्रतिशत सेफ नहीं होतीं. कई बार इस के खाने के बाद भी प्रैग्नैंसी कंसीव हो जाती है. ऐसे में तुम फौरन अपनी प्रैग्नैंसी की जांच कराओ.’

नेहा ने डाक्टर की सलाह मानी और अपना टैस्ट कराया. डाक्टर नीरू मित्तल का अंदाजा सही निकला. नेहा के मामले में इमरजैंसी पिल्स ने काम नहीं किया था. नेहा प्रैग्नैंट हो चुकी थी. उस ने पूरी बात विकास को बताई. दोनों ने यह तय किया कि वे एबौर्शन करा देंगे. नेहा और विकास की रिलेशनशिप का पता उन के घर वालों को था. ऐसे में विकास ने कहा, ‘मैं घर में बात कर के शादी कर लेता हूं. दोनों ने अपने घर वालों से बात की. घर वालों को भी नेहा की प्रैग्नैंसी के बारे में बता दिया. दोनों के ही घर वाले इस बात पर राजी हो गए. एक माह के अंदर ही दोनों की शादी हो गई.

हर किसी की कहानी नेहा जैसी सुखद नहीं होती. दीपा के साथ भी इसी तरह की दिक्कत हो गई. उन दोनों के घर वालों को कुछ पता भी नहीं था और वे शादी के लिए तैयार भी नहीं होते. ऐसे में दीपा ने इंटरनैट में छपी जानकारी के चलते गर्भपात यानी एबौर्शन करने वाली दवा खा ली. इस से एबौर्शन तो हुआ पर इस के बाद भी ब्लीडिंग हो रही थी. दीपा बीमार सी रहने लगी. उस ने अपनी डाक्टर को दिखाया तो उन्होंने अल्ट्रासाउंड कर के देखा, पता चला कि एबौर्शन की दवा से सही एबौर्शन नहीं हुआ था. भ्रूण के कुछ हिस्से बच्चेदानी में रह गए थे, जिस के कारण यह ब्लीडिंग हो रही थी. दीपा को डाक्टर के यहां भरती होना पड़ा. फिर से सही तरह एबौर्शन किया गया तब उस की परेशानी का समाधान हुआ.

देश में असुरिक्षत गर्भपात बहुत बड़ी समस्या है. सामाजिक दबाव के चलते लोग चोरीचुपके एबौर्शन कराते हैं. जो कई बार जानलेवा हो जाता है. इस का सब से बड़ा कारण अनसेफ सैक्स होता है. गर्भ को रोकने क लिए इमरजैंसी पिल्स का प्रयोग धड़ल्ले से होने लगा है.

यह अनसेफ होने के साथ ही साथ हैल्थ के लिए भी खतरनाक होती है. डाक्टर नीरू मित्तल कहती हैं, ‘ज्यादातर मामलों में इमरजैंसी पिल्स सफल रहती हैं. ऐसे में कई बार लड़कियां इस का नियमित प्रयोग करने लगती हैं. लड़कियों को यह जानकारी रखनी चाहिए कि यह नियमित प्रयोग के लिए नहीं है. यह नियमित गर्भनिरोधक दवाओं की श्रेणी में नहीं आती है. नियमित प्रयोग से यह हैल्थ पर बुरा प्रभाव डालती है.’

इमरजैंसी पिल्स के खतरे

दिनोंदिन इमरजैंसी गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. इस से युवतियों में कई तरह की स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं देखने को मिल रही हैं. एक स्टडी से पता चलता है कि 79 फीसदी दवा विक्रेताओं को इमरजैंसी गर्भनिरोधक गोलियों के साइड इफैक्ट और पीरियड से जुड़े अपेक्षित बदलाव के बारे में पता नहीं था.

85.71 फीसदी विक्रेताओं को यह भी पता नहीं था कि गोलियों के इस्तेमाल से गर्भाधारण से छुटकारा मिलेगा या नहीं. कई मरीज ऐसे थे जिन को अनियमित पीरियड और प्रैग्नैंसी रोक पाने में नाकामी की शिकायत थी. जब उन से पूछा गया तो उन लोगों ने गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल करने की बात स्वीकार की.

असुरक्षित गर्भपात के खतरे

भारत में गर्भपात से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि देश में हर साल जितना भी गर्भपात होते हैं उन में से आधे सिर्फ इसलिए होते हैं क्योंकि वे अनचाहे गर्भ थे. लगभग 27 प्रतिशत महिलाएं एबौर्शन करवाने के लिए अस्पताल नहीं जाती हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने भारत में अविवाहित युवतियों को भी 24 हफ्तों तक गर्भपात का अधिकार दे दिया है. आंकड़े बताते हैं कि भारत में गर्भपात की सब से बड़ी वजह प्रैग्नैंसी का अनचाहा होना है. आंकडों के अनुसार, 47.6 प्रतिशत गर्भपात इसलिए होते हैं क्योंकि वे अनप्लान्ड थे.

भारत में गर्भपात को ले कर मैडिकल स्टैंडर्ड और सुरक्षा की कमी देखने को मिलती है. आंकड़े बताते हैं कि भारत में जितने गर्भपात होते हैं उस का लगभग 27 फीसदी घरों में होते हैं. यानी, महिलाएं/लड़कियां एबौर्शन के लिए अस्पताल नहीं जाती हैं बल्कि इस मैडिकल प्रक्रिया को खुद ही कर लेती हैं.

शहरों में 21.6 प्रतिशत गर्भपात महिलाएं स्वयं करवा लेती हैं जबकि ग्रामीण महिलाओं के लिए यह आंकड़ा 30 फीसदी है. भारत में आधे से अधिक लगभग 54.8 महिलाएं गर्भपात के लिए डाक्टर के पास जाती हैं. भारत में 3.5 प्रतिशत एबौर्शन तो दोस्त और रिश्तेदार करवा देती हैं.

संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड पौपुलेशन रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत में हर दिन असुरक्षित गर्भपात से जुड़े कारणों की वजह से लगभग 8 महिलाएं मौत का शिकार होती हैं. इस के अलावा असुरक्षित गर्भपात भारत में मातृ मृत्युदर की तीसरी बड़ी वजह है.

दिल्ली में गर्भपात का विकल्प चुनने वाली महिलाओं का अनुपात राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से ज्यादा है. राजधानी में गर्भवती हुई 5.7 फीसदी महिलाएं गर्भपात का विकल्प चुनती हैं. जबकि राजस्थान में यह आंकड़ा 1.5 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 1.3 प्रतिशत है. 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भपात का विकल्प चुनने वाली महिलाओं का अनुपात राष्ट्रीय औसत 2.9 से ज्यादा है.

पिल्स के मुकाबले कंडोम बेहतर

इमरजैंसी पिल्स के मुकाबले कंडोम का प्रयोग सुरक्षित होता है. जरूरत इस बात की होती है कि इस का प्रयोग सही तरह से किया जाए. कई बार इस का पहली बार प्रयोग करने में दिक्कत आती है, जिस की वजह से कंडोम के फटने और उतर जाने का खतरा रहता है.

ऐसे में कंडोम का प्रयोग करने से पहले उस के प्रयोग करने की सही जानकारी कर लेनी चाहिए. सही तरह से प्रयोग होने के बाद यह सब से सुरक्षित गर्भनिरोधक होता है. यह न केवल गर्भ को ठहरने से रोकता है बल्कि यौन संक्रमण से भी बचाता है. ऐसे में सही बात यह है कि यह सब से सुरक्षित गर्भ निरोधक है. इस का सेहत पर किसी तरह से कोई कुप्रभाव भी नहीं पड़ता है. कई पार्टनर्स होते हैं जिन में एसटीआई यानी यौन संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है. उन को गर्भनिरोधक के तौर पर कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए, न कि इमरजैंसी गोलियों का.

कंडोम का सही प्रयोग कैसे करें

कंडोम अनचाहे गर्भ से सुरक्षित रखता है. इस का उपयोग करने से यौन जनित रोगों से भी सुरक्षित रहा जा सकता है. सैक्स के दौरान कंडोम का उपयोग पूरी तरह से तभी सुरक्षित हो सकता है जब इस का सही इस्तेमाल किया जाए. अगर इस के इस्तेमाल में जरा भी चूक की जाए तो यह कई समस्याओं का कारण भी बन सकता है.

कंडोम रबड़ का बना हुआ एक कवर होता है जिस का इस्तेमाल पुरुष पेनिस को ढकने के लिए करते हैं. इस से सैक्स के दौरान पुरुष अपने शुक्राणुओं को महिला के गर्भाशय में प्रवेश करने से रोक सकते हैं. इसी तरह, महिलाओं के लिए भी कंडोम बने हुए हैं जिसे योनि के अंदर फिट किया जा सकता है. अगर कंडोम का उपयोग ठीक प्रकार से किया जाए तो यह गर्भधारण के जोखिम को 85 फीसदी से 98 फीसदी तक रोक सकता है. एक कंडोम का इस्तेमाल सिर्फ एक बार के लिए ही किया जा सकता है.

इंटरकोर्स करते समय लगाने के बजाय कुछ समय पहले उसे पहनने की कोशिश करें. अकेले में कुछ बार कंडोम पहनने की कोशिश करें और सीखें कि उसे कैसे और कितने समय में पहना जा सकता है. कंडोम का पैक खोलने से पहले उस के लेबल पर लिखे गए निर्देशों को सावधानी से पढ़ें

नाजायज संबंध : औनलाइन ज्यादा महफूज

ग्ली डेन एक डेटिंग एप है, जिस का इस्तेमाल देशभर के तकरीबन 20 लाख मर्दऔरतें कर रहे हैं. इस एप की पहुंच और पूछपरख बड़े शहरों से होते हुए अब छोटे शहरों और कसबों तक में होने लगी है. हालांकि अभी यह तादाद बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन बहुत जल्द हो जाएगी, क्योंकि कोई भी नई चीज, प्रोडक्ट, सर्विस या टैक्नोलौजी छोटी जगहों पर देर से पहुंचती है, लेकिन इस में नई या दिलचस्प बात क्या है?

इस सवाल का जवाब बेहद साफ है कि लोग जायज सैक्स के बाद नाजायज रिश्तों के लिए भी एप का सहारा लेने लगे हैं, जबकि आमतौर पर माना यह जाता है कि सैक्स संबंध, फिर वे जायज हों या नाजायज, जानपहचान वालों से ही बनते हैं.

ग्लीडेन एप के अलावा टिंडर, बंबल, ट्रूलीमैडली और लड़कियों द्वारा सब से ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाले डेटिंग एप बू के यूजर्स की कुल तादाद तो करोड़ों में है. इन एप के जरीए यूजर्स दोस्ती कर न केवल रोमांटिक और सैक्सी बातें करते हैं, बल्कि हमबिस्तरी करने के लिए भी पार्टनर ढूंढ़ते हैं.

ग्लीडेन ने हाल में ही जो आंकड़े जारी किए हैं, वे दिलचस्प भी हैं और चिंताजनक भी हैं. एक सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि देश की तकरीबन

77 फीसदी औरतें पति के अलावा भी गैरमर्दों से जिस्मानी ताल्लुक बनाती हैं और इस के लिए एप का सहारा लेती हैं.

मुमकिन है कि ये आंकड़े एक हद तक सच हों, क्योंकि औफलाइन भी अखबारों में ऐसी खबरों की भरमार रहती है, जिन में पत्नी ने प्रेमी के संग मिल कर पति की हत्या कर दी या पति ने पत्नी को बेरहमी से मार डाला और इस काम में माशूका ने उस का साथ दिया. ऐसी वारदात की बड़ी वजह नाजायज संबंधों से परदा उठ जाना या पार्टनर को सैक्स करते रंगेहाथ पकड़ लेना ज्यादा रहती है.

सवाल प्राइवेसी और सेफ्टी का डेटिंग एप इस लिहाज से बेहतर होते हैं कि इन में अपराधों की गुंजाइश कम रहती है, क्योंकि नाजायज संबंध ऐसे मर्द या औरत से बनना रहता है, जिस से कोई पहले से जानपहचान नहीं होती और दोनों का खास लेनादेना नहीं होता.

इस के अलावा ये रिश्ते हर समय नहीं बनते. सौदा मरजी का होता है, जिस में फारिग होते ही औरत व मर्द अपनेअपने रास्ते हो लेते हैं. बाद में या दोबारा सैक्स संबंध बनाना कोई मजबूरी और दबाव की बात नहीं होती, इसलिए पहचाने जाने और बदनामी का डर या खतरा नहीं होता.

औनलाइन हों या औफलाइन, नाजायज संबंध सदियों से बनते रहे हैं और ये कभी खत्म होंगे, इस की कोई गारंटी नहीं. इस सच को हजम करना आसान बात कभी नहीं रही, इसलिए आएदिन झगड़ेफसाद भी होते रहते हैं, जिन पर यह थ्योरी लागू होती है कि पकड़े गए तो बंटाधार, नहीं तो एक जुर्म का होना तय बात है.

कोई पति या पत्नी यह बरदाश्त नहीं कर पाते कि उस का जीवनसाथी बेवफाई करे, क्योंकि इस से उन की गैरत को धक्का लगता है और भरोसा भी टूटता है. साथ ही टूटता है घर और उजड़ती है जमीजमाई गृहस्थी, जिस से एक बड़ा नुकसान बच्चे अगर हों तो उन का होता है, क्योंकि मां या बाप में से कोई एक जेल और दूसरा हमेशा के लिए ऊपर जा चुका होता है.

ऐसा ही गाजियाबाद के फजलगढ़ गांव के बाशिंदे दिनेश कुमार के साथ हुआ था, जिस ने बीती 24 जनवरी को अपनी पत्नी अंजू की हत्या कर उस की लाश खेत में गाड़ दी थी और 30 जनवरी को पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई थी.

लेकिन ठेले पर सब्जी बेच कर गुजारा करने वाला दिनेश कानून के हाथों से बच नहीं सका और 3 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया गया. अब उस के दोनों बच्चे इधरउधर भटक रहे हैं. दिनेश को शक था कि अंजू के कहीं और नाजायज संबंध हैं.

मध्य प्रदेश के धार जिले के ढोलाना गांव में 13 जनवरी, 2023 को राधेश्याम पाटीदार की हत्या उस की ही पत्नी ने अपने प्रेमी मनसुख के साथ मिल कर कर दी थी.

राधेश्याम और मनसुख रिश्तेदार थे, जिस के संबंध राधेश्याम की बीवी से हो गए थे.

छोटी जगहों में ऐसे ताल्लुक ज्यादा छिपे नहीं रहते. लिहाजा, आसपास के तक में गांवों जल्दी ही यह बात फैल गई. राधेश्याम की भोंहें तिरछी होने लगीं, तो इन दोनों ने उसे रास्ते से हटाने के लिए जुर्म कर डाला.

नाजायज संबंधों की कुछ आम वजहें जगजाहिर हैं. मसलन, मियांबीवी में पटरी न बैठना, सैक्स में असंतुष्टि, पैसों की कमी, घर में कलह, जज्बाती लगाव न होना और मियांबीवी का एकदूसरे का ध्यान न रखना.

कई बार महज मौजमस्ती की

गरज से भी ऐसे संबंध बन जाते हैं, लेकिन वजह कोई भी हो, छोटी जगहों में ऐसा होना मुमकिन नहीं होता कि एकाध बार के बाद मुंह मोड़ा जा सके, क्योंकि मनमाफिक सैक्स की लत अकसर औरत और मर्द दोनों को लग जाती है.

चूंकि दोनों का अकसर ही आमनासामना होता रहता है, इसलिए दोनों की सैक्स की तलब फिर सिर उठाने लगती है और वे न चाहते हुए फिसल ही जाते हैं.

नाजायज संबंधों में अपराध और उस में भी हत्या की 90 फीसदी खबरें गांवदेहात या कसबों से ही आती हैं, क्योंकि वहां ये संबंध औफलाइन बनते हैं. खेत, जंगल या सुनसान इलाके इस

के लिए मुफीद होते हैं, लेकिन यह सिलसिला लंबा नहीं चल पाता, भले ही वहां सीसीटीवी न होते हों, लेकिन कोई न कोई, कभी न कभी देख ही लेता है और फिर दबी आवाज में इन की चर्चा चटकारे लेले कर होती है और एक दिन राज खुल ही जाता है.

उलट इस के बड़े शहरों में सहूलियत रहती है. औरत और मर्द हमबिस्तरी के लिए होटल या रिसोर्ट में ज्यादा जाते हैं, जहां बंद कमरे में अपनीअपनी प्यास बुझा कर दोनों अपनेअपने रास्ते हो लेते हैं. नजदीकी या दूर के रिश्ते का कोई फूफा, जीजा, मौसा या मामा वहां नहीं होता, जो हल्ला मचाए. लिहाजा, सारा प्रोग्राम बड़े सुकून और शांति से पूरा हो जाता है.

डेटिंग एप इसीलिए ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं, क्योंकि ये मर्द और औरत दोनों के लिए हिफाजत की गारंटी होते हैं कि बाद में कोई फसाद खड़ा नहीं होगा. संबंध बनाने वालों को इस बात की भी बेफिक्री रहती है कि न तो इस से उन का घर टूटना और न पार्टनर को इस की हवा लगना. हां, खर्च जरूर इस में ज्यादा होता है, लेकिन वह तमाम दुश्वारियों से बचाता भी है, इसलिए कोई इस की परवाह नहीं करता. फिर भी बचें

पकड़े नहीं जाएंगे या अभी तक पकड़े नहीं गए, तो इस का यह मतलब नहीं है कि नाजायज संबंध कोई अच्छी बात है और इन्हें धड़ल्ले से बनाया जाए. यह बहुत बड़ा गुनाह न सही, पर गलती जरूर है. आज नहीं तो कल इस का असर शादीशुदा जिंदगी और गृहस्थी पर पड़ सकता है.

दूसरे, आजकल टैक्नोलौजी के चलते फोटो खींच लेना या वीडियो बना लेना भी आम बात हो गई है, इसलिए ब्लैकमेलिंग का खतरा बना ही रहता है. लोग कितने ही सावधान हो जाएं, सैक्स संबंध बनाते समय लापरवाह हो ही जाते हैं.

अगर पतिपत्नी को एकदूसरे से कोई शिकायत है, तो उन्हें बिना झिझक बताना चाहिए, जिस से वक्त रहते उस का हल निकल सके. मर्दों की नामर्दी और औरत का सैक्स में ठंडापन अब बहुत बड़ी समस्याएं या हौआ नहीं रह गई हैं.

पति और पत्नी एकदूसरे का सहयोग करें, तो इन का इलाज अब मुमकिन है, इसलिए किसी दूसरे से रिश्ता बनाने से पहले एक बार संजीदगी से इस बात पर गौर करना चाहिए कि क्या इस के अलावा अब और कोई रास्ता नहीं.

अगर एक बार कोई रास्ता नजर आ जाएगा, तो न खेतखलिहान में चोरीछिपे जाने की जरूरत रह जाएगी और न ही किसी डेटिंग एप, फेसबुक या ह्वाट्सएप पर चैटिंग की जरूरत रह जाएगी.

इतने समय तक सेक्स करना चाहती हैं महिलाएं

हम सोचते थे कि महिलाएं लंबे समय तक सेक्शुअल गतिविधि चाहती हैं, पर हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि पुरुषों को लगता है कि महिलाएं लंबा सेक्स नहीं चाहतीं.

पीनिस के आकार से लेकर सेक्स के दौरान अपने प्रदर्शन तक-पुरुष होना आसान काम नहीं है. अमेरिका में टार्जन कंडोम द्वारा हाल ही में कराए गए एक सर्वे के नतीजों में सामने आया कि 41 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि वे चाहते हैं कि सेक्स लंबे समय तक चले, जबकि ऐसा चाहनेवाली महिलाओं की संख्या 34 फीसदी ही थी.

अक्सर महिलाएं थोड़े समय के सेक्शुअल इंटरकोर्स से ही खुश रहती हैं, वे इसे लंबा नहीं रखना चाहती हैं, जबकि अधिकतर पुरुष इस प्रक्रिया को लंबा ही रखना चाहते हैं.

म्यूजिशियन गैविन फर्नांडिस स्वीकारते हैं कि वे सेक्स के दौरान अपने प्रदर्शन को लेकर दबाव महसूस करते हैं. ‘‘हमें पता है कि महिलाओं को मल्टीपल ऑर्गैज़्म (कई बार चरम) आ सकते हैं. फिर इस तरह की मान्यताएं भी हैं कि महिलाएं ऑर्गैज़्म का झूठा दिखावा भी करती हैं. ये बातें पुरुषों की मानसिकता को प्रभावित करने के लिए काफ़ी हैं,’’

वे कहते हैं. ‘‘कई बार सेक्शुअल संबंध बनाने के बाद मैं समझ ही नहीं पाता कि मैं अपनी गर्लफ्रेंड को संतुष्ट कर भी पाया हूं या नहीं. मैं चाहता हूं कि उसे संतुष्ट करने के लिए मैं और लंबे समय तक उसका साथ दे सकूं.’’

आनंद को लंबा रखने की चाहत

गैविन जैसे कई और पुरुष हैं. वर्ष 2009 में मेन्स हेल्थ मैग्ज़ीन द्वारा कराए गए सर्वे में पाया गया कि सेक्स के दौरान पुरुष 5 से 10 मिनट तक संयम बनाए रख सकते हैं, पर 71 प्रतिशत पुरुष चाहते हैं कि काश वे इससे कहीं अधिक समय तक ऐसा कर पाते.

जरनल औफ सेक्स मेडिसिन द्वारा कराए गए एक अलग अध्ययन के मुताबिक, वह इंटरकोर्स जो 7 से 13 मिनट के भीतर समाप्त हो जाता है, बेहतरीन माना जाता है. ‘‘कई पुरुष इस बात को लेकर शर्मिंदगी महसूस करते हैं कि वे लंबे समय तक संयम नहीं बनाए रख पाते,’’ कहना है चेन्नई की काउंसलर सुजाता रामकृष्णन का. ‘‘और मैं उन पुरुषों की बात नहीं कर रही हूं, जिन्हें प्रीमैच्योर इजेकुलेशन की समस्या है. सामान्य पुरुष, जिनका सेक्शुअल जीवन अच्छा है, वे भी सेक्स की प्रक्रिया को और लंबा बनाना चाहते हैं. इसकी वजह ये है कि ये पुरुष पौर्न देखते हुए बड़े हुए हैं और सेक्स के बारे में अपनी पिछले पीढ़ी से कहीं ज्यादा बातें करते हैं. ये बातें अब मीडिया में हैं, फिलम्स में हैं, किताबों में भी हैं. आज की महिलाएं भी यह बताने में संकोच महसूस नहीं करतीं कि उन्हें सेक्स के दौरान क्या पसंद है और क्या नापसंद. इस वजह से पुरुषों पर काफी दबाव होता है.’’

फोरप्ले का समय भी तो जोड़िए!

सेक्स एक्सपर्ट डॉ महिंदर वत्स कहते हैं कि यदि कुछ बदलाव किए जाएं तो सेक्स प्रक्रिया को लंबा बनाया जा सकता है. ‘‘हालांकि यूं देखा जाए तो ये बात सिर्फ़ आपकी दिमा़गी सोच पर निर्भर करती है, लेकिन आप सेक्शुअल इंटरकोर्स को थोड़ा लंबा बना सकते हैं,’’ वे कहते हैं. ‘‘क्विकी (झटपट सेक्शुअल संबंध बनाना) अच्छे तो होते हैं, पर हमेशा नहीं. सेक्स को लंबा बनाने के लिए सही समय और अपने शरीर के संकेतों को समझना बहुत जरूरी है. यही कारण है कि फोरप्ले का महत्व उससे कहीं ज्यादा बढ़ जाता है, जितना कि हम सोचते हैं. यदि सेक्शुल प्रक्रिया को लंबा बनाना चाहते हैं तो फोरप्ले का समय भी लंबा होना चाहिए. और लंबे समय तक चलने वाले फोरप्ले से कभी किसी महिला को शिकायत नहीं होती, बल्कि वे इसका आनंद लेती हैं.’’

ऑर्गैज़्म पर ध्यान देने के बजाए सेक्स के दौरान एक-दूसरे के साथ का आनंद उठाना ज़्यादा महत्वपूर्ण है. आप अलग-अलग सेक्शुअल पोज़ीशन्स अपना सकते हैं. अंतिम, लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि इस दौरान पार्टनर्स एक-दूसरे से बातचीत करते रहें. तो अगली बार यदि वे कुछ ऐसा करें, जिससे आपको सुखद अनुभूति हो तो उनकी तारीफ करना बिल्कुल न भूलें.

सेक्स किसी पर कोई एहसान नहीं

ऐसा माना जाता है कि फिजिकल रिलेशन से फिजिकली कनैक्शन होता है. सैक्स किसी भी रिलेशनशिप के लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि इस से पार्टनर एकदूसरे के और ज्यादा करीब आते हैं. इसलिए इसे एक खूबसूरत संबंध कहा जाता है.

कुदरत का तोहफा

परिधि और अंकुश पिछले 1 साल से रिलेशनशिप में हैं. दोनों ही अच्छी कंपनी में जौब करते हैं. अपनी रिलेशन के बारे में वे बताते हैं कि जब से उन के बीच में फिजिकल रिलेशन बना है उन के रिश्ते और अच्छे हुए हैं. परिधि कहती है कि इस के लिए अंकुश ने उन से कोई जोरजबरदस्ती नहीं की. यह दोनों की सहमति से बनाया गया था.

इंसान के लिए सैक्स को सब से ज्यादा सुख देने वाली अनुभूति माना जाता है. महिला और पुरुष दोनों के लिए इस के एहसास और माने अलगअलग होते हैं. हालांकि दोनों ही इस से संतुष्ट होते हैं, लेकिन इसे ले कर उन की सोच अलग होती है. पुरुष इसे तनाव दूर करने का एक जरीया सम झते हैं तो वहीं महिलाओं के लिए यह प्यार और आनंद है.

45 वर्षीय मनोज बताते हैं कि घर की जिम्मेदारी निभातेनिभाते कब उन की शादी की उम्र निकल गई उन्हें पता ही नहीं चला. जब वे आर्थिक रूप से स्ट्रौंग है तो वे अपनी लाइफ जीना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि वे अपने ही औफिस की 28 वर्षीय सेजल (बदला हुआ नाम) के साथ पिछले 8 महीने से रिलेशन में हैं. वे कहते हैं, ‘‘मैं सेजल की हर जरूरत का पूरा खयाल रखता हूं और वह मेरी जरूरत का. हमारे बीच सैक्सुअल रिलेशन भी है और यह दोनों की सहमति से है. न मैं उस की जरूरतों का ध्यान रख कर उस पर एहसान कर रहा हूं और न ही वह मु झ पर. हम बस एकदूसरे का साथ चाहते हैं.’’

बढ़ता है प्रेम

रिलेशनशिप में सैक्स करने का मतलब सिर्फ यौन संतुष्टि पाना ही नहीं होता है बल्कि अपने पार्टनर के साथ एक मजबूत रिश्ता कायम करना व प्यार को बढ़ाना होता है. एक रिसर्च से पता चलता है कि रिलेशनशिप में सैक्स करने से कपल के बीच एक स्वस्थ रिश्ता कायम होता है. इस से रिश्ते के टूटने का खतरा कम हो जाता है.

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट विशाल नेगी कहते हैं कि सैक्स रिश्ते को एक कदम और आगे ले जाता है. रिश्ते में शारीरिक आकर्षण का बहुत महत्त्व है. शुरुआती संबंध बनाने की बात हो या फिर हो प्यार बनाए रखने की बात, सैक्स रिश्ते में एक अहम रोल निभाता है. सैक्स से खुद के बारे में अधिक सकारात्मक धारणा बनती है.

आनंद  का एहसास

योगा इंस्ट्रक्टर कपिल कहते हैं कि जब एक लड़का और लड़की आपसी सहमति से कपल के रूप में एक रिलेशनशिप में आते हैं तो वे अपने प्यार को जाहिर करने के अलगअलग तरीके अपनाते हैं. इन में से ही एक तरीका सैक्स भी है. वे कहते हैं कि इस से न केवल शारीरिक बल्कि भावनात्मक रूप से भी उन्हें आपस में जुड़ाव महसूस होता है.

अपनी राय देते हुए वे कहते हैं कि सैक्स में कोई किसी पर एहसान नहीं करता. यह दोनों के शरीर की न सिर्फ जरूरत है बल्कि यह प्यार को ऐक्सप्रैस करने का एक तरीका है. इस से शरीर हमेशा ऐक्टिव मोड में रहता है.

अहम रोल प्ले करता है

आईटी मैनेजर सारांश कहते हैं कि लाइफ में सैक्स एक अहम रोल प्ले करता है. अगर कोई इसे एहसान के तौर पर लेता है तो वह छोटी सोच का शिकार है. यह किसी पर कोई एहसान नहीं है. यह एक सामूहिक अनुभूति है जो 2 लोगों के बीच प्यार को बढ़ावा देती है.

कुछ लड़कियां ऐसी भी होती हैं जो यह सम झती हैं कि अगर उन का पार्टनर उन के सारे खर्चे उठाएगा तभी वे उन्हें सैक्स का सुख देंगी. ऐसी लड़कियों के बारे में मुक्ता कहती है कि ये लड़कियां अगर फिजिकल रिलेशन बना रही हैं तब भी इस में उन की सहमति है. वे यह रिश्ता अपनी सहमति से बना रही हैं. उन से कोई जोरजबरदस्ती नहीं कर रहा. चाहे वे यह रिश्ता अपनी जरूरत के लिए ही क्यों न बना रही हों.

कानपुर से दिल्ली आ कर पढ़ने वाली 20 वर्षीय जाह्नवी (बदला हुआ नाम) बताती है कि वह एक लड़के के साथ 1 साल से रिलेशनशिप में है. वह बताती है कि वह लड़का उन के सारे खर्चे उठाता है जैसे मोबाइल रिचार्ज, शौपिंग, ब्यूटीपार्लर, ट्रैवल. यहां तक की उस की कालेज की फीस भी और बदले में वह उस के साथ घूमती है, उसे भरपूर प्यार देती है. वह बताती है कि ऐसा कर के वह दोनों की जरूरतें पूरी कर रही है न कि एहसान.

जब प्यार में धोखा मिला

30 वर्षीय दीप्ति (बदला हुआ नाम) बताती है कि अपने ऐक्स से धोखा खाने के बाद वह डिप्रैशन में चली गई थी. इस से निकलने के लिए वह डेंटिग साइट ‘टिंडर’ के जरीए लोगों से मिलने लगी. एक दिन ऐसे ही उस की मुलाकात 29 वर्षीय संकल्प से हुई. चूंकि संकल्प अच्छी बौडी के साथसाथ एक अमीर परिवार से भी था, इसलिए दीप्ति उस से प्रभावित हुए बिना न रह पाई.

दोनों की सहमति के बाद उन्होंने शारीरिक संबंध बनाए. दीप्ति कहती हैं कि हम दोनों अडर्ल्ट हैं और यह हमारी सहमति से बनाया गया रिश्ता था. इसलिए इसे किसी भी तरह गलत नहीं कहा जा सकता है.

एक आंकडे के अनुसार, दुनियाभर में लोकप्रिय डेंटिग ऐप टिंडर के 2021 में 9.6 मिलियन ग्राहक थे. इस के 75 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं. टिंडर ने 2021 में 1.6 बिलियन कमाया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 17% अधिक था. टिंडर के 60% उपयोगकर्ता 35 वर्ष से कम आयु के हैं. इस के तीनचौथाई उपयोगकर्ता पुरुष हैं, लेकिन महिलाएं भी बड़ी संख्या में इस में शामिल हैं.

इसी तरह बंबल और ट्रूली मैडली डेटिंग ऐप्स भारत में सब से लोकप्रिय डेटिंग ऐप्स में से हैं. इन के अलावा फेसबुक ने भी डेटिंग के लिए अलग से सुविधा दी है. ही ही, हैपन, दिलमिल, मैच डौट कौम जैसे डेटिंग ऐप पर भी युवा बड़ी संख्या में रोमांस कर रहे हैं.

इन दिनों शुगर डैडी का एक कौंसपर्ट चलन में है. इस का प्रभाव पश्चिमी देशों में ज्यादा है. इस में एक अमीर बूढ़ा व्यक्ति उस के साथ डेट करने वाली महिला को महंगे गिफ्ट देता है. बदले में वह उस का अकेलापन दूर करती है. इस में सैक्स संबंध भी शामिल है.

मरजी से बनाते हैं संबंध

बैंगलुरु की रहने वाली 23 वर्षीय अदिति (बदला हुआ नाम) बताती है कि 3 साल कड़ी मेहनत करने के बाद भी उन की प्रमोशन नहीं हो रही थी तब उसे पता चला कि उस के बौस अपने साथ सैक्स करने वाली लड़कियों का जल्दी प्रमोशन कर देते हैं. कैरियर में जल्दी ग्रोथ पाने के लिए उस ने भी ऐसा ही किया. कैरियर में ग्रोथ पाने के लिए कई मौडल, फैशन डिजाइनर और मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े लड़केलड़कियां अपने बौस, मैनेजर, सीनियर्स के साथ सैक्स करने को तैयार हो जाते हैं. ऐसा उन से कोई जबरदस्ती नहीं करवाता वरन अपनी मरजी से करते हैं.

अदालतों में कई ऐसे केस दर्ज होते हैं जिन में लड़की की उम्र 18 साल से कम होने के कारण उस के बौयफ्रैंड को गिरफ्तार कर लिया जाता है, जबकि ऐसे रिश्ते में सैक्स दोनों की मरजी से होता है. कानूनन सहमति से सैक्स की उम्र 18 साल है. इस का मतलब हुआ कि अगर 18 साल की कम उम्र की लड़की के साथ भले ही उस की सहमति से संबंध बनाए गए हों, तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा. अगर पाक्सो (प्रोटैक्शन औफ चिल्ड्रन फ्रौम सैक्सुअल औफैंस ऐक्ट) इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के लोगों को ‘बच्चा’ माना गया है.

इसी कानून में सहमति से सैक्स की उम्र 18 साल है. अगर 18 साल से कम उम्र की कोई लड़की अपनी सहमति से संबंध बनाती है तो भी उस की सहमति माने नहीं रखती. ऐसे मामलों में लड़के को गिरफ्तार कर लिया जाता है और उन पर रेप का केस चलाया जाता है.

सुख का एहसास

वहीं कई ऐसे भी लोग हैं जो एक पार्टनर के होते हुए किसी दूसरे व्यक्ति के साथ सैक्सुअल रिलेशन रखते हैं. वे इसे गलत नहीं मानते. 2014 में ग्लोबल डेटिंग वैबसाइट एश्ले मैडीसन भारत में लौंच किया गया था. इस वैबसाइट ने भारत में एक सर्वे कराया था. सर्वे में यह बात सामने आई कि 76 फीसदी महिलाएं और 61 फीसदी पुरुष अपने पार्टनर को धोखा देने को गलत नहीं मानते हैं.

जब 2 पार्टनर अपनी सहमति से सैक्स करते हैं तो वह जबरदस्ती नहीं कहलाता. वह यह अपनी खुशी से करते हैं और इस के लिए वे खुद जिम्मेदार हैं. इसे किसी एहसान की तरह देखना गलत होगा. यह एक शारीरिक सुख है जिसे हर व्यक्ति भोगना चाहता है.

इस तरह बनाएंगे संबंध तो मिलेगा डबल मजा

एक अंतरंग संबंध या एक यौन संबंध याने जोड़ों का शारीरिक और भावनात्मक रूप से अच्छी तरह से शामिल होना हो सकता हैं. इसको मुख्यतः प्यार और प्रतिबद्धता के अलावा जुनून और आकर्षण द्वारा निर्धारित किया जाता है.

एक रिश्ते में अंतरंगता जोड़े को भावनात्मक रुप से एक दूसरे सें कितने संलग्न है, यह तय करने में और सुरक्षा की अपनी भावना का निर्धारण करने में मदद करती हैं. इसके अलावा, एक अंतरंग संबंध एकसाथ रहने की इच्छा को केवल शारीरिक स्तर से परे एक भावनात्मक स्तर पर बरकरार रखते हैं. उसमें अपनेपन और स्नेह की भावना होती है.

निम्नलिखित मुद्दों से आपको यह संकल्पना समझने में मदद मिलेगी:

1. जोड़े उनके रिश्ते में अंतरंगता का आनंद लेते है, वह एक दूसरे पर निर्भर हो जाते हैं.

2.  एक अंतरंग संबंध में हमेशा आवश्यकता की पूर्ति की भावना होती है. यह पूर्ताता भावनात्मक, सामाजिक और यौन हो सकती हैं.

3. एक अंतरंग संबंध कभी कभी आकर्षण, मोह, और जुनून के अन्य संकल्पना के साथ उलझ सकता है. अंतरंगता का आनंद ले रहे लोगों को इससे सतर्क होना चाहिये, जिससे वह बादमें दर्द और अविश्वास से बच सकते हैं.

4.  इसके अलावा, एक अंतरंग संबंध हमेशा एक यौन संबंध नहीं हो सकता हैं. एक संतोषप्रद शारीरिक संबंध बनने के लिए एक भावनात्मक रूप से संलग्न होना बहूत जरुरी होता हैं, और इसलिए अंतरंगता को बहुत ज्यादा व्यक्तिगत स्तर पर परिभाषित किया जाता हैं. एक अंतरंग जोड़े अपने साथी की पसंद और नापसंद के बारे में स्वाभाविक रुप से जानते है, और इसलिए साथ रहने का हर अनुभव पूर्ण बनाते हैं.

5. शोधकर्ताओं के अनुसार, एक अंतरंग संबंधों में शामिल व्यक्ति खुद को बेहतर समझने में भी सक्षम होते है, जिससे कारण उनको अपने साथियों से जुड़ा होने के अलावा उनको क्या चाहिए यह पता होता हैं.

मैरिड लाइफ में सैक्स कितना है जरुरी

अंजली के पति अजय को अधिकतर अपने व्यवसाय के सिलसिले में दौरे पर रहना पड़ता है. जब भी वे दौरे से लौटने वाले होते हैं, अंजली को खुशी के बजाय घबराहट होने लगती है क्योंकि लंबे अंतराल के बाद सैक्स के समय उसे दर्द होता है. इस कारण वह इस से बचना चाहती है.

इस मानसिक तनाव के कारण वह अपनी दिनचर्या में भी चिड़चिड़ी होती जा रही है. अजय भी परेशान है कि आखिर क्या वजह है अंजली के बहानों की. क्यों वह दूर होती जा रही है या मेरे शहर से बाहर रहने पर कोई और आ गया है उस के संपर्क में? यदि शारीरिक संबंधों के समय दर्द की शिकायत बनी रही तो दोनों ही इस सुख से वंचित रहेंगे.

दर्द का प्रमुख कारण स्त्री का उत्तेजित न होना हो सकता है. जब वह उत्तेजित हो जाती है तो रक्त का प्रवाह तेज होता है, सांसों की गति तीव्र हो जाती है और उस के अंग में गीलापन आ जाता है. मार्ग लचीला हो जाता है, संबंध आसानी से बन जाता है.

फोरप्ले जरूरी

बगैर फोरप्ले के संबंध बनाना आमतौर पर महिलाओं के लिए पीड़ादायक होता है. फोरप्ले से संबंध की अवधि व आनंद दोनों ही बढ़ जाते हैं. महिलाओं को संबंध के लिए शारीरिक रूप से तैयार होने में थोड़ा समय लगता है. उसे इसे सामान्य बात मानते हुए किसी दवा आदि लेने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए.
यह देखा गया है कि कुछ दवाएं महिलाओं के गीलेपन में रुकावट पैदा करती हैं. इसीलिए सैक्स को भी एक आम खेल की तरह ही लेना चाहिए. जिस तरह खिलाड़ी खेल शुरू करने से पहले अपने शरीर में चुस्ती व गरमी लाने के लिए अभ्यास करते हैं उसी तरह से वार्मअप अभ्यास करते हुए फोरप्ले की शुरुआत करनी चाहिए. पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर इस का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. महिलाओं के शरीर में कुछ बिंदु ऐसे होते हैं जिन्हें हाथों या होंठों के स्पर्श से स्पंदित किया जा सकता है. हलके स्पर्श से सहला कर उन की भावनाओं को जाग्रत किया जा सकता है.

अगर पर्याप्त फोरप्ले के बावजूद गीलापन न हो, उस स्थिति में चिकनाई वाली क्रीम इस्तेमाल की जा सकती है, जो एक प्रकार की जैली होती है. इस को लगाने के बाद कंडोम का प्रयोग करना चाहिए. कुछ कंडोम ऐसे होते हैं जिन के बाहरी हिस्से में चिकना पदार्थ लगा होता है. इस से पुरुष का अंग आसानी से प्रवेश हो जाता है.

चिकनाईयुक्त कंडोम

यहां यह सावधानी बरतने योग्य बात है कि यदि सामान्य कंडोम प्रयोग किया जा रहा हो तो उस स्थिति में तेल आधारित क्रीम का प्रयोग न करें क्योंकि तेल कंडोम में इस्तेमाल की गई रबड़ को कमजोर बना देता है व संबंध के दौरान कंडोम के फट जाने की संभावना बनी रहती है. कई बार कंडोम का प्रयोग करने से योनि में दर्द होता है, जलन या खुजली होने लगती है. इस का प्रमुख कारण कंडोम में प्रयोग होने वाली रबड़ से एलर्जी होना हो सकता है. पुरुषों के ज्यादातर कंडोम रबड़ या लैटेक्स के बने होते हैं.

आमतौर पर एक से दो फीसदी महिलाओं को इस से एलर्जी होती है. वे इस के संपर्क में आने पर बेचैनी, दिल घबराना यहां तक कि सांस रुकने तक की तकलीफ महसूस करती हैं. सो, यदि पति द्वारा इस्तेमाल कंडोम से ये लक्षण दिखाई पड़ें तो बेहतर है उन्हें अपने कंडोम का ब्रैंड बदलने को कहें.

इस का कारण कंडोम के ऊपर शुक्राणुओं को समाप्त करने के लिए जो रसायन लगाया जाता है, वह भी एलर्जी का कारण हो सकता है. सामान्य कंडोम का प्रयोग कर के भी इस एलर्जी से नजात पाई जा सकती है. इस के बावजूद यदि समस्या बनी रहे तो पुरुष कंडोम की जगह पत्नी स्वयं महिलाओं के लिए बनाए गए कंडोम का प्रयोग करे.

महिलाओं के कंडोम रबड़ की जगह पोलीयूरेथेन के बने होते हैं. वैसे बाजार में पुरुषों के लिए पोलीयूरेथेन कंडोम भी उपलब्ध हैं. इन के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि ये आम रबड़ के बने कंडोम की तुलना में कमजोर होते हैं, संबंध के दौरान इन के फटने की आशंका बनी रहती है. यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि संबंध के दौरान कंडोम के प्रयोग से अनेक लाभ होते हैं. इस के कारण अनचाहे गर्भ से छुटकारा मिलता ही है, रोगों के संक्रमण से भी नजात मिल जाती है.

क्या इमोजी बता सकते है कि आपकी दिमाग में है कितना सैक्स

आज के जमाने में वौट्सऐप, फेसबुक या किसी अन्य मेसेजिंग सर्विस के जरिये हम दोस्तों को न सिर्फ संदेश भेजते हैं बल्कि इमोजी भी लगाकर अपनी अपनी भावना प्रकट करते हैं. एक नये रिसर्च के मुताबिक आप मेसेज में कितने इमोजी इस्तेमाल करते हैं ये बता सकता है कि आप सैक्स के बारे में कितना सोचते हैं.

रिसर्च के अनुसार अगर आप कोई भी टेक्स्ट बिना इमोजी (emoji) के नहीं भेजते हैं तो सैक्स आपके दिमाग पर कुछ ज़्यादा हावी हो सकता है. हम आपको बता रहे हैं रिसर्च कैसे किया गया और कैसे निष्कर्ष निकाले गये.

डेटिंग वेबसाइट मैच डौट कौम ने किया है रिसर्च

ये रिसर्च डेटिंग वेबसाइट मैच डौट कौम ने किया है. इसके रिसर्च के मुताबिक वे लोग, जो अपने लगभग हर टेक्स्ट मेसेज में इमोजी का इस्तेमाल करते हैं, उनके दिमाग में ज्यादातर वक्त सैक्स की बातें भरी रहती हैं.

रिसर्च का अहम हिस्सा रही हेलेन फिशर ने बताया कि इमोजी इस्तेमाल करने वाले न केवल अधिक सैक्स करते हैं बल्कि डेट्स खूब करते हैं. इनकी शादी की संभावना भी इमोजी का इस्तेमाल कम या बिल्कुल नहीं करने वाले लोगों की तुलना में दोगुनी होती है.

इन लोगों पर हुआ रिसर्च

25 देशों में 8 अलग-अलग भाषाओं में काम कर रही इस वेबसाइट ने इसके पहले भी एक रिसर्च किया था. इस रिसर्च के मुताबिक सर्वे में शामिल आधे से भी ज़्यादा महिला और पुरुष फ्लर्ट करते समय ‘विंक’ इमोजी का इस्तेमाल करते थे. शोध में यह भी पाया गया कि इस तरह की बातचीत में दूसरी सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली प्रचलित इमोजी ‘स्माइली’ थी.

5000 लोगों पर हुए इस रिसर्च में 36 से 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जो हर मेसेज में एक से अधिक इमोजी का इस्तेमाल करते थे. पाया गया कि ये लोग दिन में कई बार सेक्स के बारे में सोचते थे. वहीं, जो लोग सेक्स के बारे में कभी नहीं सोचते थे, उनके मेसेज में इमोजी का इस्तेमाल ना के बराबर था.

वहीं कई लोग ऐसे भी थे जो सैक्स के बारे में दिन में बस एक बार सोचते थे और इमोजी का इस्तेमाल तो करते थे लेकिन हर मेसेज में नहीं. इस शोध के मुताबिक इस रिसर्च में शामिल 54 प्रतिशत लोग, जो अपने मैसेज में इमोजी का इस्तेमाल करते थे, उन 31 प्रतिशत लोगों की तुलना में अधिक सैक्स करते थे जो इमोजी का इस्तेमाल नहीं किया करते थे.

वहीं एक दूसरी वेबसाइट (DrEd.com) के हाल ही के रिसर्च के अनुसार सेक्शुअली चार्ज्ड इमोजी के तौर पर केले से ज्यादा बैंगन वाली इमोजी का इस्तेमाल किया जाता है. अगर लिंग आधारित आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो महिलाएं केले वाली इमोजी का इस्तेमाल ज्यादा करती हैं और पुरुष बैंगन वाली इमोजी का. वहीं जब बात रोमांस की आती है तो दिल बनी आंखों वाली इमोजी सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है.

शादी की पहली रात ये 7 चीजें करते हैं दूल्हा-दुल्हन

शादी से पहले हर लड़का-लड़की अपनी पहली सुहागरात के बारे में काफी कुछ सोचते हैं. उन्‍हें अपनी शादी से जितनी ज्‍यादा उम्मीदें होती हैं उतनी ही पहली रात के बारे में सोच कर घबराहट भी होती है. पहली रात का मतलब केवल यही नहीं होता कि अपने नए नवेले पति या पत्‍नी के साथ हमबिस्‍तर हो कर गुजारेंगे. अगर आप लोगों के मन में भी यही विचार आतें हैं, तो हम आपको बता दें, कि जरुरी नहीं है कि सबकी सुहागरात ऐसे ही गुजरे.

वे लोग जो शादी से अभी कोसों दूरी पर हैं, उनके मन में सुहागरात के बारे में कई विचार आते हैं. आज हम आपका इंतजार यहीं पर खत्म करते हैं क्‍योंकि हम आपको बताने जा रहें हैं कि भारतीय शादियों में वर-वधु शादी की अपनी पहली रात को क्या करते हैं.

1. थकान की वजह से सो जाते हैं

हमारे भारतीय समाज में शादी के बहुत सारे विधि विधान होते हैं और यह सब ज्यादातर वर-वधू ही करते हैं. जिन्हें करते-करते वे इतना थक जाते हैं कि अपने कमरे में पहुँचते ही वे सोने की तैयारी करते हैं.

2. शादी के कपड़ों और सामान से निजात पाना

शादी के कपड़े काफी भारी होते हैं, फिर चाहे वह लड़के की शेरवानी हो या लड़की का लहंगा. वे दोनों ही यह कपडे काफी देर तक पहने रहते हैं. इसलिए वे जैसे ही अपने कमरे में पहुँचते हैं, तो सब कुछ उतारने लग जाते हैं. लड़के के लिए तो आसान है लेकिन लड़की को सिर्फ अपना लहंगा या गहने ही नहीं उतारने पड़ते हैं, बल्कि उसके जूड़े में लगी ढेर सारी पिन भी निकलनी पड़ती हैं जिसमें लड़का भी मदद करता है.

3. दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों की मजाक मस्‍ती से निपटना

हर नव वर वधू को दोस्तों और चचेरे भाई बहनो के कुछ अनचाहे मज़ाक झेलने पड़ते हैं, जैसे आधी रात फोन करना, घड़ी का अलार्म बजाना और दरवाजा खटखटाना. यह सब पूरी रात चलता रहता है.

4. दिल खोल कर बातें करना

जैसे जैसे शादी का दिन नज़दीक आता है, दोनों लड़का और लड़की अपनी-अपनी तैयारियों में इतना मशरूफ हो जाते हैं, कि उन्हें एक दूसरे से बात भी करने का समय नहीं मिलता है. इसलिए यह देखा गया है कि शादी की पहली रात को दोनों एक दूसरे से दिल खोल कर बात करतें हैं.

5. दुल्हन के उपहारों को खोलना

थोड़ी आश्चर्य की बात तो है लेकिन हैं सच है कि दुल्हन अपने पति के लिए बहुत सारे उपहार लती है और उन्हें दिखने के लिए वे दोनों शादी की पहली रात सारे ही सरे गिफ्ट्स खोल कर देखते हैं.

6. शादी के बारे में बात करते हैं

इतना लंबा समय बिताने के बाद शादी की पहली रात को दोनों अकेले एक साथ होते हैं, और शादी के दुरान गुज़ारे अच्छे पालों को याद करते हैं. एक दूसरे के करीब आने के बजाये वे उन पलों के बारे में बात करते हैं.

7. सेक्स के बारे में सोचना

जो वर वधू शादी की पहली रात को कुछ अनचाहे कारणों से एक दूसरे के करीब ना आ सके, वे आराम से शर्माते हुए सो जाते हैं. अपनी अगली सुबह के इंतज़ार में.

KISS को न करें मिस, होगें ये 9 फायदे

भारत में किस सिर्फ रील लाइफ में ही देखने को मिलता है, रियल लाइफ में नहीं. इस किस सीन को परदे पर देख कर हम खुश तो होते हैं, लेकिन जब इस पर अमल की बात आती है तो खुलेपन की बात तो छोडि़ए, बैडरूम में भी ज्यादातर दंपती एकदूसरे को सपोर्ट नहीं करते हैं. जबकि किस पर हुए कई सर्वे बता चुके हैं कि इस से कोई नुकसान नहीं, बल्कि फायदा ही होता है.

कई महिलाएं और पुरुष अकसर यह बहाने बनाते देखे जा सकते हैं कि सुनो न, आज मन नहीं है बहुत थक गया हूं/गई हूं. कल करेंगे प्लीज. जब आप अपने पार्टनर के साथ चंद प्यार भरे लमहे गुजारना चाहें और ऐसे में आप का पार्टनर कल कह कर बात टाल दे तो आप को बुरा लगना स्वाभाविक है. लेकिन क्या आप ने कभी यह सोचा है कि ऐसा कह कर आप अपना रिश्ता तो खराब नहीं कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो सावधान हो जाएं. बहुत से ऐसे शादीशुदा जोड़े हैं, जो एकदूसरे की फीलिंग्स को इसी तरह हर्ट कर अपना रिश्ता बिगाड़ लेते हैं. सभी को प्यार को ऐक्सप्रैस करने का हक है. ऐसे में पार्टनर जब इस तरह से संबंध को रोकेगाटोकेगा तो इस से न सिर्फ आप का रिश्ता प्रभावित होगा वरन मन में भी खटास आएगी. इतना ही नहीं, ऐसा करना आप के शारीरिक व मानसिक संतुलन पर भी बुरा असर डालेगा. आप को मालूम होना चाहिए कि किस थेरैपी दे कर आप का पार्टनर पल भर में आप की सारी थकान को गायब कर सकता है. इसलिए इसे मना करने से पहले थोड़ा सोच लें. आइए, अब जानें किस की खूबियों को:

रिश्ता मजबूत बनाता है किस:

यह तो हम सभी जानते हैं कि लिपलौक करने से रिश्ता अधिक मजबूत बनता है. एकदूसरे के साथ लिपलौक करने से एकदूसरे के प्रति ऐक्स्ट्रा प्यार का एहसास मिलता है. ऐसा लगता है कि मेरा पार्टनर मुझ से बेहद प्यार करता है. किस करने से औक्सीटौसिन हारमोन बनता है, जो रिश्तों को ज्यादा मजबूत बनाता है.

सैक्सुअल प्लैजर को बढ़ाता है:

सैक्स करने से जहां दिनभर की थकान या किसी भी तरह का तनाव तो कम होता ही है, आप का रिश्ता भी ज्यादा स्ट्रौंग बनता है. लेकिन किसी भी किस के बिना आप की सैक्स ड्राइव अधूरी रहती है. सैक्स से पहले किस आप का सैक्सुअल प्लैजर बढ़ाता है. आसान शब्दों में कहें तो सैक्स करने से पहले अपने पार्टनर के साथ एक किस सैशन जरूर करें. ऐसा करना आप के प्लैजर को न सिर्फ बढ़ावा देगा, बल्कि आप के पार्टनर को भी पूरी तरह से संतुष्ट करेगा.

स्पिट स्वैपिंग भगाए बीमारी:

चुंबन करते समय जब तक स्पिट स्वैपिंग न हो तब तक किस करना बेमानी सा है. किस या लिपलौक करते समय अपने पार्टनर के साथ बेझिझक हो पूरा मजा लें और स्पिट यानी थूक आने पर पोंछें नहीं, बल्कि उस की स्वैपिंग करें, क्योंकि यह कई संक्रमणों को दूर करता है. सैक्स के दौरान किए जाने वाले किस से इम्यूनिटी भी बढ़ती है.

मिलती हैं जहां की खुशियां:

एकदूसरे को बारबार किस करने से पार्टनर की आप के प्रति सैक्स के प्रति इच्छा कितनी है, का भी पता चलता है. ज्यादातर केसेज में अधिकतर महिलाएं सैक्स के प्रति बड़ी रिजर्व रहती हैं. वे पार्टनर क्या सोचेगा सोच कर सैक्स में खुल कर सपोर्ट नहीं कर पातीं. ऐसा करना न सिर्फ आप को सैक्स के प्रति रूखा दिखाएगा, बल्कि आप के पार्टनर को भी जिस्मानी तौर पर संतुष्ट नहीं कराएगा. किस करते वक्त एंडोफिंस नाम का तत्त्व निकलता है जो आप को खुश रखने में मदद करता है. अगर आप टैंशन में हैं या गहन सोचविचार में तो पार्टनर को किस करना आप के लिए दवा का काम करेगा.

दवा का काम करे किसिंग सैशन:

हौट किसिंग सैशन के दौरान आप का शरीर एक ऐड्रेनलीन हारमोन रिलीज करता है, जो किसी भी तरह के दर्द को कम करने में मददगार होता है. अब दर्द को कम करने के लिए भी आप यह सैशन कई बार ट्राई कर सकते हैं. अगर आप के सिर में दर्द है तो लिपलौक जरूर ट्राई करें और इस का असर देखें और फिर इस का कोई साइड इफैक्ट भी नहीं होता है.

तनाव भगाए किस:

दिन के ढलतेढलते इंसान भी काफी थकाथका सा महसूस करने लगता है, इसलिए सिर्फ अपने काम का दबाव या अपने हारमोनल बदलावों को ब्लेम करना गलत होगा. थके होने पर आप घर जा कर बस अपने पार्टनर के साथ एक किस थेरैपी लीजिए. यकीन मानिए, आप की थकान पलक झपकते छूमंतर हो जाएगी और आप फ्रैश महसूस करेंगे. दरअसल, किसिंग करने से कार्टिसोल नामक हारमोन लैवल कम होता है और आप के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है. एंडोक्राइन सिस्टम से दिमाग भी स्वस्थ रहता है.

ऐक्स्ट्रा कैलोरीज करता है कम:

अपनी हैल्थ के प्रति सचेत लोग अपनी अति कैलोरी को कम करने के लिए या तो ट्रेडमिल पर रनिंग करते हैं या फिर डाइट पार्ट फौलो करते हैं. अगर आप कभी जिम जाना भूल जाएं या पार्टी का मौका देख डाइट चार्ट को एक दिन के लिए फौलो न कर पाएं तब भी आप अपने पार्टनर के साथ किसिंग सैशन कर के अपनी कैलोरी बर्न कर सकते हैं. जी हां, जितनी कैलोरी आप की जिम सैशन में कम नहीं होगी उतनी आप की किसिंग सैशन में हो जाएगी. इतना ही नहीं, कैलोरी बर्न करने के अलावा किस करने से आप के चेहरे की भी ऐक्सरसाइज होती है. किस आप की स्किन मसल्स को भी टाइट करता है, जिस से आप दिखेंगे जवांजवां.

ऐलर्जी से छुटकारा:

किस न सिर्फ तनावग्रस्त लोगों को सहज करता है, बल्कि कई बार ऐलर्जी जैसे खुजली आदि होने को भी दूर करता है.

डैंटिस्ट को भी रखे दूर:

किस मुंह, दांतों और मसूड़ों की बीमारी से भी आप को दूर रखता है. मुंह में लार कम बने तो भी किसिंग फायदेमंद हो सकता है.

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