नाजायज संबंध : औनलाइन ज्यादा महफूज

ग्ली डेन एक डेटिंग एप है, जिस का इस्तेमाल देशभर के तकरीबन 20 लाख मर्दऔरतें कर रहे हैं. इस एप की पहुंच और पूछपरख बड़े शहरों से होते हुए अब छोटे शहरों और कसबों तक में होने लगी है. हालांकि अभी यह तादाद बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन बहुत जल्द हो जाएगी, क्योंकि कोई भी नई चीज, प्रोडक्ट, सर्विस या टैक्नोलौजी छोटी जगहों पर देर से पहुंचती है, लेकिन इस में नई या दिलचस्प बात क्या है?

इस सवाल का जवाब बेहद साफ है कि लोग जायज सैक्स के बाद नाजायज रिश्तों के लिए भी एप का सहारा लेने लगे हैं, जबकि आमतौर पर माना यह जाता है कि सैक्स संबंध, फिर वे जायज हों या नाजायज, जानपहचान वालों से ही बनते हैं.

ग्लीडेन एप के अलावा टिंडर, बंबल, ट्रूलीमैडली और लड़कियों द्वारा सब से ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाले डेटिंग एप बू के यूजर्स की कुल तादाद तो करोड़ों में है. इन एप के जरीए यूजर्स दोस्ती कर न केवल रोमांटिक और सैक्सी बातें करते हैं, बल्कि हमबिस्तरी करने के लिए भी पार्टनर ढूंढ़ते हैं.

ग्लीडेन ने हाल में ही जो आंकड़े जारी किए हैं, वे दिलचस्प भी हैं और चिंताजनक भी हैं. एक सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि देश की तकरीबन

77 फीसदी औरतें पति के अलावा भी गैरमर्दों से जिस्मानी ताल्लुक बनाती हैं और इस के लिए एप का सहारा लेती हैं.

मुमकिन है कि ये आंकड़े एक हद तक सच हों, क्योंकि औफलाइन भी अखबारों में ऐसी खबरों की भरमार रहती है, जिन में पत्नी ने प्रेमी के संग मिल कर पति की हत्या कर दी या पति ने पत्नी को बेरहमी से मार डाला और इस काम में माशूका ने उस का साथ दिया. ऐसी वारदात की बड़ी वजह नाजायज संबंधों से परदा उठ जाना या पार्टनर को सैक्स करते रंगेहाथ पकड़ लेना ज्यादा रहती है.

सवाल प्राइवेसी और सेफ्टी का डेटिंग एप इस लिहाज से बेहतर होते हैं कि इन में अपराधों की गुंजाइश कम रहती है, क्योंकि नाजायज संबंध ऐसे मर्द या औरत से बनना रहता है, जिस से कोई पहले से जानपहचान नहीं होती और दोनों का खास लेनादेना नहीं होता.

इस के अलावा ये रिश्ते हर समय नहीं बनते. सौदा मरजी का होता है, जिस में फारिग होते ही औरत व मर्द अपनेअपने रास्ते हो लेते हैं. बाद में या दोबारा सैक्स संबंध बनाना कोई मजबूरी और दबाव की बात नहीं होती, इसलिए पहचाने जाने और बदनामी का डर या खतरा नहीं होता.

औनलाइन हों या औफलाइन, नाजायज संबंध सदियों से बनते रहे हैं और ये कभी खत्म होंगे, इस की कोई गारंटी नहीं. इस सच को हजम करना आसान बात कभी नहीं रही, इसलिए आएदिन झगड़ेफसाद भी होते रहते हैं, जिन पर यह थ्योरी लागू होती है कि पकड़े गए तो बंटाधार, नहीं तो एक जुर्म का होना तय बात है.

कोई पति या पत्नी यह बरदाश्त नहीं कर पाते कि उस का जीवनसाथी बेवफाई करे, क्योंकि इस से उन की गैरत को धक्का लगता है और भरोसा भी टूटता है. साथ ही टूटता है घर और उजड़ती है जमीजमाई गृहस्थी, जिस से एक बड़ा नुकसान बच्चे अगर हों तो उन का होता है, क्योंकि मां या बाप में से कोई एक जेल और दूसरा हमेशा के लिए ऊपर जा चुका होता है.

ऐसा ही गाजियाबाद के फजलगढ़ गांव के बाशिंदे दिनेश कुमार के साथ हुआ था, जिस ने बीती 24 जनवरी को अपनी पत्नी अंजू की हत्या कर उस की लाश खेत में गाड़ दी थी और 30 जनवरी को पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई थी.

लेकिन ठेले पर सब्जी बेच कर गुजारा करने वाला दिनेश कानून के हाथों से बच नहीं सका और 3 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया गया. अब उस के दोनों बच्चे इधरउधर भटक रहे हैं. दिनेश को शक था कि अंजू के कहीं और नाजायज संबंध हैं.

मध्य प्रदेश के धार जिले के ढोलाना गांव में 13 जनवरी, 2023 को राधेश्याम पाटीदार की हत्या उस की ही पत्नी ने अपने प्रेमी मनसुख के साथ मिल कर कर दी थी.

राधेश्याम और मनसुख रिश्तेदार थे, जिस के संबंध राधेश्याम की बीवी से हो गए थे.

छोटी जगहों में ऐसे ताल्लुक ज्यादा छिपे नहीं रहते. लिहाजा, आसपास के तक में गांवों जल्दी ही यह बात फैल गई. राधेश्याम की भोंहें तिरछी होने लगीं, तो इन दोनों ने उसे रास्ते से हटाने के लिए जुर्म कर डाला.

नाजायज संबंधों की कुछ आम वजहें जगजाहिर हैं. मसलन, मियांबीवी में पटरी न बैठना, सैक्स में असंतुष्टि, पैसों की कमी, घर में कलह, जज्बाती लगाव न होना और मियांबीवी का एकदूसरे का ध्यान न रखना.

कई बार महज मौजमस्ती की

गरज से भी ऐसे संबंध बन जाते हैं, लेकिन वजह कोई भी हो, छोटी जगहों में ऐसा होना मुमकिन नहीं होता कि एकाध बार के बाद मुंह मोड़ा जा सके, क्योंकि मनमाफिक सैक्स की लत अकसर औरत और मर्द दोनों को लग जाती है.

चूंकि दोनों का अकसर ही आमनासामना होता रहता है, इसलिए दोनों की सैक्स की तलब फिर सिर उठाने लगती है और वे न चाहते हुए फिसल ही जाते हैं.

नाजायज संबंधों में अपराध और उस में भी हत्या की 90 फीसदी खबरें गांवदेहात या कसबों से ही आती हैं, क्योंकि वहां ये संबंध औफलाइन बनते हैं. खेत, जंगल या सुनसान इलाके इस

के लिए मुफीद होते हैं, लेकिन यह सिलसिला लंबा नहीं चल पाता, भले ही वहां सीसीटीवी न होते हों, लेकिन कोई न कोई, कभी न कभी देख ही लेता है और फिर दबी आवाज में इन की चर्चा चटकारे लेले कर होती है और एक दिन राज खुल ही जाता है.

उलट इस के बड़े शहरों में सहूलियत रहती है. औरत और मर्द हमबिस्तरी के लिए होटल या रिसोर्ट में ज्यादा जाते हैं, जहां बंद कमरे में अपनीअपनी प्यास बुझा कर दोनों अपनेअपने रास्ते हो लेते हैं. नजदीकी या दूर के रिश्ते का कोई फूफा, जीजा, मौसा या मामा वहां नहीं होता, जो हल्ला मचाए. लिहाजा, सारा प्रोग्राम बड़े सुकून और शांति से पूरा हो जाता है.

डेटिंग एप इसीलिए ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं, क्योंकि ये मर्द और औरत दोनों के लिए हिफाजत की गारंटी होते हैं कि बाद में कोई फसाद खड़ा नहीं होगा. संबंध बनाने वालों को इस बात की भी बेफिक्री रहती है कि न तो इस से उन का घर टूटना और न पार्टनर को इस की हवा लगना. हां, खर्च जरूर इस में ज्यादा होता है, लेकिन वह तमाम दुश्वारियों से बचाता भी है, इसलिए कोई इस की परवाह नहीं करता. फिर भी बचें

पकड़े नहीं जाएंगे या अभी तक पकड़े नहीं गए, तो इस का यह मतलब नहीं है कि नाजायज संबंध कोई अच्छी बात है और इन्हें धड़ल्ले से बनाया जाए. यह बहुत बड़ा गुनाह न सही, पर गलती जरूर है. आज नहीं तो कल इस का असर शादीशुदा जिंदगी और गृहस्थी पर पड़ सकता है.

दूसरे, आजकल टैक्नोलौजी के चलते फोटो खींच लेना या वीडियो बना लेना भी आम बात हो गई है, इसलिए ब्लैकमेलिंग का खतरा बना ही रहता है. लोग कितने ही सावधान हो जाएं, सैक्स संबंध बनाते समय लापरवाह हो ही जाते हैं.

अगर पतिपत्नी को एकदूसरे से कोई शिकायत है, तो उन्हें बिना झिझक बताना चाहिए, जिस से वक्त रहते उस का हल निकल सके. मर्दों की नामर्दी और औरत का सैक्स में ठंडापन अब बहुत बड़ी समस्याएं या हौआ नहीं रह गई हैं.

पति और पत्नी एकदूसरे का सहयोग करें, तो इन का इलाज अब मुमकिन है, इसलिए किसी दूसरे से रिश्ता बनाने से पहले एक बार संजीदगी से इस बात पर गौर करना चाहिए कि क्या इस के अलावा अब और कोई रास्ता नहीं.

अगर एक बार कोई रास्ता नजर आ जाएगा, तो न खेतखलिहान में चोरीछिपे जाने की जरूरत रह जाएगी और न ही किसी डेटिंग एप, फेसबुक या ह्वाट्सएप पर चैटिंग की जरूरत रह जाएगी.

इतने समय तक सेक्स करना चाहती हैं महिलाएं

हम सोचते थे कि महिलाएं लंबे समय तक सेक्शुअल गतिविधि चाहती हैं, पर हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि पुरुषों को लगता है कि महिलाएं लंबा सेक्स नहीं चाहतीं.

पीनिस के आकार से लेकर सेक्स के दौरान अपने प्रदर्शन तक-पुरुष होना आसान काम नहीं है. अमेरिका में टार्जन कंडोम द्वारा हाल ही में कराए गए एक सर्वे के नतीजों में सामने आया कि 41 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि वे चाहते हैं कि सेक्स लंबे समय तक चले, जबकि ऐसा चाहनेवाली महिलाओं की संख्या 34 फीसदी ही थी.

अक्सर महिलाएं थोड़े समय के सेक्शुअल इंटरकोर्स से ही खुश रहती हैं, वे इसे लंबा नहीं रखना चाहती हैं, जबकि अधिकतर पुरुष इस प्रक्रिया को लंबा ही रखना चाहते हैं.

म्यूजिशियन गैविन फर्नांडिस स्वीकारते हैं कि वे सेक्स के दौरान अपने प्रदर्शन को लेकर दबाव महसूस करते हैं. ‘‘हमें पता है कि महिलाओं को मल्टीपल ऑर्गैज़्म (कई बार चरम) आ सकते हैं. फिर इस तरह की मान्यताएं भी हैं कि महिलाएं ऑर्गैज़्म का झूठा दिखावा भी करती हैं. ये बातें पुरुषों की मानसिकता को प्रभावित करने के लिए काफ़ी हैं,’’

वे कहते हैं. ‘‘कई बार सेक्शुअल संबंध बनाने के बाद मैं समझ ही नहीं पाता कि मैं अपनी गर्लफ्रेंड को संतुष्ट कर भी पाया हूं या नहीं. मैं चाहता हूं कि उसे संतुष्ट करने के लिए मैं और लंबे समय तक उसका साथ दे सकूं.’’

आनंद को लंबा रखने की चाहत

गैविन जैसे कई और पुरुष हैं. वर्ष 2009 में मेन्स हेल्थ मैग्ज़ीन द्वारा कराए गए सर्वे में पाया गया कि सेक्स के दौरान पुरुष 5 से 10 मिनट तक संयम बनाए रख सकते हैं, पर 71 प्रतिशत पुरुष चाहते हैं कि काश वे इससे कहीं अधिक समय तक ऐसा कर पाते.

जरनल औफ सेक्स मेडिसिन द्वारा कराए गए एक अलग अध्ययन के मुताबिक, वह इंटरकोर्स जो 7 से 13 मिनट के भीतर समाप्त हो जाता है, बेहतरीन माना जाता है. ‘‘कई पुरुष इस बात को लेकर शर्मिंदगी महसूस करते हैं कि वे लंबे समय तक संयम नहीं बनाए रख पाते,’’ कहना है चेन्नई की काउंसलर सुजाता रामकृष्णन का. ‘‘और मैं उन पुरुषों की बात नहीं कर रही हूं, जिन्हें प्रीमैच्योर इजेकुलेशन की समस्या है. सामान्य पुरुष, जिनका सेक्शुअल जीवन अच्छा है, वे भी सेक्स की प्रक्रिया को और लंबा बनाना चाहते हैं. इसकी वजह ये है कि ये पुरुष पौर्न देखते हुए बड़े हुए हैं और सेक्स के बारे में अपनी पिछले पीढ़ी से कहीं ज्यादा बातें करते हैं. ये बातें अब मीडिया में हैं, फिलम्स में हैं, किताबों में भी हैं. आज की महिलाएं भी यह बताने में संकोच महसूस नहीं करतीं कि उन्हें सेक्स के दौरान क्या पसंद है और क्या नापसंद. इस वजह से पुरुषों पर काफी दबाव होता है.’’

फोरप्ले का समय भी तो जोड़िए!

सेक्स एक्सपर्ट डॉ महिंदर वत्स कहते हैं कि यदि कुछ बदलाव किए जाएं तो सेक्स प्रक्रिया को लंबा बनाया जा सकता है. ‘‘हालांकि यूं देखा जाए तो ये बात सिर्फ़ आपकी दिमा़गी सोच पर निर्भर करती है, लेकिन आप सेक्शुअल इंटरकोर्स को थोड़ा लंबा बना सकते हैं,’’ वे कहते हैं. ‘‘क्विकी (झटपट सेक्शुअल संबंध बनाना) अच्छे तो होते हैं, पर हमेशा नहीं. सेक्स को लंबा बनाने के लिए सही समय और अपने शरीर के संकेतों को समझना बहुत जरूरी है. यही कारण है कि फोरप्ले का महत्व उससे कहीं ज्यादा बढ़ जाता है, जितना कि हम सोचते हैं. यदि सेक्शुल प्रक्रिया को लंबा बनाना चाहते हैं तो फोरप्ले का समय भी लंबा होना चाहिए. और लंबे समय तक चलने वाले फोरप्ले से कभी किसी महिला को शिकायत नहीं होती, बल्कि वे इसका आनंद लेती हैं.’’

ऑर्गैज़्म पर ध्यान देने के बजाए सेक्स के दौरान एक-दूसरे के साथ का आनंद उठाना ज़्यादा महत्वपूर्ण है. आप अलग-अलग सेक्शुअल पोज़ीशन्स अपना सकते हैं. अंतिम, लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि इस दौरान पार्टनर्स एक-दूसरे से बातचीत करते रहें. तो अगली बार यदि वे कुछ ऐसा करें, जिससे आपको सुखद अनुभूति हो तो उनकी तारीफ करना बिल्कुल न भूलें.

सेक्स किसी पर कोई एहसान नहीं

ऐसा माना जाता है कि फिजिकल रिलेशन से फिजिकली कनैक्शन होता है. सैक्स किसी भी रिलेशनशिप के लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि इस से पार्टनर एकदूसरे के और ज्यादा करीब आते हैं. इसलिए इसे एक खूबसूरत संबंध कहा जाता है.

कुदरत का तोहफा

परिधि और अंकुश पिछले 1 साल से रिलेशनशिप में हैं. दोनों ही अच्छी कंपनी में जौब करते हैं. अपनी रिलेशन के बारे में वे बताते हैं कि जब से उन के बीच में फिजिकल रिलेशन बना है उन के रिश्ते और अच्छे हुए हैं. परिधि कहती है कि इस के लिए अंकुश ने उन से कोई जोरजबरदस्ती नहीं की. यह दोनों की सहमति से बनाया गया था.

इंसान के लिए सैक्स को सब से ज्यादा सुख देने वाली अनुभूति माना जाता है. महिला और पुरुष दोनों के लिए इस के एहसास और माने अलगअलग होते हैं. हालांकि दोनों ही इस से संतुष्ट होते हैं, लेकिन इसे ले कर उन की सोच अलग होती है. पुरुष इसे तनाव दूर करने का एक जरीया सम झते हैं तो वहीं महिलाओं के लिए यह प्यार और आनंद है.

45 वर्षीय मनोज बताते हैं कि घर की जिम्मेदारी निभातेनिभाते कब उन की शादी की उम्र निकल गई उन्हें पता ही नहीं चला. जब वे आर्थिक रूप से स्ट्रौंग है तो वे अपनी लाइफ जीना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि वे अपने ही औफिस की 28 वर्षीय सेजल (बदला हुआ नाम) के साथ पिछले 8 महीने से रिलेशन में हैं. वे कहते हैं, ‘‘मैं सेजल की हर जरूरत का पूरा खयाल रखता हूं और वह मेरी जरूरत का. हमारे बीच सैक्सुअल रिलेशन भी है और यह दोनों की सहमति से है. न मैं उस की जरूरतों का ध्यान रख कर उस पर एहसान कर रहा हूं और न ही वह मु झ पर. हम बस एकदूसरे का साथ चाहते हैं.’’

बढ़ता है प्रेम

रिलेशनशिप में सैक्स करने का मतलब सिर्फ यौन संतुष्टि पाना ही नहीं होता है बल्कि अपने पार्टनर के साथ एक मजबूत रिश्ता कायम करना व प्यार को बढ़ाना होता है. एक रिसर्च से पता चलता है कि रिलेशनशिप में सैक्स करने से कपल के बीच एक स्वस्थ रिश्ता कायम होता है. इस से रिश्ते के टूटने का खतरा कम हो जाता है.

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट विशाल नेगी कहते हैं कि सैक्स रिश्ते को एक कदम और आगे ले जाता है. रिश्ते में शारीरिक आकर्षण का बहुत महत्त्व है. शुरुआती संबंध बनाने की बात हो या फिर हो प्यार बनाए रखने की बात, सैक्स रिश्ते में एक अहम रोल निभाता है. सैक्स से खुद के बारे में अधिक सकारात्मक धारणा बनती है.

आनंद  का एहसास

योगा इंस्ट्रक्टर कपिल कहते हैं कि जब एक लड़का और लड़की आपसी सहमति से कपल के रूप में एक रिलेशनशिप में आते हैं तो वे अपने प्यार को जाहिर करने के अलगअलग तरीके अपनाते हैं. इन में से ही एक तरीका सैक्स भी है. वे कहते हैं कि इस से न केवल शारीरिक बल्कि भावनात्मक रूप से भी उन्हें आपस में जुड़ाव महसूस होता है.

अपनी राय देते हुए वे कहते हैं कि सैक्स में कोई किसी पर एहसान नहीं करता. यह दोनों के शरीर की न सिर्फ जरूरत है बल्कि यह प्यार को ऐक्सप्रैस करने का एक तरीका है. इस से शरीर हमेशा ऐक्टिव मोड में रहता है.

अहम रोल प्ले करता है

आईटी मैनेजर सारांश कहते हैं कि लाइफ में सैक्स एक अहम रोल प्ले करता है. अगर कोई इसे एहसान के तौर पर लेता है तो वह छोटी सोच का शिकार है. यह किसी पर कोई एहसान नहीं है. यह एक सामूहिक अनुभूति है जो 2 लोगों के बीच प्यार को बढ़ावा देती है.

कुछ लड़कियां ऐसी भी होती हैं जो यह सम झती हैं कि अगर उन का पार्टनर उन के सारे खर्चे उठाएगा तभी वे उन्हें सैक्स का सुख देंगी. ऐसी लड़कियों के बारे में मुक्ता कहती है कि ये लड़कियां अगर फिजिकल रिलेशन बना रही हैं तब भी इस में उन की सहमति है. वे यह रिश्ता अपनी सहमति से बना रही हैं. उन से कोई जोरजबरदस्ती नहीं कर रहा. चाहे वे यह रिश्ता अपनी जरूरत के लिए ही क्यों न बना रही हों.

कानपुर से दिल्ली आ कर पढ़ने वाली 20 वर्षीय जाह्नवी (बदला हुआ नाम) बताती है कि वह एक लड़के के साथ 1 साल से रिलेशनशिप में है. वह बताती है कि वह लड़का उन के सारे खर्चे उठाता है जैसे मोबाइल रिचार्ज, शौपिंग, ब्यूटीपार्लर, ट्रैवल. यहां तक की उस की कालेज की फीस भी और बदले में वह उस के साथ घूमती है, उसे भरपूर प्यार देती है. वह बताती है कि ऐसा कर के वह दोनों की जरूरतें पूरी कर रही है न कि एहसान.

जब प्यार में धोखा मिला

30 वर्षीय दीप्ति (बदला हुआ नाम) बताती है कि अपने ऐक्स से धोखा खाने के बाद वह डिप्रैशन में चली गई थी. इस से निकलने के लिए वह डेंटिग साइट ‘टिंडर’ के जरीए लोगों से मिलने लगी. एक दिन ऐसे ही उस की मुलाकात 29 वर्षीय संकल्प से हुई. चूंकि संकल्प अच्छी बौडी के साथसाथ एक अमीर परिवार से भी था, इसलिए दीप्ति उस से प्रभावित हुए बिना न रह पाई.

दोनों की सहमति के बाद उन्होंने शारीरिक संबंध बनाए. दीप्ति कहती हैं कि हम दोनों अडर्ल्ट हैं और यह हमारी सहमति से बनाया गया रिश्ता था. इसलिए इसे किसी भी तरह गलत नहीं कहा जा सकता है.

एक आंकडे के अनुसार, दुनियाभर में लोकप्रिय डेंटिग ऐप टिंडर के 2021 में 9.6 मिलियन ग्राहक थे. इस के 75 मिलियन मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं. टिंडर ने 2021 में 1.6 बिलियन कमाया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 17% अधिक था. टिंडर के 60% उपयोगकर्ता 35 वर्ष से कम आयु के हैं. इस के तीनचौथाई उपयोगकर्ता पुरुष हैं, लेकिन महिलाएं भी बड़ी संख्या में इस में शामिल हैं.

इसी तरह बंबल और ट्रूली मैडली डेटिंग ऐप्स भारत में सब से लोकप्रिय डेटिंग ऐप्स में से हैं. इन के अलावा फेसबुक ने भी डेटिंग के लिए अलग से सुविधा दी है. ही ही, हैपन, दिलमिल, मैच डौट कौम जैसे डेटिंग ऐप पर भी युवा बड़ी संख्या में रोमांस कर रहे हैं.

इन दिनों शुगर डैडी का एक कौंसपर्ट चलन में है. इस का प्रभाव पश्चिमी देशों में ज्यादा है. इस में एक अमीर बूढ़ा व्यक्ति उस के साथ डेट करने वाली महिला को महंगे गिफ्ट देता है. बदले में वह उस का अकेलापन दूर करती है. इस में सैक्स संबंध भी शामिल है.

मरजी से बनाते हैं संबंध

बैंगलुरु की रहने वाली 23 वर्षीय अदिति (बदला हुआ नाम) बताती है कि 3 साल कड़ी मेहनत करने के बाद भी उन की प्रमोशन नहीं हो रही थी तब उसे पता चला कि उस के बौस अपने साथ सैक्स करने वाली लड़कियों का जल्दी प्रमोशन कर देते हैं. कैरियर में जल्दी ग्रोथ पाने के लिए उस ने भी ऐसा ही किया. कैरियर में ग्रोथ पाने के लिए कई मौडल, फैशन डिजाइनर और मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े लड़केलड़कियां अपने बौस, मैनेजर, सीनियर्स के साथ सैक्स करने को तैयार हो जाते हैं. ऐसा उन से कोई जबरदस्ती नहीं करवाता वरन अपनी मरजी से करते हैं.

अदालतों में कई ऐसे केस दर्ज होते हैं जिन में लड़की की उम्र 18 साल से कम होने के कारण उस के बौयफ्रैंड को गिरफ्तार कर लिया जाता है, जबकि ऐसे रिश्ते में सैक्स दोनों की मरजी से होता है. कानूनन सहमति से सैक्स की उम्र 18 साल है. इस का मतलब हुआ कि अगर 18 साल की कम उम्र की लड़की के साथ भले ही उस की सहमति से संबंध बनाए गए हों, तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा. अगर पाक्सो (प्रोटैक्शन औफ चिल्ड्रन फ्रौम सैक्सुअल औफैंस ऐक्ट) इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के लोगों को ‘बच्चा’ माना गया है.

इसी कानून में सहमति से सैक्स की उम्र 18 साल है. अगर 18 साल से कम उम्र की कोई लड़की अपनी सहमति से संबंध बनाती है तो भी उस की सहमति माने नहीं रखती. ऐसे मामलों में लड़के को गिरफ्तार कर लिया जाता है और उन पर रेप का केस चलाया जाता है.

सुख का एहसास

वहीं कई ऐसे भी लोग हैं जो एक पार्टनर के होते हुए किसी दूसरे व्यक्ति के साथ सैक्सुअल रिलेशन रखते हैं. वे इसे गलत नहीं मानते. 2014 में ग्लोबल डेटिंग वैबसाइट एश्ले मैडीसन भारत में लौंच किया गया था. इस वैबसाइट ने भारत में एक सर्वे कराया था. सर्वे में यह बात सामने आई कि 76 फीसदी महिलाएं और 61 फीसदी पुरुष अपने पार्टनर को धोखा देने को गलत नहीं मानते हैं.

जब 2 पार्टनर अपनी सहमति से सैक्स करते हैं तो वह जबरदस्ती नहीं कहलाता. वह यह अपनी खुशी से करते हैं और इस के लिए वे खुद जिम्मेदार हैं. इसे किसी एहसान की तरह देखना गलत होगा. यह एक शारीरिक सुख है जिसे हर व्यक्ति भोगना चाहता है.

इस तरह बनाएंगे संबंध तो मिलेगा डबल मजा

एक अंतरंग संबंध या एक यौन संबंध याने जोड़ों का शारीरिक और भावनात्मक रूप से अच्छी तरह से शामिल होना हो सकता हैं. इसको मुख्यतः प्यार और प्रतिबद्धता के अलावा जुनून और आकर्षण द्वारा निर्धारित किया जाता है.

एक रिश्ते में अंतरंगता जोड़े को भावनात्मक रुप से एक दूसरे सें कितने संलग्न है, यह तय करने में और सुरक्षा की अपनी भावना का निर्धारण करने में मदद करती हैं. इसके अलावा, एक अंतरंग संबंध एकसाथ रहने की इच्छा को केवल शारीरिक स्तर से परे एक भावनात्मक स्तर पर बरकरार रखते हैं. उसमें अपनेपन और स्नेह की भावना होती है.

निम्नलिखित मुद्दों से आपको यह संकल्पना समझने में मदद मिलेगी:

1. जोड़े उनके रिश्ते में अंतरंगता का आनंद लेते है, वह एक दूसरे पर निर्भर हो जाते हैं.

2.  एक अंतरंग संबंध में हमेशा आवश्यकता की पूर्ति की भावना होती है. यह पूर्ताता भावनात्मक, सामाजिक और यौन हो सकती हैं.

3. एक अंतरंग संबंध कभी कभी आकर्षण, मोह, और जुनून के अन्य संकल्पना के साथ उलझ सकता है. अंतरंगता का आनंद ले रहे लोगों को इससे सतर्क होना चाहिये, जिससे वह बादमें दर्द और अविश्वास से बच सकते हैं.

4.  इसके अलावा, एक अंतरंग संबंध हमेशा एक यौन संबंध नहीं हो सकता हैं. एक संतोषप्रद शारीरिक संबंध बनने के लिए एक भावनात्मक रूप से संलग्न होना बहूत जरुरी होता हैं, और इसलिए अंतरंगता को बहुत ज्यादा व्यक्तिगत स्तर पर परिभाषित किया जाता हैं. एक अंतरंग जोड़े अपने साथी की पसंद और नापसंद के बारे में स्वाभाविक रुप से जानते है, और इसलिए साथ रहने का हर अनुभव पूर्ण बनाते हैं.

5. शोधकर्ताओं के अनुसार, एक अंतरंग संबंधों में शामिल व्यक्ति खुद को बेहतर समझने में भी सक्षम होते है, जिससे कारण उनको अपने साथियों से जुड़ा होने के अलावा उनको क्या चाहिए यह पता होता हैं.

मैरिड लाइफ में सैक्स कितना है जरुरी

अंजली के पति अजय को अधिकतर अपने व्यवसाय के सिलसिले में दौरे पर रहना पड़ता है. जब भी वे दौरे से लौटने वाले होते हैं, अंजली को खुशी के बजाय घबराहट होने लगती है क्योंकि लंबे अंतराल के बाद सैक्स के समय उसे दर्द होता है. इस कारण वह इस से बचना चाहती है.

इस मानसिक तनाव के कारण वह अपनी दिनचर्या में भी चिड़चिड़ी होती जा रही है. अजय भी परेशान है कि आखिर क्या वजह है अंजली के बहानों की. क्यों वह दूर होती जा रही है या मेरे शहर से बाहर रहने पर कोई और आ गया है उस के संपर्क में? यदि शारीरिक संबंधों के समय दर्द की शिकायत बनी रही तो दोनों ही इस सुख से वंचित रहेंगे.

दर्द का प्रमुख कारण स्त्री का उत्तेजित न होना हो सकता है. जब वह उत्तेजित हो जाती है तो रक्त का प्रवाह तेज होता है, सांसों की गति तीव्र हो जाती है और उस के अंग में गीलापन आ जाता है. मार्ग लचीला हो जाता है, संबंध आसानी से बन जाता है.

फोरप्ले जरूरी

बगैर फोरप्ले के संबंध बनाना आमतौर पर महिलाओं के लिए पीड़ादायक होता है. फोरप्ले से संबंध की अवधि व आनंद दोनों ही बढ़ जाते हैं. महिलाओं को संबंध के लिए शारीरिक रूप से तैयार होने में थोड़ा समय लगता है. उसे इसे सामान्य बात मानते हुए किसी दवा आदि लेने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए.
यह देखा गया है कि कुछ दवाएं महिलाओं के गीलेपन में रुकावट पैदा करती हैं. इसीलिए सैक्स को भी एक आम खेल की तरह ही लेना चाहिए. जिस तरह खिलाड़ी खेल शुरू करने से पहले अपने शरीर में चुस्ती व गरमी लाने के लिए अभ्यास करते हैं उसी तरह से वार्मअप अभ्यास करते हुए फोरप्ले की शुरुआत करनी चाहिए. पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर इस का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. महिलाओं के शरीर में कुछ बिंदु ऐसे होते हैं जिन्हें हाथों या होंठों के स्पर्श से स्पंदित किया जा सकता है. हलके स्पर्श से सहला कर उन की भावनाओं को जाग्रत किया जा सकता है.

अगर पर्याप्त फोरप्ले के बावजूद गीलापन न हो, उस स्थिति में चिकनाई वाली क्रीम इस्तेमाल की जा सकती है, जो एक प्रकार की जैली होती है. इस को लगाने के बाद कंडोम का प्रयोग करना चाहिए. कुछ कंडोम ऐसे होते हैं जिन के बाहरी हिस्से में चिकना पदार्थ लगा होता है. इस से पुरुष का अंग आसानी से प्रवेश हो जाता है.

चिकनाईयुक्त कंडोम

यहां यह सावधानी बरतने योग्य बात है कि यदि सामान्य कंडोम प्रयोग किया जा रहा हो तो उस स्थिति में तेल आधारित क्रीम का प्रयोग न करें क्योंकि तेल कंडोम में इस्तेमाल की गई रबड़ को कमजोर बना देता है व संबंध के दौरान कंडोम के फट जाने की संभावना बनी रहती है. कई बार कंडोम का प्रयोग करने से योनि में दर्द होता है, जलन या खुजली होने लगती है. इस का प्रमुख कारण कंडोम में प्रयोग होने वाली रबड़ से एलर्जी होना हो सकता है. पुरुषों के ज्यादातर कंडोम रबड़ या लैटेक्स के बने होते हैं.

आमतौर पर एक से दो फीसदी महिलाओं को इस से एलर्जी होती है. वे इस के संपर्क में आने पर बेचैनी, दिल घबराना यहां तक कि सांस रुकने तक की तकलीफ महसूस करती हैं. सो, यदि पति द्वारा इस्तेमाल कंडोम से ये लक्षण दिखाई पड़ें तो बेहतर है उन्हें अपने कंडोम का ब्रैंड बदलने को कहें.

इस का कारण कंडोम के ऊपर शुक्राणुओं को समाप्त करने के लिए जो रसायन लगाया जाता है, वह भी एलर्जी का कारण हो सकता है. सामान्य कंडोम का प्रयोग कर के भी इस एलर्जी से नजात पाई जा सकती है. इस के बावजूद यदि समस्या बनी रहे तो पुरुष कंडोम की जगह पत्नी स्वयं महिलाओं के लिए बनाए गए कंडोम का प्रयोग करे.

महिलाओं के कंडोम रबड़ की जगह पोलीयूरेथेन के बने होते हैं. वैसे बाजार में पुरुषों के लिए पोलीयूरेथेन कंडोम भी उपलब्ध हैं. इन के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि ये आम रबड़ के बने कंडोम की तुलना में कमजोर होते हैं, संबंध के दौरान इन के फटने की आशंका बनी रहती है. यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि संबंध के दौरान कंडोम के प्रयोग से अनेक लाभ होते हैं. इस के कारण अनचाहे गर्भ से छुटकारा मिलता ही है, रोगों के संक्रमण से भी नजात मिल जाती है.

क्या इमोजी बता सकते है कि आपकी दिमाग में है कितना सैक्स

आज के जमाने में वौट्सऐप, फेसबुक या किसी अन्य मेसेजिंग सर्विस के जरिये हम दोस्तों को न सिर्फ संदेश भेजते हैं बल्कि इमोजी भी लगाकर अपनी अपनी भावना प्रकट करते हैं. एक नये रिसर्च के मुताबिक आप मेसेज में कितने इमोजी इस्तेमाल करते हैं ये बता सकता है कि आप सैक्स के बारे में कितना सोचते हैं.

रिसर्च के अनुसार अगर आप कोई भी टेक्स्ट बिना इमोजी (emoji) के नहीं भेजते हैं तो सैक्स आपके दिमाग पर कुछ ज़्यादा हावी हो सकता है. हम आपको बता रहे हैं रिसर्च कैसे किया गया और कैसे निष्कर्ष निकाले गये.

डेटिंग वेबसाइट मैच डौट कौम ने किया है रिसर्च

ये रिसर्च डेटिंग वेबसाइट मैच डौट कौम ने किया है. इसके रिसर्च के मुताबिक वे लोग, जो अपने लगभग हर टेक्स्ट मेसेज में इमोजी का इस्तेमाल करते हैं, उनके दिमाग में ज्यादातर वक्त सैक्स की बातें भरी रहती हैं.

रिसर्च का अहम हिस्सा रही हेलेन फिशर ने बताया कि इमोजी इस्तेमाल करने वाले न केवल अधिक सैक्स करते हैं बल्कि डेट्स खूब करते हैं. इनकी शादी की संभावना भी इमोजी का इस्तेमाल कम या बिल्कुल नहीं करने वाले लोगों की तुलना में दोगुनी होती है.

इन लोगों पर हुआ रिसर्च

25 देशों में 8 अलग-अलग भाषाओं में काम कर रही इस वेबसाइट ने इसके पहले भी एक रिसर्च किया था. इस रिसर्च के मुताबिक सर्वे में शामिल आधे से भी ज़्यादा महिला और पुरुष फ्लर्ट करते समय ‘विंक’ इमोजी का इस्तेमाल करते थे. शोध में यह भी पाया गया कि इस तरह की बातचीत में दूसरी सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली प्रचलित इमोजी ‘स्माइली’ थी.

5000 लोगों पर हुए इस रिसर्च में 36 से 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जो हर मेसेज में एक से अधिक इमोजी का इस्तेमाल करते थे. पाया गया कि ये लोग दिन में कई बार सेक्स के बारे में सोचते थे. वहीं, जो लोग सेक्स के बारे में कभी नहीं सोचते थे, उनके मेसेज में इमोजी का इस्तेमाल ना के बराबर था.

वहीं कई लोग ऐसे भी थे जो सैक्स के बारे में दिन में बस एक बार सोचते थे और इमोजी का इस्तेमाल तो करते थे लेकिन हर मेसेज में नहीं. इस शोध के मुताबिक इस रिसर्च में शामिल 54 प्रतिशत लोग, जो अपने मैसेज में इमोजी का इस्तेमाल करते थे, उन 31 प्रतिशत लोगों की तुलना में अधिक सैक्स करते थे जो इमोजी का इस्तेमाल नहीं किया करते थे.

वहीं एक दूसरी वेबसाइट (DrEd.com) के हाल ही के रिसर्च के अनुसार सेक्शुअली चार्ज्ड इमोजी के तौर पर केले से ज्यादा बैंगन वाली इमोजी का इस्तेमाल किया जाता है. अगर लिंग आधारित आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो महिलाएं केले वाली इमोजी का इस्तेमाल ज्यादा करती हैं और पुरुष बैंगन वाली इमोजी का. वहीं जब बात रोमांस की आती है तो दिल बनी आंखों वाली इमोजी सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है.

होटल में सैक्स से मिलता है चरम सुख

पार्टनर के बीच प्यार,बातें और हर चीज शेयर हो लेकिन शारिरीक सुख न हो तो पार्टनर एक दूसरे से परेशान होने लगते है. दो पार्टनर के लिए ये जरूरी है कि उन्हे सैक्स का आनंद जरुर मिले. जिसके लिए वे कभी या कभी गार्डन या होटलों में सैक्स करना पसंद करते है लेकिन कहां कब ज्यादा सुख मिल सकता है इस बात की जानकारी इस आर्टिकल में देंगे.

जी हां, सुनकर आपको हैरानी हो लेंकिन पार्ट्नर्स को सैक्स का सुख होटल के कमरे में मिलता है. अक्सर लोग महसूस करते हैं कि होटल के कमरे में अपने साथी के साथ बनाया गया सैक्स संबंध घर के बेडरूम की तुलना में ज्यादा आनंददायक और संतुष्टि भरा होता है. यह किसी एक या दो व्यक्ति की सोच नहीं है, बल्कि 11 देशों में 2,200 लोगों पर किए गए शोध के दौरान यह बात सामने आई थी.

निष्कर्ष के मुताबिक, अधिकांश लोगों का जवाब था कि होटल में बनाए गए सेक्सुअल रिलेशन की अवधि घर की अपेक्षा काफी ज्यादा लगभग 25 से 49 मिनट के बीच रही. और यही नहीं, तीन में से एक के मुताबिक, घर की तुलना में होटल में सैक्स के दौरान उन्हें चरम सुख मिला.

इस शोध में कनाडा और ओस्ट्रेलियाई लोगों का पता चला कि वे घर से ज्यादा होटल में सैक्स रिलेशन बनाना पसंद करते है. उनकी सैक्स पावर भी घर के रुम से ज्यादा लिमिटेड टाइम पर होती है. जिससे वे सैक्स का भरपूर आनंद ले पाते ैहै.

ऐसा भारत देश में भी है ज्वाइंट फैमिली, सिंगल फैमिली होते है औरत और मर्द संबंध बनाने के लिए रात को इंतजार करते है और एक समय निधारित करते है इससे आप एक कंट्रोल में आ जाते है जबकि सैक्स एक प्राकृतिक एनर्जी की तरह काम करती है जो किसी भी वक्त हो सकती है.

घर का माहौल ही पारिवारिक होता है जहां बच्चा बूढ़ा सभी होते है तो सैक्स का अच्छा समय बाहर रूमे में करना होता है. इससे सैक्स में फोकस भी बना रहता है और आप अपने पार्टनर के साथ अच्छे से सैक्स भी कर सकते है. इससे आपको सैक्स में सुख मिलेगा और सैक्स के बाद होने वाली खुशी भी मिलेंगी. इसके साथ ही आप कुछ रोमांटिक पोज भी ट्राएं कर सकते है.

  • बटरफ्लाई सैक्स पोजीशन
  • डौगी स्टाइल
  • स्टैंडिंग अप

होटल का माहौल

सैक्स ड्राइव का मजा लेने के लिए होटल का माहौल बहुत ज्यादा मायने रखता है. आरामदायक बिस्तर , धीमी सी लाइट किसी को भी उत्साहित करने के लिए काफी है. होटल के कमरे में मिनीबार वहां का एक और आकर्षण हो सकता है जो आपके प्रवास के दौरान यौन कामेच्छा को बढ़ाएगा.

महिलाओं और पुरुषों के ये अंग छुने से सैक्स में होते है उत्तेजित

सेक्स सभी के जीवन का एक महत्पूर्ण हिस्सा है. लेकिन इसको करने के तरीके अलग-अलग होते हैं. अक्सर देखा जाता है कि सेक्स के दौरान महिला को उत्तेजित होने में अधिक समय लगता है. वहीं दूसरी ओर पुरुष साथी जल्द उत्तेजित हो जाते हैं. ऐसे में महिलाएं सेक्स का पूरा आनंद नहीं उठा पाती हैं. लेकिन व्यक्ति के शरीर में कुछ अंग ऐसे होते हैं, जहां पर छूने से शरीर में उत्तेजना शुरू हो जाती है.

महिलाओं को उत्तेजित करने के लिए पुरुष फोरप्ले आदि तरीकों को सहारा लेते हैं. यदि पुरुषों के द्वारा फोरप्ले करते समय इन अंगों पर ध्यान दिया जाए, तो महिलाएं जल्द ही उत्तेजना के शिखर पर पहुंचकर और्गेज्म और चरम सुख को पा लेती हैं. उत्तेजना करने वाले यह अंग महिला व पुरुषों में दोनों में होते हैं. आगे आपको इन्हीं अंगों के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है.

  1. उत्तेजित करने वाले अंग का क्या मतलब है

सेक्स से पूर्व महिलाओं व पुरुषों में उत्तेजना होती है. उत्तेजना के आधार पर ही महिला और पुरुष सेक्स के आनंद को ले पाते है. जब महिला और पुरुष सेक्स के लिए शारीरिक और मानसिक रुप से तैयार होते हैं तो उन दोनों के शरीर में उत्तेजना होना शुरु हो जाती है. आपको बता दें कि व्यक्ति के शरीर के कुछ अंग ऐसे भी होते हैं जिनको छूने या सहलाने मात्र से शरीर में उत्तेजना शुरु हो जाती है.

महिलाओं व पुरुषों के शरीर के इन अंगों के बारे में आप सभी को पता होना बेहद जरूरी है. इससे आप सभी सेक्स के आनंद को पूरी तरह से महसूस कर पाएंगे. तो आइये जानते हैं, महिलाओं व पुरुषों के इन विशेष अंगों के बारे में.

2. महिलाओं को उत्तेजित करने के तरीके

महिलाओं को उत्तेजित करने के लिए फोरप्ले एक बेहतर तारीका है. सेक्स से पूर्व महिलाओं को उत्तेजित करने की क्रिया को फोरप्ले कहा जाता है. फोरप्ले के दौरान यदि आप महिला को उत्तेजित करने वाले अंगों पर ध्यान देते हैं, तो इससे आप दोनों ही सेक्स का भरपूर आनंद ले पाते हैं. तो आइये जानते हैं कि महिलाओं के शरीर में मौजूद ये कौन से अंग हैं और इनसे किस तरह से महिला को उत्तेजित किया जा सकता है.

3. महिलाओं को उत्तेजित करने के लिए करें कानों में हरकत

कान को अति संवेदनशील माना जाता है. कानों को ऐसा इसीलिए कहा जाता है, क्योंकि इनके पास से कई नसें गुजरती हैं. लड़की या महिला के कानों के पीछे किस (चुंबन) करने या इस जगह पर प्यार से हल्का काटने से वह उत्तेजित हो जाती हैं. इसके अलावा अपनी अंगुलियों को धीरे-धीरे कान के पीछे घुमाने से भी लड़की के अंदर उत्तेजना जागृत हो जाती है.

4. महिलाओं को उत्तेजित करने में गर्दन की भूमिका

आप सोच रहें होंगे गर्दन से महिलाएं कैसे उत्तेजित होती होंगी, तो आपको बता दें कि कई सर्वे इस बात को साबित कर चुकें हैं कि महिलाओं के गर्दन के पीछे किस करने से या उसको प्यार से सहलाने से, उनमें जल्द ही उत्तजेना होना शुरू हो जाती है. एक अध्ययन में इस बात का पता चला कि गर्दन पर बेहद हल्के हाथ से छूने या सहलाने से महिलाओं में उत्तेजना होने लगती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गर्दन की त्वचा संवेदनशील होती है.

5. होठों पर किस करने से भी महिलाएं होती हैं उत्तेजित

किस (चुंबन) को लेकर कई तरह के शोध हो चुके हैं. विशेषज्ञों ने इसके फायदे और नुकसान दोनों ही बातों को उजागर किया है. लेकिन यह बात सही है कि किस करने से प्यार बढ़ता है. इसके साथ ही रिश्ते में नजदीकियां भी बढ़ती है. अध्ययन इस बात को बताते हैं कि महिलाओं व लड़कियों के होंठ उनमें तीव्र उत्तेजना जगाने वाली जगह है. इस पर किस करने से लड़कियों व महिलाओं में उत्तेजना के स्तर में वृद्धि होती है.

6. ब्रेस्ट (स्तन) और निप्पल से जल्द उत्तेजित होती हैं महिलाएं

लड़कियों व महिलाओं के ब्रेस्ट (स्तनों) और निप्पल को छूना मर्दों को अच्छा लगता है और यह दोनों महिलाओं में उत्तेजना बढ़ाने वाले अंग माने जाते हैं. स्तनों पर किस करना और उनको प्यार से सहलाना लड़कियों के अंदर उत्तेजना बढ़ाने का काम करता है. इसके साथ ही निप्पल पर जीभ लगाना व चुबंन करना भी उत्तेजना जागृत करता है. निप्पल पर दांतों से हल्का काटना भी महिलाओं के शरीर में तेजी से प्रतिक्रिया करता है. स्तनों व निप्पल से कई नसें मस्तिष्क तक जुड़ी होती हैं जिनके छूने से मस्तिष्क को संकेत मिलना शुरु हो जाते हैं और लड़की या महिला में उत्तेजना होना शुरु हो जाती है.

7. पेट का निचला हिस्सा है उत्तेजना का केंद्र

पेट का निचला हिस्सा (Cervix) भी उत्तेजित करने वाली जगहों में शामिल हैं. योनि से ऊपर और पेट के नीचे के भाग को छूने या चुंबन करने से महिला उत्तेजति होने लगती है. योनि की कई नसें इस भाग से होकर गुजरती हैं, इन नसों से ही योनि में सक्रियता आती है. महिलाओं पर हुए अध्ययन भी इस बात को साबित कर चुकें हैं कि सेक्स से पूर्व यदि इस अंग पर पुरुषों द्वारा ध्यान दिया जाए तो महिला सेक्स में चरम आनंद को आसानी से महसूस कर पाती है. (और पढ़ें – सेक्स के दौरान ऐंठन होने का कारण)

8. भगशेफ या क्लिटोरिस को छूने से महिलाओं में होती है उत्तेजना

भगशेफ या क्लिटोरिस (Clitoris; योनि के ऊपर का उभरा हुआ भाग) महिला को उत्तेजित करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. कई रिसर्च इस बात को बताती हैं कि भगशेफ महिलाओं को उत्तेजित करने और उनको और्गेज्म तक आसानी से पहुंचाने का काम करता है. इस अंग पर दबाव डालने व कंपन करने से महिलाओं में उत्तेजना शुरू हो जाती है. जबकि कुछ रिसर्च यह भी कहते हैं कि इस भाग को हल्के छूने मात्र से भी महिलाओं में उत्तेजना होने लगती है.

9. योनि से होती है महिलाओं में उत्तेजना

ऐसा माना जाता है कि महिलाओं की योनि के अंदर जी-स्पौट होता है. इसको महिलाओं की पूर्ण संतुष्टि प्रदान करने वाला अंग माना जाता है. लेकिन कई विशेषज्ञ इसकी उपस्थिति को नकारते भी है. जबकि कई लोगों द्वारा महिलाओं में अधिक उत्तेजना और और्गेज्म के लिए इसे जरूरी समझा जाता है. इसके अलावा योनि के बाहरी भाग को हल्के हाथों से छूने से महिलाओं में उत्तेजना होने लगती है.

10. पुरुषों में उत्तेजना को बढ़ाने वाले अंग

जिस तरह के कुछ अंग महिलाओं की उत्तेजना को बढ़ाते हैं, ठीक उसी तरह से कई अंगों द्वारा पुरुषों की उत्तेजना के स्तर में भी बढ़ोतरी की जा सकती है. वैसे महिलाओं की अपेक्षा पुरुष जल्द ही उत्तेजित हो जाते हैं. लेकिन फिर भी महिलाओं को पुरुषों को उत्तेजित करने वाले इन अंगों के बारे में पता होना चाहिए. ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि कभी महिलाओं का मन सेक्स करने का हुआ और पुरुष किसी वजह से इसमें शामिल नहीं होना चाहते, तो महिलाएं इन अंगों की सहायता से पुरुषों को उत्तेजित कर सकती हैं. तो आइये जानते हैं पुरुषों के इन विशेष अंगों के बारे में.

  •  कान महिलाओं की तरह ही कान पुरुषों में भी उत्तेजना बढ़ाने वाला अंग माना जाता है. पुरुषों के संवेदनशील अंगों पर चर्चा की जाए तो अंडकोष के बाद कान ही दूसरे नंबर पर उत्तेजना को बढ़ाने वाला अंग कहा जा सकता है. कान से मस्तिष्क तक कई नसें गुजरती है. इन नसों से ही मस्तिष्क तक उत्तेजना के संकेत पहुंचते हैं.
  •  किस करना –पुरुषों को उत्तेजित करने के लिए महिलाएं उनके होठों पर किस करें. किस करने के भी कई तरीके होते हैं, इसके लिए महिलाओं को साथी पुरुष के होठों पर हल्के से किस करते हुए अपने होठों को उनके होठों पर थोड़ी देर तक रखना होगा. किस करने से शरीर में कई तरह के बदलाव होना शुरू हो जाते हैं. किस करने से शरीर के अंदर ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन स्त्रावित होने लगता है. इस हार्मोन को प्यार की भावना को जागृत करने वाला हार्मोन कहा जाता है.
  •  निप्पल बेशक पुरुषों के निप्पल में महिलाओं के निप्पल की तरह उभार न हो, लेकिन इस अंग को बेकार समझना आपकी भूल होगी. पुरुषों के निप्पल में भी कई तरह की नसें जुड़ी होती है. कई महिलाओं को पुरुषों के इस उत्तेजित करने वाले अंग के बारे में पता भी नहीं होता, लेकिन इसको छूने और जीभ लगाने से पुरुषों में उत्तेजना तेजी से बढ़ने लगती है.
  • लिंग इस बात को अधिकतर महिलाएं जानती ही होंगी कि लिंग पुरुषों को उत्तेजित करने का एक महत्पूर्ण अंग है. इस विषय पर हुए सर्वे और रिसर्च से पता चलता है कि पुरुषों को यौन संतुष्टि के लिए लिंग से उत्तेजित किया जा सकता है. आपको बता दें कि खतना होने से पुरुषों की उत्तेजना में किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ता है.
  • अंडकोष पुरुषों के जननांग के ठीक नीचे अंडकोष होते हैं. इसको छूने या सहलाने से पुरुषों में उत्तेजना का स्तर बढ़ जाता है. इसको यौन उत्तेजना व यौन संतुष्टि प्रदान करने वाला अंग माना जाता है. ऐसा इसलिए भी होता है, क्योंकि अंडकोष से पुरुषों के लिंग व सेक्स में हार्मोन व वीर्य स्त्रावित करने वाले कई अंगों की नसों का जुड़ाव होता है.

शादी की पहली रात ये 7 चीजें करते हैं दूल्हा-दुल्हन

शादी से पहले हर लड़का-लड़की अपनी पहली सुहागरात के बारे में काफी कुछ सोचते हैं. उन्‍हें अपनी शादी से जितनी ज्‍यादा उम्मीदें होती हैं उतनी ही पहली रात के बारे में सोच कर घबराहट भी होती है. पहली रात का मतलब केवल यही नहीं होता कि अपने नए नवेले पति या पत्‍नी के साथ हमबिस्‍तर हो कर गुजारेंगे. अगर आप लोगों के मन में भी यही विचार आतें हैं, तो हम आपको बता दें, कि जरुरी नहीं है कि सबकी सुहागरात ऐसे ही गुजरे.

वे लोग जो शादी से अभी कोसों दूरी पर हैं, उनके मन में सुहागरात के बारे में कई विचार आते हैं. आज हम आपका इंतजार यहीं पर खत्म करते हैं क्‍योंकि हम आपको बताने जा रहें हैं कि भारतीय शादियों में वर-वधु शादी की अपनी पहली रात को क्या करते हैं.

1. थकान की वजह से सो जाते हैं

हमारे भारतीय समाज में शादी के बहुत सारे विधि विधान होते हैं और यह सब ज्यादातर वर-वधू ही करते हैं. जिन्हें करते-करते वे इतना थक जाते हैं कि अपने कमरे में पहुँचते ही वे सोने की तैयारी करते हैं.

2. शादी के कपड़ों और सामान से निजात पाना

शादी के कपड़े काफी भारी होते हैं, फिर चाहे वह लड़के की शेरवानी हो या लड़की का लहंगा. वे दोनों ही यह कपडे काफी देर तक पहने रहते हैं. इसलिए वे जैसे ही अपने कमरे में पहुँचते हैं, तो सब कुछ उतारने लग जाते हैं. लड़के के लिए तो आसान है लेकिन लड़की को सिर्फ अपना लहंगा या गहने ही नहीं उतारने पड़ते हैं, बल्कि उसके जूड़े में लगी ढेर सारी पिन भी निकलनी पड़ती हैं जिसमें लड़का भी मदद करता है.

3. दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों की मजाक मस्‍ती से निपटना

हर नव वर वधू को दोस्तों और चचेरे भाई बहनो के कुछ अनचाहे मज़ाक झेलने पड़ते हैं, जैसे आधी रात फोन करना, घड़ी का अलार्म बजाना और दरवाजा खटखटाना. यह सब पूरी रात चलता रहता है.

4. दिल खोल कर बातें करना

जैसे जैसे शादी का दिन नज़दीक आता है, दोनों लड़का और लड़की अपनी-अपनी तैयारियों में इतना मशरूफ हो जाते हैं, कि उन्हें एक दूसरे से बात भी करने का समय नहीं मिलता है. इसलिए यह देखा गया है कि शादी की पहली रात को दोनों एक दूसरे से दिल खोल कर बात करतें हैं.

5. दुल्हन के उपहारों को खोलना

थोड़ी आश्चर्य की बात तो है लेकिन हैं सच है कि दुल्हन अपने पति के लिए बहुत सारे उपहार लती है और उन्हें दिखने के लिए वे दोनों शादी की पहली रात सारे ही सरे गिफ्ट्स खोल कर देखते हैं.

6. शादी के बारे में बात करते हैं

इतना लंबा समय बिताने के बाद शादी की पहली रात को दोनों अकेले एक साथ होते हैं, और शादी के दुरान गुज़ारे अच्छे पालों को याद करते हैं. एक दूसरे के करीब आने के बजाये वे उन पलों के बारे में बात करते हैं.

7. सेक्स के बारे में सोचना

जो वर वधू शादी की पहली रात को कुछ अनचाहे कारणों से एक दूसरे के करीब ना आ सके, वे आराम से शर्माते हुए सो जाते हैं. अपनी अगली सुबह के इंतज़ार में.

6 टिप्स: जानें सेक्स के दौरान महिलाओं को कौन सी चीज बना देती है दीवाना

महिलाओं का सेक्स आनंद एक ऐसा विषय है जिस पर अक्सर काफी अध्ययन और सर्वे किया जाता रहा है. लेकिन अब तक की गई रिसर्च सामान्य ही रही है. जैसे कि यह एक जाना माना तथ्य है कि फोरप्ले और विविधता लड़कियों के चरम के लिए अच्छे हैं.

  1. रसभरी जानकारियां

किन्तु विशिष्ट जानकारी का क्या? जब बात महिलाओं को एक विशेष तरीके से स्पर्श करने की आती है, तो शायद अब तक की गई शोध कोई खास मददगार साबित नही हो पाती. उंगली को असल में कहां घुमाना है, किस तरह से घुमाना है और कितना स्पर्श जरूरी है.

महिलाओं के ओर्गास्म और सेक्स आनंद की रसभरी और विशिष्ट जानकारी पाने के लिए प्रतिबद्ध शोधकर्ता समूह ने अलग अलग उम्र की 1000 महिलाओं पर एक सर्वे किया. यह सर्वे ओ एम जी व्हाई रिसर्च कंपनी की प्लेजर रिपोर्ट सर्वे का हिस्सा था. यह संस्थान महिला सेक्स आनंद से जुड़े तथ्यों पर वेबसाइट चलाता है.

गोपनीय रखे गए सर्वे में महिलाओं से शोधकर्ताओं ने इस तरह के प्रश्न पूछे, जैसे कि: कितना दबाव पर्याप्त लगता है? आपके साथी के कौनसे स्पर्श ने आपको सबसे ज़्यादा आनंद दिया? कुछ ओर्गास्म दूसरे ओर्गास्म से बेहतर क्यों लगते हैं? आपको एक से अधिक ओर्गास्म एक साथ होते हैं?

2. एहसास को लाजवाब क्या बनाता है?

रिसर्चकर्ताओं ने जाना कि सहवास के दौरान होने वाले ओर्गास्म में भगशिश्न (क्लाइटोरिस) की अहम भूमिका है. करीब 36 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि इसके बिना उन्हें ओर्गास्म नही होता और 36 प्रतिशत ने कहा कि क्लाइटोरिस उत्तेजन उनके ओर्गास्म को बेहतर बना देता है.

बेहतर ओर्गास्म की बात की जाए तो महिलाओं ने माना कि ओर्गास्म के आनंद का स्तर अलग अलग होता है. तो एक ओर्गास्म को दूसरे से बेहतर कैसे किया जा सकता है? 75 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उत्तेजना यदि धीरे धीरे बने, तो उसका अंत फल ज्यादा मीठा महसूस होता है. करीब आधी महिलाओं का ये भी कहना था कि अगर उनके साथी के प्रति उनका भावनात्मक जुड़ाव हो तो भी ओर्गास्म बेहतर महसूस होता है. एक दिलचस्प तथ्य ये था कि अधिकतर महिलाओं ने कहा कि सेक्स के देर तक चलने का ओर्गास्म के बेहतर होने से कोई संबंध नहीं है.

3. सही स्पर्श

जननांग के स्पर्श  के मामले में सही जगह और तरीका काफी हद तक महिला विशेष की पसंद पर ही निर्भर था. जैसे कि करीब हर 3 में से 2 महिलाओं ने कहा कि क्लाइटोरिस पर सीधा स्पर्श उन्हें पसंद था जबकि 45 प्रतिशत को सीधा स्पर्श नापसन्द था.

अधिकतर महिलाओं को हल्का, कम दबाव का स्पर्श पसंद था. रिसर्चकर्ताओं ने यह भी पाया कि केवल 10 प्रतिशत महिलाओं को अधिक दबाव से अच्छा महसूस होता है.

4. गति की महत्ता

गति का महत्व भी इस रिसर्च में समझाया गया. 60 प्रतिशत महिलाओं को ऊपर नीचे की लय पसंद थी, जबकि आधी से ज़्यादा को गोल गति. 20-30 प्रतिशत महिलाओं को एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ की गति और दबाव अधिक सुहाता था.

कुछ तकनीक महिलाओं को बेसुध कर देने में सक्षम है, शोधकर्ताओं ने जाना. एक विशेष लय में स्पर्श, गोलाई में छुअन और फिर गतियों और लय का मिश्रण- ये सभी अच्छे तरीके हैं. तीव्रता में भी विविधता लाना आवश्यक है.

5. आनंद वृद्धि

ओर्गास्म को विलम्बित करना सेक्स के आनंद को दोगुना करने में सक्षम हो सकता है. आखिर ये कैसे किया जाता है? अध्ययन में भाग लेने वाली महिलाओं ने बताया कि उत्तेजक अंगों पर स्पर्श रोक कर कुछ पल बाद फिर से कम तीव्र लय से शुरुआत करने से ऐसा किया जा सकता है.

करीब आधी महिलाओं को बहु ओर्गास्म हो चुके थे. 53 प्रतिशत के अनुसार ओर्गास्म के बाद फिर से शुरुआत से शुरू करना बेहतर है, 33 प्रतिशत ने माना कि ओर्गास्म के बाद उत्तेजन वहीं से जारी बेहतर है और इसी संख्या में महिलाओं ने कहा कि ओर्गास्म के बाद कुछ अलग तरह के उत्तेजन की आवश्यकता होती है.

6. संवाद कुंजी है

ये तो स्पष्ट है कि महिलाओं के सेक्स आनंद में काफी विभिन्नताएं हैं. शोधकर्ता मानते हैं कि धीरे, तेज, ऊपर नीचे, हल्का दबाव, ज़्यादा दबाव, हर महिला की व्यक्तिगत पसंद नापसंद हो सकती है.

इसलिए समझने वाली बात ये है कि अंदाजा लगाने की बजाय महिला की पसंद जानने के लिए दोनों साथियों के बीच बेहतर संवाद हो. बेहतर आनंद के लिए चार बातें पता लगाना जरूरी है – स्थान, दबाव, लय और गति.

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