दीपिका की “छपाक”… भूपेश बघेल वाया भाजपा-कांग्रेस!

दिल्ली स्थित जेएनयू हिंसा के पश्चात छात्रों के बीच पहुंची दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक का बहिष्कार करने के लिए भाजपा समर्थकों ने सोशल मीडिया में अभियान चल रहा है. जिसके प्रतिउत्तर में मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्वारा फिल्म ‘छपाक’ को टैक्स मुक्त करने के बाद, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में फिल्म को टैक्स फ्री करने की घोषणा कर दी है.

देश प्रदेश में दीपिका पादुकोण को लेकर एक तमाशा चल रहा है. दीपिका पादुकोण जब जेएनयू में प्रकट होती है तो देश की मीडिया उनकी सिंपैथी दिखाकर, यह बताने का प्रयास करती है कि दीपका कितनी संवेदनशील है. दूसरी तरफ केंद्र सरकार और उनके नुमाइंदे मानो दीपका पर पिल पड़े ऐसी स्थिति में जवाबी तलवारबाजी तो होनी ही थी और खूब हो रही है.

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छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कमलनाथ के पद चिन्हों पर चलते हुए छपाक फिल्म को टैक्स मुक्त कर दिया है. संपूर्ण घटनाक्रम को देखकर कई प्रश्न खड़े हो जाते हैं जिनका प्रतिउत्तर आम जनमानस के पास नहीं होता. क्योंकि वह संपूर्ण घटनाक्रम की पीछे की राजनीति को, आज चल रही विचारधारा की लड़ाई को नहीं समझ पाती. छत्तीसगढ़ में दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक के बरअक्स इस मसले को हम समझने का प्रयास करते हैं-

क्या यह ढर्रा देशहित हित में है!

मेघना गुलजार निर्देशित और दीपिका पादुकोण अभिनीत ऐसिड अटैक सर्वाइवर पर बनी फिल्म “छपाक “10 जनवरी को देश भर के सिनेमाघरों में रिलीज हो गई . इधर फिल्म के रिलीज होने के पूर्व दीपिका पादुकोण दिल्ली के जेएनयू पहुंच गई, उनका समर्थन में खड़ा होना एक प्रश्न चिन्ह बना दिया गया. जहां एक और केंद्रीय सरकार के मंत्री दीपिका से नाराज दिखे, वहीं कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल खुलकर दीपिका के पक्ष में खड़े हो गए हैं. अब यह अवाम को सोचना है कि क्या आप आक्रमणकारियों के के पक्ष में खड़े होंगे या आक्रमणकारियों के विरोध में.

देश में इन दिनों बन रही लघु मानसिकता तो यही कहती है कि आप चाहे कोई भी हो. आम आदमी या सेलिब्रिटी अगर आप केंद्र सरकार के मंशा के खिलाफ खड़े हैं तो आप को देश में रहने का अधिकार नहीं! आप देशद्रोही हैं. यह ढर्रा देश को किस दिशा में ले जाएगा यह फिल्म छपाक के इस विवाद के बरअक्स उठे विवाद से, आगे की मंजिलें बताएगी. यहां मजेदार बात यह है कि छत्तीसगढ़ में अब यह भाजपा मांग उठाने लगी है कि अजय देवगन की फिल्म “तानाजी” को भी टैक्स मुक्त किया जाए…

अब सीधी सी बात है कि कांग्रेस सरकार भला भाजपा की सोच पर अपनी मोहर क्यों लगाएगी. मगर आपको यह समझना होगा कि तानाजी का मतलब सीधे सीधे हिंदू वोट बैंक भी है. कुल जमा फिल्मों को लेकर घात प्रतिघात का दौर, भाजपा और कॉन्ग्रेस यह मध्य जारी है.

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भूपेश बघेल से यही उम्मीद थी!

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर फिल्म को टैक्स फ्री किये जाने की जानकारी सार्वजनिक की. उन्होंने ट्वीट कर कहा, “समाज में महिलाओं के ऊपर तेजाब से हमले करने जैसे जघन्य अपराध को दर्शाती हैं . हमारे समाज को जागरूक करती हिंदी फिल्म “छपाक” को सरकार ने छत्तीसगढ़ प्रदेश में टैक्स फ्री करने का निर्णय लिया है. आप सब भी सपरिवार जाएं.”

यहां सवाल यह भी उठता है कि नकाबपोश गुंडों द्वारा जेएनयू में छात्रों के ऊपर लाठी और रॉड से हमला किया गया था. इस हमले में छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष सहित कई छात्रों को गंभीर चोटें आई थी. जेएनयू छात्रों ने इस हमले के पीछे एबीवीपी को जिम्मेदार बताया था. हमले से जुड़े कई वीडियो भी सामने आए.
छात्रों के ऊपर हुए हमले के बाद दीपिका पादुकोण जेएनयू पहुंची थीं, जहां वे हिंसा के खिलाफ छात्रों के बीच खड़ी थी. दीपिका के सामने आने के बाद कई बॉलीवुड सितारों ने भी हमले की निंदा की थी. उधर दीपिका के इस कदम के बाद सोशल मीडिया में उनकी फिल्म छपाक को बॉयकॉट करने का अभियान चलाया जा रहा है. जो अपने उफान पर है. देश भक्ति का मतलब ही आजकल, देश में भाजपा और केंद्र सरकार के समर्थन में खड़े होना है.

क्या देशभक्ति ऐसी होती है कि आप किसी फिल्म को न देखें और उसका बाय काट करें. मगर यही हो रहा है फिल्म छपाक को लेकर दो ध्रुव बन गए हैं ऐसे में कमलनाथ सरकार के फिल्म को टैक्स फ्री करने के बाद भूपेश बघेल बघेल को तो ऐसा करना ही था और उन्होंने किया प्रश्न यह खड़ा हो जाता है क्या दीपिका पादुकोण जेएनयू नहीं जाती तो हमारे प्रदेश और देश की सरकार जो कांग्रेस नीत से जुड़ी हैं फिल्म को टैक्स मुक्त करती? शायद कभी नहीं. इधर दीपिका पादुकोण को घेरते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उन्हें कांग्रेसी मानसिकता का बताते हुए नया मोर्चा खोल दिया है.

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 भूपेश बघेल सरकार से नाराज किसान!

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की कांग्रेस  सरकार से धान खरीदी के वादाखिलाफी को लेकर किसानों का आक्रोश अपने चरम पर है. हालात इतने विषम है कि धान खरीदी के मसले पर भूपेश सरकार पूर्णता विफल हो चुकी है. और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित उनका मंत्रिमंडल गांधीजी के बंदरों की तरह आंख बंद करके  मौन बैठा है.

यह बंदर कुछ कहना नहीं चाहते और ज्यादा ही पूछो तो धान के मसले पर सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं.मगर जमीनी हकीकत कुछ और है हमारे संवाददाता ने जांजगीर, बिलासपुर, बेमेतरा और रायपुर के कुछ धान मंडियों का निरीक्षण किया और पाया कि किसानों में 25 सौ रुपए क्विंटल धान खरीदी एलान के बाद जैसी विसंगतियां पैदा की गई हैं भूपेश सरकार के खिलाफ किसानों में भयंकर आक्रोश दिखाई दे रहा है.

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दरअसल, इस मसले पर भूपेश और कांग्रेस दोनों बुरी तरह घिरते चले जा रहे हैं.किसानों से वादे तो कर दिया गए मगर जब निभाने का वक्त आया है तो पैसे नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ की आर्थिक हालात बदतर होने के कारण सरकार के पसीने निकल रहे हैं. भूपेश सरकार का अप्रत्यक्ष रूप से धान के मसले पर “डंडा” चलने लगा है.

गौरतलब है कि डॉ. रमन सिंह सरकार एक-एक दाना धान खरीदने की बात करती थी और खरीदने का प्रयास भी करती थी किसानों के साथ सद व्यवहार के साथ सम्मान के साथ धान खरीदी होती थी मगर अब ऐसा नहीं है. पटवारी के पास चक्कर लगाओ, और तहसील में चक्कर लगाओ, धान समितियों में चक्कर लगाओ. इन सब से किसान बेहद परेशान और  आक्रोश में है.

चीफ सेक्रेटरी उतरे मैदान में

धान खरीदी की हालात इतने बदतर और पतले हैं कि छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव आरपी मंडल को धान खरीदी की शुरुआत के साथ ही धान समितियों पर ग्राउंड पर पहुंचना पड़ा.धान खरीदी केंद्रों का औचक निरीक्षण करने गरियाबंद जिले के झाखरपारा खरीदी केंद्र पहुंचे चीफ सेक्रेटरी आर पी मंडल अव्यवस्थाओं को देखकर कलेक्टर समेत तमाम अधिकारियों पर जमकर फट पड़े. उन्होंने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए सख्त लहजे में पूछा कि क्या धान खरीदी का क ख ग नहीं जानते हो? मंडल ने खरीदी केंद्र में लापरवाही देखकर चेतावनी भरे अंदाज में दो टूक कहा कि यह बहुत बुरी बात है, यदि धान खरीदी की प्रक्रिया में चूक हुई, तो यह अच्छा नहीं होगा.

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दरअसल चीफ सेक्रेटरी आर पी मंडल, फूड सेक्रेटरी डाक्टर कमलप्रीत सिंह और मार्कफेड की एम डी शम्मी आबिदी के साथ धान खरीदी की समीक्षा करने प्रदेश व्यापी दौरे कर रहे हैं. धान खरीदी में आ रही गड़बड़ियों की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने व्यक्तिगत तौर पर चीफ सेक्रेटरी को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वह प्रदेश का दौरा कर मैदानी हालात से रूबरू हों.

आर पी मंडल ने जिला खाद्य अधिकारी एच आर डडसेना को यह तक कह दिया कि क्या इस गलती के लिए मैं अभी सस्पेंड कर दूं? चीफ सेक्रेटरी ने तमाम खामियों को तुरंत दुरूस्त करने के निर्देश दिए. इस दौरान उन्होंने धान बेचने आए किसानों से भी चर्चा की. चीफ सेक्रेटरी ने किसानों को आश्वस्त किया है कि 15 फरवरी तक होने वाली धान खरीदी में पंजीकृत किसानों से प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान लिया जाएगा. पहले व्यवस्था दुरूस्त किया जाएगा, इसके बाद लिमिट बढ़ा दिया जाएगा. कुल जमा यह की किसानों के साथ भूपेश सरकार ने जो अति हो रही है उसे किसान बेहद दुखी एवं नाराज हैं वही मुख्य सचिव आरपी मंडल छत्तीसगढ़ की जड़ों से जुड़े हैं मगर आर्थिक हालात बदतर होने के कारण वह भी स्थिति को संभालते संभालते किसानों के दुख दर्द को दूर नहीं कर पा रहे.

किसान कर रहे चक्का जाम!

धान खऱीदी को लेकर किसानों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है.  छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के लोरमी में किसानों ने धान खरीदी की   नित्य “नई नई नीति” के खिलाफ जोरदार  प्रदर्शन किया . वहीं मंगलवार  को फास्टरपुर थाना क्षेत्र के सबसे बड़े धान खरीदी केंद्र में किसानों का गुस्सा फट पड़ा और सैकड़ों किसान कवर्धा-मुंगेली मुख्यमार्ग पर पिछले दो घण्टे से चक्काजाम कर जमकर प्रदर्शन किया.

किसानों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए भूपेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. किसानों का आरोप है कि सिंगापुर उपार्जन केंद्र में एक दिन में 1900 बोरी से ज्यादा धान की खरीदी एक दिन में नहीं की जा रही है. जबकि इस केंद्र में 1200 किसान पंजीकृत हैं. ऐसे में ढाई माह के भीतर सभी किसानों की धान की खरीदी हो पाना संभव नहीं है. किसानों का यह भी आरोप है कि कई नए किसानों का पंजीयन आवेदन देने के बाद भी नहीं किया गया है और अधिकतर किसानों के पंजीकृत रकबे में भी कटौती की गई है, जिसके चलते वो लोग वास्तविक रकबे के हिसाब से धान नहीं बेच पा रहे हैं.

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किसानों के  नाराजगी और चक्काजाम की ख़बर मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मचा गया. मौके पर पहुंचे अधिकारियों के द्वारा लगातार किसानों को समझाइश दी गई लेकिन आक्रोशित किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे. किसानों ने अफसरों को दो टूक शब्दों में कहा दिया  कि उनकी मांगो को अनसुना किये जाने पर  समिति केंद्र में धान खरीदी बन्द कर दी जाएगी.

समिति के प्रबंधक भी उखड़ गए!

सरकार धान खरीदी समितियों के प्रबंधक एवं कंप्यूटर ऑपरेटरों के ऊपर भी बिजली गिरा रही है. जांजगीर, कोरबा, रायगढ़ आदि जिलों में तो प्रबंधक और कंप्यूटर ऑपरेटरों के ट्रांसफर कर दिया गया.किसी को यहां बैठा दिया गया,किसी को वहां.सीधे-सीधे इसका मतलब यह है कि भूपेश सरकार और प्रशासन समितियों पर अंकुश रखना चाहता है.मगर इससे यह सवाल पैदा हो गया कि क्या प्रबंधक और कंप्यूटर ऑपरेटर के स्थानांतरण के पीछे का सच क्या है इसके पहले कभी भी ऐसे स्थानातरण किसी ने नहीं किए थे.कलेक्टर और एसपी सीधे धान खरीदी केंद्रों पर निगाह रखे हुए हैं मानो यहां बहुत बड़े अपराध होने की स्थिति बनी हुई हो. निकालने की

धान खरीदी को लेकर सरकार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है. किसानों की नाराजगी और आक्रोश के बीच समिति प्रबंधकों और कर्मचारियों ने धान खरीदी कार्य से प्रथक करने की मांग की है. उनकी यह नाराजगी सरकार के द्वारा मिल रहे मौखिक आदेशों को लेकर है.

उपपंजीयक सहकारी समिति संस्थाएं को जिला सहकारी कर्मचारी संघ रायगढ़ के अध्यक्ष और सचिव ने पत्र लिख लिखा है. उन्होंने पत्र में सभी 79 सहकारी समिति के प्रबंधकों को धान खऱीदी से अलग करने कहा है. उन्होंने अपनी मांग के पीछे वजह बताई है कि धान खरीदी को लेकर उन्हें लिखित की बजाय मौखिक आदेश दिये जा रहे हैं. जिसकी वजह से धान बेचने आने वाले किसानों और उनके बीच असंतोष की स्थिति बन रही है. पत्र में कहा गया है कि किसान संगठनों द्वारा एकजुट होकर समिति प्रबंधकों के ऊपर दबाव बनाया जा रहा है.

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उन्होंने मांग की है कि धान खरीदी समिति कर्मचारियों को अलग करके उनकी जगह नोडल अधिकारियों और अन्य विभागीय कर्मचारियों को जवाबदेही देते हुए उनसे खरीदी का कार्य करवाया जाए. उन्होंने कहा है कि  उनके द्वारा धान खरीदी का कार्य नहीं किये जाएगा.

लोकवाणी: भूपेश चले रमन के पथ पर!

छत्तीसगढ़ में 15 वर्षों की डॉक्टर रमन सिंह, भाजपा सरकार के पश्चात कांग्रेस की भूपेश सरकार सत्तासीन हुई है. मगर कुछ फिजूल बेकार के मसले ऐसे हैं जिन पर भूपेश बघेल चाह कर भी  नकार नहीं पा रहे. अगर वह लीक तोड़कर नया काम करते हैं तो पता चलता कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ को नई दिशा दे सकते हैं, उनमें नई ऊर्जा है, कुछ नया करने का ताब है.

इसमें सबसे महत्वपूर्ण है डॉ रमन सिंह का रेडियो और आकाशवाणी से प्रतिमाह छत्तीसगढ़ की आवाम को संदेश देना और बातचीत करना. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी डॉ रमन सिंह की तर्ज पर “लोकवाणी” कार्यक्रम के माध्यम से आवाम से बात करते हैं जो सीधे-सीधे डॉ रमन सिंह की नकल के अलावा कुछ भी नहीं है.

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क्या यह अच्छा नहीं होता कि भूपेश बघेल और तरीका आम जनता से बातचीत करने के लिए  ईजाद करते. क्योंकि लोकवाणी का यह कार्यक्रम पूरी तरह फ्लाप और बेतुका  है. इसकी सच्चाई को जानना हो तो जिस दिन लोकवाणी का कार्यक्रम प्रसारित होता है उसे ग्राउंड पर जाकर, आप अपनी आंखों से देख लें . यह पूरी तरह से एक सरकारी आयोजन बन चुका है शासकीय पैसे पर, जिले के चुनिंदा जगहों पर व्यवस्था करके लोग सुनते हैं. आम आदमी का इससे कोई सरोकार दिखाई नहीं देता.

भूपेश बघेल की ‘लोकवाणी’!

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी की पांचवी कड़ी का प्रसारण  आगामी 8 दिसम्बर, रविवार को होगा. व्यवस्था यह बनाई गई है कि लोकवाणी का प्रसारण छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केन्द्रों, एफ.एम.चैनलों और राज्य के क्षेत्रीय न्यूज चैनलों से सुबह 10.30 से 10.55 बजे तक हो.

जिस तरह डॉ रमन सिंह के  समय में  सरकारी अमला  जनसंपर्क,  संवाद  प्रचार प्रसार करता था,  वैसा ही  नकल पुन:भदेस रुप, ढंग से  अभी किया जा रहा है.  कहा जा रहा है “-उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समाज के हर वर्ग की भावनाओं, सवालों, और सुझावों से अवगत होने तथा अपने विचार साझा करने के लिए लोकवाणी रेडियोवार्ता शुरू की है.”

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लोकवाणी में इस बार का विषय ‘आदिवासी विकास: हमारी आस‘ रखा गया है. अच्छा होता लोकवाणी के नाम पर जो पैसा समय बर्बादी हो रही है और हाथ कुछ नहीं आ रहा, उससे अच्छा होता भूपेश बघेल अचानक कहीं पहुंच जाते और आम जन से चुपचाप बात कर निकल जाते!ऐसे मे उन्हें पता चल जाता कि जमीनी हकीकत क्या है. किसान, गरीब, मजदूर और मध्यमवर्ग का आदमी उनसे क्या कहना चाहता है उसे समझ कर  और बेहतरीन तरीके से छत्तीसगढ़ को आगे ले जा सकते हैं.

श्रेष्ठतम सलाहकार कहां है?

भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री शपथ लेने के पश्चात जो पहला काम किया था उनमें उनके संघर्ष के समय के सहयोगी  पत्रकार  विनोद वर्मा, रुचिर गर्ग  जैसे बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों को “मुख्यमंत्री का सलाहकार” नियुक्त करना था. इस सब के बाद ऐसा महसूस हुआ था कि डॉक्टर रमन सरकार की अपेक्षा भूपेश सरकार जमीन से ज्यादा जुड़ी होगी.

आम आदमी के जीवन संघर्ष, त्रासदी को भूपेश बघेल की सरकार संवेदनशीलता के साथ समझेगी और दूर करेंगी. जिस की सबसे पहली पहल किसानों के कर्ज माफी और 25 सौ रुपए क्विंटल धान खरीदी को लेकर की भी गई. मगर इसके पश्चात और इसके परिदृश्य में देखा जाए तो छत्तीसगढ़ के हालात अच्छे नहीं हैं, इस संवाददाता ने छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिला के कृषि मंडी के कुछ किसानों से बात की, किसानों ने बताया कि” हालात ऐसे हैं कि जबरा मारता है और रोने भी नहीं देता” जैसे हालात छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ  बन चुके हैं.

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जो धान पहले पंद्रह सौ 1600 रुपये कुंटल  में गांव में बिक जाता था अब पुलिसिया प्रशासनिक एक्शन के कारण कोई खरीदने को तैयार नहीं है . यह हालात देखकर लगता है कहां है मुख्यमंत्री महोदय के सलाहकार, कहां है अभी एक डेढ़ वर्ष पूर्व  के संघर्षकारी भूपेश बघेल, टी एस सिंह देव और उनकी टीम.

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