मुझे लगता है की मेरी गर्लफ्रेंड के घर वाले मुझे यूज कर रहें हैं, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं सरकारी कर्मचारी हूं. मुझे एक लड़की से प्यार है. मैं ने उस के परिवार की काफी आर्थिक मदद की है. उस का परिवार काफी तंगी में है. उस के पिता कोई काम नहीं करते. अब मैं दूसरे शहर में रहने के कारण उन की मदद नहीं कर पाता हूं. कभी-कभी लगता है कि वे सब पैसे के कारण ही लगाव दिखाते थे. मुझे लगता है कि मेरा प्यार भी सिर्फ एकतरफा ही रह गया है. शायद मेरे घर वाले भी इस शादी के लिए राजी न हों, बताइए, मैं क्या करूं?

जवाब

लगता है आप का प्यार हमदर्दी से पनपा था और मदद न देने के बाद दोनों ओर से ही समाप्त सा होता जा रहा है. जिसे आप प्यार कह रहे हैं वह महज शारीरिक आकर्षण भी हो सकता है. फिर भी आप को उस लड़की से स्पष्ट बात कर लेनी चाहिए. हो सकता है उस के भीतर कोई और उलझन हो. लगता है कि आप अपने जीवन में कोई जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं. सो, अच्छा रहेगा यदि आप इस संबंध को यहीं खत्म कर दें. इसी में आप दोनों की भलाई है.

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मुझे भाभी के साथ सेक्स करते हुए मेरे भतीजे ने देख लिया, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 35 साल है और अभी तक मेरी शादी नहीं हुई है. पिछले 15 साल से मेरा अपनी भाभी के साथ जिस्मानी रिश्ता रहा है. लेकिन हाल ही में मेरे भतीजे ने हम दोनों को बिस्तर पर एकसाथ देख लिया था. तब से मेरी भाभी मुझ से बात नहीं कर रही हैं. मैं उस के बिना रह नहीं सकता. क्या करूं?

जवाब

इस तरह के संबंध बनाए तब जाने चाहिए जब छिपा कर रख सकें, वरना खतरा तो रहेगा ही. भतीजे की जगह अगर भाई या कोई और बड़ा देखता तो क्या हालत होती, इस का अंदाजा आप भी लगा सकते?हैं. आप की?भाभी वही कर रही?हैं जो इस हालत में किसी भी औरत को करना चाहिए. अब आप को चाहिए कि मुफ्त की मलाई का लालच छोड़ कर शादी कर लें और भाभी से जिस्मानी संबंधों की बात को भूल जाएं.

मैं अपनी बड़ी बहन की दोस्त को पसंद करता हूं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल-

मेरी उम्र 16 साल है और मैं 12वीं कक्षा में पढ़ता हूं. मेरी एक बड़ी बहन है जो 18 साल की है और कालेज के फर्स्ट ईयर में है. मेरी बहन की एक दोस्त है जो 17 साल की है. वह मुझे बहुत अच्छी लगती है. वह कभीकभी घर आती है तो उस की और मेरी नजरें आपस में टकरा जाती हैं, लेकिन बात आज तक नहीं हो पाई.

जब भी उस से नजरें टकराती हैं तो पता नहीं क्यों ऐसा लगता है जैसे वह भी वही फील कर रही हो जो मैं फील कर रहा हूं. मैं उस से बात करना चाहता हूं, उसे जानना चाहता हूं लेकिन उस के रिस्पौंस से डरता हूं. कहीं वह मुझे खुद से छोटा समझ कर या ‘सहेली का भाई है’ इस कारण मना न कर दे. या हो सकता है कि वह मुझे पसंद करती हो और बाकी सभी लड़कियों की तरह बताने में झिझक रही हो. मैं क्या करूं?

जवाब-

आप की परेशानी जायज है पर आजकल उम्र से ज्यादा लोग सामने वाले की पर्सनैलिटी, पसंदनापसंद और थिंकिंग को इंपोर्टैंस देते हैं. आप का यह सोचना कि आप की बहन की सहेली कहीं आप को छोटा समझ कर या सहेली का भाई समझ कर मना न करे, सही है. लेकिन, इस तथ्य को भी नहीं झुठलाया जा सकता कि अगर आप उसे पसंद होंगे तो वह भी खुद को नहीं रोक पाएगी. वह आप की बहन की दोस्त है तो आप अपनी बहन से इस बारे में बात कर सकते हैं.

आप यदि सीधा उस लड़की से बात करेंगे तो हो सकता है उस की नजर में आप गिर जाएं और साथ ही आप की बहन भी. समझदारी से काम लें. नौर्मल फ्रैंड्स की तरह बात करने की कोशिश करें. उस के हावभाव से आप को उस के मन में क्या है, पता चल जाएगा. उस के बाद ही उस से आगे कुछ बात करने या मन की बात कहने के बारे में सोचें.

सेक्स रिश्तों के लिए कितना जरूरी

रिया और राहुल की नई शादी हुई थी पर राहुल पर काम का प्रेशर ज्यादा होने से वो रिया को वक़्त ही नहीं दे पा रहा था अक्सर उसे शहर से बाहर जाना पड़ता था संयुक्त परिवार होने के कारण रिया को भी ऑफिस और घर मे पूरा सामंजस्य बिठाना पड़ रहा था ऐसे में उनमें अक़्सर झगड़े होने लगे थे और नौबत यहाँ तक आ गयी कि रिया गुस्से में अपने मायके चली गई तब राहुल के एक दोस्त के कहने पर दोनों मैरिज कॉउंसलर के पास गए.

उसने दोनों का पक्ष सुनने के बाद दोनों से एक छोटा दो 3 दिन का ट्रिप प्लान करने की सलाह दी जहाँ सिर्फ वो दोनों हों और वहाँ से लौटकर मिलने को कहा.लौटकर आने तक दोनों का झगड़ा सुलझ गया था अब उन्हें उस कॉउंसलर के पास जाने की जरूरत ही नहीं थी.प्रश्न ये है कि इन तीन चार दिनों में उन दोनों के बीच क्या बदल गया ?

इसका सीधा सा जवाब है कि पति पत्नी का संबंध भले ही आत्मा से जुड़ा बँधन है फिर भी शारीरिक अंतरंगता इस रिश्ते के लिए बेहद महत्वपूर्ण है . जब भी इस रिश्ते में सेक्स की कमी होती है तो कहीं न कहीं अलगाव पनपने लगता है. चूँकि हम भारतीय समाज मे रहते हैं जहाँ पर इस विषय पर चर्चा करना आज भी वर्जित है ऐसे में इस बात को समझना और भी मुश्किल हो जाता है.जबकि ये एक स्वाभाविक ज़रूरत है जिसकी पूर्ति होना आवश्यक है.पति पत्नी के संबंधों की मजबूती के लिए इसके अलावा भी बहुत सी बातें जरूरी हैं पर इस पहलू को नज़रअंदाज़ तो कतई नहीं किया जा सकता है.

हर किसी के जीवन में कभी न कभी ये प्रश्न खड़ा होता है कि क्या शारिरिक संबंधों का शादी के रिश्ते में होना जरूरी है इसके बिना क्या ये रिश्ता खत्म हो जाएगा ? सवाल लाज़मी है जवाब भी उतना ही आसान .जी हाँ ये बहुत ही जरूरी है आपसी तालमेल के लिए.

इसी तरह सुमि और रजत की अरेंज्ड मैरिज हुई थी पर कुछ ही दिनों में दोनों में बात बात पर लड़ाइयाँ होने लगीं बात इतनी बढ़ी कि दोनों में बोलचाल बन्द हो गई .फिर किसी के कहने पर वो दोनों एक कॉउंसलर के पास गए दोनों से बात करके उसने उन्हें जो समस्या बताई उस से दोनों ही सहमत थे .असल में बात ये थी कि नई शादी के कुछ महीनों तो सब नया सा था तो दोनों को अच्छा लगता था फिर धीरे धीरे एक जैसा सब चलने से दोनों को ही सब उबाऊ लगने लगा जिसका सीधा असर उनके आपसी संबंधों पर पड़ने लगा.

रजत की इच्छा रहती कि कभी सुमि भी पहल करे ऐसा न होने पर वो एक मशीन की तरह एक ही ढर्रे पर यंत्रवत सब करता इस से न उसे संतुष्टि होती न ही सुमि को इसके उलट सुमि चाहती कि रजत उसे पहले खूब प्यार करे उसके बाद सेक्स की शुरुवात हो पर संकोच वश कह नही पाती इसके कारण दोनों के रिश्ते में परेशानी खड़ी हो गई .कुल मिलाकर बात ये है कि पति पत्नी के रिश्ते में मानसिक जुड़ाव जितना ज़रूरी है उस से भी ज़्यादा जरूरी है शारीरिक संबंधों का तालमेल वरना रिश्ते की गाड़ी को पटरी से उतरते देर नहीं लगती.इस बात को लेकर हर व्यक्ति का अपना नज़रिया होता है परंतु एक बात तय है कि ये प्यार जताने का एक तरीका है जब दो लोग एक दूसरे पर पूरा भरोसा कायम कर लेते हैं तभी आगे बढ़ते हैं .भारतीय समाज मे शादी के बाद ही शारीरिक संबंधों को जायज़ माना जाता है परंतु लिव इन के नए कॉन्सेप्ट ने इस सोच को काफी हद तक प्रभावित किया है.ऐसे में ये जानना बेहद आवश्यक हो जाता है कि किसी भी रिश्ते की सफलता के लिए शारीरिक संबंधों की भूमिका क्या होती है.

तनाव को दूर करने में कारगर

इस बात को लेकर कई शोध हुए हैं जिनमे ये बताया गया है कि सेक्स से मानसिक तनाव कम होता है.ऐसे में ये तनाव कम करने में मदद करता है और छोटे मोटे आपसी विवाद सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

आपसी सामंजस्य

किसी भी कपल की सेक्सुअल लाइफ ये पता लगता है कि उनकी आपसी साझेदारी और समझ का स्तर क्या है.किसी भी कपल की सेक्स लाइफ उनके बीच विश्वास का प्रतीक होती है.

असुरक्षा की भावना से मुक्ति

सेक्स रिश्ते में एक विश्वास क़ायम करता है जिस से एक दूसरे से दूर रहने पर भी साथ होने का अहसास बना रहता है .एक दूसरे को खो देने की जो असुरक्षा मन मे होती है उस भावना को ये दूर करता है.

प्यार जताने का तरीका

ये प्यार जताने का एक कारगर तरीका होता है. अंतरंग संबंध जितने मजबूत और स्वस्थ्य होते हैं रिश्ता भी उतना ही मजबूत होता है. जिन रिश्तों में सेक्स की कमी होती है अक्सर उन रिश्तों में तनाव होता है या कभी कभी तो अलगाव की स्थितियाँ भी निर्मित हो जाती हैं.

स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

एक शोध में ये बात सामने आई है कि रोज एक बार सेक्स करने वाले लोग सेक्स से परहेज रखने वालों से ज़्यादा स्वस्थ्य और लंबा जीवन जीते हैं.सेक्स के दौरान शरीर से जो हार्मोन निकलते हैं वो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं.इस दौरान एक मिनट में लगभग पाँच कैलोरी खर्च होती है जिसके कारण ये व्यायाम जैसा लाभ देता है.

हर युवा को जाननी चाहिए कंडोम से जुड़ी ये जानकारियां

मां बनने की खुशी से भला कौन वंचित रहना चाहता है? मगर सही वक्त और सही स्थिति का होना बहुत जरूरी है. सेक्स के दौरान या उसके बाद तमाम सुविधा-असुविधा के बारे में जानकारी रखना बहुत आवश्यक है. तभी एक परिवार सफल व सुखी परिवार बना रह सकता है. यह जिम्मेदारी सिर्फ एक पार्टनर की नहीं बल्कि दोनों की, बराबर की है. युवाओं को अकसर इस संबंध में सही जानकारी नहीं होती. यहां प्रस्तुत है इस संबंध में वैज्ञानिक जानकारी ताकि कई तरह के रोगों और असमय गर्भधारण से बचा जा सके.

कंडोम को हमेशा तवज्जो देना क्यों जरूरी है?

सेक्स हर हाल में शारीरिक संबंध है जो अपने साथ-साथ कई किस्म की बीमारियां भी लिए होता है. जरा सी लापरवाही किसी की पूरी दुनिया बदल सकती है. किसी के जीवन का अंत भी हो सकता है. इसलिए सेक्स के बारे में सोचने के साथ ही कंडोम के बारे में सोचना जरूरी है. क्योंकि इससे ही सुरक्षित सेक्स संभव है. संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए कंडोम एक बेहतर विकल्प है.

संक्रामक रोग, असमय प्रेग्नेंसी के बारे में दोनो सोचें

इन सब विषयों के बारे में सोचना सिर्फ महिलाओं की ही जिम्मेदारी नहीं है. दरअसल लोगों की इस पर अपनी-अपनी राय है कि कंडोम, प्रेग्नेंसी आदि यह सब पुरुषों के सोचने का विषय है. वास्तव में संक्रामक रोगों से बचाव और असामयिक प्रेग्नेंसी की समस्या दोनो की ही समस्या है. विशेषतौर पर महिलाओं को इस मामले में मुखर होने की जरूरत है.

कंडोम न मिलने की स्थिति में क्या करना चाहिए?

कंडोम एक ऐसा सुरक्षा कवच है जिसकी तुलना मंे कोई और गर्भनिरोधक नहीं है. हालांकि गर्भनिरोधक कई मौजूद हैं मगर बिना किसी रिस्क फैक्टर के कंडोम का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका कोई दुष्परिणाम नहीं होता. लेकिन कोई ऐसी स्थिति आ जाए जब सेक्स करने के दौरान कंडोम न हो तो क्या किया जाए? बाजार में कई दूसरे गर्भनिरोधक भी आपके काम आ सकते हैं. ध्यान रखें यह गर्भनिरोधक सिर्फ गर्भ ठहरने की आशंका को ही सुनिश्चित करते हैं. इनमें किसी किस्म की दूसरी सुरक्षा नहीं होती.

क्या पहली बार सेक्स में ही कोई महिला गर्भवती हो सकती है?

यह एक ऐसा सवाल है जिसका कोई जवाब नहीं है. इसलिए युवाओं का यह जानना बहुत जरूरी है कि चाहे आप पहली बार सेक्स कर रहे हों या दसवीं बार, कंडोम का इस्तेमाल करना न भूलें. हालांकि यह थोड़ी परेशान करने वाली बात लग सकती है कि पहली बार सेक्स में भी कंडोम का इस्तेमाल किया जाए? लेकिन हकीकत यही है कि अगर अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहते हैं तो कंडोम का उपयोग बिना झिझक करें.

कंडोम कहां से खरीदे जा सकते हैं? क्या कंडोम अलग-अलग प्रकार के भी होते हैं?

कंडोम कोई ऐसी अंजान चीज नहीं है जिसे खरीदने के लिए मुश्किल सामने आती है. यह आपको कहीं भी आसानी से उपलब्ध हो सकता है. कैमिस्ट की दुकान से इसे आसानी से खरीदा जा सकता है. जब आप सेक्स से नहीं शरमाते तो किसी के सामने एक शब्द ‘कंडोम’ कहने में शरम कैसी?

अब जहां तक बात है इसके प्रकार की तो विभिन्न प्रकार के कंडोम मार्केट में उपलब्ध हैं. अपनी सहूलियत के अनुसार जो पसंद हो, उसका इस्तेमाल कर सकते हैं. उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

मैटीरियलः ज्यादातर कंडोम लैटेक्स और पाॅलीयूरीथेन से बने होते हैं. लैटेक्स के द्वारा बनाए गए कंडोम ज्यादा मजबूत होते हैं. प्रेग्नेंसी और संक्रामक रोगों से दूसरों के मुकाबले यह ज्यादा सुरक्षा प्रदान करते हंै.

साइजः बाजार में अलग-अलग लम्बाई का कंडोम उपलब्ध होता है. कोई छोटे होते हैं, कई ज्यादा लम्बे होते हैं तो कई की चैड़ाई ज्यादा होती है तो कुछ पतले होते हैं. अगर पैकेट में लिखा है ‘लार्ज’ अथवा ‘स्माॅल’ इसका मतलब उसकी लम्बाई से नहीं बल्कि चैड़ाई से है. कंडोम खरीदते वक्त बिना शरमाएं अपने शिश्न के साइज अनुसार ही कंडोम खरीदें.

लुब्रीकेटः लुब्रीकेट यानी चिकनाई. कुछ कंडोम ऐसे भी होते हैं जिसमे जरा भी चिकनाहट नहीं होती. जबकि कुछ में सिलिकन बेस्ड लुब्रीकेंट्स होते हैं तो कुछ में वाॅटर बेस्ड लुब्रीकेंट्स होते हैं.

कलर्डः लैटेक्स या कंडोम का वास्तविक रंग क्रीमी व्हाईट होता है. लेकिन बाजार में कंडोम अलग-अलग रंगों में भी उपलब्ध हैं.

फ्लेवर्डः कुछ सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन, ओरल सेक्स की वजह से भी फैलते हैं. सो, अगर ओरल सेक्स के दौरान भी कंडोम का उपयोग किया जाए तो अच्छा है. कई दफा लोगों को लैटेक्स की गंध और उसका स्वाद पसंद नहीं आता. इसलिए फ्लेवर्ड कंडोम बेहतर विकल्प हैं.

कंडोम कितना कारगर है?

वास्तव में यह निर्भर करता है उपयोग करने वाले पर. अगर कंडोम का उपयोग सही मायने में किया जाए तो 94प्रतिशत से लेकर 97प्रतिशत तक तमाम समस्याओं से निजात दिलाता है. प्रेग्नेंसी या संक्रामक रोग, सभी से निजात दिलाने में यह कारगर साबित हुआ है. एचआईवी से तो यह लगभग 100प्रतिशत तक राहत देता है. कुछ लोग मानते हैं कि कुछ वायरस हैं जिनके सामने कंडोम असफल है, जबकि ऐसा नहीं है.

क्या दो कंडोम का इस्तेमाल एक कंडोम के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद है?

नहीं. ऐसा बिल्कुल नहीं है. दो कंडोम पहनकर सेक्स करने से कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं. मसलन दोनों कंडोम घिसने के कारण फट सकते हैं. साथ ही यह किसी भी व्यक्ति के लिए सहज नहीं है. दो कंडोम पहनकर सेक्स करने में असुविधा होती है.

फीमेल कंडोम क्या है?

मेल कंडोम की ही तरह बाजार में फीमेल कंडोम भी मौजूद है. फीमेल कंडोम एक पाउच की तरह होता है. इसे वैजाइना में फिट किया जाता है.

कंडोम कैसे पहना जाता है?

ध्यान रखें कंडोम का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. उससे भी जरूरी है उसका सही से इस्तेमाल करना. शिश्न और योनि के बीच संपर्क होने से पहले ही कंडोम को लगाया जाना चाहिए. अन्यथा प्रेग्नेंसी या संक्रामक रोगों से बचना मुश्किल हो सकता है.

पुरुष को कंडोम तब लगाना चाहिए जब उसका शिश्न लम्बा और खड़ा हो जाए. कंडोम को खोलते समय दांत का उपयोग न करें; क्योंकि हो सकता है कि आपके दांतों की वजह से कंडोम में दरार पड़ जाए और वह आपको न दिखे.

अगर कंडोम फट जाए?

अगर सेक्स के दौरान कंडोम फट जाए तो तुरंत वहीं सेक्स प्रक्रिया रोक दें और नए कंडोम का इस्तेमाल करें. कई दफा ऐसा होता है कि आपके महसूस हो रहा है कि कंडोम फट गया है, जबकि ऐसा नहीं होता. कई बार यह मात्र एक वहम होता है. मगर बेहतर है कि रह-रहकर कंडोम को चेक करते रहें. अगर सेक्स के दौरान लगे कि आपका वीर्य कहीं न कहीं से निकलकर योनि के अंदर प्रवेश कर चुका है तो बेहतर है तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करें या किसी प्रिकाॅशनरी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करें. इसी से बचाव हो सकता है.

क्या ओरल सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल जरूरी है?

हां, कई डिजीज ऐसे होते हैं जो ओरल सेक्स से शरीर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं. इसलिए कंडोम का उपयोग अवश्य करें.

सेक्स करना कब रोकना चाहिए?

पुरुषों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि जब वह अपना शिश्न गुदा से या योनि से बाहर निकालने वाला हो तो उसे कंडोम को पकड़ लेना चाहिए. इसे आहिस्ता से निकालने के बाद सावधानीपूर्वक किसी सही जगह पर फेकना चाहिए. कंडोम को यूज करने के बाद टायलेट में न फेंके और न ही यादगार के रूप मेें अपने कमरे में सजाने का सामान बनाएं. उसे डस्टबिन में ही फेंके.

मेरा एक्स अब मेरे साथ एक बार फिर रिलेशनशिप में आना चाहता है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरा एक्स अब मेरे साथ एक बार फिर रिलेशनशिप में आना चाहता है. उस का कहना है कि वह मुझ से कभी मूव औन नहीं कर पाया और न ही मुझे भूल पाया है. वहीं, मैं तो कब की उस से मूव औन कर चुकी हूं, यहां तक कि कुछ महीनों पहले एक लड़के को डेट भी किया था. फिलहाल मैं सिंगल हूं.

हम दोनों के ब्रेकअप की वजह उस का मुझे ले कर हमेशा कन्फ्यूज्ड रहना था. क्या पता अब वह क्लियर हो गया हो. क्या यह सही रहेगा कि मैं सिंगल तो हूं ही तो अपने एक्स के साथ ही रिलेशनशिप में आ जाऊं?

जवाब-

अगर आप रिलेशनशिप में इसलिए आना चाहती होतीं कि आप भी उस से उतना ही प्यार करती हैं जितना वह करता है तो मेरा सुझाव होता कि बिलकुल आइए, रिलेशनशिप में आखिर बुराई क्या है. लेकिन, आप के मन में अब अपने एक्स के लिए कोई प्यार नहीं है और शायद रिस्पैक्ट भी नहीं है तभी तो आप बिना फीलिंग्स उस के साथ रिलेशनशिप में आना चाहती हैं.

आप जानती हैं कि वह आप से प्यार करता है और आप अब नहीं करतीं. हो सकता है कि उस का कन्फ्यूजन आप को ले कर खत्म हो गया हो लेकिन क्या अब आप कन्फ्यूज्ड नहीं हैं? यह तो बिल्कुल हिस्टरी रिपीट करने वाली बात हो गई. तब शायद आप को तकलीफ हुई थी, अब आप अपने एक्स को तकलीफ देंगी.

वैसे भी एक्स के साथ एक बार फिर किसी रिश्ते में बंधने से पहले सोच लेना चाहिए. यह बौलीवुड या टीवी सीरियल नहीं है, असल जीवन बेहद उलझा हुआ होता है. जब तक मन से आप बिलकुल तैयार न हों, फीलिंग्स एक सी न हों, तब तक एक्स से दूरी बनाए रखने में ही फायदा है. बिना बात खुद हर्ट होना या उसे हर्ट करना बेतुका है.

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ताऊजी मेरी शादी उस लड़की से कराना चाहते हैं जिसे मैं पसंद नहीं करता, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी उम्र 23 साल है और मैं शहर में अपने ताऊजी के साथ रहता हूं. उन की पहचान की एक लड़की है, जिस के साथ वे मेरा रिश्ता कराना चाहते हैं, पर वह लड़की मुझे पसंद नहीं है.

मैं अपने ताऊजी की बहुत इज्जत करता हूं और उन्होंने हमारे परिवार के लिए बहुत कुछ किया है. मुझे उस लड़की से शादी नहीं करनी है. ताऊजी को मनाने के लिए मैं क्या करूं?

जवाब-

ताऊजी के एहसानों के बदले जिंदगी दांव पर न लगाएं. अगर लड़की आप को पसंद नहीं तो साफ शब्दों में नम्रता से इस रिश्ते से इंकार कर दें. एहसानों का बदला तो मौका और जरूरत पड़ने पर कभी भी चुकाया जा सकता है, लेकिन इस अहम रिश्ते में जो खटास उस के वजूद में आने के पहले ही पड़ गई है, वह जिंदगीभर आप को सालती रहेगी, इसलिए ताऊजी को साफसाफ मना कर दें कि आप उन की बहुत इज्जत करते हैं और उपकार भी मानते हैं, पर जहां सवाल पूरी जिंदगी का हो वहां नापसंदगी वाला रिश्ता शर्तों पर नहीं निभा सकते.

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टीनएज में बेहद जरूरी है सेक्स एजुकेशन

युवाओं में भले ही पोर्नोग्राफी देखने का चलन बढ़ रहा हो, पर सेक्स एजुकेशन के नाम पर उन की जानकारी शून्य ही होती है. सेक्स एजुकेशन पोर्नोग्राफी से अलग होती है. इस की जानकारी टीनएज में जरूरी है. इस से लड़कियों को कई तरह की परेशानियों से बचाया जा सकता है.

16 साल की नेहा अपनी मामी के घर आई थी. उस के स्कूल में गरमी की छुट्टियां चल रही थीं. नेहा के मामामामी शहर में एक बड़े घर में रहते थे. घर का काम करने के लिए नौकरचाकर थे. एक दिन नेहा की मामी अपने किसी परिचित से मिलने चली गईं. घर पर नेहा और उस के मामा थे. दोनों टीवी पर एक फिल्म देख रहे थे. इसी बीच नेहा के मामा ने कहा कि आओ तुम्हें एक खेल खिलाते हैं. नेहा कुछ समझ नहीं पाई, लेकिन जो हुआ वह बहुत बुरा और रिश्तों को कलंकित करने वाला था. नेहा को इस का परिणाम पता ही नहीं था. मामा ने नेहा से कहा कि इस बात को वह किसी को न बताए. नेहा भी इस खेल को बुरा खेल समझ कर भूल गई थी.

इस के बाद नेहा का मन मामा के घर में नहीं लगा. कुछ ही दिनों बाद वह वापस अपने घर आ गई. समय बीतने लगा. इसी बीच नेहा की तबीयत कुछ खराब रहने लगी तो मां ने डाक्टर को दिखाया. डाक्टर ने कुछ टैस्ट किए और इस के बाद नेहा की मां को जो कुछ बताया उस पर उन्हें यकीन ही नहीं हुआ.

डाक्टर ने साफसाफ शब्दों में कह दिया कि नेहा मां बनने वाली है. डाक्टर और उस की मां ने जब नेहा से पूछा तो उस ने बताया कि किस तरह एक दिन मामा ने उस के साथ दुष्कर्म किया.

सेक्स की जानकारी जरूरी

स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. सुनीता चंद्रा कहती हैं, ‘‘इस तरह के मामले कोई अचंभे वाली बातें नहीं हैं. ऐसी बहुत सारी घटनाएं हम लोगों के सामने आती हैं, जिन में लड़की को पता ही नहीं चलता है कि उस के साथ क्या हुआ है. इसीलिए इस बात की जरूरत है कि किशोर उम्र में ही लड़की को सेक्स शिक्षा दी जाए. घर में मां और स्कूल में टीचर इस काम को सरलता से कर सकती हैं. मां और टीचर को पता होना चाहिए कि बच्चों को सेक्स की क्या और कितनी शिक्षा देनी चाहिए.’’

डाक्टर सुनीता का कहना है, ‘‘जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं, उन से पता चलता है कि कम उम्र में लड़कियों का यौनशोषण उन के रिश्तेदारों या फिर घनिष्ठ दोस्तों द्वारा किया जाता है. इसलिए जरूरी है कि लड़की को 10 से 12 साल की उम्र के बीच यह बता दिया जाए कि सेक्स क्या होता है और यह बहलाफुसला कर किस तरह किया जाता है. लड़कियों को बताया जाना चाहिए कि वे किसी के साथ एकांत में न जाएं. अगर कभी इस तरह की कोई घटना घटती है तो लड़की मां को यह बता दे ताकि मां उस की मदद कर सके.’’

शारीरिक संबंधों में समझदारी

शारीरिक संबंध बनाने से यौनरोग हो सकते हैं, जिन का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. इन बीमारियों में एड्स जैसी जानलेवा लाइलाज बीमारियां भी शामिल हैं. इसलिए पेरैंट्स व टीचर्स को चाहिए कि वे घर व स्कूल में लड़कियों को गर्भनिरोधक गोलियों के बारे मेें बताएं कि इन का उपयोग कैसे और क्यों किया जाता है.

अधिकतर लड़कियों के साथ बलात्कार जैसी घटनाएं हो जाती हैं तो वे या तो मां बन जाती हैं या फिर आत्महत्या कर लेती हैं. उन्हें इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए कि अब इस तरह की गोलियां भी आती हैं, जिन्हें खाने से अनचाहे गर्भ से नजात मिल सकती है. वैसे कई दवाएं अब आसानी से दवा की दुकानों पर भी उपलब्ध हैं. लेकिन दवा लेने से पहले बेहतर होगा कि आप किसी डाक्टर से मिल लें और जो भी पिल्स डाक्टर कहें वही लें.

डाक्टर सुनीता का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों में महिला डाक्टरों द्वारा एक दिन कुछ घंटे किशोरियों की परेशानियों को हल किया जाना चाहिए. यहां परिवार नियोजन की बात होनी चाहिए. स्कूलों को भी समयसमय पर डाक्टरों को साथ ले कर ऐसी चर्चा करानी चाहिए जिस से छात्र और टीचर दोनों को सही जानकारी मिल सके. बढ़ती उम्र की लड़कियों को कंडोम के बारे में बताना जरूरी होता है. यह केवल गर्भ ठहरने से ही नहीं रोकता, बल्कि यौनरोगों से भी बचाव करता है.

पीरियड्स में न घबराएं

किशोर उम्र में सब से बड़ी परेशानी लड़कियों में पीरियड्स को ले कर होती है. आमतौर पर पीरियड्स आने की उम्र 12 से 15 साल के बीच की होती है. अगर इस उम्र में पीरियड्स न आए तो डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

डाक्टर सुनीता का कहना है कि पीरियड में देरी का कारण खानपान में कमी, आनुवंशिक जैसे मां और बहन को अगर पीरियड्स देर से आए होंगे तो उस के साथ भी देरी हो सकती है. कुछ बीमारियों के चलते भी ऐसा होता है. इन बीमारियों में गर्भाशय का न होना, उस का छोटा होना, अंडाशय में कमी होना, क्षय रोग और एनीमिया के कारण भी देरी हो सकती है. डाक्टर से सलाहमशवरा करने के बाद ही पता चलेगा कि सही कारण क्या है.

यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि  कभीकभी लड़की उस समय भी गर्भधारण कर लेती है जब उस के पीरियड्स नहीं होते हैं. डाक्टर सुनीता कहती हैं, ‘‘ऐसा तब होता है जब लड़की का शरीर गर्भधारण के योग्य हो जाता है, लेकिन पीरियड्स किसी कारण से नहीं आते हैं. यह नहीं सोचना चाहिए कि जब तक पीरियड्स नहीं होंगे, गर्भ नहीं ठहर सकता है.

पीरियड्स में कई दूसरी तरह की परेशानियां भी आती हैं. कभीकभी ये समय से शुरू तो हो जाते हैं लेकिन बीच में एकदो माह का गैप भी हो जाता है. शुरुआत में ये नौर्मल होते हैं, लेकिन यह परेशानी बारबार हो तो डाक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है. कभीकभी पीरियड्स का समय तो ठीक होता है, लेकिन यह ज्यादा मात्रा में होते हैं. यदि ध्यान न दिया जाए तो लड़की का हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और उस का विकास रुक हो जाता है.

डाक्टर सुनीता कहती हैं कि परेशानी की बात तो यह है कि कुछ लोग अपनी लड़कियों को डाक्टर के पास लाने से घबराते हैं. उन का मानना है कि अविवाहित लड़की की जांच कराने से उस के अंग को नुकसान हो सकता है. जिस से उस का होने वाला पति उस पर शक कर सकता है,  लेकिन अब ऐसा नहीं है. अल्ट्रासाउंड और दूसरे तरीकों से जांच बिना किसी नुकसान के हो सकती है.

बदलते समय के अनुसार करें ड्रैस का चुनाव

टीनएज में शरीर में बदलाव शुरू होता है. इस उम्र से ही सही तरह के इनरवियर का इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए. कौटन के इनरवियर पहनने चाहिए. एकदम फिटिंग वाले इनरवियर न पहनें. इस से बौडी के पार्ट की ग्रोथ रुक जाती है.

टीनएज में बौडी को ज्यादा डाइट की जरूरत होती है. ऐसे में शरीरकी जरूरत के हिसाब से डाइट लेनी चाहिए. खाने में जंकफूड से परहेज करें. खाने के साथसाथ ऐक्सरसाइज का भी ध्यान रखें. यह फिटनैस के लिए जरूरी है. फिट बौडी पर हर डै्रस अच्छी लगती है. शरीर की साफसफाई खासकर इनरपार्ट की बहुत जरूरी है. सफाई न होने से फंगस होने की आशंका बढ़ जाती है.

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का कारण कहीं सेक्स असंतुष्टि तो नहीं

कुछ अरसा पहले आए सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले में धारा 497 को रद्द कर विवाहेतर संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया. उस समय के सीजेआई दीपक मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवाह से बाहर बनाया गया संबंध एक व्यक्तिगत मुद्दा हो सकता है. यह तलाक का आधार तो बन सकता है, परंतु यह अपराध नहीं है.

देश की शीर्ष अदालत के इस फैसले से बहस छिड़ गई है. समाज में बढ़ रहा व्यभिचार समाज के तानेबाने को तोड़ने का कुत्सित प्रयास तो कर रहा है, लेकिन प्रश्न यह भी उठा रहा है कि आखिर बढ़ते व्यभिचार और विवाहेतर संबंध का कारण क्या है?

मानव सभ्यता के विकास के साथ समाज ने शारीरिक संतुष्टि और सेक्स संबंधों की मर्यादा के लिए विवाह नामक संस्था को सामाजिक मंजूरी दी होगी. विवाह के बाद पति और पत्नी के बीच के सेक्स संबंध शुरू में तो ठीक रहते हैं, परंतु समय के साथ सेक्स के प्रति अरुचि व पार्टनर की जरूरतों पर पर्याप्त ध्यान न दिया जाना कलह के कारण बनते हैं.

आमतौर पर सुखद सेक्स उसी को माना जाता है, जिस में दोनों पार्टनर और्गेज्म पा सकें. यदि पतिपत्नी सेक्स संबंध में एकदूसरे को संतुष्ट कर पाने में सफल होते हैं तो उन के दांपत्य संबंधों की कैमिस्ट्री भी अच्छी रहती है.

राकेश और प्रतिभा की शादी को 5 वर्ष हो चुके हैं. उन की 2 साल की एक बेटी भी है. परंतु बेटी के जन्म के साथ ही प्रतिभा का ध्यान अपनी बेटी में ही रम गया. पति की छोटीछोटी जरूरतों का ध्यान रखने वाली प्रतिभा अब पति के प्रति बेपरवाह सी हो गई है.

कभी रोमांटिक मूड होने पर राकेश जब सेक्स करने की पहल करता है, तो प्रतिभा उसे यह कह कर झिड़क देती है कि तुम्हें तो बस एक ही चीज से मतलब है. इस से राकेश कुंठित हो कर चिड़चिड़ाने लगता. मन मसोस कर अपनी कामेच्छा दबा लेता. धीरेधीरे सेक्स करने की कुंठा से उस के मन में कहीं और शारीरिक संबंध बनाने के खयाल आने लगे. प्रतिभा जैसी अनेक महिलाओं का यही व्यवहार राकेश जैसे पुरुषों को दूसरी महिलाओं के साथ संबंध बनाने को प्रोत्साहित करता है.

जिस तरह स्वादिष्ठ भोजन करने के बाद कुछ और खाने की इच्छा नहीं होती, ठीक उसी तरह सेक्स क्रिया से संतुष्ट पतिपत्नी अन्यत्र सेक्स के लिए नहीं भटकते. दांपत्य जीवन में सुख प्राप्त करने के लिए पतिपत्नी को अपनी सेक्स जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए. सेक्स की पहल आम तौर पर पति द्वारा की जाती है. पत्नी को भी चाहिए कि वह सेक्स की पहल करे. पतिपत्नी में से किसी के भी द्वारा की गई पहल का स्वागत कर, सेक्स संबंध स्थापित कर, एकदूसरे की संतुष्टि का खयाल रख कर विवाहेतर संबंधों से बचा जा सकता है.

बच्चों के जन्म के बाद भी सेक्स के प्रति उदासीन न हों. सेक्स दांपत्य जीवन का मजबूत आधार है. शारीरिक संबंध जितने सुखद होंगे भावनात्मक प्यार उतना ही मधुर होगा. घर में पत्नी के सेक्स के प्रति रूखे व्यवहार के चलते पति अन्यत्र सुख की तलाश में संबंध बना लेता है. कामकाजी पति द्वारा पत्नी को पर्याप्त समय और यौन संतुष्टि न देने से वह भी अन्य पुरुष से शारीरिक संबंध बना लेती है, जिस की परिणति दांपत्य जीवन में तनाव और बिखराव के रूप में देखने को मिलती है.

स्वाभाविक होता है बदलाव

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि संबंधों में यह बदलाव स्वाभाविक है. शादी के शुरू के सालों में पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति जो खिंचाव महसूस करते हैं, वह समय के साथ खत्म होता जाता है और तब शुरू होती है रिश्तों में उकताहट.

आर्थिक, पारिवारिक और बच्चों की परेशानियां इस उकताहट को बढ़ावा देती हैं. फिर इस उकताहट को दूर करने के लिए पतिपत्नी बाहर कहीं सुकून तलाशते हैं, जहां उन्हें फिर से अपने वैवाहिक जीवन के शुरू के वर्षों का रोमांच महसूस हो. यहीं से विवाहेतर संबंधों की शुरुआत होती है.

एक रिसर्च से पता चला है कि अलगअलग लोगों में इन संबंधों के अलगअलग कारण हैं. किसी से भावनात्मक जुड़ाव, सेक्स लाइफ से असंतुष्टि, सेक्स से जुड़े कुछ नए अनुभव लेने की लालसा, वक्त के साथ आपसी संबंधों में प्रेम की कमी, अपने पार्टनर की किसी आदत से तंग होना, एकदूसरे को जलाने के लिए ऐसा करना विवाहेतर संबंधों के कारण होते हैं.

महिलाओं के प्रति दोयमदर्जे की सोच

भारतीय संस्कृति में महिलाओं के प्रति दोयमदर्जे का व्यवहार आज भी देखने को मिलता है. सामाजिक परंपराओं की गहराई में स्त्री द्वेष छिपा है. ये परंपराएं पीढि़यों से महिलाओं को गुलाम से अधिक कुछ नहीं मानती हैं. उन्हें इस तरह ढाला जाता है कि वे अपने शरीर के आकार से ले कर निजी साजसज्जा तक के लिए अनुमति लें.

जो महिला अपने ढंग से जीने के लिए परंपराओं और वर्जनाओं को तोड़ने का प्रयास करती है उस पर समाज चरित्रहीन होने का कलंक लगा देता है. पति को घर में व्यवस्था, पत्नी का समय व बढि़या तृप्तिदायक खाना, सुखचैन का वातावरण और देह संतुष्टि चाहिए. परंतु पति खुद उस की सुखसुविधाओं और शारीरिक जरूरतों का उतना खयाल नहीं रखता. पत्नी से यह चाह जरूर की जाती है कि वह पति की नैसर्गिक इच्छाएं पूरी करती रहे.

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार विवाहेतर संबंधों को रोकने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. यदि आपसी रिश्ते की गरमाहट कम हो गई है तो रिश्ते को पुराने कपड़े की तरह निकाल कर नए कपड़ों की तरह नए रिश्ते बनाना समस्या का हल नहीं है. अपने पार्टनर को समझाने के कई तरीके हैं. उस से बातचीत कर समस्या को सुलझाया जा सकता है. सेक्स को ले कर की गई बातचीत, सेक्स के नएनए तरीके प्रयोग में ला कर एकदूसरे की शारीरिक संतुष्टि से विवाहेतर संबंधों से बचा जा सकता है.

फोरप्ले से और्गेज्म तक का सफर

एक नामी फैशन मैगजीन के सर्वेक्षण के अनुसार महिलाओं के और्गेज्म यानी चरमसुख को ले कर कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं. इस औनलाइन शोध में 18 से 40 साल की आयु वाली 2300 महिलाओं से प्रश्न किए गए, जिन में 67% महिलाओं ने माना कि वे फेक और्गेज्म यानी और्गेज्म होने का नाटक करती हैं. 72% महिलाओं ने माना कि उन का साथी स्खलित होने के बाद उन के और्गेज्म पर ध्यान नहीं देता है. सर्वेक्षण के यह आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में पति और पत्नी अकसर सेक्स संबंधों में और्गेज्म तक नहीं पहुंच पाते हैं.

सेक्स को केवल रात्रिकालीन क्रिया मान कर निबटाने से सहसंतुष्टि नहीं मिलती. जब दोनों पार्टनर को और्गेज्म का सुख मिलेगा तभी सहसंतुष्टि प्राप्त होगी. पत्नी और पति का एकसाथ स्खलित होना और्गेज्म कहलाता है. सुखद सेक्स संबंधों की सफलता में और्गेज्म की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है.

सेक्स को शारीरिक तैयारी के साथसाथ मानसिक तैयारी के साथ भी किया जाना चाहिए. यह पतिपत्नी की आपस की जुगलबंदी से ही मिलता है. सेक्स करने से पहले की गई सेक्स से संबंधित छेड़छाड़ भूमिका बनाने में सहायक होती है. कमरे का वातावरण, बिस्तर की जमावट, अंतर्वस्त्र जैसी छोटीछोटी बातें सेक्स के लिए उद्दीपक का कार्य करती हैं.

सेक्स के दौरान घरपरिवार की समस्याएं बीच में नहीं आनी चाहिए. सेक्स संबंध के दौरान छोटीछोटी बातों को ले कर की जाने वाली शिकायतें संबंध को बोझिल बनातीं और सेक्स के प्रति अरुचि भी उत्पन्न करती हैं. सेक्स के लिए नए स्थान और नए तरीकों का प्रयोग कर संबंध को प्रगाढ़ बनाया जा सकता है. सेक्स की सहसंतुष्टि यकीनन दांपत्य जीवन को सफल बनाने के साथसाथ विवाहेतर संबंध बनाने से रोकने में भी मददगार साबित हो सकती है.

सेक्स के दौरान हमेशा याद रखें ये 4 बातें

एक औसत दर्जे के सेक्स से समझौता करने की कोई वजह नहीं है, जब आप हर बार, हर स्थिति में सेक्स का लाजवाब अनुभव ले सकती हैं. चाहे आप पहली बार सेक्स कर रही हों या यह केवल एक रात के आनंद की बात हो. हमारे पास हर स्थिति को यादगार और शानदार बनाने के नियम हैं. जरूरत है तो बस इनका पालन करने की.

स्थिति: जब आप पहली बार सेक्स कर रही हों

क्या करें: यह जरूरी नहीं है कि सेक्स का पहला अनुभव सपनों जैसा और यादगार ही हो. बजाय इसके संभावना इस बात की ज्यादा है कि यह बेतुका, अजीब और अनिश्चित हो सकता है. आपकी उम्मीदों से कहीं बदतर साबित हो सकता है.

पहले सेक्स के अनुभव को आनंददायक बनाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है-उस क्षण का भरपूर आनंद उठाएं-बिना किसी चिंता या भय के. ‘‘धीरे-धीरे आगे बढ़ें और सहज बनी रहें,’’ कहती हैं डा. अवनी तिवारी, सीनियर कंसल्टेंट और सेक्सोलॉजिस्ट, मेट्रो मल्टीस्पेशिऐलिटी हौस्पिटल नोएडा. ‘‘जल्दबाज़ी न करें और न ही ख़ुद पर दबाव डालें. अपनी व्यग्रता और चिंता को छिपाने के लिए ड्रिंक न करें. यदि आप पहले सेक्स की बेहतर यादें चाहती हैं तो होश में बनी रहें. सेक्स के बारे में जानकारी हासिल करें. एक अनाड़ी पार्टनर सेक्स का मूड खराब कर सकता है. तो देर न करें, सेक्स के बारे में जानकारी हासिल करना शुरू कर दें.’’

सलाह : आपके शरीर से वे उतने ही अपरिचित हैं, जितनी अनजान आप उनके शरीर से हैं. अत: उनसे पूछें कि वे क्या चाहते हैं और उन्हें बताएं कि आपको आनंद कैसे मिल सकता है. प्रत्येक एहसास और स्पर्श का आनंद उठाएं और उन्हें भी इसका आनंद लेने दें.

स्थिति: जब आप रोमांच के मूड में हों

क्या करें: सेक्स का पारंपरिक तरीका कंफर्ट फूड की तरह है. इससे आपकी भूख तो मिट सकती है, पर लालसा अतृप्त रह जाती है. ‘‘मेरे पति बिस्तर पर अच्छे हैं, लेकिन वे प्रयोग करने में आगे नहीं बढ़ना चाहते. वहीं मैं कई सारी चीजें आजमाना चाहती हूं – रोल प्ले से लेकर ब्लाइंड फ़ोल्ड्स तक,’’ कहती हैं श्रीमोई सेन. पिछली बार जब मैं कुछ नया करना चाह रही थी, तब उन्होंने कोई खास रुचि नहीं दिखाई. उसके बाद तो उनसे कुछ नया करने का आग्रह करना और भी मुश्किल हो गया.’’

विविधता और नए प्रयोग करना स्वस्थ्य और रोमांचक सेक्स जीवन की कुंजी है. हां, इसके लिए आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके पार्टनर को भी यह पसंद हो. वे जिसमें सहज महसूस नहीं करते, उनपर वह करने का दबाव डालना सही नहीं होगा.

‘‘यदि आप उनसे कुछ नया करवाना चाहती हैं तो आपको पहले यह जानना होगा की क्या वे रोमांच के लिए तैयार हैं?’’ कहते हैं डा. राजेश गोयल, कंसल्टेंट साइकियाट्रिस्ट, सर गंगाराम हौस्पिटल. ‘‘यदि वे आपके विचारों से सहमत नहीं हैं तो उन्हें बातचीत द्वारा तैयार करने की कोशिश करें. यदि उन्हें चौंकाना चाहेंगी तो हो सकता है चीजें आपकी योजनानुसार न हों. यह न केवल तनावपूर्ण हो सकता है, बल्कि इससे सेक्शुअल चोट का भी खतरा होता है.’’

जानकारी : वर्ष 2014 में जरनल औफ यूरोलौजी में छपे एक अध्ययन के अनुसार वुमन औन टौप पोजिशन पुरुषों के लिए खतरनाक हो सकती है. उन्हें पीनाइल फ्रैक्चर का खतरा रहता है.

स्थिति: जब आप अपने रिश्ते की गर्मजोशी फिर तलाश रही हों

क्या करें: समय के साथ सेक्स में नीरसता आना स्वाभाविक है. कपल्स का सेक्स जीवन एक ढर्रे पर चलने लगता है. उनके बीच की गर्मजोशी कम हो जाती है. सेक्स की बारंबारता और विविधता में भी कमी देखी जाती है. बच्चों की मौजूदगी, औफिस का तनाव और रोजमर्रा के जीवन की चुनौतियां आपकी सेक्स जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित कर देती हैं. फिर भी अच्छी बात यह है कि आप थोड़े-से दिमागी व्यायाम से अंतरंग पलों में दोबारा जान डाल सकती हैं.

‘आपका मस्तिष्क सेक्स के लिए इस्तेमाल होनेवाला सबसे शक्तिशाली अंग है.’ यकीन मानिए यह बात पूरी तरह सच है. मुंबई के सेक्सोलौजिस्ट डा. राज ब्रह्मभट्ट कहते हैं, ‘‘नई चीजें आजमाने से अंतरंग पलों के रोमांच को दोबारा पाया जा सकता है. नीरसता को दूर करने के लिए नए सेक्शुअल पोजिशन्स अपनाएं. रोल प्ले आजमाएं या बिस्तर पर कुछ उत्तेजक खेल खेलें. विकल्प अंतहीन हैं.’’

अपने दिमाग की सबसे तीव्र सेक्शुअल फंतासी को आजमाने का वक्त आ गया है. सप्ताहांत में शहर से दूर चले जाएं और एजेंडे पर सिर्फ और सिर्फ सेक्स ही हो. ऐसा सोचें कि आप पहली डेट पर हैं और एक-दूसरे के करीब आने के लिए बेताब हैं. आप स्ट्रिप पोकर जैसे गेम्स खेल सकते हैं और एक-दूसरे को सेक्स मैसेजेस भेज सकते हैं.

सलाह : ‘‘प्यार और सेक्स कभी मरते नहीं. वे तो रोजाना की चिंताओं के पीछे छुप भर जाते हैं. अपने मतभेदों को भुलाकर अपनी सारी ऊर्जा सेक्स में लगा दें,’’ कहते हैं डा. गोयल.

स्थिति: जब आप वन नाइट-स्टैंड आजमा रही हों

क्या करें: वन नाइट स्टैंड का विचार आते ही दिमाग में एक सेक्सी अजनबी से मिलने का दृश्य आ जाता है. फिर आप उसके साथ होटल के एक कमरे में जाकर जीवन के सबसे बेहतरीन सेक्स का आनंद उठाती हैं. इस बात से बेफिक्र होकर कि वह शादीशुदा है या आपमें सचमुच रुचि लेने लगा है-बस सेक्स का मजा लेने के लिए सेक्स करना अपने आप में अद्भुत होता है. फिर भी आगे-पीछे की सोचकर कभी-कभी मूड खराब भी हो सकता है.

‘‘एक कौन्फ्रेंस के दौरान मैंने अपने एक दूसरे शहर के कलीग के साथ वन नाइट स्टैंड किया था,’’ कहती हैं बृंदा सिंह. ‘‘जबकि वो सेक्स के दौरान काफी खुश था, पर मैंने अपना ज्यादातर समय इस चिंता में बिता दिया कि कहीं वो बाकी टीम को इस बारे में बता न दे. शुक्र है कि उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया. पर मैंने महसूस किया कि वन नाइट स्टैंड केवल ऐसे व्यक्ति के साथ ही आजमाना चाहिए जिससे कभी दोबारा मिलने की संभावना न हो.’’ वहीं डा. तिवारी कहती हैं, ‘‘बिना किसी प्रतिबद्धता वाला सेक्स, वन नाइट स्टैंड और केवल सेक्स फ्रेंड जैसे मुद्दे बेहद पेचीदा होते हैं. आप दोनों के बीच चीजें बिल्कुल स्पष्ट होनी चाहिए. हालांकि कई लोगों को आगे विश्वास की कमी का सामना करना पड़ता है.’’

सलाह : गर्भनिरोधक का प्रयोग करना न भूलें, क्योंकि जाहिर है आप एक अनचाहा गर्भ नहीं चाहेंगी और न ही एसटीडी. खुद कंडोम रखें, पार्टनर के भरोसे न रहें.

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