हग एंड किस, डोंट मिस: पर रखें इन बातों का ध्यान

पब्लिक प्लेस में कपल्स को हग या किस करते यानी गले लगाते और चूमते देखकर कई लोग नाकमुंह सिकोड़ लेते हैं. इसे मोरली खराब माना जाता है और अश्लीलता की कैटेगरी में डाल दिया जाता है. यंग जेनरेशन इस सिचुएशन को किस तरह हैंडल करती है, जानिए.

कपल के लिए हग और किस करना प्यार जताने का एक तरीका है. यह उन के लिए बहुत नौर्मल बात है. लेकिन पब्लिक प्लेस में हग और किस करना इंडिया में अभी नौर्मल बात नहीं है. हालांकि मैट्रो सिटीज में यह धीरेधीरे नौर्मल होता जा रहा है. इस का कारण यह है कि मैट्रो सिटीज में रहने वाले ज्यादातर लोग यंग हैं.

पब्लिक प्लेस में कपल का हग करना फैमिली के साथ आए लोगों को असहज कर देता है. ऐसा कंजरवेटिवथिंकिंग से ग्रसित लोगों का कहना है. लेकिन सच तो यह है कि वे अपनेआप को बदलना ही नहीं चाहते. उन का यह कहना है कि ये सब वैस्टर्न कल्चर की देन है. हमारे कल्चर में यह सब नहीं होता.

हमारे देश में पब्लिक प्लेस पर हग या किस करना अकसर सांस्कृतिक और पारंपरिक मापदंडों के कारण गलत माना जाता है. इंडियन सोसाइटी में पब्लिकली गले मिलना या कहें हग करना स्वीकार नहीं किया जाता है क्योंकि इसे बेहद गुप्त में होने वाली क्रिया माना जाता है. इसे प्यार जताने से ज्यादा गुप्त यौन क्रिया मान कर इसे पब्लिकली करने से खारिज कर दिया जाता है.

लेकिन बात करें अगर वैस्टर्न कंट्रीज की तो कपल का हग और किस करना बहुत ही नौर्मल है. लंदन की सड़कों पर कपल अकसर किस करते हुए दिख जाते हैं. न तो वह इमोरल दिखता है न ही भद्दा लगता है. बल्कि बहुत बार तो बहुत प्यारा लगता है और यह वहां बहुत ही नौर्मल है. लेकिन इंडिया में जहां 5000 साल पुरानी वेदपुराणों वाली पंरपराओं को सबकुछ मान कर चलने से बहुत रोकटोक इंसान अपनी जिंदगी में लगाता है या जो उसे इन ग्रंथों के मुताबिक चलने को कहता है वह चुपचाप बिना सवाल किए चलने लगता है.

हमारे देश में हमें सांस्कृतिक मापदंडों का ध्यान रखने और उन का सम्मान करने का पाठ बचपन से ही पढ़ाया जाता है. बिना यह जाने कि यूथ यह पाठ पढ़ना चाहते भी हैं या नहीं. बस हमें संस्कृतियों के जाल में फंसा दिया जाता है और मरते दम तक हम इसी जाल में फंसे रहते हैं.

पब्लिक प्लेस में हग और किस करना सही है या गलत. इस बात पर सब का नजरिया अलगअलग है. पुरानी जेनेरेशन जहां इसे असभ्य तो नहीं इसे सामान्य व्यवहार में गिनती है. इस विषय पर शारदा यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली यामिनी मेहता कहती है, ‘‘मेरे फ्रैंड्स सर्कल में लड़के और लड़कियां दोनों हैं. हम लोग साथ में चिलआउट करते हैं. क्लब जाते हैं. कई बार कालेज के बाद हम सभी कालेज के आसपास ही घूमने निकल जाते हैं.

‘‘मेरी आदत है कि मैं जब भी अपने दोस्तों से मिलती हूं तो उन्हें साइड हग जरूर करती हूं. वहीं जब मैं अपने पार्टनर से मिलती हूं तो मेरा हग करने का तरीका बदल जाता है. मैं अपने पार्टनर को एक वार्म हग करती हूं और कभीकभी मेरा पार्टनर और मैं एकदूसरे को किस भी कर देते हैं. हमारे लिए यह बहुत नौर्मल है.

‘‘लेकिन कई बार जब मैं पब्लिक प्लेस में अपने पार्टनर को हग करती हूं तो उस वक्त वहां के लोग हमें घूरघूर कर देखने लगते हैं जैसे हम ने कोई अपराध किया हो. ऐसा नहीं है कि इन में सिर्फ मर्द ही शामिल हों. बल्कि महिलाएं भी हमें आंखें दिखाने लगती हैं. उस समय अटपटा लगता है. ये लोग तब तो घूरघूर कर नहीं देखते जब इन की बहूबेटियों को इन के घर के मर्द पीटते और मांबहन की गंदीगंदी गालीगलौच करते हैं. संस्कृति और परंपरा तब क्यों नहीं आती?’’

यामिनी आगे कहती है, ‘‘मुझे नहीं लगता कि हग और किस अश्लीलता की श्रेणी में आते हैं. ‘हग’ केयर का ही एक पार्ट होता है और हम अपने चाहने वालों की केयर तो करते ही हैं. ऐसे में यही केयर हम अपने पार्टनर की भी करते हैं, जिस में हग कुछ देर ज्यादा और वार्म होता है. हां, इस में केयर के तौर पर बौडी को थोड़ी देर सहलाना शामिल है. हम अपनी फीलिंग्स अपने पार्टनर से शेयर कर रहे हैं तो इस में कुछ भी गलत नहीं है. यह सिर्फ अपना प्यार जताने का एक तरीका है.

‘‘जिन लोगों को लगता है कि पब्लिक प्लेस में कपल का हग करना सही नहीं है तो वह गलत है. वे लोग गलत मानसिकता के शिकार हैं. वे अभी भी पुरानी सोच पर टिके हुए हैं. उन्हें अपनी इस मानसिकता को बदल कर लिबरल होना होगा.’’

यामिनी हमारी इंडियन सोसाइटी पर सवाल करते हुए कहती है, ‘‘इंडिया में लोग पब्लिक प्लेस में एकदूसरे को किस क्यों नहीं कर सकते? जब प्यार सार्वभौमिक है तो उस के जताने के तरीकों को यहां विदेशी क्यों माना जाता है? हमारा समाज बदलाव को अपनाना क्यों नहीं चाहता? क्यों यह बदलाव से इतना डरा हुआ है?’’

कभीकभी ऐसा भी होता है कि आप जिस व्यक्ति को हग करना चाहते हैं वह तो ओपन माइंडेड होता है लेकिन आप के आसपास के लोग ओपन माइंडेड नहीं होते. वह वही दकियानूसी सोच लिए हुए बैठे होते हैं जो सालों से चली आ रही है. इन्हें पब्लिक प्लेस में चिपकाचिपकी पसंद नहीं आती. ये चाहते हैं कि कपल्स को जो भी करना है वे अपने घर में करें. हमारी सोसाइटी में गंदगी न फैलाएं. इन सब चीजों से हमारे बच्चों पर बुरा असर पड़ता है इसलिए वे चाहते हैं कि ये पब्लिक प्लेस में अपनी मर्यादा में बने रहें.

इंडियन सोसाइटी में हग करने को पैरा-रोमांटिक चीज माना जाता है. तभी इतना हौव्वा होता है. लेकिन पश्चिमी शहरों में ऐसा नहीं है. वहां सड़कों पर किस भी बहुत नौर्मल है. इस का एक कारण यह भी है कि वहां प्यार करने की आजादी है, सैक्स करना पाप नहीं माना जाता, दोस्ती करना अच्छे नेचर की निशानी मानी जाती है. जबकि इस के ठीक उलट यहां है.

दूसरी तरफ अगर बात करें एक फ्रैंडशिप में हमारे मन में ऐसा डर बैठा दिया है कि अपोजिट सैक्स वालों को हम नमस्ते या सिर्फ ‘हाय’ के साथ ही मिलते हैं. ऐसा गलत नहीं है लेकिन सिर्फ गले मिलना गलत क्यों? मैट्रो सिटीज में हग करना अब मेल नहीं चाहते कि वे अपनी तरफ से पहल करें और नमस्ते करना एक सेफ चौइस है. वहीं आज की लड़कियों को हग करने में कोई परेशानी नहीं होती. वे हग करने में सहज हैं लेकिन वे सोसाइटी की दकियानूसी बातों के पचड़े में नहीं पड़ना चाहतीं.

140 करोड़ से अधिक की आबादी के बावजूद हम इंडियन सैक्स के टौपिक पर पब्लिक प्लेस में खुल कर बात नहीं कर सकते हैं. हम सैक्स को सैक्स कहने से कतराते हैं. पब्लिक प्लेस में किस को अपराध करने जैसा माना जाता है और पब्लिक प्लेस में सैक्स के बारे में बात करना सही नहीं माना जाता है. एक कमरे के अंदर आप हर दिन सैक्स कर सकते हैं और 10 बच्चे पैदा कर सकते हैं लेकिन बाहर जनसंख्या नियंत्रण के लिए सैक्स एजुकेशन भी नहीं दे सकते.

असल में, हमारे विचारों और दिमाग में रूढि़वाद अपनी गहरी जड़ें जमा चुका है, जिसे आसानी से तब तक नहीं हटाया जा सकता जब तक कि हमारा समाज खुद को बदलने की पहल न करे. इस दिशा में फिल्मी कलाकर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अपनी भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि इन का सोसाइटी पर बहुत बड़ा इंपैक्ट पड़ता है, लेकिन ऐसा तभी होगा जब उन में सोसाइटी के नौर्म्स से टकराने की हिम्मत होगी.

हौलीवुड फिल्मों में मेल या फीमेल कैरेक्टर पूरी तरह से न्यूड हो जाते हैं, इस से भी उन की औडियंस को कोई परेशानी नहीं होती है. लेकिन बौलीवुड में 2 मिनट के स्मूच सीन से हायतौबा मच जाती है, जबकि इंटरनैट के जमाने में 18 साल का लड़का क्या कुछ देखपढ़ रहा है इस पर संस्कृति चाह कर भी कुछ नहीं कर पाती.

पुलिस और लोग हमारे अस्पष्ट कानूनों का नकारात्मक लाभ उठाते हैं. सब से बड़ा दोष यह परिभाषित न करना है कि अश्लील क्या है. उन पुलिस अधिकारियों द्वारा कानून को नियंत्रणीय बनाना जिन की अश्लीलता की परिभाषा अलग है, अब तक की सब से मूर्खतापूर्ण बात है. मूलरूप से इस का मतलब यह है कि हम सोचते हैं कि हर पुलिसवाले का फैसला हमेशा सही होता है जो सच नहीं है. यह मूलरूप से हमारे संविधान की एक मूर्खता है, जिस में व्यापक और अस्पष्ट कानून हैं जिन्हें आसानी से मोड़ा जा सकता है.

क्या कहता है कानून

भारतीय दंड संहिता की धारा 294 कहती है, ‘‘सार्वजनिक रूप से अश्लीलता एक आपराधिक अपराध है, लेकिन सार्वजनिक रूप से किस या हग करने के बारे में विशेष रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है इसलिए यह कोई अपराध नहीं कहा जा सकता है.

भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को चिढ़ाने के इरादे से किसी भी पब्लिक प्लेस पर कोई भी अश्लील हरकत करता है या किसी भी सार्वजनिक स्थान या उस के आसपास कोई अश्लील गाना या शब्द गाता है या बोलता है तो उसे सजा दी जा सकती है. आईपीसी की धारा 294 का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को अधिकतम 3 महीने की जेल या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जा सकता है.

कानूनी नजरिए से अश्लीलता एक क्राइम है और इस के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 292, 293 और 294 के तहत सजा का प्रावधान है. हालांकि इस में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि आश्लीलता है क्या और इस का दायरा क्या है.

कानूनी जानकारों की मानें तो अगर कोई शख्स ऐसी अभद्र सामग्री, किताब या अन्य आपत्तिनजनक सामान बेचे या सर्कुलेट करे जिस से दूसरों को नैतिक रूप से परेशानी हो तो उस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

इस मामले में दोषी पाए जाने पर आरोपी को 2 साल की सजा और 2000 रुपए जुर्माना देना पड़ सकता है. अगर दूसरी बार वह ऐसे ही मामले में दोषी पाया जाता है तो उसे 5 साल की जेल और 5000 रुपए जुर्माना देना होगा. इस के अलावा भी कई और धाराएं अश्लीलता को ले कर बनी हैं.

भारत में अश्लीलता पर कानून तो बना है लेकिन इसे स्पष्टरूप से परिभाषित नहीं किया गया है. आईपीसी धारा 292 और आईटी एक्ट 67 में उन सामग्री को अश्लील बताया गया है जो सैक्सुअल या सैक्सुअलिटी पैदा करती है या फिर इसे देखने, पढ़ने और सुनने से सैक्सुअलिटी पैदा होती हो. लेकिन कानून में सैक्सुअल और सैक्सुअलिटी किसे माना जाए इस को ले कर स्पष्ट नहीं किया गया है. इस की व्याख्या करने का अधिकार कोर्ट पर छोड़ दिया गया है.

पब्लिक प्लेस में हग और किस करना नैतिक है या अनैतिक, इस बात का जवाब बस इतना है कि यह आप की पर्सनल चौइस है. अगर आप कंफर्टेबल हैं तो किस हग करने में कोई हर्ज नहीं है. यह पूरी तरह से आप पर डिपैंड करता है.

युवाओं के लिए है बेहद जरूरी सैक्स एजुकेशन

Sex News in Hindi: दिया की उम्र महज 20 साल है. वह अविवाहित (Unmarried) है, लेकिन कैसे गर्भवती (Pregnant) हो गई, दिया के मातापिता की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उन से कहां कमी रह गई? क्या दिया की परवरिश में कहीं कोई कमी रह गई थी? क्या वे अपनी जवान हो रही बेटी की हरकतों पर समय की कमी के चलते ध्यान नहीं दे पाए? दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक अच्छे कालेज में पढ़ने वाली दिया के मातापिता को जब उस के गर्भवती होने की बात पता चली तो वे सन्न रह गए. उन्होंने तुरंत सामान पैक किया और दिया को ले कर दिल्ली से बाहर दूसरे शहर चले गए, ताकि बात आसपड़ोस या फिर रिश्तेदारों में न फैले. शहर के बाहर उस के पिता ने किसी अच्छे डाक्टर से उस का गर्भपात (Abortion) कराया और कुछ समय तक वहीं होटल में रहे. बाद में उसे दिल्ली वापस ले आए.

यह उदाहरण सिर्फ दिया का ही नहीं है, बदलते समय के साथसाथ यंगस्टर्स की सोच में काफी बदलाव आया है, पश्चिमी सभ्यता उन के सिर चढ़ कर बोल रही है. उम्र का यह दौर ऐसा होता है कि अगर मातापिता बच्चों को कुछ समझाएं तो उन्हें समझ नहीं आता. उन्हें पूरी दुनिया गलत नजर आती है.

एक अनुमान के मुताबिक, भारत की मैट्रो सिटीज से ले कर गांवों तक 25 से 30 फीसदी युवतियां किसी न किसी कारण गर्भपात कराती हैं. ये आंकड़े 25 साल से कम उम्र की युवतियों के हैं. अधकचरी जानकारी में टीनऐज में गर्भपात के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. सरकारी संस्था नैशनल सैंपल सर्वे औफिस के आंकड़ों पर गौर करें तो ग्रामीण क्षेत्रों में 20 साल से कम उम्र की युवतियों में गर्भपात का प्रतिशत मात्र 0.7 है, जबकि शहरों में यह 14त्न है.

युवती की बढ़ जाती हैं मुश्किलें

 अविवाहिता जब संबंध बनाती है तब क्या सही और क्या गलत है, इस का खयाल तक उस के दिमाग में नहीं आता. तब मन गहरे समंदर में प्यार के गोते लगाता है. इस के दुष्परिणाम तब सामने आते हैं जब कम उम्र में युवती गर्भवती हो जाती है. इस उम्र में न तो प्रेमी शादी के लिए तैयार होता है और न ही प्रेमिका. लिहाजा, दोनों के सामने बस एक ही रास्ता होता है और वह है गर्भपात.

जब यह बात घर वालों को पता चलती है तो पूरे घर में बवंडर आ जाता है जो लाजिमी है, लेकिन इस गलती का युवती को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. उसे न केवल गर्भपात जैसे जटिल दौर से गुजरना पड़ता है बल्कि कई तरह की मानसिक परेशानियों से भी दोचार होना पड़ता है. प्रेमी के बदलते रवैए और घर वालों के तानों से पीडि़ता डिप्रैशन में चली जाती है जबकि कई मामलों में युवती ऐसे हालात में मौत को भी गले लगा लेती है.

कौन है जिम्मेदार

देश में अब टीनऐजर्स के लिए गर्भपात कोई नई बात नहीं है. युवा पहले शादी फिर सैक्स जैसी बातों को अब दकियानूसी मानते हैं और इस की वजह है उन्हें आसानी से सबकुछ उपलब्ध हो जाना, ऐसे में वे क्यों शादी का इंतजार करें और जिम्मेदारियों के बोझ तले दब जाएं.

इस के पीछे मुख्य कारण एकल परिवार भी है, जहां मातापिता दोनों कामकाजी हैं. ऐसे में वे बच्चों पर ज्यादा निगरानी नहीं रख पाते. बच्चे अकेले टीवी पर क्या देख रहे हैं या फोन पर क्या डाउनलोड कर रहे हैं, ये सब देखने की उन्हें फुरसत ही नहीं है. आजकल टीवी और इंटरनैट के माध्यम से सब चीजें उपलब्ध हैं, जिस के दुष्परिणाम आगे चल कर हमारे सामने गर्भपात के रूप में आते हैं.

प्रेमी का व्यवहार भी है इस की वजह

 प्यार की शुरुआत में तो सबकुछ अच्छा लगता है और कई बार युवती इस उम्मीद में रिश्ता भी बना लेती है कि उस की प्रेमी से शादी हो जाएगी, लेकिन जब वह गर्भ ठहरने की बात प्रेमी को बताती है तो अधिकतर मामलों में वह प्रेमिका से पीछा छुड़वाने की भरपूर कोशिश करता है. वह न तो बच्चे को अपना नाम देना चाहता है और प्रेमिका से शादी करने से भी मना कर देता है, जिस के चलते युवती के पास सिवा गर्भपात के कोई उपाय नहीं बचता और फिर उसे कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है. इस से न केवल उस का स्वास्थ्य प्रभावित होता है बल्कि मानसिक रूप से भी उसे गहरा सदमा लगता है.

गर्भपात के बाद युवती खुद को अलगथलग महसूस करती है. बारबार उसे लगता है कि उस के साथ धोखा हुआ है. धीरेधीरे उस के व्यवहार पर भी इस का गहरा असर दिखाई देता है.

गलती दोनों की

 यदि शादी से पहले कोई युवती गर्भवती हो गईर् है तो इस में सिर्फ उस की ही गलती नहीं है, जितनी दोषी वह युवती है उतना ही दोष उस युवक का भी है. दोनों इस में बराबर के हकदार हैं. हमारा समाज शादी से पूर्व युवती के गर्भवती होने पर उसे कई तरह के ताने जैसे बदचलन, कुलटा, कलमुंही कह कर उस का तिरस्कार करता है, लेकिन उस युवक का क्या, जो गर्भ में पल रहे बच्चे का बाप है? क्या उस का कोई कुसूर नहीं? लिहाजा, किसी एक पर गलती का दोष न डाला जाए तो अच्छा है.

कैसे निबटें ऐसे हालात से

 अगर आप कामकाजी या हाउसवाइफ हैं तो जरूरी है कि अपने बढ़ते बच्चों का ध्यान रखें. वे क्या कर रहे हैं, कब कहां जा रहे हैं, किस से बात कर रहे हैं? इन सब बातों को नजरअंदाज न करें बल्कि बच्चे का खयाल रखें, उस के साथ दोस्त की तरह व्यवहार करें. ध्यान रखिए डराधमका कर वह आप को कभी कुछ नहीं बताएगा. यदि आप का बच्चे के साथ व्यवहार दोस्ताना रहेगा तो वह आप के साथ सारी बातें शेयर करेगा. उस का फोन और लैपटौप भी समयसमय पर चैक करते रहिए.

हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप जासूसी कीजिए, लेकिन यदि आप कभीकभार ये सब चीजें चैक करेंगे तो आप को पता चल जाएगा कि आप का बच्चा किस दिशा में जा रहा है.

सैक्स शिक्षा बच्चों के लिए आज काफी अहम हो गई है. स्कूलकालेजों में यदि सैक्स शिक्षा दी जाए तो बच्चों को इस के सही और गलत प्रभाव का पता चल जाएगा जिस से टीनऐज में गर्भपात के हालात से निबटा जा सकता है.

ऐसे करें सैक्स, नहीं रहेगा बच्चा होने का डर

‘‘नहीं, आज नहीं,’’ अजय ने जैसे ही भारती को अपने करीब खींचने की कोशिश की, भारती ने झट से उसे पीछे धकेल दिया.

‘‘यह क्या है? कुछ समय से देख रहा हूं कि जब भी मैं तुम्हारे पास आना चाहता हूं, तुम कोई न कोई बहाना बना कर दूर भागती हो. क्या अब मुझ में दिलचस्पी खत्म हो गई है?’’ अजय ने क्रोधित स्वर में पूछा.

‘‘मुझे डर लगता है,’’ भारती ने उत्तर दिया.

‘‘2 बच्चे हो गए, अब किस बात का डर लगता है?’’ अजय हैरान था.

‘‘इसीलिए तो डर लगता है कि कहीं फिर से प्रैग्नैंट न हो जाऊं. तुम से कहा था कि मैं औपरेशन करा लेती हूं, पर तुम माने नहीं. तुम गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करना पसंद नहीं करते, इसलिए मैं किसी किस्म का रिस्क नहीं लेना चाहती हूं.’’

भारती की बात सुन कर अजय दुविधा में पड़ गया कि पत्नी कह तो ठीक रही है, लेकिन वह भी क्या करे? उसे कंडोम का इस्तेमाल करना पसंद नहीं था. उसे लगता था कि इस से सहवास का मजा बिगड़ जाता है, जबकि भारती को लगता था कि अगर वे कोई कॉन्ट्रासेप्टिव इस्तेमाल कर लेंगे तो यौन संबंधों का वह पूरापूरा आनंद उठा सकेगी.

अब सुजाता की ही बात लें. उस का बेटा 8 महीने का ही था कि उसे दोबारा गर्भ ठहर गया. उसे अपने पति व स्वयं पर बहुत क्रोध आया. वह किसी भी हालत में उस बच्चे को जन्म देने की स्थिति में नहीं थी, न मानसिक न शारीरिक रूप से और न ही आर्थिक दृष्टि से. पहले बच्चे के जन्म से पैदा हुई कमजोरी अभी तक बनी हुई थी, उस पर उसे गर्भपात का दर्द झेलना पड़ा. वह शारीरिक व मानसिक तौर पर इतनी टूट गई कि उस ने पति से एक दूरी बना ली, जिस की वजह से उन के रिश्ते में दरार आने लगी. जब पति कंडोम का इस्तेमाल करने को राजी हुए तभी उन के बीच की दूरी खत्म हुई.

प्रैग्नैंसी का डर नहीं रहता

अगर पति या पत्नी दोनों में से एक भी किसी गर्भनिरोधक का प्रयोग करता है, तो महिला के मन में प्रैग्नैंट हो जाने का डर नहीं होता, जिस से वह यौन क्रिया का आनंद उठा पाती है. अगर पत्नी इस क्रिया में खुशी से पति का सहयोग देती है, तो दोनों को ही संतुष्टि मिलती है. अगर इस दौरान पत्नी तनाव में रहे और बेमन से पति की बात माने तो पति का असंतुष्ट रह जाना स्वाभाविक है. गर्भ ठहर जाने के डर से पत्नी का ध्यान उसी ओर लगा रहता है. यही नहीं, उस के बाद भी जब तक उसे मासिकधर्म नहीं हो जाता, वह तनाव में ही जीती है. पति से जितनी दूरी हो सके वह बनाए रखने की कोशिश करती है. वह जानती है कि गर्भवती होने पर बारबार गर्भपात करवाने का झंझट कितना तकलीफदेह होता है. बारबार गर्भपात कराने से उस की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है.

तनावमुक्त संबंध

इंडियाना यूनिवर्सिटी के किसी इंस्टिट्यूट के नए आंकड़े बताते हैं कि अधिकांश औरतों का मानना है कि गर्भनिरोधक तरीके चाहे वे हारमोनल कॉन्ट्रासेप्टिव हों या कंडोम, यौन संतुष्टि व उस के आनंद में कई गुना बढ़ोतरी कर देते हैं. तनावमुक्त यौन संबंध आपसी रिश्तों में तो उष्मा बनाए ही रखते हैं, साथ ही आनंद की चरम सीमा तक भी पहुंचा देते हैं.

दिल्ली के फोर्टिस एस्कौर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट की सीनियर क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट डा. भावना बर्मी के अनुसार, अवरोध या किसी तरह का तनाव या फिर दबाव एक तरह का मनोवैज्ञानिक भय होता है, जिस के चलते हमारा मन ही नहीं, शरीर भी असहज हो जाता है. खासकर यौन संबंधों को ले कर मन व शरीर दोनों को ही ऐसे में कुछ अच्छा नहीं लगता है और तब वे अपने को हर तरह के आनंद से दूर कर लेते हैं. अगर शरीर चाहता भी है तो मन का अवरोध उसे रोक लेता है. तनाव के न होने पर जिस स्थिति को हम ‘कंडीशंड रिफलैक्स औफ द बौडी’ कहते हैं, वह यौन संबंधों को आनंददायक बना देता है. जाहिर सी बात है कि अगर गर्भवती होने या गर्भपात करवाने का तनाव न हो तो महिला उन्मुक्त हो कर यौन संबंधों का आनंद उठा सकती है.

रहती है बेफिक्री

गर्भनिरोधकों का प्रयोग करने से युगल को इस बात का डर नहीं रहता कि उन्हें अनचाही प्रैग्नैंसी का सामना करना पड़ेगा. चूंकि ये कॉन्ट्रासेप्टिव एक सुरक्षाकवच की तरह काम करते हैं, इसलिए सैक्स के दौरान एक बेफिक्री औरत में रहती है, जो उस के हावभाव व पति को दिए जा रहे सहयोग में नजर आती है.

दिल्ली के फोर्टिस एस्कौर्ट्स हौस्पिटल की गाइनेकोलौजिस्ट डा. निशा कपूर कहती हैं, ‘‘इन के इस्तेमाल से औरत के दिमाग में एक सिक्योरिटी से रहती है कि अवांछित प्रैग्नैंसी या गर्भपात से उस का बचाव हो रहा है. इस कारण सेक्सुअल आनंद में बढ़ोतरी होती है और सहवास करने से पहले उसे सोचना नहीं पड़ता या इस से बचने के बहाने नहीं सोचने पड़ते. वैवाहिक जीवन को सुखी व सैक्स जीवन को आनंदमय बनाने के लिए इन का इस्तेमाल किया जा सकता है.’’

कॉन्ट्रासेप्टिव चाहे पति इस्तेमाल करे या पत्नी, यह निर्णय तो उन दोनों का होता है, पर यह सही है कि कॉन्ट्रासेप्टिव सैक्स के आनंद की चाबी होते हैं. सहवास करते समय दोनों के मन में अगर किसी तरह की टैंशन हो तो सिवा मनमुटाव के कोई परिणाम सामने नहीं आता है. लेकिन बेफिक्री और सहर्ष बनाए गए यौन संबंध वैवाहिक जीवन में तो दरार डालने से बचाते ही हैं, साथ ही सैक्स के आनंद को भी दोगुना कर देते हैं.

स्कूल में सभी मुझे बूढ़ा कह कर चिढ़ाते हैं जिससे मेरा पढ़ाई में भी मन नहीं लगता है, मैं क्या करू?

सवाल-

मैं 17 साल का हूं. मेरी घनी दाढ़ीमूंछ हैं. स्कूल में बाकी साथी मुझे बूढ़ा कह कर चिढ़ाते हैं. इस से मेरा पढ़ाई में भी मन नहीं लगता है. मैं क्या करूं?

जवाब-

घनी दाढ़ीमूंछ होना कोई परेशानी की बात नहीं है. दोस्तों के मजाक को दिल पर न लें. यह एक कुदरती बात?है, जो हार्मोन की गड़बड़ी से होती है. रोज दाढ़ी बनाएंगे तो वह घनी नहीं दिखेगी.

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मर्द, डाक्टर से न झिझकें

हिंदी फिल्मों में समाज से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात कहने की परंपरा रही है. इस कड़ी में आयुष्मान खुराना की फिल्मों को रखा जा सकता है, जिन में हमेशा ही किसी न किसी सामाजिक मुद्दे को उठाया जाता है, फिर चाहे उन की फिल्म ‘बाला’ हो या फिर ‘विकी डोनर’. इन दोनों ही फिल्मों में मर्दों के गंजेपन और बच्चे न हो पाने की समस्या पर रोशनी डाली गई है, जिन पर लोग अकसर ही बात करने से बचते हैं.

इसी लिस्ट में आयुष्मान खुराना की नई फिल्म ‘डाक्टर जी’ को रखा जा सकता है, जिस में वे अपने भाई की तरह और्थोपैडिक डाक्टर बनना चाहते हैं, लेकिन जब रैंक कम आती है तो उन्हें मजबूरी में गायनेकोलौजी ब्रांच लेनी पड़ती है. मतलब एक ऐसा डाक्टर, जो औरतों से जुड़ी बीमारियों का इलाज करता है.

पर क्या भारत जैसे देश में जहां औरतों को परदे में छिपा कर रखने को बढ़ावा दिया जाता है, वहां कोई मर्द डाक्टर उन के अंदरूनी अंगों की जांच कर सकता है? बड़े शहरों में शायद ऐसा मुमकिन हो, लेकिन गांवदेहात में तो यह अभी दूर की कौड़ी है.

फिल्म ‘डाक्टर जी’ के एक सीन से इस बात को समझते हैं. डाक्टर बने आयुष्मान खुराना चैकअप के लिए एक औरत से कपड़े ऊपर करने को कहते हैं, पर इतना सुनते ही वह औरत चिल्लाने लगती है. चीखपुकार सुन कर उस औरत का पति वहां आ जाता है और आयुष्मान खुराना को पीटने लगता है.

इसी सिलसिले में गायनेकोलौजिस्ट के तौर पर प्रैक्टिस करने वाले इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के ईस्ट दिल्ली ब्रांच के अध्यक्ष डाक्टर कुमार गांधी ने ‘नवभारत गोल्ड’ को दिए एक इंटरव्यू में बताया था, ‘वैसे तो इस पेशे में बहुत इज्जत मिलती है, लेकिन कभीकभार ऐसे वाकिए हो जाते हैं, जो नहीं होने चाहिए. कई बार हमें न चाहते हुए भी औरत से उन मुद्दों पर बात करनी पड़ती है, जिन के बारे में वह सब से बात नहीं करती. उस दौरान हम मरीज के कंफर्ट का बहुत ध्यान रखते हैं.’

जब कोई डाक्टर अपने मरीज के कंफर्ट लैवल की बात करता है, तो वह इस बारे में काफी संजीदा होता है. यह कंफर्ट लैवल औरतों और लड़कियों की ‘खास’ बीमारियों या समस्याओं पर पूरी तरह लागू होता है.

मान लो, किसी औरत या लड़की को माहवारी में दिक्कत आती है, तो बतौर डाक्टर पहला सवाल मन में यही उठता है कि कहीं वह पेट से तो नहीं है? लेडी गायनेकोलौजिस्ट के सामने मरीज बता सकती है कि उस की शादी हुई है या नहीं, या फिर उस ने सैक्स करते हुए कोई सावधानी बरती थी या नहीं, क्योंकि आज के जमाने में शादी होना और पेट से होना 2 अलग बातें हैं.

लेकिन अगर सामने कोई मर्द डाक्टर बैठा है तो मरीज को लगता है कि वह उस के करैक्टर पर सवाल उठा रहा है और वह असहज हो जाती है, जिस से कभीकभार मामला गंभीर भी हो जाता है. लेकिन इस से मरीज का ही नुकसान होता है, क्योंकि सामने जो डाक्टर बैठा है, वह औरतों की बीमारियों को ठीक करने में माहिर है और उस का एक ही मकसद है कि उसे मरीज की बीमारी के बारे में सभी बातें पता हों, तभी वह सही दवा या सलाह दे पाएगा.

जब से गांवदेहात में गरीब और निचली जाति की लड़कियां पढ़ने लगी हैं, तब से वे बहुत ज्यादा जागरूक होने लगी हैं. वे अपने और आसपास के परिवार की औरतों को समझा सकती हैं कि अगर कोई मर्द गायनेकोलौजिस्ट आप की अंदरूनी बीमारी का इलाज कर रहा है, तो अपनी झिझक छोड़ कर बात रखें.

गायनेकोलौजिस्ट को कभी भी मर्द या औरत डाक्टर के तराजू में न तोलें, क्योंकि वे आप की बीमारी में दिलचस्पी रखते हैं, न कि शरीर में. उन के सामने खुल कर अपनी समस्या बताएं और इन बातों का तो खास खयाल रखें :

* अगर आप की माहवारी अनियमित है और वह डेट से काफी पहले या देर से आती हो या फिर महीने में 2 बार आती हो, तो तुरंत माहिर डाक्टर को बताएं.

* माहवारी से जुड़ी कोई भी परेशानी हो, तो उस की अनदेखी न करें और बिना देर किए गायनेकोलौजिस्ट के पास जाएं.

* अगर आप गर्भनिरोधक गोलियां या किसी दर्द निवारक दवा का सेवन कर रही हों और इस से आप की सेहत पर असर हो रहा हो, पीरियड में तकलीफ हो या जिस्मानी रिश्ता बनाते समय दर्द महसूस होता हो, तो गायनेकोलौजिस्ट से खुल कर बात करें.

* जिस्मानी रिश्ता बनाते समय अगर दर्द महसूस हो या फिर अंग से खून निकलने समेत कोई दूसरी परेशानी हो, तो घरेलू उपचार बिलकुल न करें और गायनेकोलौजिस्ट के पास जा कर अपना इलाज कराएं.

* अंग में खुजली होने या तेज बदबू आने पर तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए.

* अगर आप के पेट, पीठ या कमर में कई दिन से दर्द हो रहा हो, तो इस की अनदेखी न करें और गायनेकोलौजिस्ट के पास जा कर इलाज कराएं.

औरतें और लड़कियां एक बात का तो खास खयाल रखें कि वे कभी भी पंडेपुजारियों, ओझातांत्रिकों और फकीरबाबाओं के चक्कर में पड़ कर अपनी अंदरूनी बीमारियों का रोना न रोएं, क्योंकि बहुत से पाखंडी उन की इसी बात का फायदा उठा कर शोषण करने की जुगत में रहते हैं. वे ऐसी औरतों और लड़कियों की शर्म का फायदा उठाते हैं और उन्हें पैसे और शरीर से नोंच डालते हैं.  डाक्टर का काम अपने मरीज की सेहत को ठीक करना होता है. अगर उसे बीमारी का ही नहीं पता चलेगा तो  दवा कैसे देगा? इस में मर्द या औरत डाक्टर का तो सवाल ही नहीं पैदा होता है. लिहाजा, औरतों को मर्द डाक्टर से बिलकुल नहीं झिझकना चाहिए.

निखारना चाहते हैं अपनी खूबसूरती तो ऐसे करें सेक्स

Sex News in Hindi: क्या सेक्स का सुंदरता से संबंध है? सुनने में भले ही अटपटा लगे पर है सोलह आने सच.आप अपनी खूबसूरती बढ़ाने व निखारने के लिए भले ही कई तरह के ब्यूटी प्रोड्क्ट्स व जिम में अपना पैसा बहाएं. मगर हम आप से यह कहें कि खूबसूरती बढ़ाने के लिए सेक्स सब से असरकारक है तो गलत नहीं होगा. दरअसल यह बात हम नहीं कह रहे हैं शोध से साबित हुआ है कि सेक्स करने से हारमोन निकलते हैं जिन से त्वचा को लाभ पहुंचता है, रक्त प्रवाह बढ़ता है, जिस से शरीर में निखार आता है, सुंदरता बढ़ती है, पर इसे असरकारक तब माना गया है जब सेक्स को कुदरती तरीके से किया गया हो.

सेक्स: जीवन की गहराई तक जुड़ा है

स्कौटलैंड के रौयल एडिनबर्ग हौस्पीटल के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा नुस्खा बताया है जो मानवीय जीवन का एक अहम हिस्सा है. शोधकर्ताओं ने इस बारे में कुछ दिशानिर्देश भी जारी किए हैं. वे हैं प्रेमपूर्वक सेक्स यानि सिर्फ पति पत्नी के साथ ही सेक्स करने से मनचाहा परिणाम मिलता है. क्योंकि अनसेफ सेक्स से न सिर्फ तमाम तरह की बीमारियों का खतरा रहता है बल्कि स्ट्रैस भी बढ़ता है. इस से मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है, नतीजतन एगिंग की प्रक्रिया में तेजी आ जाती है.

बढ़ती उम्र घटाए खूबसूरती बढ़ाए

सेक्स कुदरती रूप से आनंद और उत्साह का संचार करता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि कम अंतराल में सेक्स करने से (हफ्ते में कम से कम 3 बार) आदमी की उम्र उस की असली उम्र की तुलना में कम दिखती है, सैक्सुअल एक्टीविटी किसी एक्सरसाइज से कम नहीं है. इस से स्किन को यंग बनोन वोल और खुशी बढ़ाने वाले हार्मोन्स रिलीज होते हैं. इस से आप का चेहरा ग्लो करने लगता है और स्किन में कसाव आता है.

जानिए क्याक्या हैं फायदे

  • सेक्स इंसान की सेहत बनाए रखने में मदद करता है.
  • यह कैलोरी बर्न करने का काम करता है साथ ही दिल और दिमाग को सेहतमंद बनाए रखता है.
  • सेक्स कुदरती रूप से खूबसूरती में इजाफा करता है.
  • यह खूबसूरती बढ़ाने वाले प्रोडक्ट्स और स्टाइल के मुकाबले 20 (बीस) ही नजर आता है.
  • सेक्स कर के अपनी त्वचा की उम्र को 4 साल तक कम कर सकते हैं.
  • सेक्स एक कुदरती उपाय जो खूबसूरती बढ़ाए
  • सेक्स के यह कुदरती उपाय आप के चेहरे की शाइन बढ़ा सकते हैं.

खुशी का एहसास

सेक्स उन एक्टीविटीज में से है. जिस में दिमाग एकसाथ एक्साइट और रिलैक्स होता है. सेक्स के दौरान शरीर में औक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और इस से कोशिकाओं को नई एनर्जी मिलती है. इस से आप का मूड बेहतर रहता है.

स्वस्थ बाल

सेक्स के दौरान ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है. इस से बालों को एक नेचुरल मौइश्चराइजर मिलता है. इस से आप के बाल चमकदार बनते हैं.

त्वचा को रखें कोमल और स्थिर

जो महिलाएं नियमित सेक्स करती हैं उन की त्वचा में अहम किरदार निभाने वाले हार्मोन एस्ट्रोजेन का स्राव अधिक होता है. इस के साथ ही त्वचा को कुदरती रूप से कोमल और स्थिर बनाने वाले हार्मोन कोलेजन का स्राव भी अधिक होता है.

झुर्रियों से बचाएं

भले ही आप सूरज की हानिकारक किरणों से दूर रहें लेकिन फिर भी आप को झुर्रियां हो सकती हैं. ये झुर्रियां आप के हृदय तक रक्त पहुंचाने वाली धमनियों को हो सकती हैं. इस से दिल पर बुरा असर पड़ सकता है. दिल और चेहरे पर झुर्रियां पड़ने की प्रक्रिया समान है. सेक्स से आप के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है जिस से चेहरे पर कुदरती चमक आ जाती है.

स्तनों का आकार बढ़ाएं

स्तनों को महिलाओं की खूबसूरती का अहम हिस्सा माना जाता है. सेक्स के दौरान स्तनों का आकार 25 फीसदी तक बढ़ जाता है इसलिए जानकार मानते हैं कि जो महिलाएं अपनी सेक्स लाइफ से अधिक संतुष्ट होती हैं उन का शरीर अधिक सुडौल होता है.

पेट की चर्बी हटाएं

शरीर में अगर कौलेस्ट्रौल का स्तर अधिक हो जाए, तो इस का सीधा असर हमारे पेट पर पड़ता है. यहां अतिरिक्त वसा इकट्ठा होने लगती है. औक्सीटोसिन इस से निजात दिलाता है यानि और्गेज्म से आप के शरीर पर जमा अतिरिक्त चर्बी दूर होती है.

तनाव दूर करें

तनाव से आप के चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं. और्गेज्म के दौरान शरीर में बड़ी मात्रा में औक्सीटोसिन का स्राव होता है. यह तनाव के काफी उत्तरदायी माने जाने वाले कौरटिसोल हार्मोन को दूर करता है.

आत्मविश्वास में करें इजाफा

जिन लोगों को अपने जीवन का लक्ष्य पता होता है, वे अधिक आकर्षक होते हैं सेक्स और व्यायाम मस्तिष्क के समान क्षेत्रों पर प्रभाव डालते हैं आप अपने आसपास की दुनिया के बारे में अच्छा महसूस करते. आप मानसिक रूप से अधिक शांति एकाग्र, शक्तीमान और सामर्थ्यवान महसूस करते.

इन उपायों को अपना कर अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने की कोशिश कीजिए इस से सेहतमंद तो होगी ही साथ ही खूबसूरती भी निखर जाएगी.

आखिर कब पड़ती है किसी और की जरूरत

Sex News in Hindi: वैवाहिक जीवन (Married Life) में सैक्स की अहम भूमिका होती है. लेकिन यदि पति किसी ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर (Abnormal Sexual Disorder) से ग्रस्त हो, तो पत्नी की जिंदगी उम्र भर के लिए कष्टमय हो जाती है. (Sexologist) सैक्सोलौजिस्ट डा. सी.के. कुंदरा ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर के बारे में बताते हुए कहते हैं कि उन की क्लीनिक में शादी के बाद कृष्णानगर की मृदुला अपनी मां के साथ आई. हुआ यह था कि शादी के बाद मृदुला एकदम बुझीबुझी सी मायके आई, तो उस की मां उसे देख कर परेशान हो गईं. लेकिन मां के लाख पूछने पर भी उस ने कोई वजह नहीं बताई. उस ने अपनी सहेली आशा को बताया कि वह अब ससुराल नहीं जाना चाहती, क्योंकि उस के पति महेश उस से संबंध बनाने के दौरान उस के यौनांग में बुरी तरह से चिकोटी काटते हैं और पूरे शरीर को हाथ फेरने के बजाय नाखूनों से खरोंचते हैं. जिस से घाव बन जाते हैं, हलका खून निकलता है. उसे देख कर महेश खुश होते हैं. फिर संबंध बनाते हैं. यह कह कर मृदुला रोने लगी. डा. कुंदरा ने आगे बताया कि आशा ने जब उस की मां को यह बात ताई तो वे मृदुला को ले कर मेरे पास आईं.

मृदुला की तरह कई महिलाएं अपनी पीड़ा को व्यक्त नहीं कर पाती हैं. मृदुला का पति ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से ही पीडि़त था. इस स्थिति में स्त्री के लिए पूरी जिंदगी ऐसे पुरुष के साथ बिताना असंभव हो जाता है. उसे ऐसे किसी व्यक्ति की जरूरत महसूस होने लगती है, जो उस के मन की बात को समझे और उसे क्या करना चाहिए, इस के बारे में बताए.

कारण

सैक्सोलौजिस्ट डा. रामप्रसाद शाह के मुताबिक, ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से व्यक्ति कई कारणों से ग्रसित होता है:

सैक्सफेरामौन: यानी गंध के प्रति कामुकता. ऐेसे पुरुष स्त्री देह की गंध से उत्तेजित हो कर सैक्स करते हैं. ऐसे में कोई भी स्त्री, जिस की देह गंध से ऐसा व्यक्ति उत्तेजित हुआ हो, उसे हासिल करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है.

ऐक्सेसिव डिजायर: दीपक की उम्र 60 साल से ऊपर है. इस के बावजूद भी वह घर से बाहर सब्जी बेचने वाली, घरों में काम करने वाली और सस्ती कालगर्ल से कभीकभी सुबह तो कभी रात भर रख कर संबंध बनाता है. संबंध बनाने के लिए वह शराब का भी सहारा लेता है. घर वाले उस से परेशान रहते हैं, इसलिए उस से अलग और दूर रहते हैं. ऐसे शारीरिक संबंध बनाने वाला व्यक्ति ऐक्सेसिव डिजायर  पीडि़त होता है.

फेटिशिज्म: इस में व्यक्ति उन चीजों के प्रति आकर्षित रहता है, जो उस की सैक्स इच्छाओं को पूरा करने में सहायक होती हैं. जैसे सैक्सी किताबें, महिलाओं के अंडरगारमैंट्स और दोस्तों से सैक्स की बातें करना.

लक्ष्मी नगर की निशा का कहना है कि उस के पति दिनेश हमेशा दोस्तों के साथ किनकिन महिलाओं के साथ सहवास कबकब और कैसेकैसे किया जैसी बातें हमेशा करते हैं. उस के बाद वह निशा से संबंध बनाने की कोशिश करते हैं. ऐसे व्यक्ति महिलाओं को छिप कर देखने के साथ उन के साथ संबंध बनाने के लिए आतुर भी रहते हैं.

बस्टियैलिटी: ऐसे पुरुष पर सैक्स इतना हावी हो जाता है कि वह किसी से भी सहवास करने में नहीं झिझकता. जयपुर का रमेश अपनी इसी आदत की वजह से अपनी साली की 14 साल की लड़की से शारीरिक संबंध बना बैठा. ऐसे पुरुषों द्वारा अकसर रिश्तों की मर्यादा को ताक पर रख कर ऐसे संबंध बनाए जाते हैं. ऐसे में असहाय महिलाएं, लड़कियां, यहां तक कि पशु भी गिरफ्त में आ जाते हैं.

ऐग्जिबिशनिज्म: इस से ग्रस्त व्यक्ति अपने गुप्तांग को महिला या छोटेछोटे बच्चेबच्चियों को जबरदस्ती दिखाता है. इस से उसे खुशी के साथ संतुष्टि भी मिलती है. लेकिन इस से अप्रत्यक्ष रूप से ही सही हानि होती है इसलिए इसे अब गैरकानूनी की धारा में रखा जाता है. इस में जुर्माना और कैद भी है.

पीडोफीलिया: इस सैक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त पुरुष अकसर छोटी उम्र की लड़कियों व लड़कों से संबंध बना कर अपनी कामवासना को संतुष्ट करता है. नरेंद्र की उम्र 50 के ऊपर हो चुकी थी पर वह बारबार 14 से 15 साल की नाबालिग लड़की से शारीरिक संबंध बनाने की लालसा रखता था. आखिर उस ने नाबालिग से संबंध बना ही डाला और कई दिनों तक सहवास करता रहा. अंत में पकड़े जाने पर नेपाल की जेल में 14 साल की सजा काट रहा है.

वैवाहिक रेप

हालांकि यह अजीब सा लगता है कि विवाह के बाद पति द्वारा पत्नी का रेप. लेकिन इस में कोई दोराय नहीं कि आज भी कई विवाहित महिलाओं को इस त्रासदी से गुजरना पड़ता है, क्योंकि अकसर पति अपनी पत्नी की इच्छाओं, भावनाओं को भूल कर जबरन यौन संबंध बनाता है. यह यौन शोषण और बलात्कार की श्रेणी में आता है. हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 375 और 379 के तहत पत्नी को अधिकार है कि वह ऐसा होने पर कानूनी तौर पर तलाक ले सकती है.

समाधान

सैक्सोलौजिस्ट डा. रामप्रसाद शाह का कहना है कि ऐसी स्थिति में नईनवेली दुलहन को संयम से काम लेना चाहिए. वह पति की उपेक्षा न कर के व ताना न दे कर प्यार से उसे समझाए.

सामान्य सहवास के लिए प्रेरित करे. ऐसे लोगों का मनोचिकित्सक द्वारा इलाज किया जा सकता है. ऐसे मरीज की काउंसलिंग की जाती है और बीमारी किस हद तक है पता चलने पर सलाह दी जाती है. अगर पति तब भी ठीक न हो और मानसिक व शारीरिक पीड़ा पहुंचाए, तो पत्नी तलाक ले कर अपनी जिंदगी को नई दिशा दे सकती है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि मस्तिष्क में स्थित न्यूरो ट्रांसमीटर में किसी प्रकार की खराबी, मस्तिष्क में रासायनिक कोशिकाओं में कमी, जींस की विकृति आदि इस समस्या की वजहें होती हैं और अकसर 60 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति इस के शिकार होते हैं. गलत संगत, अश्लील किताबें पढ़ना, ब्लू फिल्में देखना आदि भी इस में सहायक होते हैं.

मैं तीसरा बच्चा चाहती हूं पर बच्चा ठहर नहीं रहा है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी 2 बेटियां हैं. बड़ी 14 साल की और छोटी 11 साल की. घर में सब ताना मारते हैं कि बेटा क्यों नहीं है. मैं तीसरा बच्चा चाहती हूं, पर बच्चा ठहर नहीं रहा है. मैं क्या करूं?

जवाब-

आजकल के जमाने में 2 बच्चे पालने में ही पसीने छूट जाते हैं. लड़के की चाहत में और जोखिम न उठाएं. अगर पेट से हो भी गईं और तीसरी औलाद भी लड़की हुई तो आप क्या करेंगी? आप लोगों के ताने नजरअंदाज करते हुए अपनी दोनों लड़कियों को ही पढ़ालिखा कर काबिल बनाएं.

9 टिप्स: सैक्स लाइफ को ऐसे बनाएं बेहतर

Sex Tips: ऐसा अकसर देखने में आता है कि पतिपत्नी सहवास के दौरान एकदूसरे की इच्छा और भावना को नहीं समझते. वे बस एक खानापूर्ति करते हैं. लेकिन वे यह बात भूल जाते हैं कि खानापूर्ति से सैक्सुअल लाइफ तो प्रभावित होती ही है, पतिपत्नी के संबंधों की गरमाहट भी धीरेधीरे कम होती जाती है. ऐसा न हो इस के लिए प्यार और भावनाओं को नजरअंदाज न करें. अपने दांपत्य जीवन में गरमाहट को बनाए रखने के लिए आगे बताए जा रहे टिप्स को जरूर आजमाएं.

पत्नी की इच्छाओं को समझें

सागरपुर में रहने वाली शीला की अकसर पति के साथ कहासुनी हो जाती है. शीला घर के कामकाज, बच्चों की देखभाल वगैरह से अकसर थक जाती है, लेकिन औफिस से आने के बाद शीला के पति देवेंद्र उसे सहवास के लिए तैयार किए बिना अकसर यौन संबंध बनाते हैं. वे यह नहीं देखते कि पत्नी का मन सहवास के लिए तैयार है या नहीं.

सैक्सोलौजिस्ट डा. कुंदरा के मुताबिक, ‘‘महिलाओं को अकसर इस बात की शिकायत रहती है कि पति उन की इच्छाओं को बिना समझे सहवास करने लगते हैं. लेकिन ऐसा कर के वे केवल खुद की इच्छापूर्ति करते हैं. पत्नी और्गेज्म तक नहीं पहुंच पाती. आगे चल कर इसी बात को ले कर आपसी संबंधों में कड़वाहट पैदा होती है.

‘‘पति को चाहिए कि सैक्स करने से पहले पत्नी की इच्छा को जाने. उसे सैक्स के लिए तैयार करे. तभी संबंधों में गरमाहट बरकरार रहती है.’’

करें प्यार भरी बातें

एक हैल्दी सैक्सुअल लाइफ के लिए बेहद जरूरी है कि यौन संबंध बनाने से पहले पत्नी से प्यार भरी बातें जरूर की जाएं. कोई समस्या हो तो उस का हल निकालें. पत्नी से बातोंबातों में पता करें कि वह सैक्स में क्या सहयोग, क्या नवीनता चाहती है.

जयपुर के संजय और रूपाली का विवाह 2007 में हुआ. शादी के कुछ सालों तक संजय रूपाली के साथ खुल कर यौन संबंध बनाते रहे. लेकिन इधर 1 साल से वे रूपाली के साथ सैक्स संबंध बनाने से कतराने लगे हैं. रूपाली कहती है कि संजय गाहेबगाहे शारीरिक संबंध बनाते तो हैं, लेकिन बाद में उस से अलग हो कर सोने लगते हैं.

दरअसल, संजय की नजरों में यौन संबंध केवल पुरुष की भूख है, इसलिए रूपाली चाह कर भी संजय को भरपूर सहयोग नहीं कर पाती है.

मनोचिकित्सक डा. दिनेश त्यागी का मानना है कि एक अच्छे सहवास सुख के लिए आवश्यक है कि पतिपत्नी आपस में सैक्स के दौरान प्यार भरी बातें करें. यदि ऐसा नहीं हो तो पत्नी को लगता है कि पति को केवल सैक्स की ही भूख है, प्यार की नहीं. इसलिए प्यार भरी बातों को नजरअंदाज न करें.

स्थान व समय को बदलें

दिल्ली के ही नवीन का कहना है कि यदि वे रोजरोज पत्नी के साथ यौन संबंध नहीं बनाएंगे तो दूसरे दिन औफिस में तरोताजा हो कर काम नहीं कर पाएंगे. लेकिन उन की पत्नी को कोई मजा नहीं आता है, क्योंकि यह रोज के ढर्रे जैसी बात बन गई है. उस में कोई भी नवीनता नहीं रहती.

डा. कुंदरा कहते हैं कि सहवास का भरपूर आनंद उठाने के लिए कभी सोफा, कभी फर्श, कभी कालीन तो कभी छत पर और अगर घर में झूला लगा हो तो झूले पर, नहीं तो लौन पर चटाई बिछा कर सैक्स का आनंद लिया जा सकता है. पत्नियां सैक्स को प्यार से जोड़ती हैं. प्यार के इस अनुभव को वे घर के अलगअलग स्थानों पर अलगअलग समय पर नएनए तरीके से करना चाहती हैं. लेकिन अकसर पति यह बात समझ कर भी नहीं समझते.

शुरुआत धीरे धीरे करें

डा. कुंदरा यह भी कहते हैं कि कई पत्नियों की यह शिकायत रहती है कि उन के पति सहवास की शुरुआत धीरेधीरे न कर के उन्हें बिना उत्तेजित किए जल्दीबाजी में करते हैं. जबकि सहवास की शुरुआत धीरेधीरे विभिन्न सैक्स मुद्राओं जैसे गालों को काटना, सैक्स के हिस्सों पर थप्पड़ लगाना आदि को अपना कर ही करनी चाहिए और उस के बाद ही सैक्स सुख का आनंद लेना चाहिए.

फोर प्ले का आनंद उठाएं

पति को चाहिए कि वह पत्नी के साथ चुंबन, आलिंगन, उसे सहलाना, केशों में उंगलियां फेरना, अंगों को स्पर्श करना वगैरह की अहमियत को समझे. ऐसा कर के वह पत्नी को उत्तेजित कर के मानसिक और शारीरिक रूप से सहवास के लिए तैयार करे. पत्नी का और्गेज्म तक पहुंचना जरूरी होता है. और्गेज्म तक नहीं पहुंच पाने के कारण घर में अकसर तनाव का माहौल पैदा हो जाता है, जो आपसी संबंधों में दिक्कतें भी पैदा करता है. एक सर्वे के मुताबिक 55% लोगों का मानना है कि सैक्स के दौरान जो आनंदमयी क्षण आते हैं, उन का अनुभव बेहद महत्त्वपूर्ण है.

बराबर का साथ दें

डा. कुंदरा के अनुसार, ‘‘सैक्सुअल लाइफ बेहद रोमांटिक तभी बन पाती है, जब पतिपत्नी सैक्स संबंध बनाते समय बराबर का साथ दें. सहवास के दौरान 70% महिलाएं बिस्तर पर चुपचाप ही पड़ी रहती हैं. पुरुष ऐसी महिलाओं को पसंद नहीं करते. सहवास के दौरान बराबर का साथ पति पसंद करते हैं. यदि पत्नी ऐसा करती है तो सैक्स का आनंद और भी ज्यादा बढ़ जाता है.’’

दिल्ली की जनकपुरी की रेशमा 48 साल की और उन के पति 54 साल के हो गए हैं, लेकिन हफ्ते में 1-2 बार दोनों खुल कर यौन संबंध बनाते हैं. एकदूसरे के लिए रोमांटिक बने रह कर वे खुल कर उस का आनंद उठाते हैं.

फालतू बातों को तूल न दें

मैरिज काउंसलर एन.के. सूद कहते हैं कि पतिपत्नी जब भी यौन संबंध बनाएं, पत्नी घर की समस्याओं या शिकायतों का पिटारा खोल कर न बैठे. सारिका जब भी रमेश के साथ सहवास करती थी, कोई न कोई शिकायत ले कर बातें शुरू कर देती थी. इस से रमेश असहज हो जाता था. आगे चल कर इन की समस्या इतनी बढ़ गई कि इन्हें आपसी संबंधों को सहज बनाने के लिए मैरिज काउंसलर की सहायता लेनी पड़ी.

संबंधों में गरमाहट बनी रहे इस के लिए ऐसी बातों को तूल न दे कर सैक्स लाइफ को ऐंजौय करें. पति का साथ दें, उन के साथ बिस्तर पर सक्रिय बनी रहें.

सैक्सी कपड़ों में लुभाएं

कोटा में रहने वाली राधा गोरी और खूबसूरत नैननक्श वाली है. लेकिन वह अपने पति महेंद्र के पास उन्हीं कपड़ों में जाती है, जो उस ने सुबह से पहने होते हैं. राधा को तरोताजा न देख कर महेंद्र सहवास में ढंग से सहयोग नहीं कर पाते हैं.

पति को लुभाने व उत्तेजित करने के लिए सैक्सी ड्रैस व हौट लुक में अपने पार्टनर को ऐसा सरप्राइज दें कि यौन संबंधों में नवीनता तो आए ही, सहवास सुखद भी बने. ऐसा होने से पतिपत्नी का आपसी विश्वास व प्यार भी बराकरार रहता है.

नए नए प्रयोग करें

डा. कुंदरा कहते हैं कि अकसर पुरुष सैक्स को ले कर ज्यादा ही उत्साहित होते हैं. वे नएनए आसनों का प्रयोग कर सहवास को सुखद बनाते हैं. लेकिन पत्नी यदि किसी तरीके को अनकंफर्टेबल महसूस करे तो पति को बताए जरूर.

बहुत सी महिलाएं यौन संबंध बनाते वक्त नएनए प्रयोगों से घबराती हैं. वे ऐसा न कर के पति के साथ सहवास में प्रयोग करें. उम्र कोई बाधा नहीं, दिलदिमाग और शरीर को स्वस्थ रखने और वैवाहिक जीवन को सफल बनाने में नए प्रयोग हमेशा मददगार ही साबित होते हैं.

जब पत्नी बहाना बनाए, नजदीक न आए

Sex News in Hindi: महेंद्र की शादी को 10 साल हुए गए हैं. उस के दो बच्चे हैं. उसे हर रात को अपनी पत्नी का साथ चाहिए. प्यार की बरसात चाहिए. पर उस की पत्नी मोहिनी उसे गच्चा दे जाती है. वह कभी छोटी बेटी को सुलाने का बहाना बना देती है तो कभी घर का ज्यादा काम करने की वजह से बदन दर्द की शिकायत करते हुए मुंह फेर कर सो जाती है. कभी नजदीक आती भी है तो बेमन से.

महेंद्र इस बात से चिड़चिड़ा हो गया है. वह ऑफिस में भी खुश नहीं रहता है. कभीकभार तो वह अपने साथी कर्मचारियों से भी भिड़ जाता है. नतीजतन अब वह शराब पीने लगा है और कभीकभार किसी प्रोफेशनल लड़की को पैसे दे कर उस के साथ रात बिता लेता है. बहाना बनाता है ऑफिस के टूर का या नाईट शिफ्ट का.

अभी तक तो उस के परिवार में सब कुछ सही चल रहा है पर जब मोहिनी को इस बारे में पता चलेगा तो गुस्से का बम जरूर फूटेगा. लेकिन इस में गलती किस की ज्यादा बड़ी है? मोहिनी के महेंद्र से दूर रहने की या महेंद्र की चोरीछिपे बाजारू औरत के साथ संबंध बनाने की?

अगर महेंद्र शराब न पीता और किसी पराई औरत के साथ संबंध नहीं बनाता और अपनी समस्या सीधे मोहिनी को बताता कि उसे अपनी पत्नी का जिस्मानी प्यार चाहिए तो उस की कोई गलती नहीं होती. मोहिनी को भी उस के जज्बात समझने का मौका मिल जाता पर महेंद्र पहले कुढ़ता रहा और जो रास्ता उस ने अपनाया वह बिलकुल गलत था.

वैसे मोहिनी का भी कम कुसूर नहीं है. उस का महेंद्र से बहाने बना कर दूर रहना या बेमन से उस के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना ही इस समस्या की असली जड़ है. उसे अपने बच्चों की खुशियों के अलावा पति की इच्छा का भी ध्यान रखना चाहिए.

शादी के जयदा साल हो जाने का यह मतलब नहीं है कि पति और पत्नी तन का प्यार बिलकुल न करें, बल्कि यह तो उन के रिश्ते को और ज्यादा मजबूत करता है. अगर मोहिनी महेंद्र को रात का देह सुख दे देती तो उसे यों गलत रस्ते की ओर रुख ही नहीं करना पड़ता. यहां इन दोनों को समझदारी दिखानी चाहिए थी.

बाद में ऐसा हुआ भी. जब मोहिनी को लगा कि महेंद्र उस के कटकटा सा रहने लगा है तो वह ताड़ गई कि मामला गड़बड़ है. वह अपने नाम की तरह खूबसूरत तो थी ही इसलिए पति को अपनी तरफ खींचना उस के बाएं हाथ का खेल था.

बात ज्यादा बिगड़ने से पहले उस ने महेंद्र को दोबारा से अपना बना लिया और उस की रातों को दोबारा से रंगीन बनाना शुरू कर दिया.

नहीं चाहते अपनी सेक्स लाइफ में कोई प्रोब्लम, तो जरूर अपनाएं ये टिप्स

Sex News in Hindi: कई महिलाओं की शिकायत होती है कि उन के पति में अब पहले वाला जोश नहीं रहा और वे अब सेक्स में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते. कई बार पुरुष चाह कर भी यौन समागम नहीं कर पाते क्योंकि उन के मन में डर या संकोच बैठ जाता है कि क्या वे सफलतापूर्वक यौन संबंध नहीं बना पाएंगे और अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाएंगे. उन का पुराना जोश और उमंग वापस लौटा कर अपनी सेक्स लाइफ को आनंदमयी बनाने के लिए आप अपना सकती हैं ये उपाय:

भारी न पड़े काम

उन्हें प्रेमपूर्वक समझाएं कि आप का कैरियर बेशक बेहद महत्त्वपूर्ण है और उसे पूरा समय देना भी जरूरी है, लेकिन इसे बैडरूम में घुसा लेना ‘बैड हैबिट’ ही माना जाएगा. जितना औफिस का काम कैरियर लाइफ के लिए जरूरी है, उतना ही शयनकक्ष का काम पर्सनल लाइफ के लिए जरूरी है. कमाई सुख के लिए की जाती है और आप सुख से ही वंचित रह जाएं तो ऐसी कमाई से क्या फायदा? मस्तिष्क दूसरे जंजाल से मुक्त रहेगा तभी शरीर के दूसरे अंगों को अपना काम करने का सही निर्देश दे पाएगा. इसलिए औफिस का काम औफिस में ही छोड़ कर आएं ताकि घर पर एकाग्रता और सुकून के साथ घर का काम कर सकें.

एक बार और ट्राई करें

सफलता का जो फौर्मूला कैरियर लाइफ या ऐकेडमिक लाइफ में काम करता है, वही यहां भी काम करता है. अगर आप के पति एक बार सेक्स करने में विफल हो गए और इरैक्शन से वंचित रह गए, तो इस का मतलब यह कतई नहीं है कि ऐसा बारबार होगा. ‘ट्राई वन मोर टाइम’ का फौर्मूला यहां भी लागू होता है. उन से खुल कर बात करें और बताएं कि अगर आप हस्तमैथुन करते वक्त उत्तेजित हो जाते हैं और इंटरकोर्स के वक्त नहीं हो पाते, तो जाहिर है प्रौब्लम अंग में नहीं उमंग में है यानी आप के दिमाग में झूठा भय समा चुका है.

दुत्कारें नहीं पुचकारें

पति आप के पास आएं, आप को सहलाएं और चूमने की कोशिश करें तो उन्हें दुत्कार कर दूर न भगाएं. इस से उन का उत्साह ठंडा पड़ जाएगा और वे अच्छे तरीके से परफौर्म नहीं कर पाएंगे. आप भी उतनी ही गर्मजोशी से उन्हें पुचकारें, दुलारें, सहलाएं और चूमें. इस से उन के मन में आत्मवश्वास लौटेगा और सेक्स की भावना भी जाग्रत होगी. ज्यादतर मामलों में ऐसी स्थिति में इरैक्शन न होने की समस्या भी हल हो जाती है. आप का स्पर्श और चुंबन उन के लिए सेक्स के मामले में टौनिक का काम करेगा.

व्यायाम से बनेगा काम

उन्हें शारीरिक रूप से ऐक्टिव रहने और नियमित व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें और जरूरत पड़े तो आप भी उन का साथ दें. वे टालमटोल करें, तो उन्हें समझाएं कि इस का असर उन के और आप के यौन जीवन पर पड़ रहा है. ऐक्सरसाइज न करने या ऐक्टिव न रहने से ब्लड सर्कुलेशन दुरुस्त नहीं रहता, जिस का सीधा असर उत्तेजना और इरैक्शन पर पड़ता है. इसलिए रोज पुश अप्स, स्पौट जौगिंग और वौकिंग के लिए समय जरूर निकालें.

धुएं में न उड़ाएं जिंदगी का मजा

सिगरेट को स्टाइल स्टेटमैंट समझना बंद कर दें. पति को समझाएं कि धुआं सिगरेट का नहीं उन की जिंदगी का उड़ रहा है. कई अध्ययनों से पता चल चुका है कि स्मोकिंग से नपुंसकता की समस्या हो सकती है. शराब पीना भी कोई अच्छी बात नहीं है. शराब पीने से सेहत चौपट हो जाती है, लिवर नष्ट होने लगता है और जाहिर सी बात है स्वास्थ्य दुरुस्त नहीं रहता, तो इरैक्शन में प्रौब्लम आती है.

वेट को करें सैट

मोटापा अपनेआप में ही एक बीमारी है और यह अपने साथ कई बीमारियों को भी लाता है. वजन ज्यादा रहेगा, तो शरीर में लचीलापन नहीं रहेगा. लचीलापन नहीं रहेगा, तो पुरुष सेक्स क्या खाक करेगा वजन अनियंत्रित रहने पर शरीर में शुगर बढ़ जाती है. नतीजा, डायबिटीज. डायबिटीज तो इरैक्शन का दुश्मन नंबर वन है. वैसे भी मोटापा हार्ट डिजीज, हाई ब्लडप्रैशर, हाई कोलैस्ट्रौल वगैरह का सबब बन सकता है. इसलिए उन्हें वजन कम रखने, पौष्टिक भोजन करने और अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहने के लिए प्रेरित करें.

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