कहीं आप भी अनचाहे सैक्स की शिकार तो नहीं

Sex News in Hindi: दिन ब दिन बलात्कार (Rape) की घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही है. इस के कई कारण हैं, जिन में एक है मानसिक हिंसा (Mental Voilence) की प्रवृत्ति का बढ़ना. ‘बलात्कार’ शब्द से एक लड़की या युवती पर जबरदस्ती झपटने वाले लोगों के लिए हिंसात्मक छवि उभर कर सामने आती है. इस घृणित कार्य के लिए कड़े दंड का भी प्रावधान है. मगर बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि वैवाहिक जिंदगी में भी बलात्कार वर्जित है और इस के लिए भी दंड दिया जाता है. मगर इसे बलात्कार की जगह एक नए शब्द से संबोधित किया जाता है और वह शब्द है अनचाहा सैक्स संबंध.

आज अनचाहे सैक्स संबंधों की संख्या बढ़ गई है. समाज जाग्रत हो चुका है और अपने शरीर या आत्मसम्मान पर किसी भी तरह का दबाव कोई बरदाश्त नहीं करना चाहता है. इस विषय पर हम ने समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से बातचीत भी की और जानने की कोशिश की कि आखिर क्या है यह अनचाहा सैक्स संबंध?

डा. अनुराधा परब, जो एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री हैं, बताती हैं, ‘‘बलात्कार और अनचाहे सेक्स में बहुत महीन सा फर्क है. बलात्कार अनजाने लोगों के बीच हुआ करता है और एक पक्ष इस का सशरीर पूर्ण विरोध करता है. अनचाहा सैक्स परिचितों के बीच होता है और इस में एक पक्ष मानसिक रूप से न चाह कर भी शारीरिक रूप से पूर्णत: विरोध नहीं करता है. सामान्यत: यही फर्क होता है. मगर गहराई से जाना जाए तो बहुत ही सघन भेद होता है.

‘‘अनचाहा सैक्स ज्यादातर पतिपत्नी के बीच हुआ करता है और आजकल प्रेमीप्रेमिका भी इस संबंध की चपेट में आ गए हैं. आधुनिक युग में शारीरिक संबंध बनाना एक आम बात भले ही हो गई हो, फिर भी महिलाएं इस से अभी भी परहेज करती हैं. कारण चाहे गर्भवती हो जाने का डर हो या मानसिक रूप से समर्पण न कर पाने का स्वभाव, मगर अनचाहे सैक्स संबंध की प्रताड़नाएं सब से ज्यादा महिलाओं को ही झेलनी पड़ती हैं.’’

वजह वर्कलोड

एक एडवरटाइजिंग कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत पारुल श्रीनिवासन, जिन का विवाह 6 साल पहले हुआ था, एक चौंका देने वाला सत्य सामने लाती हैं.

पारुल बताती हैं, ‘‘मैं अपने पति को बेहद प्यार करती हूं. उन के साथ आउटिंग पर भी अकसर जाती रहती हूं, मगर सैक्स संबंधों में बहुत रैगुलर नहीं हूं. इस का कारण जो भी हो, मगर मुझे ऐसा लगता है कि इस का मुख्य कारण है, हम दोनों का वर्किंग होना. शुरूशुरू में 1 महीना हम दोनों छुट्टियां ले कर हनीमून के लिए हांगकांग और मलयेशिया गए थे. वहां से आने के बाद अपनेअपने कामों में व्यस्त हो गए. रात को बिस्तर पर जाने के बाद सैक्स संबंध बनाने की इच्छा न तो मुझे रहती है, न मेरे पति को. पति कभी आगे बढ़ते भी हैं तो मैं टालने की पूरी कोशिश करती हूं.’’

कारण की तह तक पहुंचने पर पता चला कि शुरूशुरू के दिनों में पति सैक्स संबंध बनाना चाहता था. मगर पारुल को अपनी मार्केटिंग का वर्कलोड इतना रहता था कि वह उसी में खोई रहती थी. पति के समक्ष अपना शरीर तो समर्पित कर देती थी, मगर मन कहीं और भटकता रहता था. पति को यह प्रक्रिया बलात्कार सी लगती. कई बार समझाने, मनाने की कोशिश भी उस ने की. मगर पारुल हमेशा यही कहती कि आज मूड नहीं बन रहा है.

एक दिन पारुल ने खुल कर कह ही दिया कि वह यदि सैक्स संबंधों में रत होती भी है तो बिना मन और इच्छा के. वह अनचाहा सैक्स संबंध जी रही है. पति को यह बुरा लगा और धीरेधीरे सैक्स के प्रति उसे भी अरुचि होती चली गई.

भयमुक्त करना जरूरी

ऐसी कई पत्नियां हैं, जो अनचाहा सैक्स संबंध बनाने पर विवश हो जाती हैं. मगर तबस्सुम खानम की कहानी कुछ और ही है. 26 वर्षीय तबस्सुम एक टीचर हैं, उन के पति उन से 12 साल बड़े हैं. उन की एक दुकान है.

तबस्सुम खानम बताती हैं, ‘‘जब मैं किशोरी थी, तभी से मुझे सैक्स संबंधों के प्रति भय बना हुआ था. सहेलियों से इस को ले कर सैक्स अनुभव की बातें करती थीं और मुझे सुन कर डर सा लगता था. मैं सहेलियों से कहती थी कि मैं तो अपने शौहर से कहूंगी कि बस मेरे गले लग कर मेरे पहलू में सोए रहें. इस से आगे मैं उन्हें बढ़ने ही नहीं दूंगी. सभी सहेलियां खूब हंसती थीं. जब मेरी शादी हुई तो शौहर हालांकि बड़े समझदार हैं, मगर शारीरिक उत्तेजना की बात करें तो खुद पर संयम नहीं रख पाते हैं.’’

थोड़ा झिझकती हुई, थोड़ा शरमाती हुई तबस्सुम खानम आगे बताती हैं, ‘‘मेरे पति ने मेरे लाख समझाने पर भी सुहागरात के दिन ही मुझे अपनी मीठीमीठी बातों में बहला लिया. उन का यह सिलसिला महीनों चलता रहा, मुझे आनंद का अनुभव तो होता, मगर भय ज्यादा लगता था. मेरा भय बढ़ता गया. जब भी रात होती, मेरे पति बैडरूम में प्रवेश करते, मैं डर से कांप उठती थी. हालांकि मेरे पति के द्वारा कोई भी अमानवीय हरकत कभी नहीं होती. काफी प्यार और भावुकता से वे फोरप्ले करते हुए, आगे बढ़ते थे. मगर मेरे मन में जो डर समाया था, वह निकलता ही न था.

“3 महीनों के बाद जब मैं गर्भवती हो गई तो डाक्टर ने हम दोनों के अगले 2 महीनों तक शारीरिक संबंध बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. मुझे तो ऐसा लगा जैसे एक नया जीवन मिल गया. मेरा बेटा हुआ. इस बीच मैं ने धीरेधीरे पति को अपने डर की बात बता दी और वे भी समझ गए.

“मेरे पति ने भी परिपक्वता दिखाई और मुझ से दूर रह कर मुझे धीरेधीरे समझाने लगे. वे सैक्स संबंधों को स्वाभाविक और जीवन का एक अंश बताते. अंतत: उन्होंने मेरे मन से भय निकाल ही दिया.’’

इच्छाअनिच्छा का खयाल

डाक्टर विनोद कामलानी, जो एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक हैं, अपना क्लीनिक चलाते हैं, बताते हैं, ‘‘तबस्सुम के मन में बैठा हुआ सैक्स का डर था. बहुत सी लड़कियां इस भय से भयातुर हुआ करती हैं. मगर बहुत कम पति ऐसे होते हैं, जो धीरेधीरे इस भय को निकालते हैं. ऐसे कई केस मेरे पास आते हैं. पुरुषों के भी होते हैं, मगर अनचाहे सेक्स की शिकार ज्यादातर महिलाएं ही हुआ करती हैं.’’

डाक्टर विनोद कामलानी के ही एक मरीज तरुण पटवर्धन ने बताया कि उन की शादी को 3 साल हो गए हैं, मगर आज तक उन्होंने अनचाहा सैक्स संबंध ही जीया है.

तरुण के अनुसार, विवाहपूर्व उन का प्रेम अपने पड़ोस की एक लड़की से था. किसी कारणवश शादी नहीं हो पाई, मगर प्रेम अभी भी बरकरार है. उस लड़की ने तरुण की याद में आजीवन कुंआरी रहने की शपथ भी ले रखी है. यही कारण है कि जब भी तरुण अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की पहल करते हैं, उन की प्रेमिका का चेहरा सामने आ जाता है. उन्हें एक ‘गिल्ट’ महसूस होता है और वे शांत हो कर लेट जाते हैं. वे अपनी पत्नी से यह सब कहना भी नहीं चाहते हैं वरना उस के आत्मसम्मान को चोट पहुंचेगी. चूंकि उन की पत्नी तरुण को। सैक्स प्रक्रिया बनाने में अयोग्य न समझे, उन्हें अपनी पत्नी के साथ सैक्स संबंध बनाना पड़ता है. वे सैक्स संबंध बिना मन, बिना रुचि के बनाते हैं और इस तरह वे अनचाहा सैक्स संबंध ही जी रहे हैं.

एक सर्वे के अनुसार, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में काम की होड़ और आगे निकलने की चाह ने इनसान को मशीन बना दिया है. पैसा कमाना ही एक मात्र ध्येय बन चुका है. ऐसी भागदौड़ में इनसान सैक्स संबंधों के प्रति इंसाफ नहीं कर पाता है और बिना मन और बिना प्रोपर फोरप्ले के बने हुए सैक्स संबंध, मन में सैक्स के प्रति अरुचि पैदा कर देते हैं. यहीं से शुरुआत होती है अनचाहे सैक्स संबंधों की. अपने पार्टनर की खुशी के लिए संबंध बनाना कभीकभी विवशता भी होती है. अंतत: यही संबंध ऊब का रूप धारण कर लेते हैं या पार्टनर बदलने की चाह मन में उठती है. यद्यपि यह अनचाहा सैक्स पश्चिमी देशों में तेजी से बढ़ रहा है, भारत भी इस से अछूता नहीं है, परंतु यहां का अनुपात अन्य देशों के मुकाबले नगण्य है.

तलाकशुदा से मेरे जिस्मानी संबंध है,अब वो शादी करने पर जोर दे रही है मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 19 साल का एक लड़का हूं और शहर में किराए पर रहता हूं. मकान मालिक की बेटी शादी के बाद तलाक ले कर घर पर बैठी है. वह मुझे अच्छी लगती है और उसे मैं.

अकेलेपन का फायदा उठाते हुए मैं ने और उस ने जिस्मानी रिश्ता भी बना लिया है. उस की उम्र 24 साल है और वह एक बच्ची की मां भी है. बच्ची उसी के पास रहती है. पिछले कुछ दिनों से वह मुझ पर शादी करने का जोर दे रही है और आनाकानी करने पर मुझे पुलिस के हवाले करने की धमकी देती है. मैं क्या करूं?

जवाब-

मुफ्त के मजे लूटे हैं तो थोड़ी परेशानी भी उठाइए. उसे और आप दोनों को सैक्स की जरूरत थी, जो पूरी हो गई. अब लड़की आप में हिफाजत और सहारा ढूंढ़ने लगी है और पुलिस की धमकी दे कर बेजा दबाव बना रही है.

अगर वह अच्छे स्वभाव की है और आप को लगता है कि उस से शादी कर जिंदगी अच्छे से कट जाएगी, तो इस तरफ भी सोचें कि तलाकशुदा होना कोई गुनाह नहीं है. संबंध बनाने से पहले आप ने यह नहीं सोचा होगा कि ऐसी भी नौबत आ सकती है, इसलिए अब आप डर रहे हैं. बेहतर होगा कि आप उसे खुल कर दिल की बात बता दें.

पुलिस की धमकी में ज्यादा दम नहीं है, लेकिन याद रखें कि वह अगर हिम्मत करते सचमुच थाने चली गई तो आप बलात्कार के आरोप में नप जाएंगे, इसलिए प्यार से उसे बहलाफुसला कर किनारा कर लेने में ही आप की भलाई है.

संबंध बनाने से पहले ऐसे जानें गर्लफ्रेंड के दिल की बात

Sex News in Hindi: अगर कोई लड़की आपको चाहती है तो इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं कि वो आपसे सेक्स (Sex) करना चाहती है. हाल में हुए एक रिसर्च (Research) में यह खुलासा हुआ है कि आखिर लड़के सहमति के साथ होने वाले सेक्स को लेकर इतने भ्रमित क्यों रहते हैं और ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए?आप अपनी गर्लफ्रेंड (Girlfriend) के साथ बैठे हैं और उसे किस करने लगते हैं, धीरे धीरे रोमांस (Romance) बढ़ने लगता है. आपको ऐसा लगता है कि आपकी गर्लफ्रेंड को इस समय बहुत अच्छा लग रहा है. आप पहले भी उसके साथ सेक्स कर चुके हैं इसलिए आप खुद ही मान लेते हैं कि वो इस समय भी सेक्स करना चाहती है. लेकिन जैसे ही आप पूरी तरह तैयार होते हैं वो अपना मन बदल लेती है.

वो साफ-साफ मना नहीं करती लेकिन कहती है कि “एक मिनट रुको”. आपका रोमांस चरम सीमा पर पहुंच चुका है, शायद इसीलिए आप उसके कहे शब्दों को या तो नजरअंदाज कर या फिर अनसुना कर आगे बढ़ जाते हैं.

सेक्स के लिए तैयार होना?

सेक्स करने के बाद आपको जल्दी ही यह महसूस हो जाता है कि इस दौरान वो शारीरिक रूप से तो आपके साथ थी लेकिन उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था. आपकी गर्लफ्रेंड की सेक्स में रूचि होने और उसका सेक्स के लिए हां कहने में बहुत ही महीन अंतर होता है जिसे समझना बहुत जरूरी है. कई बार वो सेक्स के लिए तैयार नहीं होती हैं फिर भी आप उनके साथ सेक्स करते हैं.

इस सहमति का क्या मतलब है? साधारण शब्दों में कहें तो सहमति का मतलब है जब कोई लड़की आपको ये बताये कि वो आपके साथ सेक्स करना चाहती है. वो इसे कह भी सकती है या कभी कभी इशारों में भी बता सकती है.

आप अकेले वो लड़के नहीं हैं जिसे ये समझ नहीं आता कि आपकी गर्लफ्रेंड सेक्स के लिए राजी है या नहीं. हर एक लड़के के सामने यह मुसीबत आती है जहां वे ये समझने की कोशिश में लगे रहते हैं कि कैसे पता लगाएं कि लड़की हमसे सेक्स करना चाहती है. तो वो क्या बात है कि लड़कों के लिए यह मसला इतना पेचीदगी भरा है?

अमेरिका में हाल में हुए एक शोध में रिसर्च टीम में 145 पुरुषों से इस संबंध में कई सवाल पूछे. वे ये जानना चाहते थे कि आखिर कॉलेज जाने वाले लड़कों या युवाओं को लड़कियों की सेक्स के लिए सहमति को समझने में इतनी मुश्किल क्यों होती है?

रूचि या सहमति

इस रिसर्च में लड़कों को 6 अलग अलग परिस्थितयां दी गयी थी. लड़कों को यह पता करना था कि कब लड़की की सेक्स के लिए सहमति थी, कब वो मना करना चाहती थी, या कब वो निष्क्रिय थी (और यह बात उसने शब्दों या इशारों के माध्यम से या फ़िर दोनों के माध्यम से यह कहने जताने की कोशिश भी की). हर एक परिस्थिति में लड़कों को यह पता लगाना था कि लड़की सेक्स करना चाहती है या नहीं.

जब परिणाम आये तो आश्चर्यजनक रूप से यह बात सामने आई कि पुरुषों को यह पता लगाने में बहुत मुश्किल होती है कि लड़की की सेक्स करने में सहमति है या नहीं. उन्हें लगता है कि अगर वो सेक्स नहीं करना चाहेगी तो ज़ोर से मना कर देगी.

अगर लड़की लड़के को अपने पास खींचती हुई कहती है कि “वो उसे पाना चाहती है” तो लड़के अच्छी तरह यह समझ जाते हैं कि इस समय लड़की की पूर्ण सहमति है. अगर लड़की सिर्फ़ इशारों में अपनी सहमति जता रही है तो ऐसे में लड़को को लड़कियों के दिल की बात समझने में बहुत मुश्किल होती है.

प्रतिक्रिया ना होने का मतलब है असहमति

अगर लड़की साफ साफ शब्दों में सेक्स के लिए मना कर रही है या कह रही है कि “अभी नहीं करते हैं” तो इससे लड़कों को अच्छी तरह समझ में आ जाता है कि लड़की का अभी मन नहीं है. मुश्किल तब होती है जब लड़की ना भी नहीं कहती और लड़के को कुछ करने से रोकती भी नहीं है. ऐसे में लड़कों को ये समझ में नहीं आता है कि लड़की सेक्स करना चाह रही है या नहीं.

पूछ लें!

अब सवाल यह उठता है कि अगर आप लड़के हैं और लड़कियों के साथ सेक्स करते हैं तो ऐसे में आपको क्या करना चाहिए?

जब आप पूरी तरह सहमत हो जाएं कि लड़की सेक्स के लिए राजी है तभी उसके साथ सेक्स करें अन्यथा ना करें. अगर आप उसके इशारों को नहीं समझ पा रहे हैं तो बेहतर होगा कि आप उस समय सेक्स ना करें. आपके मन में जरा भी शंका हो तो अपनी गर्लफ्रेंड से साफ़ साफ़ इस बारे में पूछ लें. यह सबसे बेहतर उपाय है.

अगर आप लड़की हैं तो आपको अपनी बात कहने में ज़रा भी हिचकिचाना नहीं चाहिए. सेक्स का असली मज़ा तभी है जब दोनों पार्टनर की सहमति हो. अगर आपका सेक्स करने का बिल्कुल भी मूड नहीं है या पीरियड या सिरदर्द की वजह से आप सेक्स नहीं करना चाहती हैं तो इसमें शरमाने की कोई बात नहीं है. ऐसे मौके पर सीधे तौर पर अपने बॉयफ्रेंड से कह दें कि आपको अभी सेक्स  नहीं करना है. ध्यान रखें कि सेक्स तभी मज़ेदार होगा जब आप दिलों दिमाग से करना चाहेंगी. सिर्फ़ अपने बॉयफ्रेंड को खुश करने के लिए सेक्स कभी नहीं करें.

इन इशारों से समझें कि लड़की का सेक्स करने का मन नहीं है :

वो आपके सामने लेटी रहेगी लेकिन खुद कुछ नहीं करेगी. यहां तक कि वो आपको सेक्स करने से रोकेगी भी नहीं. ऐसे में समझ लें कि लड़की की असहमति है.

अगर आप अकेले ही सब कुछ कर रहे हैं तो समझ लें लड़की का मन नहीं है.

पूरे सेक्स के दौरान जब वो आपसे कुछ भी ना बोले.

वो आपको रोके नहीं लेकिन ‘धीमे करो’ या ‘एक मिनट रुको’ जैसा कुछ बोले तो समझ लें कि उसकी असहमति है.

मैं जिस लड़की से प्यार करता हूं उस की शादी हो गई है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं एक 20 साल का लड़का हूं और एक लड़की से प्यार करता हूं, लेकिन कुछ कारणों से उस लड़की की हाल ही में शादी हो गई है. इस के बावजूद वह मुझ से फोन पर बहुत देर तक बात करती है.

हालांकि वह पहले की तरह मुझ से प्यार भरी बातें तो नहीं करती है, लेकिन कहती है कि आप जब तक चाहे बात करेंगे, तब तक मैं भी बात करूंगी. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि उस से फोन पर बात करूं या नहीं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

अब उस लड़की से फोन पर बात करने से कोई फायदा नहीं. वह शायद इस बात से डरी हुई है कि कभी आप उस के पति पर प्यार की बात उजागर न कर दें. इस से वह कहीं की नहीं रह जाएगी.

मुमकिन है कि वह आप का दिल रखने के लिए ही फोन पर बात करती हो, पर इस से आप को और उसे कुछ हासिल नहीं होने वाला, क्योंकि अगर उस के पति को यह बात पता चल गई तो तूफान उस की जिंदगी में आएगा, इसलिए उस से बात करना कम और फिर बंद कर दें.

अपने कैरियर पर ध्यान दें और वक्त रहते किसी अच्छी लड़की से शादी कर लें, धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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अच्छी सेहत के लिए बेहद जरूरी है सेक्स

Sex News in Hindi: हमारे प्राचीन साहित्य (Ancient Literature) में सेक्स को ले कर खुल कर चर्चा हुई है और महर्षि वात्स्यायन ने सेक्स को ले कर कामसूत्र (Kamasutra) जैसे ग्रंथ की रचना की है. यह विडंबना की बात है कि हमारे यहां आज भी सेक्स (Sex) पर खुल कर बात करना वर्जित माना जाता है और सेक्स को एक टैबू (Taboo) माना जाता है. घरेलू महिला (Domestic Women) सुनीता एवं मैरिज काउंसलर दीप्ति के अनुसार, ‘‘सेक्स जरूरी है, जीवन का अभिन्न अंग है, यह आनंद देता ही है. आनंद देने के साथसाथ सेक्स सृष्टि के चलते रहने के लिए संतान की उत्पत्ति का एकमात्र साधन भी है.’’

यौन रोग विशेषज्ञ प्रकाश कोठारी के अनुसार सेक्स शारीरिक प्रक्रियाओं और हारमोंस के संचालन को नियमित रखता है. इस से शरीर के इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ावा मिलता है. सप्ताह में 2 बार सेक्स करने वालों की अपेक्षा जो कभीकभी सेक्स कर पाते हैं उन में इम्यूग्लोबिन ‘ए’ का स्तर कम पाया जाता है और रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता काफी कम होती है. ऐसे लोग अकसर बीमार रहते हैं. इसलिए विवाहितों की अपेक्षा अविवाहितों की मृत्युदर अधिक पाई गई है.

सेक्स से प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि

कैंसर रोग के खतरे से बचाव होता है, क्योंकि पिछले 35 सालों में जो व्यक्ति जितना अधिक स्खलित होता है उस की अपेक्षा कम स्खलित होने वाले पुरुषों की तुलना में 33% कम प्रोस्टेट कैंसर पाया गया, जबकि पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है.

प्रौढ़ावस्था संभालने में सहयोगी

प्रौढ़ावस्था एक ऐसी सीढ़ी है, जिस पर कदम रखते ही स्त्रीपुरुष दोनों ही कुंठाग्रस्त होने लगते हैं, खासकर पुरुष. ऐसे में सेक्स ही कुंठानाशक होता है. यह स्त्रीपुरुष दोनों को एहसास कराता है कि युवावस्था के बाद भी आप का जीवन पूर्ववत चल रहा है, आने वाले जीवन में विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है.

सेक्स सौंदर्य बढ़ाता है

1999 में प्रकाशित ‘सुपर यंग’ के लेखक डाक्टर डेविड ने इस संबंध में अनेक शोध कार्य किए. शोध ने प्रमाणित किया कि जो पतिपत्नी सप्ताह में 4 बार औसतन सहवास क्रिया को अंजाम देते हैं वे अपनी वास्तविक उम्र से कम से कम 10 साल छोटे दिखते हैं.

सेक्स उम्र बढ़ाने में मददगार

डा. चार्नतेस्की एवं डा. प्रकाश कोठारी के अनुसार, ‘‘संतुलित सेक्स का आनंद लेने वाले स्त्रीपुरुष, जो करीब 10 सालों में अधिकतम चरमसुख प्राप्त करते हैं, वे कम चरमसुख महसूस करने वाले स्त्रीपुरुषों की अपेक्षा अधिक उम्र तक जीवित रहते हैं.

सेक्स सही ऐक्सरसाइज

पत्रकार मधु सेक्स को सही ऐक्सरसाइज मानती हैं, सेक्स एक अच्छाखासा व्यायाम है. आप रात या सुबहसुबह खुल कर सेक्स करती हैं तो यह आप को चुस्तदुरुस्त रखता है. सेक्स खून के दौरे को नियंत्रित करने में सहायक ही नहीं होता, बल्कि नियमित सेक्स कोलैस्ट्रौल को कम करता है और अतिरिक्त कैलोरी को नष्ट करने में भी सहायक होता है.

सेक्स वजन घटाता है

स्त्रीपुरुष यदि हफ्ते में कम से कम 5 बार सेक्स सुख लेते हैं तो यकीनन उन का बढ़ा हुआ वजन घटाने में सेक्स मददगार होगा, क्योंकि सहवास के दौरान प्रति मिनट में 4-5 कैलोरी और 1 घंटे में 300 कैलोरी कम हो जाती है.

बीमारी से बचाव

सेक्स करने की सलाह देते हुए डा. प्रकाश कोठारी और डा. अशोक जैन का कहना है कि हर स्वस्थ स्त्रीपुरुष के लिए सेक्स जरूरी है. खासकर महिलाओं को होने वाली बीमारियों से सेक्स बचाता है. महिलाओं को विवाह करने की सलाह भी इसलिए दी जाती है ताकि उन की शारीरिक क्रिया संतुलित रहे वरना हिस्टीरिया जैसी बीमारियां जकड़ लेती हैं. बच्चे के जन्म के बाद स्त्री के गर्भाशय की सफाई हो जाती है. स्त्री के शरीर को यदि संतुलित एवं सिस्टम में रखना है तो सेक्स निहायत जरूरी है.

डिप्रैशन कम करने में सहायक

डिप्रैशन में सेक्स रामबाण का काम करता है. दिलीप और मंजू पतिपत्नी दोनों कई बार अवसाद से घिर जाते हैं. जब उन्हें लगता है कि घरेलू समस्याएं उन्हें अवसाद की ओर ले जा रही हैं तो दोनों आपस में खुल कर सेक्स का लुत्फ उठाते हैं.

क्रिएटिव सोच

सेक्स से स्त्रीपुरुष दोनों की सोच में परिवर्तन होते हैं. परिवर्तन से दिमाग में नई क्रिएटिव प्रक्रिया को अंजाम देने की सोच ही पैदा नहीं होती, बल्कि क्रिएटिव कामों को अंजाम भी दिया जाता है. सेक्स एक मैडिसिन है. इस का सब से बड़ा फायदा है कि यह केवल स्वस्थ ही नहीं रखता बल्कि जिंदगी को खुशनुमा भी बनाता है.

अपनाएं उमंगभरा सेक्स

उमंगभरे सेक्स के लिए हफ्ते में 5-6 दिन कुछ कार्डियो (हृदय संबंधी) व्यायाम करें. इस से सेक्स क्षमता बढ़ेगी, कैलोरी बर्न होगी और ब्लड शुगर नियंत्रण में रहेगा. स्त्रीपुरुष दोनों ही स्वस्थ रहने के साथसाथ खुश भी रहेंगे.

भावनात्मक संबंध मजबूत करता है

जब तक स्त्रीपुरुष के भावनात्मक संबंध आपस में प्रगाढ़ नहीं होंगे तब तक सेक्स आप के लिए जरूरी नहीं होगा. मानसिक लगाव के बिना सेक्स अधूरा है. इस के अभाव में केवल खानापूर्ति ही होती है. सेक्स के बिना जिंदगी बेरौनक है. दांपत्य जीवन को तरोताजा रखने के लिए सेक्स को जीवन का अहम हिस्सा मान कर चलें.

 

आखिर क्यों जरूरी है सेक्स का कारोबार, क्या झूठ की है भरमार

Sex News in Hindi: पहले गिनीचुनी कंपनियां सेक्स की ताकत (Sex Power) बढ़ाने वाली गोलियां, टौनिक(Sex Tonic) और स्प्रे (Sex Spray) बनाती थीं, पर बहुत लुकेछिपे ढंग से इस का प्रचार होता था. कुछ खास छोटी गुमनाम दुकानों पर ही यह सामान मिलता था. अब डिपार्टमैंटल दुकानों और दवा बेचने वालों के पास इस तरह की दवाओं के तमाम ब्रांड मिल जाते हैं. सेक्स (Sex) की दवाओं के इस कारोबार पर बहुत बड़ा हिस्सा उन लोगों के कब्जे में है जो दवाएं बेच रहे हैं. वे अपना नामपता तक गुप्त रखते हैं, पर बहुत से लोग जड़ीबूटी बता कर पता नहीं क्याक्या बेच रहे हैं. अपने प्रचार में ये लोग नामर्दी (Impotency) और बच्चा पैदा करने के लिए शुक्राणुओं की तादाद बढ़ाने के लिए इलाज का दावा करते हैं. पर हकीकत में इस तरह का इलाज इन झोलाछाप डाक्टरों के पास नहीं होता है. ये केवल भ्रामक प्रचार के जरीए ही लोगों को फंसाते हैं.

भ्रामक से मतलब है दवा के नाम पर डर को बेचना. अगर नामर्दी से जुड़ी कोई समस्या है तो किसी माहिर डाक्टर से ही अपना इलाज कराएं. उस डाक्टर द्वारा दी गई दवाओं का ही सेवन करें जो आसपास की कैमिस्ट की दुकान से आसानी से मिल जाती हैं.

मर्दाना ताकत बढ़ाने वाले स्प्रे या गोलियां कितनी कारगर होती हैं, इसे भी डाक्टर बता देते हैं और उन को इस्तेमाल करने की हिदायत भी दे देते हैं.

साल 1986 में एक स्प्रे पहली बार बाजार में आया था. तब यह कहींकहीं ही दिखता था. हालात ये हो गए थे कि इस को बनाने वाली कंपनी ने इस स्प्रे को बनाना बंद कर दिया था.

1990 में नामर्दी को ठीक करने का कारोबार जब बढ़ने लगा तो 1995 में इस स्प्रे को फिर से बाजार में उतारा गया. इस के बाद तो कंपनी ने इसी नाम से गोलियां भी बनानी शुरू कर दीं. यही नहीं, मुख मैथुन में मदद के लिए फलों के कई स्वादों वाला स्प्रे भी बाजार में आने लगा.

‘पुरुषों में चरम शक्ति बढ़ाने’ के नाम पर तमाम तरह की दवाओं का प्रचार किया जाता है. इन में हर्बल दवाओं का नाम भी दिया जाता है.

जब एलोपैथिक दवा वियाग्रा को बाजार में उतारा गया तो उस ने अपनी कामयाबी के झंडे गाड़ दिए. 500 रुपए की यह गोली हर आदमी की जेब को सूट नहीं कर रही थी, इस वजह से वियाग्रा का देशी संस्करण भी बाजार में आ गया.

नामर्दी के इस कारोबार ने जब अपना जलवा दिखाया तो टैलीविजन भी इस के जाल में फंस गया. टैलीविजन के जरीए इन दवाओं का प्रचार बैडरूम तक पहुंचने लगा.

नामर्दी को दूर करने का कारोबार करने के लिए पत्रपत्रिकाओं और टैलीविजन पर इश्तिहार दिए जाते हैं. इस के अलावा दूरदराज की जगहों पर वाल राइटिंग कराई जाती है. दवा की दुकानों पर पोस्टर लगवाए जाते हैं. कई तरीके से पंपलैट बांटे जाते हैं. एलोपैथिक दवाओं को बनाने वाले डाक्टरों के जरीए भी प्रचार किया जाता है.

इस धंधे में होने वाले मुनाफे का अंदाजा प्रचार में खर्च की जाने वाली रकम से लगाया जा सकता है. सब से पहले नामर्दी का शिकार सेक्स का इलाज करने वाले झोलाछाप डाक्टरों के पास जाता है. अपने इलाज पर जब वह कई हजार रुपए खर्च कर लेता है तब उस को डाक्टरों का खयाल आता है.

एक सर्वे के मुताबिक, भारत में 10 में से 2 आदमी को सेक्स की परेशानी होती है. यह परेशानी अंग में तनाव न आने की होती है. ज्यादातर लोग लुकछिप कर ही अपना इलाज कराने की कोशिश करते हैं. इसी में वे ठगे जाते हैं.

सेक्स रोगों के जानकार और सर्जन, लखनऊ के डाक्टर गिरीश मक्कड़ कहते हैं, ‘‘नामर्दी 2 तरह की होती है. एक, विवाह की शुरुआत में ही सामने आ जाती है. दूसरी, एक निश्चित उम्र के बाद आती है. इस में अंग में तनाव नहीं आता है. इस के शारीरिक और मानसिक 2 कारण होते हैं. कारण का पता लगा कर ही सही ढंग से उस का उपचार किया जा सकता है.’’

ज्यादा उम्र हो जाने पर किसी बीमारी के चलते या फिर मधुमेह, तनाव, एलर्जी या दिल की बीमारी के चलते यह परेशानी आ सकती है. शुरुआती समय में अगर इस का सही ढंग से इलाज हो जाए तो परेशानी से बचा जा सकता है.

अच्छी नौकरियां कर रहे लोग तनाव में फंस कर रह जाते हैं, जिस के चलते अंग में तनाव की कमी आ जाती है. वे इस को दूर करने के लिए महंगी से महंगी दवाओं को लेने लग जाते हैं.

एक मैडिकल स्टोर चलाने वाले दीपक कुमार कहते हैं कि नामर्दी दूर करने की दवाओं को खरीदने वाले हर उम्र के लोग होते हैं. ज्यादातर 20 से 30 साल और इस के बाद 40 से 45 साल की उम्र के लोग होते हैं.

अब महिलाएं भी इस तरह के मामलों में अपनी राय देने लगी हैं. कभीकभी वे खुद पहल कर के पतियों को डाक्टरों के पास लाती हैं. जरूरत इस बात की है कि नामर्दी का इलाज सही ढंग से माहिर डाक्टरों से कराया जाए. बहुत सारे मामलों में इस तरह की दवाओं का फायदा मनोवैज्ञानिक असर के चलते ही दिखता है. झोलाछाप डाक्टर इसी बात का फायदा उठा कर अपना कारोबार चलाते रहते हैं.

नामर्दी का कारोबार ज्यादातर गलतफहमी पर टिका हुआ है. अगर सही ढंग से इलाज कराया जाए तो नामर्दी का यह इलाज सस्ता भी है और इस में किसी तरह की कोई परेशानी भी नहीं होती है.

सभी तरह की नामर्दी का इलाज हो सकता है और इस में कामयाबी की गारंटी 80 से 100 फीसदी तक होती है. इस तरह के मामलों में पत्नी और अनुभवी डाक्टरों का इलाज में खास रोल होता है.

जुराब पहनकर करेंगे सेक्स तो दोगुना हो जाएगा मजा

 Sex News in Hindi: जिंदगी को खुशनुमा बनाने के लिए जरूरी है सेक्स. ये तनाव (Stress) कम करता है. आपको खुश रखता है और आपके जीवन को एक जीने की वजह देता है. लेकिन ये सारी चीजें तब होती हैं जब आपको इसमें पूरी तरह से संतुष्टि मिलें और आपका पार्टनर (Partner) आपके प्रति वफादार हो. फिर भी कई बार लोग एक-दूसरे के प्रति वफादार होते हैं तब भी उन्हें सेक्सलाइफ (Sex Life) में संतुष्टि नहीं मिलती. ऐसा क्यों…? ऐसा कई कारणों से होता है और हर कारण, अलग-अलग स्थितियों पर निर्भर करते हैं. ये सारे कारण तो किसी सेक्सोलॉजिस्ट (Sexologist) से मिल कर ही हल हो सकते हैं. फिर भी अगर आपको अपनी सेक्स लाइफ में संतुष्टि चाहिए तो यहां दिया गया उपाय अपनाइए.

ये समाधान है, सोते समय जुराब मतलब मोजे पहनने का

अगर आप सोते समय कपड़ों के साथ पैरों में मोजे मतलब जुराब पहनते हैं तो ये खबर आपके लिए है. सर्दियों में तो बहुत सारे लोग मोजे पहनकर सोते हैं लेकिन इस खबर को पढ़ने के बाद आप पूरे साल मोजे पहनकर सोएंगे. हाल ही में हुए एक सर्वे में इस बात की पुष्टि हुई है कि आप मोजे पहनकर सेक्स करते हैं तो आपको चरम सुख की प्राप्ति होती है.

सर्वे में इस बात का कारण देते हुए कहा गया है कि दोनों पांवों में मोजे पहन कर सोने से शरीर में गर्माहट बनी रहती है खासकर पैरों में, जिससे पैरों की रक्त वाहिकाओं में ब्लड सर्कुलेशन बना रहता है. ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनने से आप सेक्स करने के दौरान ज्यादा एक्टिव रहते हैं.

यह सर्वे नीदरलैंड की गोनिन्जम यूनिवर्सिटी द्वारा करवाया गया है. इस सर्वे में शोधकर्ता ने पाया की मोजे पहनकर सेक्स करने वालों में से 80% कपल को चरम सुख की प्राप्ति हुई. वैसे हर कोई इस सर्वे से इत्तेफाक नहीं रखता है. कई एक्सपर्ट इस स्टडी को एक सिरे से खारिज भी करते हैं.

ऐसे सर्वे होते रहते हैं. सर्वे के परिणाम अधिकतर लोगों पर कारगर होते हैं इसलिए इन्हें फाइनल माना जाता है. इसका मतलब ये नहीं की ये हर किसी पर कारगर हों. पिछले दिनों ऐसा ही एक सर्वे आया था कि घर में सेक्स करने की तुलना में होटल के कमरे में सेक्स करने में ज्यादा मजा आता है. ये सर्वे 11 देशों के 2,200 लोगों पर शोध कर तैयार किया गया थी. यह सर्वे मोबाइल बुकिंग सर्विस होटल टूनाइट द्वारा किए गए सर्वेक्षण पर आधारित था. तो इसका मतलब ये नहीं की घर में मजा नहीं आता. हर किसी की अपनी पसंद होती है और हर किसी का अपना अनुभव होता है.

पचपन की उम्र में भी न करें सेक्स से परहेज, होगा ये फायदा

Sex Tips in Hindi: कुछ समय पहले की बात है. एक विख्यात सेक्स विशेषज्ञ (Sex Specialist) को एक महिला का पत्र मिला. लिखा था, मेरे पति 54 साल के हैं. उन्होंने फैसला किया है कि वह अब भविष्य में मुझ से कोई जिस्मानी संबंध (Physical Relation) न रखेंगे. उन का कहना है कि उन्होंने कहीं पढ़ा है कि 50 साल बाद वीर्य का निकलना मर्द पर अधिक शारीरिक दबाव डालता है और वह अगर नियमित संभोग में लिप्त रहेगा तो उस की आयु कम रह जाएगी यानी वह वक्त से पहले मर जाएगा. इसलिए उन्होंने सेक्स को पूरी तरह से त्याग दिया है. क्या इस बात में सचाई है? अगर नहीं, तो आप कृपया उन्हें सही सलाह दें.

मैं आशा करती हूं कि इस में कोई सत्य न हो, क्योंकि यद्यपि मैं 50 की हूं मेरी इच्छाएं अभी बहुत जवान हैं. मैं इस विचार से ही बहुत उदास हो जाती हूं कि अब ताउम्र मुझे सेक्स सुख की प्राप्ति नहीं होगी. मैं ने अपने पति को समझाने की बहुत कोशिश की. मुझे यकीन है कि वह गलत हैं. लेकिन मेरे पास कोई मेडिकल सुबूत नहीं है, इसलिए वह मेरी बात पर ध्यान नहीं देते. मुझे विश्वास है कि जहां मैं नाकाम रही वहीं आप कामयाब हो जाएंगे.

यह केवल एक महिला का दुखड़ा नहीं है. अगर सर्वे किया जाए तो 50 से ऊपर की ज्यादातर महिलाएं इसी कहानी को दोहराएंगी और महिलाएं ही क्यों पुरुषों का भी यही हाल है. सेक्स से इस विमुखता के कारण स्पष्ट और जगजाहिर हैं, लेकिन एक बात जिसे मुश्किल से स्वीकार किया जाता है और जो आधुनिक शोध से साबित है, वह यह है कि सेक्स न करने से व्यक्ति जल्दी बूढ़ा हो जाता है और उसे बीमारियां भी घेर लेती हैं.

एक 55 साल की महिला से सेक्स के बाद जब उस के प्रेमी ने कहा कि वह जवान लग रही है, तो उस ने आईना देखा. उस ने अपने शरीर में अजीब किस्म की तरंगों को महसूस किया और उसे लगा कि वह अपने जीवन में 20 वर्ष पहले लौट आई है.

50 के बाद सेक्स में दिलचस्पी कम होने की कई वजहें हैं. हालांकि अब वैदिक काल जैसी कट्टरता नहीं है, लेकिन अब भी सोच यही है कि 50 पर गृहस्थ आश्रम खत्म हो जाता है और वानप्रस्थ आश्रम शुरू हो जाता है. इसलिए शायद ही कोई घर बचा हो जिस में यह वाक्य न दोहराया जाता हो : नातीपोते वाले हो गए, अब तुम्हारे खेलने के दिन कहां बाकी हैं. शर्म करो, अब बचपना छोड़ो. बहूबेटे क्या कहेंगे? क्या सोचेंगे कि बूढ़ों को अब भी चैन नहीं है.

दरअसल, भक्तिकाल में जब ब्रह्मचर्य और वीर्य को सुरक्षित रखने पर जो बल दिया गया उस से यह सोच विकसित हो गई कि सेक्स का उद्देश्य आनंदित स्वस्थ और तनावमुक्त रहना नहीं बल्कि केवल उत्पत्ति है. एक बार जब संतान की उत्पत्ति हो जाए तो सेक्स पर विराम लगा देना चाहिए.

इस तथाकथित धार्मिक धारणा पर अब तक साइंस का गिलाफ चढ़ाने का प्रयास किया जाता रहा है. मसलन, हाल ही में ‘योग’ से  संबंधित एक पत्रिका में लिखा था, ‘‘वीर्य में सेक्स हारमोन होते हैं. उन्हें सुरक्षित रखें और सेक्स में लिप्त हो कर उसे बरबाद न करें. यह कीमती हारमोन यदि बचा लिए जाते हैं तो वापस रक्त में चले जाते हैं और शरीर में ताजगी और स्फूर्ति आ जाती है. आधी छटांक वीर्य 40 छटांक रक्त के बराबर होता है, क्योंकि वह इतने ही खून से बनता है. जिस्म से जितनी बार वीर्य निकलता है उतनी ही बार कीमती रासायनिक तत्त्व बरबाद हो जाते हैं, वह तत्त्व जो नर्व व बे्रन टिश्यू के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण  हैं. यही वजह है कि अति उत्तेजक पुरुषों की पत्नियां और वेश्याओं की आयु बहुत कम होती है.

इस पूरे ‘प्रवचन’ के लिए एक ही शब्द है, बकवास. सब से पहली बात तो यह है कि वीर्य में शुक्राणु बड़ी मात्रा में साधारण शकर, सेट्रिक एसिड, एसकोरबिक एसिड, विटामिन सी, बाइकारबोनेट, फासफेट और अन्य पदार्थ होते हैं जो ज्यादातर एंजाइम होते हैं, इन सब का उत्पादन अंडकोशिकाएं, सेमिनल बेसिकल्स और एपिडर्मिस व वसा की डक्ट के जरिए होता है. वीर्य में सेक्स हारमोन होते ही नहीं. यह सारे तत्त्व या पदार्थ जिस्म में खाने की सप्लाई से बनते हैं जोकि एक न खत्म होने वाली प्रक्रिया है. निष्कासित होने से पहले वीर्य सेमिनल वेसिकल्स में स्टोर होता है, अगर इसे निष्कासित नहीं किया गया तो भीगे ख्वाबों से यह अपनेआप हो जाएगा. जाहिर है इस के शरीर में स्टोर होने का अर्थ है कि जिस्म में यह सरकुलेशन का हिस्सा रहा ही नहीं है और न ही ऐसी कोई प्रक्रिया है जिस से वीर्य फिर खून में शामिल हो कर ऊर्जा का हिस्सा बन जाए.

विख्यात वैज्ञानिक डॉक्टर इसाडोर रूबिन का कहना है, ‘‘अगर यह धारणा सही होती कि वीर्य के निकलने से या महिला के चरम आनंद प्राप्त करने से जिस्म में कमजोरी आ जाती है और उम्र में कटौती हो जाती है, तो कुंआरों की आयु विवाहितों से ज्यादा होती, क्योंकि अविवाहितों को सेक्स के अवसर कम मिलते हैं. वास्तविकता यह है कि विवाहित व्यक्ति लंबे समय तक जीते हैं.’’ हाल में किए गए शोधों से पता चला है कि अगर कोई व्यक्ति काफी दिन तक सेक्स से दूर रहता है तो कुछ प्रोस्टेटिक फ्लूड सख्त हो कर ग्रंथि में रह जाते हैं. इस से प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है और व्यक्ति को पेशाब करने में कठिनाई होने लगती है. इस समस्या पर अगर ध्यान न दिया जाए तो फिर प्रोस्टेट की सर्जरी आवश्यक हो जाती है.

50 के बाद सेक्स से विमुखता का एक अन्य कारण यह है कि जवानी में लोग कसरत पर और अपने जिस्म को सुडौल रखने के लिए खानपान पर अकसर खास ध्यान नहीं  देते. इस से उम्र के साथ उन के शरीर पर फैट जमा होने लगता है जिस से वह मोटे हो जाते हैं. यह जानने के लिए ज्ञानी होना आवश्यक नहीं है कि मोटापा अपनेआप में कई गंभीर बीमारियों की जड़ होता है. व्यक्ति जब बीमार रहेगा तो उस का ध्यान सेक्स की ओर कहां जाएगा, साथ ही पुरुष का जब पेट निकल जाता है और उस का सीना भी औरतों की तरह लटक जाता है तो वह उस मुस्तैदी से सेक्स में लिप्त नहीं हो पाता जैसे वह जवानी में होता था. महिलाओं के बेडौल और मोटे होने से उन में मर्द के लिए पहले जैसा आकर्षण नहीं रह पाता. इसलिए जरूरी है कि उम्र के हर हिस्से में कसरत की जाए और अपना वजन नियंत्रित रखा जाए.

वैसे सेक्स भी अपनेआप में बेहतरीन कसरत है. अन्य फायदों के अलावा इस से मांसपेशियों सुगठित रहती हैं, ब्लड प्रेशर सामान्य और अतिरिक्त फैट कम हो जाता है. गौरतलब है कि पुरुष के गुप्तांग में जोश स्पंजी टिश्यू के छिद्रों में खून के बहाव से आता है. अगर आप के जिस्म पर 1 किलो अतिरिक्त फैट है तो रक्त को 22 मील और ज्यादा सरकुलेट होना पड़ता है. अगर व्यक्ति बहुत मोटा है तो फैट उस के सामान्य सरकुलेशन को और कमजोर कर देता है और खास मौके पर इतना रक्त उपलब्ध नहीं होता कि पूरी तरह से जोश में आ जाए.

दरअसल, खानेपीने का तरीका सामान्य सेहत को ही नहीं सेक्स जीवन को भी प्रभावित करता है. इस में कोई दोराय नहीं कि पतिपत्नी क्योंकि एक ही छत के नीचे रहते हैं इसलिए खाना भी एक सा ही खाते हैं. अगर किसी दंपती के खाने में विटामिन ‘बी’ की कमी है तो इस का उन के जीवन पर जटिल प्रभाव पडे़गा. इस की वजह से पत्नी में अतिरिक्त एस्ट्रोजन (महिला सेक्स हारमोन) आ जाएंगे और उस की सेक्स इच्छाएं बढ़ जाएंगी जबकि पति में इस का उलटा असर होता है. एस्टो्रजन के बढ़ने से उस के एंड्रोजन (पुरुष सेक्स हारमोन) में कमी आ जाती है.

दूसरे शब्दों में, स्थिति यह हो जाएगी कि पत्नी तो ज्यादा प्यार करना चाहेगी, लेकिन पति की इच्छाएं कम हो जाएंगी. इसलिए आवश्यक है कि संतुलित हाई प्रोटीन खुराक ली जाए. साथ ही शराब और सिगरेट की अधिकता से बचा जाए, क्योंकि इन दोनों के सेवन से व्यक्ति वक्त से पहले चरम पर पहुंच जाता है और फिर अतृप्त सा महसूस करता है.

गौरतलब है कि इंटरनेशनल जर्नल आफ सेक्सोलोजी-7 के अनुसार विटामिन और हारमोंस का गहरा रिश्ता है. दर्द भरी माहवारी में राहत के लिए जब टेस्टेस्टेरोन हारमोन दिया जाता है तो उस की अधिक सफलता के लिए साथ ही विटामिन ‘डी’ भी दिया जाता है. इसी तरह से गर्भपात के संभावित खतरे से बचने के लिए प्रोजेस्टरोन हारमोन के साथ विटामिन ‘सी’  दिया जाता है.

50 के बाद सेक्स से विमुखता की एक वजह यह भी है कि दोनों पतिपत्नी बननासंवरना काफी हद तक कम कर देते हैं. अच्छे और आकर्षक कपडे़ पहनने से और बाल अच्छी तरह बनाने से यकीनन महिला का मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है.

यहां यह बताना भी आवश्यक होगा कि इसी किस्म का आकर्षण लाने के लिए पुरुषों को भी चाहिए कि वे कसरत करें, ब्यूटी पार्लर जाएं और अच्छे कपडे़ पहनें, साथ ही उन की पत्नी जब रजोनिवृत्ति से गुजर रही हो तो उस का विशेष ध्यान रखें. पत्नी जितना खुल कर अपने पति से बातें कर सकती है उतना वह अपने डाक्टर से भी नहीं कह पाती. इसलिए अगर रजोनिवृत्ति के दौरान पति ने उसे सही से संभाल लिया तो आगे का सेक्स जीवन बेहतर रहेगा.

अब तक जो बहस की गई है उस से स्पष्ट है कि अच्छे, स्वस्थ और लंबे जीवन के लिए 50 के बाद भी सेक्स उतना ही आवश्यक है जितना कि उस से पहले. लेकिन उसे बेहतर बनाए रखने के लिए अपने नजरिए में बदलाव लाना भी जरूरी है और अगर कोई समस्या है तो मनोवैज्ञानिक और डाक्टर से खुल कर बात करने में कोई शर्म नहीं करनी चाहिए.

सैक्स महंगा है, जानना चाहते हैं क्यों

Sex News in Hindi: सोशल बैवसाइट सर्वे करने वाली एक आईटी कंपनी की हालिया रिपोर्ट चौंकाती है, जिस में पोर्न बेस्ड सर्वे के आधार पर ये आंकड़े दिए गए हैं कि देश में 22 से 34 आयुवर्ग के युवा पोर्नोग्राफी, पेड सैक्स, बैव सैक्स चैट के जरिए अपनी पौकेट ढीली कर रहे हैं. उन की कमाई का लगभग 20 से 30त्न हिस्सा पेड सैक्स के लिए जा रहा है. माध्यम चाहे जो भी हो, सैक्स के लिए मोटी रकम अदा करनी पड़ रही है यानी सैक्स अब सस्ता व सुलभ नहीं, बल्कि महंगा और अनअफोर्डेबल है. पेड सैक्स की बढ़ती लोकप्रियता व चलन ने सैक्स को आम लोगों की पहुंच से दूर कर दिया है. अब यह पैसे वालों का शौक बन गया है. सैक्स की बढ़ती मांग और आपूर्र्ति के बीच गड़बड़ाए तालमेल ने सैक्स बाज़ार के रेट आसमान पर पहुंचा दिए हैं. इस का दूसरा बड़ा कारण है मोटी जेब वालों की सैक्स तक आसान पहुंच. जहां जैसी जरूरत हो, मोटी रकम दे कर सैक्स बाज़ार से सैक्स खरीद लिया, नो बारगेनिंग, नो पचड़ा. इस का नतीजा हाई रेट्स पेड सैक्स के रूप में सामने आया. सैक्स वर्कर्स ने भी मांग के आधार पर अपनी दरें ऊंची कर लीं.

क्या है पेड सैक्स

 सैक्स के लिए जो रकम अदा की जाती है उसे पेड सैक्स कहा जाता है. इस के कई रूप हो सकते हैं. वर्चुअल सैक्स से ले कर लाइव फिजिकल सैक्स तक. औनलाइन सैक्स मसलन, पोर्न वीडियो, पोर्नोग्राफी, औनलाइन पेड फ्रैंडशिप, वीडियो सैक्स, वैब औरिएंटेड सैक्स. औफलाइन सैक्स मसलन, ब्रोथल पिकअप सैक्स, कौलगर्ल औन डिमांड आदि. सैक्स के इन तमाम माध्यमों में कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पैसे इनवैस्ट किए जाते हैं. सैक्स के तमाम माध्यमों में सीधे इनवैस्टमैंट को पेड सैक्स कहते हैं.

सैक्स की राह नहीं आसान

 कुछ दशक पहले तक सैक्स तक आम लोगों की आसान पहुंच थी. छोटीमोटी रकम अदा कर के यौनसुख का आनंद उठाया जा सकता था, पर सैक्स के विभिन्न मौडल सामने आने के बाद उस की दरों में कई गुणा वृद्धि हुई है.

क्या है इन की कैटेगरी व प्रचलित दरें

 – औनलाइन पेड सैक्स : प्रति मिनट डेटा चार्जेज.

– फोन फ्रैंडशिप : 2 से 3 हजार रुपए प्रतिमाह सदस्यता.

–       कौलगर्ल औन डिमांड : 2 से 10 हजार रुपए प्रति घंटा.

–       स्कौर्ट सर्विस (श्रेणी एबीसी ) शुरुआती दर.

–       ब्रोथल सैक्स : 500 से 1,500 रुपए तक नाइट/आवर.

–       हाउस सर्विस : पर शौट (हाउसवाइफ, कालेज/वर्किंग वूमन)  3 से 5 हजार रुपए पर शौट.

मार्केट में चल रही इन दरों को देख कर आसानी से यह कहा जा सकता है कि ऐक्स्ट्रा मैरिटल सैक्स की चाह रखने वालों को अब मनी कैपेबिलिटी भी ऊंची रखनी होगी. यौनतृप्ति की राह आसान नहीं है. सैक्स के बाजार ने एक बड़ा रूप ले लिया है, जहां जिस की जितनी हैसियत है उस हिसाब से यौन संतुष्टि पा सकता है. आम व सामान्य लोगों के लिए यौनलिप्सा के दरवाजे लगभग बंद होते प्रतीत हो रहे हैं.

कौलगर्ल रिचा चंद्रा बताती हैं, ‘‘वर्षों से (लगभग 11 साल पहले) जब वे इस पेशे में आई थीं, तब उन के पास ठीक से खाने व ब्रोथल की मैडम को रैंट चुकाने तक के पैसे नहीं थे, क्योंकि तब ग्राहकों की पेइंग कैपेसिटी बहुत कम थी और मार्केट में सप्लाई ज्यादा. इसलिए औनेपौने रेट पर भी वे ग्राहक पटा लेती थीं, तब न तो इतने बड़े और ग्लैमरस तरीके से उन्हें प्रोजैक्ट किया जाता था और न ही इंटरनैट के जरिए विज्ञापन व प्रचारप्रसार था.

‘‘अब स्थिति बिलकुल उलट है. ऐडवर्ल्ड व सोशल मीडिया की आसान पहुंच ने सबकुछ बदल दिया है. अब वे विज्ञापन के जरिए अपना बेस प्राइस भी तय कर सकती हैं और अपनी सर्विस के लिए बारगेनिंग भी. साथ ही ग्लैमरस प्रोजैक्शन ने मार्केट में उन की प्राइस वैल्यू औैर बढ़ा दी है.

‘‘इस तरह जहां वे पहले वननाइट सर्विस के लिए 200 से 500 रुपए तक ही कमा पाती थीं आज वह बढ़ कर 2 से 5 हजार रुपए तक हो गया है. रिचा आगे बताती हैं कि विवाह से इतर सैक्स की चाह ने भी बाज़ार में क्लाइंट की संख्या में खासा इजाफा किया है. इंटरनैट पर बढ़ते सैक्स के प्रोजैक्शन ने युवाओं में लाइव सैक्स की चाह को बढ़ाया है.’’

चाहे जो हो, सैक्स का बाज़ार महंगाई के प्रभाव से अछूता है. जब तक लोगों की जेबें गरम रहेंगी, बिस्तर भी गरम होता रहेगा. हैसियत और ओहदे के हिसाब से बेहतर सेवाएं भी मिलती रहेंगी. पैसे वालों के लिए अल्ट्रामौडर्न स्कौर्ट्स सर्विस तो आम लोगों के लिए साधारण ब्रोथल सर्विस.

मांग है तो आपूर्त्ति भी लगातार बनी रहेगी, तो पैसा फेंकिए और तमाशा देखिए. इस में हर्ज ही क्या है?

कंडोम मुसीबत नहीं दोस्त है आपका

Sex News in Hindi: फिल्म ‘डियर जिंदगी’ (Dear Zindagi) में शाहरुख खान ने दिमाग के डाक्टर का किरदार निभाया था और दिमागी बीमारी या परेशानी को ले कर एक बात समझाई गई कि लोग शरीर की बीमारी को तो नहीं छिपाते हैं, पर जैसे ही उन्हें पता चलता है कि घर में कोई दिमागी तौर पर बीमार है, तो उन्हें जैसे सांप सूंघ जाता है.फुसफुसाहट सी शुरू हो जाती है, जैसे दिमागी बीमारी होना जिंदगी की सब से बड़ी दुश्वारी है. अनपढ़ ही नहीं, बल्कि पढ़ेलिखे लोग भी दिमागी समस्याओं पर दिमाग खोल कर बात नहीं कर पाते हैं. ऐसा ही हाल कंडोम (Condom) के इस्तेमाल की बहस का माना जा सकता है. बहुत से लोग तो इस बात से जूझते रहते हैं कि कंडोम उन का दोस्त है या मुसीबत. सब से बड़ी मुसीबत तो यह कि कैमिस्ट से खरीदा कैसे जाए या सरकारी अस्पताल में नर्स से मांगा कैसे जाए? लेकिन हैरत की बात तो यह है कि कैमिस्ट या नर्स के लिए किसी को कंडोम देना उतना ही आसान काम है, जितना कोई दूसरी दवा देना.

दूसरी मुसीबत होती है इसे इस्तेमाल करना. कई मर्दों को शिकायत रहती है कि सैक्स के दौरान यह मजे में रुकावट बनता है और उन्हें अंग का उतना जोश नहीं मिलता जितना बगैर कंडोम के जोश रहता है.

कुछ मामलों में औरतों को भी यह रास नहीं आता है. सरकारी अस्पतालों में मिलने वाले ‘मुफ्त के निरोध’ की गंध उन के सैक्स के खेल को बेकार बना देती है और चरमसुख से पहले वे अनचाही झल्लाहट से रूबरू होती हैं.

लेकिन ये कुछ मुसीबतें कंडोम की अहमियत को कम नहीं कर सकती हैं. यह एक ऐसा दोस्त है, जो आप पर आने वाली मुसीबत को खुद पर झेल लेता है. सच मानिए, तो यह सैक्स के मजे को दोगुना कर देता है.

 कंडोम से दोस्ती करने के फायदों के बारे में :

सैक्स बीमारियों से बचाव : सैक्स के दौरान कंडोम मर्द और औरत के प्राइवेट पार्ट के बीच एक ऐसी झिल्लीनुमा पतली दीवार का काम करता है, जो उन्हें सैक्स बीमारियों से बचाता है. माहिर डाक्टरों की राय मानें, तो अगर किसी के एक से ज्यादा सैक्स पार्टनर हैं, तो सैक्स करने के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करने से एड्स जैसी खतरनाक बीमारी को काफी हद तक खत्म किया जा सकता है. इस से शुक्राणु और कीटाणु नहीं फैलते हैं.

अनचाहे पेट से छुटकारा : जल्दी बच्चा न चाहने या 2 बच्चों के बीच कुछ वक्त का फर्क करने में कंडोम काफी असरदार माना जाता है. यह अनचाहे पेट से छुटकारा दिलाने में मददगार होता है और शादी के बाद परिवार नियोजन में मदद करता है. कंडोम आजकल तकरीबन हर मैडिकल स्टोर में आसानी से मिलता. यह सस्ता होता है और अलगअलग रंगों, फ्लेवर व साइज में मिलता है.

सैक्स पावर में बढ़ोतरी : एक रिसर्च से यह बात सामने आई है कि कंडोम के इस्तेमाल से मर्दों की अपनी पार्टनर के साथ सैक्स करने की कूबत बढ़ती है. वे दोनों लंबे समय तक बिस्तर पर अपना समय बिता सकते हैं.

इस के अलावा कई बार सैक्स के दौरान मर्द के अंग में दर्द होता है, लेकिन कंडोम के इस्तेमाल से उन्हें इस दर्द से छुटकारा मिल सकता है, क्योंकि कंडोम से अंग की बाहरी चमड़ी पर कम दबाव पड़ता है और रगड़ कम लगने से दर्द नहीं होता है. और हां, इस के इस्तेमाल से अंग पर चोट लगने का खतरा भी कम हो जाता है.

सुख का एहसास : सैक्स के दौरान जो लोग कंडोम का इस्तेमाल करते हैं, उन में से बहुतों का मानना है कि यह पहनने से उन्हें नयापन सा महसूस होता है, सैक्स करने की ज्यादा ताकत मिलती है. अब तो कंडोम कई फ्लेवर में आने लगे हैं, जो सैक्स के दौरान अजीब से सुख का एहसास कराते हैं.

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