अनचाहे सेक्स की शिकार, कौन करता है वार

Sex News in Hindi: दिन ब दिन बलात्कार (Rape) की घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही है. इस के कई कारण हैं, जिन में एक है मानसिक हिंसा (Mental Voilence) की प्रवृत्ति का बढ़ना. बलात्कार शब्द से एक लड़की या युवती पर जबरदस्ती झपटने वाले लोगों के लिए हिंसात्मक छवि उभर कर सामने आती है. इस घृणित कार्य के लिए कड़े दंड का भी प्रावधान है. मगर बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि वैवाहिक जिंदगी (Married Life) में भी बलात्कार वर्जित है और इस के लिए भी दंड दिया जाता है. मगर इसे बलात्कार की जगह एक नए शब्द से संबोधित किया जाता है और वह शब्द है अनचाहा सेक्स  संबंध (Unwanted Sex relation).

आज अनचाहे सेक्स संबंधों की संख्या बढ़ गई है. समाज जाग्रत हो चुका है और अपने शरीर या आत्मसम्मान पर किसी भी तरह का दबाव कोई बरदाश्त नहीं करना चाहता है. इस विषय पर हम ने समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से बातचीत भी की और जानने की कोशिश की कि आखिर क्या है यह अनचाहा सेक्स संबंध?

डा. अनुराधा परब, जो एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री हैं, बताती हैं, ‘‘बलात्कार और अनचाहे सेक्स में बहुत महीन सा फर्क है. बलात्कार अनजाने लोगों के बीच हुआ करता है और एक पक्ष इस का सशरीर पूर्ण विरोध करता है. अनचाहा सेक्स परिचितों के बीच होता है और इस में एक पक्ष मानसिक रूप से न चाह कर भी शारीरिक रूप से पूर्णत: विरोध नहीं करता है. सामान्यत: यही फर्क होता है. मगर गहराई से जाना जाए तो बहुत ही सघन भेद होता है. ‘‘अनचाहा सेक्स ज्यादातर पतिपत्नी के बीच हुआ करता है और आजकल प्रेमीप्रेमिका भी इस संबंध की चपेट में आ गए हैं. आधुनिक युग में शारीरिक संबंध बनाना एक आम बात भले ही हो गई हो, फिर भी महिलाएं इस से अभी भी परहेज करती हैं. कारण चाहे गर्भवती हो जाने का डर हो या मानसिक रूप से समर्पण न कर पाने का स्वभाव, मगर अनचाहे सेक्स संबंध की प्रताड़नाएं सब से ज्यादा महिलाओं को ही झेलनी पड़ती हैं.’’

वजह वर्कलोड

एक एडवरटाइजिंग कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत पारुल श्रीनिवासन, जिन का विवाह 6 साल पहले हुआ था, एक चौंका देने वाला सत्य सामने लाती हैं. वह बताती हैं, ‘‘मैं अपने पति को बेहद प्यार करती हूं. उन के साथ आउटिंग पर भी अकसर जाती रहती हूं, मगर सेक्स संबंधों में बहुत रेगुलर नहीं हूं. इस का कारण जो भी हो, मगर मुझे ऐसा लगता है कि इस का मुख्य कारण है, हम दोनों का वर्किंग  होना. शुरूशुरू में 1 महीना हम दोनों छुट्टियां ले कर हनीमून के लिए हांगकांग और मलयेशिया गए थे. वहां से आने के बाद अपनेअपने कामों में व्यस्त हो गए. रात को बेड पर जाने के बाद सेक्स संबंध बनाने की इच्छा न तो मुझे रहती है, न मेरे पति को. पति कभी आगे बढ़ते भी हैं तो मैं टालने की पूरी कोशिश करती हूं.’’

कारण की तह तक पहुंचने पर पता चला कि शुरूशुरू के दिनों में पति सेक्स संबंध बनाना चाहता था. मगर पारुल को अपनी मार्केटिंग का वर्कलोड इतना रहता था कि वह उसी में खोई रहती थी. पति के समक्ष अपना शरीर तो समर्पित कर देती थी, मगर मन कहीं और भटकता रहता था. पति को यह प्रक्रिया बलात्कार सी लगती. कई बार समझाने, मनाने की कोशिश भी उस ने की. मगर पारुल हमेशा यही कहती कि आज मूड नहीं बन रहा है. और एक दिन पारुल ने खुल कर कह ही दिया कि वह यदि सेक्स संबंधों में रत होती भी है तो बिना मन और इच्छा के. वह अनचाहा सेक्स संबंध जी रही है. पति को यह बुरा लगा और धीरेधीरे सेक्स के प्रति उसे भी अरुचि होती चली गई.

भयमुक्त करना जरूरी

ऐसी कई पत्नियां हैं, जो अनचाहा सेक्स संबंध बनाने पर विवश हो जाती हैं. मगर तबस्सुम खानम की कहानी कुछ और ही है.  26 वर्षीय तबस्सुम एक टीचर हैं, उन के पति उन से 12 साल बड़े हैं. उन की एक दुकान है. वह बताती हैं, ‘‘जब मैं किशोरी थी, तभी से मुझे सेक्स संबंधों के प्रति भय बना हुआ था. सहेलियों से इस को ले कर सेक्स अनुभव की बातें करती थीं और मुझे सुन कर डर सा लगता था. मैं सहेलियों से कहती थी कि मैं तो अपने शौहर से कहूंगी कि बस मेरे गले लग कर मेरे पहलू में सोए रहें. इस से आगे मैं उन्हें बढ़ने ही नहीं दूंगी. सभी सहेलियां खूब हंसती थीं. जब मेरी शादी हुई तो शौहर हालांकि बड़े समझदार हैं, मगर शारीरिक उत्तेजना की बात करें तो खुद पर संयम नहीं रख पाते हैं.’’

थोड़ा झिझकती हुई, थोड़ा शरमाती हुई तबस्सुम बताती हैं, ‘‘मेरे पति ने मेरे लाख समझाने पर भी सुहागरात के दिन ही मुझे अपनी मीठीमीठी बातों में बहला लिया. उन का यह सिलसिला महीनों चलता रहा, मुझे आनंद का अनुभव तो होता, मगर भय ज्यादा लगता था. मेरा भय बढ़ता गया. जब भी रात होती, मेरे पति बेडरूम में प्रवेश करते, मैं डर से कांप उठती थी. हालांकि मेरे पति के द्वारा कोई भी अमानवीय हरकत कभी नहीं होती. काफी प्यार और भावुकता से वे फोरप्ले करते हुए, आगे बढ़ते थे. मगर मेरे मन में जो डर समाया था, वह निकलता ही न था.

“3 महीनों के बाद जब मैं गर्भवती हो गई तो डाक्टर ने हम दोनों के अगले 2 महीनों तक शारीरिक संबंध बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. मुझे तो ऐसा लगाजैसे एक नया जीवन मिल गया. मेरा बेटा हुआ. इस बीच मैं ने धीरेधीरे पति को अपने डर की बात बता दी और वे भी समझ गए. मेरे पति ने भी परिपक्वता दिखाई और मुझ से दूर रह कर मुझे धीरेधीरे समझाने लगे. वे सेक्स संबंधों को स्वाभाविक और जीवन का एक अंश बताते. अंतत: उन्होंने मेरे मन से भय निकाल ही दिया.’’

इच्छा अनिच्छा का खयाल

विनोद कामलानी, जो एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक हैं, अपना क्लीनिक चलाते हैं, बताते हैं, ‘‘तबस्सुम के मन में बैठा हुआ सेक्स का डर था. बहुत सी लड़कियां इस भय से भयातुर हुआ करती हैं. मगर बहुत कम पति ऐसे होते हैं, जो धीरेधीरे इस भय को निकालते हैं. ऐसे कई केस मेरे पास आते हैं. पुरुषों के भी होते हैं, मगर अनचाहे सेक्स की शिकार ज्यादातर महिलाएं ही हुआ करती हैं.’’ डा. कामलानी के ही एक मरीज तरुण पटवर्धन ने बताया कि उन की शादी को 3 साल हो गए हैं, मगर आज तक उन्होंने अनचाहा सेक्स संबंध ही जीया है.

तरुण के अनुसार, विवाहपूर्व उन का प्रेम अपने पड़ोस की एक लड़की से था. किसी कारणवश शादी नहीं हो पाई, मगर प्रेम अभी भी बरकरार है. उस लड़की ने तरुण की याद में आजीवन कुंआरी रहने की शपथ भी ले रखी है. यही कारण है कि जब भी तरुण अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की पहल करते हैं, उन की प्रेमिका का चेहरा सामने आ जाता है. उन्हें एक ‘गिल्ट’ महसूस होता है और वे शांत हो कर लेट जाते हैं. वे अपनी पत्नी से यह सब कहना भी नहीं चाहते हैं वरना उस के आत्मसम्मान को चोट पहुंचेगी. चूंकि उन की पत्नी तरुण को सेक्स प्रक्रिया बनाने में अयोग्य न समझे, उन्हें अपनी पत्नी के साथ सेक्स संबंध बनाना पड़ता है. वे सेक्स संबंध बिना मन, बिना रुचि के बनाते हैं और इस तरह वे अनचाहा सेक्स संबंध ही जी रहे हैं.

एक सर्वे के अनुसार, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में काम की होड़ और आगे निकलने की चाह ने इनसान को मशीन बना दिया है. पैसा कमाना ही एक मात्र ध्येय बन चुका है. ऐसी भागदौड़ में इनसान सेक्स संबंधों के प्रति इंसाफ नहीं कर पाता है और बिना मन और बिना प्रोपर फोरप्ले के बने हुए सेक्स संबंध, मन में सेक्स के प्रति अरुचि पैदा कर देते हैं. यहीं से शुरुआत होती है अनचाहे सेक्स संबंधों की. अपने पार्टनर की खुशी के लिए संबंध बनाना कभीकभी विवशता भी होती है. अंतत: यही संबंध ऊब का रूप धारण कर लेते हैं या पार्टनर बदलने की चाह मन में उठती है. यद्यपि यह अनचाहा सेक्स पश्चिमी देशों में तेजी से बढ़ रहा है, भारत भी इस से अछूता नहीं है, परंतु यहां का अनुपात अन्य देशों के मुकाबले नगण्य है.

सैक्स के भ्रम से निकलें युवा, नहीं तो होगा यह नुकसान

Sex News in Hindi: अकसर युवा सैक्स को ले कर कई तरह की भ्रांतियों से घिरे रहते हैं. अपनी गर्लफ्रैंड से सैक्स को ले कर अपने इमैच्योर फ्रैंड्स से उलटीसीधी ऐडवाइज लेते हैं और जब उस ऐडवाइज का सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है तो शर्मिंदगी से किसी से बताने में संकोच करते हैं. यहां युवाओं को यह बात समझनी जरूरी है कि सैक्स से सिर्फ मजा ही नहीं आता बल्कि इस से सेहत का भी बड़ा गहरा संबंध है. सैक्स (Sex) और सेहत (Health) को ले कर कम उम्र के युवकों और युवतियों में ज्यादातर नकारात्मक भ्रांतियां फैली हैं. स्वास्थ्य के लिए सैक्स कितना अच्छा है, यह बात न इन्हें स्कूल और कोचिंग सैंटर्स में पढ़ाई जाती है और न ही पैरेंट्स सैक्स ऐजुकेशन (Sex Education) को ले कर इतने जागरूक हैं कि अपने युवा बच्चों को सैक्स और सेहत के बीच के सही तालमेल और पोजिटिवनैगेटिव फैक्टर्स से रूबरू करा सकें.

आएदिन देशदुनिया में कहीं न कहीं सैक्स और सेहत को ले कर रिसर्च होती रहती है जिस से अंदाजा लगाना आसान होता है कि सैक्स कोई बीमारी नहीं बल्कि आप की सेहत के लिए बहुत आवश्यक है बशर्तें इस के बाबत आप को सही गाइडैंस मिली हो.

सैक्स, सेहत और भ्रांतियां

 सैक्स के बाद युवतियों के हिप्स और ब्रैस्ट का वजन बढ़ जाता है. सैक्स करने से कमजोरी आती है. सैक्स करने से शरीर में खून की कमी होती है. सैक्स के दौरान भयानक पीड़ा से गुजरना पड़ता है. सैक्स करने से पढ़ाई में मन नहीं लगता. ज्यादा सैक्स करने से वजन कम हो जाता है. सैक्स करने से लड़की तुरंत प्रैग्नैंट हो जाती है. सैक्स तनाव का बड़ा कारण है, सैक्स करने से हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है. सैक्स का याद्दाश्त पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, सैक्स करने से ब्लड प्रेशर अनियंत्रित रहता है… वगैरावगैरा.

यह तमाम भ्रांतियां आजकल के युवकयुवतियों के दिमाग में घर कर गई हैं. इन के चलते सैक्स को ले कर जो रवैया युवाओं में होना चाहिए, वह नहीं दिखता.

हर मिथक और गलतफहमी के वैज्ञानिक और मैडिकल तथ्य हैं जो इन को सिरे से खारिज करते हैं. मसलन, वजन बढ़ने वाली बात की जाए, तो सैक्सुअल रिलेशन की शुरुआत होते ही युवतियों के हिप्स और ब्रैस्ट का वजन नहीं बढ़ता है. एक तर्क यह है कि युवतियों और महिलाओं के खून में स्पर्म आत्मसात हो जाता है और वह बाहर नहीं निकल पाता, लेकिन समझने वाली बात यह है कि 2-3 मिलीलिटर स्पर्म से मात्र 15 कैलोरी बढ़ती हैं. इसलिए सैक्स को मनोवैज्ञानिक रूप से वजन बढ़ने का सही तथ्य नहीं माना गया है.

विल्किस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और एक अन्य अमेरिकन शोध बताते हैं कि  सप्ताह में एक या दो बार सैक्स करने से इम्युनोग्लोबुलिन नाम के ऐंटीबौडी में बढ़ोतरी होती है. इसलिए रैगुलर ऐक्सरसाइज करें और हैल्दी डाइट से वजन मैंटेन करें न कि सैक्स न करने से. शोध में यह बात भी सामने आई है कि यह हार्ट के लिए बेहद फायदेमंद है. वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि सप्ताह में 2 बार या इस से ज्यादा बार सैक्स करने वाले पुरुषों में दिल की बीमारी होने की आशंका 45 फीसदी तक कम होती है. इतना ही नहीं सैक्स करना आप के ब्लडप्रैशर और हृदयगति के लिए भी अच्छा है. सैक्स के दौरान जितना ज्यादा स्खलन होगा उस से प्रोस्टैट कैंसर होने की आशंका उतनी ही कम होगी.

रिसर्च से यह सच भी सामने आया कि जो लोग ज्यादा तनाव में रहते हैं वे ज्यादा सैक्स करते हैं. ऐसा करने से तनाव दूर हो जाता है. यह शोध मैसाच्यूसैट्स स्थित न्यू इंगलैंड इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने किया है.

परफैक्ट टाइमिंग है जरूरी

सैक्स के दौरान अगर सेहत को भी अनुकूल रखना चाहते हैं तो युवाओं को सैक्स का समय, माहौल और मानसिक दशा पर सतर्कता बरतने की जरूरत होती है. मान लीजिए आप सैक्स रात को ढाई बजे कर रहे हैं. उस समय एक सैक्स पार्टनर को हलकीहलकी नींद आ रही है. ऐसे में जाहिर है सैक्स का भरपूर आनंद तो मिलेगा नहीं, मानसिक तनाव ही बढे़गा. सैक्स सर्वे भी स्पष्ट करते हैं कि मौर्निंग सैक्स करने वाले ज्यादा खुश रहते हैं और हैल्दी भी यानी सैक्स के साथ टाइमिंग की बड़ी भूमिका है. स्कूल या औफिस से लौट कर सैक्स करने में जो आनंद और शरीर को रिलैक्स मिलेगा उस का अनुपात सुबहसुबह तरोताजा मूड में सैक्स करने वाले कपल से अलग होगा. इस का एक कारण यह भी है कि मोर्निंग सैक्स करने वालों के शरीर में एक ऐसे तत्त्व का रिसाव होता है जो पूरे दिन प्यार बनाए रखने में लाभदायक सिद्ध होता है. हफ्ते में तीन बार सुबहसुबह सैक्स करने वालों को हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा भी कम हो जाता है.

इसी तरह अगर किसी से झगड़ा हुआ है किसी नुकसान के चलते मन अस्थिर है, तो ऐसे समय सैक्स करने से न तो शारीरिक संतुष्टि मिलती है और न सैक्स का मजा, उलटा यह गलती बारबार दोहराने में सैक्स के प्रति मन भी उचटने लगता है और उदासीनता सैक्स लाइफ के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है.

सैक्स से रहें हैल्दी 

 सैक्स का सेहत से कितना गहरा रिश्ता है इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते साल  स्वीडिश सरकार ने अपने देश के नागरिकों की सैक्स लाइफ से चिंतित हो कर व्यापक पैमाने पर एक स्टडी शुरू की. 2019 में पूरी होनी वाली यह स्टडी इसलिए करवाई गई क्योंकि लोगों का सैक्स के प्रति झुकाव कम हो रहा था. वहां के हैल्थ मिनिस्टर के मुताबिक यदि स्वीडिश नागरिकों की सैक्स लाइफ तनाव और अन्य हैल्थ समस्याओं के कारण प्रभावित हो रही है तब भी यह एक राजनीतिक समस्या है.

सैक्स स्टडी कर रहे शोधकर्ताओं के मुताबिक, ‘‘सैक्स से लोगों की सेहत पर व्यापक असर होता है. जो लोग हफ्ते में कम से कम एक बार सैक्स करते हैं वे सैक्स न करने वालों की तुलना में ज्यादा खुश और प्रोडक्टिव रहते हैं.’’

सैक्स के दौरान न सिर्फ इम्यून सिस्टम बेहतर होता है बल्कि शरीर की फुरती में भी इजाफा होता है. इतना ही नहीं सही मूड, अवस्था और जगह में किए गए सैक्स से बालों, स्किन और नाखूनों को भी बेहतर बनाने में मदद मिलती है. सैक्स करने से हड्डियां और मसल्स भी मजबूत होते हैं. जो सैक्स को ले कर उदासीन रहते हैं उन्हें मीनोपोज के बाद आस्टियोपोरोसिस की समस्या का खतरा रहता है. नियमित सैक्स से एस्ट्रोजन हारमोंस का रिसाव ज्यादा होता है जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है. सैक्स ऐक्सपर्ट मानते हैं कि युवाओं में अकसर सैक्स के दौरान एनर्जी लैवल और ऐक्ससाइटमैंट की कमी के चलते तनाव रहता है. ऐसे में वे सुझाव देते हैं कि ऐरोबिक्स शरीर को फिट रखने के लिए सब से बेहतरीन और शानदार वर्कआउट है. इस को करने से शरीर में हमेशा उत्तेजना और फुरती बनी रहेगी. ऐरोबिक्स एनर्जी लैवल को हमेशा बढ़ाए रखता है.

सैक्स, नुकसान और समाधान

जीवनयापन के लिए खाना, पानी, हवा की तरह सैक्स भी एक शारीरिक जरूरत है और इसे सक्रिय रखना युवा रहने के लिए बेहद जरूरी है. एक तरफ जहां सैक्स न करने के कई नुकसान हैं वहीं कुछ हमारी बिगड़ी आदतें ऐसी होती हैं जो हमें सेहत और सैक्स के मोरचे पर कमजोर कर देती हैं.

पहले बात करते हैं सैक्स से जुड़े नफेनुकसानों की. सैक्स न करने वाले हमेशा तनाव में डूबे रहते हैं और यह तनाव हमारे जीवन की सभी जरूरी चीजों को बुरी तरह से प्रभावित करता है. काम, पढ़ाई और निजी संबंधों में तनाव जहर का काम करता है.

जहां सैक्स के कई फायदे हैं वहीं कुछ नुकसान भी हैं. कहते हैं न कि अति हर चीज की बुरी होती है. सैक्स के मामले में यह बात लागू होती है. दिन में 2-3 बार सैक्स करना उसी को सूट करता है जिस का स्टेमिना बेहद अच्छा हो वरना इस से दिल के रोगियों के लिए मुश्किलें भी पैदा हो सकती हैं. इसी तरह जो युवा हस्तमैथुन के आदी हो जाते हैं, उन के लिए भी यह अनहैल्दी हो सकता है. गर्लफ्रैंड नहीं हो जिस की वजह से जो युवा पोर्न का सहारा लेते हैं, धीरेधीरे वे पोर्न के भी इतने आदी हो जाते हैं कि हर पल उन के दिमाग में वही चलता रहता है. इस एडिक्शन के चलते असली सैक्स के दौरान वह उत्तेजना नहीं आती जो पोर्न देखने के दौरान आती है. कई बार युवा अपने साथी दोस्तों, उन की गर्लफ्रैंड और सैक्स लाइफ के किस्से सुन कर कौंप्लैक्स के शिकार हो जाते हैं और चिड़चिडे़ और गुस्सैल होने लगते हैं. यह चीज आप के बोलचाल और व्यव्हार में भी दिखती है.

स्मोकिंग करने से भी सैक्स लाइफ बुरी तरह से बिगड़ जाती है. आजकल के युवा स्मोकिंग को फैशन और लाइफस्टाइल का हिस्सा मान कर कूल और टशन के नाम पर स्मोकिंग करते हैं. इस से सैक्स और्गन के सिकुड़ने से ले कर नपुंसक होने तक का खतरा रहता है.

मोटापा, अनियमित जीवनशैली और मानसिक तनाव जैसे कई तत्त्व सैक्स का खेल बिगाड़ सकते हैं. युवाओं को इन्ही कमियों को दूर करना होगा तभी वे युवावस्था का आनंद ले सकेंगे. याद रखें जिन युवाओं की सैक्सुअल जरूरतें समय से पूरी हो जाती हैं उन का स्वास्थ्य ऐसा न कर पाने वालों की तुलना में अच्छा होता है. इसलिए सैक्स से सेहत के तालमेल को सही बैठा कर बिंदास जिंदगी जीने के लिए कमर कस लीजिए, क्योंकि न तो जवानी बारबार आती है और न आप चिर युवा रह सकते हैं.

शादीशुदा जीवन में हो रही है सैक्स की कमी

Sex News in Hindi: सैक्सलैस विवाह के 70% केस युवा जोड़ों के हैं और यह समस्या तेजी से बढ़ रही है. इस के लिए एक ही उपाय है कि दूसरी चीजों की तरह सैक्स के लिए भी समय निकालें, क्योंकि जब आप इस का स्वाद जानेंगे तभी इसे करेंगे. कुछ समय एकदूसरे के साथ जरूर बिताएं. कन्फ्यूशियस ने कहा था कि खाना व यौन इच्छा (Sex Desire) दोनों मानव की प्राकृतिक जरूरतें हैं. मनोविज्ञानी (psychologist) और मनोचिकित्सक (psychiatrist) डा. पुलकित शर्मा इस बढ़ते रोग के संबंध में कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं:

सैक्सलैस विवाह सामान्य होने का कोई सूचक है?

हां, है. विवाहित लोग कैरियर के तनाव से घिरे हैं और अब उन के पास अंतरंगता के लिए बिलकुल भी समय नहीं है. दूसरा, अब चिड़चिड़ाहट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. विवादों को सुलझाने के बजाय स्त्री तथा पुरुष सैक्स की इच्छापूर्ति को बाहर ढूंढ़ रहे हैं.

क्यों कोई विवाह सैक्सलैस होता है?  

यदि हम इन बातों को छोड़ दें कि किसी साथी को सैक्स संबंधी या मानसिक समस्या हो तो भी विवाह की शुरुआत सैक्सलैस नहीं होती, लेकिन बाद में हो जाती है. शुरुआत में अपनी यौन क्षमता को ले कर पुरुषों में विशेष घबराहट होती है. उन्हें डर रहता है कि वे अपने साथी को संतुष्ट कर पाएंगे या नहीं और यह डर इतना ज्यादा होता है कि वे अपनी यौन क्रिया को सही अंजाम नहीं दे पाते. शुरुआत में जोड़े सैक्स तथा अपने संबंधों को अच्छा बताते हैं, लेकिन समय के साथ प्यार तो बढ़ता है, परंतु विवाह सैक्सलैस हो जाता है.

तनाव से डिप्रेशन बढ़ता है, जिस से सैक्सुल इच्छा घटती है व प्रदर्शन ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है. तीसरा कारण है पोर्नोग्राफी. यह लोगों की कल्पनाओं को रंग देती है, जिस से वे जो रील में देखते हैं वैसा ही रियल में करने की कोशिश करते हैं.

क्या सैक्सलैस विवाह वाले जोड़े कम खुश रहते हैं?

भले ही रिश्ता अच्छा हो, परंतु सैक्सहीन विवाहित जोड़े नाखुश रहते हैं, क्योंकि सैक्स प्यार व आत्मीयता का जरूरी हिस्सा है. इस विवाह को कोई एक साथी इच्छाहीन व बेकार महसूस करता है.

क्या सैक्स को दोबारा सक्रिय किया जा सकता है?

हां. बस पहले यह जानने की जरूरत है कि समस्या कहां है? क्या यह समस्या बाह्य है जैसे तनाव, पारिवारिक माहौल आदि. इस बारे में खुल कर बात करें व बिना साथी की इच्छा से कोई फैसला न करें ताकि दूसरा साथी बुरा न महसूस करे. काम का तनाव घटा कर एकदूसरे के साथ ज्यादा समय बिताएं, आपसी विवाद सुलझाएं, यौन क्रियाओं को बढ़ाएं, एकदूसरे की जरूरतों को समझें व इच्छापूर्ति की कल्पना करें, साथी को आराम दें, उसे उत्साहित करें. मनोवैज्ञानिक से सलाह भी ले सकते हैं.

क्या सैक्सहीन विवाह वाले तलाक की ओर बढ़ रहे हैं?

हां, ऐसा हो रहा है, क्योंकि एक साथी अपनेआप को उत्तेजित महसूस करने लगता है या वह महसूस करने लगता है कि उसे धोखा दिया जा रहा है. इसलिए वह भी सैक्स का विकल्प बाहर खोजने लगता है, जिस से बंधेबंधाए रिश्ते में समस्या आने लगती है.

यौन संतुष्टि दर में कमी

भारत में हुए सैक्स सर्वे दर्शाते हैं कि पिछले दशक में यौन संतुष्टि की दर मात्र 29% रह गई. सैक्स से बचने के लिए पत्नियों की पुरानी आदत है कि आज नहीं हनी. आज मुझे सिरदर्द है. 50% पुरुष भी अपनी पत्नी से सैक्स न करने के लिए सिरदर्द का झूठा बहाना बनाते हैं. 43% पति मानते हैं कि उन की आदर्श बिस्तर साथी उन की पत्नी नहीं है. 33% के करीब पत्नियां मानती हैं कि विवाह के कुछ सालों बाद सैक्स अनावश्यक हो जाता है. 14% स्त्रीपुरुषों को नहीं पता कि वे बैडरूम में किस चीज से उत्तेजित होते हैं जबकि 18% के पास कोई जवाब नहीं है कि वे सैक्स के बाद भी संतुष्ट हुए हैं. 60% जोड़े यौन आसन के बारे में कल्पना करते हैं. फिर भी आधे से ज्यादा जोड़े नए आसन के बजाय नियमित आसन ही अपनाते हैं. 39% जोड़े ही यौन संतुष्टि पाते हैं.

मैं 23 साल का लड़का हूं और 21 साल की लड़की से बहुत प्यार करता हूं. क्या करूं.

सवाल
मैं 23 साल का लड़का हूं और 21 साल की लड़की से बहुत प्यार करता हूं. हम अलग अलग जाति के हैं, पर शादी करना चाहते हैं. लड़की की रिश्तेदारी में एक लड़की ने घर से भाग कर शादी की थी, इसलिए उस के घर वालों को समाज से अलग कर दिया गया था. बताएं कि मैं क्या करूं?

जवाब

आप अपने घर वालों को लड़की के घर वालों से बात करने को कहें. अगर वे लोग राजीखुशी से इस शादी के लिए तैयार हो जाएं तो ठीक है, वरना लड़की को भूल जाएं. आप लोग घर से भाग कर कोर्ट मैरिज तो कर सकते हैं, मगर इस में तमाम तरह के झंझट हैं..

मेरी उम्र 23 साल है, मैं एक 30 साल की विधवा से प्यार करता हूं…

सवाल

मेरी उम्र 23 साल है और मैं एक 30 साल की विधवा से प्यार करता हूं. क्या हमारी शादी हो सकती है?

जवाब….

शादी तो हो सकती है पर 7 साल बड़ी एक विधवा. शादी कर के उसे निभा पाना आसान बात नहीं है. अगर आप की आमदनी ठीकठाक? है और आप समाज का मुकाबला कर सकते हैं तो ही शादी करें. शादी से पहले कुछ दिन साथ रह कर देख लें कि आप का प्यार सिर्फ बातों का ही तो नहीं है. वैसे, अब जब जीवन 60-70 साल तक आराम से चलता है, तब 7 साल का फर्क ज्यादा नहीं है.

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मैं अपने एक दोस्त से प्यार करने लगी हूं पर वो इस बारे में कोई बात नहीं करता, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी उम्र 20 साल है. कुछ महीनों पहले ही मुझे एहसास हुआ कि मैं लगातार अपने एक दोस्त के लिए कुछ फील करने लगी हूं. मैं उस से बात करने के बहाने ढूंढ़ने लगी, उस के मैसेजेस का इंतजार करने लगी और न चाहते हुए भी उसे चाहने लगी. मुझ से अपनी फीलिंग्स ज्यादा दिन छिपाई नहीं गई तो मैं ने उस से सबकुछ कह दिया. उस ने ज्यादा कुछ तो नहीं कहा लेकिन यह कह दिया कि उस के मन में भी मेरे लिए कुछ है. अगले दिन जब हम मिले तो उस ने इस बारे में कोई बात ही नहीं की तो मैं ने भी कुछ नहीं कहा. उस के अगले दिन भी हम ने बात की लेकिन एक दूसरे के प्रति फीलिंग्स की नहीं. इस बात को 2 हफ्तों से ज्यादा हो गए हैं. अब मेरे लिए इंतजार करना मुश्किल हो रहा है. उस के इतना पास हो कर भी मैं इतनी दूर हूं. मैं क्या करूं, समझ नहीं आता?

जवाब-

लड़कों का स्वभाव चाहे कैसा भी हो लेकिन जब वे किसी लड़की को पसंद करते हैं तो उस से अपनी फीलिंग्स का इजहार करने से खुद को नहीं रोक पाते. आप के इजहार करने के इतने दिनों बाद भी अगर वह आप से इस विषय पर बात नहीं कर रहा तो इस का मतलब साफ है कि वह बात करना नहीं चाहता. आप की कुलबुलाहट जायज है लेकिन वह लड़का आप में इंटरैस्टेड नहीं है, यह भी झुठलाया नहीं जा सकता.

आजकल वैसे भी मैसेजेस पर लोग जो कहते हैं, जरूरी नहीं कि वह सच ही हो. हां, आप एक बार हिम्मत कर के उस से इस बारे में बात कर के देख लीजिए. बाद में पछताने से बेहतर है कि एक बार में मसला सुलझा लिया जाए. यदि वह सचमुच इंटरैस्टेड न हो तो आप भी अपनी फीलिंग्स को कंट्रोल करने की कोशिश कीजिए, नहीं तो आप को केवल दुख ही पहुंचेगा.

कामुकता की ये 5 बातें आप शायद नहीं जानते

अगर आपको लगता है कि आप मानव कामुकता के बारे में सब कुछ जानते हैं तो ये शायद आपकी खुशफहमी है क्योंकि कामुकता की कई ऐसी बातें हैं जिनके बारे में या तो आप जानते नहीं या फिर आपकी जानकारी गलत है.

हम यहां आपको बता रहे हैं कामुकता की 5 बातें जिससे आप शायद अनभिज्ञ रहे हैं.

  1. स्थाई Erection जानलेवा हो सकता है

स्थाई Erection को प्रायप्रिज्म कहते हैं. ये दो तरह का होता है: एक लिंग में बहुत ज्यादा रक्त संचार से होता है और दूसरा ब्लौकेज से होता है जिसकी वजह से लिंग में जमा रक्त वापस नहीं लौट पाता.  प्रायप्रिज्म एक गंभीर मसला है क्योंकि इससे लिंग के टिशू को नुकसान हो सकता है.

प्रायप्रिज़्म बीमारी का नाम सुनकर आपको हंसी आ सकती है लेकिन शायद आपको पता नही कि इससे जान भी जा सकती है. एक 44 साल के व्यक्ति को ये बीमारी थी और उसकी जान बचाने के लिये डॉक्टर को उसका लिंग काटना पड़ा.

  1. इंग्लैंड ने सेक्स वर्कर्स को STD से बचाने के लिये कानून बनाया था

इंग्लैंड में विक्टोरिया शासनकाल को बहुत रुढ़िवादी माना जाता है लेकिन शायद आपको नहीं पता कि 1866 में विक्टोरिया ने सेक्स वर्कर्स और उनके सैनिक ग्राहकों को सेक्स संबंधी बीमारी से बचाने के लिये क़ानून बनाया था. इस कानून के तहत हर सेक्स वर्कर नियमित रुप से जांच की जाती थी और बीमारी होने पर मुफ्त इलाज किया जाता था.

3- साइकिल की सीट से कम हो सकती है पुरुष की कामुक-क्षमता

साइकिल चलाना सेहत और पर्यावरण के लिये अच्छा माना जाता है लेकिन इससे पुरुष की कामुक-क्षमता पर भी बुरा असर पड़ सकता है. 2005 के एक शोध में पाया गया है कि आधुनिक साइकिल की सीट से अंडकोष और लिंग पर बहुत प्रेशर पड़ता है जिससे गुदा द्वार में ट्यूमर हो सकता है और लिंग में रक्त संचार कम हो सकता है.

4- कद्दू की महक बढ़ाती है कामुकता

2014 के एक अध्ययन से पता चला है कि कद्दू की महक से कामुकता बढ़ जाती है. इसकी महक से लिंग में रक्त संचार बढ़ जाता है.

5- बहुत सेक्स का मतलब बहुत ख़ुशी नहीं है

2015 में टोरंटो यूनिवर्सिटी ने एक रिसर्च में पाया कि ज़रुरी नहीं है कि अगर आप बहुत सेक्स करते हों तो आपका जीवन भी खुशहाल हो. हफ़्ते में एक बार सेक्स करने से ही ज़्यादा ख़ुशी मिलती है जबकि एक से ज़्यादा बार सेक्स करने से खुशी में कोई इज़ाफ़ा नहीं होता.

मेरा बौयफ्रैंड बहुत शक्की है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरा बौयफ्रैंड बहुत शक्की है. मुझ पर हर पल नजर रखता है और मेरा किसी भी लड़के से बात करना उसे बिलकुल पसंद नहीं है. जबकि मैं उसे सब बताती हूं. शुरुआत में तो मुझे लगता था कि वह मेरी केयर करता है लेकिन अब मुझे घुटन होती है इस रिश्ते से. हर वक्त मुझ पर सवाल उठाना, इस से मैं कठपुतली सी बन गई हूं. मैं ब्रेकअप की बात करती हूं तो वह मुझे इमोशनली ब्लैकमेल करता है. मैं उस के साथ सब खत्म करना चाहती हूं. मैं क्या करूं?

जवाब

जिस व्यक्ति के बारे में आप को अभी से पता है कि शक करना उस के स्वभाव में है, वह आप को गुलाम बना कर रखना चाहता है और आप की आजादी की राह में बहुत बड़ी रुकावट बन सकता है, तो ऐसे व्यक्ति के साथ जीवन में बहुत लंबी दूरी का सफर तय नहीं किया जा सकता. जब आप को इस रिश्ते में सुकून और खुशी नहीं मिल पा ही तो सारी जिंदगी उस के साथ रह कर छटपटाने से बेहतर है कि आप अभी उस से अलग होने का निर्णय कर लें. उस की इमोशनल बातें आप को ऐसा निर्णय लेने से रोकेंगी मगर आप दृढ़ता से अपने फैसले पर टिकी रहें. धीरेधीरे वह भी समझ जाएगा और उचित दूरी बना लेगा. अगर फिर भी न माने तो अपने घर वालों को सारी बात बता दें.

सवाल

मैं 24 वर्षीय महिला हूं. मेरी शादी को 3 महीने हो चुके हैं. शादी से पहले मैं किसी और से प्यार करती थी. घर वालों के दबाव में आ कर मैं ने यह शादी कर ली. मेरे पति बहुत ही खुले विचार के हैं. उन्होंने मुझे पूरी आजादी दी हमारे रिश्ते को समझने की. इन 3 महीनों में हमारे बीच कोई संबंध नहीं बन पाया लेकिन अब मैं चाहती हूं कि हमारे बीच की दूरियां खत्म हों. कृपया उचित सलाह दें?

जवाब

यह तो बहुत अच्छी बात है कि आप के पति ने आप को पूरा वक्त दिया इस रिश्ते को समझने के लिए. अब आप समझ चुकी हैं कि आप का वर्तमान घरपरिवार आप का पति ही है. उन से दूरियां मिटाने के लिए बेहतर होगा कि आप पति के साथ घूमेंफिरें, उन्हें पर्याप्त समय दें. अगर फिर भी बात न बने तो पति के साथ रोमांटिक होने की कोशिश करें. उन के लिए सरप्राइज प्लान करें. रात को अपने बैडरूम को फूलों और कैंडल्स से डैकोरेट करें. खुद को हौट ऐंड सैक्सी बनाए रखें. इस दौरान ऐसे परिधान पहनें जो आप की खूबसूरती को निखारें. फिर देखिए आप के पति आप के प्यार में किस कदर खो जाते हैं.

ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर : जब पार्टनर को हो जाए सैक्स मेनिया

Sex News in Hindi: अल कायदा (Al Qaeda) के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन (Osama bin Laden)  की सब से बड़ी पत्नी ने दावा किया है कि ओसामा की सब से छोटी पत्नी चौबीसों घंटों सैक्स करना चाहती थी. द सन के अनुसार खैरियाह ने कहा कि अमल हमेशा ओसामा के साथ सोने के लिए झगड़ा करती थी. मुझे ओसामा के पास नहीं जाने देती थी.अमेरिका (America) ने भी सैक्स की लत (Sex Menia) को 2012 में मानसिक विकृति करार दिया और इस काम को लास एंजिल्स की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी (California University) के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है. भारत में यह समस्या अभी शुरुआती दौर में है. लेकिन एक ओर मीडिया और इंटरनैट पर मौजूद तमाम उत्तेजना फैलाने वाली सामग्री की मौजूदगी तो दूसरी ओर यौन जागरूकता (Sex Education) और उपचार की कमी के चलते वह दिन दूर नहीं जब सैक्स की लत महामारी बन कर खड़ी होगी.

क्या आप को फिल्म ‘सात खून माफ’ के इरफान खान का किरदार याद है या फिर फिल्म ‘मर्डर-2’ देखी है? फिल्म ‘सात खून माफ’ में इरफान ने ऐसे शायर का किरदार निभाया है, जो सैक्स के समय बहुत हिंसक हो जाता है. इसी तरह ‘मर्डर-2’ में फिल्म का खलनायक भी मानसिक रोग से पीडि़त होता है. फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में भी नाना पाटेकर प्रौब्लमैटिक बिहेवियर से पीड़ित होता है. इसे न सिर्फ सैक्सुअल बीमारी के रूप में देखना चाहिए, बल्कि यह गंभीर मानसिक रोग भी हो सकता है.

सैक्सोलौजिस्ट डाक्टर बीर सिंह, डाक्टर एम.के. मजूमदार और मनोचिकित्सक डाक्टर स्मिता देशपांडे से बातचीत के आधार पर जानें कि सैक्सुअल मानसिक रोग कैसेकैसे होते हैं:

ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर

फैटिशिज्म: इस में व्यक्ति उन वस्तुओं के प्रति क्रेजी हो जाता है, जो उस की सैक्स इच्छा को पूरा करती हैं. इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति अपने पासपड़ोस की महिलाओं के अंडरगारमैंट्स चुरा कर रात को पहनता है. कभीकभी ऐसे लोग महिलाओं पर बेवजह हमला भी कर देते हैं या फिर उन्हें छिप कर देखते हैं.

सैक्स फैरामोन: सैक्स फैरामोन यानी गंध कामुकता से पीड़ित व्यक्ति काफी खतरनाक होता है. ऐसा व्यक्ति स्त्री की डेट की गंध से उत्तेजित हो जाता है. ऐसे में कोई भी स्त्री, जिस की देह की गंध से वह उत्तेजित हुआ हो, उस का शिकार बन सकती है. वह उस स्त्री को हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकता है.

सैक्सुअली प्रौब्लमैटिक बिहेवियर: सैक्स से पहले पार्टनर को टौर्चर करने के मनोविकार को प्रौब्लमैटिक बिहेवियर भी कहते हैं, जिसे नाना पाटेकर की फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में दिखाया गया है. महिला की आंखों पर पट्टी बांधना, उस के हाथपैर बांधना, उसे काटना, बैल्ट या चाबुक से मारना, दांत से काटना, सूई चुभोना, सिगरेट से जलाना, न्यूड घुमाना, चुंबन इतनी जोर से लेना कि दम घुटने लगे, हाथों को बांध कर पूरे शरीर को नियंत्रण में लेना और फिर जो जी चाहे करना. इस तरह के कई और हिंसात्मक तरीके होते हैं, जिन्हें ऐसे पुरुष यौन क्रिया से पहले पार्टनर के साथ करते हैं.

निम्फोमैनिया: निम्फोमैनिया काफी कौमन डिजीज है. इस की पेशैंट केवल फीमेल्स ही होती हैं. उन में डिसबैलेंस्ड हारमोंस की वजह से हाइपर सैक्सुअलिटी हो जाती है. फीमेल्स के सैक्सुअली ज्यादा ऐक्टिव हो जाने की वजह से उन्हें मेल्स का साथ ज्यादा अच्छा लगने लगता है. ऐसी लड़कियों में मेल्स को अपनी तरफ अट्रैक्ट करने की चाह काफी बढ़ जाती है. वे ऐसी हरकतें करने लगती हैं, जिन से लड़के उन की तरफ अट्रैक्ट हों. ऐसा न होने पर उन्हें डिप्रैशन की प्रौब्लम भी हो जाती है.

पीड़ा रति नामक काम विकृति: इस बीमारी में व्यक्ति संबंध बनाने से पहले महिला को बुरी तरह पीटता है. यौनांग को बुरी तरह नोचता है. पूरे शरीर में नाखूनों से घाव बना देता है. पीड़ा रति से ग्रस्त पुरुष अपने साथी को पीड़ा पहुंचा कर यौन संतुष्टि अनुभव करता है. ऐसी अनेक महिलाएं हैं, जिन्हें शादी के बाद पता चलता है कि उन के पति इस तरह के किसी ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें जल्द से जल्द किसी मनोचिकित्सक या सैक्सोलौजिस्ट के पास ले जाना जरूरी हो जाता है. अगर इलाज के बाद भी पुरुष सही न हो, तो किसी वकील से मिल कर आप परामर्श ले सकती हैं कि ऐसे व्यक्ति के साथ पूरी जिंदगी बिताना सही है या फिर इस रिश्ते को खत्म कर लेना.

वैवाहिक बलात्कार: सुनने में अटपटा सा लगता है कि क्या विवाह के बाद पति बलात्कार कर सकता है. लेकिन यह सच है कि कुछ महिलाओं को अपने जीवन में इस त्रासदी से गुजरना पड़ता है. इस प्रकार के पति हीनभावना के शिकार होते हैं. उन्हें सिर्फ अपनी सैक्स संतुष्टि से मतलब होता है. अपने साथी की भावनाएं उन के लिए कोई माने नहीं रखतीं. हमारे हिंदू विवाह अधिनियम के तहत इस तरह पत्नी की इच्छा व सहमति की परवाह किए बिना पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाना यौन शोषण व बलात्कार की श्रेणी में आता है.

आमतौर पर शराब के नशे में पति इस तरह के अपराध करते हैं. शराब के नशे में वे न केवल पत्नी का यौनशोषण करते हैं वरन उन से मारपीट भी करते हैं. यह कानूनन अपराध है. वैसे पति द्वारा पत्नी पर किए गए बलात्कार के लिए हमारे हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 375 और 379 के तहत पत्नियों को कई अधिकार प्राप्त हैं. वे कानूनी तौर पर पति से तलाक भी ले सकती हैं.

पीडोफीलिया: पीडोफीलिया यानी बाल रति पीडोफीलिया से पीडि़त पुरुष छोटे बच्चे के साथ यौन संबंध बना कर काम संतुष्टि पाते हैं. वे बच्चों के साथ जबरदस्ती करने के बाद पहचान छिपाने के लिए बच्चे की हत्या तक कर डालते हैं. पीडोफीलिया से पीडि़त व्यक्ति में यह भ्रांति होती है कि बच्चे के साथ यौन संबंध बनाने पर उस की यौन शक्ति हमेशा बनी रहेगी. ऐसे व्यक्ति अधिकतर 14 साल से कम उम्र के बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं.

सैक्स मेनिया: इस से ग्रस्त व्यक्ति के मन में हर समय सैक्स करने की इच्छा रहती है. वह दिनरात उसी के बारे में सोचता है. फिर चाहे वह औफिस में काम कर रहा हो या फिर दोस्तों के साथ पार्टी में हो, उसे हर वक्त सैक्स का ही खयाल रहता है. वह अपने सामने से गुजरने वाली हर महिला को उसी नजर से देखता है. यह एक प्रकार का मानसिक रोग होता है, जिस में व्यक्ति के मन में सैक्स की इच्छा इस कदर प्रबल हो जाती है कि वह पहले अपनी पत्नी को बारबार सैक्स करने के लिए कहता है और फिर बाहर अन्य महिलाओं से भी संबंध बनाने की कोशिश करता है. एक पार्टनर से उस का काम नहीं चलता है. उसे अलगअलग पार्टनर के साथ सैक्स करने में आनंद आता है.

इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का कौन्फिडैंस इस हद तक बढ़ जाता है कि उसे लगता है कि उस के लिए कुछ भी असंभव नहीं है. जो भी वह चाहता है उसे पा सकता है. अपने इसी जनून के चलते कई बार वह अपना अच्छाबुरा सोचनेसमझने की शक्ति भी खो देता है और फिर कोई अपराध कर बैठता है. उसे उस का पछतावा भी नहीं होता, क्योंकि ऐसा कर के उस के दिल और दिमाग को अजीब सी संतुष्टि मिलती है, जो उसे सुकून देती है.

सैक्स फोबिया: यह सैक्स से जुड़ी एक समस्या है. जिस तरह सैक्स मेनिया में व्यक्ति के मन में सैक्स को ले कर कुछ ज्यादा ही इच्छा होती है उसी तरह कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सैक्स में कोई रुचि नहीं होती. जब ऐसी अलगअलग प्रवृत्ति के 2 लोग आपस में वैवाहिक संबंध में बंधते हैं, तो सैक्स के बारे में अलगअलग नजरिया रखने के कारण सैक्स की प्रक्रिया और मर्यादा को ले कर उन में विवाद शुरू होता है और दोनों में से कोई भी इस बात को नहीं समझ पाता कि सैक्स मेनिया और सैक्स फोबिया, मानव मस्तिष्क में उठने वाली सैक्स को ले कर 2 अलगअलग प्रवृत्तियां हैं. दोनों के ही होने के कुछ कारण होते हैं और थोड़े से प्रयास और मनोचिकित्सक की सलाह के साथ इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.

पीपिंग: पीपिंग का मतलब है चोरीछिपे संभोगरत जोड़ों को देखना और फिर उसी से यौन संतुष्टि प्राप्त करना. संभोगरत अवस्था में किसी को देखने से रोमांच की स्वाभाविक अनुभूति होती है. हेवलाक एलिस ने अपनी पुस्तक ‘साइकोलौजी औफ सैक्स’ में लिखा है कि संभ्रांत लोग अपनी जवानी के दिनों में दूसरी औरतों को सैक्स करते हुए देखने के लिए उन के कमरों में ताकाझांकी करते थे. यही नहीं सम्मानित मानी जाने वाली औरतें भी परपुरुष के शयनकक्षों में झांकने की कोशिश किया करती थीं. अगर आदत हद से ज्यादा बढ़ जाए तो एक गंभीर मानसिक रोग के रूप में सामने आती है.

ऐग्जिबिशनिज्म: इस डिसऔर्डर से पीडि़त व्यक्ति अपने गुप्तांग को किसी महिला या बच्चे को जबरदस्ती दिखाता है. इस से उसे खुशी और संतुष्टि मिलती है. ऐसे लोग दूसरों को अप्रत्यक्ष रूप से हानि पहुंचाना चाहते हैं. हमारे देश में किसी को इस तरह तंग करना कानूनन अपराध है. ऐसा करने वालों को निश्चित अवधि की कैद और जुर्माना देना पड़ सकता है.

फ्रोट्यूरिज्म: इस सैक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त व्यक्ति किसी से भी संबंध बनाने से पहले अपने गुप्तांग को रगड़ता या दबाता है. यह डिसऔर्डर ज्यादातर नपुंसकों में पाया जाता है.

बेस्टियलिटि: इस में व्यक्ति के ऊपर सैक्स इतना हावी हो जाता है कि वह किसी के साथ भी सैक्स करने में नहीं झिझकता. ऐसे में वह ज्यादातर असहाय लोगों या जानवरों का उत्पीड़न करता है.

सैडीज्म ऐंड मैसेकिज्म: इस से पीडि़त व्यक्ति ज्यादातर समय फैंटेसी करता रहता है. ऐसे लोग सैक्स के समय अपने पार्टनर को नुकसान भी पहुंचाते हैं.

ऐक्सैसिव डिजायर: अगर किसी शादीशुदा पुरुष का मन अपनी पत्नी के अलावा अन्य महिलाओं के साथ भी शारीरिक संबंध बनाने को करे तो वह एक डिसऔर्डर से पीडि़त होता है.

सैक्स ऐडिक्शन: सैक्स ऐडिक्शन एक प्रकार की लत है, जिस में पीड़ित व्यक्ति को हर जगह दिन और रात सैक्स ही सूझता है. ऐसे लोग अपना ज्यादातर समय सैक्स संबंधी प्रवृत्तियों में बिताने की कोशिश करते हैं. जैसे कि पोर्न वैबसाइट देखना, सैक्स चैट करना, पोर्न सीडी, अश्लील एमएमएस देखना. एक सैक्स ऐडिक्ट की सैक्स इच्छा बेकाबू होती है. उस की प्यास कभी पूरी तरह नहीं बुझती. ऐसे लोग समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं. वे बच्चों, बुजुर्गों या जानवरों के साथ सैक्स कर सकते हैं.

ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर के कारण

वैज्ञानिक, मनोचिकित्सक ऐबनौर्मल सैक्सुअल बिहेवियर के उत्पन्न होने के बारे में अभी तक सहीसही कारणों का पता नहीं लगा पाए हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि मस्तिष्क में स्थित न्यूरोट्रांसमीटर में किसी प्रकार की खराबी, मस्तिष्क की रासायनिक कोशिकाओं में गड़बड़ी, जींस की विकृति आदि कारणों की वजह से व्यक्ति ऐबनौर्मल सैक्सुअल बिहेवियर से पीड़ित हो जाता है. अगर हम बात करें सैक्स ऐडिक्शन की तो कुछ वैज्ञानिक ऐसा भी मानते हैं कि 80 प्रतिशत सैक्स ऐडिक्ट लोगों के मातापिता भी जीवन में अकसर सैक्स ऐडिक्ट रहे होंगे. ऐसा भी माना जाता है कि अकसर ऐसे लोगों में सैक्सुअल ऐब्यूज की हिस्ट्री होती है यानी ज्यादातर ऐसे लोगों का कभी न कभी यौन शोषण हो चुका होता है. इस के अलावा जिन परिवारों में मानसिक और भावनात्मक रूप से लोग बिखरे हुए हों, ऐसे परिवारों के लोगों के भी सैक्स ऐडिक्ट होने की आशंका रहती है.

इस तरह के डिसऔर्डर की कई वजहें हो सकती हैं. जिन लोगों की उम्र 60 साल से ज्यादा होती है वे भी इस का शिकार हो सकते हैं. दूषित वातावरण, गलत सोहबत, अश्लील पुस्तकों का अध्ययन, ब्लू फिल्में अधिक देखने आदि की वजह से व्यक्ति ऐसी काम विकृति से पीडि़त हो जाते हैं. विवाह के बाद जब पत्नी को अपने पति के काम विकृत स्वभाव के बारे में पता चलता है तब उस की स्थिति काफी परेशानी वाली हो जाती है.

डिसऔर्डर को दूर करने के उपाय

अगर शादी के बाद पत्नी को पता चले कि उस का पति किसी ऐसे ही रोग से पीड़ित है, तो उसे संयम से काम लेना चाहिए. ऐसे पति पर गुस्सा करने, उस के बारे में ऊलजलूल बकने, यौन इच्छा शांत न करने देने, ताना देने आदि से गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है. ऐसे पति तुरंत किसी तरह का गलत निर्णय भी ले सकते हैं. यहां तक कि हत्या या आत्महत्या का निर्णय भी ले लेते हैं.

काम विकृति से पीड़ित पति को प्यार से समझाएं. सामान्य संबंध बनाने को कहें. जब पति न माने तब अपनी भाभी या सास को इस की जानकारी दें.

ऐसे लोगों का मनोचिकित्सक से इलाज कराया जा सकता है. इन में सब से पहले मरीज की काउंसलिंग की जाती है, जिस से पता लगाया जाता है कि मरीज बीमारी से कितना ग्रस्त है. उस के बाद उसे दवा दी जाती है.

वक्त रहते डाक्टर से परामर्श किया जाए तो इस तरह के डिसऔर्डर ठीक हो जाते हैं. लेकिन यह परेशानी ठीक नहीं हो रही और पति मानसिक व शारीरिक पीड़ा पहुंचाता है तो ऐसे व्यक्ति से तलाक ले कर अपनी जिंदगी को एक नई दिशा देने के बारे में सोच सकती हैं.

सेक्स ब्राइब : रिश्वत में सेक्स की मांग करने वालों से ऐसे बचें

Sex News in Hindi: गुरुग्राम (Gurugram), हरियाणा (Haryana) की एक गृहिणी विनीता (बदला हुआ नाम) बताती हैं, ‘‘मैं मकान की रजिस्ट्री के सिलसिले में रजिस्ट्री कार्यालय (Registry Office) गई. वेहां कागजात तैयार करवाने के सिलसिले में कई लोगों से मिली. हर जगह यही जवाब मिला, 30 से 40 हजार रुपए लगेंगे. यह मेरे लिए मुश्किल था, क्योंकि मैं इतना खर्च करने की स्थिति में नहीं थी. ‘‘उन का तर्क था कि यदि आप अंदर से खुद कागजात पास करवा लें तो हम यह काम 5 हजार रुपए में करवा देंगे. कई जगह इस से मिलताजुलता जवाब पा कर मैं ने खुद ही कागजात बनवाने का निर्णय लिया. सब का यही कहना था कि तुम ने बेकार ही यह पचड़ा मोल लिया. ‘‘खैर, पहले कागजात तैयार करा कर, नियम के मुताबिक स्टैंप ड्यूटी (Stamp Duty), ड्राफ्ट (Draft) आदि बनवाए. मेरी उम्र 50 साल से अधिक है. कार्यालय में कैमरे लगे होने के बावजूद मुझ से वहां औफिस इंचार्ज (Office Incharge) ने सेक्स की मांग की. मैं घबरा गई. मैं ने उन्हें समझाया कि आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं. काम करना तो आप का काम है, मैं इसे करवा कर रहूंगी. इस की फीस जो सरकार ने तय की है उसे मैं दे ही रही हूं.

‘‘खैर, मैं एफआईआर कराने की सोच रही थी, पर घर वालों ने मेरा जरा भी साथ नहीं दिया. अब मैं सोशल ऐक्टिविस्ट बन गई हूं. कई महिलाओं की मदद कर चुकी हूं.’’

पैसा भी, सेक्स भी

सरकारी, निजी और ऐसी ही तमाम जगहों पर जहां पब्लिक डीलिंग है, वहां यह बात बहुत कौमन है. पैसा भी चाहिए और देहसुख भी. सीधे तरीके से मिल जाए तो ठीक अन्यथा काम रोकने, अटकाने तथा जोरजबरदस्ती में भी कोई कमी नहीं है. गरीब की जोरू वाला हाल है.

प्रेरणा एक एनजीओ में नौकरी के लिए गई. उस का आकर्षक व्यक्तित्व देखते हुए एनजीओ की फाउंडर ने कहा, ‘‘आप का काम हमारे लिए फंड लाना और उसे सैंक्शन कराना रहेगा. आप इस कार्य के लिए ट्रैंड हैं, आप को कोई दिक्कत तो नहीं है न.’’

मैं उन का इशारा नहीं समझी, इसलिए इस काम के लिए तुरंत हां कर दी. लेकिन पहले ही असाइनमैंट पर मुझे असली बात समझ में आ गई जब मुझ से हमबिस्तर होने के लिए कहा गया. मैं उस व्यक्ति पर आक्रामकता दिखा कर फाउंडर के पास गई तो वे बोली, ‘मैं ने तो आप से पहले ही कह दिया था और आप ने ही हामी भरी. तभी आप को भेजा गया.’ मैं ने शिकायत भी दर्ज कराई पर कुछ नहीं हुआ. उलटे, मेरी ही फजीहत करने की पूरी कोशिश की गई.

छात्रा कुमारी नैना का कहना है, ‘‘आज नौकरी पाना मेरे लिए मुश्किल हो गया है. जहां भी मेरे साथ कोई हरकत करता है, मैं उस का जम कर विरोध करती हूं. इस वजह से हर जगह मुझे बदनाम करने की कोशिश की जाती है. अब हर कोई मुझ से डरता है, कोई काम करवा कर राजी नहीं है. इतनी पूंजी भी नहीं है कि मैं अपना ही कोई काम शुरू कर सकूं.’’

तमाम नियमकायदों के बावजूद महिलाओं का जीवन काफी कठिन है. किसी के प्रति आवाज उठाना खतरे से खाली नहीं है. बाहरी दुनिया के खतरों को जानना तथा उन्हें हल करना जितना आसान दिखता है उतना वास्तव में है नहीं.

एक छात्रा रुचिका का कहना है कि जब उस ने अपने क्लास टीचर द्वारा छात्राओं को छूने की बात घर आ कर पेरैंट्स को बताई तो भाई ने 2 झापड़ उसी को जड़ दिए और बोला कि उस की हिम्मत तुम्हारे ही साथ ऐसा करने की कैसे हो गई और लड़कियां भी तो क्लास में हैं. यह मेरे लिए काफी बड़ा आघात था.

रुचिका ने घर वालों को बताया कि टीचर ने अन्य युवतियों के साथ भी ऐसा किया हो, इस का मुझे यह उसे क्या पता. खैर, यह बात प्रिंसिपल तक पहुंची. माफीनामे और टीचर को स्कूल से निकाल देने पर मामला शांत हुआ. कानूनी ऐक्शन न लेने का मलाल रुचिका को आज भी है.

अंकिता कहती है कि एक प्रोजैक्ट की स्वीकृति पर अनुभाग अधिकारी जब मेरे जिस्म को छूने लगा तो मैं ने उसे वहीं रोक दिया. पति को ये बातें बताईं. उन्होंने जब उस से बात की तो वह मेरे कागज दाएंबाएं न कर सका. सरकारी कार्यालय में सैक्सुअल हैरासमैंट के खिलाफ कमेटी भी बनी होती है.

नियति ने डाक्टर की आशिकमिजाजी की बात अपने पति को बताई तो वह उस पर ही आरोप मढ़ने लगा और जबतब इस बात का ताना मारने लगा. ऐसे में नियति ने परिवार में इस मुद्दे को उठाया तो सब ने उस के पति को समझाया कि गलत समझे जाने के फेर में बातों को दबाना ठीक नहीं है. यदि घर का कोई सदस्य अन्याय के खिलाफ आप के साथ खड़ा न हो और आप को ही दोषी ठहराए तो उस के खिलाफ भी आवाज बुलंद करने में देरी न करें.

अपनी ओर से कोई संकेत न दें : सेक्स ब्राइब की मांग करने वाले लोग सौफ्ट टारगेट की तलाश में रहते हैं. सो, ऐसे लोगों से बेकार की बातचीत न करें और ऐसा कोई संकेत भी न दें जिस से उन्हें अनुचित काम करने का मौका मिले.

लक्ष्मीकांता बताती हैं, ‘‘मैं बिजली के दफ्तर गई तो वहां एक कर्मचारी मुझ से व्यक्तिगत बातें पूछता रहा. फिर बोला कि ब्याज तो मैं 10 हजार रुपए भी माफ करा दूंगा पर कभी बाहर मिलें.’’ लक्ष्मीकांता ने आगे बताया, ‘‘कहने लगीं कि शायद मेरी बातों से उस ने मेरे विधवा होने का पता लगा लिया, इसीलिए वह ऐसा प्रस्ताव रख रहा था. लेकिन मैं ने उसी समय तय कर लिया कि इस दफ्तर में मुझे दोबारा नहीं आना है. मैं ने उपभोक्ता फोरम से निवेदन किया. ट्रेन के टिकट पेश कर के अपनी अनुपस्थिति जताई. तब मेरा गलत बिल ठीक हुआ. हां, आधे घंटे के इस काम में 6 महीने जरूर लग गए.

शौर्टकट न तलाशें 

कोई भी काम करने के लिए अवैध शौर्टकट या ऐसा कोई तरीका न अपनाएं जिस से कोई व्यक्ति आप से गलत मांग करे. ईमानदार व तेजतर्रार व्यक्ति के सामने हर कोई अमान्य, अवैध प्रस्ताव रखते हुए डरता है.

बस, साहब को खुश कर दो

रचना कहती है कि साहब के पीए ने मुझ से यह प्रस्ताव रखा कि ‘बस, साहब को खुश कर दो’ तो मैं सन्न रह गई पर हिम्मत कर के मैं ने कहा, ‘‘साहब सरकार द्वारा हमारा काम करने के लिए रखे गए हैं. तुम्हें पता है ऐसा कहने से तुम्हारी नौकरी और जिंदगी पर बात आ सकती है. तुम अपनेआप को समझते क्या हो.’’ पीए बजाय डरने के मुझे ही धमकाते हुए बोला, ‘‘अपना लैक्चर अपने पास रखो. आप जैसी दोचार महिलाएं रोज आती हैं औफिस में और तीसरे दिन साहब की शरण में होती हैं.’’

खैर, मैं ने संबंधित अथौरिटी से शिकायत की. लेकिन जब मैं ने जानना चाहा कि पीए को क्या सजा हुई, यह पूछने पर कहा गया कि हम बाहर के लोगों को जानकारी नहीं दे सकते. आखिर, 6 महीने बाद उस पर कार्यवाही हुई.

प्रमाण नहीं होता

सेक्स की मांग करने वालों के खिलाफ पुख्ता सुबूत जुटाना मुश्किल होता है. मोबाइल में रिकौर्डिंग व फोटोग्राफी की व्यवस्था होने पर भी उस का उपयोग कई विभागों में सुरक्षा के नाम पर प्रतिबंधित होता है. फिर भी महिलाओं को चुप्पी साधने के बजाय अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए. कोर्ट तक में नारी की इस बात पर संज्ञान लिया जाता है कि ऐसी गैरवाजिब बातों के कोईर् प्रमाण नहीं छोड़ता.

घर वालों को विश्वास में लें

यदि किसी भी विभाग में आप से काम करने के एवज में कोई कर्मचारी अनुचित मांग यानी सेक्स या ऐसी ही कोई दूसरी मांग करता है तो तुरंत अपने घर वालों को इस की जानकारी दें.

सूचना का अधिकार तथा ऐसे ही जनफ्रैंडली टूल आ रहे हैं, जिन से सरकारी बाबुओं को काम को रोकना मुश्किल होता है. हर महकमे का विजिलैंस विभाग भी है जहां शिकायत दर्ज होने पर उन्हें ऐक्शन लेना पड़ता है. फिर अब तो सैक्सुअल हैरासमैंट औन वर्कप्लेस जैसे कानून भी महिला फ्रैंडली हो रहे हैं.

कहीं भी कोई भी जोरजबरदस्ती या नम्रता से सेक्स की सीधे या छद्म मांग करे तो उस को मुंहतोड़ जवाब दें तथा कानूनी कार्यवाही करें. सहने और टालने से काम हो जाने पर नजरअंदाज करने से आप सिर्फ अपने को बचा पाती हैं. कानूनी ऐक्शन ले कर आप अपने जैसी कई महिलाओं को बचाती हैं और समाज में नारी गरिमा की मिसाल पेश करती हैं.

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