आप भी पा सकते हैं मल्टिपल और्गैज्म

आप इस सच को अच्छा भी कह सकती हैं और बुरा भी, क्योंकि इससे सेक्शुअल संबंधों में आपका दबदबा कम भी हो सकता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि हालांकि मल्टिपल और्गैज्म (एक से अधिक बार चरम पर पहुंचना) पाना महिलाओं की शारीरिक विशेषता है, लेकिन यदि पुरुष इसे पाने के लिए थोड़ी मशकक्त करें तो वे भी इसका आनंद ले सकते हैं. यह मानना कि पुरुष हर सत्र में केवल एक बार ही और्गैज्म का अनुभव करते हैं, मिथक है.

इस राज का खुलासा

पुरुषों के लिए मल्टिपल और्गैज्म कोई नई संकल्पना नहीं है, बल्कि यदि आप प्राचीन ताओइस्ट की तकनीकों में मल्टिपल और्गैज्म के राज़ का खुलासा किया गया है. ताओइस्ट मान्तक चिया की किताब दि मल्टी-ऑर्गैज़्मिक मैन: सेक्शुअल सीक्रेट्स एवरी मैन शुड नो के अनुसार,‘‘और्गैज्म और इजेकुलेशन (स्खलन)-जो दो अलग-अलग शारीरिक प्रक्रियाएं हैं, के बीच के अंतर को सीखकर पुरुष मल्टिपल और्गैज्म पा सकते हैं.’’

होती है योग्यता

स्टेट यूनिवर्सिटी औफ न्यूयौर्क के एम ई डन और जेई फ्रॉस्ट द्वारा वर्ष 1979 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, पुरुषों में मल्टिपल और्गैज़्म पाने की योग्यता होती है. उन्होंने बताया कि पारंपरिक मान्यता के अनुसार एक स्वस्थ पुरुष में और्गैज्म के दो चरण होते हैं-और्गैज्म के बाद तुरंत स्खलन और फिर थोड़ा समय, जो सामान्य होने में लगता है. पर अपने शोध के दौरान डन और फ्रॉस्ट ने पाया कि एक नॉन-इजैकुलेटरी और्गैज्म भी होता है, जो इजैकुलेटरी और्गैज्म के पहले या बाद में भी आ सकता है. और इस तरह के कई और्गैज्म आ सकते हैं. ‘‘अध्ययनों से पता चलता है कि मास्टबेशन के दौरान युवकों को कई ऑगैज़्मिक पीक्स का अनुभव होता है, खासतौर पर इजैकुलेशन से ठीक पहले,’’ यह कहना है डॉ फेलिस डनास का, जो क्लीनिकल चायनीज मेडिसिन के विशेषज्ञ हैं.

इस कला को अर्जित किया जा सकता है

पुरुषों के लिए मल्टिपल और्गैज्म नाबिल्कुल अपने सपनों की महिला को पाने जैसा होता है-इसके लिए लगन, संयम और तीव्र इच्छाशक्ति की जरूरत होती है. सेक्सोलॉजिस्ट डॉ प्रकाश कोठारी इसे अर्जित कर सकनेवाली कला मानते हैं. वे कहते हैं,‘‘हालांकि पुरुषों में मल्टिपल और्गैज्म पाने की स्वाभाविक विशेषता नहीं होती, लेकिन सही तकनीक को सीख कर वे इसका आनंद उठा सकते हैं.’’

सेक्स का डबल मजा लेना चाहते हैं तो आज ही आजमाएं ‘डर्टी टौकिंग’

यों तो भारतीय समाज का एक बड़ा तबका सेक्स पर खुल कर बात नहीं पसंद करता व सेक्स आनंद की चीज है, यह तो पता होता है पर सिर्फ रात के अंधेरे में ही. कमरे की बत्तियों को बुझा कर सेक्स का लुत्फ उठाने वालों के लिए यह भले ही एक सामान्य प्रक्रिया लगती हो, पर विशेषज्ञों का मानना है कि सेक्स में नए नए प्रयोग शारीरिक सुख के साथ साथ मानसिक खुशी भी देती है.

लंबे सेक्स लाइफ के दौरान उब गए हों, कुछ नयापन चाहते हों, सेक्स संबंध के दौरान चुहूलबाजी कर उसे और भी मजेदार बनाना चाहते हों, तो डर्टी टौकिंग विद सेक्स संबंधों में गरमाहट ला देगी.

क्या है डर्टी टौकिंग

सेक्स के दौरान डर्टी टौकिंग न तो गाली है न ही ऐसी कोई बात कहनी होती है, जो सेक्स पार्टनर को बुरी लगे. सेक्स में डर्टी टौकिंग सेक्स क्रिया के दौरान साथी के अंगों को निहारना, सहलाना, हलकी छेड़छाड़ व खुल कर बातचीत करनी होती है.

कैसे बनाएं मजेदार

अगर आप को अपने प्यार भरे शब्दों के बाण से साथी को घायल करने में थोङी भी महारत हासिल है, तो डर्टी टौकिंग का कुछ इस तरह अंदाज गुदगुदी का एहसास कराएगी-

* सेक्स के दौरान कमरे की बत्तियों को जलने दें. संभव हो तो रंगीन बल्व जलाएं.

* हलका म्यूजिक चला दें. इस से मदहोशी का आलम बना रहेगा.

* एकदूसरे के अंगों को अपलक निहारें और उन की तारीफ करें.

* सेक्स के दौरान बातचीत उस पल को और हसीन बनाता है. आप चाहें तो तेज स्वर में भी बातचीत कर सकते हैं.

* अंगों का खुल कर नाम लें और बताएं कि वे आप को कितने पसंद हैं. सेक्स पार्टनर से भी ऐसा ही करने को कहें.

* इस दौरान सेक्स पार्टनर को अपनी आंखें खुली रखने के लिए बोलें.

* किचन में, बाथरूम में, बाथटब में बनाए सेक्स संबंधों को याद करें और खूब हंसें.

* कंडोम्स को ले कर भी खुल कर बात करें कि आप के सेक्स पार्टनर को कौन सी पसंद हैं.

* मार्केट में कई फ्लेवर्स व रंगों के कंडोम्स उपलब्ध हैं. उन पर खुल कर बात करिए और उन्हें आजमाइए भी.

यकीन मानिए, सेक्स की उपरोक्त क्रियाएं तनाव व भागदौड़ भरी जिंदगी से अलग ही सुकून देंगी और न सिर्फ रोमांचक लगेंगी, रिश्तों में नई जान व ताजगी का एहसास भी कराएंगी. याद रखिए कि सेक्स कुदरत का दिया एक अनमोल तोहफा है.

क्या एक्सरसाइज दे सकती है आपको चरम सुख ?

आप महिला हो या पुरुष अगर आपको बिस्तर में बोरियत होने लगती है तो इसका मतलब है आप जिम में, खेल के मैदान में या व्यायाम करने में अधिक समय नहीं गुजार रहे हैं. ऑनलाइन प्रकाशित एक महत्वपूर्ण शोध आलेख ‘एन इन्वेस्टिगेशन ऑफ़ द रिलेशनशिप बेटवीन फिजिकल फिटनेस, सेल्फ-कांसेप्ट एंड सेक्सुअल फंक्शनिंग’ के मुताबिक कसरत के जरिए आप अपना सेक्स जीवन बेहतर बना सकते हैं. कसरत से होता यह है कि आपके जिस्म के निचले हिस्से में खून का संचार बढ़ जाता है और आप मूड में आ जाते हैं. साथ ही फिट और टोंडअप होने की वजह से आपका प्रेम सत्र खासे लम्बे समय तक के लिए चलता है और नयी व दिलचस्प चाहतों के लिए आपका बदन लचीला रहता है.

व्यायाम और उसके बाद रक्त गुप्तांगों में प्रवाह करने लगता है. इससे जब आप मूड में आते हैं तो सेंसेशन बढ़ जाता है. इस तथ्य को साबित करने के लिए टेक्सास विश्वविद्यालय की एक रिसर्च टीम ने एक प्रयोग किया. उसने 18 से 34 वर्ष की महिलाओं को एक्सरेटिड फिल्म दो बार दिखायी. पहली बार फिल्म देखने से पहले महिलाओं ने लगभग बीस मिनट तक बहुत मेहनत से साइकिलिंग की थी. लेकिन दूसरी बार कोई कसरत नहीं करायी गयी थी. शोधकर्ताओं ने दोनों स्थिति में उनकी उत्तेजना स्तर को मापा एक ऐसे यंत्र से जो गुप्तांगों में खून के संचार को नाप सकता है. उन्होंने पाया कि व्यायाम करने के बाद उत्तेजना स्तर 169 प्रतिशत बढ़ जाता है. इसकी वजह यह है कि व्यायाम से ब्लड प्रेशर बेहतर हो जाता है.

कसरत सेक्स की इच्छा को भी बढ़ा देती है क्योंकि इससे इंड्रोफिंस नामक दिमागी रसायन सक्रिय हो जाते हैं. इन रसायनों की वजह से ही आप सेक्स के दौरान अच्छा महसूस करते हैं. शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जो महिलाएं नियमित कसरत करती हैं, वह संसर्ग से अधिक आनंदित होती हैं, उन महिलाओं की तुलना में जो व्यायाम को बोझ समझती हैं और आलसी होती हैं. कसरत से पुरुषों को महिलाओं से भी ज्यादा फायदा होता है. अध्ययन से मालूम हुआ कि अधेड़ उम्र के जो पुरुष व्यायाम नहीं करते थे, जब उन्हें एक-एक घंटे के लिए सप्ताह में तीन बार व्यायाम कराया गया तो उनका सेक्स जीवन बेहतर हो गया और वे अधिक संतुष्ट होने लगे. 20 से 30 मिनट तक रोजाना नियमित कसरत करने वालों को उन लोगों की तुलना में जो बिल्कुल व्यायाम नहीं करते, यौन शिथिलता की भी समस्या नहीं आती लेकिन ध्यान रहे कि अधिक कसरत भी अच्छी बात नहीं है; क्योंकि तब बेडरूम की हरकतों के लिए ऊर्जा ही नहीं बच पाती.

कसरत करने से आपका जिस्म चुस्त-दुरुस्त हो जाता है और आपमें अधिक आत्मविश्वास आ जाता है. आप नये प्रयोग करने में आराम महसूस करते हैं लेकिन दो-चार बार हाथ-पैरों को हिलाने से कसरत नहीं हो जाती. परिणाम हासिल करने के लिए कसरत करने के भी तरीके हैं. तैराकी इस सिलसिले में सबसे अच्छी कसरत है क्योंकि इससे आपका फिटनेस स्तर बढ़ जाता है और लव मेकिंग स्टेमिना भी. बिना उच्च प्रभाव के यह ऐरोबिकली तीव्र है. जो सेक्स के लिए आवश्यक मांसपेशियां हैं जैसे पेट, हाथ, हैमस्ट्रिंग आदि से वह मजबूत हो जाती हैं. दिल मजबूत हो जाता है और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर. तैराकी में भी ब्रेस्ट स्ट्रोक अधिक फायदेमंद है क्योंकि फ्राग किक से जांघों के अंदर की मांसपेशियां तगड़ी हो जाती हैं और आप अपने आपको नियंत्रित करना सीख जाते हैं.

अच्छे सेक्स के लिए जिस्म के निचले हिस्से को जिम में टोनिंग क्लासेस के जरिए बेहतर बनाया जा सकता है. इससे वह सब मांसपेशियां टाइट हो जाती हैं जो सेक्स के दौरान हरकत में आती हैं. इसे आज की भाषा में लेग, बम एंड टम कहते हैं और इससे कमर का निचला हिस्सा ताकतवर हो जाता है और मसल स्ट्रेन से आपको बचाता है. पाइलेट क्लासेस से पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियां ताकतवर हो जाती हैं और महिलाओं को चरम सुख हासिल करने में मदद करती हैं. इससे नये प्रयोग किये जा सकते हैं बिना टांगों और जांघों में क्रैम्प लाये.

दौड़ना भी अच्छी कसरत है. यह दिल को मजबूत, टांगों को टोन करता है और सेल्यूलाइट को खत्म कर देता है. दौड़ने से ऊर्जा और स्टेमिना बढ़ता है साथ ही बर्दाश्त करने के स्तर में इजाफा होता है और सांस पर नियंत्रण. अगर सेक्स के दौरान आप अपने सांस पर एकाग्रता रखें तो आप अपनी उत्तेजना के स्तर से अधिक परिचित रहेंगे, जिससे आप चरम आनंद को नियंत्रित कर सकते हैं. यह धारणा गलत है कि दौड़ने से सेक्स के लिए ऊर्जा खत्म हो जाती है. एथलीटों के अनुभव सुनें, तो वह बताते हैं कि दौड़ने ने उन्हें बिस्तर में अधिक सक्रिय बना दिया है.

आप किसी भी डांसर को देख लें, उसमें स्टेमिना भी होगा और उसका जिस्म भी टोंडअप होगा. बैले डांस तो अल्टीमेट वर्कआउट है. आपके ताकतवर हाथ-पैर कमर के निचले हिस्से पर पड़ने वाले दबाव को कम कर देते हैं जिससे आप बेडरूम में अधिक नियंत्रण प्रदर्शित कर सकते हैं. अधिक फायदा उठाने के लिए किसी डांस क्लास के सदस्य बन जाओ और फिर जीवन का आनंद उठाओ.

मेरी छाती लड़कियों की तरह फूल गई है, इलाज बताएं?

सवाल-

मैं एक 22 साल का लड़का हूं. मेरी छाती लड़कियों की तरह फूल गई है. इलाज बताएं?

जवाब-

आप गायनेकोमैस्टिया से पीड़ित हैं जो आप की उम्र के लड़कों में सामान्य बात है. इसे लिपोसक्शन और सर्जरी कर ऐक्स्ट्रा फैट और ग्लैंड्सयूलर टिशू को निकाल कर सर्जिकल तरीके से ठीक किया जा सकता है. यह सर्जरी लोकल या जनरल एनेस्थैटिक में की जा सकती है. इस के लिए आप को एक प्लास्टिक सर्जन से सलाह लेनी होगी.

ये भी पढ़े…

पूरे बदन की साफ-सफाई के प्रति लापरवाही न बरतने वाले मर्द भी अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई पर खास ध्यान नहीं देते हैं, जिस की वजह से वे कई तरह के खतरनाक इंफैक्शन के शिकार हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि प्राइवेट पार्ट की साफसफाई कैसे की जाती है और उस से होने वाले फायदों के बारे में :

बालों की छंटाई करें

प्राइवेट पार्ट के आसपास के अनचाहे बालों की समयसमय पर सफाई करनी चाहिए, वरना बाल बड़े हो जाते हैं. इस की वजह से ज्यादा गरमी पैदा होती है और इन बालों की वजह से ज्यादा पसीना निकलने लगता है. बदबू भी आने लगती है. बैक्टीरिया पैदा होने से इंफैक्शन फैल जाता है. इस वजह से चमड़ी खराब हो जाती है. खुजली, दाद वगैरह की समस्या पैदा हो जाती है. देखा गया है कि अनचाहे बाल लंबे व घने हो जाने से उन में जुएं भी हो जाती हैं, इसलिए उन्हें समयसमय पर साफ करते रहना चाहिए. प्राइवेट पार्ट के अनचाहे बालों की सफाई के लिए कैंची से छंटाई करना अच्छा उपाय है. इस के अलावा ब्लेड  या हेयर रिमूवर क्रीम का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

सावधानी

प्राइवेट पार्ट के अनचाहे बालों की सफाई जल्दबाजी, हड़बड़ी या डर कर न करें. छंटाई के लिए छोटी धारदार कैंची का इस्तेमाल करें. अनचाहे बालों को अगर रेजर से साफ करना चाहते हैं, तो नए ब्लेड का इस्तेमाल करें. पहले इस्तेमाल किए ब्लेड से बाल ठीक तरह से नहीं कटते हैं. उलटा ब्लेड कभी न चलाएं, इस से चमड़ी पर फोड़ेफुंसी होने का डर रहता है. हेयर रिमूवर क्रीम का इस्तेमाल करने से पहले एक बार टैस्ट जरूर कर लें. अगर उस से एलर्जी होती है, तो इस्तेमाल न करें.

अंग दिखेगा बड़ा

प्राइवेट पार्ट के एरिया में बाल बड़े हो जाने से अंग उन में छिप जाता है, जिस से उस का आकार छोटा दिखाई देने लगता है. अनचाहे बालों को साफ करने से अंग का आकार बड़ा दिखने लगता है. इसे देख कर आप की पार्टनर ज्यादा मोहित होती है. प्यार के पलों के समय वह ज्यादा सहज महसूस करती है.

सेहतमंद महसूस करेंगे

प्राइवेट पार्ट के एरिया को साफ रखने से अंग सेहतमंद दिखाई देता है. आप भी संतुष्ट महसूस करते हैं, क्योंकि आप निश्चिंत हो जाते हैं कि अब आप को किसी तरह का इंफैक्शन नहीं है.

यह भी करें

अंग की नियमित सफाई करें. अंग के ऊपर की त्वचा को सावधानी के साथ पीछे की ओर ले जाएं. वहां सफेदपीला क्रीमनुमा चीज जमा होती है. यह पूरी तरह से कुदरती होती है. इस की नियमित सफाई न करने से बदबू आने या इंफैक्शन फैलने का डर बना रहता है. रोजाना नहाते समय कुनकुने पानी से इसे साफ करना चाहिए.

पेशाब करने के बाद अंग को अच्छी तरह से हिला कर अंदर रुके पेशाब को जरूर निकाल दें. इसे अपनी आदत में शुमार करें, क्योंकि अंग के अंदर रुका हुआ पेशाब बुढ़ापे में प्रोटैस्ट कैंसर के रूप में सामने आ सकता है. माहिर डाक्टरों का कहना है कि अगर अंग के अंदर का पेशाब अच्छी तरह से निकाल दिया जाए, तो प्रोटैस्ट कैंसर का डर खत्म हो जाता है.

अंडरगारमैंट्स पर ध्यान दें

रोजाना नहाने के तुरंत बाद ही अपने अंडरगारमैंट्स को बदलें. कई दिनों तक इस्तेमाल किए गए अंडरगारमैंट्स पहनने से प्राइवेट पार्ट के एरिया में इंफैक्शन फैलने का डर बढ़ जाता है. दूसरों के अंडरगारमैंट्स, साबुन वगैरह इस्तेमाल न करें. इस से भी इंफैक्शन फैलने का डर रहता है. नहाने के बाद इस एरिया को तौलिए से अच्छी तरह से सुखा लें. हमेशा सूती अंडरगारमैंट्स पहनें. नायलौन के अंडरगारमैंट्स कतई न पहनें, क्योंकि उन में से हवा पास नहीं हो पाती है. इस वजह से प्राइवेट पार्ट के एरिया को भी अच्छी तरह से हवा नहीं मिल पाती है, जिस से कई तरह की बीमारियां पैदा हो सकती हैं.

सेक्स संबंध बनाने के बाद

सेक्स संबंध बनाने के बाद अंग को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए, क्योंकि सेक्स के समय व बाद में इस के अंदर कई तरह के स्राव बनते हैं. इन्हें साफ न करने पर इंफैक्शन हो सकता है. इस एरिया को पानी से साफ करें. सफाई करने के बाद अंग को अच्छी तरह से पोंछ कर सुखा लें.

Summer Special: गरमी में बेहद काम के हैं ये 3 मजेदार सेक्स टिप्स

सोचिए, दिल्ली में किसी की नईनई शादी हुई है और महीना है झुलसती मई का. कपल अभीअभी मनाली की सर्दियों में इश्क के पेंच लड़ा कर वापस लौटा है. हनीमून की मदमाती हवस अभी भी उस के दिलो दिमाग पर छाई हुई है पर दिल्ली का उबलता मौसम कह रहा है मुझ से पंगा मत लेना, पिघला कर रख दूंगा.

पर वह नयानवेला जोड़ा ही क्या जो अपनी सेक्स लाइफ पर मौसम की बेरुखी को हावी होने दे. वह तरहतरह के जतन करता है और दिल्ली में ही मनाली की मीठी सर्दी ले आता है ताकि बैडरूम में मिलन का माहौल बना रहे.

हम भी आप को सेक्स लाइफ को शानदार करने के कुछ टिप्स दे रहे हैं जो गरमी में भी आप को सर्दी का अहसास कराएंगे ताकि आप का प्रेम राग बजता रहे.

कमाल का ठंडा टुकड़ा

कई साल पहले चार्ली शीन और वलेरिया गोलिनो की एक इंगलिश कौमेडी फिल्म ‘हौटशौट’ आई थी जिस के एक सीन में प्यार करने के दौरान जब चार्ली शीन वलेरिया गोलिनो की नाभि पर बर्फ रगड़ता है तो वह उस के बदन की गरमाहट से पानी बुलबुले बन जाता है. यही बर्फ का टुकड़ा आप के फोरप्ले में भी प्यार का तड़का लगा सकता है. एक पंथ दो काज. आजमा कर देखिए, ठंडी बर्फ सेक्स की गरमाहट को यकीनन नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी.

मस्ती का फव्वारा

अब हिंदी फिल्मों की तरह भरी बरसात में आप अपने पार्टनर के साथ खुले में प्यार की पेंगे तो नहीं बढ़ा सकते हैं पर बाथरूम का शौवर आप की हसरतों को सांतवे आसमान पर जरूर ले जा सकता है. सस्ता और टिकाऊ साधन.

शौवर के नीचे आप दोनों तन और मौसम की गरमी से बहुत हद तक  राहत पा सकते हैं. बाथरूम में ही सही ‘टिपटिप बरसा पानी’ आप का सेक्स का मजा दोगुना कर देगा. अगर घर पर कोई नहीं है और घर में आंगन है तो खुले में पानी का फव्वारा और दो जिस्म माहौल को रंगीन और नम बनाने में कसर नहीं छोड़ेंगे.

स्विमिंग पूल बड़ा कूल

यहां मामला थोड़ा सा खर्चीला हो सकता है पर है बड़ा मस्त. किसी होटल में जाइए और अपने प्राइवेट पूल में सेक्स की गहराइयों तक गोते लगाइए. प्यार की भूख मिटाने के बाद अच्छे स्वादिष्ट खाने से पेट भरिए और अपनी जिंदगी की नई पारी की बेहतरीन शुरुआत कीजिए.

मेरे पति कौलगर्ल के पास अपना मन बहलाने जाते हैं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं 42 वर्षीय विवाहिता हूं. विवाह को 16 वर्ष हो चुके हैं. 2 बेटे हैं. सुखी व संपन्न दांपत्य है. 3 महीने पहले तक मैं अपने को एक सफल गृहिणी और पति की प्रेयसी समझती रही, पर अचानक एक दिन ज्ञात हुआ कि पति जब कईकई दिनों के लिए टूअर पर जाते हैं तो वहां (मुंबई में) किसी कौलगर्ल से मन बहलाते हैं. यह सचाई जानने के बाद से मेरी रातों की नींद उड़ गई है. मुझे अपने आप से ग्लानि होने लगी है. जिस पति पर मैं आंख मूंद कर विश्वास करती रही उस ने मेरे साथ विश्वासघात किया. मैं ने उन से तो कोई बात जाहिर नहीं की पर अंदर ही अंदर घुलती जा रही हूं. समझ में नहीं आ रहा है कि  इस स्थिति को कैसे संभालूं. पति मेरा उखड़ा मूड़ और चिंतित चेहरा देख कर कई बार पूछ चुके हैं. मैं ने तबीयत ठीक न होने की बात कह कर टाल दिया है. कृपया बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

आप का परेशान होना स्वाभाविक है, पर आप के चिंतित और तनावग्रस्त रहने से समस्या हल नहीं होगी. इस के लिए आप को खुद प्रयास करना होगा. पति को सामने बैठा कर उन से बात करें. उन्हें समझाएं कि इस तरह का आचरण अनुचित तो है ही उन के स्वयं के भी हित में नहीं है. कौलगर्ल्स के कईकई मर्दों के साथ संबंध रहते हैं और उन से संबंध बनाने से एड्स जैसी बीमारी होने का भी खतरा रहता है. इसलिए उन्हें इस व्यभिचार से तोबा करनी चाहिए. उन्हें प्यार से, गुस्से से जैसे भी हो समझाएं और यह भी कहें कि यदि वे इस अनाचार को नहीं छोड़ते हैं तो आप उन के साथ शारीरिक संबंध नहीं रखेंगी.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें-  सरस सलिल-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेरे घरवाले मेरी शादी लड़की से कराना चाहते हैं पर मैं एक लड़के से प्यार करता हूं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी उम्र 25 साल है. मेरे घर वाले एक ऐसी लड़की के साथ मेरी शादी कराना चाहते हैं, जो मुझे पसंद नहीं है. हकीकत तो यह है कि मैं किसी भी लड़की को पसंद नहीं करता हूं, बल्कि एक हमउम्र लड़के के साथ मेरी गहरी दोस्ती है या कह लें कि हम दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं. घर वालों को मनाने के लिए मैं क्या करूं?

जवाब-

आप घर वालों को साफसाफ बता दें कि आप शादी नहीं कर सकते और क्यों नहीं कर सकते, यह भी बता दें, क्योंकि आप का राज ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं रह पाएगा. बताने के बाद का विरोध झेलने के लिए खुद को दिमागी तौर  पर तैयार रखें. पहले आप को नसीहतें मिलेंगी और उस के बाद धौंस.

मुमकिन है कि इस के बाद भी आप नहीं माने, तो आप को घर और समाज से भी निकाला जा सकता है. घर वालों के दबाव में शादी न करें. इस से आप की और जिस लड़की से आप शादी करेंगे, उस की भी जिंदगी बरबाद हो जाएगी. अपने दोस्त के साथ अलग रहने के अलावा आप के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें-  सरस सलिल-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जानें आखिर क्या है सेक्सरिंग: कहीं प्यार के नाम पर आप भी ना फंस जाएं

युवाओं का पहला आकर्षण प्रेम ही होता है. शायद ही कोई ऐसा युवा होगा जो रोमांस के इस फेज में न फंसा हो. कोई अपना लव इंटरैस्ट अपनी क्लासमेट में ढूंढ़ता है तो कोई पासपड़ोस की ब्यूटीफुल युवती पर फिदा हो जाता है. युवावस्था के आकर्षण से जुड़े हारमोंस ही हमें किसी विपरीतलिंग की तरफ आकर्षित करते हैं.

हालांकि हर बार यह प्यार सच्चा हो, इस की कोई गारंटी नहीं. प्यार के नाम पर कैमिकल लोचा भी हो सकता है, प्यार एकतरफा भी हो सकता है और कई बार लव को लस्ट यानी वासना की शक्ल में भी देखा जाता है. इन सब प्यार की अलगअलग कैटेगरीज से गुजरता हर युवा मैच्योर होतेहोते सीखता है कि लव के असल माने क्या हैं?

इस रोमांटिक फेज में उपरोक्त कैटेगरीज के अलावा एक और खतरनाक फेज होता है सेक्सरिंग का यानी प्यार के नाम पर जब कोई युवती किसी युवा को फंसा ले तो वह सेक्सरिंग में उलझ कर रह जाता है.

प्यार में सौदा नहीं

अचानक लड़की आप के करीब आ जाए तो उस पर लट्टू होने के बजाय जरा दिमाग लगा कर सोचिए कि इस नजदीकी की वजह प्यार है या आप की मोटी जेब, क्योंकि प्यार कोई सौदेबाजी नहीं होती. जो लड़की आप से प्यार करेगी वह बातबात पर महंगे गिफ्ट्स नहीं मांगेगी और न ही हर समय आप की जेब ढीली करेगी. अगर आप की गर्लफ्रैंड भी आप से ज्यादा आप के तोहफों पर ध्यान देती है तो समझ जाइए कि आप भी सेक्सरिंग में फंसने वाले हैं.

सिंगल होना शर्मिंदगी नहीं

सेक्सरिंग का सब से आसान शिकार युवतियां ज्यादातर उन युवकों को बनाती हैं जो सिंगल होते हैं. साइकोलौजिस्ट भी मानते हैं कि हमारे समाज व युवाओं का रवैया कुछ ऐसा है कि जो लड़के सिंगल होते हैं उन का मजाक बनाया जाता है, उन पर जल्द से जल्द गर्लफ्रैंड बनाने का दबाव डाला जाता है. मानो किसी युवक की गर्लफ्रैंड नहीं है तो उस में कोई न कोई कमी होगी.

इस मनोवैज्ञानिक दबाव के तले दब कर युवक अपनी सोचसमझ खो कर एक अदद युवती की तलाश में जुट जाता है जो जल्दी से जल्दी उस की गर्लफ्रैंड बनने को तैयार हो. भले इस के लिए उसे कोई भी कीमत चुकानी पड़े. इसी जल्दबाजी व मनोवैज्ञानिक दबाव का फायदा चालाक व शातिर युवतियां उठाती हैं और सिंगल युवकों को झूठे प्यार के सेक्सरिंग में फांस कर उन की जेबें ढीली करती हैं. कई मामलों में तो उन की पढ़ाईलिखाई व कैरियर तक बरबाद कर डालती हैं.

युवाओं को यह समझने की जरूरत है कि सिंगल होना कोई  शर्मिंदगी की बात नहीं है. जब तक कोई ईमानदार या सच्चा प्यार करने वाली युवती न मिले, सिंगल रहना बेहतर है. पढ़ाई, कैरियर, शौक व दोस्तों को समय दे कर सेक्सरिंग से बचने में ही समझदारी दिखाने वाले युवा कुछ बन पाते हैं.

इमोशनल अत्याचार के साइड इफैक्ट्स

अकसर युवतियों से धोखा खाए या यों कहें कि सेक्सरिंग के शिकार युवक भावनात्मक तौर पर टूट जाते हैं और प्रतिक्रियास्वरूप कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो उन के भविष्य को खतरे में डाल देता है.

जनवरी 2017, दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके के रोहन को जब एक युवती ने झूठे प्यार के जाल में फंसा कर चूना लगाया तो उस ने उस से बदला लेने की ठान ली व एक दिन स्कूल से लौटते समय युवती के चेहरे पर ब्लैड मार दिया.

घायल युवती के परिजनों ने रोहन के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर दी. इस तरह मामला उलटा पड़ गया. युवती का तो कुछ नहीं बिगड़ा, रोहन को जरूर हवालात की हवा खानी पड़ी.

अकसर सेक्सरिंग के शिकार युवा इमोशनली इतने डिस्टर्ब हो जाते हैं कि धोखा खाए प्रेमी की तरह उस युवती से बदला लेने की ठान लेते हैं. आएदिन हम प्रेम में ठुकराए प्रेमियों की आपराधिक कृत्यों की खबरें पढ़ते रहते हैं. कोई तेजाब से हमला करता है तो कोई युवती का अपहरण तक कर डालता है. कोई सेक्स संबंधों की  पुरानी तसवीरों, सेक्स क्लिप्स या प्रेमपत्रों के नाम पर लड़की को सबक सिखाना चाहता है.

प्यार से अपराध की ओर न जाएं

याद रखिए ये तमाम हिंसात्मक व अनैतिक रास्ते अपराध की उन गलियों की ओर ले जाते हैं, जहां से युवाओं के लिए वापस आना नामुमकिन सा हो सकता है. एक तो पहले ही युवती ने फंसा कर आप का धन व समय बरबाद कर दिया. उस पर उस से बदला लेने के लिए अतिरिक्त समय, धन व भविष्य दांव पर लगाना कहां की समझदारी है?

बेहतर यही है कि उस बात को भूल कर आप अपने कैरियर पर ध्यान दें. एक न एक दिन आप को सच्चा प्यार जरूर मिलेगा. इस धोखेभरी लवस्टोरी से इतना जरूर सीखिए कि अगली बार जब कोई युवती आप की भावनाओं से खिलवाड़ कर आप पर सेक्सरिंग का वार करे तो उस के झांसे में न आएं.

सेक्सरिंग के लक्षण

कोई युवती आप से सचमुच प्यार करती है या फंसा रही है, उसे समझने के लिए सेक्सरिंग के कुछ लक्षण समझना जरूरी है. निम्न पौइंट्स से समझिए कि कौन सी युवती स्वाभाविक तौर पर सेक्सरिंग के जाल में आप को फंसाना चाहती है :

–       जब बातबात पर शौपिंग, पार्टी या महंगे गिफ्ट्स की डिमांड करे.

–       जब खुद से जुड़ी जानकारियां छिपाए व आप की हर बात जानना चाहे.

–       आप के दोस्तों या परिवार से मिलने से कतराए.

–       अपने फैमिली या फ्रैंड सर्किल से मिलवाते वक्त आप की पौकेट खाली करवाए.

–       बातबात पर आप की तारीफ करे और आप की हर बात पर सहमति जताए.

–       हर जरूरत पर आर्थिक मदद की डिमांड करे.

–       झगड़े की वजहों में पैसों का ताना मारे.

–       आप के अमीर व संपन्न दोस्तों से करीबी बढ़ाए.

–       आप की आर्थिक मदद करने से कतराए या बहाने बनाए.

–       प्यार के नाम पर भावनात्मक सहारे के बजाय सिर्फ फिजिकल रिलेशन को तरजीह दे.

अगर इन तमाम पौइंट्स पर आप की गर्लफ्रैंड खरी उतर रही हो तो सावधान हो जाइए. आप पर सेक्सरिंग फेंका जा चुका है. सही मौका पाते ही सेक्सरिंग का छल्ला गले से निकाल फेंकिए और ब्रेकअप सौंग पर जम कर अपनी फेक लवर से आजादी का जश्न मनाइए.

स्पाइनल इंजरी के बाद ऐसी होती है सैक्सुअल लाइफ

स्पाइनल इंजरी किसी के भी जीवन की त्रासदपूर्ण घटना हो सकती है. इस से व्यक्ति एक तरह से लकवाग्रस्त हो सकता है. इंजरी जब गरदन में हो तो इस से टेट्राप्लेजिया हो सकता है. यदि इंजरी गरदन के नीचे हो तो इस से पाराप्लेजिया यानी दोनों टांगों और इंजरी से निचले धड़ में लकवा हो सकता है. केंद्रीय स्नायुतंत्र का हिस्सा होने के कारण स्पाइनल कौर्ड की सेहत पर ही पूरे शरीर की सेहत निर्भर करती है. इंजरी से यौन सक्रियता भी प्रभावित हो सकती है. स्पाइनल कौर्ड इंजरी ऊंचाई से गिरने, सड़क दुर्घटना, हिंसक या खेल की घटनाओं के कारण हो सकती है. स्पाइनल कौर्ड इंजरी के नौनट्रोमेटिक कारणों में स्पाइन और ट्यूमर के टीबी जैसे संक्रमण शामिल हैं.

यौन सक्रियता जरूरी

स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्ति को यथासंभव आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश होनी चाहिए. भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से में यौन स्वास्थ्य पर चर्चा करना हमेशा वर्जित विषय माना जाता रहा है, इसलिए इस विषय पर बात करने से लोग कतराते हैं और मरीज खामोशी से इसे सहता रहता है. शिक्षा, ज्ञान और जागरूकता के अभाव में लोग ऐसे मरीजों के बारे में यह समझने लगते हैं कि वे यौनेच्छा एवं यौन उत्कंठा से पीडि़त हैं. लेकिन सच यह है कि सामान्य व्यक्ति की तरह ही स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्ति के लिए भी यौन सक्रियता उतनी ही जरूरी है.

पार्टनर का अभाव

दरअसल, स्पाइन इंजरी इच्छाशक्ति का स्तर तो प्रभावित नहीं करती, लेकिन किसी व्यक्ति की यौन गतिविधि प्रभावित जरूर हो जाती हैं. कई बार ऐसा पार्टनर के अभाव में भी होता है. अन्य मामलों में यह मांसपेशियों पर नियंत्रण रखने वाले व्यायाम की कमजोर क्षमता के कारण भी हो सकता है. यौन अनिच्छा लिंग के आधार पर भी अलगअलग हो सकती है. पुरुष जहां उत्तेजना के अभाव के कारण प्रभावित होते हैं, वहीं महिलाएं आमतौर पर शिथिल पार्टनर होने के कारण इस से कम प्रभावित होती हैं खासकर भारतीय समाज में. लेकिन स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्तियों की यौन अनिच्छा को सैक्सुअल रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम और निरंतर अभ्यास से बहुत हद तक दूर किया जा सकता है.

समस्या की अनदेखी

ऐसे मरीजों में आत्मविश्वास जगाना और यौन स्वास्थ्य के बारे में उन से खुल कर बात करना बहुत जरूरी होता है. इस में तंबाकू पूरी तरह से निषेध होना चाहिए. शारीरिक गतिविधियों के अभाव और दर्द के अलावा एससीआई मरीज आकर्षण, संबंधों और प्रजनन की क्षमता जैसे अन्य कारकों को ले कर भी चिंतित रहते हैं. समय के साथ जहां मरीज अपने नवजात शिशु के साथ जीना सीख जाते हैं और परिवर्तित जिंदगी अपना लेते हैं, वहीं वे अपने यौन स्वास्थ्य को ले कर अकसर अनजान रहते हैं. मरीज के शरीर की कुछ खोई गतिविधियां बहाल करने के लिए व्यापक रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम के दौरान भी यौन समस्या की अनदेखी ही की जाती है.

खुद पहल नहीं करतीं

एससीआई के मामले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए अकसर सैक्सुअल पार्टनर बनना ज्यादा आसान होता है जो न सिर्फ शारीरिक रचना के कारण, बल्कि सक्रियता के स्तर पर भी संभव होता है. भारत जैसे रूढिवादी समाज में महिलाओं से यौनइच्छा की उम्मीद करना मुश्किल है. भारत की 80% महिलाएं ऐसी पैसिव सैक्सुअल पार्टनर होती हैं जो खुद पहल नहीं करतीं. इसलिए पुरुषों की तुलना में उन के लिए यौन स्वास्थ्य वापस पाना ज्यादा आसान होता है और उन का मुख्य लक्ष्य यौन सक्रियता वापस पाना तथा संभोग करने की क्षमता हासिल करना होता है.

समस्या का समाधान

पुरुषों के मामले में समस्याएं उत्तेजना में कमी और स्खलन से ही जुड़ी होती हैं. उन की उत्तेजना क्षमता और स्खलन में बदलाव आने के अलावा कामोत्तेजना की यौन संतुष्टि भी एक ऐसा क्षेत्र है जो एससीआई पीडि़त पुरुषों के लिए चिंता का कारण होता है. एक अन्य चिंता स्पर्म की क्वालिटी पर होने वाले प्रभाव और स्पर्म काउंट को ले कर होती है. ज्यादातर स्पाइनल इंजरी के मामले में वियाग्रा जैसी दवा से उत्तेजना की समस्या दूर की जा सकती है. कुछ मामलों में वैक्यूम ट्यूमेसेंस कंस्ट्रक्शन थेरैपी (वीटीसीटी) या पैनाइल प्रोस्थेसिस जैसे उपकरण की भी जरूरत पड़ सकती है.

गलत धारणा की वजह

सैक्सुअल काउंसलिंग और मैनेजमैंट विकासशील देशों में एससीआई के सब से उपेक्षित पहलुओं में से एक है. लेखकों के एक अध्ययन से पाया गया है कि एससीआई से पीडि़त 60% मरीजों और उन के 57% पार्टनरों ने पर्याप्त रूप से सैक्सुअल काउंसलिंग नहीं ली. जिन फैक्टर्स पर बहुत कम जोर दिया जाता है, उन में से एक है जागरूकता और सांस्कृतिक बदलाव. पति और पत्नी के बीच यौन संबंध का मकसद सिर्फ बच्चे पैदा करना ही माना जाता है. सैक्स के बारे में बातचीत को खराब माना जाता है. यौन समस्याएं न सिर्फ आम हो गई हैं, बल्कि सैक्स की अनदेखी, सैक्स के बारे में गलत धारणाओं और नकारात्मक सोच भी इस के मुख्य कारण माने जाते हैं. पारंपरिक वर्जना भी इस में अहम भूमिका निभाती है.

सैक्सुअलिटी को प्रभावित करने वाले अन्य सामाजिक, पारंपरिक फैक्टर्स में यौन संबंधी सोच, मातापिता के प्रति सम्मान तथा अन्य ऐसे कारण शामिल हैं, जिन में सैक्स को खराब माना जाता है और पुरुषों तथा महिलाओं के लिए बरताव के दोहरे मानदंड अपनाए जाते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं की स्थिति बदतर होती है.

आत्मविश्वास में कमी

एक अध्ययन के अनुसार, विकसित देशों की तुलना में भारत जैसे देश में स्पाइनल कौर्ड इंजरी से पीडि़त व्यक्तियों की यौन गतिविधि की बारंबारता कम रहती है. ज्यादातर मरीज इंजरी से पहले की तुलना में मौजूदा स्तर पर अपने सैक्स जीवन को कमतर आंकते हैं. यह शायद एससीआई की समस्याओं, इंजरी के बाद पार्टनर की असंतुष्टि, यौनक्रिया के दौरान पार्टनर से कम सहयोग, आत्मविश्वास में कमी तथा अपर्यात सैक्सुअल रिहैबिलिटेशन के कारण भी हो सकता है. पश्चिमी देशों के मामलों की तरह बहुत कम पार्टनर संतुष्ट होते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाएं यौन संतुष्टि के अभाव की शिकायतें ज्यादा करती हैं. इस के पीछे प्रचलित सांस्कृतिक मान्यता है कि किसी बीमार महिला के साथ यौन संबंध बनाना नैतिकता के विरुद्ध है और इस से पुरुष पार्टनर में भी रोग संचारित हो सकता है. भारतीय समाज में महिलाओं की कमतर स्थिति, पार्टनर की भिन्न सोच, पाचनतंत्र आदि की गड़बड़ी और निजता का अभाव भी इस के कुछ अन्य संभावित कारण हो सकते हैं.

यौनजीवन का अंत नहीं

निष्कर्षतया स्पाइनल इंजरी को यौनजीवन का अंत नहीं मान लेना चाहिए. इस से इंजरी पीडि़त व्यक्ति को अपने नए शरीर में यौन सुख स्वीकार करने में मदद की जरूरत पड़ती है और कई बार उस के लिए अलग तरीके से सोचने की जरूरत होती है. परिवर्तित संवेदनशीलता, शारीरिक प्रतिबंध की स्वीकृति या उन्नत मसल कंट्रोल जैसे फैक्टर्स को समझने से स्पाइनल इंजरी मरीज को स्वस्थ यौनजीवन बहाल करने में मदद मिल सकती है. उस के सैक्सुअल रिहैबिलिटेशन के लिए मैडिकल प्रोफैशनल्स की मदद की जरूरत होती है. इस संबंध में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है खासकर भारतीय समाज तथा प्रोफैशनल्स के बीच.

(डा. एच.एस. छाबड़ा, इंडियन स्पाइनल इंजरीज सैंटर में स्पाइन सर्विस के प्रमुख और मैडिकल डायरैक्टर)

सेक्स से पहले ऐसे करें अपने पार्टनर को खुश

4 सहेलियां कुछ अरसे बाद मिली थीं. 2 की जल्दी शादी हुई थी तो 2 कुछ बरसों का वैवाहिक जीवन बिता चुकी थीं. ऐसा नहीं कि उन में और किसी विषय पर बात नहीं हुई. बात हुई, लेकिन बहुत जल्द ही वह पहली बार के अनुभव पर आ टिकी.

पहली सहेली ने पूछा, ‘‘तुम फोन पर ट्रेन वाली क्या बात बता रही थी? मेरी समझ में नहीं आई.’’

दूसरी बोली, ‘‘चलो हटो, दोबारा सुनना चाह रही हो.’’

तीसरी ने कहा, ‘‘क्या? कौन सी बात? हमें तो पता ही नहीं है. बता न.’’

दूसरी बोली, ‘‘अरे यार, कुछ नहीं. पहली रात की बात बता रही थी. हनीमून के लिए गोआ जाते वक्त हमारी सुहागरात तो ट्रेन में ही मन गई थी.’’

तीसरी यह सुन कर चौंकी, ‘‘हाउ, रोमांटिक यार. पहली बार दर्द नहीं हुआ?’’

दूसरी ने कहा, ‘‘ऐसा कुछ खास तो नहीं.’’

तीसरी बोली, ‘‘चल झूठी, मेरी तो पहली बार जान ही निकल गई थी. सच में बड़ा दर्द होता है. क्यों, है न? तू क्यों चुप बैठी है? बता न?’’

चौथी सहेली ने कहा, ‘‘हां, वह तो है. दर्द तो सह लो पर आदमी भी तो मनमानी करते हैं. इन्होंने तो पहली रात को चांटा ही मार दिया था.’’

बाकी सभी बोलीं, ‘‘अरेअरे, क्यों?’’

चौथी ने बताया, ‘‘वे अपने मन की नहीं कर पा रहे थे और मुझे बहुत दर्द हो रहा था.’’

पहली बोली, ‘‘ओह नो. सच में दर्द का होना न होना, आदमी पर बहुत डिपैंड करता है. तुम विश्वास नहीं करोगी, हम ने तो शादी के डेढ़ महीने बाद यह सबकुछ किया था.’’

दूसरी और तीसरी बोलीं, ‘‘क्यों झूठ बोल रही हो?’’

पहली सहेली बोली, ‘‘मायके में बड़ी बहनों ने भी सुन कर यही कहा था, उन्होंने यह भी कहा कि लगता है मुझे कोई धैर्यवान मिल गया है, लेकिन मेरे पति ने बताया कि उन्होंने शादी से पहले ही तय कर लिया था कि पहले मन के तार जोडूंगा, फिर तन के.

‘‘मुझे भी आश्चर्य होता था कि ये चुंबन, आलिंगन और प्यार भरी बातें तो करते थे, पर उस से आगे नहीं बढ़ते थे. बीच में एक महीने के लिए मैं मायके आ गई. ससुराल लौटी तो हम मन से काफी करीब आ चुके थे. वैसे भी मैं स्कूली दिनों में खूब खेलतीकूदती थी और साइकिल भी चलाती थी. पति भी धैर्य वाला मिल गया. इसलिए दर्द नहीं हुआ. हुआ भी तो जोश और आनंद में पता ही नहीं चला.’’

पतिपत्नी के पहले मिलन को ले कर अनेक तरह के किस्से, आशंकाएं और भ्रांतियां सुनने को मिलती हैं. पुरुषों को अपने सफल होने की आशंका के बीच यह उत्सुकता भी रहती है कि पत्नी वर्जिन है या नहीं. उधर, स्त्री के मन में पहली बार के दर्द को ले कर डर बना रहता है.

आजकल युवतियां घर में ही नहीं बैठी रहतीं. वे साइकिल चलाती हैं, खेलकूद में भाग लेती हैं, घरबाहर के बहुत सारे काम करती हैं. ऐक्सरसाइज करती हैं, नृत्य करती हैं. ऐसे में जरूरी नहीं कि तथाकथित कुंआरेपन की निशानी यानी उन के यौनांग के शुरू में पाई जाने वाली त्वचा की झिल्ली शादी होने तक कायम ही रहे. कई तरह के शारीरिक कार्यों के दौरान पैरों के खुलने और जननांगों पर जोर पड़ने से यह झिल्ली फट जाती है, इसलिए जरूरी नहीं कि पहले मिलन के दौरान खून का रिसाव हो ही. रक्त न निकले तो पुरुष को पत्नी पर शक नहीं करना चाहिए.

अब सवाल यह उठता है कि जिन युवतियों के यौनांग में यह झिल्ली विवाह के समय तक कायम रहती है, उन्हें दर्द होता है या नहीं. दर्द का कम या ज्यादा होना झिल्ली के होने न होने और पुरुष के व्यवहार पर निर्भर करता है. कई युवतियों में शारीरिक कार्यों के दौरान झिल्ली पूरी तरह हटी हो सकती है तो कई में यह थोड़ी हटी और थोड़ी उसी जगह पर उलझी हो सकती है. कई में यह त्वचा की पतली परत वाली होती है तो कई में मोटी होती है.

स्थिति कैसी भी हो, पुरुष का व्यवहार महत्त्वपूर्ण होता है. जो पुरुष लड़ाई के मैदान में जंग जीतने जैसा व्यवहार करते हैं, वे जोर से प्रहार करते हैं, जो स्त्री के लिए तीखे दर्द का कारण बन जाता है. ऐसे पुरुष यह भी नहीं देखते कि संसर्ग के लिए राह पर्याप्त रूप से नम और स्निग्ध भी हुई है या नहीं. उन के कानों को तो बस स्त्री की चीख सुनाई देनी चाहिए और आंखों को स्त्री के यौनांग से रक्त का रिसाव दिखना चाहिए. ऐसे पुरुष, स्त्री का मन नहीं जीत पाते. मन वही जीतते हैं जो धैर्यवान होते हैं और तन के जुड़ने से पहले मन के तार जोड़ते हैं व स्त्री के संसर्ग हेतु तैयार होने का इंतजार करते हैं.

भले ही आप पहली सहेली के पति की तरह महीना, डेढ़ महीना इंतजार न करें पर एकदम से संसर्ग की शुरुआत भी न करें. पत्नी से खूब बातें करें. उस के मन को जानने और अपने दिल को खोलने की कोशिश करें. पर्याप्त चुंबन, आलिंगन करें. यह भी देखें कि पत्नी के जननांग में पर्याप्त गीलापन है या नहीं. दर्द के डर से भी अकसर गीलापन गायब हो जाता है. ऐेसे में किसी अच्छे लुब्रीकैंट, तेल या घी का इस्तेमाल करना सही रहता है. शुरुआत में धीरेधीरे कदम आगे बढ़ाएं. इस से आप को भी आनंद आएगा और पत्नी को दर्द भी कम होगा.

कई युवतियों के लिए सहवास आनंद के बजाय दर्द का सबब बन जाता है. ऐसा कई कारणों से होता है, जैसे :

कुछ युवतियों में वल्वा यानी जांघों के बीच का वह स्थान जो हमें बाहर से दिखाई देता है और जिस में वेजाइनल ओपनिंग, यूरिथ्रा और क्लीटोरिस आदि दिखाई देते हैं, की त्वचा अलग प्रकार की होती है, जो उन्हें इस क्रिया के दौरान पीड़ा पहुंचाती है. त्वचा में गड़बड़ी से इस स्थान पर सूजन, खुजली, त्वचा का लाल पड़ जाना और दर्द होने जैसे लक्षण उभरते हैं. त्वचा में यह समस्या एलर्जी की तरह होती है और यह किसी साबुन, मूत्र, पसीना, मल या पुरुष के वीर्य के संपर्क में आने से हो सकती है.

सहवास के दौरान दर्द होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाना चाहिए. सहवास से पहले पर्याप्त लुब्रीकेशन करना चाहिए. पुरुष को यौनांग आघात में बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. वही काम मुद्राएं अपनानी चाहिए जिन में स्त्री को कम दर्द होता हो. इस से भी जरूरी बात यह है कि पहले मन के तार जोडि़ए. ये तार जुड़ गए तो तन के तार बहुत अच्छे और स्थायी रूप से जुड़ जाएंगे.    – सहवास के दौरान पर्याप्त लुब्रीकेशन न होने से भी महिला को दर्द का एहसास हो सकता है.

– महिला यौनांग में यीस्ट या बैक्टीरिया का इन्फैक्शन भी सहवास में दर्द का कारण बनता है.

– एक बीमारी एंडोमेट्रिआसिस होती है, जिस में गर्भाशय की लाइनिंग शरीर के दूसरे हिस्सों में बनने लगती है. ऐसा होने पर भी सहवास दर्दनाक हो जाता है.

– महिला के यौनांग की दीवारों के बहुत पतला होने से भी दर्द होता है.

– यूरिथ्रा में सूजन आ जाने से भी सहवास के दौरान दर्द होता है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें