क्या मास्टरबेट करने से मैं बच्चा पैदा नहीं कर पाउंगा ?

सवाल 

मैं 24 वर्षीय नौजवान हूं शादी को दो साल हो गए हैं . मैं घर से दूर रहकर नौकरी करता हूं और साल में 4-5 बार ही घर जा पाता हूं. कुछ घरेलू वजहों के चलते अभी पत्नी को साथ नहीं ला पा रहा हूं. मेरी समस्या यह है कि सेक्स की तलब लगने और पत्नी की याद आने पर मैं संतुष्टि के लिए मास्टरबेट करता हूं पर यह सोच कर चिंतित हूं कि कहीं मास्टरबेट करने से मैं बच्चा पैदा कर पाऊंगा या नहीं.

जवाब

आपकी चिंता फिजूल है मास्टरबेट करने से बच्चा पैदा करने की क्षमता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है इसलिए आप सेक्स की जरूरत पूरी करने निसंकोच मास्टरबेट करते रहें. अच्छी बात यह है कि शरीर की भूख मिटाने आप काल गर्ल्स के पास नहीं जाते. वे महंगी भी पड़ती हैं और उनके पास जाने में खतरे भी बहुत रहते हैं इसलिए आप ने संतुष्टि के लिए बेहतर रास्ता चुना है.

हां इतना जरूर ध्यान रखें कि यह रोज रोज न करें . रही चिंता बच्चे पैदा करने की तो उसे दिल से निकाल दें क्योंकि शादी से पहले 99 फीसदी लोग मास्टरबेट करते हैं और शादी के बाद पिता भी बनते हैं. शादी के बाद पत्नी से दूर रहने पर भी सेहत या क्षमता पर कोई फर्क नहीं पड़ता इसलिए जरूरत पड़ने पर आप बेहिचक मास्टरबेट करते रहें और बीवी को जल्द अपने पास लाने की कोशिश करें क्योंकि जो हालत आप की है वही उसकी भी होगी.

आप डैमीसैक्सुअल तो नहीं

आप ने अब तक सैक्सुअलिटी को ले कर कई शब्द सुने होंगे जैसे बाईसैक्सुअल, पैनसैक्सुअल, पौलिसैक्सुअल, असैक्सुअल, सेपोसैक्सुअल और भी कई तरह के शब्द. पर अब एक और नया शब्द सैक्सुअलिटी को ले कर एक नए रूप में आ रहा है और वह है डैमीसैक्सुअल. ये वे लोग हैं जो असैक्सुअलिटी के कगार पर हो सकते हैं पर पूरी तरह से अलैंगिक नहीं हैं. यदि आप किसी से सैक्सुअली आकर्षित होने से पहले अच्छे दोस्त होना पसंद करते हैं तो आप निश्चित रूप से डैमीसैक्सुअल हैं.

1. सैक्सुअलिटी की पहचान

यह जानने के कई तरीके हैं कि आप डैमीसैक्सुअल हैं या नहीं. सब से मुख्य तरीका यह है कि जब तक आप किसी से भावनात्मक रूप से नहीं जुड़ते, आप सैक्सुअल फीलिंग्स महसूस नहीं करते. आप के लिए भावनाएं महत्त्वपूर्ण हैं. आप सारी उम्र एक ही व्यक्ति से संबंध बना कर रह सकते हैं. आप प्रयोग से डरते हैं.

आप सैक्सुअल इंसान नहीं हैं, इस में कोई बुराई नहीं है. सैक्स के पीछे भागने से ज्यादा आप को जीवंत, वास्तविक बातचीत करना ज्यादा अच्छा लगता है. यदि आप किसी से रिलेशनशिप में हैं और उस से इमोशनली जुड़ हुए हैं तभी आप अपने पार्टनर के प्रति सैक्सुअली आकर्षित होते हैं. यदि आप सिंगल हैं, तो आप निश्चित रूप से सैक्स से ज्यादा पार्क में एक अच्छी सैर या अपनी पसंद की कोई चीज खाना पसंद करेंगे.

जिसे आप पसंद करती हैं, उस से मिलने के बाद आप उस के व्यक्तित्व से प्रभावित होंगी, उस के लुक्स से नहीं, इसलिए किसी भी चीज से पहले आप की उस से दोस्ती होगी. आप किसी से मिलने पर सैक्सुअल होने या फ्लर्टिंग में विश्वास नहीं रखते. यदि एक व्यक्ति ने आप को अपने व्यक्तित्व से प्रभावित किया है तो आप पहले दोस्ती में अपना हाथ बढ़ाएंगे. घंटों, हफ्तों, महीनों में ही डेटिंग शुरू करने की आप सोच भी नहीं सकते, फ्लर्टिंग आप के दिमाग में आती ही नहीं है.

2. आकर्षण के प्रकार

आकर्षण 2 तरह का होता है-प्राइमरी और सैकेंडरी. प्राइमरी आकर्षण में आप किसी के लुक्स से आकर्षित होते हैं और सैकेंडरी आकर्षण में आप किसी के व्यक्तित्व से प्रभावित होते हैं. यदि आप डैमीसैक्सुअल हैं तो आप निश्चित रूप से सैकेंडरी पर्सनैलिटी टाइप में फिट बैठते हैं. अब इस का मतलब यह नहीं है कि आप को कोई आकर्षित नहीं करता. बहुत लोग आप को आकर्षक लगे होंगे पर आप लुक्स पर ही संबंध नहीं बना सकते. आप तभी आगे बढ़ते हैं जब किसी का व्यक्तित्व आप को प्रभावित करता है.

जब आप के दिल में किसी के लिए फीलिंग्स पैदा होने लगती हैं, विशेषरूप से सैक्सुअल फीलिंग, तो आप दुविधा में पड़ जाते हैं, क्योंकि आप उतने सैक्सुअल पर्सन नहीं हैं. आप नहीं जानते कि इन फीलिंग्स पर क्या प्रतिक्रिया दें या उस व्यक्ति से कैसे शारीरिक कनैक्शन बनाएं. एक बार आप घबराहट और दुविधा की स्थिति से बाहर निकल गए, तो आप अपने पार्टनर से ही सैक्स करना चाहेंगे और किसी से भी नहीं. किसी से सैक्सुअली खुलने के लिए उसे बताएं कि आप उसे कितना प्यार करते हैं, क्योंकि आप बहुत भावुक हैं और फिर सैक्स आप दोनों के लिए बहुत कंफर्टेबल हो जाएगा.

3. लोगों का आप के प्रति नजरिया

क्योंकि आप सैक्स को ले कर ज्यादा नहीं सोचते, लोग सोच सकते हैं कि आप विवाह होने का इंतजार कर रहे हैं. वे आप को घमंडी और पुराने विचारों का समझ सकते हैं पर इस से आप विचलित न हों. जैसे हैं वैसे ही रहें. आप किसी स्विच को औनऔफ करने की तरह किसी से भी सैक्स नहीं कर सकते. लोगों को अपने मनोभावों पर स्पष्टीकरण देने की चिंता में पड़ें ही नहीं. आप को अपने आसपास हाइली सैक्सुअल लोगों से कोई समस्या भी नहीं होती है. बस आप स्वयं इस स्थिति से खुद को दूर रखते हैं, क्योंकि आप वैसे नहीं हैं. आप सही इंसान का इंतजार कर रहे हैं और अपना जीवन उस के साथ ही सैक्स कर के बिताना चाहते हैं. इस में कुछ भी गलत नहीं है.

डैमीसैक्सुअल होने का मतलब यह नहीं है कि आप को सैक्स पसंद नहीं है. आप को सैक्स पसंद है, सब को सैक्स पसंद होता है पर आप उसी के साथ सैक्स करना चाहते हैं जिस से आप का भावनात्मक जुड़ाव हो. जब सही इंसान आप को मिलता है, आप सैक्सुअली उस से जुड़ जाते हैं. बातचीत और बौंडिंग दोनों आप के लिए ज्यादा महत्त्व रखते हैं.

आप डैमीसैक्सुअल हैं तो आप को यह नहीं सोचना है कि यह कुछ गलत है. आप भावुक हैं, मन के मिले बिना तन से न जुड़ पाएं, तो इस में बुरा क्या है और मन मिलने पर तो आप खुल कर जीते ही हैं. यह बहुत अच्छा है. तो अपनी पसंद का व्यक्ति मिलने पर जीवन का आनंद उठाएं, प्रसन्न रहें.

युवाओं के लिए बेहद जरूरी है सेक्स एजुकेशन

आज जिस तेजी से युवाओं की सोच बदल रही है, उन में जो खुलापन आया है वह मानसिक विकास के लिए तो जरूरी है, लेकिन खुलापन शारीरिक स्तर तक बढ़ जाए, यह गलत है. गलत इसलिए है क्योंकि हर कार्य को करने का समय होता है. किसी काम को समय से पहले ही अंजाम दिया जाए, तो उस का परिणाम भी गलत ही होता है. आज युवाओं में सेक्स के प्रति बढ़ती रुचि का ही नतीजा है कि युवतियां प्रैग्नैंट हो जाती हैं और अपनी जान तक गंवा देती हैं.

किशोरों के शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ विकास के लिए सब से जरूरी है, उन्हें सेक्स से संबंधित हर तरह की जानकारी से अवगत कराया जाए. खासकर पेरैंट्स को अपने जवान होते बच्चों को सेक्स से संबंधित जानकारी देने में जरा भी संकोच नहीं करना चाहिए, लेकिन अपने देश में बहुत कम ऐसे पेरैंट्स होते होंगे, जो अपने बच्चों को इस बारे में जागरूक और सचेत करने की पहल करते हों. यही कारण है कि हमारे देश में अधिकतर बच्चे सेक्स ऐजुकेशन से संबंधित जानकारी दोस्तों, किताबों, पत्रिकाओं, पौर्नोग्राफिक वैबसाइट्स और अन्य कई साधनों के जरिए चोरीछिपे हासिल करते हैं. उन्हें यह नहीं मालूम कि सेक्स से संबंधित ऐसी अधकचरी जानकारी मिलने से नुकसान भी होता है.

दरअसल, किशोर या युवा इन स्रोतों के जरिए सेक्स के प्रति अपने मन में गलत धारणाएं विकसित कर लेते हैं. उन्हें लगता है कि सेक्स मात्र ऐंजौय करने की चीज है, जिस से उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा.

एशिया के तमाम देशों जैसे भारत में सेक्स ऐजुकेशन को पाठ्यक्रम में शामिल करने के सफल प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह आज भी एक बहस का मुद्दा बना हुआ है. यदि ऐसा संभव हुआ तो सेक्स ऐजुकेशन के जरिए बच्चों को इस की पूरी जानकारी दी जा सकेगी, जिस से किशोरों का विकास सही रूप में हो सकेगा.

1. सेक्स ऐजुकेशन क्यों जरूरी

सेक्स के प्रति युवाओं की अधूरी जानकारी न केवल सेक्स के प्रति धारणाओं को बदल रही है बल्कि इन पर शारीरिक और मानसिक रूप से नकारात्मक असर को भी उन्हें झेलना पड़ता है.

साइकोलौजिस्ट अरुणा ब्रूटा कहती हैं, ‘‘सेक्स ऐजुकेशन किशोरों को सब से पहले घर से ही मिलनी चाहिए, लेकिन पेरैंट्स आज भी इस विषय पर बात करना पसंद नहीं करते. उन्हें इस बारे में बात करने पर शर्म महसूस होती है, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि युवाओं को सेक्स की पूरी जानकारी न होने से उन का भविष्य खराब भी हो सकता है.

‘‘आज बच्चे लैपटौप, टैलीफोन, कंप्यूटर आदि पर निर्भर हो गए हैं और इस का कहीं न कहीं वे गलत इस्तेमाल भी कर रहे हैं. मुझे याद है कि एक बार मेरे पास एक 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले लड़के का केस आया था. वह लड़का प्रौस्टीट्यूट एरिया में पकड़ा गया था.

‘‘जब मैं ने उस से पूछताछ की कि तुम वहां कैसे पहुंचे, तो उस का कहना था कि वह 11वीं क्लास के एक छात्र के कहने पर वहां चला गया था. उस बच्चे का कहना था कि वह औरत का शरीर देखना चाहता था. इस तरह की जिज्ञासा किशोर में तभी संभव है, जब वह दोस्तों की गलत संगत में रह कर चोरीछिपे उन की बातें सुनता है.

‘‘यदि किशोर ऐसा करता है, तो युवा होतेहोते सेक्स के प्रति उस का ऐटीट्यूड वल्गर होता चला जाएगा. हालांकि सेक्स कोई वल्गर चीज नहीं है. यह एक नैचुरल प्रोसैस है, जो स्त्रीपुरुष के जीवन का एक अहम हिस्सा है.

‘‘यह सिर्फ मीडिया का ही नतीजा है कि बच्चे सेक्स को गलत रूप में लेते हैं. ऐसे में पेरैंट्स को चाहिए कि वे युवा होते बच्चों को सही और पूरी जानकारी दें. किशोरों को भी ऐसी वर्कशौप अटैंड करनी चाहिए, जिस में 10-15 किशोरों का समूह हो और जहां खुल कर सेक्स से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होती हो. इस से बच्चे भी शांत माहौल में सब कुछ समझ सकेंगे.’’

‘‘किशोरावस्था के दौरान खासकर यौनांगों का विकास होता है और साथ ही शरीर में हारमोनल बदलाव भी होते हैं, जो किशोरों को यह जानने के लिए उत्तेजित करते हैं कि वे इन बदलावों को ऐक्सप्लोर कर सकें. जो उन्होंने मीडिया के जरिए ऐक्सपीरियंस किया है, उसे वे सही में ट्राई कर बैठते हैं. ऐसे किशोरों के बीच ‘सैक्सुअल ऐरेना’ हौट टौपिक होता है. सही जानकारी न होने से इस से किशोरों को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचता है.’’

2. पेरैंट्स की भूमिका

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सेक्स ऐजुकेशन उन सभी बच्चों को देनी चाहिए, जो 12 वर्ष और इस से ऊपर के हैं. खासकर जिस तरह से देश में टीनएज प्रैग्नैंसी और एचआईवी के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में यह काफी गंभीर विषय बनता जा रहा है.

लगातार स्कूलों या आसपास के इलाकों में बलात्कार, यौन शोषण, स्कूली छात्रछात्राओं को डराधमका कर उन के साथ जबरदस्ती करना, उन्हें अश्लील वीडियो, पिक्चर्स देखने पर मजबूर किया जाता है. इसलिए पेरैंट्स की भूमिका काफी बढ़ जाती है कि वे अपनी युवा होती बेटी को उस के शरीर के बदलावों के बारे में समय रहते ही जानकारी दें ताकि वह खुद को सुरक्षित रख सके, अच्छेबुरे लोगों की पहचान कर सके, सेक्स और प्यार में फर्क समझ सके.

यह बताना भी जरूरी है कि सेक्स जैसे विषय पर शर्म नहीं बल्कि खुल कर बात करें. इस तरह की शर्म और भय को अपने मन से निकाल दें कि कहीं आप का युवा होता बच्चा असमय ही इस ज्ञान का अनुचित लाभ न उठा ले.

ऐसी स्थिति को पैदा ही न होने दें कि जब उस की शादी हो तो उसे अपने हसबैंड के पास जाने में घबराहट हो. मां की सही भूमिका निभाते हुए आप बेटेबेटियों को शरीर से संबंधित ज्ञान, विकास, काम से संबंधित थोड़ीबहुत जानकारी, प्रैग्नैंसी, कौंट्रासैप्टिव पिल्स, ऐबौर्शन आदि के नकारात्मक असर के बारे में जरूर बता दें. इस से वे जिंदगी में कई तरह की परेशानियों से बच सकते हैं. वह अपनी शारीरिक सुरक्षा और जीवन के सभी सुखों को प्राप्त कर सकते हैं.

3. स्कूलों में शामिल हो सेक्स ऐजुकेशन

कई अध्ययनों से पता चला है कि प्रभावकारी ढंग से जब किशोरों को सेक्स ऐजुकेशन के बारे में जानकारी दी गई, तो उन्होंने सही उम्र में ही सेक्स का आनंद लेना ठीक समझा. हालांकि देश में आज भी स्कूलों में सेक्स ऐजुकेशन को पाठ्यक्रम के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है. आज भी हमारी शिक्षा प्रणाली स्कूलों में सेक्स ऐजुकेशन से संबंधित वर्कशौप और प्रोग्राम्स आयोजित करने में असहमति दिखाती है. इस की मुख्य वजह पेरैंट्स, समाज के कुछ रूढि़वादी तत्त्वों और स्कूल के शिक्षकों का मानना है कि सेक्स ऐजुकेशन से किशोर लड़केलड़कियां और भी ज्यादा आजाद खयालों के हो जाएंगे, जिस से वे सैक्सुअल इंटरकोर्स में ज्यादा फ्री हो कर लिप्त होंगे.

4. सेक्स ऐजुकेशन का फायदा

द्य इस से टीनएज प्रैग्नैंसी में बहुत हद तक कमी आएगी. युवतियां हैल्थ, शिक्षा, भविष्य यहां तक कि गर्भ में पलने वाले भू्रण पर होने वाले अप्रत्यक्ष परिणामों से भी बच सकती हैं. उन में सेक्स के प्रति जागरूकता आएगी.

समय पर सेक्स ऐजुकेशन की जानकारी होने से आगे चल कर बहुत हद तक तनाव से बचा जा सकता है.

यहां तक कि यदि कोई किशोर सैक्सुअल इंटरकोर्स में शामिल होता है, तो भी कौंट्रासैप्टिव मैथड्स जैसे कंडोम का इस्तेमाल, कौंट्रासैप्टिव पिल्स की जानकारी होने पर सैक्सुअल ट्रांसमिटेड डिसीज और टीनएज प्रैग्नैंसी से बचा जा सकता है.

सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज जैसे गौनोरिया, पैल्विक इंफ्लैमैटरी डिसीज और सिफिलिस से बचाव होता है.

युवाओं और किशोरों में सेक्स ऐजुकेशन की जानकारी इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि उन्हें गर्भनिरोधक और मौर्निंग पिल्स, कंडोम और ऐबौर्शन के बारे में जानकारी मिल सकती है.

सैक्स के दौरान हो सकता है हार्टअटैक, पढ़ें खबर

Sex Tips: सेक्स के कारण दिल का धड़कना बंद हो जाए, यह दुर्लभ होता है. यूएसए टुडे की संवाददाता किम पेंटर का कहना है कि एक बड़ी शोध के अनुसार यह तथ्य सामने आया है कि सेक्स के दौरान या इसके बाद आमतौर पर हृदय गति रुकना बहुत कम अवसरों पर होता है और अगर ऐसा होता भी है तो यह आम तौर पर एक पुरुष के साथ ज्यादा होता है.

1 हजार महिलाओं में से किसी एक को तकलीफ…

शोध में बताया गया है कि एकाएक दिल की धड़कन रुकने के एक सौ मामलों में मात्र एक मामला सेक्स से जुड़ा होता है और एक हजार महिलाओं में से किसी एक को यह तकलीफ होती है. यह अध्ययन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की वैज्ञानिक बैठक के दौरान पेश किया गया था. इस अध्ययन को जर्नल औफ द अमेरिकन कौलेज औफ कार्डियोलाजी में प्रकाशित किया गया है.

सेक्स से संबंधित खतरा बहुत कम…

सीडार्स-सिनाई हार्ट इंस्टीट्यूट, लॉस एंजिलिस के एक कार्डियोलाजिस्ट और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक सुमित चुघ का कहना है कि हृदय रोग से पीड़ित लोग इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि सेक्स खतरनाक हो सकता है, लेकिन आज हम कह सकते हैं कि इससे संबंधित खतरा बहुत कम है.

इन लोगों को ज्यादा खतरा…

एकाएक हृदयगति रुक जाने का कारण एक इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी है जिसके चलते दिल धड़कना बंद हो जाता है. इसके ज्यादातर शिकार मारे जाते हैं लेकिन यह हृदयाघात से अलग स्थिति है क्योंकि इसके अंतर्गत हृदय को रक्त प्रवाह का बहाव रुक जाता है. लेकिन जिन लोगों को पहले भी हृदयाघात हो चुका है या फिर उनको हृदय संबंधी तकलीफें होती हैं, उनको हृदय गति रुकने का खतरा ज्यादा होता है.

क्या आप भी करते हैं मन मार कर सैक्स?

आप दिन भर के थके हुए घर लौटे हैं और आप के मन में सैक्स का खयाल दूरदूर तक नहीं हैं. लेकिन जैसे ही आप बिस्तर पर लेटते हैं, यह साफ हो जाता है कि आप के साथी के मन में आज सैक्स के अलावा कुछ भी नहीं है. उस को मना करने के बजाय आप अनमने मन से उस के साथ सैक्स कर लेते हैं. शायद आप यह उस की खुशी के लिए करते हैं या शायद इसलिए क्योंकि आप को पता है कि मना करने से उस का मूड खराब हो जाएगा.

अपना मन मारना

मन ना होने पर भी सैक्स करने को शोधकर्ताओं ने ‘अनुवर्ती सैक्स’ का नाम दिया है. अध्ययन से पता चला है कि पुरुषों की तुलना में ऐसा महिलाएं ज्यादा करती हैं. अनुवर्ती सैक्स और जबरदस्ती करे जाने वाले सैक्स में फर्क है. इस में आप इसलिए यौन संबंध नहीं बनाते क्योंकि आप का साथी आप के साथ जोरजबरदस्ती करता है, बल्कि यहां तो आप के साथी को यह पता ही नहीं चलता कि आप सैक्स नहीं करना चाहते और केवल उस का मन रखने के लिए कर रहे हैं, चाहे अपना मन मार कर ही सही.

तो ऐसा महिलाएं क्यों करती हैं? यह जानने के लिए अमेरिकी शोधकर्ताओं के एक समूह ने विश्विद्यालय में पढ़ने वाली 250 लड़कियों से संपर्क किया. उन्हें औनलाइन एक सर्वे भरने को कहा गया जिस में उन्हें अपने उस समय के अनुभव के बारे में बताना था जब उन्होंने अपना मन मार कर सैक्स किया. यहां सैक्स का मतलब था प्रवेशित सैक्स, गुदा और मुख मैथुन. शोधकर्ता यह भी जानना चाहते थे कि सैक्स करते हुए उन का व्यक्तित्व कैसा रहता है और अपने रिश्ते में वो अपने साथी से किस तरह से पेश आती हैं.

परिणाम आने के बाद शोधकर्ताओं को पता चल चुका था कि लगभग आधी महिलाओं ने कभी ना कभी मन मार कर सैक्स किया है. 30 प्रतिशत महिलाएं ऐसी थी जिन्होंने यह अपने वर्तमान साथी के साथ किया था या फिर उस साथी के साथ जिस के साथ उन का रिश्ता सब से लंबा चला था.

60 प्रतिशत महिलाओं का कहना था कि उन्होंने यह किया तो है लेकिन उन का मानना था कि ऐसा बहुत कम होता है. लेकिन 4 में से एक महिला ऐसी भी थी जिन्होंने लगभग 75 प्रतिशत से ज्यादा बार अपना मन मार कर सैक्स किया था.

तो यह लोग ऐसा क्यों कर रहे थे? इसका एक कारण तो यह था कि उन की नजर में ऐसा करने से उन का रिश्ता बेहतर और मजबूत होगा. एक महिला अपने साथी के साथ केवल इसलिए सैक्स के लिए तैयार हो जाती है क्योंकि उसे पता है कि उसे लगे ना लगे उस के साथी को यह अच्छा लगेगा. एक और कारण जो इतना सामान्य नहीं है, वो यह है कि महिलाओं को लगता है कि सैक्स करने से उन का रिश्ता चलता रहेगा – उन्हें यह डर रहता है कि कहीं उन के मना करने से उन का साथी उन्हें छोड़ कर ना चला जाए.

सैक्स को ले कर बातचीत

अध्ययन से यह भी पता चला कि जो महिलाएं अपने साथी को अपनी कामुक पसंद और नापसंद के बारे में बता कर रखती थी, उन के ‘अनुवर्ती सैक्स’ करने की संभावना कम थी क्योंकि जब उन का सैक्स करने का मूड नहीं होता था तब भी वो मन मारने के बजाय, वो बात अपने साथी को बता देती थीं.

अगर यह सब आप को जाना पहचाना लग रहा है तो शायद आप को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कैसे आप अपनी यौन इच्छाओं को अपने साथी को बता सकें और उस बारे में भी, जब आप सैक्स नहीं करना चाहते हों. इस से आप को बेहद फायदा होगा.

पुरुष भी इस का खयाल रख सकते हैं. अगली बार सैक्स करते हुए ध्यान दें कि क्या आप का साथी पूर्ण रूप से कामोत्तेजक है और क्या उसे सच में मजा आ रहा या फिर वो केवल आप का मन रखने के लिए यौन क्रिया में लिप्त हो रही है. यह जानने का सब से आसान तरीका जानते हैं क्या है? सीधा ही उस से पूछ न लो मेरे भाई. शानदार सैक्स की ओर यह आप का पहला कदम होगा.

कंडोम एक खूबियां अनेक

यह जान कर हैरानी होती है कि अब लोग कंडोम का इस्तेमाल हमबिस्तरी का ज्यादा से ज्यादा मजा उठाने और ओरल सैक्स के अलावा देर तक टिके रहने के लिए भी कर सकते हैं. कैसे हैं ये नए कंडोम? इस के पहले यह जान लेना जरूरी है कि कंडोम के इस्तेमाल में क्याक्या सावधानियां बरतनी चाहिए.

आमतौर पर पहली बार सैक्स करने वाले लोग कंडोम का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं, इसलिए उन्हें इन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए:

* कंडोम हमेशा नामी कंपनी का ही इस्तेमाल करना चाहिए और इस्तेमाल करने से पहले इस की ऐक्सपायरी डेट यानी इस्तेमाल करने की तारीख देख लेनी चाहिए जो इस के पैकेट पर लिखी रहती है.

* कंडोम के पैकेट को दांतों या धारदार चीज से नहीं खोलना चाहिए. ऐसा करने से इस के फट जाने का खतरा बना रहता है.

* कंडोम तभी खोलना चाहिए जब अंग पूरी तरह जोश में आ जाए. शुरू में ही कंडोम खोल लेने से भी इस के फटने का डर बना रहता है.

* कंडोम पहनते वक्त उस में हवा नहीं जानी चाहिए. ऐसी हालत में भी उस के फटने का डर बना रहता है.

* अगर गलती से या जल्दबाजी से कंडोम उलटा पहन लें तो उसे फिर सीधा कर के दोबारा पहनने की भूल न करें. इस से औरत के पेट से ठहरने का डर बना रहता है, क्योंकि कंडोम पर शुक्राणु लग सकते हैं.

* कंडोम पहनने के लिए थूक, चिकनाई या दूसरी किसी चीज मसलन तेल या वैसलीन वगैरह का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

* कंडोम को कभी पर्स में नहीं रखना चाहिए और इसे धूप से बचा कर रखना चाहिए.

* कंडोम के इस्तेमाल से पहले यह तसल्ली कर लेनी चाहिए कि कहीं वह कटाफटा तो नहीं है.

* कंडोम अपने अंग के साइज के मुताबिक ही खरीदें. बाजार में हर साइज के कंडोम मिलते हैं.

* कंडोम को अंग पर चढ़ाने के बाद इस की नोक पर जगह नहीं छोड़नी चाहिए. इस से भी उस के फटने का डर बना रहता है.

* एक कंडोम को एक बार ही इस्तेमाल करें.

* इस्तेमाल करने के बाद कंडोम को पहने नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे तुरंत उतार कर ठिकाने लगा देना चाहिए.

* कंडोम के हर पैकेट पर उस के इस्तेमाल करने का तरीका लिखा रहता है. उसे ध्यान से पढ़ लेना चाहिए.

ये तो हुईं कंडोम के इस्तेमाल से ताल्लुक रखती सावधानियां, लेकिन अब कंडोम की उन खूबियों के बारे में भी जानें जो सैक्स और रोमांस को और भी खास बनाती हैं.

1. ओरल सैक्स के लिए

आजकल के नौजवानों में ओरल सैक्स यानी मुख मैथुन का चलन तेजी से बढ़ रहा है जो कतई हर्ज या नुकसान की बात नहीं. लेकिन इस में साफसफाई का ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी है ताकि किसी तरह का इंफैक्शन न हो.

ओरल सैक्स के इस नुकसान से बचने का खुशबूदार कंडोम एक बेहतर उपाय है. केला, आम, वनिला, स्ट्राबेरी और चौकलेट फ्लेवर के कंडोम बाजार में मौजूद हैं जो ओरल सैक्स के लिए मुफीद और सुरक्षित हैं.

अपनी पार्टनर की पसंद के मुताबिक फ्लेवर्ड कंडोम खरीद कर ओरल सैक्स का मजा लिया जा सकता है.

2. टिके रहने के लिए

देर तक हमबिस्तरी का मजा उठाने के लिए ऐक्स्ट्रा प्लेजर कंडोम बनाया गया है, जो खासतौर से उन लोगों के लिए है जो जल्द ही डिस्चार्ज हो जाते हैं.

ऐक्स्ट्रा प्लेजर कंडोम में बैंजोकिना नाम का पदार्थ होता है जो लंबे वक्त तक टिकाए रखने में मदद करता है.

3. डौटेड कंडोम का मजा

ये कंडोम हमबिस्तरी के दौरान आप की पार्टनर में ज्यादा जोश पैदा कर उसे मजा भी ज्यादा देते हैं. इन पर बने डौट्स के निशान से औरतों का मजा दोगुना बढ़ जाता है, लेकिन अगर उन के प्राइवेट पार्ट की चमड़ी नाजुक है तो इस के इस्तेमाल में सब्र रखना चाहिए.

4. धारीदार कंडोम भी

ये कंडोम भी डौटेड कंडोम की तरह ही होते हैं, फर्क बस इतना है कि इन में डौट्स की जगह धारियां होती हैं, जो आप की पार्टनर को एक अलग तरह के सुख का एहसास कराती हैं. इस के इस्तेमाल से भी आप ज्यादा देर तक सैक्स का लुत्फ उठा सकते हैं.

5. ज्यादा जोश के लिए

सब से बेहतर है अल्ट्रा थिन कंडोम, जो दूसरे कंडोम के मुकाबले पतले रबड़ का बना होता है. इस से आप देर तक सैक्स का मजा ले सकते हैं.

इस कंडोम के इस्तेमाल से पार्टनर में जोश भी ज्यादा पैदा होता है और उसे सैक्स का भरपूर मजा भी मिलता है. चूंकि यह पतले रबड़ का बना होता है, इसलिए इस के फटने का भी डर बना रहता है.

6. हर बार करें इस्तेमाल

अब हर तरह के कंडोम बाजार में मौजूद हैं तो इन को इस्तेमाल करने से हिचकना नहीं चाहिए. इस बाबत जरूरी है कि कंडोम हमेशा अपने पास रखा जाए. लड़कियां भी अपनी सुरक्षा और बाद की परेशानियों से बचने के लिए इन्हें खरीद कर अपने पास रख सकती हैं.

सुखदायक सेक्स लाइफ चाहते हैं तो इन चीजों को कहें अलविदा

डा. कुंदरा के मुताबिक, सेक्स सफल दांपत्य जीवन का महत्त्वपूर्ण आधार है. इस की कमी पतिपत्नी के रिश्ते को प्रभावित करती है. पतिपत्नी की एकदूसरे के प्रति चाहत, लगाव, आकर्षण खत्म होने के कई कारण होते हैं जैसे शारीरिक, मानसिक, लाइफस्टाइल. ये सेक्स ड्राइव को कमजोर बनाते हैं.

  • तनाव: औफिस, घर का वर्कलोड, आर्थिक समस्या, असमय खानपान आदि का सीधा असर तनाव के रूप में नजर आता है, जो हैल्थ के साथसाथ सेक्स लाइफ को भी प्रभावित करता है.
  • डिप्रैशन: यह सेक्स का सब से बड़ा दुश्मन है. यह पतिपत्नी के संबंधों को प्रभावित करने के साथसाथ परिवार में कलह को भी जन्म देता है. डिप्रैशन के कारण वैसे ही सेक्स की इच्छा में कमी आ जाती है. ऊपर से डिप्रैशन की दवा का सेवन भी कामेच्छा को खत्म करने लगता है.
  • नींद पूरी न होना: 4-5 घंटे की नींद से हम फ्रैश फील नहीं कर पाते, जिस से धीरेधीरे हमारा स्टैमिना कम होने लगता है. इतना ही नहीं सेक्स में भी हमारा इंट्रैस्ट नहीं रहता है.
  • गलत खानपान: वक्तबेवक्त खाना और जंक फूड व प्रोसैस्ड फूड का सेवन भी सेक्स ड्राइव को खत्म करता है.
  • टेस्टोस्टेरौन की कमी: शरीर में मौजूद यह हारमोन हमारी सेक्स इच्छा को कंट्रोल करता है. इस की कमी से पतिपत्नी दोनों ही प्रभावित होते हैं.
  • बर्थ कंट्रोल पिल्स: बर्थ पिल्स महिलाओं में टेस्टोस्टेरौन लैवल को कम करती हैं, जिस से महिलाओं में सेक्स संबंधों को ले कर विरक्ति हो जाती है. पतिपत्नी का दांपत्य जीवन तभी सफल होता है, जब सेक्स में दोनों एकदूसरे को सहयोग करें. सेक्स एक दोस्त की तरह भी जीवन में रंग भर देता है. शादीशुदा जिंदगी से प्यार की कशिश और इश्क का रोमांच खत्म होने लगा है तो सावधान हो जाएं.
  • यदि आप की सेक्स लाइफ अच्छी है तो इस का सकारात्मक प्रभाव आप की सेहत पर भी पड़ता है.
  • जानिए, सेक्स के सेहत से जुड़े कुछ फायदे:
  • शारीरिक तथा मानसिक पीड़ा में राहत दिलाता है: सेक्स के समय शरीर में हारमोन पैदा होते हैं, जो दर्द की अनुभूति कम करते हैं. भले ही कुछ समय के लिए.
    10.सर्दीजुकाम के असर को कम करता है: सेक्स गरमी, सर्दीजुकाम के प्रभाव को काफी हद तक कम कर देता है. अमेरिका स्थित ओहियो यूनिवर्सिटी के अध्ययन बताते हैं कि चुंबन एवं प्यारदुलार करने से रक्त में बीमारियों से लड़ने वाले टी सैल्स की तादाद बढ़ जाती है.
  • मानसिक तनाव को कम करता है: सेक्स मन को शांति देने के साथसाथ मूड को भी बढि़या बनाने वाले हारमोन ऐंडोर्फिंस के उत्पादन में वृद्धि करता है. इस के मानसिक तनाव कम हो जाता है.
  • मासिकधर्म के पूर्व की कमी को कम करता है: सेक्स में लगातार गरमी के चलते ऐस्ट्रोजन स्तर काफी हद तक कम होता है. इस दौरान शरीर में थकान कम महसूस होती है.
  • दिल के रोग और दौरों की आशंका कम होती है: अकसर दिल के मरीजों को सेक्स संबंध बनाने से दूर रहने की सलाह दी जाती है. मगर अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ,  डा. के.के. सक्सेना के अनुसार, पत्नी के साथ सेक्स संबंध बनाने से पूरे शरीर का समुचित व्यायाम होता है, जिस से दिमाग तनावरहित हो जाता है. दिल के दौरों की आशंका कम हो जाती है. सेक्स संबंध बनाने से धमनियों में रक्त का प्रवाह और हृदय की मांसपेशियों की क्षमता बढ़ती है.

नाजायज संबंध : औनलाइन ज्यादा महफूज

ग्ली डेन एक डेटिंग एप है, जिस का इस्तेमाल देशभर के तकरीबन 20 लाख मर्दऔरतें कर रहे हैं. इस एप की पहुंच और पूछपरख बड़े शहरों से होते हुए अब छोटे शहरों और कसबों तक में होने लगी है. हालांकि अभी यह तादाद बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन बहुत जल्द हो जाएगी, क्योंकि कोई भी नई चीज, प्रोडक्ट, सर्विस या टैक्नोलौजी छोटी जगहों पर देर से पहुंचती है, लेकिन इस में नई या दिलचस्प बात क्या है?

इस सवाल का जवाब बेहद साफ है कि लोग जायज सैक्स के बाद नाजायज रिश्तों के लिए भी एप का सहारा लेने लगे हैं, जबकि आमतौर पर माना यह जाता है कि सैक्स संबंध, फिर वे जायज हों या नाजायज, जानपहचान वालों से ही बनते हैं.

ग्लीडेन एप के अलावा टिंडर, बंबल, ट्रूलीमैडली और लड़कियों द्वारा सब से ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाले डेटिंग एप बू के यूजर्स की कुल तादाद तो करोड़ों में है. इन एप के जरीए यूजर्स दोस्ती कर न केवल रोमांटिक और सैक्सी बातें करते हैं, बल्कि हमबिस्तरी करने के लिए भी पार्टनर ढूंढ़ते हैं.

ग्लीडेन ने हाल में ही जो आंकड़े जारी किए हैं, वे दिलचस्प भी हैं और चिंताजनक भी हैं. एक सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि देश की तकरीबन

77 फीसदी औरतें पति के अलावा भी गैरमर्दों से जिस्मानी ताल्लुक बनाती हैं और इस के लिए एप का सहारा लेती हैं.

मुमकिन है कि ये आंकड़े एक हद तक सच हों, क्योंकि औफलाइन भी अखबारों में ऐसी खबरों की भरमार रहती है, जिन में पत्नी ने प्रेमी के संग मिल कर पति की हत्या कर दी या पति ने पत्नी को बेरहमी से मार डाला और इस काम में माशूका ने उस का साथ दिया. ऐसी वारदात की बड़ी वजह नाजायज संबंधों से परदा उठ जाना या पार्टनर को सैक्स करते रंगेहाथ पकड़ लेना ज्यादा रहती है.

सवाल प्राइवेसी और सेफ्टी का डेटिंग एप इस लिहाज से बेहतर होते हैं कि इन में अपराधों की गुंजाइश कम रहती है, क्योंकि नाजायज संबंध ऐसे मर्द या औरत से बनना रहता है, जिस से कोई पहले से जानपहचान नहीं होती और दोनों का खास लेनादेना नहीं होता.

इस के अलावा ये रिश्ते हर समय नहीं बनते. सौदा मरजी का होता है, जिस में फारिग होते ही औरत व मर्द अपनेअपने रास्ते हो लेते हैं. बाद में या दोबारा सैक्स संबंध बनाना कोई मजबूरी और दबाव की बात नहीं होती, इसलिए पहचाने जाने और बदनामी का डर या खतरा नहीं होता.

औनलाइन हों या औफलाइन, नाजायज संबंध सदियों से बनते रहे हैं और ये कभी खत्म होंगे, इस की कोई गारंटी नहीं. इस सच को हजम करना आसान बात कभी नहीं रही, इसलिए आएदिन झगड़ेफसाद भी होते रहते हैं, जिन पर यह थ्योरी लागू होती है कि पकड़े गए तो बंटाधार, नहीं तो एक जुर्म का होना तय बात है.

कोई पति या पत्नी यह बरदाश्त नहीं कर पाते कि उस का जीवनसाथी बेवफाई करे, क्योंकि इस से उन की गैरत को धक्का लगता है और भरोसा भी टूटता है. साथ ही टूटता है घर और उजड़ती है जमीजमाई गृहस्थी, जिस से एक बड़ा नुकसान बच्चे अगर हों तो उन का होता है, क्योंकि मां या बाप में से कोई एक जेल और दूसरा हमेशा के लिए ऊपर जा चुका होता है.

ऐसा ही गाजियाबाद के फजलगढ़ गांव के बाशिंदे दिनेश कुमार के साथ हुआ था, जिस ने बीती 24 जनवरी को अपनी पत्नी अंजू की हत्या कर उस की लाश खेत में गाड़ दी थी और 30 जनवरी को पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई थी.

लेकिन ठेले पर सब्जी बेच कर गुजारा करने वाला दिनेश कानून के हाथों से बच नहीं सका और 3 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया गया. अब उस के दोनों बच्चे इधरउधर भटक रहे हैं. दिनेश को शक था कि अंजू के कहीं और नाजायज संबंध हैं.

मध्य प्रदेश के धार जिले के ढोलाना गांव में 13 जनवरी, 2023 को राधेश्याम पाटीदार की हत्या उस की ही पत्नी ने अपने प्रेमी मनसुख के साथ मिल कर कर दी थी.

राधेश्याम और मनसुख रिश्तेदार थे, जिस के संबंध राधेश्याम की बीवी से हो गए थे.

छोटी जगहों में ऐसे ताल्लुक ज्यादा छिपे नहीं रहते. लिहाजा, आसपास के तक में गांवों जल्दी ही यह बात फैल गई. राधेश्याम की भोंहें तिरछी होने लगीं, तो इन दोनों ने उसे रास्ते से हटाने के लिए जुर्म कर डाला.

नाजायज संबंधों की कुछ आम वजहें जगजाहिर हैं. मसलन, मियांबीवी में पटरी न बैठना, सैक्स में असंतुष्टि, पैसों की कमी, घर में कलह, जज्बाती लगाव न होना और मियांबीवी का एकदूसरे का ध्यान न रखना.

कई बार महज मौजमस्ती की

गरज से भी ऐसे संबंध बन जाते हैं, लेकिन वजह कोई भी हो, छोटी जगहों में ऐसा होना मुमकिन नहीं होता कि एकाध बार के बाद मुंह मोड़ा जा सके, क्योंकि मनमाफिक सैक्स की लत अकसर औरत और मर्द दोनों को लग जाती है.

चूंकि दोनों का अकसर ही आमनासामना होता रहता है, इसलिए दोनों की सैक्स की तलब फिर सिर उठाने लगती है और वे न चाहते हुए फिसल ही जाते हैं.

नाजायज संबंधों में अपराध और उस में भी हत्या की 90 फीसदी खबरें गांवदेहात या कसबों से ही आती हैं, क्योंकि वहां ये संबंध औफलाइन बनते हैं. खेत, जंगल या सुनसान इलाके इस

के लिए मुफीद होते हैं, लेकिन यह सिलसिला लंबा नहीं चल पाता, भले ही वहां सीसीटीवी न होते हों, लेकिन कोई न कोई, कभी न कभी देख ही लेता है और फिर दबी आवाज में इन की चर्चा चटकारे लेले कर होती है और एक दिन राज खुल ही जाता है.

उलट इस के बड़े शहरों में सहूलियत रहती है. औरत और मर्द हमबिस्तरी के लिए होटल या रिसोर्ट में ज्यादा जाते हैं, जहां बंद कमरे में अपनीअपनी प्यास बुझा कर दोनों अपनेअपने रास्ते हो लेते हैं. नजदीकी या दूर के रिश्ते का कोई फूफा, जीजा, मौसा या मामा वहां नहीं होता, जो हल्ला मचाए. लिहाजा, सारा प्रोग्राम बड़े सुकून और शांति से पूरा हो जाता है.

डेटिंग एप इसीलिए ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं, क्योंकि ये मर्द और औरत दोनों के लिए हिफाजत की गारंटी होते हैं कि बाद में कोई फसाद खड़ा नहीं होगा. संबंध बनाने वालों को इस बात की भी बेफिक्री रहती है कि न तो इस से उन का घर टूटना और न पार्टनर को इस की हवा लगना. हां, खर्च जरूर इस में ज्यादा होता है, लेकिन वह तमाम दुश्वारियों से बचाता भी है, इसलिए कोई इस की परवाह नहीं करता. फिर भी बचें

पकड़े नहीं जाएंगे या अभी तक पकड़े नहीं गए, तो इस का यह मतलब नहीं है कि नाजायज संबंध कोई अच्छी बात है और इन्हें धड़ल्ले से बनाया जाए. यह बहुत बड़ा गुनाह न सही, पर गलती जरूर है. आज नहीं तो कल इस का असर शादीशुदा जिंदगी और गृहस्थी पर पड़ सकता है.

दूसरे, आजकल टैक्नोलौजी के चलते फोटो खींच लेना या वीडियो बना लेना भी आम बात हो गई है, इसलिए ब्लैकमेलिंग का खतरा बना ही रहता है. लोग कितने ही सावधान हो जाएं, सैक्स संबंध बनाते समय लापरवाह हो ही जाते हैं.

अगर पतिपत्नी को एकदूसरे से कोई शिकायत है, तो उन्हें बिना झिझक बताना चाहिए, जिस से वक्त रहते उस का हल निकल सके. मर्दों की नामर्दी और औरत का सैक्स में ठंडापन अब बहुत बड़ी समस्याएं या हौआ नहीं रह गई हैं.

पति और पत्नी एकदूसरे का सहयोग करें, तो इन का इलाज अब मुमकिन है, इसलिए किसी दूसरे से रिश्ता बनाने से पहले एक बार संजीदगी से इस बात पर गौर करना चाहिए कि क्या इस के अलावा अब और कोई रास्ता नहीं.

अगर एक बार कोई रास्ता नजर आ जाएगा, तो न खेतखलिहान में चोरीछिपे जाने की जरूरत रह जाएगी और न ही किसी डेटिंग एप, फेसबुक या ह्वाट्सएप पर चैटिंग की जरूरत रह जाएगी.

आखिर क्या है पेड और वेब सेक्स, जानें यहां

सोशल वेबसाइट सर्वे करने वाली एक आईटी कंपनी की हालिया रिपोर्ट चौंकाती है, जिस में पोर्न बेस्ड सर्वे के आधार पर ये आंकड़े दिए गए हैं कि देश में 22 से 34 आयुवर्ग के युवा पोर्नोग्राफी, पेड सेक्स, बैव सेक्स चैट के जरिए अपनी पौकेट ढीली कर रहे हैं. उन की कमाई का लगभग 20 से 30त्न हिस्सा पेड सेक्स के लिए जा रहा है.

माध्यम चाहे जो भी हो, सेक्स के लिए मोटी रकम अदा करनी पड़ रही है यानी सेक्स अब सस्ता व सुलभ नहीं, बल्कि महंगा और अनअफोर्डेबल है. पेड सेक्स की बढ़ती लोकप्रियता व चलन ने सेक्स को आम लोगों की पहुंच से दूर कर दिया है. अब यह पैसे वालों का शौक बन गया है. सेक्स की बढ़ती मांग और आपूर्र्ति के बीच गड़बड़ाए तालमेल ने सेक्स बाज़ार के रेट आसमान पर पहुंचा दिए हैं. इस का दूसरा बड़ा कारण है मोटी जेब वालों की सेक्स तक आसान पहुंच. जहां जैसी जरूरत हो, मोटी रकम दे कर सेक्स बाज़ार से सेक्स खरीद लिया, नो बारगेनिंग, नो पचड़ा. इस का नतीजा हाई रेट्स पेड सेक्स के रूप में सामने आया. सेक्स वर्कर्स ने भी मांग के आधार पर अपनी दरें ऊंची कर लीं.

क्या है पेड सेक्स

सेक्स के लिए जो रकम अदा की जाती है उसे पेड सेक्स कहा जाता है. इस के कई रूप हो सकते हैं. वर्चुअल सेक्स से ले कर लाइव फिजिकल सेक्स तक. औनलाइन सेक्स मसलन, पोर्न वीडियो, पोर्नोग्राफी, औनलाइन पेड फ्रैंडशिप, वीडियो सेक्स, वैब औरिएंटेड सेक्स. औफलाइन सेक्स मसलन, ब्रोथल पिकअप सेक्स, कौलगर्ल औन डिमांड आदि. सेक्स के इन तमाम माध्यमों में कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पैसे इनवैस्ट किए जाते हैं. सेक्स के तमाम माध्यमों में सीधे इनवैस्टमैंट को पेड सेक्स कहते हैं.

सेक्स की राह नहीं आसान

कुछ दशक पहले तक सेक्स तक आम लोगों की आसान पहुंच थी. छोटीमोटी रकम अदा कर के यौनसुख का आनंद उठाया जा सकता था, पर सेक्स के विभिन्न मौडल सामने आने के बाद उस की दरों में कई गुणा वृद्धि हुई है.

क्या है इन की कैटेगरी व प्रचलित दरें

– औनलाइन पेड सेक्स : प्रति मिनट डेटा चार्जेज.

– फोन फ्रैंडशिप : 2 से 3 हजार रुपए प्रतिमाह सदस्यता.

–       कौलगर्ल औन डिमांड : 2 से 10 हजार रुपए प्रति घंटा.

–       स्कौर्ट सर्विस (श्रेणी एबीसी ) शुरुआती दर.

–       ब्रोथल सेक्स : 500 से 1,500 रुपए तक नाइट/आवर.

–       हाउस सर्विस : पर शौट (हाउसवाइफ, कालेज/वर्किंग वूमन)  3 से 5 हजार रुपए पर शौट.

मार्केट में चल रही इन दरों को देख कर आसानी से यह कहा जा सकता है कि ऐक्स्ट्रा मैरिटल सेक्स की चाह रखने वालों को अब मनी कैपेबिलिटी भी ऊंची रखनी होगी. यौनतृप्ति की राह आसान नहीं है. सेक्स के बाजार ने एक बड़ा रूप ले लिया है, जहां जिस की जितनी हैसियत है उस हिसाब से यौन संतुष्टि पा सकता है. आम व सामान्य लोगों के लिए यौनलिप्सा के दरवाजे लगभग बंद होते प्रतीत हो रहे हैं.

इतने समय तक सेक्स करना चाहती हैं महिलाएं

हम सोचते थे कि महिलाएं लंबे समय तक सेक्शुअल गतिविधि चाहती हैं, पर हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि पुरुषों को लगता है कि महिलाएं लंबा सेक्स नहीं चाहतीं.

पीनिस के आकार से लेकर सेक्स के दौरान अपने प्रदर्शन तक-पुरुष होना आसान काम नहीं है. अमेरिका में टार्जन कंडोम द्वारा हाल ही में कराए गए एक सर्वे के नतीजों में सामने आया कि 41 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि वे चाहते हैं कि सेक्स लंबे समय तक चले, जबकि ऐसा चाहनेवाली महिलाओं की संख्या 34 फीसदी ही थी.

अक्सर महिलाएं थोड़े समय के सेक्शुअल इंटरकोर्स से ही खुश रहती हैं, वे इसे लंबा नहीं रखना चाहती हैं, जबकि अधिकतर पुरुष इस प्रक्रिया को लंबा ही रखना चाहते हैं.

म्यूजिशियन गैविन फर्नांडिस स्वीकारते हैं कि वे सेक्स के दौरान अपने प्रदर्शन को लेकर दबाव महसूस करते हैं. ‘‘हमें पता है कि महिलाओं को मल्टीपल ऑर्गैज़्म (कई बार चरम) आ सकते हैं. फिर इस तरह की मान्यताएं भी हैं कि महिलाएं ऑर्गैज़्म का झूठा दिखावा भी करती हैं. ये बातें पुरुषों की मानसिकता को प्रभावित करने के लिए काफ़ी हैं,’’

वे कहते हैं. ‘‘कई बार सेक्शुअल संबंध बनाने के बाद मैं समझ ही नहीं पाता कि मैं अपनी गर्लफ्रेंड को संतुष्ट कर भी पाया हूं या नहीं. मैं चाहता हूं कि उसे संतुष्ट करने के लिए मैं और लंबे समय तक उसका साथ दे सकूं.’’

आनंद को लंबा रखने की चाहत

गैविन जैसे कई और पुरुष हैं. वर्ष 2009 में मेन्स हेल्थ मैग्ज़ीन द्वारा कराए गए सर्वे में पाया गया कि सेक्स के दौरान पुरुष 5 से 10 मिनट तक संयम बनाए रख सकते हैं, पर 71 प्रतिशत पुरुष चाहते हैं कि काश वे इससे कहीं अधिक समय तक ऐसा कर पाते.

जरनल औफ सेक्स मेडिसिन द्वारा कराए गए एक अलग अध्ययन के मुताबिक, वह इंटरकोर्स जो 7 से 13 मिनट के भीतर समाप्त हो जाता है, बेहतरीन माना जाता है. ‘‘कई पुरुष इस बात को लेकर शर्मिंदगी महसूस करते हैं कि वे लंबे समय तक संयम नहीं बनाए रख पाते,’’ कहना है चेन्नई की काउंसलर सुजाता रामकृष्णन का. ‘‘और मैं उन पुरुषों की बात नहीं कर रही हूं, जिन्हें प्रीमैच्योर इजेकुलेशन की समस्या है. सामान्य पुरुष, जिनका सेक्शुअल जीवन अच्छा है, वे भी सेक्स की प्रक्रिया को और लंबा बनाना चाहते हैं. इसकी वजह ये है कि ये पुरुष पौर्न देखते हुए बड़े हुए हैं और सेक्स के बारे में अपनी पिछले पीढ़ी से कहीं ज्यादा बातें करते हैं. ये बातें अब मीडिया में हैं, फिलम्स में हैं, किताबों में भी हैं. आज की महिलाएं भी यह बताने में संकोच महसूस नहीं करतीं कि उन्हें सेक्स के दौरान क्या पसंद है और क्या नापसंद. इस वजह से पुरुषों पर काफी दबाव होता है.’’

फोरप्ले का समय भी तो जोड़िए!

सेक्स एक्सपर्ट डॉ महिंदर वत्स कहते हैं कि यदि कुछ बदलाव किए जाएं तो सेक्स प्रक्रिया को लंबा बनाया जा सकता है. ‘‘हालांकि यूं देखा जाए तो ये बात सिर्फ़ आपकी दिमा़गी सोच पर निर्भर करती है, लेकिन आप सेक्शुअल इंटरकोर्स को थोड़ा लंबा बना सकते हैं,’’ वे कहते हैं. ‘‘क्विकी (झटपट सेक्शुअल संबंध बनाना) अच्छे तो होते हैं, पर हमेशा नहीं. सेक्स को लंबा बनाने के लिए सही समय और अपने शरीर के संकेतों को समझना बहुत जरूरी है. यही कारण है कि फोरप्ले का महत्व उससे कहीं ज्यादा बढ़ जाता है, जितना कि हम सोचते हैं. यदि सेक्शुल प्रक्रिया को लंबा बनाना चाहते हैं तो फोरप्ले का समय भी लंबा होना चाहिए. और लंबे समय तक चलने वाले फोरप्ले से कभी किसी महिला को शिकायत नहीं होती, बल्कि वे इसका आनंद लेती हैं.’’

ऑर्गैज़्म पर ध्यान देने के बजाए सेक्स के दौरान एक-दूसरे के साथ का आनंद उठाना ज़्यादा महत्वपूर्ण है. आप अलग-अलग सेक्शुअल पोज़ीशन्स अपना सकते हैं. अंतिम, लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि इस दौरान पार्टनर्स एक-दूसरे से बातचीत करते रहें. तो अगली बार यदि वे कुछ ऐसा करें, जिससे आपको सुखद अनुभूति हो तो उनकी तारीफ करना बिल्कुल न भूलें.

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