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यह संभव नहीं था कि एक व्यक्ति एक समय पर 2 अलगअलग जगह उपस्थित हो. सीसीटीवी कैमरे की फुटेज ने जांच की दिशा ही बदल दी और शक के दायरे में खुद राघवेंद्र आ गया.

सीसीटीवी फुटेज से नैंसी हत्याकांड की गुत्थी बुरी तरह उलझ गई. जांच अधिकारी एएसपी निधि रानी उलझी हुई कडि़यों को सुलझाने में जुट गईं. एक मुखबिर ने उन्हें ऐसी सूचना दी कि वह चौंक गईं. सूचना में उन्हें बताया गया कि जिस दिन बबीता की बारात आई थी, उस दिन राघवेंद्र घर पर ही था. वह न तो घर से बाहर निकला था और न ही बारात में शामिल हुआ था. जबकि उस की सगी बहन की शादी हो रही थी.

इस के साथ ही मुखबिर ने एक और चौंकाने वाली बात यह बताई कि नैंसी की हत्या घर की एक महिला के अवैध संबंध को छिपाने के लिए की गई थी. नैंसी इस बात को जानती थी. उस महिला को अपने अनैतिक रिश्ते का राज खुलने का डर सताने लगा था, इसलिए उस ने सोचीसमझी साजिश के तहत उसे रास्ते से हटवा दिया था. इस शक के दायरे में बबीता भी आ रही थी.

अब मामला काफी पेचीदा और गंभीर हो गया था. निधि रानी ने यह बात पुलिस अधीक्षक दीपक बरनवाल को बताई तो वह हैरान हुए. यह बात सोचने वाली थी कि जिस की बहन की बारात आई हो, वह घर में रहते हुए भी उस में शामिल न हो. एसपी दीपक बरनवाल ने निधि रानी को निर्देश दिया कि राघवेंद्र को हिरासत में ले कर पूछताछ करें.

नैंसी की हत्या में 2 चाचा आए संदेह के घेरे में

शक के आधार पर 5 जून, 2017 को एएसपी निधि रानी ने राघवेंद्र और पंकज झा सहित 6 लोगों को हिरासत में ले लिया. पुलिस उन्हें थाना अंधरामढ़ ले आई. उन लोगों से अलगअलग सख्ती के साथ पूछताछ की गई.

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पूछताछ में राघवेंद्र और पंकज बारबार अपना बयान बदलते हुए पुलिस को इधरउधर घुमाने की कोशिश करते रहे. इस से दोनों एएसपी निधि रानी के शक के दायरे में आ गए.

पूछताछ के बाद उन दोनों को छोड़ कर शेष 4 लोगों को जाने को कह दिया गया. शतरंज जैसे इस खेल में निधि रानी ने आखिरी दांव में पूरी बाजी ही पलट दी. नैंसी जिन 3 बच्चों के साथ खेल रही थी, उन तीनों ने निधि के सामने इस मामले की कलई खोल दी थी. बच्चों का बयान दोनों को बताया गया. इस के बाद राघवेंद्र और पंकज के सामने सच बोलने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था. अंतत: दोनों ने कानून के सामने घुटने टेक दिए और भतीजी की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया.

चचेरी भतीजी नैंसी की हत्या में दोनों आरोपी चाचाओं के इकबालिया बयान के बाद एएसपी निधि रानी और एसपी दीपक बरनवाल ने संयुक्त प्रैसवार्ता आयोजित की. एक पखवाड़े से सुर्खियों में रहे नैंसी हत्याकांड का खुलासा करते हुए एसपी दीपक बरनवाल ने संवाददाता को बताया, ‘‘नैंसी हत्याकांड का मास्टरमाइंड उस का चचेरा चाचा राघवेंद्र झा है. राघवेंद्र और पंकज के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं. दोनों के बयानों में समानता भी नहीं है. साथ ही जो साक्ष्य मिले हैं, वे संकेत दे रहे हैं कि यह परिवार झूठ बोल रहा है.

‘‘जिन 2 लोगों को आरोपी बना कर एफआईआर में नैंसी के अपहरण का जो समय दर्ज कराया गया था, उस समय उन में से एक लल्लू झा पैट्रोल पंप पर काम करता पाया गया. नैंसी का अपहरण नहीं बल्कि हत्या हुई थी.’’

बरनवाल ने आगे बताया कि जिस समय नैंसी के गायब होने की बात बताई गई, जांच के दौरान पता चला कि गायब होने के समय राघवेंद्र व पंकज ही मौके पर थे. पूछताछ के दौरान इस बात की जानकारी नैंसी के साथ खेलने वाले बच्चों ने दी है.

उन्होंने यह भी बताया था कि जांच के दौरान एसआईटी ने घटना के दिन का दोबारा सीन क्रिएट किया. उस के साथ रहने वाले 3 बच्चों हिमांशु, साक्षी व भारती से विस्तृत पूछताछ की गई, तो तीनों बच्चों ने बताया कि जिस समय नैंसी गायब हुई, उस समय दरवाजे के बाहर राघवेंद्र बैठा था और बाहर वाले रास्ते पर पंकज मौजूद था. ऐसे में किसी बाहरी व्यक्ति का घर में आने का सवाल ही नहीं था. राघवेंद्र और पंकज ने अपने जुर्म कबूल लिए हैं.

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प्रैस कौंफ्रेंस के बाद पुलिस ने उसी दिन दोनों आरोपियों राघवेंद्र झा व पंकज झा को झंझारपुर कोर्ट में एसीजेएम द्वितीय शिव प्रसाद शुक्ल के न्यायालय में पेश किया. अदालत ने दोनों आरोपियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. पुलिस को दिए आरोपियों के बयानों के बाद कहानी कुछ इस तरह सामने आई –

रविंद्र के पिता देवानंद झा के चचेरे भाई हैं सत्येंद्र झा. दोनों भाइयों के अपनेअपने परिवार हैं. 5 साल पहले साल 2012 की बात है. रविंद्र के मांबाप उत्तराखंड घूमने गए थे. 25 मई, 2012 की शाम 6 बजे के करीब दोनों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई. आज तक दोनों की मौत पर रहस्य की चादर लिपटी हुई है.

मांबाप की मौत के दुख से रविंद्र और उन का परिवार अभी तक नहीं उबर नहीं पाया था. रविंद्र की 2 बेटियों में नैंसी बड़ी थी और काफी समझदार व चुलबुली थी. नैंसी अपने चचेरे बडे़ दादा सत्येंद्र झा के साथ काफी घुलीमिली थी. सत्येंद्र भी उस से बहुत प्यार करते थे.

क्या बबीता के संबंधों की वजह से हुई नैंसी की हत्या?

सत्येंद्र झा के 4 बच्चों में 2 के नाम थे राघवेंद्र और बबीता. राघवेंद्र बचपन से ही उग्र स्वभाव का था. बबीता काफी खूबसूरत और चंचल स्वभाव की युवती थी. सन 2012 की बात है, एक दिन बबीता किसी काम से कहीं जा रही थी, तभी उसी गांव के रहने वाले लल्लू झा ने बबीता के साथ छेड़छाड़ कर दी. कहीं से राघवेंद्र और उस के भाइयों को इस की भनक लग गई. झा भाइयों ने लल्लू के घर में घुस कर लातघूंसों से उस की पिटाई की. उस के बाद लल्लू बबीता को जब भी देखता था, अपना रास्ता बदल देता था.

बात आई गई हो गई. धीरेधीरे 5 साल बीत गए. इस बीच बबीता का गांव के ही एक लड़के से तथाकथित प्रेम संबंध बन गया. इस बात की जानकारी परिवार वालों को भी मिल गई थी. झा परिवार एक रसूखदार परिवार था. जिले भर में उन का नाम था. उन की छोटी सी बात भी सुर्खियों में आ जाती थी. इसलिए परिवार वालों ने इज्जत की बात समझ कर इसे दबा कर रखा.

कहीं से मासूम नैंसी को इस की भनक लग गई. वह बुआ के प्रेमिल रिश्ते की हकीकत जान गई थी. बबीता को इस बात का डर सताने लगा था कि कहीं नैंसी यह राज किसी के सामने न खोल दे.

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इधर 26 मई, 2017 को बबीता की शादी पक्की हो गई थी. सूत्रों के मुताबिक, परिवार वालों को कहीं से यह भनक लग गई थी कि 5 साल पुरानी छेड़छाड़ वाली घटना में पिटे दोनों भाइयों लल्लू और पवन झा ने शादी में बाधा डालने की योजना बना रखी है. राघवेंद्र और पंकज चाहते थे कि बहन की शादी में किसी तरह की कोई बाधा न आए. इस के लिए वह हर बाधा से निपटने के लिए तैयार थे.

शादी के एक दिन पहले 25 मई को बबीता की मेंहदी की रस्म थी. नैंसी बुआ बबीता की शादी को ले कर काफी खुश थी. लेकिन बबीता के चेहरे पर वो खुशी नहीं थी जो शादी को ले कर लड़की के चेहरे पर होनी चाहिए. जैसे अंदर ही अंदर उसे कोई बड़ा डर खाए जा रहा हो. नैंसी मां और छोटी बहन के साथ अपने घर से मेंहदी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आई.

रविंद्र नारायण घर के दूसरे सदस्यों के साथ बारातियों के खानेपीने के सामानों की खरीदारी करने निर्मली बाजार गए थे. उन के घर से बबीता का घर थोड़ी दूरी पर था.

नैंसी अपने दोस्तों हिमांशु, साक्षी व भारती के साथ घर के बाहर खेलने लगी. बाद में खेलते खेलते बच्चे अंदर कमरे में पहुंच गए. कमरे में बबीता बैठी हुई थी. नैंसी बबीता के पास ही रखी एक चौकी पर बैठ गई. तभी अचानक बिजली चली गई. नैंसी के साथ हिमांशु भी था. बबीता ने हिमांशु को टौर्च दे कर घर के दूसरे कमरे में भेज दिया. थोड़ी देर बाद हिमांशु वापस लौटा तो नैंसी गायब थी और बबीता अकेली बैठी थी.

कैसे गायब हुई थी नैंसी सच्चाई बताई बच्चों ने

बच्चों के अनुसार, जब वे कमरे से बाहर निकले तो बरामदे में कुरसी पर राघवेंद्र को बैठे देखा, जबकि पंकज घर से बाहर जाने वाले रास्ते पर चहलकदमी कर रहा था. बच्चे वापस लौट कर फिर कमरे में आए और बबीता से नैंसी के बारे में पूछा. उस ने बच्चों को डांट कर भगा दिया. तब तक बिजली आ गई थी. बच्चों ने नैंसी को पूरे घर में तलाश किया, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला.

अचानक लापता हुई नैंसी को घर के बाहर और आसपास सभी जगह तलाश किया, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. बाजार गए रविंद्र को नैंसी के रहस्यमय ढंग से गायब होने की सूचना दे दी गई थी.

वह भी घर वापस लौट आए थे. तब तक रात के 9 बज गए थे. राघवेंद्र ने रविंद्र को बताया कि उस ने लल्लू को मोटरसाइकिल से नैंसी को अपहरण कर के ले जाते देखा था. जब तक वह उस के पास पहुंचता, तब वह भाग चुका था.

घर में शादी का माहौल था. नैंसी के अचानक गायब होने से खुशियों में खलल पड़ गई थी. चश्मदीद गवाह राघवेंद्र के बयान के आधार पर लल्लू और उस के भाई पवन को उसी रात हिरासत में ले लिया गया था. पूरी रात नैंसी की खोजबीन जारी रही. लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला.

अगले दिन बबीता की शादी थी. राघवेंद्र घर में मौजूद होने के बावजूद बहन की शादी में शरीक नहीं हुआ.

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सोचीसमझी रणनीति के तहत ही राघवेंद्र ने बबीता की शादी में लल्लू और पवन द्वारा व्यवधान पैदा करने की अफवाहें फैलाई थीं. बहरहाल उस की शादी सकुशल संपन्न हो गई, कहीं कोई बाधा नहीं आई.

शादी बीत जाने के बाद तीनों बच्चों के बयान के आधार पर पुलिस ने बबीता से पूछताछ करनी चाही, लेकिन परिवार ने पूछताछ नहीं करने दी.

पुलिस की मिन्नतों और कानूनी मजबूरियां बताने के बाद बबीता से 10 मिनट ही पूछताछ की जा सकी. इस पूरी पूछताछ मे बबीता ने इतना ही कहा कि उसे कुछ नहीं मालूम, वह कुछ नहीं जानती.

रहस्यमय तरीके से गायब नैंसी की तीसरे दिन यानी 27 मई, 2017 को गांव से दूर नदी के किनारे लाश मिली. पुलिस की जांच में शक के दायरे में चचेरा चाचा राघवेंद्र और पंकज आए.

पूछताछ में दोनों आरोपियों ने नैंसी की हत्या करने की बात कबूल कर ली थी. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया, लेकिन घर वालों ने पुलिस की कार्यशैली पर ही सवाल उठा दिए.

उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने अपनी करनीकथनी छिपाने के लिए निर्दोषों को जेल भेज दिया, जबकि नैंसी के हत्यारे वे नहीं हैं, बल्कि असली मुलजिम लल्लू और पवन हैं. बबीता की शादी न हो सके, इसलिए दोनों ने नैंसी का अपहरण कर के उस की हत्या कर दी थी.

परिजनों के बयानों से पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है. जबकि नैंसी की हत्या एक राज बन कर रह गई है.

– कथा में बबीता परिवर्तित नाम है. कथा परिजनों और पुलिस सूत्रों पर आधारित

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

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