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बात 8 जुलाई, 2020 की है. सुबह के साढे़ 7 बज गए थे. पंकज गुप्ता स्टील की 2 लीटर वाली डोलची हाथ में लटकाए दूध लेने शहरी बाजार समिति की ओर जा रहा था. वह रोजाना दूध लेने इसी समय पर जाया करता था. ऐसा नहीं था कि मोहल्ले में कोई दूधिया दूध देने नहीं आता था, लेकिन पंकज को आशंका थी कि दूधिए दूध में मिलावट करते हैं, इसलिए वह उन से दूध नहीं लेता था.

दूसरे इसी बहाने उस की मार्निंग वाक भी हो जाती थी. इसलिए वह सुबहसुबह दूध लेने पैदल ही निकल जाता था. पंकज बिजली विभाग में नौकरी करता था.

पंकज जैसे ही शहरी समिति के गेट के सामने पहुंचा, पीछे से तेजी से एक अपाचे मोटरसाइकिल उस के बगल से हो कर गुजरी. बाइक पर 2 युवक सवार थे. बगल से बाइक गुजरने पर विकास हड़बड़ा गया और गिरतेगिरते बचा.

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संभल कर बुदबुदाते हुए वह आगे बढ़ा. वह थोड़ी दूर ही बढ़ा होगा कि वही बाइक मुड़ कर फिर उसी की ओर आई. बाइक को आता देख पंकज यह सोच कर रुक गया कि शायद बाइक सवार युवकों की नीयत ठीक नहीं है. उन के निकल जाने के बाद ही आगे बढ़ेगा.

पंकज सोच रहा था कि बाइक निकले तो आगे बढ़े, लेकिन बाइक उस के पास आ कर रुक गई. इस से पहले कि पंकज कुछ समझ पाता, बाइक पर पीछे बैठे युवक ने निशाना साध कर 2 गोलियां उस के सिर में उतार दीं और मौके से फरार हो गए.

गोली लगते ही पंकज धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा. चूंकि सुबह का वक्त था, लोग अभी अपनेअपने घरों में ही थे. गोली की आवाज सुन कर पासपड़ोस के लोग जमा हो गए. उन्होंने जमीन पर खून से लथपथ पड़े पंकज को पहचान लिया.

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