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पंचवटी ने जो कुछ बताया, वह किसी के भी गले उतरने वाला नहीं था, फिर सिद्धार्थ शंकर तो आईपीएस थे. घटनाक्रम का खाका दिमाग में उतारने के बाद उन्होंने गहरी सांस ले कर पूछा, ‘‘तुम कितने समय से मायके में थीं पंचवटी?’’

‘‘जी, एक साल से मायके में थी. मेरा मायका हमीरपुर के गांव रूरीपहरी में है. पिता सिपाही लाल अरहर का व्यापार करते हैं. अरहर गांवों से…’’

पंचवटी मायके का और बखान करना चाहती थी, लेकिन सिद्धार्थ शंकर ने उसे बीच में टोक दिया, ‘‘सिर्फ उतना बताओ जितना पूछा जाए.’’

उन की आवाज में घुले रोष को समझ पंचवटी सहम गई. उन्होंने उस से अगला सवाल किया, ‘‘तुम्हारी अपनी घरगृहस्थी थी, सालभर मायके में रहने की कोई खास वजह? मायके वालों ने रोक रखा था या आने का मन नहीं किया. हां, सोचसमझ कर जवाब देना, क्योंकि हम सभी से पूछताछ करेंगे.’’

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‘‘हम दोनों में अनबन हो गई थी, साहब. इसलिए मायके चली गई थी. लौट कर आना तो था ही, सो आ गई.’’ पंचवटी ने कहा तो एसपी साहब ने पूछा, ‘‘खुद कहां आईं, तुम्हारा पति लाया था. अच्छा, यह बताओ, ससुराल आने के लिए पति को तुम ने बुलाया था या वह खुद ही तुम्हें लाने के लिए पहुंचा?’’

‘‘वह नाराज थे, मैं ने ही उन्हें फोन कर के बुलाया था. वह मेरे गांव रूरीपहरी आए और मैं उन के साथ चली आई.’’

‘‘…और वापसी में कुछ बदमाशों ने तुम्हारे पति को मार डाला, उस का मोाबइल भी ले गए.’’ सिद्धार्थ शंकर ने पंचवटी के आंसुओं से भरे चेहरे पर तीखी नजर डालते हुए पूछा, ‘‘तुम्हारा मोबाइल, जिस से तुम ने पुलिस को खबर दी, पति से महंगा रहा होगा. बदमाशों ने तुम से न मांगा न छीना. तुम पर ऐसी मेहरबानी क्यों?’’

‘‘मैं क्या जानूं साहब, जो सच था मैं ने बता दिया.’’ पंचवटी ने गालों पर ढुलक आए आंसुओं को पोंछ कर चेहरा झुका लिया.

एसपी साहब ने उस पर उपेक्षा की नजर डाल कर कहा, ‘‘कुछ सच बाद के लिए बचा कर रखो, शाम को फिर पूछताछ होगी. खयाल रखना मुझे झूठ पसंद नहीं है.’’

जहां सिद्धार्थ शंकर मीणा पंचवटी से पूछताछ कर रहे थे, वहां से थोड़ी सी दूरी पर उस के पति कालीचरण उर्फ कल्लू की गोली और घावों से छलनी लाश पड़ी थी. आसपास लोगों की भीड़ जमा थी, जो कभी कल्लू की लाश को देख रही थी तो कभी जमीन पर पड़ी उस की मोटरसाइकिल को. कुछ लोगों की नजर पंचवटी पर भी अटकी हुई थी.

बांदा शहर कोतवाली प्रभारी इंसपेक्टर दिनेश सिंह अपनी टीम के साथ घटनास्थल का नक्शा बनाने, लाश पर गोलियों और चोटों के निशान गिनने और लोगों से पूछताछ में लगे थे.

एसपी सिद्धार्थ शंकर और एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह को इंसपेक्टर दिनेश सिंह ने ही सूचना दे कर बुलाया था. वह अपने साथ फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड को भी लाए थे, जिन्होंने अपनाअपना काम निपटा लिया था.

वापस जाते समय एसपी साहब ने इंसपेक्टर दिनेश सिंह को निर्देश दिया, ‘‘लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो और मृतक के घर वालों से कहो, रिपोर्ट लिखाएं. हां, इस औरत को शाम को कोतवाली बुला लेना, पूछताछ करनी है.’’

यह घटना 28 जून, 2020 की है. कोतवाली प्रभारी दिनेश सिंह को कंट्रोल रूम से फोन पर सूचना मिली थी कि सोहाना गांव के बाहर एक युवक की हत्या हो गई है. गांव सोहाना कोतवाली से 12 किलोमीटर दूर था. इंसपेक्टर दिनेश सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने एसपी सिद्धार्थ शंकर और एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह को घटना के बारे में बता दिया था.

घटनास्थल पर लोगों की भीड़ जमा थी. वहीं तालाब के पास कल्लू की लाश पड़ी थी, उस की मोटरसाइकिल भी. लाश के पास बैठी उस की पत्नी पंचवटी रो रही थी. मृतक की लाश देख पुलिस टीम भी सिहर उठी.

हत्यारों ने कल्लू का कत्ल बड़ी बेरहमी से किया था. न केवल उस के सीने में गोली मारी गई थी, बल्कि किसी तेजधार हथियार से उस की गरदन और शरीर के दूसरे अंगों पर भी वार किए गए थे. उस की गरदन आधी कट गई थी.

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दिनेश सिंह ने पंचवटी को धैर्य बंधाने के बाद उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस का पति कल्लू उसे मायके से ले कर आ रहा था. 4 बजे जब हम लोग गांव के बाहर तालाब के पास पहुंचे तो बदमाशों ने मोटरसाइकिल रुकवा कर उस के पति के सीने में गोली मार दी. फिर उन पर कुल्हाड़ी से कई वार किए और उन का मोबाइल ले कर फरार हो गए.

इंसपेक्टर दिनेश सिंह ने घटनास्थल का निरीक्षण करने और लोगों से बातचीत के बाद कल्लू के शव को पोस्टमार्टम के लिए बांदा जिला अस्पताल भिजवा दिया.

उसी दिन मृतक कल्लू के भाई रामशरण ने थाना कोतवाली बांदा में कल्लू के कत्ल की नामजद रिपोर्ट लिखाई. उस ने इस रिपोर्ट में रामदीन, रज्जन और चंद्रप्रकाश उर्फ भूरा को नामजद किया. रिपोर्ट में पंचवटी का भी नाम था.

इंसपेक्टर दिनेश सिंह ने रामशरण से कहा कि कल को वह एसपी साहब के औफिस जा कर उन से मिल ले. एसपी साहब पंचवटी से पूछताछ करना चाहते हैं लेकिन उस से पहले वह तुम से कुछ जानकारियां हासिल करना चाहते हैं.

उधर एसपी सिद्धार्थ शंकर मीणा ने कल्लू हत्याकांड का जल्दी खुलासा करने के लिए एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की. इस टीम में इंसपेक्टर दिनेश सिंह, दरोगा राजीव यादव, मुन्नालाल, सिपाही कुंवर सिंह, मेवालाल, महिला सिपाही पार्वती, एसओजी प्रभारी आनंद कुमार सिंह और सर्विलांस टीम को शामिल किया गया.

अगले दिन रामशरण एसपी सिद्धार्थ शंकर से मिला. उन के यह पूछने पर कि उस ने अपने भाई कल्लू की हत्या में जिन लोगों को नामजद किया है, उन पर शक क्यों है. इस पर रामशरण ने बताया कि रामदीन अपराधी प्रवृत्ति का दबंग आदमी है. उस के और पंचवटी के नाजायज संबंध हैं. कल्लू इन संबंधों का विरोध करता था. पतिपत्नी में मारपीट भी होती थी. इसी वजह से पंचवटी ने उसे मरवा दिया.

‘‘और बाकी लोग, उन की क्या भूमिका है?’’

‘‘बाकी 2 लोग रज्जन और चंद्रप्रकाश रामदीन के रिश्तेदार हैं, अपराधी भी हैं. रामदीन ने उन्हें साथ लिया होगा. पैसे वाला आदमी है. कुछ रकम दे दी होगी.’’ रामशरण ने बताया.

एसपी साहब ने रामशरण को घर भेज दिया. पंचवटी पर उन्हें पहले ही शक था. अब उस से पूछताछ के लिए मजबूत आधार मिल गया था.

अगले दिन एसपी सिद्धार्थ शंकर के आदेश पर पंचवटी को कोतवाली बुलाया गया. एसपी साहब ने महिला सिपाहियों की मौजूदगी में पंचवटी से पूछताछ की. उन का पहला सवाल था, ‘‘रामदीन से तुम्हारा क्या रिश्तानाता है?’’

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‘‘वह मेरे पति कल्लू का दोस्त था. वही उसे घर ले कर आते थे.’’

‘‘मैं ने तुम से कहा था कि झूठ मुझे पसंद नहीं है, लेकिन तुम ने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया. सच बताओ, तुम ने रामदीन से कल्लू की हत्या क्यों कराई? अगर तुम ने झूठ बोला तो तुम्हारे सिर पर खड़ी ये महिला सिपाही मारमार कर तुम्हारी खाल उधेड़ देंगी.’’

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

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