दूसरी तरफ शाकेब जो अब तक खुद को अमन के रूप में पेश करता रहा था. उसे लग गया कि एकता के ऊपर चढ़ा उस के सम्मोहन का जादू अब टूट गया है और मामला बिगड़ चुका है. उस ने एक ही क्षण में फैसला कर लिया कि उसे क्या करना है.
उस ने किसी तरह सब से पहले एकता को शांत कराया और उस से कहा कि वह उस के साथ किसी तरह की जोरजबरदस्ती नहीं करेगा. अगर वह उस के साथ नहीं रहना चाहती तो वह ईद से अगले दिन उस के घर भेज देगा और उस ने जो गहने और पैसे दिए हैं, उसे वापस दे देगा.
शाकेब उर्फ अमन ने एक दिन शांति के साथ एकता को अपने घर पर ही एक मेहमान की तरह रुकने का अनुरोध किया तो एकता भी विरोध न कर सकी. शाकेब के इरादों से अनजान एकता एक दिन के लिए उसी घर में रुकने के लिए मान गई.
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इस के बाद शाकेब ने एकता का अपने पूरे परिवार से बेहद सलीके से परिचय कराया.
शाकेब के परिवार में उस के पिता मुस्तकीम के अलावा 4 भाई थे, जिन में शाकेब खुद सब से छोटा था. मां का इंतकाल हो चुका था. उस से बड़े 3 भाई मुशर्रत, नावेद और जावेद हैं. शाकेब के पिता पेशे से ड्राइवर हैं जबकि चारों भाई दौराला से बाहर अलगअलग शहरों में तंत्रमंत्र और झाड़फूंक का काम करते हैं.
मुशर्रत की शादी इस्मत से हुई थी, जबकि नावेद की पत्नी रेशमा है, आशिया तीसरे नंबर के भाई जावेद की पत्नी थी, जो अपनी पत्नी के साथ अपनी ससुराल गया हुआ था. नावेद भी इन दिनों किसी अपराध में शामिल होने के कारण मेरठ जेल में बंद था.