कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

सौजन्य- मनोहर कहानियां

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुने जाने के बाद नरेंद्र गिरि का कद तेजी से बढ़ने लगा. उन से मिलने वालों में नेताओं और अधिकारियों की लाइन लगने लगी. जिस निरंजनी अखाडे़ में वह हाशिए पर रहते थे, वहां भी उन का महत्त्व बढ़ गया था.

अखाड़े के तमाम प्रभावशाली लोग किनारे हो गए थे. ऐसे लोगों को नरेंद्र गिरि का बढ़ता कद अखरने लगा था. नरेंद्र गिरि ने तमाम ऐसे फैसले करने शुरू कर दिए, जो लोगों को नागवार गुजरने लगे थे. अखाड़ा परिषद का प्रमुख कार्य संतों के अलगअलग अखाड़ों को मान्यता देने का होता है. ऐसे में नरेंद्र गिरि ने 2017 में किन्नर और परी अखाडे़ को मान्यता देने से इंकार कर दिया था.

अखाड़ा परिषद में नरेंद्र गिरि की छवि कड़े फैसले लेने वाले अध्यक्ष की बन गई थी. महंत नरेंद्र गिरि ने फरजी संतों की एक लिस्ट जारी कर दी थी. इस में 19 संतों के नाम शामिल थे, जिस की वजह से वह काफी चर्चा में रहे थे.

मीडिया में यह सूची जारी करने के बाद उन पर दबाव पड़ रहा था कि वह इस सूची को वापस ले लें, लेकिन नरेंद्र गिरि सूची वापस लेने को तैयार नहीं थे. ऐसे में उन के खिलाफ विरोधियों की साजिश शुरू हो गई.

ये भी पढ़ें- Crime Story: नई दुल्हन का खूनी खेल

नरेंद्र गिरि का एक वीडियो वायरल किया गया, जिस में वह एक शादी समारोह में डांस करने वाली लड़कियों पर नोट लुटा रहे थे.

नरेंद्र गिरि की तरफ से सफाई देते यह कहा गया था कि वह शादी रिश्तेदारी में थी, जिस में वह खुशीखुशी डांस करने वाली लड़कियों को नोट दे रहे थे. इस वीडियो के वायरल होने के बाद से नरेंद्र गिरि की छवि को काफी धक्का लगा था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...