सौजन्य- मनोहर कहानियां
लेखक- शाहनवाज
अलग तरह की होती थी फीलिंग
कार्तिक उस के सब से अच्छे दोस्तों में से एक बन गया था. उसे उस के साथ वक्त गुजारना अच्छा लगने लगा. दोनों मिल कर क्लास के बाद दिल्ली के अलगअलग जगहों पर घूमने निकल जाते, अच्छे होटल में खाना खाते. कभी स्टारबक्स, कभी मैकडोनल्डस, कभी केएफसी, कभी बर्गर किंग तरह तरह की जगहों पर अकसर वक्त गुजारते.
वह जब कभी भी कार्तिक के साथ मिलता तो उस के शरीर में एक अलग तरह की सिहरन दौड़ जाती थी. उस का चेहरा और उस की बातें, उस की आंखों और दिल को सुकून देती थीं. कार्तिक के लिए उस के मन में एक अजीब तरह की फीलिंग महसूस होने लगी थी.
अभिषेक मन में कार्तिक को छूने की, उस के करीब रहने की बातें घूमती रहती थीं. वह भी उसे एक अच्छा दोस्त समझता था. लेकिन उसे यह नहीं पता था कि जो फीलिंग्स वह कार्तिक के लिए अपने मन में रखता है, क्या वह भी उसे उसी तरह से देखता है या नहीं.
2 सालों तक वह दिल्ली में कार्तिक के साथ इसी तरह से मिला करता था. लेकिन एक दिन अभिषेक ने कार्तिक को अपने घर पर आने का न्यौता दिया. वह उस के घर पर आया. उस के पूरे परिवार से मिला. उस के घर पर सभी को पता था कि वे दोनों बेहद अच्छे दोस्त हैं.
ऐसे ही एक दिन जब कार्तिक उस के घर पर आया तो वह दोनों लैपटोप पर फिल्म देख रहे थे. वह अभिषेक से चिपक कर बैठा था. उस का ध्यान फिल्म पर बिलकुल भी नहीं था. न जाने उसी वक्त उसे क्या हुआ कि उस ने कार्तिक को उस की गरदन पर चूम लिया.
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