एक पुरानी कहावत है कि हर जुर्म की पृष्ठभूमि में जर, जोरू और जमीन मूल कारण होता है. हरियाणा के रोहतक स्थित जाट कालेज के मेहर सिंह अखाड़े में उस रात जो कुछ हुआ, उस की जड़ में कोई एक नहीं, बल्कि ये तीनों ही कारण छिपे थे.
12 फरवरी, 2021 की रात के करीब 9 बजे जाट कालेज का पूरा प्रांगण सैकड़ों लोगों की भीड़ से खचाखच भरा था. चारों तरफ चीखपुकार मची थी. महिलाओं की मर्मांतक चीखों से पूरा माहौल गमगीन था. कालेज के बाहर पुलिस और प्रशासन की गाडि़यों का हुजूम जमा था. सायरन बजाती पुलिस की गाडि़यों और एंबुलैंस से पूरा इलाका किसी बड़े हादसे की ओर इशारा कर रहा था.
करीब 2 घंटे पहले मेहर सिंह अखाड़े में जो खूनी खेला गया था, उस के बाद वहां सिर्फ तबाही और मौत के निशान बचे थे.
जाट कालेज के मेहर सिंह अखाड़े में जो हादसा हुआ था, उस की शुरुआत शाम करीब साढ़े 6 बजे हुई थी.
मनोज कुमार मलिक, जो जाट कालेज रोहतक में डीपीई थे, अपनी पत्नी साक्षी मलिक व अपने 3 साल के बेटे सरताज के साथ अखाड़े में मौजूद थे. साक्षी मलिक एथलीट कोटे से रेलवे में कार्यरत थी. मनोज जाट कालेज के मेहर सिंह अखाड़े में हर शाम कुश्ती के खिलाडि़यों को प्रशिक्षण देने आते थे.
उस शाम मनोज करीब 6 बजे खिलाडि़यों को अभ्यास कराने के लिए अपनी पत्नी साक्षी व बेटे सरताज को साथ ले कर जाट कालेज के अखाड़े आए थे. साक्षी मैदान में जा कर अपने गेम की प्रैक्टिस कर रही थीं, बेटा सरताज भी उन के साथ था.
अखाड़े वाले मैदान में ऊंची आवाज में स्टीरियो पर वार्मअप म्यूजिक बज रहा था. मनोज मलिक जिस वक्त अखाडे़ में पहुंचे वहां कोच प्रदीप मलिक, सतीश दलाल पहले से ही खिलाडि़यों को प्रशिक्षण दे रहे थे, महिला खिलाड़ी पूजा अखाडे़ में दावपेंच आजमा रही थी. साक्षी मैदान में अपनी एथलीट की प्रैक्टिस करने लगीं. बेटा सरताज उन के पास ही था.
कोच सतीश दलाल खिलाड़ी पूजा से कुश्ती के दावपेंच को ले कर बात कर रहे थे. मनोज व प्रदीप मलिक आपस में बात करने लगे. इस के बाद प्रदीप जिम्नेजियम के ऊपर बने रेस्टहाउस में चले गए, जहां एक कमरे में पहले से ही कोच सुखविंदर मौजूद था.
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प्रदीप मलिक ने सुखविंदर के कमरे में जा कर उस से बातचीत शुरू कर दी. जिम्नेजियम में भी ऊंची आवाज में म्यूजिक बज रहा था, जहां कई युवा पहलवान वार्मअप कर रहे थे.
सुखविंदर से बातचीत के दौरान अचानक प्रदीप मलिक का फोन आ गया. फोन ले कर वह जैसे ही उठे, तभी अचानक सुखविंदर ने उन के सिर में गोली मार दी. गोली लगते ही प्रदीप लहरा कर जमीन पर गिर पड़े. सुखविंदर ने प्रदीप के शव को दरवाजे के सामने से हटा कर एक तरफ डाल दिया.
गोली जरूर चली थी, लेकिन मैदान में चल रहे स्टीरियो साउंड के कारण किसी को पता नहीं चला कि गोली कहां चली और किस ने चलाई. सुखविंदर ने जिम्नेजियम की छत से आवाज दे कर मुख्य कोच मनोज मलिक को, जो नीचे मैदान में थे, को भी उसी कमरे में बुलाया, जिस में उस ने प्रदीप को गोली मारी थी.
जैसे ही मनोज मलिक कमरे में घुसे, सुखविंदर ने बिना कोई बात किए सीधे उन के सिर में गोली मार दी. उन की भी मौके पर ही मौत हो गई. सुखविंदर ने उन के शव को भी कमरे में एक तरफ डाल दिया.
2 लोगों को गोली मारने के बाद सुखविंदर ने जिम्नेजियम की बालकनी में जा कर कोच सतीश दलाल को बात करने के लिए आवाज दे कर उसी कमरे में बुला लिया. सतीश दलाल के कमरे में एंट्री करते ही उस ने उन्हें भी गोली मार दी. कुछ ही मिनटों में तीनों की हत्या के बाद भी सुखविंदर का जुनून कम नहीं हुआ. उस कमरे में शवों को छिपाने के लिए और जगह नहीं बची थी, इसलिए उस ने उस कमरे में ताला लगा दिया.
अगला निशाना थी पूजा
सुखविंदर का अगला निशाना थी अखाड़े में पहलवानी कर रही महिला पहलवान पूजा. सुखविंदर ने पूजा को फोन किया कि मनोज मलिक और दूसरे कोच कुछ बात करने के लिए उसे जिम्नेजियम में बने कमरे में आने के लिए कह रहे हैं. जिस कमरे में उस ने पूजा को बुलाया, वह दूसरा कमरा था.
पूजा जैसे ही उस कमरे में पहुंची सुखविंदर ने उसे भी गोली मार दी. गोली लगते ही उस की भी मौके पर ही मौत हो गई.
मनोज मलिक व पूजा की हत्या के बाद सुखविंदर के टारगेट पर थीं साक्षी मलिक, जो उस वक्त नीचे मैदान में प्रैक्टिस कर रही थी. सुखविंदर ने बालकनी से उन्हें भी आवाज दे कर बुलाया कि मनोज बुला रहे हैं. ऊपर आ जाओ आप से कुछ सलाह लेनी है.
उस ने साक्षी को भी उसी कमरे में बुलाया, जिस में पूजा की हत्या कर उस की लाश रखी थी. साक्षी के कमरे में एंट्री करते ही बिना कोई सवालजवाब किए सुखविंदर ने सीधे सिर में गोली मार कर उन की भी हत्या कर दी.
सुखविंदर के सिर पर मनोज मलिक के लिए नफरत का जुनून इस कदर हावी था कि वह मनोज के पूरे वंश को मिटाना चाहता था. दरअसल, सुखविंदर ने एक बार अखबार में खबर पढ़ी थी कि बेटे ने अपने पिता की हत्या के 20 साल बाद जवान हो कर हत्यारे को मौत के घाट उतार कर बदला लिया था. इसलिए सुखविंदर मनोज के बेटे को
जिंदा छोड़ना नहीं चाहता था, जिस से बाद में वह अपने पिता की मौत का बदला ले सके.
साक्षी की हत्या के बाद वह नीचे गया और मैदान में खेल रहे सरताज को यह कहते हुए उठा लिया कि उस की मम्मी ऊपर बुला रही है. ऊपर लाने के बाद सुखविंदर ने सरताज को भी गोली मार दी. सरताज को मृत समझ कर सुखविंदर ने उस कमरे में भी ताला लगा दिया. दोनों कमरों का ताला लगाने के बाद वह मेनगेट पर तीसरा ताला लगा कर अखाड़े के मैदान में आ गया.
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अखाड़े में मौजूद सभी लोगों की हत्या के बाद सुखविंदर नीचे आ कर अपनी गाड़ी में बैठ गया. उस समय नीचे कोई नहीं था. वहां से वह सीधे जाट कालेज के सामने पहुंचा, जहां पर मेहर सिंह अखाड़े का एक दूसरा कोच अमरजीत भी पहुंच चुका था. अमरजीत को उस ने अखाड़े के संबंध में बात करने के लिए बुलाया था.
अगले भाग में पढ़ें- पहलवानों को हुआ शक