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सौजन्य- मनोहर कहानियां

ऐसे में कांग्रेस के इस खेमे से हरीश कंवर की दूरी बनती चली गई और हरीश कंवर खुल कर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रहे अजीत कुमार जोगी के स्थानीय झंडाबरदार बन गए. दूसरे खेमे ने हरीश कंवर को तवज्जो देनी बंद कर दी. आगे चल कर जब अजीत जोगी ने ‘जनता कांग्रेस जोगी’ पार्टी का गठन किया तो हरीश कंवर इस पार्टी में ग्रामीण अध्यक्ष, कोरबा बन कर शामिल हो गए और क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने लगे.

पूरे परिवार की धमक थी राजनीति में

दूसरी तरफ प्यारेलाल कंवर के अनुज श्यामलाल कंवर जो पुलिस में डीएसपी पद से सेवानिवृत्त हो चुके थे, वह कांग्रेस नेता डा. चरणदास महंत के क्षेत्रीय खेमे से जुड़ गए थे. इस तरह परिवार में भी खेमेबाजी सामने आ चुकी थी.

श्यामलाल कंवर सन 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से विधायक निर्वाचित हुए थे. इधर हरीश कंवर अजीत जोगी के पक्ष में चले गए और उन्होंने उन का झंडा थाम लिया था.

सन 2018 के विधानसभा चुनाव में श्यामलाल कंवर को फिर विधानसभा का प्रत्याशी कांग्रेस पार्टी ने बनाया. दूसरी तरफ अजीत प्रमोद कुमार जोगी ने भी अपना प्रत्याशी फूल सिंह राठिया को खड़ा कर दिया. कांग्रेस के इस झंझावात में श्यामलाल कंवर चारों खाने चित हो गए और तीसरे नंबर में आ कर ठहर गए.

प्यारेलाल कंवर का परिवार राजनीति से अब दूर हो चुका था और सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा था. अजीत कुमार जोगी की पार्टी के धराशाई होने के बाद हरीश कंवर राजनीति के हाशिए पर आ गए थे और अपने गांव भैंसमा में उन्होंने खाद, बीज की एक दुकान खोल ली थी.

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