सौजन्य- मनोहर कहानियां
जांच का काम शुरू करते ही पुलिस ने सब से पहले सीसीटीवी फुटेज की जांच की, लेकिन उस से कोई विशेष मदद नहीं मिली. क्योंकि बदमाशों के चेहरे पूरी तरह हेलमेट व मास्क से ढके थे. पुलिस को वारदात में इस्तेमाल की गई स्कूटी के नंबर से मदद मिलने की उम्मीद थी. क्योंकि सीसीटीवी में उस का नंबर स्पष्ट नजर आ रहा था.
लेकिन जब नंबर की पड़ताल की गई तो पता चला कि इस नंबर पर स्कूटी रजिस्टर्ड ही नहीं है, जिस से साफ हो गया कि कातिलों ने स्कूटी पर फरजी नंबर प्लेट का इस्तेमाल किया था. पुलिस को शक था कि संभव है पिछले दिनों एकता का किसी से कोई झगड़ा हुआ हो या फिर किसी ने धमकी दी हो. क्योंकि आमतौर पर किन्नर समाज में सब से ज्यादा झगड़े इलाके को ले कर होते हैं.
कई ग्रुप हैं किन्नरों के
दिल्ली में किन्नरों के अलगअलग ग्रुप हैं और अकसर इलाके में काम करने को ले कर कोई ग्रुप किसी दूसरे इलाके में घुस आता है तो उस इलाके में काम करने वाले किन्नर झगड़ा कर लेते हैं.
जब इस बिंदु पर जांच हुई और कंपाउंड में रहने वाले किन्नरों से पूछताछ की गई तो पता चला एकता स्वभाव से बेहद मिलनसार थी. उस का किसी से कोई विवाद नहीं था.
पूछताछ करने पर पता चला कि इसी कंपाउंड में रहने वाली अनीता जोशी इस इलाके की गुरु हैं, जिन्होंने एकता को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था. इसलिए पैसे के लेनदेन का सारा हिसाब एकता ही रखती थी. किन्नर समाज में एकता का रुतबा बन चुका था. वह पूरी दिल्ली की गुरु बनने की रेस में शामिल हो गई थी.
एकता के करीबियों से पूछताछ में यह भी पता चला कि जिस रात एकता की हत्या हुई, उसी सुबह नंदनगरी 212 बस स्टैंड पर जनता फ्लैट्स के किन्नर ग्रुप का दूसरे किन्नरों के ग्रुप से विवाद हुआ था.
दूसरा ग्रुप कमजोर पड़ गया था, जिस ने रात को देख लेने की धमकी दी थी. इसलिए पुलिस को आशंका हुई कि कहीं इस हत्याकांड को आपसी रंजिश के तहत अंजाम न दिया गया हो.
पुलिस ने किन्नरों से पूछताछ के बाद किन्नरों के दूसरे गुट के बारे में जानकारी हासिल की और कुछ किन्नरों को हिरासत में ले कर पूछताछ की. लेकिन पूछताछ के बाद भी पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी.
फिर भी न जाने क्यों एसएचओ अरुण कुमार को अंदेशा था कि किन्नर समाज के लोग ही इस हत्या में शामिल हैं, गुरु की कुरसी हासिल करने के चलते भी यह हत्या हो सकती है. जिन संदिग्ध लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया था, उन से हत्याकांड के बारे में तो पता नहीं चला लेकिन यह जरूर पता चल गया कि एकता को उत्तराधिकारी घोषित किए जाने के बाद दिल्ली में कई किन्नर गुरु एकता से नाराज थे.
दूसरी तरफ पुलिस की टीम ने इलाके के सौ से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर ली थी और 2 सौ से ज्यादा कैमरों की फुटेज खंगाल चुकी थी. लेकिन इस के बावजूद कोई ठोस जानकारी हासिल नहीं हो पाई थी.
कुछ किन्नरों से पूछताछ के बाद पुलिस को ऐसे संकेत मिले कि एकता जोशी की हत्या में भाड़े के हत्यारों का इस्तेमाल हो सकता है. ऐसा इसलिए भी लग रहा था क्योंकि गोली चलाने वाले बेहद प्रोफेशनल थे.
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दूसरी तरफ देश के कई हिस्सों में किन्नर समाज के लोगों ने एकता जोशी की हत्या पर आक्रोश जताते हुए हत्याकांड का जल्द खुलासा करने की मांग शुरू कर दी थी.
एकता के रुतबे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि उस की हत्या के बाद शिवसेना के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष जयभगवान भी शोक प्रकट करने के लिए उस के घर पर पहुंचे. किन्नर महामंडलेश्वर लक्ष्मी किन्नर एकता को अपनी खास दोस्त मानती थी, इसलिए वह भी शोक प्रकट करने के लिए उन के घर पहुंची.
एसएचओ अरुण कुमार ने जांचपड़ताल में साइबर सेल टीम की भी मदद ली थी. साइबर टीम के सहयोग से पुलिस ने घटनास्थल के आसपास उस रात एक्टिव मोबाइल फोन नंबरों का डंप निकाल कर छानबीन शुरू कर दी थी. एकता जोशी के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाल कर पुलिस ने उस की भी छानबीन की.
इस बिंदु पर की गई छानबीन के बाद पुलिस को पता चला कि एकता जोशी की पश्चिमी यूपी के मेरठ व गाजियाबाद में कुछ लोगों से बातचीत होती थी. जिन नंबर से उन्हें काल आती या की जाती, वे सभी मेरठ के अपराधियों के नंबर थे. इसीलिए एसीपी मुकेश त्यागी ने मेरठ में एसटीएफ टीम से संपर्क कर हत्याकांड में मदद करने के लिए कहा था.
उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पैशल टास्क फोर्स के डीएसपी बृजेश सिंह ने अपने तेजतर्रार इंसपेक्टर रविंद्र कुमार के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी, जिस में सबइंसपेक्टर संजय कुमार, हेडकांस्टेबल संजय सिंह, रवि वत्स, रकम सिंह, कांस्टेबल दीपक कुमार व अंकित श्यौरान को शामिल किया गया.
छानबीन पहुंची मेरठ तक
पुलिस की इस टीम के पास मेरठ के अधिकांश अपराधियों की कुंडली थी. दिल्ली पुलिस से सूचना मिलने के बाद पुलिस ने अपने मुखबिर नेटवर्क का इस्तेमाल करना शुरू किया. एसटीएफ की टीम ने ऐसे अपराधियों को चिह्नित करना शुरू किया, जो सुपारी ले कर हत्या करने के लिए जाने जाते थे. पुलिस ने चिह्नित किए गए सभी बदमाशों के मोबाइल नंबर हासिल कर उन की काल डिटेल्स निकाल कर उसे खंगालना शुरू कर दिया.
इसी पड़ताल के दौरान एसटीएफ की टीम को आमिर गाजी नाम के एक बदमाश के मोबाइल की लोकेशन 5 सितंबर को दिल्ली में मिली. संयोग से आमिर के मोबाइल की लोकेशन रात को साढ़े 8 से 9 बजे के करीब जीटीबी एनक्लेव के जनता फ्लैट के आसपास थी और यहीं एकता जोशी की हत्या हुई थी.
एसटीएफ की टीम समझ गई कि दिल्ली पुलिस का शक सही है कि एकता जोशी की हत्या करने वाले बदमाशों का संबंध मेरठ से है. इतनी जानकारी मिलने के बाद एसटीएफ की टीम ने आमिर गाजी को ट्रैक करना शुरू कर दिया. और 9 नवंबर को सटीक सूचना मिलने के बाद एसटीएफ टीम ने शाम को करीब 7 बजे उसे इस्माइल वाली गली से गिरफ्तार कर लिया.
आमिर के साथ एक अन्य युवक भी था. तलाशी लेने के बाद दोनों के कब्जे से एक आटोमैटिक पिस्टल और एक तमंचा बरामद हुआ. आमिर के साथ पकड़े गए युवक का नाम सुहैल खान था.
पुलिस को दोनों से पूछताछ करने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी. थोड़ी सी सख्ती के बाद आमिर ने कबूल कर लिया कि उसी ने अपने एक दोस्त गगन पंडित के साथ मिल कर किन्नर एकता जोशी की हत्या की थी.
आमिर मेरठ के कुख्यात अपराधी और गाजियाबाद की डासना जेल में बंद सलमान गाजी का छोटा भाई है. सलमान की मेरठ के दूसरे कुख्यात अपराधी शारिक से जानलेवा दुश्मनी चल रही है.
एक जमीन को ले कर कई साल पहले शुरू हुई शारिक व सलमान की दुश्मनी में अब तक दोनों के गैंग के कई लोग मारे जा चुके हैं. इन दिनों सलमान व शारिक दोनों ही जेल में बंद हैं.
आमिर गाजी ने बताया कि कोतवाली क्षेत्र में सराय बहलीम निवासी गगन पंडित ने किन्नर गुरु एकता जोशी की हत्या कराई थी. चूंकि उस के भाई सलमान के गैंग की रंजिश शारिक गैंग से चल रही है. इसलिए जेल में बंद सलमान ने आमिर से कहा था कि किसी भी तरह शारिक की हत्या करा दें तो शहर में उन की पकड़ मजबूत हो जाएगी.
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बस इसी काम के लिए आमिर ने कुछ दिन पहले गगन पंडित से मदद मांगी थी. आमिर की गगन पंडित से 6 महीने पहले ही हाजी याकूब गली में रहने वाले असलम पहलवान के जरिए मुलाकात हुई थी. दोनों की जानपहचान जल्द ही दोस्ती में बदल गई थी.
अगले भाग में पढ़ें- गगन पंडित की गिरफ्तारी हुई या नहीं?