रहस्यमय लगी फौजी प्रवीण की मौत
मनीषा ने जब खाना पका लिया तो पति और बच्चों के साथ फर्श पर बैठ कर एक साथ सभी ने खाना खाया. खाना खिलानेपिलाने के बाद अपनी आदत के अनुसार मनीषा रसोई में जा कर बरतन धोते हुए पति को सोने के लिए दोनों बच्चों के साथ कमरे में भेज दिया और थोड़ी देर बाद खुद रसोई का काम निपटा कर वह भी सोने के लिए कमरे में चली गई. यह 3 फरवरी, 2022 की बात है.
मनीष अगली सुबह जल्दी उठ गई थी. उठते ही दहाड़ें मार कर रो रही थी. बहू मनीषा के रोने की आवाज सुन कर सब से बड़े जेठ ओमप्रकाश अपने कमरे से नीचे उतर कर आए और प्रवीण के कमरे के पास पहुंचे तो देखा कि मनीषा पति के सिरहाने फर्श पर बैठी दहाड़ें मारमार कर रो रही है.
मां को रोता देख उस के दोनों बच्चे भी रो रहे थे. ओमप्रकाश ने मनीषा से रोने का कारण पूछा तो उस ने बताया कि रात में इन्हें (पति) को हार्ट अटैक आया और यह अब इस दुनिया में नहीं रहे.
मनीषा के मुंह से यह सुन कर उसे ऐसा लगा जैसे उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई हो. उस ने बैड पर सोए भाई को हिलाडुला कर देखा. वाकई उस के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी.
फिर क्या था? ओमप्रकाश ने अपने और भाइयों को आवाज लगाई और नीचे प्रवीण के कमरे में बुलाया. फिर उसे लादफांद कर जिला अस्पताल चरखी दादरी ले गए, जहां डाक्टरों से उसे मृत घोषित कर दिया.
प्रवीण कुमार भारतीय सेना के 22 सिंगनल रेजीमेंट, मेरठ में हवलदार पद पर तैनात था. उस की मौत की खबर मिलते ही घर में कोहराम मच गया. पत्नी और बच्चों का रोरो कर हाल बुरा हुए जा रहा था.
यह खबर जब मेरठ, रेजीमेंट तक पहुंची तो उस के साथी शौक्ड रह गए. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि उन का जिंदादिल एक साथी उन्हें हमेशाहमेशा के लिए छोड़ कर इस दुनिया से चला गया.
बहरहाल, 4 फरवरी, 2022 के बाढड़ा थाने के प्रभारी रामअवतार सिंह ने मृतक प्रवीण के बड़े भाई ओमप्रकाश के बयान के आधार पर इत्तफाकिया मौत की काररवाई करते हुए डाक्टरों के बोर्ड द्वारा शव का पोस्टमार्टम करवाया था, लेकिन उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आनी थी.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से चौंक उठे थानाप्रभारी
उधर रेजीमेंट वालों ने राजकीय सम्मान के साथ प्रवीण को अंतिम विदाई दी. 10 वर्षीय बेटे ने पिता को मुखाग्नि दी तो वहां का माहौल बेहद गमगीन हो गया और सब की आंखें नम हो गईं.
खैर, नियति को भला कौन टाल सकता है. जो होना है वह हो कर ही रहेगा. उसे कोई रोक नहीं सकता. छोटे भाई की मौत का गहरा सदमा सब से ज्यादा बड़े भाई ओमप्रकाश को लगा था. पता नहीं क्यों उन्हें भाई की मौत संदिग्ध लग रही थी.
उन्हें यह बात भी खटक रही थी कि जब उस रात भाई को हार्ट अटैक आया तो बहू ने घर वालों को जगा कर क्यों नहीं बताया. कुछ तो गड़बड़ है, जो उन की आंखों के सामने होते हुए भी उन्हें दिखाई नहीं दे रहा है. वो बात क्या हो सकती है.
इन्हीं उलझे हुए सवालों के बीच ओमप्रकाश गुत्थी को सुलझाने में जुटे हुए थे, लेकिन गुत्थी का कोई भी सिरा अभी तक उन के हाथ नहीं लगा था और भाई की चिता को ठंडा हुए करीब हफ्ता भर बीत गया.
12 फरवरी को प्रवीण की मौत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उसे पढ़ कर थानाप्रभारी रामअवतार ऐसे उछले जैसे सैकड़ों बिच्छुओं ने उन्हें एक साथ डंक मारे हों.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में प्रवीण की मौत दम घुटने से हुई बताया गया था. जबकि उस की पत्नी मनीषा हार्टअटैक से पति की मौत होना बता रही थी. दोनों बातों में काफी विरोधा
भास था.
यही नहीं, जब थानाप्रभारी रामअवतार सिंह ने ओमप्रकाश को थाने बुलवा कर उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सच्चाई बताई तो वह भी चौंक उठे. प्रवीण की मौत ने नई कहानी को जन्म दे दिया था.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ने के बाद ओमप्रकाश का शक यकीन में बदल गया. उन्हें बहू मनीषा पर शक हो गया कि भाई की मौत के पीछे जरूर उस का हाथ होगा.
लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सच्चाई ओमप्रकाश ने किसी के सामने जाहिर नहीं होने दी थी और न ही इंसपेक्टर रामअवतार ने. जबकि वह केस की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को देते रहते थे. उन्हीं से गाइडेंस भी लेते रहे. उन्होंने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.